kya bhagwan sach mein hote hain ,kya bhagwan sach me hote hain ,क्या भगवान सच में होते हैं दोस्तों भगवान के संबंध मे अनेक तर्क वितर्क किये जाते हैं। लेकिन मैंने यह देखा है कि अधिकतर लोग जो तर्क वितर्क करते हैं असल मे वे पूरे रहस्य को नहीं जानते हैं। और कुछ इस प्रकार के लोग भी होते हैं जोकि कुर्तक करने लग जाते हैं। इसलिए भगवान के बारे मे बस वे ही लोग जान सकते हैं जिनके अंदर इसको समझने की क्षमता है। जिसके अंदर समझने की क्षमता नहीं है वे कभी भी भगवान के रहस्य को नहीं समझते हैं। कुछ न्यूज चैनल अमतौर पर भगवान पर भरोशा नहीं करते हैं और वे एक तरह से एक तरफा रिपोर्टिंग करते हुए नजर आते हैं। इस लेख के अंदर हम आपको अच्छी तरह से समझाने वाले हैं कि भगवान होते हैं। और वे क्यों होते हैं ? इसके बारे मे भी हम आपको बताने वाले हैं। असल मे हम भगवान की जिस परिभाषा को जानते हैं। वह परिभाषा ही गलत है। परिभाषा को यदि आप सही से जान जाते हैं तो उसके बाद आपको पता चल जाएगा कि भगवान होते हैं।
तमाम तरह के तर्क भगवान के संबंध मे दिये जाते हैं । हम सभी तरह के तर्क का जवाब देने का प्रयास करेंगे । यह अलग बात है कि आप उसे समझ पाएं या नहीं समझ पाएं । लेकिन भगवान होते हैं इसके अंदर मुझे तो कम से कम कोई शक नहीं है। हो सकता है कि आपको इसके अंदर कोई शंका हो ।
आप वैसे तो दुनिया के अंदर किसी भी धर्म ग्रंथ को उठाकर देख सकते हैं। उसके अंदर एक भगवान के बारे मे लिखा मिल जाएगा । लेकिन आपके मन मे यह भी सवाल आता है कि क्या अलग अलग भगवान होते हैं। जबकि आप तो इस बात पर भरोशा करते हैं कि भगवान तो एक ही होता है ?
खैर मेरा मानना यह है कि भगवान होते हैं और वे सच मे होते हैं। आप कई तरह के देवताओं की पूजा भी करते हैं। आपको यह लगता है कि देवता ही भगवान होते हैं। लेकिन यह भी सच है कि कुछ देवता ही भगवान कहलाते हैं। लेकिन अनेक तरह के योगी होते हैं। बहुत सारे योगी देवता नहीं बन पाते हैं । लेकिन आमतौर पर जो पहुंच वाले योगी होते हैं वे देवता बन जाते हैं। क्योंकि उनके पास अनेक शक्तियां होती हैं तो लोग उनको अपने आप ही पूजने लग जाते हैं। आपने श्राप का नाम तो सुना ही होगा जिसके अंदर यदि कोई योगी किसी को शाप देदेता है तो उसके बाद वह श्राप घटित ही होकर रहता है। उसे कोई भी नहीं रोक सकता है।
श्राप देना भी हर किसी के बस की बात नहीं होती है। इसके लिए भी आपके पास शक्तियां होनी चाहिए तभी श्राप घटित होता है लेकिन योगी बताते हैं कि जब कोई योग के अंदर बहुत आगे तक चला जाता है तो उसके बाद उसके पास अपने आप ही अनेक तरह की सिद्धियां आ जाती हैं और फिर वह जो बोलता है वही सच हो जाता है।
हालांकि इस तरह की ताकते कुछ ऐसे लोगों के अंदर भी होती हैं जो योगी नहीं होते हैं लेकिन पता नहीं कैसे उनके अंदर यह विकसित हो जाती है। एक बार देवराह बाबा से यह पूछा गया कि क्या राम मंदिर ही बनेगा तो उन्होंने सन 2008 के अंदर ही कह दिया था कि राममंदिर ही बनेगा । इसी प्रकार से नस्त्रे दमस का
