औरतों को शनि देव की पूजा नहीं करनी चाहिए 7 कारण

औरतों को शनि देव की पूजा करनी चाहिए या नहीं , ladkiyon ko sni dev ki puja karni chahiye शनि ग्रह के बारे मे पुराणों के अंदर अने चीजें देखने को मिलती है। शनि को सूर्य पुत्र माना जाता है। यह कर्मफल देने वाला और मोक्ष देने वाला होता है।लेकिन शनिग्रह को दुख देने वाला माना जाता है।सूर्य की पत्नी संध्या की छाया के गर्भ से शनि देव का जन्म हुआ था। और कहा गया कि जब छाया के गर्भ मे शनि ‌‌‌थे तब छाया ने खाना पीना छोड़ दिया जिसकी वजह से शनि का रंग श्याम हो गया ।और उसके बाद शनि का श्याम रंग देखने के बाद सूर्य ने कहा कि शनि उसका पुत्र नहीं है । उसके बाद से ही वह अपने पिता से शत्रु भाव रंखते हैं। शनि ने अपनी तपस्या से भगवान शिव को प्रसन्न किया और उसके बाद शनि ने कहा कि ‌‌‌मेरी माता बार बार पराजय झेल रही है। इसलिए मुझे ऐसा वरदें कि मेरी हर तरफ विजय हो । उसके बाद भगवान ने वर देते हुए कहा की आज से तुम्हारा सर्वश्रेष्ठ स्थान होगा मानव तो क्या देवता भी तुम्हारे नाम से ही कांप जाएंगे ।

‌‌‌दोस्तों यह थी शनि के जन्म की कहानी अब आते हैं अपनी बात पर औरतों को शनि देव की पूजा करनी चाहिए या नहीं ? दोस्तों महिलाओं को शनिदेव की पूजा खास कर मंदिर मे जाकर नहीं करनी चाहिए । इसके वैज्ञानिक कारणों पर हम चर्चा करेंगे। दोस्तों आपको पता होना चाहिए कि हर चीज का एक वैज्ञानिक कारण होता  ‌‌‌ है। अब वो लोग नहीं बचे जो आपको सही सही जानकारी दे सकें । और आप तो आधुनिकता की दौड़ मे इतने अंधे हो चुके हैं कि वे इस चीज को नहीं मानते हैं कि आंखों से परे भी कोई चीज होती है।और आप जिस विकसित देश की बात कर रहे हैं ना वहां पर यह भूत प्रेत की कॉलेज मे क्लॉश चलती हैं जैसे अमेरिका और दूसरे ‌‌‌ देश । भारत मे आते ही भूतप्रेत अंधविश्वास हो जाता है। पता नहीं पत्रकार किस दोगली द्रष्टि से देखते हैं। सुशांत की आत्मा से एक विदेशी तांत्रिक ने बात की मिडिया ने उसको खूब उछाला यदि यही काम भारत के तांत्रिक करते तो कहा जाता अंधविश्वास है। इसलिए ऐसे लोगों से बचे जो ना तो तंत्र के बारे ‌‌‌ जानते हैं और ना ही उनके पास जानने की औकात ही है।लिखना आने लग जाने का मतलब यह नहीं होता है कि उनको सब कुछ आ जाता है।

‌‌‌भारत के शनि मंदिरों के अंदर महिलाओं को नहीं जाने दिया जाता है।महिलाओं को लगता है कि देखो भगवान भी भेदभाव कर रहे हैं यह कैसा है ? असल मे यह भगवान का किया भेदभाव नहीं है। यह महिलाओं पर पड़ने वाले बुरे प्रभावों से बचाने के लिए होता है। अब आइए जानते है कि महिलाएं यदि शनि मंदिर मे जाती हैं ‌‌‌ तो उनको क्या नुकसान हो सकते हैं।यह नुकसान हमने अपनी रिसर्च के आधार पर खोजे हैं।

Table of Contents

‌‌‌1.शनि के मंदिर मे हो सकती हैं नगेटिव शक्तियां  ladkiyon ko sni dev ki puja karni chahiye

दोस्तों शनि के मंदिर मे नगेटिव ताकते हो सकती हैं। आमतौर पर यहां पर बहुत अधिक शक्तिशाली तांत्रिक क्रियाएं की जाती हैं। जिसकी वजह से यहा पर कई ऐसी उजाएं हो सकती हैं जो महिलाओं को प्रभावित कर सकती हैं। इसलिए महिलाओं को शनि के मंदिर मे ‌‌‌ नहीं जाना चाहिए ।जब किसी व्यक्ति पर या उसके परिवार के उपर किसी तरह की बुरी ताकत का साया होता है तो यहां पर उसको सही करने के लिए क्रियाएं होती हैं। और यदि महिलाएं इस तरह के मंदिर मे आती हैं तो यह ताकते महिलाओं को प्रभावित कर सकती हैं।

