दोस्तों दुनिया बहुत ही अजीबो गरीब है। पीछले दिनों एक यूजर ने मेल किया और पूछा सर कागज खाने से क्या होता है ? कागज खाने से कौन सी बीमारी होती है? और कागज खाने के नुकसान क्या है ? इस लेख के अंदर हम इसी बारे मे विस्तार से बात करने वाले हैं। कि यदि आपके कागज खाने से क्या होता है ? मतलब हम इस लेख के अंदर कागज खाने के नुकसान के बारे मे बात करने वाले हैं। दोस्तों वैसे ऐसे इंसान बहुत कम देखे जाते हैं जोकि कागज खाते हों । हां लेकिन जानवर ऐसे बहुत सारे हैं जो कागज को खाते हैं। हालांकि वैसे कागज उनके लिए शायद कोई खास नुकसान ना करता हो । लेकिन यदि वे पौलीथीन वैगरह खाते हैं तो उससे उनकी मौत हो सकती है।
हम लोग भी कागज खाने के नुकसान से बचे हुए नहीं हैं। आमतौर पर जब हम कहीं पर समोसे या कचोरी खाते हैं तो कुछ ठेले वाले कागज पर इनको डाल कर देते हैं। यह हानिकारक होता है क्योंकि प्रिंट हुए कागज के अंदर कई प्रकार के रसायन होते हैं।
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कागज खाने से क्या होता है or कागज खाने के रियल केस
एक न्यूज के अनुसार लंदन के अंदर एक ऐसी महिला है जो कागज खाती है। इस महिला के नाम की तो हमे जानकारी नहीं मिल सकी है। लेकिन न्यूज सोर्स के अनुसार यह महिला अपने खाली समय के अंदर भी कागज के टुकड़े एकत्रित करती रहती है। और उसके बाद उनको तब खाती है जब यह शापिंग कर रही होती है या फिर वह किसी अन्य काम को कर रही होती है।
सुश्री बी, एक 16 वर्षीय लड़की है जोकि एक मनोरोगी है। वह एक निम्न आर्थिक परिवार से है और जिसका कोई भी सामाजिक और पारिवारिक इतिहास मनोरोग से नहीं जुड़ा हुआ है। वह एक हिंदु लड़की है। उसके परिवार का कोई भी सदस्य कागज वैगरह का सेवन नहीं करते हैं। हालांकि वे सुपारी चबाते हैं और इस वजह से वह भी अपने माता पिता की अनुमाति के बिना सुपारी चबाना शूरू कर दती है। लेकिन जब उनके माता पिता को पता चलता है तो वे उस पर इसके लिए प्रतिबंध लगा देते हैं ।
और इसी तरीके से जब वह एक दिन कक्षा के अंदर बैठी थी तो उसके मन मे कागज खाने की इच्छा हुई। बस फिर उसने कुछ कागज के टुकड़े खा लिए । उसके बाद वह धीरे धीरे अपने सहपाठियों के बिना जानकारी के कागज के टुकड़ों को खाने लगी । वह एक दिन के अंदर कम से कम ए 4 साइज के 4 से 5 कागज खा जाती थी।
उसके बाद जब वह एक दिन केरोसिन को इधर उधर डाल रही थी तो उसे केरोसिन की सुगंध अच्छी लगने लगी।उसके बाद अपने परिवार की बिना जानकारी के वह रोज 3 से 4 घंटे मिटटी के तेल की गंध लेती थी। और यदि उसे यह तेल नहीं मिलता तो वह पढ़ने मे काफी बैचेनी महसूस करती थी। और कोई भी काम ढंग से नहीं कर पाती थी। इसके अलावा अब वह रोजाना 10 कगज खा जाती थी।