नाम तो आपने सुना ही होगा । उन्होंने अनेक तरह की भविष्यवाणी की थी। और उनकी अनेक भविष्यवाणी सच भी हुई थी। हालांकि वे कोई भगवान नहीं थे लेकिन उसके बाद भी उनकी भविष्यवाणी सच हो गई । अब आप समझ सकते हैं कि एक आम इंसान के पास इतनी अधिक ताकत हो सकती है तो उसके बाद एक भगवान के पास कितनी ताकत होगी आप इस बात का अंदाजा भी नहीं लगा सकते हैं। खैर जो भी हो हर इंसान के अंदर यह क्षमताएं नहीं होती हैं और हमारे पास भी भगवान बनने की क्षमता नहीं है। हम इस बात को स्वीकार करते हैं। लेकिन आजकल कई तरह के लोग पैदा हो गए हैं जोकि खुद को भगवान साबित करने मे लगें हैं। उनके पास किसी भी तरह की चमत्कारी शक्ति नहीं होती है। और लोग उनके पीछे भागते हैं और उनके भगत बन जाते हैं। दोस्तों जो भगवान का चेला भी होता है ना सच्चा चेला उसकी वाणी पार जाती है। वह जो कह देता है वही होता है। लेकिन जो लोग दिखावा करते हैं और किसी भी तरह की साधना नहीं करते हैं जनता को गुमराह करते हैं वह मरने के बाद प्रेत योनी के अंदर भटकते हैं। इस तरह के गुरूओं से दूर ही रहें तो आपकी भलाई होगी । इसी तरह की एक घटना हुई हमारा एक जानकार हुआ उसने किसी गुरू से नाम लिया और जाप करने लगा । और कई साल बाद उसकी मौत हो गई तो मरने के बाद वह घरवालों को सपने मे कहा कि वह काफी दुखी है उसे उसके गुरू के पास भेजा जाए ।
उसके बाद किसी तरह से उसे उसके गुरू के यहां पर भेजा गया जोकि एक प्रकार की क्रिया होती है जिसको नारियल के द्धारा किया जाता है। खैर आप समझ सकते हैं कि भगवान का चेला दुखी है लेकिन भगवान उसे लेने तक नहीं आ सकता है। वरना यदि आप सच्चे भगत हैं तो भगवान आपको लेने आते हैं ।इसके अंदर कोई शक नहीं है।
यदि आप सच्चे भगत नहीं हैं तो अलग बात है। पर आपका गुरू भी योग्य होना चाहिए उसके अंदर क्षमता होनी चाहिए तभी वह आपको लेने आ सकता है नहीं तो कुछ भी नहीं हो सकता है। खैर जो भी हो आपको इस तरह के गुरू को नहीं चुनना चाहिए ।
इसी तरह की एक दूसरी घटना भी मेरे प्रकाश के अंदर आई यहां पर एक लड़का जिसका नाम रणजीत था उसकी मौत हो गई । वह गुरू गोरखनाथ का भगत था तो मौत के तीन दिन तक वह यहीं कहीं पर रोता रहा । उसके बाद गुरू गोरखनाथ के एक शिष्य ओघड़नाथ उसको लेने के लिए आ गए तो आप समझ सकते हैं कि गुरू अपने चेले को कैसे संकट मे देख सकते हैं।
इसलिए एक ढोंगी को गुरू कभी भी ना बनाएं । ऐसा गुरू बनाएं जो आपकी मदद करने की योग्यता रखता होगा । आप एक योग्य गुरू को नहीं परख सकते हैं लेकिन जो इस लोक के अंदर नहीं हैं आप उनकी लीलाओं के बारे मे तो अच्छी तरह से जान ही सकते हैं।
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kya bhagwan sach mein hote hain भगवान की परिभाषा
दोस्तों भगवान की परीभाषा होती है कि जो अपनी इच्छामात्र से ही सब कुछ हाशिल कर लेता है। या एक तरह से कहें कि अधिकतर चीजें उसके वश मे आ चुकी होती हैं। वही भगवान होता है। दोस्तों वैसे हम रियल मे जिसको भगवान समझते हैं वह बस उर्जा होती है। और उसके अंदर सही गलत को समझने की क्षमता नहीं होती है आप और हम उसी उर्जा से बनें हैं तो आप और हम भी भगवान के अंश होते हैं। इस उर्जा को आत्मा कहते हैं। इसके लिए कोई सही गलत नहीं होता है। कर्म भी यह नहीं करती है। तो जिन लोगों ने अपनी क्षमता को उपर उठाकर इस उर्जा के समान कर लिया है हम उसे भगवान कह सकते हैं। यही आपकी मदद करते हैं और आपको हर मुश्बित से बचाने का काम करते हैं। यदि आपको यह लगता है कि अलग से कोई आपके लिए बैठा है जो सब कुछ कर रहा है असल मे अलग से कोई नहीं बैठा है। भगवान वे लोग हैं जो हमसे ही निकले हैं लेकिन वे एक महान योगी थे ।
लेकिन भगवान के भी सब कुछ बस मे नहीं होता है। वे अपनी क्षमताओं से कुछ चीजें कर सकते हैं लेकिन पूरी तरह से बंद करना संभव नहीं है। इसलिए आपको ठीक से समझ जाना चाहिए कि सब कुछ प्रकृति का ही खेल है। यहां पर भगवान कुछ भी नहीं करने वाले होते हैं। बस वे आपको समस्यओं से बचाने मे आपकी मदद करते हैं।
kya bhagwan sach mein hote hain क्यों देवता अलग अलग होते हैं ?
