काला पानी के सजा के अनजाने रहस्य जान कर होश उड़ जाएंगे

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kale pani ki saja kya hoti hai इस लेख के अंदर हम काला पानी की सजा क्या है? काला पानी की सजा कैसे दी जाती है के बारे मे विस्तार से जानेंगे ।दोस्तों आपने काला पानी की सजा के बारे मे तो सुना ही होगा । बचपन मे किताबों मे पढ़ा होगा कि जो लोग अंग्रेजों के खिलाफ आवाज उठाते थे ।

उनको काला पानी की सजा दी जाती थी । काला पानी की सजा के नाम से बड़े बड़े वीर भी कांप जाते थे । वीर सावरकर के संदर्भ मे भी यह कहा ‌‌‌जाता है कि अंग्रेजों के द्वारा दी जाने वाली काला पानी की सजा के डर से वे भी कांप गए थे । और बाद मे अंग्रेजों से माफी मांगी थी । हालांकि इस बात को कोई साबित नहीं कर पाया की क्या यह वीर सावरकर की कोई चाल थी । या वे सच मे ही डर गए थे ।

‌‌‌वैसे कालापानी की सजा भी अंग्रेजी हुकुमत का एक काला अध्याय है। काला पानी की सजा के अंदर अंग्रेज भारतियों को अमानिय यातनाएं देते थे । इन यातनाओं की वजह से बहुत से भारतियों ने तो सेल्युलर जैल के अंदर ही दम तोड़ दिया था । काला पानी की सजा कैसे दी जाती थी के बारे मे जानने से पहले हम थोड़ा सेल्युलर ‌‌‌जेल के बारे मे भी जान लेते हैं।

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 kale pani ki saja kya hoti hai सेल्युलर के अंदर

जेल अंडमान निकोबार द्वीप की राजधानी पोर्ट ब्लेयर में बनी हुई है। इस जेल का निर्माण अंग्रेजों ने भारतिय लोगों को यातनाएं देने के लिए करवाया था । यह भारत भूमी से हजारों किलोमिटर दूर है। इस जेल के चारों ओर पानी ही पानी है। इस जेल की नींव 1897 में रखी गई थी । इस जेल के अंदर 694 कोठरियां बनी हुई हैं।

और वे इस प्रकार से बनी हुई हैं कि कोई कैदी दूसरे कैदी से आपस मे बात नहीं कर सकता है।आक्टोपस की तरह सात शाखाओं में फैली इस विशाल कारागार के अब केवल तीन अंश बचे हैं । इस जेल की दीवारों पर वीर शहीदों के नाम भी लिखे हुए हैं।

‌‌‌इसके अलावा जेल के अंदर एक संग्रालय भी है। जिसमे वो अस्त्र पड़े हुए हैं। जिनकी मदद से कैदियों को यातनाएं दी जाती थी । जेल के कुछ प्रसिद्ध कैदियों में फजल-ए-हकखैराबादी, दीवान सिंह कालेपानी, योगेन्द्र शुक्ला, मौलाना अहमदुल्लाह, मोलवी अब्दुल रहीम सादिकपूरी, बटुकेश्वर दत्त, और वीर दामोदर सावरकर को भी इसी जेल के अंदर रखा गया था । ‌‌‌सन 1942 को जापान ने इस द्विप पर आक्रमण करके अंग्रेजों को इस जेल से भगा दिया था ।

और कुछ को यहीं पर कैद कर लिया गया था । लेकिन सन 1945 के अंदर दुबारा अंग्रेजों ने इस जेल को अपने अधिकार मे ले लिया था ।अंडमान और निकोबार द्वीप दुनिया के सबसे खूबसूरत द्वीपों में से हैं और न ही मिट्टी, न ही इन द्वीपों का पानी काला है । लेकिन ब्रिटिश सरकार ने यहां बनाई इस जेल के अंदर भारतियों पर अमानविय अत्याचार किये इस वजह से इस जेल को काला पानी के नाम से जोड़कर देखा जाता है।