‌‌‌2.महिलाएं मानसिक रूप से प्रभावित हो सकती हैं शनि के मंदिर मे जाने से

दोस्तों दो तरह की उर्जा तरंगे होते हैं। एक उर्जा तरंगे ऐसी होती हैं जोकि आपको किसी तरह से कोई नुकसान नहीं पहुंचाती हैं। लेकिन दूसरी उर्जा तरंगे वो होती हैं जोकि आपको नुकसान पहुंचा सकती हैं। और शनि मंदिर के अंदर तांत्रिक ‌‌‌ क्रियाएं होने की वजह से उस जगह की उर्जा तरंगे वैसी नहीं होती हैं जैसी की दूसरी जगहों की होती हैं। यह शकूनदायक नहीं होती हैं। और यदि कोई महिला इस स्थान पर आती है। तो वह मानसिक रूप से अशांत हो सकती है। जैसे कि उसके मन मे उथल पुथल या मानसिक रूप से बैचेनी हो सकती है।

‌‌‌इस वजह से महिलाओं को शनि केमंदिर मे नहीं आना चाहिए खासकर उस मंदिर मे जहां पर अधिक तांत्रिक क्रियाएं होती हैं।

‌‌‌3.शनिदेव के मंदिर तंत्रमंत्र के लिए ही होते हैं ?

दोस्तों जीवन के अंदर कई तरह की परेशानियां आती हैं। जीवन के अंदर जब किसी खास प्रकार की नगेटिव उर्जा घातक साबित होने लग जाती है तो उसे निपटने के लिए ही शनिमंदिरों का निर्माण किया गया है। इनका निर्माण इसलिए नहीं हुआ है कि आप इनके अंदर ‌‌‌ जाकर पूजा करने लग जाएं । यदि किसी को भूत प्रेत जिन्न और चुड़ैल आदि बुरी ताकतों की समस्या है तो आप इन मंदिर के अंदर ईलाज के लिए जा सकते हैं। और वहां पर एक खास तरह की उर्जा का प्रयोग करके इनका ईलाज किया जाता है। अब यदि आपको पूजा की करनी है तो दूसरे मंदिरों मे जाएं ।

‌‌‌और इस मंदिर के अंदर जो नगेटिव उर्जा होती है उसे महिलाएं जल्दी प्रभावित हो जाती हैं यह नेचुरल है। इस वजह से उनको इस मंदिर मे नहीं जाना चाहिए । ‌‌‌जिसका परिणाम भी उनको देखने को मिल सकता है।

‌‌‌अब जाहिर सी बात है कि जिस मंदिर के अंदर ही भूत प्रेत आदि की क्रिया ही की जाती है और आप उसके अंदर पूजा के लिए जा रहे हैं तो आप इन सब से प्रभावित हुए बिना कैसे रह सकते हैं ?

‌‌‌4.महिलाओं के गर्भ को प्रभावित कर सकता है।

दोस्तों यदि कोई महिला गर्भवति है और उसके बाद भी इसी तरह से शनि के मंदिर मे जाती है तो नगेटिव ताकते उसके बच्चे को प्रभावित कर सकती हैं। जिससे कि कई तरह की परेशानी हो सकती है। खास कर उसके बच्चे की मौत तक हो सकती है या फिर  फिर गर्भ नहीं ठहर ‌‌‌ पाता है। इसलिए यदि आप गर्भवति हैं तो शनि के मंदिर मे नहीं जाएं । कॉमन सेंस से आप समझ सकते हैं कि यदि आप ऐसी जगह जाएंगे जहां पर चोर ही चोर हैं और एक साहुकार है तो आपका कुछ ना कुछ चुरा ही लिया जाएगा । अब शनिमंदिर के अंदर खराब उर्जाएं होती हैं जो महिलाओं को अधिक प्रभावित करती हैं।

‌‌‌5.शारीरिक कष्ट का सामना करना पड़ सकता है

यदि महिलाएं शनि मंदिर के अंदर जाति हैं तो उनको शारीरिक कष्ट का सामना करना पड़ सकता है। खास कर बिना पूजारी की अनुमति के । क्योंकि यदि आप पूजारी की अनुमति लेते हैं तो फिर हो सकता है कि वे आपकी सुरक्षा के लिए कुछ करें। क्योंकि शनि मंदिर मे ‌‌‌ जो तांत्रिक क्रियाएं की जाती हैं उसकी वजह से उसके आस पास अनेक प्रकार की प्रेत आत्माएं भी हो सकती हैं और यदि आप कुछ भी मीठा या ऐसा वैसा खाकर भी जाती हैं तो इससे आपके शरीर को बुखार हो सकता है और काफी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।

‌‌‌इसलिए यदि आप शनिमंदिर मे तभी जाएं जब आपको इसकी अनुमति मिले । वरना आप फालतू मे अपने लिए परेशानी मोल ले रहे हैं।

‌‌‌6.बैचेनी जैसी समस्याएं होना

दोस्तों यदि महिलाएं शनि मंदिर मे जाती हैं तो उनको बैचेनी जैसी समस्याएं हो सकती है। आमतौर पर जब किसी बेकार उर्जा का प्रभाव होता है तो यह समस्या हो सकती है। किसी काम के अंदर मन ना लगना और बैचेन रहना उदास रहना । बार बार उबासी आना आदि समस्याएं हो सकती हैं।

‌‌‌7.क्या घर मे बने मंदिर मे महिलाएं पूजा कर सकती हैं ?