दोस्तों देवता और भगवान दो अलग अलग रूप होते हैं। कुछ देवता भगवान के रूप मे पूजे जाते हैं तो कुछ सिर्फ देंवता ही होते हैं। दोस्तों देवता बनना कोई बड़ी बात नहीं है। जो इंसान अपने जीवन के अंदर अच्छे कर्म करने के बाद वे देव योनी को प्राप्त होती हैं।
इस तरह के लोग देवता कहलाते हैं। और हम लोग उन देवताओं को बलि देकर ताकतवर बना लेते हैं और उसके बाद उसकी मदद से हम अपना काम सिद्ध करते हैं। लेकिन भगवान के मामले मे अलग है यह पहुंचे हुए योगी होते हैं जो अपनी इच्छा से ही जन्म लेते हैं। प्रकृति की ताकत इनके आगे नहीं चल सकती है। यह माया के अधीन नहीं होते हैं वरन माया इनके अधीन होती है। मतलब यही है कि नैचर की माया इनको लुभा नहीं सकती है। लेकिन इसके विपरित देवता अलग होते हैं। उनके पास अनेक विकार मौजूद होते हैं जैसे कि गुस्सा करना चिल्लाना और यह सब मनोविकार होते हैं। तभी तो आपने देखा होगा कि किसी इंसान के देवता बनने के बाद भी उसके अंदर इसी तरह के गुण मौजूद होते हैं। आप समझ सकते हैं। खैर देवता बनना कोई कठिन काम नहीं है। लेकिन देवता से भी उपर जाना कठिन काम होता है। देवता आमतौर पर हमारी तरह खुश और दुखी होते हैं लेकिन भगवान और जो महायोगी होते हैं वह सुख दुख से परे होते हैं उनके उपर इन चीजों का असर नहीं होता है।
देवता बनने के लिए आपको सिर्फ अच्छे कर्म करने की जरूरत है। लेकिन भगवान बनने के लिए या फिर देवताओं से भी उपर जाने के लिए अच्छे कर्म ही नहीं कठोर योग साधना की जरूरत होती है। जो हर किसी के बस की बात नहीं होती है।
kya bhagwan sach mein hote hain क्या भगवान को धरती पर जन्म लेने की आवश्यकता होती है तो क्यों ?
दोस्तों आपको पता होना चाहिए कि यदि आपके पास एक भौतिक शरीर नहीं है तो फिर आप कुछ चीजें नहीं कर सकते हैं। और यदि महायोगियों को किसी खास उदेश्य के लिए मानव शरीर के अंदर आना होता है तो वे आते हैं। इसके कई कारण हो सकते हैं। वे आमतौर पर अपने भगतों की रक्षा के लिए भी मानव शरीर को धारण करते हैं। या फिर संसार के कल्याण के लिए ही आते हैं। वे हम इंसानों की तरह नहीं होते हैं जो अपनी वासना पूर्ति के लिए जन्म लेते हैं क्योंकि वे इन सब चीजों से परे होते हैं।
वैसे उनके लिए यह कोई जरूरी नहीं है। कई बार उनके दूत भी उनका काम करने के लिए धरती पर आते हैं। और काम हो जाने के बाद शरीर को छोड़कर चले जाते हैं। उनका इस धरती के जीवन से किसी तरह का मोह नहीं होता है।
कर्मों का असर भगवान पर क्यों नहीं होता है ?
दोस्तों आमतौर पर जो महायोगी होते हैं उनके उपर किसी भी कर्म का असर नहीं होता है। क्योंकि वे कर्मों को हमारी तरह नहीं करते हैं उनके अंदर कर्ता का भाव नहीं होता है। इसलिए वे जो भी कर्म करते हैं उनका फल उनको भुगतने की कोई आवश्यकता नहीं होती है। जब आप कुछ कर ही नहीं रहे हैं तो फिर फल मिलने का सवाल ही पैदा नहीं होता है। लेकिन उसके बाद भी वे पाप कर्म से बचने का प्रयास करते हैं। लेकिन मूर्ख मनुष्य जो होते हैं उनके अंदर कर्ता का भाव होता है। इसी वजह से उनके घटिया कामों के लिए नैचर उनको दंड देती है। और नीची योनी मे उनका जन्म होता है।
यदि कोई मनुष्य किसी को मारकर खुश हो रहा है तो चिंता की जरूरत नहीं है। उसे इसकी सजा मिलेगी । इसके अंदर कोई शक नहीं है तब उसके पैसा भी उसका काम नहीं आएगा ।
यदि आप भी अपने कर्ता होने का भाव त्याग देंगे तो फिर किसी भी कर्म का असर आपके उपर भी नहीं हो पाएगा । आपको इस बात को भी अच्छी तरह से समझ लेना चाहिए । लेकिन कर्ता पन का भाव त्याग करने के लिए आपको काफी अधिक मेहनत करनी होगी तभी यह हो सकता है। यदि आप यह सोच रहे हैं कि आप कुछ ही समय के अंदर कर्ता पन का भाव त्याग देंगे तो आप गलत सोच रहे हैं।
क्या भगवान सच में होते हैं भगवान को पशु बलि का भोग क्यों दिया जाता है ?