By Aliven Sarkar – Own work, CC BY-SA 3.0, wiki

ब्रिटिश 1857 के सिपाही विद्रोह के तत्काल बाद के दिनों से अंडमान द्वीपों का जेल का प्रयोग भारतियों को कैद करने के लिए करने लगे थे ।1872 विद्रोह को दबाए जाने के कुछ ही समय बाद ही अंग्रेजों ने कुछ विद्रोहियों को मार डाला और बाकि को अंडमान जेल मे भेजदिया गया था।‌‌‌अंग्रेजों का यह मानना था

कि भारतियों को यहां की जेलों मे कैद करने की बजाय दूर भेजना बेहतर होगा । ताकि वे किसी भी तरह की गतिविधि के अंदर शामिल नहीं हो सकें ।1 9वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में स्वतंत्रता आंदोलन जब तेज हुआ तो अंडमान के अंदर अधिक सैनानियों को भेजा जाने लगा था ।

‌‌‌आजादी के बाद जेल को तबाह कर दिया गया । इसका विभाजन दो खंड़ों के अंदर हो गया । जिसका पूर्व स्वतंत्रता सैनानियों ने विरोध भी किया ।

इसके अलावा 1969 के अंदर इस जेल को राष्टिय स्मार्क भी घोषित कर दिया गया ।1963 के अंदर ही जेल मे गोविंद वल्लपंत अस्पताल बना और इसके अंदर 500 बेड की सुविधा भी दी गई। इसके अंदर 40 से ज्यादा डॉक्टर मरीजों की सेवा मे लगे हुए हैं।

काला पानी की सजा कैसे दी जाती है kale pani ki saja kya hoti hai

‌‌‌अबतक हमने सैल्युलर जेल के बारे मे जान जिसके अंदर भारतियों को काला पानी की सजा दी जाती थी । अब हम आपको यह बताने वाले हैं कि इस जेल के अंदर कैदियों को काला पानी की सजा कैसे दी जाती है। ‌‌‌वैसे इस जेल के अंदर यदि कोई भारतिय को भेज दिया जाता था । तो उसके संबंध मे यह कहा जाता था कि उसे काला पानी की सजा मिली है। जेल मे भेजने के बाद उसके वापस आने की संभावना नहीं के बराबर थी । और एक बार कोई इस जेल के अंदर कैद हो गया तो उसे अपनी इंसनी जिदंगी से भी नफरत होने लग जाती थी । ‌‌‌क्योंकि सेल्युलर जेल इतनी भयानक थी कि आप उसकी कल्पना भी नहीं कर सकते हैं ।

By Durgadattc – Own work, CC BY-SA 4.0, wiki

‌‌‌ ‌‌‌काला पानी की सजा  कैदी को रोशन तक नसीब नहीं होती थी

काला पानी की सजा मिल जाने के बाद कैदी को एक कोठरी के अंदर कैद कर दिया जाता था । और वह कोठरी इस प्रकार से बनी हुई थी कि उसके अंदर कैदी को सूर्य की रोशनी तक नहीं मिल पाती थी । जिसकी वजह से कैदी को यह भी पता नहीं चल पाता था कि कब दिन होता है और कब रात होती है। ‌‌‌लम्बे समय तक इस प्रकार से रहने पर कैदी को अपनी जिंदगी से ही नफरत होने लग जाती थी । इसी वजह से बहुत से कैदी इस जेल के अंदर आने के बाद सुसाइड तक कर चुके थे । शायद कैदियों ने सोचा होगा कि इस सजा से बेहतर है मर जाना ।

‌‌‌कैदियों को बेड़ियों के अंदर जकड़कर रखा जाता था

काले पानी की सजा के अंदर हर कैदी को बेड़ियों के अंदर जकड़े रखा जाता था । यदि वे रात को सोते जागते या कुछ भी करते तो उनको बेड़ियों के साथ ही करना पड़ता था । बेड़ियों की वजह से काफी तकलीफ होती थी । हालांकि बिना बेड़ियों के भी कोई वहां से ‌‌‌भाग नहीं सकता था । इसके अलावा कई बार कैदियों को बेडियों के साथ नीचे बांध दिया जाता था । वे वहां से हिल नहीं सकते थे । घंटो कैदियों को इस प्रकार से रहना होता था । कुल मिलाकर यह भी काफी डेंजरस था ।