दोस्तों जहां तक मेरी जानकारी है। घर मे बने मंदिर के अंदर महिलाएं पूजा कर सकती हैं। क्योंकि इस मंदिर के अंदर किसी भी तरह की तांत्रिक क्रियाएं मौजूद नहीं होती हैं तो वहां पर महिलाओं को प्रभावित करने जैसी कोई चीज नहीं होती है। यह खास कर ‌‌‌उन मंदिरों के लिए होता है जोकि किसी खास उदेश्य के लिए इस्तेमाल किये जाते हैं। और जिनका प्रयोग ही तंत्र मंत्र के लिए किया जाता है।

‌‌‌क्या यह भेदभाव नहीं है कि महिलाओं को शनि मंदिर मे जाने दिया जाए

देखिए भेदभाव करने वाली प्रकृति है। प्रकृति के अंदर ना तो पुरूष महिलओं के जैसे हो सकते हैं और नहीं महिलाएं पुरूष जैसी हो सकती हैं। अब महिलाएं पुरूषों की बराबरी करने मे लगी हुई हैं तो उनको पुरूष ही बन जाना चाहिए । लिंग भैरवी के गर्भ गृह में पुरुषों को जाने की इजाजत नहीं है। लेकिन उसके बाद भी पुरूषों ने इसका विरोध नहीं किया क्योंकि उनको यह पता है कि यह चीज उनके लिए सही नहीं है।

 यहां बात बराबरी की नहीं है। यहां पर बात है क्या आपके लिए सही है और क्या गलत है ? यदि आप बीमार हैं तो आप महिला हैं और एक ‌‌‌पुरूष है दोनों डॉक्टर के पास जाते हैं दोनों को एक ही समस्या तो  डॉक्टर देानो को अलग अलग दवा कई बार देता है।यह अलग अलग दवा के बारे मे क्या आप जानते हैं ? आपका डॉक्टर बेहतर तरीके से जानता है कि इस मामले मे आपको क्या नहीं करना चाहिए ।

‌‌‌इसलिए शनि मंदिर के मामले मे बात भेदभाव की नहीं है।यह बात है आपके नुकसान की आपको नुकसान होने से बचने के लिए शनिमंदिर मे जाने से रोका जाता है।

‌‌‌शनिमंदिर के अंदर प्रवेश करने के लिए कई महिलाओं ने आंदोलन किये इस बारे मे आपको क्या विचार हैं ?

देखिए कुलयुग का समय है और इसके अंदर कुछ भी हो सकता है। अधिकतर इस तरह के आंदोलन ऐसी महिलाएं करती हैं जोकि ना तो तंत्र मंत्र के ज्ञाता हैं और ना ही उनको इसके बारे मे जानकारी है। उन्होंने जो ‌‌‌ अंग्रेजी शिक्षा ग्रहण की उनके अंदर तंत्रमंत्र अंधविश्वास है। भले ही अंगेज खुद तंत्रमंत्र मे विश्वास रखते हों। खैर मेरे विचार से महिलाओं का मंदिर मे प्रवेश मिलना चाहिए । क्योंकि उनको बस अधिकार चाहिए तो आपको अधिकार देना चाहिए ।

‌‌‌और समय की भी यही मांग है। अब समय बदल चुका है। मेरे विचार से यह रोक हटनी चाहिए । समझदार को ईशारा काफी होता है। बाकी आप जानते ही हैं।

शनि शिंगणापुर मंदिर के अंदर पहले महिलाओं का प्रवेश वर्जित था उसके बाद एक महिला ने महिलाओं को उनका हक दिया और कोर्ट ने फैसला किया । अब महिलाओं को इसके अंदर प्रवेश मिल चुका है। और महिलाएं इसके अंदर जाती हैं या नहीं इसके बारे मे तो नहीं पता लेकिन प्रवेश जरूर ही मिल चुका है।

‌‌‌शनिमंदिर के अंदर महिलाओं को प्रवेश करने का सुरक्षित तरीका क्या है ?