दोस्तों भगवान को पशु बलि की जरूरत नहीं होती है। आमतौर पर देवताओं के लिए यह जरूरी होती है। कुछ देवताओं को बलिष्ठ बनाए रखने के लिए पशु बलि दी जाती है। यदि उनके यहां मंदिर मे पशुबलि नहीं दी जाती है तो उनकी उर्जा घट जाती है। कई तरह के देवता होते हैं जिनको पशुबलि दी जाती है। देवता और भगवान अलग अलग होते हैं देवता आमतौर पर एक मरा हुआ इंसान अपने कर्मों से बनता है और भगवान जो अपनी इच्छा से कुछ भी करने की क्षमता रखता है वह अलग होता है।
वैसे आपको बतादें कि पशुबलि देना एक पाप होता है क्योंकि इससे आप अपने देवता को तो ताकतवर बना देते हैं लेकिन एक पशु की हत्या का कर्म संस्कार आपके अंदर बन जाता है और जो अधिक पशुबलि देता है उसके बाद उसकी बुद्धि भी इसी तरह की हो जाती है। और इसके कर्मों का फल भी उसे भुगतना होता है। और देवता को इससे किसी भी तरह का फर्क नहीं पड़ता है। आपको इस बात को अच्छी तरह से समझ जाना चाहिए ।
यदि दुनिया के अंदर भगवान है तो इतनी अशांति क्यों हैं अत्याचार को भगवान समाप्त क्यों नहीं कर देते हैं ?
दोस्तो जैसा कि हमने आपको पहले ही बतादिया है कि भगवान का मतलब क्या है। असल मे इस दुनिया के अंदर जो जन्म और मरण का चक्र चल रहा है वह सब प्रकृति की देन है। इसमे भगवान भी कुछ नहीं कर सकते हैं। क्योंकि भगवान ने इसको पैदा नहीं किया है। सब कुछ अपने आप ही हो रहा है तो इसमे भगवान का कोई दोष नहीं है।
यदि आपके साथ बुरा हो रहा है तो इसका कारण आपके कर्म हैं भगवान का इसमे कोई रोल नहीं होता है। सब कुछ कर्मों का खेल होता है। कर्म ही हैं जो इंसान को राजा से रंक बना देते हैं । और कर्मों का फल बड़े बड़ो को भोगना पड़ जाता है आप इस बात को भी अच्छी तरह से समझ लें । बहुत से लोग जो रईस बनकर बुरे कर्म करते हैं और यह सोचते हैं कि उनको सजा नहीं मिलेगी क्योंकि वे भारी वकील करके कोर्ट मे जीत जाएंगे लेकिन प्रकृति की माया को हरा देता है वह भगवान हो जाता है। और यह इस तरह के लोगों के बस मरने के बाद नीच योनियों मे दुखी होते हैं ।
मैं आपको एक रियल घटना बताता हूं । एक व्यक्ति था जोकि काफी अच्छी सरकारी नौकरी करता था उसके पास पैसा था लेकिन अपने बुरे कर्मों की वजह से वह मरने के बाद प्रेत बन गया और उसके बाद उसने अपनी बेट के साथ भी संबध बनाने की कोशिश कई बार की । तो बुरे कर्म करने वाला चाहे प्रधानमंत्री ही क्योंना हो उसको सजा नैचर देता है। नैचर के नियम अटल होते हैं उनसे कोई बच नहीं सकता है। अब्राहम लिंक का नाम तो आपने सुना ही होगा भले ही वह एक राष्ट्रपति था लेकिन अपने बुरे कर्मों की से यह भी प्रेत बन गया और अमेरिका के व्हाइट हाउस के अंदर उसकी आत्मा को कई बार देखे जाने का दावा किया गया । यह भी आप अच्छी तरह से समझ सकते हैं कि बुरे कर्मों का नतीजा बुरा ही होता है। इसके अंदर कोई शक नहीं है।
और बहुत से लोग तो भगवान का नाम तक नहीं लेते हैं उसके बाद भगवान उसकी मदद क्यों करेंगे। जो लोग भगवान की पूजा करते हैं उनका नाम लेते हैं उनकी मदद वे खुद करते हैं लेकिन यदि आप अपना कल्याण चाहते हैं तो आपको खुद ही प्रयास करना होगा । कोई भी आपकी मदद कर सकता है लेकिन आपके खुद के प्रयास के बिना आपका कल्याण नहीं कर सकता है। इसके अंदर कोई भी शक नहीं है।
भगवान बनने का सही तरीका क्या है ?