‌‌‌ ‌‌‌काला पानी की सजा  एक दूसरे से मिलने जुलने पर रोक

काले पानी की सजा की यह भी एक सजा थी कि इस जेल मे कैदियों को एक दूसरे से मिलने भी नहीं दिया जाता था । कौन जेल के अंदर है और कौन बाहर है। कहां क्या हो रहा है। इस बात का पता कैदियों को नहीं चल पाता था । वे पूरी तरह से दूसरी दुनिया से कट चुके होते थे । सावरकर ‌‌‌और उनके भाई बाबरो इसी जेल के अंदर बंद होने के बाद भी दोनों को एक दूसरे का पता नहीं था । वे पूरे एक साल बाद मिले थे । ‌‌‌कैदियों के नहीं मिलने के पीछे सरकार का तर्क था कि यदि कैदी एक दूसरे से मिलेंगे तो स्वतंत्रता को और अधिक बढ़ावा मिलेगा । इस वजह से उनका न मिलना ही बेहतर होगा ।

‌‌‌कैदियों की बांध कर पीटाई

काले पानी की सजा के अंदर कैदी यदि कोई गलती कर देते तो उनको बांध कर बुरी तरह से पीटा जाता था । इसके लिए कैदियों को बांधने के लिए बना होता था । जिसकी मदद से कैदियों के हाथ पैरों को बांध दिया जाता था । उसके बाद एक अंग्रेज सिपाही कैदी को बहुत बुरी तरह से पीटता रहता ‌‌‌पीटाई इतनी अधिक की जाती थी कि मार खाते खाते कैदी बेहोश हो जाते थे । और उनकी चमड़ी तक उधेड़ दी जाती थी । कई कैदी तो वहीं पर मर भी जाते थे ।

‌‌‌ ‌‌‌काला पानी की सजा खाने के नाम पर कचरा

यदि आपको कोई घास की बनी सब्जी खिलाए तो क्या होगा ? यकीन मानिए आप इसको नहीं खाएंगे । लेकिन सैल्युलर जेल के कैदियों को घास से बनी सब्जी दी जाती थी । और भूखे होने की वजह से उनको खाना भी पड़ता था । इसके अलावा उनके पास और कोई चारा  भी नहीं था ।‌‌‌नमक के नाम पर केवल एक चुटी दी जाती थी । खराब खाने पीने की वजह से कई कैदियों की मौत भी हो चुकी थी । लेकिन ब्रिटिश सरकार को इसकी कोई परवाह नहीं थी । खराब खाने पीने से कैदी जेल के अंदर काफी कमजोर होते जा रहे थे । अब उनके शरीर के अंदर जान ही नहीं बची थी । दिन में एक बार नारियल के आकार के कटोरे में उबले हुए चावल को पानी में मंथन किया किया जाता था ।

‌‌‌सैल्युलर जेल से भागना नामुमकिन

सैल्युलर जेल के चारों ओर समुद्र पड़ता था । इस वजह से यदि कोई कैदी भागने की कोशिश भी करता तो उसको मौत को गले लगाना पड़ता था।‌‌‌इसके अलावा जेल की सिक्योरिटी भी काफी टाईट थी । यदि कोई जेल से भागने की कोशिश करता पकड़ा भी जाता तो उसको कठोर दंड दिया जाता था ।मार्च 1868 में, 238 कैदियों ने भागने की कोशिश की। अप्रैल तक वे सभी पकड़े गए थे। एक ने आत्महत्या की और शेष अधीक्षक वाकर ने 87 को फांसी देने का आदेश दिया।