By Billjones94 – Own work, CC BY-SA 4.0,

दोस्तों यदि आप तंत्र मे विश्वास रखते हैं तो  आप इन बातों को समझ सकते हैं। लेकिन कुछ लोग ऐसे होते हैं जिनके पास ना जानने की क्षमता होती है और ना मानने की तो इस तरह के लोगों के लिए यह नहीं है। यदि आप एक प्रशिक्षित ‌‌‌ महिला हैं तो शनिमंदिर के अंदर जा सकती हैं।कई ऐसी महिलाएं होती हैं जोकि प्रशिक्षित होती हैं वे इसके अंदर  प्रवेश करती भी हैं। लेकिन यदि आप प्रशिक्षित नहीं हैं तो आपको इसके अंदर प्रवेश नहीं करना चाहिए । यह हमारा कहना नहीं है। कई योगियों का कहना है जो सालों से तपस्या करते हैं।

‌‌‌क्या भूत प्रेत और देवता सब कुछ अंधविश्वास है ?

देखिए अंधविश्वास वह होता है जिसपर आप आंख मीच कर भरोशा करते हैं। लेकिन भूत प्रेत अंधविश्वास नहीं है। आपको इनके उपर हजारों अंग्रेजी किताबे मिल जाएंगी ।जिनके अंदर इनके प्रमाण मिलते हैं। आपको बचपन से ही यह सिखाया गया है कि यह अंधविश्वास ‌‌‌ है लेकिन विकसित देश कॉलेजों के अंदर भूत की किताबें पढ़ाते हैं।उस वक्त कोई भी मिडिया अंधविश्वास शब्द का प्रयोग नहीं करता है। क्योंकि तो आपको समझना चाहिए यह एक विज्ञान है। और यह सत्य है कि मरने के बाद हम सब भूत बनने वाले हैं।

‌‌‌शनि मंदिर मे किस तरह की शक्तियां हो सकती हैं कुछ उदाहरण से बता सकते हैं ?

देखिए आप इनके बारे मे और अधिक जानना चाहते हैं तो अपने आस पास के शनिमंदिर मे जा सकते हैं। मनु भइया धाम दिल्ली सर्च कर सकते हैं। यह एक ऐसी जगह है जहां पर केवल भूत प्रेत का कार्य होता है।‌‌‌ यदि आप इसके बारे मे और अधिक अच्छे से देखना चाहते हैं तो फिर आप इनके चैनल पर जा सकते हैं वहां पर आपको कई सारे विडियो मिल जाएं उनको देख सकते हैं । इनके बारे मे और अधिक जानकारी हाशिल कर सकते हैं।

‌‌‌नष्ट हो गया रियल ज्ञान इस वजह से यह सब हो रहा है

दोस्तों हिंदु धर्म के अंदर जो कुछ भी बनाया गया उसका एक वैज्ञानिक उदेश्य रहा है। लेकिन अफसोस की बात है कि अब इन चीजों को समझने वाले लोग बहुत ही कम बचे हैं। और समाज तो अंग्रेजी शिक्षा ले ही चुका है। और अंगेजी शिक्षा के अंदर यह सब ‌‌‌ अंधविश्वास है। और वैसे भी आज बहुत सी परम्पराएं  बस परम्पराएं ही रह गई हैं उसके पीछे का विज्ञान किसी को नहीं पता है। तभी तो हम कहते हैं कि अंधविश्वास है। लेकिन यह एक गहरा विज्ञान से जुड़ा है।

शनिवार व्रत कथा

एक समय सभी नवग्रहओं : सूर्य, चंद्र, मंगल, बुद्ध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहु और केतु में विवाद छिड़ गया कि इनमे से सबसे बड़ा कौन है ? वे खुद आपस मे लड़ रहे थे तो निर्णय के लिए इंद्र के पास पहुंचे । इंद्र उनको देखकर काफी घबरा गए और उसके बाद कहा कि मैं इसका निर्णय नहीं कर सकता हूं ।‌‌‌और उन्होंने कहा कि इस समय धरती पर राजाविक्रमादित्य हैं और वे अति न्यायप्रिय हैं तो आप उनके पास जाएं । उसके बाद सभी ग्रह उनके पास पहुंचे विक्रमादित्य को यह देखकर काफी समस्याएं हुए । क्योंकि वो जानते थे कि यदि किसी को भी छोटा बता दिया तो फिर उसके कोप का शिकार होना पड़ सकता था ।

‌‌‌लेकिन उसके बाद राजा को एक तरकीब सूजी राजा ने तांबा लौहा और सोना चांदी सब तरह के नौ सिंहासन बनाए और उसके बाद सही ग्रहों को कहा गया कि वे अपने क्रम के अनुसार इनके उपर बैठें। और अंत मे शनि देव बैठे तो राजा ने शनिदेव को छोटा बताया । जिससे कि शनिदेव काफी क्रोधित हो गए और उसके बाद कहा  राजा! तू मुझे नहीं जानता. सूर्य एक राशि में एक महीना, चंद्रमा सवा दो महीना दो दिन, मंगल डेड़ महीना, बृहस्पति तेरह महीने, व बुद्ध और शुक्र एक एक महीने विचरते हैं लेकिन मैं पूरे साढे सात साल तक विचरता हूं । मेरे कारण की रामजी को वनवास मिला मेरे कारण ही लंका को बंदरों ने उजाड़ डाला ।