दोस्तों भगवान बनने का सही तरीका यही है कि जब आप माया को जीत लेते हैं तो उसके बाद आप भगवान हो जाते हैं और आपका मन पूरी तरह से शुद्ध हो जाता है। उसके बाद आपको किसी भी चीज से कोई फर्क नहीं पड़ता है। आप जानते हैं कि जो कुछ हो रहा है वह बस एक भ्रम के अलावा कुछ भी नहीं है। लेकिन आपको बतादें कि माया को जीतना हर किसी के बस की बात नहीं होती है। इसका कारण यह है कि इसके लिए जन्मों की साधना करनी पड़ती है। तब जाकर कहीं पर ऐसा होता है। इसलिए यह सब करना भी उतना सरल नहीं है जितना की आप समझ सकते हैं।
क्या भगवान सच में होते हैं दुनिया के रहस्य को जानने के लिए क्या करना होगा ?
दोस्तों आप उस चीज के बारे मे कोई तर्क विर्तक नहीं कर सकते हैं जिसे आप जानते ही नहीं है। यदि आप इस सृष्टी के रहस्यों को जानना चाहते हैं तो आपको कुछ तो करना ही होगा । इसके अंदर कोई शक नहीं है। यदि आप कठोर साधना करते हैं तो आपको यह पता चल चल जाएगा कि इस दुनिया के अंदर भगवान का अस्तित्व मौजूद है इसके अंदर कोई भी शक नहीं है। उसके बाद आप अपनी अंदर की आंखों से सारे लोकों को देख पाएंगे । लेकिन यदि आपके पास यह सब शक्तियां मौजूद नहीं है तो फिर आपके लिए भगवान बस नाम बनकर रह जाएगा ।बड़े बड़े महायोगी भी इस बात को स्वीकार करते हैं कि भगवान का अस्तित्व इस दुनिया के अंदर है क्योंकि वे इसका अनुभव कर चुके हैं। यदि आपको भी अनुभव करना है तो कठोर मेहनत करनी होगी बिना कठोर मेहनत किये आप किसी भी चीज का अनुभव नहीं कर सकते हैं। आपको यह भी अच्छी तरह से समझ जाना चाहिए । इसलिए अनुभव करने की दिशा मे आपको काम करना होगा।
यदि आपके अंदर भगवान को जानने की क्षमता ही नहीं है तो फिर कोई फायदा नहीं है। आप बस एक तरह की कल्पना के अंदर ही उलझे रहेंगे आप कभी भी नहीं समझ पाएंगे कि भगवान होता है या नहीं होता है।
बहुत से न्यूज वाले चिल्लाते हैं कि यह सब अंधविश्वास है तो हम उनको इतना ही कहना चाहेंगे जब आप इसके बारे मे क तक नहीं जानते हैं तो आपको कैसे पता लगा कि यह अंधविश्वास है। तो पहले योगी बनें उसके बाद जानेंगे कि भगवान क्या है ? क्योंकि आपकी भौतिक आंखे सिर्फ सीमा तक ही आपको दिखा सकती हैं लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि उस सीमा के बाद चीजें समाप्त हो जाती हैं। आपको यह पता होना चाहिए कि अंधविश्वास चिल्लाने वाले मिडिया कभी विदेशों के बारे मे यह नहीं कहते है कि वहां पर भूत विधा भी कॉलेज मे पढ़ाई जाती है।
यदि दुनिया को भगवान ने नहीं बनाया तो फिर किसने बनाया ?
दोस्तों जहां तक मैं समझता हूं कि यह सब अपने आप चलने वाली क्रिया होती है। एक जगह पर यह लिखा मिलता है कि आप जिस तरह की क्रिया करते हैं और सोचते हैं आप वैसे ही बन जाते हैं। डार्विन का एक सिद्धांत भी यही कहता है कि जरूरत के अनुसार शरीर के अंदर अपने आप ही बदलाव आ जाते हैं । इसका अर्थ यही है कि सब कुछ अपने आप ही बन रहा है। रोज न जाने कितने जीव मर जाते हैं और न जाने कितने जीव पैदा हो ते हैं। यह सब बिना रूके चलने वाली क्रिया होती है। इसमे कोई भी शक नहीं है।
प्राचीन काल मे देवताओं को बनाया जाता था यह किस प्रकार का कार्य था ?
