इस लेख मे हम बात करने वाले हैं कि क्या tv dekhne se aankhen kharab hoti hai ? or kya mobile dekhne se aankhen kharab hoti hai, इस संबंध मे क्या कहता है विज्ञान ?दोस्तों हम सभी लोग टीवी देखते हैं। हालांकि आज इंटरनेट का जमाना है। इस वजह से अधिकतर लोग नेट पर ही टीवी देख लेते हैं। टीवी का प्रचलन कुछ कम हुआ है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि लोग आज टीवी देखना छोड़ चुके हैं।बहुत से लड़के तो टीवी के बहुत अधिक चिपक जाते हैं जबकि कुछ महिलाएं भी ऐसी होती हैं जो धारावाहिकों के चिपक के बैठ जाती हैं। इसके अलावा कुछ वर्कस को भी कम्प्यूटर पर काफी काम करना पड़ता है। इसमे हम खुद भी शामिल हैं। हमे अपने ब्लॉग पर लेख लिखने के लिए काफी समय कम्प्यूटर पर बिताने होते हैं। कुछ समय पहले एक यूजर ने कमेंट किया था कि kya tv dekhne se aankhen kharab hoti hai
। उसी बात को ध्यान मे रखकर हम यह लेख लिख रहे हैं। यदि आप कुछ समय कम्प्यूटर या टीवी के सामने रोज बिताते हैं तो इससे आपकी आंखों को कोई खास नुकसान नहीं होता है। लेकिन यदि आप अधिक समय तक अपने पीसी या फिर टीवी के सामने गुजारते हैं तो इससे आपकी आंखों को गम्भीर नुकसान हो सकते हैं।काफी समय पहले हमने किताबों के अंदर पढ़ा था कि टीवी देखने से आंखों को नुकसान होता है। और आज भी ऐसा ही सोचते हैं। लेकिन सही मायने मे माना जाए तो सन 1960 के दशक के अंदर जो टीवी बने थे वे काफी ज्यादा विकिरण उत्सर्जित करते थे । इस वजह से वे काफी हानिकारक होते थे ।
लेकिन सन 1968 ई के बाद एलसीडी और प्लाज्मा फ्लैट स्क्रीन सहित कई प्रकार की टीवी मार्केट के अंदर आए लेकिन वैज्ञानिक परीक्षणों के अंदर यह साबित हुआ कि टीवी देखने से आंखों के अंदर अंधापन विकसित नहीं होता है। हालांकि टीवी को अधिक नजदीगी से नहीं देखना चाहिए।
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ज्यादा नजदीग बैठकर ना देखें टीवी
वैज्ञानिक रिसर्च सन 2009 मे यह सामने आया है कि अधिक समय तक टीवी देखने से आंखे खराब होने का खतरा नहीं है। लेकिन यदि आप लंबे समय तक टीवी देख रहे हैं तो आपको टीवी से पर्याप्त दूरी बनाकर रखनी होगी ।यदि आप लगातार 4 घंटे से अधिक समय तक टीवी देखते हैं तो आपको टीवी से दूरी बनाकर बैठना होगा नहीं तो संभव है कि ऐसा करने से आपकी आंखे जा सकती हैं। यदि आप अब तक ऐसा करते हुए आएं हैं तो आपको एक बार अपनी आंखों की जांच अवश्य करवा लेनी चाहिए।
पुराने टीवी और मॉनिटर नुकसानदायी
दोस्तों जैसाकि हम आपको उपर बता चुके हैं कि अब जो टीवी एलसीडी के अंदर आ रहे हैं वे आंखों के लिए कोई नुकसानदायी नहीं हैं। लेकिन पहले जो टीवी आते थे वे आपकी आंखों को डेमेज कर सकते थे । कुछ लोग अभी भी पुराना टीवी या मॉनिटर यूज करते हैं तो उनको नुकसान का सामना करना पड़ सकता है।1967 के आसपास, जनरल इलेक्ट्रिक कंपनी (जीई) ने खुलासा किया की कि उसके बनाए गए टीवी तकनीकी समस्या की वजह से अधिक एक्स-रे उत्सर्जित करते हैं। जिससे आंखों को क्षति हो सकती है। बाद मे कम्पनी ने अपने टीवी को रिपेयर्स भी किया था।उसके बाद वैज्ञानिकों ने एडवाइज जारी किया कि अधिक समय तक टीवी देखने से आंखों को नुकसान हो सकता है।
kya tv dekhne se aankhen kharab hoti hai