‌‌‌और उसके बाद शनिदेव काफी क्रोध के अंदर वहां से चले गए । हालांकि अन्य देवता खुशी खुशी वहां से चले गए । कुछ समय बाद जब राजा की साढ़े साती आई तो शनिदेव घोड़ों के सौदागर बनकर आए । उसके बाद राजा को सूचना मिली की एक घोड़ा बेचने वाला आया है । उसके पास अच्छे अच्छे घोड़ें हैं तो राजा खुद घोड़ों को ‌‌‌देखने के लिए आए । एक घोड़े पर जैसे ही राजा ने चढ़कर देखा घोड़ा बहुत ही तेज गति से दौड़ा और वन के अंदर जाकर ओझल हो गया । राजा को यह पता चल गया कि अब उसका बुरा समय चलने वाला है।

‌‌‌उसके बाद राजा वन के अंदर भटकता रहा ।राजा को इस तरह से भटकते हुए किसी ग्वाले ने देखा तो उसे पानी आदि पिलाया । उसके बाद ग्वाले को राजा ने अपनी अंगूठी दी । उसके बाद राजा एक गांव के अंदर आया और लोगों को अपना नाम वीका बताया ।

‌‌‌वहीं पर राजा को एक सेठ मिला सेठ ने राजा को पानी आदि पिलाया । और उस दिन सेठ की बिक्री काफी अच्छी हुई थी। फिर सेठ राजा को अपने घर ले गया । राजा ने देखा कि खूंटी के अंदर हार टंगा है और खूंटी ही उस हार को निगल रही है। और कुछ समय बाद ही सेठ को जब वह हार नहीं मिलता है तो सेठ यही समझता है कि ‌‌‌ वीका ने उस हार को चुरा लिया है।उसके बाद सेठ वीका को लेजाकर कोतवाल को सौंप देता है जिससे कि उसके हाथ पैर काट दिये जाते हैं वह चौरंगिया हो जाता है।

‌‌‌और उसके बाद उस चौरंगिया को नगर के बाहर फिंकवा दिया गया । वहीं से एक तेली गुजर रहा था तो तेली को दया आ गई । उसके बाद तेली ने उसको अपनी बैलगाड़ी पर बैठा लिया तो वह बैलों को हांकने लगा । उसी समय शनि की दशा समाप्त हो गई ।

‌‌‌और कुछ समय आने के बाद वह गाने लगा । वह इतना अच्छा गाने लगा कि उसके गायन को सबलोग बहुत अधिक पसंद करते थे । उस राज्य की राजकुमारी  ने उसका गाना सुना उसने उसका प्रण कर लिया । और अपने पिता को सारी बात बताई । पिता ने गाने वाले के बारे मे जानकारी मंगाई तो पता चला कि वह एक चौरंगिया है। तो ‌‌‌ पिता ने शादी करवाने से इंकार कर दिया । लेकिन राजकुमारी शादी के लिए अड़ी रही तो अंत मे राजा भी शादी के लिए तैयार हो गया।और उसके बाद राजा ने एक दिन राजकुमारी की शादी उस चौरंगिया से करदी । उसके बाद एक दिन जब राजा सो रहे थे तो उनको शनिदेव के दर्शन हुए उस समय शनिदेव ने कहा कि राजन …. देखा ‌‌‌आपने मुझे छोटा बताकर बहुत बड़ी गलती करदी ।और उसके बाद राजा ने शनिदेव से क्षमा मांगी और इस तरह की सजा किसी को नहीं देने को कहा तो शनिदेव ने कहा की जो मेरा व्रत करेगा और जो मेरी कथा सुनेगा ‌‌‌जो चिंटियों को आटा डालेगा और उसको शनि की साढ़े साती नहीं लगेगी ।

‌‌‌और उसके बाद वीका के पैर भी वापस आ गए ।और सुबह जब राजकुमारी ने देखा तो वह काफी हैरान रह गई वीका ने बताया कि वह राजा विक्रमादित्य है तो सब लोग काफी खुश हो गए । उधर जब सेठ को पता चला तो सेठ ने राजा से माफी मांगी और अपने घर वापस भोजन करने के लिए बुलाया ।

