कान का पर्दा फटने के लक्षण kan ka parda fatne ke lakshan, कान का पर्दा फटने का इलाज , कान का पर्दा चिपकना , कान का पर्दा फटने पर क्या होता है ,कान हमारे शरीर का काफी महत्वपूर्ण हिस्सा होता है।कान की मदद से ही हम दुनिया के अंदर क्या कुछ हो रहा है उसको सुन पाते हैं लेकिन आजकल बहुत से लोगों के अंदर समय से पहले बहरापन की समस्याएं पैदा हो रही हैं। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि आजकल काफी अधिक शौर हो रहा है। तेज आवाज के अंदर गाने का बजना इसके अलावा विमान की आवाजे भी शैर प्रदूषण का कारण बनती हैं।
60 डेसीबल से अधिक की ध्वनी इंसान को बहरा बना सकती है। तेज आवाज के अंदर संगीत सुनने से भी बहरापन हो सकता है।और खास कर यदि आप इस प्रकार की ध्वनी के अंदर काफी लंबे समय से रह रहे हैं तो बहरापन हो सकता हैं। आमतौर पर एक पटाखे की आवाज 125 डेसीबल की होती है। और इसकी वजह से बहरापन हो सकता है। इसलिए यदि आप बड़ा वाला पटाखा चला रहे हैं तो आपको चाहिए कि आप पटाखें से दूरी बनाकर रखें । कई बार जब हमारे कान के पास ही पटाखा फट जाता है तो कान के अंदर सीटी सी बजती है। सो पटाखे चलाते समय कान मे रूई दाब कर रख सकते हैं। जिससे शौर कम सुनाई देगा ।
वैसे आपको बतादें कि हमारे कान के अंदर Tympanic Membrane नामक एक झिल्ली होती है जिसको ही कान के पर्दे के नाम से जाना जाता है।जब ध्वनी आती है तो कान के ड्रम मे कंपन होता है जिसको दूसरे तरफ की कोशिकाएं रिकोर्ड करती हैं और इलेक्टि्रक इम्पलस पैदा करती है जिसको दिमाग तक भेजा जाता है। उसके बाद हमारा दिमाग इन संकेतों को समझता है। असल मे इंसान एक मशीनरी से अधिक कुछ नहीं है।
लेकिन कई बार किसी वजह से यह कान का पर्द फट जाता है और इसके अंदर छेद हो जाता है। ऐसी स्थिति के अंदर डॉक्टर से संपर्क करना जरूरी होता है। क्योंकि यह छेद ना केवल आपके सुनने की क्षमता को बंद कर देता है वहीं यह और भी कई समस्याओं का कारण बन सकता है।
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कान का पर्दा फटने के लक्षण
कम सुनाई देना नंसों की कमजोरी का संकेत हो सकता है। आमतौर से उम्र से संबंधित बहरेपन और कान के पर्दे के फटने से संबंधित बहरेपन दोनो अलग अलग होते हैं।उम्र बढ़ने के साथ ही बहरेपन की संभावना बढ़ जाती है।60 वर्ष की आयु के 33 प्रतिशत लोगों के अंदर बहरापन होता है। लेकिन यदि कान का पर्दा फट गया है किसी कारण से तो अचानक से आपको सुनन कम हो जाएगा । आप याद करें कि आपको सुनना अचानक से कम हो गया हो तो इस बाती की संभावना है कि कान के पर्दे मे समस्या है।
यदि आपको अचानक से उंचा बोलने पर सुनता है तो इस बात की संभावना बढ़ जाती है कि कान का पर्दा फट गया है। आप खुद कुछ करने की कोशिश ना करें । वरन डॉक्टर से संपर्क करें कि आपके कान मे क्या समस्या है ? यदि कान का पर्दा फट गया है तो इसका पता चल जाएगा ।
1.कान का पर्दा फटने के लक्षण टीवी और मोबाइल का वौल्यूम तेज करना