इसके अलावा वह गंध लेने के लिए वहानों की पीछे भागती थी और उसकी एकाग्रता कम हो रही थी। घरेलू काम मे भी कोई हाथ नहीं बंटा रही थी व माता पिता के कहने पर उनसे झगड़ा करती । खुद को नुकसान पहुंचाने की कोशिश भी करती । लगभग 3 वर्षों के बाद उसके परिवार ने उस पर ध्यान दिया । और वह खुद भी इन सब चीजों से परेशान हो चुकी थी।आंशिक अंतर्दृष्टि की वजह से वह यही सब चाहती थी। डॉक्टरों ने कई परीक्षण किये जिनमे
शारीरिक परीक्षण, पूर्ण रक्त चित्र, मूत्र दिनचर्या और एक्स-रे पेट, यकृत समारोह और सीरम इलेक्ट्रोलाइट्स यह सब जांच सामान्य थी। उसके बाद उसे ज़ाइलोफ़ेगिया होने का पता चला ।पैरॉक्सिटाइन 25 मिलीग्राम के साथ उसका उपचार किया गया और इसके अलावा लक्षणों को नियंत्रित करने के लिए क्लोनज़ेपम 0.5 मिलीग्राम को भी जोड़ा गया । यह सब करने के दो दिन बाद उसके लक्षण पूरी तरीके से नियंत्रित हो गए ।इसके अलावा हानिकारक व्यवहार को रोकने के लिए संज्ञानात्मक व्यवहार थेरेपी का यूज किया गया था।वह अस्पताल के अंदर 12 दिन रही,
इस दौरान वह कागज खाने और किरोसिन के सेवन से दूर ही रही । उसके बाद उसे घर पर भेज दिया गया ।उसके माता पिता को उसका पूरा ध्यान रखने का आदेश भी दिया गया ताकि भविष्य मे ऐसी घटना ना हो सके ।
कागज क्या होता है ?
कागज खान से क्या होता है या कागज खाने के नुकसान के बारे मे जानने से पहले हम यह जान लेते हैं कि कागज कहते किसे हैं। कागज गीले फायबर्स को दबाकर और फिर उसे सुखाकर बनाया जाता है। तुन्तु पल्प होते हैं जिनको लकड़ी ,घास और चीथड़ों से बनाये जाते हैं।पौधों के अंदर सेल्यूलोस नामक एक कार्बोहाइड्रेट होता है। पौधे की कोशिकाएं इसकी बनी होती हैं। सेल्यूलोस के रेसों की तपली चदर को बनाया जाता है। और उसे ही कागज के नाम से जाना जाता है।
kagaz khane se kya hota hai कागज खाने के नुकसान
दोस्तों ज़ाइलोफ़ेगिया एक ऐसा विकार होता है। जिसकी वजह से व्यक्ति का मन अजीबो गरीब चीजों को खाने का करने लगता है। इस दौरान वह रेत ,चांक और कागज को खा सकता है।हालांकि इस प्रकार के विकार का रोगी सबसे ज्यादा कागज खाने मे रूचि लेता है। सदियों से चिकित्सा पत्रिकाओं में इस स्थिति का वर्णन किया गया है।यह विकार कई कारणों से हो सकता है जैसे कि लोहे की कमी, जस्ता की कमी और क्लेन-लेविन सिंड्रोम, मानसिक मंदता और सिज़ोफ्रेनिया जैसी कुछ सह-रुग्ण आदि।
विश्व के अंदर केवल 25-33% लोग ऐसे हैं जो इस विकार से पीड़ित हैं। जिनमे केवल 20 प्रतिशत तो प्रेगनेंट महिलाएं हैं। बाकि 10 प्रतिशत आम किशौर और बूढ़े शामिल हैं।