‌‌‌जब सब लोग भोजन कर रहे थे तो सबने देखा कि जो खूंटी हार को निगल गई थी वह अब हार को उगल रही थी। उसके बाद सेठ ने अपनी कन्या से राजा को विवाह करने का निवेदन किया राजा ने स्वीकार कर लिया और उसके बाद राजा अपनी दोनो रानियों को लेकर अपने राज्य की तरफ जाने लगे । राज्य की सीमा के अंदर ही राजा का ‌‌‌बहुत अधिक स्वागत हुआ और इसके लिए ढोल नगाड़े बजाए गए और राजा के गले मे फूलों की माल डालकर इसका स्वागत किया गया ।और उसके बाद राजा ने कहा कि मेरे उपर शनि की साढ़े साती चल रही थी क्योंकि मैंने शनि को छोटा बताया था । और उस दिन के बाद राजा के यहां पर शनि देव की पूजा होने लगी और फिर ‌‌‌सभी लोग राजा के यहां पर खुशी से रहने लगे ।

‌‌‌शनिदेव को मिला शाप

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दोस्तों शनिदेव को लेकर एक कहानी और आती है। इस कहानी के अनुसार सूर्य पुत्र शनिदेव बचपन से ही काफी सुंदर थे तो शनिदेव के साथ गंधर्व ने अपनी पुत्री कंकाली से अपना विवाह करवा दिया । और जब शनि इंद्र की सभा मे जाते थे तो अप्सरा भी उनको देखती थी । जिससे कि शनिदेव उसके ‌‌‌ प्रति मोहित हो गए । यह बात जब कांकली को पता चला तो उसे बहुत अधिक गुस्सा आया और शनिदेव को शाप दिया कि आज के बाद तुम बदसूरत हो जाओगे और तुम्हारी द्रष्टि ‌‌‌हमेशा से ही नीची ही रहेगी और उसके बाद शनिदेव ने भगवान शिव का घोर तप किया और उसके बाद शिव से कहा कि हे माधव आप हमे द्रष्टि को सीधा करने का वर दें तो शिवजी ने कहा कि शनिवार के दिन जो पीपल पर तेल चढ़ाएगा । उसके लिए तुम्हारी द्रष्टि शुभ होगी ।

‌‌‌जब शनि देव को लटकाया गया उल्टा

दोस्तों शनिदेव को ग्रह और देवता के रूप मे पूजा जाता है। भारत के अंदर कई मंदिर शनिदेव के मौजूद हैं। शनिदेव को कर्मों का फल देने वाला माना जाता है।ऐसा माना जाता है कि शनिदेव ने अपने पिता को कुष्ठ रोग दे दिया था ।

 और जिसके उपर शनि की द्रष्टि पड़ती है ‌‌‌उसे राजा से रंक बनने मे अधिक समय नहीं लगता है।और शनि को सब लोको के अंदर जाने की शक्ति प्राप्त है। एक बार शनि ने सब लोकों पर अपना कब्जा जमा लिया तो भगवान सूर्य ने शिव से प्रार्थना की कि वे इस समस्या का समाधान करें। तो शिव ने शनि को हराने के लिए अपने गणों को भेजा लेकिन शनि से शिव के ‌‌‌सभी गणों को ही हरा दिया । उसके बाद शिव स्वयं शनि देव से युद्ध करने के लिए आए और शनि देव को पेड़ पर उल्टा लटका दिया । उसके बाद शनिदेव 19 साल के लिए उल्टे लटके रहे । उसके बाद सूर्य देव ने शिव से अपने पुत्र को बचाने की गुहार लगाई ।

‌‌‌शनि के बारे मे पौराणिक संदर्भ

दोस्तों शनिदेव का कई जगहों पर उल्लेख आया है।लेकिन मुख्य तौर पर शनि को कर्मों का फल देने वाला बताया गया है।और राजा दशरत ने अपने राज्य को भूख से बचाने के लिए शनिदेव से मुकाबला करने पहुंचे  उनके इस साहस को देखकर शनि देव काफी प्रसन्न हुए और उनको वर प्रदान ‌‌‌ किया इसी तरीके से  एक बाद देवी लक्ष्मी ने पूछा कि तुम क्यों  किसी की धन हानि करते हो और जातकों को परेशान करते हो तो शनि ने बताया कि हे माते इसमे मेरा कोई देाष नहीं है। मेरे  को भगवान ने तीनो लोको का न्याय करने वाला नियुक्त किया है।

 इस वजह से यदि कोई तीनों लोकों मे गलत करता है तो मैं ‌‌‌बस उसे उसके कर्मों का फल ही प्रदान करता हूं ।और जब अगस्त श्रषि ने शनिदेव से प्रार्थना की तो उनको राक्षसों से बचाने के लिए भी शनिदेव आए । और भगवान शिव ने जब सति से झूंठ बोला तो उनको हवन कुंड मे जलकर भस्म होना पड़ा । इसी तरह से राजा ‌‌‌हरिशचंद्र को श्मसान की रखवाली करनी पड़ी और भूनी हुई मछलियां तो भाग ही गई। इसके अलावा नल और दमयिंति को अपने पापों के लिए दर दर भटकना पड़ा । इस तरह से मन कर्म और वचन से किये गए पापों की सजा तो भुगतनी ही पड़ती है।