जैसा कि स्पष्ट किया जा चुका है कि प्रत्यक्ष रूप से टीवी आपकी आंखों को नुकसान नहीं पहुंचाता है। लेकिन यदि आप अधिक समय तक टीवी या मॉनिटर के सामने बैठे रहते हैं तो संभव है आपको कुछ अस्थाई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
अधिक टीवी देखने से मायोपिया
कॉर्निया और लेंस आंख के हिस्से हैं जो छवियों को केंद्रित करते हैं। एक आंख में, इन भागों का एक सही आकार और वक्र होता है। वक्र प्रकाश को अपवर्तित करता है यह रेटिना पर एक तेज केंद्रित छवि बनाता है। एक मायोपिक की स्थिति मे आंख में, कॉर्निया आमतौर पर बहुत अधिक घटता है, जिससे अपवर्तक त्रुटि होती है। इससे रेटिना के सामने प्रकाश केंद्रित होता है, जिस कारण हमे दूर की वस्तुएं धुंधली दिखाई देती हैं।
कुछ लोगों का यह मानना है कि अधिक टीवी देखना भी मायोपिया का कारण बन सकता है। यदि आप अधिक समय तक मॉनिटर के सामने बैठे रहते हैं तो ऐसा हो सकता है। 1960 के दशक के उत्तरार्ध में एस्किमो परिवारों पर एक रिसर्च किया गया । जिसके अंदर यह साबित हुआ कि यदि आप अधिक समय तक पढ़ते हैं या टीवी देखते हैं तो आपकी आंखे कमजोर हो सकती हैं। हालांकि इस अध्ययन को प्रमाणिक नहीं माना जाता है। बल्कि यह विवादास्पद्व है।
एस्किमोस के एक समूह का अध्ययन किया गया । जिसके अंदर यह पाया गया कि 56 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों के अंदर मायोपिया की शून्य घटना थी। जबकि 30 वर्ष की उम्र तक के लोगों मे इसकी घटना 6 प्रतिशत थी। जबकि बच्चों के अंदर यह 59 प्रतिशत थी।
एक ऑस्ट्रेलियाई अध्ययन के जो कि अभी हाल ही मे किया गया था। इसके अंदर बच्चों के दो समूहों को लिया गया । एक समूह जो घर पर रहकर पढ़ता था। जबकि दूसरा बाहर मतलब हॉस्टल वैगरह के अंदर रहते थे । दोनों समूहों ने लगभग टीवी देखने और कम्प्यूटर के सामने समान समय बिताया । जबकि एक समूह रोज सुबह घूमने जाता था। इससे पता चला की घूमने वाले समूह के अंदर मायोपिया की समस्या नहीं थी। इससे वैज्ञानिकों ने निष्कर्ष निकाला की टीवी देखने से स्थाई अंधापन जैसी कोई समस्या नहीं हो सकती ।
ज्यादा टीवी देखने से आंखो की रोशनी जा सकती है
भले ही इस संबंध मे कोई प्रूफ मौजूद नहीं है। लेकिन ऐसा अनुमान लगाया जाता है कि अधिक समय तक टीवी देखने से आंखों की रौशनी पर बुरा असर पड़ता है। Eyestrain एक प्रकार की समस्या है और यह तब होती है जब आपकी आंखे बहुत अधिक इस्तेमाल से खत्म हो जाती हैं। इस वजह से लंबे समय तक पढ़ना , टीवी देखना आदि आपकी आंखों के लिए नुकसान दायी हो सकते हैं। यहां तक कि यदि आप कम्प्यूटर का लंबे समय तक उपयोग करते हैं तो आपको सावधान होने की आवश्यकता है। कुछ लोग गलती करते हैं। आपने देखा होगा की कुछ लोग अंधेरे के अंदर टीवी चलाकर बैठ जाते हैं। और उसके बाद देखते रहते हैं। यदि आप भी ऐसा करते आ रहे हैं तो
यह आपकी आंखों के लिए नुकसानदायी हो सकता है। क्योंकि अंधेरे के अंदर टीवी देखने से आपकी आंखों पर अधिक प्रकाश का दबाव पड़ता है जो आंखों के लैंस को डेमेज कर सकता है।
सुखी आंख की समस्या