‌‌‌काला पानी की सजा मई 1 9 33 में कैदियों द्वारा भूख हड़ताल

1933 के अंदर कैदियों के साथ हुए अमानविय बर्ताव की वजह से भूख हड़ताल पर बैठ गए ।

उनमें से भगत सिंह (लाहौर साजिश के मामले), मोहन किशोर नामदास (शस्त्र अधिनियम मामले में दोषी) और मोहित मोइत्र (शस्त्र अधिनियम मामले में भी दोषी) के सहयोगी महावीर सिंह थे। ‌‌‌इनमे से तीन कैदियों की भूख की वजह से मौत हो गई। उसके बाद महात्मा गांधी और रवींद्रनाथ टैगोर ने हस्तक्षेप किया। सरकार ने 1 937-38  के अंदर कैदियों को छोड़ने के निर्देश दिये ।

‌‌‌ ‌‌‌काला पानी की सजा कीड़े मिला पानी पीने के लिए दिया जाता था

कैदियों को दिया जाने वाला पानी भी बेकार था । उसके अंदर कीड़े पड़े हुए थे । यदि इस प्रकार के पानी को आम इंसान देख ले तो उसे घिन्न आने लगे । लेकिन देशभक्त मजबूर थे । उनको यही पानी पीना पड़ता था । और वह भी उनको सीमित मात्रा के अंदर दिया जाता था ।

‌‌‌kale pani ki saja kya hoti hai सीधे फांसी पर लटका देना

काले पानी की सजा मे कोई कैदी पर रहम नहीं किया जाता था ।मार्च 1868  के अंदर इस जेल मे एक साथ 87कैदियों को फांसी पर लटका दिया गया था । वैसे यहां पर फांसी देने के लिए अलग से व्यवस्था की गई है। यदि कोई कैदी कुछ गलती करते पकड़ जाता तो उसको फांसी दी जाती थी । इस वजह से

‌‌‌भी कैदी काफी डरे हुए रहते थे ।

‌‌‌बर्तन मे शौच

सेलुलर जेल के अंदर कैदियों की कोठरी के अंदर कोई शौचालय नहीं बना हुआ था । वरन उनको दो धातु के बर्तन दिये जाते थे । उनमे से एक का इस्तेमाल वे खाने के लिए करते थे । और दूसरे का इस्तेमाल वे शौच जाने के लिए करते थे । शौच को जब कैदी अपनी कोठरी से बाहर निकलते तो फेंक कर बर्तन को साफ ‌‌‌करके ले आते थे । ‌‌‌इसके अलावा यदि उनको पेशाब वैगरह करना होता था तो उनको अपनी कोठरी के अंदर ही करना होता था । कुल मिलाकर यह सब बहुत भयानक था।

‌‌‌जमीन पर सोना

कैदियों के पास सोने के लिए कोई कंबल या रजाई कुछ भी नहीं होता था । वरन उनको जमीन पर ही सोना पड़ता था । हर मौसम के अंदर उनको इसी स्थिति के अंदर रहना होता था । कई कैदियों ने बिछाने की मांग की तो उनपर भयंकर अत्याचार भी किये गए ।

‌‌‌नारियल का तेल निकाला

कैदियों को नारियल का तेल निकालने के लिए भी लगाया जाता था । इसके लिए उनको एक लक्ष्य दिया जाता था कि इतने समय के अंदर इतना तेल निकालना है। लक्ष्य इस प्रकार से होता था कि कमजोर शरीर वाले व्यक्ति इसको पूरा नहीं कर पाते थे । इस वजह से उनको बूरी तरह से पीटा जाता था ‌‌‌तेल निकालते समय बहुत से कैदियों की मौत भी हो जाया करती थी ।

‌‌‌कैदियों के हाथ पैर तोड़कर मरने के लिए छोड़ देना

इस जेल के अंदर दुनिया के सबसे क्रूरतम अत्याचार होते थे । यदि कोई कैदी गलती करता पकड़ा जाता तो उसकी पीटाई की जाती थी । इसके अलावा यदि इसमे उसके हाथ पैर टूट जाते तो उसका उपचार भी नहीं करवाया जाता था । वरन उसे और अधिक प्रताड़ित किया जाता था। ‌‌‌