आमतौर पर जिस इंसान के कान के पर्दे फट गये हैं। या मामूली समस्या है उसे सामान्य इंसान से कम सुनाई देता है। उसकी कान की क्षमता कम हो जाती है। ऐसा इंसान टीवी के वॉल्यूम को अधिक रखता है और उसे यह सामान्य लगता है लेकिन दूसरे इंसानों को यह अधिक लगता है।यदि आपके साथ भी ऐसा हो रहा है तो संभव है कि आपके कान का पर्दा फट चुका है और आपको अपने डॉक्टर से संपर्क करने की जरूरत है। हालांकि कई बार तो कान के पर्दे के डेमेज होने का पता रोगी को चल ही नहीं पाता है।दूसरे लोगों से उसे एहसास होता है कि उसे कम सुनाई दे रहा है।
2.सुनने मे परेशानी
यदि कान का पर्दा फट गया है तो कम डेसिबल की ध्वनी को सुनने मे कठिनाई होने लगेगी । आप दूसरों को होठ हिलाते हुए देखेंगे लेकिन सुन नहीं पाएंगे । या यह हो सकता है कि आप साफ साफ सुनने मे भी कठिनाई महसूस करने लगें।आप देखें कि आपको कोई भी ध्वनी जो सामान्य है को सुनने मे कोई कठिनाई तो महसूस नहीं हो रही है? यदि आपको सुनने मे कोई भी कठिनाई महसूस हो रही है तो आपको जल्दी से जल्दी डॉक्टर को संपर्क करना जरूरी होगा ।
3.कान का पर्दा फटने के लक्षण कान मे सीटी बजना
कान मे सीटी का बजना भी कान के पर्दे के फटने का एक लक्षण हो सकता है। आमतौर पर कान के अंदर सीटा बजने को टिनिटस कहलाता है।वैसे तो यह एक मामूल समस्या भी हो सकती है लेकिन अधिकतर मामलों मे यह एक टयूमर का संकेत भी हो सकती है।
इसके अलावा यह कई बार एक कान मे सुनाई देती है तो कई बार यह आवाज दोनों कानों के अंदर भी सुनाई देती है। इस आवाज के अंदर कान मे फुसफुसाहट , कान मे घंटियां बजना और कान मे सीटी का बजना ।कान मे सीटी बजने के कई कारण हो सकते हैं जैसे कि वेक्स फूलना, यूस्टेकियन ट्यूब में समस्याएं होना और कान के मध्यभाग मे संक्रमण होने से ऐसा हो सकता है। इसके अलावा कान का द्रव्य का बढ़ना और कान के अंदरूनी भाग मे संक्रमण होने से सुनने मे कमी आ सकती है।डाइयूरेटिक, क्यूनिन एंटीमलेरिया, एमाइनोग्लाइकोसाइड एंटीबायोटिक दवाओं के लंबे समय से प्रयोग करने से भी ऐसा हो सकता है।
यदि आपको भी कान मे सीटी बजने की समस्या है तो आपको सुनने की क्षमता की जांच करवानी चाहिए ।सुनने की क्षमता की जांच ओडियोमेट्री से की जाती है। और बाद मे सर्जरी वैगरह के लिए सीटी स्कैन भी की जाती है।आप अपने डॉक्टर से संपर्क करें और यदि आपकी सुनने की क्षमता ठीक है तो संभव है कि यह किसी और वजह से हो सकता है।
4.कान से मवाद आना
कान मे मवाद आने के कई कारण होते हैं। उनमे से एक कारण कान का पर्दा फटना भी होता है।कान का बाहरी हिस्सा कानी की नली और तीन हडियों से बना होता है।कई बार इनके अंदर रूकावट आने से कान मे मवाद आ सकता है।इसकी वजह से कान मे हल्का दर्द हो सकता है। कान मे क्या समस्या है इसका पता सीटी स्कैन और ईएमआरआई से चलता है।
कई बार किसी वजह से कान की नली मे फोड़ा हो जाता है । जिसकी वजह से कान के अंदर मवाद भर जाता है और इससे भी कम सुनाई देता है। कई बार यह फोड़ा जन्मजात भी होता है।
इसके अलावा कान की हड्डी मे टयूमर का होना । और कई बार कान के पर्दे के पीछे मवाद भर जाता है जिससे की दबाव की वजह से कान का पर्दा फट जाता है और उसके अंदर से मवाद बाहर निकल आता है।
कई बार टयूब मे रूकावट की वजह से पर्दा अंदर धंस जाता है।यदि कान का पर्दा फट गया है तो इसके लिए सर्जरी होगी और सर्जरी होने के बाद पूरी तरह से ध्यान रखें बार बार जुकाम और खांसी को नजर अंदाज ना करें ।