महाराष्ट्र का शिंगणापुर गांव का सिद्ध पीठ

शिंगणापुर गांव मे शनि का एक प्रसिद्ध पीठ है और यहां पर हर शनिवार पूजा होती है। इस गांव की एक खास बात यह है कि इस गांव के अंदर आजतक चोरी नहीं हुई है। लोग अपने घरों मे ताले नहीं लगाते हैं। और कोई किसी चीज को चुरा लेता है तो उसको तुरंत ही इसका परिणाम ‌‌‌भगुतना पड़ जाता है।

मध्यप्रदेश के ग्वालियर के पास शनिश्चरा मंदिर

इस मंदिर के बारे मे यह कहा जाता है कि यहां पर हनुमानजी ने एक पिंड फेंका था। यहां पर शनिदेव की पूजा होती है और शनिदेव पर तेल चढ़ाया जाता है। और जो जातक आते हैं वे अपने कपड़े और जूते को छोड़कर यही पर चलते जाते हैं। ऐसा करने के पीछे कारण यह है कि वे ‌‌‌कष्टों से मुक्त होने के लिए ऐसा करते हैं।

उत्तर प्रदेश के कोशी के पास कौकिला वन में सिद्ध शनि देव का मन्दिर

‌‌‌कुछ लोग इस बात की हंसी उड़ाने का काम करते हैं कि क्या पत्थर पानी पर तैर सकता है ? आज तक ऐसा कोई भी पुल वैज्ञानिक नहीं बना पाये कि पत्थर पानी मे तैर सके । लेकिन यदि आप इस मंदिर के अंदर आएंगे तो आपको बहुत कुछ देखने को मिलेगा ।रामकुन्ड के अंदर यदि आप जाएंगे तो वहां पर पत्थर पानी मे तैरते हुए मिल जाएंगे ।यह सिद्ध पीठ कोसी से छ: किलोमीटर दूर और नन्द गांव से सटा हुआ कोकिला वन है। भगवान श्रीकृष्ण ने कहा था कि जो इस वन की परिक्रमा करेगा वह मेरी कृपा से ही शनिदेव की कृपा को प्राप्त कर पायेगा ।‌‌‌और हर शनिवार को यहां पर मेला लगता है। मेले के अंदर अनेक लोग आते हैं और वन की परिक्रमा करते हैं।और शनिदेव की क्रपा को प्राप्त करते हैं।

शनि संबंधी वस्तुएँ

नीलम देवी, नीलम नीलिमा, नीलमणि, जामुनिया, नीला कटेला, आदि शनि के रत्न और उपरत्न हैं। अच्छा रत्न शनिवार को पुष्य नक्षत्र में धारण करना चाहिये । ऐसा करने से फायदा मिलता है। इसके अलावा आप किसी ज्योतिषी से भी परामर्श ले सकते हैं।

‌‌‌यदि शनि की पीड़ा हो तो क्या दान कर सकते हैं

दोस्तों यदि किसी को शनि की पीड़ा हो तो आप कुछ वस्तुओं का दान कर सकते हैं जैसे कि काले कपडे, जामुन के फ़ल, काले उड़द, काली गाय, गोमेध, काले जूते, तिल, भैंस, लोहा, तेल, नीलम, कुलथी, काले फ़ूल, कस्तूरी सोना और अपने वजन के बराबर काले कपड़े किसी ‌‌‌ पंडित को दान कर सकते हैं।ऐसा करने का फायदा यह होगा कि आपको कष्ट कम आएगा।

‌‌‌शनिदेव को प्रसन्न करने के उपाय

दोस्तों आपको पता होना चाहिए कि शनिदेव का अच्छा होना हर जातक के लिए काफी अधिक जरूरी हो जाता है इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । इसका सबसे बड़ा कारण यह होता है कि जिस किसी पर शनिदेव की वक्र द्रष्टि होती है वह काफी परेशानी झेलता है और आपको यह भी बतादे ‌‌‌ कि शनिदेव इंसान को राजा से रंक बना देता है। आप इस बात को समझ सकते हैं यहां पर हम आपको शनिदेव को प्रसन्न करने के कुछ उपायों के बारे मे बताने वाले हैं जिसकी मदद से आप शनिदेव को प्रसन्न कर सकते हैं तो आइए जानते हैं उन उपायों के बारे मे ।

