क्या आपको पता है मन कितने प्रकार के होते है ?बहुत से लोग आज भी मन और दिमाग को एक ही समझ रहे हैं। जबकि वैज्ञानिक यह रिसर्च करके साबित कर चुके हैं कि मन और दिमाग एक ही चीज नहीं हैं।बहुत सी ऐसी चीजे हैं जो मन और दिमाग को पूरी तरह से अलग कर देती हैं। इसी तरह से एक बार जब एक व्यक्ति मर गया और डॉक्टरों ने उसे मरा हुआ घोषित कर दिया लेकिन मरने के 20 मिनट बाद ही उसकी प्राण ताकत वापस आ गई और उसने वो बताया जो यह बात साबित करने के लिए काफी है कि मन और दिमाग अलग अलग होते हैं।
उस व्यक्ति ने यह कहा कि उसने देखा कि उसका शरीर मर चुका है लेकिन उसके बाद भी वह हवा के अंदर तैर रहा है।सबसे बड़ी बात तो यह थी कि उसे कोई दुख नहीं हुआ कि वो मर गया है। वरन अब वह पहले की तुलना मे काफी अच्छा महसूस कर रहा था और बहुत हलका हो गया । वह अब भी पहले की तरह अपने रोते हुए परिवार वालों को पहचान सकता था ,जो उसके मरे हुए शरीर के पास खड़े थे ।
यह सिर्फ एक ही घटना नहीं है।इसके अलावा भी बहुत सारी घटनाएं हैं जो यह साबित करती हैं कि शरीर के मरने के बाद भी उस आत्मा के साथ मन होता है। यदि मन ही दिमाग होता तो उसको शरीर के साथ ही खत्म हो जाना चाहिए था लेकिन असल मे ऐसा नहीं होता है।
और मन के अंदर जैसे विचार होते हैं उसी के अनुसार आत्मा की गति होती है। मनोवैज्ञानिक आज इस बात को भी मान चुके हैं।
यदि हम मन की परिभाषा दें तो सीधी और सरल परिभाषा तो यह होगी कि यह सूचनाओं का संग्रह ही है।और इसका विभाजन इसके अंदर मौजूद सूचनाओं की क्रियाशीलता के आधार पर ही किया जाता है।
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मन कितने प्रकार के होते है ? चेतन मन (Conscious Mind)
चेतन मन को समझना बहुत ही आसान होता है। चेतन मन वर्तमान सूचना है जिसका आप उपयोग कर रहे हैं।यह अभी का नाम है। आप अभी जो कुछ भी कर रहे हो वह चेतन मन के द्वारा होता है। और आपके शरीर को कोई भी आदेश चेतन मन के द्वारा ही मिलता है। आपके मन मे विचार आता है चलो आप चलने लगते हो आपके मन मे विचार आता है बैठो , आप बैठ जाते हो । मतलब की चेतन मन उस सूचना को अपने पास रखता है। जिस पर आप अभी काम कर रहे हो ।
तो चेतन मन का मतलब है अभी आप जो कुछ कर रहे हो वही । आपने 3 मिनट पहले किया वो चेतन मन के अंदर नहीं आता है।इसी लिए कहा कि चेतन मन वर्तमान काल की तरह होता है। उसमे आप वर्तमान मे कुछ करते हो । चेतन मन के अंदर वे सभी विचार , भावनाएं , कल्पनाएं और सब कुछ आता है जो आप अभी कर रहे हो ।
चेतन मन पानी के उपर तेरता हुआ टुकड़ा होता है। मतलब यह आपके मन की सबसे उपर परत होती है। और यही परत हम काम मे लेते हैं सबसे अधिक ।
एक चेतन मन को बेहतर तरीके से समझने के लिए एक कहानी के बारे मे जानते हैं। प्राचीन काल के अंदर एक ऐसा व्यक्ति था जिसका सिर्फ चेतन मन काम करता था।वह सदैव वर्तमान के अंदर जी सकता था। वह कुछ भी याद नहीं कर सकता था। उसे हर बार चीजों को बताना पड़ता था। क्योंकि उसके दिमाग के अंदर गहरे विकार थे । फिर उसके माता पिता परेशान होकर उसे एक योगी के पास लेकर गए । योगी ने उसे पूछ तुम्हारा नाम क्या है ? वह पहले ही भूल चुका था। उसके बाद योगी ने उसके चेहरे को छुआ और पूछा तुम्हारा नाम क्या है ?