‌‌‌जिंदा कैदियों को समुद्र मे फेंक देना

कई बार यदि कोई कैदी गलती करता तो उसको जिंदा ही समुद्र के अंदर फेंक भी दिया जाता था। और वह बेचारा समुद्र के अंदर डूब कर मर जाता था। इसके अलावा फांसी दिये हुए कैदियों की लाश को उठाकर भी समुद्र के अंदर फेंका जाता था ।

कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि काला पानी की सजा के अंदर जो यात्नाएं हमने आपको बताई हैं। उनसे भी भंयकर यातनाएं जेल के अंदर जी जाती थी । जिनका डेटा हमारे पास उपलब्ध नहीं है। तो आप कल्पना कर सकते हैं कि काला पानी की सजा इतनी खतरनाख क्यों होती थी ।

‌‌‌काले पानी की सजा अंग्रेजों का प्रमुख हथियार था

दोस्तों काले पानी की सजा अंग्रेजों का प्रमुख हथियार था। और जब भारत के अंदर अंग्रेजी सरकार के खिलाफ विद्रोह बहुत अधिक बढ़ने लगे तो सरकार ने सजा देने के अनेक भयंकर तरीके इस्तेमाल करने शूरू कर दिये । इसके अंदर एक काले पानी की सजा भी आता था।

‌‌‌जिसका नाम को सुनने के बाद बड़े बड़े भी कांप जाते थे । और उसके बाद वहां पर कैदियों के साथ काफी बुरा बर्ताव किया जाता था। हालांकि हमने इसके बारे मे आपको पहले ही बता दिया है कि कैदियों को खराब बर्तन के अंदर खाना दिया जाता था । और उनकी पिटाई भी की जाती थी। ‌‌‌इसके अलावा जेल के अंदर बहुत ही छोटो छोटी कोठरी बनी होती थी । जिसके अंदर कैदियों को रखा जाता था । जहां पर रहना हर किसी के लिए बहुत ही कठिन कार्य होता है।

‌‌‌इस जेल से भागना असंभव था

दोस्तों आपको यह जानकार हैरानी होगी कि इस जेल की चारदीवारी को बहुत ही छोटा बनाया गया था लेकिन इसके बाद भी कैदी इससे भागने मे सफल नहीं हो पाते थे । इसका कारण यह था कि यह इलाका पूरी तरह से समुद्र से घिरा हुआ था। इसके अलावा कई बार कैदियों ने इससे भागने की कोशिश भी की ‌‌‌लेकिन वे भाग नहीं पाये और अंग्रेजों ने उनको पकड़ लिया उसके बाद एक कैदी ने तो अंग्रेजो की यातना के डर से सुसाइड कर लिया था। उसके बाद बाकी के कुछ कैदियों को फांसी पर लटकाने का आदेश दिया गया था।

‌‌‌इस जेल मे विदेश से भी लाये जाते थे कैदी

दोस्तों ऐसा नहीं है। कि इस जेल के अंदर केवल भारतयी ही कैदियों को रखा जाता था। वरन विदेश से भी कैदियों को यहां पर लाया जाता था। उसके बाद जेल के अंदर काम करवाया जाता था। सबसे पहले यहां पर कुछ विदेशी कैदियों को लाया गया था। और सबसे बड़ी बात जो इस जेल ‌‌‌ की थी वह यह थी कि यह पूरी तरह से एकांत के अंदर बनी हुई थी और यहां पर हर कोई आता जाता भी नहीं था। और कैदियों के लिए यहां से भागना संभव नहीं हो पाता था।

‌‌‌जेल को बनाने मे 14 साल का समय लगा

दोस्तों इस जेल को बनाना सन 1896 ई के अंदर इस जेल का निर्माण शूरू हुआ और सन 1910 ई के अंदर इसका निर्माण पूरा हुआ । जब लोग अंग्रेजी शासन के खिलाफ खुलकर बगावत करने लगे तो अंग्रेजों को इसकी आवश्यकता महसूस हुई और उसके बाद इसको बनाये जाने की योजना बनी थी। जैल ‌‌‌का रंग लाल है और इसके बीच मे एक टावर बनाया गया है। अब कई लोग इस जेल को देखने के लिए भी जाते हैं । कई इतिहास की घटनाएं  इस जेल के अंदर कैद हो कर रह गई हैं।