  • जिस व्यक्ति की कुंडली में शनि सातवें अथवा ग्यारहवें भाव में हैं या फिर मकर, कुंभ या तुला आदि को छोड़कर यदि शनि किसी दूसरे भाव के अंदर है तो इस तरह के जातक को शनिदेव का व्रत करना काफी अधिक शुभ माना जाता है और जातक के पाप कम होते हैं इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
  • ‌‌‌यदि किसी इंसान के उपर शनि की साढ़ेसाति चल रही है तो उस इंसान को छाया का दान करना चाहिए । यह उसके लिए काफी अधिक फायदेमंद होता है इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए और आप इस बात को अच्छी तरह से समझ सकते हैं ।छाया दान के बारे मे आप गूगल पर सर्च कर सकते हैं।
  • शमी के वृक्ष को साक्षात शनि देव मानकर उसकी पूजा करनी चाहिए और उसको जल का अर्पण करना चाहिए । ऐसा माना जाता है कि ऐसा करने से काफी अधिक फायदेमंद होता है। और इंसान के कष्ट कम हो जाते हैं इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । और यही आपके लिए सही होगा ।

‌‌‌शनिदेव की पूजा करते समय ध्यान देने वाली बातें

दोस्तों यदि आप शनिदेव की पूजा करने जा रहे हैं तो आपको कुछ बातों का ध्यान देना चाहिए । आप इस बात को समझ सकते हैं। यदि आप इन बातों पर ध्यान नहीं देते हैं तो उसकी वजह से आपको नुकसान उठाना पड़ सकता है इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए और आप इस ‌‌‌ बात को समझ सकते हैं।

  • ‌‌‌यदि आप शनिदेव की पूजा कर रहे हैं तो आपको काले और नीले रंग के कपड़ों को पहनना चाहिए । यह सबसे अधिक सही होता है किसी दूसरे रंग के कपड़ों को पहनना अशुभ होता है आपको इसके बारे मे पता होना चाहिए ।
  • ‌‌‌इसके अलावा यदि आप शनिदेव की मूर्ति के सामने आपको दीपक जलाकर नहीं रखना चाहिए । यह सही नहीं होगा । इसके अलावा यदि आप पीपल के पेड़ के नीचे शनिदेव के नाम का दीपक जलाते हैं तो इससे काफी फायदा होता है।
  • ‌‌‌इसके अलावा आमतौर पर हम पूजा के लिए तांबे का बर्तन का प्रयोग करते हैं लेकिन शनिदेव की पूजा के मामले मे यह सही नहीं है। इसका कारण यह है कि सूर्य के प्रति उनका शत्रुता का भाव होता है। इसकी वजह से आपको शनिदेव की पूजा करते समय लौहे के बर्तन का इस्तेमाल करें तो यह आपके लिए और अधिक फायदेमंद होगा।
  • हलवा, मिठाई, खीर आदि का भोग हम अन्य देवताओं को लगाते हैं। लेकिन शनिदेव के लिए यह सब नहीं है। आपको इसके बारे मे पता होना चाहिए और आप इस बात को अच्छी तरह से समझ सकते हैं। आपको शनिदेव को काले तिल और खिचड़ी का ही भोग लगाना चाहिए । तभी आपके लिए काफी फायदेमंद होगा ।
  • ‌‌‌आपको बतादें कि आपको कभी भी शनिदेव की आंखों के अंदर नहीं देखना चाहिए । यदि आप ऐसा करते हैं तो आपको नुकसान हो सकता है। आपको चाहिए कि आप शनिदेव की पूजा करते समय पलकों को झुका कर करें तो अधिक फायदा होगा ।‌‌‌शनिदेव की सीधी द्रष्टि अच्छी नहीं मानी जाती है।

‌‌‌शनि देव के मत्र

ॐ शन्नोदेवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये शन्योरभिस्त्रवन्तु न:।

ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम:

मंत्र- ॐ ऐं ह्लीं श्रीशनैश्चराय नम:।

कोणस्थ पिंगलो बभ्रु: कृष्णो रौद्रोन्तको यम:।

सौरि: शनैश्चरो मंद: पिप्पलादेन संस्तुत:।।

‌‌‌यदि आपको भी शनि से काफी परेशानी हो रही है तो आप इन मंत्रों को रोजाना जाप कर सकते हैं।इसके लिए आपको करना यह होगा कि आप किसी अच्छे ज्योतिषी के पास जाएं और सलाह लें। वह आपको यह बताएंगे कि आप किस तरह से मंत्र का जाप कर सकते हैं।

‌‌‌शनिदेव की आरती

जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी ।

सूरज के पुत्र प्रभु छाया महतारी ॥

 जय जय श्री शनिदेव….

श्याम अंक वक्र दृष्ट चतुर्भुजा धारी ।

नीलाम्बर धार नाथ गज की असवारी ॥

 जय जय श्री शनिदेव…………….

क्रीट मुकुट शीश रजित दिपत है लिलारी ।

मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी ॥

 जय जय श्री शनिदेव…………………..

मोदक मिष्ठान पान चढ़त हैं सुपारी ।

लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी ॥

 जय जय श्री शनिदेव……………….

देव दनुज ऋषि मुनि सुमरिन नर नारी ।

विश्वनाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी ॥

 जय जय श्री शनिदेव…………………

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This post was last modified on December 15, 2022

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