5.कान का पर्दा फटने के लक्षण कान के भीतर हवा जाना
यदि कान का पर्दा फट जाता है तो आपको यह महसूस होगा कि हवा कान के अंदर तक जा रही है। यह आपको काफी अजीब लग सकता है। यदि आप इस प्रकार की स्थिति को फील कर रहे हैं तो आपको समझना चाहिए कि कान मे समस्याएं हो रही हैं तो आपको चाहिए कि आप डॉक्टर से संपर्क करें ।
6.कान मे खून आना
वैसे तो कान के अंदर खून आने के कई सारे कारण हो सकते हैं।लेकिन आपको यह गौर करना बहुत ही जरूरी है कि आपके कान के अंदर खून किस वजह से आ रहा है ? कान के पर्दे पर चोट लगने या उसके फटने से आपके कान के अंदर खून आ सकता है।आपको बतादें कि कान का पर्दा ऐसे ही नहीं फटता है। कोई चोट सिर के अंदर लग जाती है तो खून कान के पर्दे को फाड़कर बाहर आ जाता है। कान के अंदर खून आना सामान्य नहीं है। यदि कान मे खून आ रहा है तो आपको व्यक्ति तुरंत ही किसी अच्छे डॉक्टर से संपर्क करना होगा ।इसके अलावा कान मे खून यदि पर्दा के फटने से आता है तो फिर सुनाई देना अपने आप ही कम हो जाता है।
इसके अलावा कई बार संक्रमण कान तक पहुंच जाता है।ऐसी स्थिति के अंदर कान पर बैक्टिरिया हमला करते हैं जिससे कि कान के अंदर खून आ सकता है।
सबसे आम समस्याओं मे यह है कि कान के अंदर कोई फंसी हो जाती है और आप कोई वस्तु कान के अंदर डालते हैं जिससे वह फूट जाती है तो कान के अंदर खून आ सकता है।लेकिन यह कोई अधिक गम्भीर स्थिति नहीं है।एक बार यह मामूली सी फुंसी फट जाती है तो अधिकतर केस मे अपने आप ही ठीक हो जाती है लेकिन इस स्थिति मे कान मे अधिक खून नहीं आता है।
इसके अलावा कान मे दबाव की वजह से भी कान मे खून आ सकता है।जैसे कि आप कई बार अधिक शौर मे जाते हैं तो कान के अंदर दबाव पड़ता है जिससे कान मे खून आ सकता है। इसके अलावा समुद्र के गहरे पानी मे उतरने पर कान मे पानी का दबाव पड़ सकता है। कई बार हवाई जहाज मे यात्रा करने पर भी शौर की वजह से ऐसा हो सकता है।
इसके अलावा कई बार कान मे हम कोई ऐसी वस्तु डाल देते हैं जोकि हमे कान के अंदर नहीं डालनी चाहिए । इसकी चोट की वजह से कान का पर्दा फट जाता है और कान के अंदर खून निकल सकता है या फिर कान की नली मे चोट लगने की वजह से ऐसा हो सकता है।
इसके अलावा कान मे खून आने का एक कारण यह भी होता है कि कान की नस मे खून का थक्का जम जाता है जिसकी वजह से कैंसर का खतरा बढ़ जाता है और इसकी वजह से कान मे खून आ सकता है। ऐसी स्थिति होने पर आपको जल्दी से जल्दी डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए ।
7. कान का पर्दा फटने के लक्षण कान मे भारीपन होना
दोस्तों कान मे भारीपन का होना भी कान के पर्दे की क्षति का संकेत हो सकता है।बारिश के मौसम मे कान मे ओटोमाइकोसिस नामक एक फंगल इन्फेक्सन हो जाता है।यह इन्फेक्सन बारिश की वजह से फैलता है। कई लोग इसके शिकार होते हैं। इसके आम लक्षणों मे से लगातार सिरदर्द का होना कान मे दर्द रहना , और कान मे सनसनाहट होना और चक्कर आना इसके लक्षण होते हैं। एक न्यूज के अनुसार लाएगए 3000 लोगों मे से अधिकतर लोगों के कान के पर्दे इस इन्फेंक्सन से फट चुके थे ।