1.कागज खाने से नुकसान कैंसर का खतरा
आमतौर पर हम यदि कोई अखबार का टुकड़ा खाते हैं तो उससे कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है। फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड ऑथोरिटी ऑफ इंडिया के अनुसार अखबार के टुकड़े जिस इंक से छापे जाते हैं । उसके अंदर कई खतरनाख कैमिकल होता है। कागज लगभग 100% लकड़ी-फाइबर है, मानव पाचन तंत्र द्वारा पचाना असंभव है। यदि कागज को क्लोरीनीकरण की प्रक्रिया से बनाया गया है तो इसमे डाइऑक्सिन हो सकता है।यदि आप प्रति दिन 2 ग्राम कागज खाते हैं, तो आपके कैंसर के मरने का खतरा बहुत अधिक बढ़ जाता है।
इसके अलावा यदि आप अखबार पर खाना खाते हैं या उसे खाते हैं तो आपके शरीर के अंदर सॉल्वेंट्स जैसे-ग्रेफाइट जैसी चीजें पहुंच जाती हैं और संभव है अधिक मात्रा के अंदर अखबार के टुकड़े खाने से आपके शरीर के अंदर किन्हीं कोशिकाओं की अनियंत्रित बढ़ोतरी होने लगे जो कैंसर का कारण है।
2.पाचन मे समस्या
दोस्तों यदि आप कागज का सेवन करते हैं । तो आपके लिए उनको पचा पाना आसान नहीं होगा । क्योंकि कुछ प्रिंटेड कागज के अंदर बहुत ही खतरनाख कैमिकल का यूज किया जाता है। और यह आपकी पाचन क्रिया को प्रभावित कर सकते हैं। छपे हुए कागज के अंदर पिगमेंट, बाइंडर, एडिटिव्स और प्रिजर्वेटिव भी होते हैं। यह फोलेट जैसे हानिकारक रसायनों की उपस्थिति को भी दर्शाता है जो पाचन समस्याओं का कारण बन सकते हैं।यह कागज खाने का नुकसान है।
3.एक मनोविकार का विकास
यदि आप कुछ समय के लिए ऐसे ही कागज खाते हैं तो आपको सावधान हो जाने की आवश्यकता है। क्योंकि हो सकता है बाद मे आपके अंदर एक मानोविकार पैदा हो जाए । जैसा कि आपको महसूस होने लग जाए कि आप कागज के बिना रह नहीं सकते । यह ठीक उसी तरीके से होता है जैसे पहले आप कभी कभी नसा करते हैं और उसके बाद आपको इसकी लत लग जाती है।
4.आईक्यू स्तर मे कमी
कागज खाने से आईक्यू स्तर के अंदर भारी गिरावट आती है। एक प्रिंट किया हुआ कागज खाने से नुकसान और ही बढ़ जाता है। एक प्रिंट किये हुए अखबार मे कई चीजें होती हैं। उसके अंदर लगी स्याही मे सीसा, कैडमियम और ग्रेफाइट जैसी भारी धातुएँ होती हैं जिनका स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।एक सर्वे के अनुसार भारत के 50 प्रतिशत बच्चों के रक्त के अंदर सीसे की मात्रा अधिक है। यदि आप इस प्रकार के छपे कागज खाते हैं तो आपके रक्त के अंदर सीसे की मात्रा बढ़ जाएगी और आपकी बुद्वि कमजोर हो जाएगी ।
5.फेफड़े और गुर्दे के लिए खतरनाक
कागज खाने के नुकसान या कागज खाने से क्या होता है ?