उसके बाद उस व्यक्ति ने फटाक से अपना नाम बतादिया । योगी ने कहा कि आप इस व्यक्ति को मेरे पास कुछ दिन रहने दें । इसके मन की परते काम नहीं कर रही हैं। यह सिर्फ वर्तमान की सूचना को याद रखता है। और कुछ समय बाद उसे भी भूल जाता है। इसके अवचेतन मन से वह सूचना वापस नहीं आ पाती है।
तो चेतन मन वह है जो केवल कुछ मात्रा मे ही सूचना को स्टोर कर सकता है। यह कम्प्यूटर के केज मैमोरी की तरह होती है। जब यह नई सूचना पर काम करता है तो पूरानी सूचना को भूला देता है या मन के दूसरी परत के अंदर भेज देता है। क्योंकि इसके पास स्पेस नहीं है।
अवचेतन मन (Subconscious Mind)
अवचेतन मन के अंदर वे सभी सुचनाएं संग्रहित होती हैं जिनको हम आसानी से याद कर सकते हैं।आपने सुबह क्या पढ़ा था , किससे बात की थी ,आपकी पत्नी का नाम क्या है ? आपके गांव का नाम क्या है ? आपके देश का नाम ? इसी तरह की तमाम सूचनाओं को आपका अवचेतन मन स्टोर करता है।
सीधी भाषा के अंदर कहें तो अवचेतन मन के अंदर वे सूचनाएं होती हैं जिनको आप कभी भी याद कर सकते हैं। या उनके चेतन मन के अंदर ला सकते हैं। जो सूचनाएं चेतन मन के अंदर आप नहीं ला सकते हैं वे चेतन मन का हिस्सा नहीं होती हैं।
अवचेतन मन के अंदर बहुत सारे डेटा का संग्रहण होता है ।इसी डेटा की मदद से आप अपने जीवन के सारे महत्वपूर्ण काम कर पाते हैं। अवचेतन मन और चेतन मन एक दूसरे के लिए कड़ी का काम करते हैं। बिना चेतन मन के अवचेतन मन किसी काम का नहीं है। और बिना अवचेतन मन के चेतन मन किसी काम का नहीं है।
चेतन मन की मदद से आप सूचनाओं के अंदर सुधार करने मे सक्षम होते हैं लेकिन अवचेतन मन के अंदर आप सूचनाओं मे सुधार करने मे सक्षम नहीं होते हैं या शायद यह कम ही संभव है।
यदि आपके पास कम्प्यूटर है तो उसके अंदर हार्डडिस्क भी आप रखते हैं।वह हार्डडिस्क आपके अवचेतन मन के ही समान होती है। उसके अंदर जो कुछ भी स्टोर होता है आप उसको आसानी से देख सकते हैं। और समझ भी सकते हैं।
यदि एक इंसान के पास यह दो मन हैं तो कम चल जाता है। क्योंकि बहुत से लोग मन की दूसरी परतों को छूनें मे सक्षम नहीं होते हैं।
हालांकि अचेतन मन के अंदर आप जो सूचना स्टोर करते हैं उसके अंदर आप आसानी से बदलाव कर सकते हैं। सीखने की प्रक्रिया के अंदर आपका अवचेतन मन बहुत अधिक उपयोगी होता है। इसके अंदर भी कुछ सूचनाएं डिलिट हो जाती हैं। और दूसरी अचेतन मन के अंदर भेज जाती हैं।
मन के प्रकार अचेतन मन (Unconscious Mind)
अचेतन मन का विचार तो फ्रायड ने नहीं दिया था लेकिन इसको लोकप्रिय बनाने का काम उसने किया ।फ्रायड (1900, 1905) मे फ्रायड ने एक मॉडल दिया था जिसके अंदर उसने मन के 3 स्तरों के बारे मे जिक्र किया था। अचेतन मन के अंदर ऐसी भावनाएं और विचार मौजूद हैं जिनको आसानी से चेतन मन के अंदर नहीं लाया जा सकता है।