बारिश के मौसम मे यह फंगस पानी मे होता है जो किसी तरह से कान मे पहुंच कर अटैक करता है।कान मे इस फंगस के अटैक होने पर तेल डालने से इसके फैलने का खतरा काफी बढ़ जाता है।
कुछ समय बाद यह तेजी से फैलता है और कान के पर्दे तक पहुंच जाता है।इससे कान का पर्दा गल जाता है और कान मे मवाद बनने लग जाती है।इसके अलावा लंबे समय तक शर्दी जुकाम होने पर समय पर ईलाज करवाना जरूरी होता है।
8.छींकते समय कान से हवा निकलना
यदि आप छींक रहे हैं तो आपके कान से हवा निकल रही है तो यह कान के पर्दे के अंदर छेद होने का संकेत होता है। आप अगली बार छींके तो गौर करें कि आपके कान से तो हवा नहीं निकल रही है ? यदि सच मे कान से हवा निकल रही है तो आपको जल्दी से जल्दी डॉक्टर से संपर्क करने की जरूरत है।
9.कान मे भारी दर्द होना
कान मे दर्द के कई सारे कारण होते हैं।लेकिन कई बार असामान्य कारणों से भी कान मे दर्द होता है।कान के मध्य से लेकर गले के पीछे तक यूस्टेशियन ट्यूब होती है। यूस्टेशियन ट्यूब कान के बीच तरल पदार्थ का उत्पादन करती है। लेकिन इस टयूब मे समस्या होने पर तरल पदार्थ का उत्पादन अधिक हो जाता है।जिससे कि कान के पर्दे पर दबाव पड़ता है ।और यदि इसका उपचार समय पर नहीं किया जाता है तो तरल की वजह से संक्रमण हो जाता है।इसके अलावा यदि कान का पर्दाफट जाता है तो कान के अंदर दर्द होने लग जाता है।आमतौर पर कान के अंदर कोई वस्तु डालने से कान का पर्दाफट जाता है।
यदि आप कान की सफाई किसी नुकिली वस्तु से करते हैं तो फिर कान मे यह लग सकती है जिसकी वजह से कान मे दर्द की समस्या होने लग जाती है।इसलिए हर किसी भी चीज से कान को साफ नहीं करना चाहिए ।
इसके अलावा कई बार नहाने की वजह से कान मे साबून के जाने से कान मे दर्द हो सकता है।
साइनस में सूजन से भी कान मे दर्द हो सकता है।साइनस हमारे माथे, नाक की हड्डियों, गाल और आँखों के पीछे खोपड़ी में पाया जाने वाला हवा भरा रिक्त स्थान है। साइनस के म्यूकस से अवरुद्ध होने से वहाँ पर संक्रमण हो जाता है।
इन सबके अलावा कान मे कोई फुंसी होना बहुत ही आम बात होती है।यदि कान के अंदर कोई फुंसी हो गई है तो कान मे दर्द होगा ही । कान मे दर्द फुंसी की वजह से हो रहा है आप यह चैक कर सकते हैं।
कान मे कीड़ा घुस जाने से भी कान मे बहुत ही तेज दर्द होता है।कान का कीड़ा पूरी विधि पूर्वक निकालना चाहिए । और यदि आप खुद नहीं निकाल पा रहे हैं तो डॉक्टर से संपर्क करें ।
10.बिलकुल भी सुनाई न देना
दोस्तों कान का पर्दा जब फट जाता है तो फिर सुनाई देना भी बंद हो जाता है। आमतौर पर किसी तरह की चोट लगने पर कान का पर्दा फट जाता है और उसके बाद अचानक से सुनाई देना बंद हो जाता है। यदि इस प्रकार की स्थिति आपके अंदर होती है तो आपको जल्दी से जल्दी किसी डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए । आमतौर पर कान का पर्दा किसी एक्सीडेंट की वजह से फटता है तो ऐसा ही महसूस होता है।
क्यों फटता है कान का पर्दा
दोस्तों अब तक हमने कान के पर्दे के फटने के लक्षणों के बारे मे जाना आइए अब जानते हैं कि कान का पर्दा फटने का कारण क्या होता है और उसे बचाने के लिए किस प्रकार की सावधानियां हम रख सकते हैं। वैसे दोस्तों आपको बतादें कि कान का पर्दा फटने के कई सारे कारण होते हैं।जिनके उपर आपको ध्यान देने की जरूरत है और सावधानियां भी रखने की जरूरत है।