हममेसे कुछ लोग ऐसे हैं जो एक लंबे समय तक कम्प्यूटर के सामने बैठे रहते हैं। और कई बार चीजों पर बहुत अधिक ध्यान देने की वजह से पलके नहीं झपका पाते हैं। ऐसा करने से आपकी आंख पर्याप्त नमी का उत्पादन नहीं कर पाती है। इस वजह से यह समस्या पैदा हो जाती है। यदि आपको भी यह समस्या है तो आप मॉइस्चराइजिंग आई ड्रॉप का प्रयोग करके इस समस्या से बच सकते हैं और यदि आपको अधिक समय तक मॉनिटर के सामने बैठना पड़ता है तो अधिक आंखो पर दबाव ना डालें ।
आंखों मे सूजन
दोस्तों यह समस्या अधिकतर उन लोगों के साथ होती है जोकि अधिकतर समय टीवी के सामने या कम्प्यूटर के सामने गुजारते हैं। ऐसा मेरे साथ भी हो चुका है। जब हम अधिक समय तक इन चीजों के सामने रहते हैं तो आंखों के अंदर सूजन आ जाता है। खास कर ऐसा तब भी होता है जब हम अधिक समय तक काम की वजह से सो नहीं पाते हैं। इसका अच्छा इलाज यही है कि अधिक समय तक आंखे स्क्रीन पर ना टिकाए रखें और पर्याप्त नींद लें ।
आंखे लाल होना
यदि आप लंबे समय तक कम्प्यूटर के सामने बैठे रहते हैं तो आंखों का लाल होना सबसे आम बात है। क्योंकि अधिक समय तक आंखों को स्क्रीन पर टिकाए रखने से नुकसान होता है। इसका सबसे अच्छा सौल्युसन है। आप चश्मे का यूज करें और कम्प्यूटर पर अनावश्यक रूप से फोक्स ना करें ।
eye protection glass
यदि आप रोजाना कम से कम 7 घंटे टीवी या कम्प्यूटर के सामने बैठे रहते हैं जो जाहिर सी बात है आपकी आंखों को कम्प्यूटर स्क्रीन की यूवी लाइट से नुकसान होता है। और काम को हम छोड़ नहीं सकते । क्योंकि काम तो करना ही पड़ेगा तो ऐसी स्थिति के अंदर आंखों को सैफ रखने के लिए eye protection glass आते हैं। आप इनको 600 रूपये के अंदर अमेजन से खरीद सकते हैं। देखने मे यह आम चश्मे के जैसे ही होते हैं। लेकिन यह आपकी आंखों की सुरक्षा करने मे काफी मददगार साबित हो सकते हैं।और यह सही भी है कि आंख हैं जो जहांन है आंखों के बिना कुछ नहीं है।
मोबाइल स्क्रीन लाइट कम रखें
अक्सर हमने देखा है कि रात के समय कुछ लोग अपने मोबाइल की स्क्रीन लाइट बहुत अधिक रखते हैं। जिसका असर आंखों पर पड़ता है। अधिक स्क्रीन लाइट के साथ आंखों पर दबाव बढ़ता है। यदि आप स्क्रीन लाइट कम करलेंगे तो आपकी आंखे बिना किसी समस्या के अच्छे तरीके से काम कर पाएंगी । एक न्यूज के अनुसार एक लड़का रात भर अधिक स्क्रीन लाइट मे मोबाइल का यूज किया जिसकी वजह से उसकी आंखे डेमेज हो गई। यदि आप दिन के समय अधिक स्क्रीन लाइट का प्रयोग करते हैं तो समस्या नहीं होती है क्योंकि वो प्रकाश आसानी से एडजस्ट हो जाता है और आपकी आंखों को चुभता नहीं है। लेकिन यदि आप रात मे ऐसा करते हैं तो यह आपकी आंखों को चुभेगा ।
अंतिम शब्द
दोस्तों लेख के अंत मे हम आपको यही कहना चाहेंगे की टीवी देखने से आंखों पर धीरे धीरे नुकसान होता है। और इसका आपको पता भी नहीं चल पाता है। जब आपको पता चलता है तो बहुत देर हो चुकी होती है। सबसे अच्छी बात यह है कि आप अधिक समय तक स्क्रीन के सामने रहते हैं तो अपनी आंखों का चैकअप करवाएं। यदि आपको देखने मे कोई समस्या हो रही है ? तो इस मामले मे लापरवाही बरतने की भूल बिल्कुल भी ना करें क्योंकि आपकी आंख ऐसा करने से और डेमेज हो सकती हैं। मैं खुद लापरवाही बरतने का अंजाम भुगत रहा हूं ।
यदि आपकी आंखें कमजोर हो जाती हैं और आप ईलाज नहीं करवाते हैं तो वह समय के साथ और कमजोर होती चली जाती हैं जो आपके चश्मे का नंबर बढ़ा सकता है।