दोस्तों इसके बारे मे मुझे कुछ जानकारी नहीं है। लेकिन ऐसा होता था। कुछ आत्मा को उर्जा दी जाती थी और उसके बाद उसे बलि देकर काफी ताकतवर बनाया जाता था और फिर इसका इस्तेमाल किसी खास उदेश्य के लिए किया जाता था। और सबसे बड़ी बात यह थी कि इस तरह की आत्मा आपके लिए हकीकत जैसा बन सकती थी। इसके लिए कुछ क्रियाओं को करने की जरूरत होती थी । तो दोस्तों देवता आपकी भोग के अंदर मदद करने वाले होते हैं वे आपको भोग देने का काम करते हैं। यदि हम देवता को जीवंत बनाए रखना चाहते हैं तो उनके यहां पर बलि देते रहना होगा । यदि उनकी उर्जा के अंदर कमी आ जाएगी तो फिर आपके काम किसी भी तरह से सिद्ध नहीं हो पाएंगे । आपको यह भी अच्छी तरह से समझ लेना चाहिए ।
इसके अलावा कुछ खास प्रकार के देवताओं की खेतों के अंदर रक्षा करने के लिए बनाया जाता था जोकि खेतों के अंदर होने वाले नुकसान से बचाने का काम करते थे । आप इसके बारे मे जानते ही होंगे ।
दुनिया के अंदर सबसे बड़ा भगवान कौन है ?
दोस्तों इसके बारे मे हम कुछ भी नहीं कह सकते हैं। जो आपके दिल को ठीक लगे वही बड़ा है। कारण यह है कि हर इंसान का अलग अलग विश्वास होता है। कुछ लोग भूतों की पूजा करते हैं तो उनके लिए वही भगवान होता है तो कुछ लोग रक्षसों की पूजा करते हैं तो उनकी नजर मे वही बड़ा होता है। इसी प्रकार से आप समझ सकते हैं कि इस दुनिया के अंदर जो कुछ भी हो रहा है वह सब कुछ अलग अलग है। यदि मैं कहूंगा कि सबसे बड़ा यह है कि फिर यह विवाद वाली बात हो जाएगी । यह तो आप ही तय कर सकते हैं कि कौन सबसे अधिक ताकतवर है और योग्य है जो आपको लगता है।
लेकिन यदि हम सबसे प्राचीन योगी की बात करें तो इसके अंदर शिव का नाम आता है। शिव ने ही दुनिया को दिशा दिखाई तो मेरी नजर के अंदर शिव ही सब कुछ हैं।
देवता और राक्षसों मे झगड़ा क्यों होता है ?
दोस्तों प्राचीन काल के अनेक कहानियां और नाटकों के अंदर आपने देखा होगा कि देवता और राक्षस हमेशा से ही आपस मे लड़ते ही रहते हैं। अब आप पूछेंगे कि इसका कारण क्या है तो आपको बतादें कि देवता और राक्षस एक दूसरे के विपरित विचारधारा के होते हैं।
राक्षस आमतौर पर विध्ंवश के अंदर भरोशा करते हैं तो देवता बनाने मे यकीन करते हैं। जिस तरह से धरती पर काले और अच्छे विचार वाले लोग होते हैं। भूत प्रेत और बुरी शक्तियां राक्षसों के अंदर आते हैं। यह सभी किसी ना किसी को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करते हैं । लेकिन देवता उनको ऐसा करने से रोकने की कोशिश करते हैं। जैसे कि कोई किसी देवता का भगत है और उसके उपर यदि कोई प्रेत हमला कर देता है। तो उसके बाद देवता उसे बचाने के लिए अपने दूतों को भेजते हैं। यह झगड़ा सूक्ष्म जगत के अंदर होता है इस वजह से हमे दिखाई नहीं देता है। लेकिन यह होता जरूर है।
इस तरह की रियल घटना हमारे साथ भी हो चुकी है। एक बार हमारे पिताजी सुबह बाइक पर बैठकर जा रहे थे कि उनकी बाइक के पीछे एक प्रेत आकर बैठ गया और बाइक को कंट्रोल करने लगा । उसके बाद हमारे यहां पर एक देवता थे उनको इसके बारे मे पता चला तो वे दौड़े और किसी तरह से पिताजी को बचाया और उस प्रेत को वहां से भगा दिया ।
दोस्तों राक्षस अपने बुरे कर्मों की वजह से इसी प्रकार के गण वाले होते हैं। वे बस नुकसान ही पहुंचाना चाहते हैं। यही कारण है कि देवताओं और राक्षसों का आज भी झगड़ा होता है। वैसे तो लोग रावण की पूजा भी करते हैं। लेकिन आपको बतादें कि रावण एक उग्र स्वाभाव का था और उसकी साधना आदि को करना हर किसी के बस की बात नहीं होती है।
हम किसी देवता को भगवान की तरह पूजे तो क्या होगा ? क्या हमारा कल्याण होगा ?