किसी चीज के कान मे डालने की वजह से
यदि आप कान के अंदर कोई भी चीज डाल लेते हैं तो यह आपके कान के पर्दे को फाड़ सकती है। आमतौर पर बच्चे ऐसी वैसी किसी भी चीज को कान मे डाल देते हैं। जिसकी वजह से यदि वह कान के पर्दे से लग जाती है तो कान का पर्दा फट सकता है सो आपको चाहिए कि अपने बच्चों को ऐसी चीजें कभी नहीं दे जो आसानी से कान मे समा सकती हैं। इसके अलावा वयस्कों को भी चाहिए कि हर चीज से कान को साफ करने की आदत का परित्याग करना चाहिए ।
खेल कूद की चोट से कान का पर्दा फटना
दोस्तों अक्सर जब हम किसी खेल को खेलते हैं तो कई बार खेलते वक्त कान मे चाट लग जाती है। जैसे कि क्रिकेट खेल रहे हैं और अचानक से बैट कि कान के उपर लगती है तो उससे भी कान का पर्दा फट सकता है या फिर तेज गेंद की यदि कान के उपर लग जाती है या कान के आस पास लग जाती है तो यह कान के पर्दे को डेमेज कर सकती है। इसलिए जब भी आप कोई भी खेल खेंले ऐसा कुछ भी रिस्क लेने की कोशिश ना करें जिससे कि कान के पर्दे पर चोट लग जाए ।
कान के बल जमीन पर गिरने की वजह से
यदि आप कहीं से कान के बल जमीन पर गिर जाते हैं तो उससे भी कान का पर्दा फट सकता है। और समस्या हो सकती है। आमतौर पर बाइक सवार जब हेलमेट का यूज नहीं करते हैं तो वे कई बार कान के बल जमीन पर गिर जाते हैं जिससे कि उनके कान का पर्दा फट जाता है। सो बाइक चलाते समय हेलमेट का यूज अवश्य ही करना चाहिए ।
इसके अलावा यदि आप कहीं उंचाई पर काम कर रहे हैं तो भी सेफटी बेल्ट का प्रयोग करना अधिक अच्छा रहता है क्योंकि अधिक उंचाई से गिरने की वजह से मौत होने का खतरा बढ़ जाता है और सिर की चोट की वजह से डेथ होने की संभावना अधिक होती है।
झगड़ा करते समय कान पर लगने की वजह से
कई बार झगड़ा करते समय भी कान पर चोट लगने की वजह से कान के पर्दे फट जाते हैं।हमीरपुर। करोट स्कूल के एक टीचर ने जब बच्चे के कान पर थप्पड मारा तो उसका कान का पर्दा फट गया ।उसके बाद बच्चे को अस्पताल मे भर्ती करवाया गया । सो यदि झगड़ा होता है और कान के आस पास गलती से भी चोट लग जाती है तो गम्भीर नुकसान हो सकते हैं। कई बार तो मौत तक हो जाती है।
दुर्घटना मे या एक्सीडेंट मे सिर मे चोट लगना
आमतौर पर दुर्घटना की वजह से सिर मे चोट लग सकती है और उससे भी कान के पर्दे फट सकते हैं। दुर्घटना मे कई लोगों के कान के पर्द फट जाते हैं जबकि कुछ की तो मौत तक हो जाती है।कुछ दिनों पहले हुई एक दुर्घटना मे देखा कि एक कार मे दो लोग सवार थे और सामने से आए एक ट्रेक्टर ने टक्कर मारदी । जिसकी वजह से एक व्यक्ति के सर मे भयंकर चोट आई और वह कुछ ही समय के अंदर मर गया जबकि दूसरे का पैर टूट गया । इस प्रकार से किसी दुर्घटना की वजह से भी कान मे चोट लग सकती है।
ज्यादा तेज आवाज मे गाने सुनना