दोस्तों कागज फेफड़े और गुर्दे के लिए खतरनाख होता है। यह आपके गुर्दे और फेफडे को डेमेज कर सकता है। प्रिंट किये हुए कागज के अंदर ग्रेफाइट होता है जो आपके गुर्दे मे जमा होता है । जो अंत मे समस्या पैदा करता है।
6.गर्भवती महिलाओं में जन्म दोष
अक्सर देखा जाता है कि अधिकतर गर्भवति महिलाएं कागज का सेवन करने लग जाती हैं। और ऐसा अधिक होता है। कागज के अंदर फोथलेट होता है। और यदि कोई गर्भवति महिला उच्च स्तर पर कागज खाती है तो फोथलेट की वजह से उसके बच्चे मे दोष पैदा हो सकता है।इसके अलावा बौद्विक समस्या भी पैदा हो सकती है।
7.रोगजनक सूक्ष्मजीवों की उपस्थिति
अधिकतर लोग जो कागज खाते हैं वे यह नहीं देखते हैं कि कागज कहां पर पड़ा हुआ है। कागज खाने से आप काफी बिमार हो सकते हैं। क्योंकि कागज किसी साफ सुथरी जगह पर नहीं रखे होते हैं । अक्सर ऐसी स्थिति के अंदर उनके उपर कई सूक्ष्म जीव चिपके रहते हैं। और ऐसी स्थिति के अंदर हम उन सूक्ष्मजीवों को भी खा लेते हैं तो कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों को और अधिक बीमारियां घेर सकती हैं।
8.विकास का रूकना
यदि आप कागज खाते हैं तो आपका शारिरिक और मानसिक विकास रूक सकता है। क्योंकि कागज के अंदर वो चीजे नहीं होती हैं जोकि एक शरीर को उर्जा देने के लिए आवश्यक होती हैं। एक मात्र कागज के सेवन पर इंसान जिंदा नहीं रहेगा । लेकिन यदि वह कागज के साथ दूसरे प्रकार के भोजन करता है तो संभव है कि उसके विकास पर उतना असर ना पड़े ।
अखबार मे लपेटकर खाना खाने के नुकसान
दोस्तों जैसा कि हमने आपको उपर बताया है यदि आप आज तक अखबार के अंदर लपेटकर खाना लाते हैं और फिर उसे खाते हैं तो यह सही नहीं है। अक्सर शहर के अंदर ठेले वाले से जब आप जलेबी या कुछ भी लेते हैं तो वह आपको अखबार मे डालकर ही देता है ।और आप उसे बड़े चाव से खाते हैं। ऐसा करने के नुकसान हम आपको उपर बता ही चुके हैं। कागज खाने के नुकसान सेक्सन मे । इसका सबसे अच्छा विकल्प है। आप टिशु पेपर का यूज कर सकते हैं।
टिशू पेपर महंगा नहीं आता है। और जब आप कहीं पर टिफिन लेकर जाते हैं तो टिशु पेपर मे रोटिया लपेट सकते हैं। यह सबसे अच्छा विकल्प है। और जब आपको ठेले के अंदर से कुछ लेना हो तो आप इसके लिए भी टिशू पेपर का इस्तेमाल कर सकते हैं।सबसे अच्छी बात तो यह है कि यदि आपके पास टिशु पेपर नहीं है तो आप साफ कागज का यूज कर सकते हैं। यह उतना हानिकारक नहीं होता है। क्योंकि इस पर किसी भी प्रकार की इंक का इस्तेमाल नहीं किया होता है।
भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने हाल की के अंदर एक एडवाइजरी जारी करते हुए कहा की समाचार पत्रों पर खाना परोसना बेहद ही खतरनाख साबित हो सकता है। भले ही खाने को उच्च स्तर पर पकाया गया हो ।
कागज खाने से क्या होता है ? कागज खाने के नुकसान , लेख के अंदर हमने आपको विस्तार से बताने की कोशिश की । दोस्तों अंत मे हम आपको यही कहना चाहेंगे कि कागज खाने का कोई फायदा नहीं है । बस इसके नुकसान ही है। और सबसे बड़ी बात यदि आप आज तक अखबार के अंदर समोसे कचोरी और जलेबी जैसी चीजे खाते आएं हैं तो सावधान हो जाएं। खास कर अखबार के अंदर तरल चीजें ना खाएं क्योंकि तरल चीजे अखबार के प्रिंट इंक भी अपने अंदर घोल लेती हैं और बाद मे जब आप खादय पदार्थ को खाते हैं तो इंक आपके पेट मे चली जाती है।
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