सेलुलर जेल मे कई तरह के काम करवाये जाते थे

दोस्तों ऐसा नहीं था कि जेल के अंदर कैदियों को लाकर डाल दिया जाता था। वरन इस जेल मे कैदियों से कई सारे काम करवाये जाते थे ।बागवानी, गरी सुखाने, रस्सी बनाने, नारियल की जटा तैयार करने, कालीन बनाने, तौलिया बुनने आदि का काम यहां पर कैदियों को दिया जाता ‌‌‌ था। और भरपेट खाना नहीं मिलने की वजह से एक कैदी के लिए जेल मे काम करना भी काफी कठिन हो जाता था। लेकिन यदि काम नहीं किया जाता तो फिर उसकी पिटाई भी की जाती थी।

‌‌‌भूख के बदले मौत की सजा

By Harvinder Chandigarh – Own work, CC BY-SA 4.0,wiki

जब स्वतंत्रता आंदोलन अपने चरम पर था तो विद्रोह करने वाले कई कैदियों को सेलुलर जेल भेज दिया गया । इसके अंदर जो प्रमुख नाम थे सावरकर के भाई बाबूराम सावरकर, डॉ दीवन सिंह,योगेन्द्र शुक्ला, मौलाना अहमदउल्ला, मौलवी अब्दुल रहीम सदिकपुरी, भाई परमानंद, मौलाना फजल-ए – हक खैराबादी, शदन चन्द्र चटर्जी, सोहन सिंह, वमन राव जोशी, नंद गोपाल।

‌‌‌जब जेल के अंदर अंग्रेजों के अत्याचार बहुत अधिक बढ़ते गए तो उसके बाद महावीर सिंह नामक एक कैदी ने भूख हड़ताल करदी । और उसके बाद इस बात का पता अंग्रेजों को चला तो अंग्रेजों ने उनकी भूख हड़ताल को तोड़ने का बहुत प्रयास किया लेकिन वे सफल नहीं हो पाये तो उनको दूध के अंदर जहर मिलाकर देदिया जिससे ‌‌‌ कि उनकी मौत हो गई उसके बाद इस बात को छूपाने के लिए उनके शरीर को समुद्र मे फेंक दिया लेकिन उसके बाद जैसे ही सबको पता चला तो कैदियों ने जेल मे ही भूख हड़ताल करदी ।उसके बाद महात्मा गांधी को पता चला तो उनके हस्तक्षेप के बाद सभी कैदियों को रिहा कर दिया गया ।

‌‌‌कई स्वतंत्रता सैनानियों ने झेली काले पानी की सजा

दोस्तों कई सारे स्वतंत्रता सैनानियों ने काले पानी की सजा झेली थी। इतने थे कि उनके नाम के बारे मे पता ही नहीं है।

  • वीर सावरकर को 1911 के अंदर मार्ले मिंटो सुधार की वजह से विद्रोह करने के जुर्म मे 50 साल की काले पानी की सजा मिली इस दौरान उनको अनेक तरह की अमानविय यातनाओं से गुजरना पड़ा लेकिन उसके बाद सन 1924 ई के अंदर उनको छोड़ दिया गया और वे वापस आ गए ।
  • सुशील दासगुप्ता का जन्म सन 1910 ई के अंदर हुआ था वे बंगाल के क्रांतिकारी थे ।  1929 के पुटिया मेल डकैती मामले में उनको दोषी ठहराया गया । वे 7 साल तक पुलिस से बचते रहे । लेकिन उसके बाद उनको पकड़ लिया गया और फिर सेलुलर जेल के अंदर ले जाया गया । वहां पर उनके खिलाफ तरह तरह की यातनाएं दी गई ।
  • बरिंद्र कुमार घोष का जन्म 5 जनवरी 1880 को लंदन के निकट क्रॉयडन में हुआ था।0 अप्रैल 1908 को दो क्रांतिकारियों, खुदीराम बोस और प्रफुल्ल चाकी द्वारा किंग्सफोर्ड पर बम से हमला किया । उसके बाद उनके उपर मुकदमा चला और फिर उनको पकड़ लिया गया था। इस मामले मे शामिल दूसरे क्रांतिकारियों को मौत ही सजा हुई ‌‌‌लेकिन उनको पकड़कर सैलुलर जेल भेज दिया गया था।
  • फज़ले हक खैराबादी को 1857 की क्रांति के अंदर छोड़ दिया गया था लेकिन उसके बाद 30 जनवरी 1859 को उनको इसलिए पकड़ लिया गया क्योंकि उन्होंने दंगे को भड़काने का प्रयास किया । उनके उपर मुकदमा चला और उन्होंने अपना केस खुद लड़ा उसके बाद उनके पास प्रभावशाली तर्क थे लेकिन उसके बाद उन्होंने खुद ही ‌‌‌ अपने जुर्म को स्वीकार कर लिया तो उनको भी सेलुलर जेल भेज दिया गया उनको काले पानी की सजा दी गई थी।
  • बटुकेश्वर दत्त वे भगत सिंह के साथ 1929 में सेंट्रल लेजिस्लेटिव असेंबली में किए गए बम विस्फोट के अंदर दोषी करार दिये गए । उनकी जेल के अंदर ही 54 साल की उम्र मे निधन हो गया । और उनको आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।