अक्सर आपने देखा होगा कि हम डीजे लेकर आते हैं और उसके बाद तेज आवाज के अंदर गाने बजाते हैं। यदि किसी इंसान के पर्द कमजोर हैं तो वे इस आवाज से फट सकते हैं। इसके अलावा अधिक तेज आवाज मे गाने यदि आप लंबे समय तक सुनते हैं तो फिर आपके कान का पर्दा भी फट सकता है सो आपको गानों की आवाज कम रखनी चाहिए । तेज आवाज मे गाने सुनना आपके कान को डेमेज कर सकता है। यदि आप इयरफोन वैगरह से गाने सुनते हैं तो कम आवाज मे सुने ।
कान मे कोई नुकली चीज के डालने से
अक्सर यह गलती हम सभी करते हैं कान के अंदर नुकली चीज डाल लेते हैं और उसके बाद कान की सफाई करने की कोशिश करते हैं। हालांकि हम सभी जानते हैं कि यह तरीका गलत है लेकिन उसके बाद भी करते हैं । कान मे कोई भी नुकली चीज ना डालें क्योंकि हो सकता है यह आपके कान को पर्दे को डेमेज करदे और इससे आपको सुनाई देना ही बंद हो जाए ।
अचानक से बहुत तेज ध्वनी का सुनना
यदि आप कहीं जा रहे हैं और अचानक से तेज ध्वनी सुनने से भी कान के पर्दे फट सकते हैं। जैसे तेज होर्न का सुनना । ट्रेन का होर्न भी कान के पर्द को फाड़ सकता है। सो बेहतर यही है कि आप कान मे ईयर प्लग का यूज कर सकते हैं यदि आपको अधिक तेज ध्वनी का अंदेशा हो तो ।
स्कूबा डाइविंग
स्कूबा डाइविंग एक प्रकार की तैराकी ही होती है। जिसके अंदर आप ऑक्सीजन किट का इस्तेमाल करते हैं और उसके बाद पानी के नीचे जाकर चीजों का आनन्द ले सकते हैं। इस विधि के अंदर भी आपके कानों का पर्दा फट सकता है। क्योंकि पानी का दबाव आपके कान के पर्द पर पड़ता है जिसकी वजह से कान का पर्दा फट जाता है और पानी आपकी खोपड़ी के अंदर धुस सकता है। इसलिए सांस के साथ साथ ही कानों की सुरक्षा के लिए भी उचित प्रयोग किया जाना जरूरी होता है।
एयरक्राफ्ट मे सफर करने के कारण
एयरक्राफ्ट मे सफर करने के कारण भी कान के पर्द फट सकते हैं। एयरक्राफ्ट एक प्रकार का विमान होता है जो वायुसेना के द्धारा प्रयोग किया जाता है। राफेल एक प्रकार का एयरक्राफ्ट ही है। इसकी आवाज बहुत अधिक तेज होती है। जिसकी वजह से कान के पर्दे फट सकते हैं।आमतौर पर आपने देखा होगा कि तभी एयरक्राफ्ट चलाने वाले कानों की सुरक्षा का उपाय करके ही इसके अंदर बैठते हैं। हालांकि यह आम इंसान के लिए नहीं होता है।
हवाई जहाज मे यात्रा की वजह से
दोस्तों हवाई जहाज बहुत अधिक आवाज करता है। यदि आप इसके अंदर बैठ चुके हैं तो आपको तो पता ही होगा इसकी वजह से भी कान का पर्दा फट सकता है। हवाई जहाज मे बैठने से पहले आपको अपने कानो की सुरक्षा के बारे मे सोचना चाहिए । हालांकि यह जरूरी नहीं है कि हवाई जहाज मे बैठने के बाद सभी के कान का पर्दा फट जाता है।
शॉक तरंगों की वजह से कान का पर्दा फटना
दोस्तों शॉक तरंगों की वजह से भी कान का पर्दा फट जाता है। आमतौर पर शॉक तरंगे हमारे कान के पर्दे पर काफी बुरा असर डालती हैं यदि किसी को करंट लग गया है तो उसके कान का पर्दा भी डेमेज हो सकता है। हालांकि अधिक समय करंट के संपर्क मे रहने से मौत भी हो सकती है।
कान मे संक्रमण होने से
दोस्तों कान मे संक्रमण होने की वजह से भी कान का पर्दा फट सकता है। कान मे संक्रमण होने से कान के पर्द के पीछे द्रव भर जाता है और जिससे कि यह पर्द को फाड़ कर बाहर आ जाता है। इसलिए लंबे समय तक रहने वाले कान दर्द और खांसी जुकाम को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए ।
कान का पर्दा फट जाने पर क्या करें ?