देखिए आपके कल्याण के अंदर वही शक्ति आपकी मदद कर सकती है जोकि योग्यता रखती है। यदि आप एक इस प्रकार के देवता की पूजा करते हैं जोकि अहंकारी क्रोधी आदि गुणों से लेश है तो फिर आप उससे भोग प्राप्त कर सकते हैं लेकिन आप उससे कल्याण की उम्मीद नहीं कर सकते हैं। यदि आपको कल्याण ही चाहिए तो फिर आपको किसी ऐसे देवता की पूजा करनी होगी जिसका कल्याण हो चुका है। और व देव रूप मे मौजूद है । इसके अलावा कई देवता इस प्रकार के भी होते हैं जिनके गुरू महायोगी होते हैं इस तरह के देवता की पूजा करने से भी आपका कल्याण संभव है लेकिन इसके लिए आपको काफी अधिक प्रयास करना होगा । तभी आपका कल्याण हो सकता है। वरना आपका कल्याण होना संभव नहीं है। आप समझ ही सकते हैं कि हम क्या कहना चाहते हैं।
वैसे गुरू और देवता हमारी काफी मदद करते हैं जिससे कि हमारा कल्याण हो सके । इनके बिना कल्याण होना संभव नहीं है। क्योंकि एक मानव शरीर को जो चाहिए होता है वह देवता देते हैं ।और उसके बाद आपके लिए कल्याण के मार्ग पर चलना और अधिक कठिन हो जाता है।
भगवान अगर है तो वह दिखता कैसा है ?
दोस्तों यदि भगवान है तो फिर वह दिखता कैसा है। दोस्तों आत्मा रंगहीन और गुणहीन होता है। ऐसा माना जाता है और असल मे यह एक बस उर्जा की तरह ही होती है। या फिर हम यह कह सकते हैं कि यह एक उर्जा होती है जो हमारी कोई मदद नहीं कर सकती है। लेकिन लेकिन जो योगी एक शुद्ध आत्मा के समान हो जाता है वही भगवान कहा जाता है। जो गुणहीन हो जाता है। असल मे इस तरह के योगी उसी प्रकार के दिखते हैं जोकि जीवन के अंदर होते हैं। क्योंकि इंसान हो या परलोक के अंदर रहने वाला और कोई उसकी पहचान शरीर से ही होती है जो उसका पीछला शरीर है या फिर किसी ने उसको दिया है तो उससे ही उसकी पहचान होती है आपको इस बात को भी अच्छी तरह से समझ लेना होगा ।
भगवान के संबंध मे चलाये जाने वाले पाखंड क्या हैं बताएं
दोस्तों आज कलयुग है और कलयुग के बारे मे यह कहा जाता है कि इसके अंदर भूत प्रेत भी भगवान के रूप मे पूजे जाएंगे। ऐसा हो भी रहा है। उच्च कोटी के योगी आज भी है लेंकिन वे समाने नहीं आते हैं। क्योंकि जिसको प्रसिद्धी की लालसा होती है पैसा कमाना होता है वह सामने आते हैं और उसके बाद लोगों को सही चीजें ना सीखाकर झूठी बातें बताने लग जाते हैं। और तर्कहीन लोग जो शास्त्र कभी भी नहीं पढ़ते हैं वे इस तरह के लोगों की बातों मे आ जाता है और उसके बाद गुरू और चेला बन जाते हैं। यदि हम एक शब्द मे कहें कि जो भगवान को असल मे जान लेता है वह यही कहता है कि वह खुद भगवान है और उसे भगवान को सिद्ध करने के लिए मोटी मोटी किताबों का सहारा नहीं लेना पड़ता है।
वह आपको अनुभव से ही यह बतादेंता है कि भगवान कौन है। लेकिन जो लोग मोटी मोटी किताबों का सहारा लेकर यह साबित करने मे लगे हैं कि भगवान कौन है तो आप समझ लें कि उनको जरा भी अनुभव नहीं है। इसके बारे मे आपको यह समझ लेना चाहिए । बड़े बडे उपदेश देने वाले ज्ञानी हो सकते हैं लेकिन भगवान नहीं ।क्योंकि भगवान सिर्फ उपदेश ही नहीं देते हैं वरन वे बहुत कुछ आपको दिखा सकते हैं। जो एक महायोगी होता है उसके अंदर अनेक तरह की सिद्धियां पैदा हो जाती हैं। और वह काफी चमत्कारी हो जाता है।
क्या भगवान अपने भगत को बचाने के लिए आते हैं ?