स्वतंत्रता के बाद

स्वतंत्रता के बाद जेल के कुछ हिस्सों को गिरा दिया गया था। उसके बाद गोविंद बल्लभ पंत अस्पताल 1963 में सेलुलर जेल के परिसर में स्थापित किया गया था अब यह 40 के बारे में डॉक्टरों स्थानीय आबादी की सेवा के साथ एक 500 बिस्तरों वाला अस्पताल है।11 फरवरी 1979 को भारत के तत्कालीन प्रधान मंत्री मोरारजी देसाई द्वारा सेलुलर जेल को राष्ट्रीय स्मारक घोषित किया गया था।‌‌‌सन 1915 ई मे काला पानी जेल पर एक फिल्म काला पानी भी बनी थी।

ब्रेटेन मे भी दी जाती थी काला पानी की सजा

ब्रिटेन में भी काला पानी की सजा दी जाती थी। यह सजा आमतौर पर उन अपराधियों को दी जाती थी जो राजद्रोह, हत्या, या गंभीर बलात्कार जैसे गंभीर अपराधों के लिए काला पानी की सजा दी जाती थी । हालांकि वहां पर जिस तरह से भारत के अंदर काले पानी की सजा दी जाती थी । उस तरह से नहीं थी । इसके अंदर क्या होता था , कि जो भी अपराधी होता था , उसको देश से बाहर निकाल दिया जाता था । और दूसरे देशों के अंदर बसने के लिए मजबूर कर दिया जाता था । वहां पर अपने यहां की तरह कैदी को जेल के अंदर बंद नहीं रखा जाता था । और अपना मल वैगरह खाने के लिए मजबूर नहीं किया जाता था ।

ब्रिटेन में काला पानी की सजा की शुरुआत 1718 में हुई थी।  और इसके अंदर यदि कोई इंसान देशद्रोह करता था ,तो उसको देश से बाहर निकाल दिया जाता था ।18वीं और 19वीं सदी में, काला पानी की सजा ब्रिटेन में एक आम सजा बन गई। और 1798 ई के अंदर इस तरह की सजा काफी लोगों को दी गई हालांकि 20 वीं शदी के अंदर इस तरह की सजा देने को काफी क्रूरू माना गया और सजा देना बंद कर दिया गया ।

अपराधी को पहले एक जहाज पर सवार किया जाता था और उसे दूसरे देशों के लिए भेजा जाता था । यात्रा आमतौर पर कई महीनों तक चलती थी और इस यात्रा के अंदर अपराधी को कई तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था , भोजन खराब होता था, और रोग फैलने का खतरा होता था।

‌‌‌kale pani ki saja kya hoti hai काला पानी की सजा कैसे दी जाती है यह लेख आपको कैसा लगा नीचे कमेंट करके हमे बताएं।

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This post was last modified on January 12, 2024

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