यदि कान का पर्दा फट गया है तो इसके कई उपचार होते हैं। इसके लिए कान की जांच की जाती है। और कान का पर्दा क्यों फटा है इसके बारे मे जाना जाता है। और उसके बाद ही उपचार किया जाता है।
ओडियोमैट्री टेस्ट
ऑडियोमेट्री टेस्ट एक प्रकार का टेस्ट होता है जिसके अंदर मरीज की सुनने की क्षमता की जांच की जाती है कि मरीज कितनी डेसीबल की ध्वनी को सुन सकता है।इस प्रकार का टेस्ट तब किया जाता है जब किसी को सुनने की समस्या हो या उसे कम सुनाई देता हो ।यदि अंदरूनी कान के अंदर किसी भी प्रकार का उपर दिया गया लक्षण नजर आता है तो उसे सेंसरीन्यूरल हीयररिंग लोस के नाम से जाना जाता है।कोक्लिया के सेल्स ठीक प्रकार से काम नहीं कर पाते हैं और सिग्नल दिमाग तक नहीं पहुंच पाता है।इन परिस्थितियों के अंदर बहरापन स्थाई रहता है।ओडियोमैट्री टेस्ट उन लोगों को भी निरंतर करवाते रहना चाहिए जोकि तेज आवाज के संपर्क मे रहते हैं।जिससे की पता चलता रहेगा कि उनके सुनने की स्थिति क्या है।
इस टेस्ट के अंदर मरीज से कुछ सवाल भी पूछे जाते हैं जैसे की यह समस्या कब से शुरू हुई है। इसके अलावा उसको कुछ ध्वनी भी सुनाई जाती हैं ताकि मरीज की सुनने की क्षमता का टेस्ट किया जा सके ।
इसके अंदर यह देखा जाता है कि बिना किसी समस्या के मरीज धीमी आवाज को सुन पाता है या नहीं ।हवा और हड्डी के द्वारा ट्यूनिंग फोर्क को सुन पाना।
25 डेसिबल पर 250 से 8000 हर्ट्ज़ की टोन को सुनाया जाता है।इसके अलावा जब किसी मरीज को 25 डेसिबल से कम की ध्वनी का सुनना बंद हो जाता है तो फिर उसके कान मे समस्या होती है।
- ऑडियोग्राम टेस्ट के अंदर डॉक्टर एक ऑडियोमीटर का प्रयोग करेंगे और मरीज को इसे पहनने को कहेंगे । उसके बाद मरीज को एक ध्वनी सुनाएंगे ।और उसके बाद मरीज को पूछेंगे । ध्वनी की तीव्रता डॉक्टर खुद ही डिसाइड करेंगे ।
- स्पीच ऑडियोमेट्री टेस्ट के अंदर आवाज के अलग अलग स्तरों को लिया जाता है और उसके बाद मरीज के सुनने की क्षमता की जांच की जाती है।
- इमिटेंस ऑडिओमेट्री एक प्रकार का स्पैसल टेस्ट है जिसके अंदर कान मे एक उपकरण डाला जाता है और फिर अलग अलग ध्वनी मे कान की प्रतिक्रिया की जांच की जाती है।
- इमेजिंग टेस्ट के अंदर एक्सरे और सीटी स्कैन आते हैं। इन टेस्ट की मदद से कान की हडडी के बारे मे देखा जाता है कि कान की हड्डी मे कहीं इन्फेक्सन तो नहीं है। और इन्फेक्सन होने के बाद इससे पता चल जाता है।
- टयूनिंग फोर्क मूल्यांकन – यह एक प्रकार की धातु का उपकरण होता है जिससे टकराने से आवाजें आती हैं और इसकी मदद से यह पता लगाया जाता है कि मरीज को सुनने मे कितनी परेशानी आ रही है ?
कान के पर्द फटने पर उनका ईलाज
दोस्तों कान के पर्द का फटना और उसका ईलाज अलग अलग हिसाब से होता है। कान का पर्दा किस प्रकार से फटा है ? इस हिसाब से ही उसका ईलाज किया जाता है।
- यदि कान के अंदर इन्फेक्सन हो गया है और उसकी वजह से कान का पर्दा फट गया है तो एंटीबायोटिक दवाएं देना जरूरी हो जाता है। इन दवाओं की वजह से इन्फेक्सन अधिक नहीं फैल पाता है और रोगी को आराम मिलता है।
- इसके अलावा यदि कान का पर्दा ठीक नहीं होता है तो उसके बाद डॉक्टर कान की झिल्ली पर दवाई लगाते हैं जो कान के पर्द को जोड़ने का कार्य करता है।
- यदि कान के पर्द की हालत बुरी हो जाती है तो उसके बाद सर्जरी ही की जाती है। इसके अलावा कोई और उपाय नहीं बचता है। इस स्थिति के अंदर ऑपरेशन के द्धारा कान के पर्दे को सही किया जाता है।सर्जरी के अंदर शरीर के दूसरे स्थान के टिशयू को लेकर कान के पर्दे को जोड़ा जाता है।
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