हां भगवान अपने भगत को बचाने के लिए आते हैं यदि आप उनके सच्चे भगत हैं तो फिर वे आपकी हर मौकों पर रक्षा करेंगे। क्योंकि वे सक्षम होते हैं। भगत प्रहलाद का नाम तो आपने सुना ही होगा । उसके पिता ने उसको मारने का बहुत प्रयास किया लेकिन वे उसे नहीं मार पाए इसी प्रकार से । इस दुनिया के अंदर अनेक भगत है जिनकी रक्षा भगवान करते हैं। क्योंकि उनका कर्त्तव्य है यह सब करना । दोस्तों भले ही आप इस शरीर के अंदर हो या नहीं हो वे आपकी रक्षा करते ही हैं। इसके अंदर कोई भी शक नहीं है। खैर जो भी हो भगवान अपने भगतों की रक्षा करते हैं।यदि आपके प्राण कभी संकट मे होते हैं तो उनको पता चल जाता है और वे आपके प्राणों की रक्षा करने का प्रयास करते हैं। जब तक कि आपके कर्म शेष होते हैं।
लेकिन यह तभी हो सकता है जब आपके कर्म अच्छें हो यदि आपके कर्म ही अच्छे नहीं हैं और आपने भगवान का नाम तक कभी नहीं लिया है तो फिर भगवान क्या कोई भी आपकी रक्षा करने के लिए नहीं आएगा । जब सारे रस्ते बंद हो जाते हैं तो फिर यही एक रस्ता खुला रहता है।
इसलिए भगवान का नाम अपने मुख मे सदैव धारण करके रखें तभी हम सभी का भला हो सकता है और कल्याण भी हो सकता है। इसके अंदर कोई शक नहीं है। आपको यह बात अच्छी तरह से समझ लेना चाहिए ।
जब हम मर जाते हैं तो हम यदि भगवान के भगत होते हैं तो उसके बाद हम अपने आप ही उनके लोक के अंदर चले जाते हैं। और हमे दूसरे भूत प्रेत की तरह भटकना नहीं पड़ता है। लेकिन यह तभी हो सकता है कि हम इसके लायक हैं ।
भगवान को किसने बनाया था ?
दोस्तों यदि हम भगवान को एक आत्मा माने तो आत्मा को किसी ने नहीं बनाया ऐसा माना जाता है। यह सदियों से ही मौजूद है। क्योंकि इसके बारे मे ऐसा कहा जाता है कि इसको उत्पन्न नहीं किया जा सकता है। और यही सच है। आत्मा जो हमारे शरीर के अंदर है वह मरती नहीं है। बस नए नए शरीर को धारण करती है। इसलिए आपको इस बात की चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं है कि आपकी मौत हो जाएगी । असल मे आप जिस नश्वर चीज शरीर से प्रेम करते हैं उसे तो एक ना एक दिन नष्ट होना ही है। इसके अंदर कोई भी शक नहीं है।
लेकिन आपके अंदर रहने वाली जो शक्ति है उसे कोई भी नष्ट नहीं कर सकता है। वह आज जैसी है वह हमेशा ही वैसी ही रहेगी । इसके अंदर कोई भी शक नहीं है।
आमतौर पर धरती पर जो चीजें वह एक एक दूसरे की क्रिया से पैदा हुई हैं और आत्मा उन सभी का एक आधार है। यदि हम शुन्य को नष्ट करने के लिए कहेंगे तो वह आप उसे नष्ट नहीं कर सकते हैं। वह बेस है जिससे सब कुछ शूरू होता है।
भूत प्रेत की पूजा करने वालों के साथ क्या होता है ?
दोस्तों जो लोग भगवान के रूप मे भूत प्रेत की पूजा करते हैं । और उन भूत और प्रेत को ही भगवान मानते हैं असल मे मरने के बाद वे उन्हीं भूत प्रेत को प्राप्त हो जाते हैं। और उसके बाद वही उन्हीं के लोकों के अंदर निवास करने लग जाते हैं। असल मे उनको वहां पर काफी अलग अलग तरह के भोग प्राप्त होते हैं और उन भोगों की मदद से वे खुद को काफी ताकतवर बन जाते हैं। असल मे भूत प्रेतों की पूजा करने वाले नीच योनियों के अंदर जाते है और उनकी वासना कभी भी समाप्त नहीं होती है। आपको यह भी समझ लेना चाहिए ।
और यह भूत प्रेत उच्च लोकों के अंदर काफी अधिक वासना मे डूब जाते हैं जिसके बाद आने वाले समय के अंदर इनका नीचे योनियों मे जन्म होना तय होता है जोकि इसके बुरे कर्मों की सजा होती है।
भगवान उच्च लोकों के अंदर निवास करते हैं तो वे करते क्या हैं ?
दोस्तों इसके बारे मे मुझे पता नहीं है। लेकिन जहां तक मैं अनुमान लगा पा रहा हूं। उनके पास काफी अधिक काम होता है। आमतौर पर वे भी जीवन को बेहतर बनाने का काम करते हैं। लेकिन खासतौर पर उनके पास जो काम हो सकता है वह अपने भगतों की रक्षा का काम होता है। लेकिन इसके अलावा भी कई सारे काम होते हैं। जिनके अंदर यह बहुत ही बीजी रहते हैं। लेकिन वे वहां पर क्या क्या करते हैं। इसके बारे मे कुछ भी जानकारी नहीं है।
लेकिन ऐसा नहीं होता है कि वे हमारी तरह चैन से सोये होते हैं। उनके पास भी वर्कलोड काफी अधिक होता है। खास कर अपने भगतों की रक्षा और उनकी समस्याओं का दूर करने का ।
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This post was last modified on April 30, 2022