मतलब कुछ विचार और भावनाएं दब जाती हैं।और हम उनको आसानी से याद नहीं कर पाते हैं। या उस स्म्रति को ट्रिगर नहीं कर पाते हैं क्योंकि उसके लिए सही शब्द नहीं मिलते या फिर यह आसान नहीं होता है।
कई बार आपके साथ भी ऐसा हुआ होगा कि हम कुछ ऐसे लोगों से मिलते हैं जिनके बारे मे हमे पता होता है कि हम उनको जानते हैं लेकिन उनके नाम और अन्य जानकारी हमे याद नहीं रहती है। लेकिन असल मे ऐसा नहीं होता है कि वह हमारे मन से निकल गई है। जब वेही अपना परिचय देते हैं तो सब कुछ हमे याद आ जाता है।
पिछले दिनों जब मैं अपने एक दोस्ती शादी के अंदर गया था तो वहां पर मेरे बहुत सारे सहपाठी आये हुए थे । उनका साथ छोड़े आज से 10 साल हो गई। मैं उनको शक्ल से जो जान गया लेकिन उनके बारे मे कुछ नहीं जान पाया । उसके बाद जब उन्होंने अपना परिचय करवाया तो सारी यादें ताजा हो गई। यह सारी यादें अवचेतन मन के अंदर ही स्टोर थी। और ऐसा आपके साथ भी हुआ होगा ।
अतिचेतन (Super Conscious Mind)
अतिचेतनता के बारे मे कुछ ज्यादा नहीं समझाया जा सकता है।क्योंकि इसका अनुभव केवल कुछ योगी लोग ही कर सकते हैं। मन की अतिचेतन अवस्था के तक पहुंचने के लिए ध्यान ,योग और तप जैसी क्रियाओं का सहारा लेना पड़ता है।
एक योगी जो अपनी आत्मा को उंचा उठाना चाहता है और स्व की भावनाओं से परे जाना जाता है। वही यहां तक पहुंच जाता है।मन की इस परत तक पहुंच जाने के बाद व्यक्ति के अंदर आश्चर्यजन क्षमताएं विकसित हो जाती हैं। यह मानव अस्तित्व का सार है जो हमें भौतिक दुनिया की सीमाओं और तर्क के जाल से परे जाने में सक्षम बनाता है।
मन के प्रकार सामूहिक चेतन मन (Collective Conscious Mind)
Collective Conscious Mind तक यदि हम पहुंच जाते हैं तो हम अपने पिछले जन्म के संस्कारों को आसानी से जान सकते हैं।माना जाता है कि यहां पर हमारे जन्म जन्मांतर के संस्कार छिपे होते हैं। यदि किसी को अपना पिछला जन्म जानना होता है तो उसे इसतक पहुंचना होता है।
कुछ योगी लोग इस मन तक पहुंच नें की क्षमता रखते हैं और वे इस बात का पता लगा लेते हैं कि वे पिछले जन्म के अंदर क्या थे ?youtube पर एक संजीव मलिक सर का चैनल है वे इंसान को पास्ट लाइफ के अंदर लेकर जाते हैं।एक विशेष प्रक्रिया के द्वारा वे इंसान के मन के इस स्तर को स्पर्श करवाते हैं।
जब मैं एक विडियो देख रहा था तो उसने एक व्यक्ति सोया हुआ था और सबसे पहले उसे पूछा गया कि क्या आप अपने शरीर को देख सकते हैं। उस समय उस व्यक्ति की आंखें बंद थी । उसने कहां कि हां वह अपने शरीर को देख सकता है।
…. आप पिछले जन्म मे क्या थे ?
….. मैं पिछले जन्म मे एक पूजारी था और पूजा करता था।
……. आपकी मौत कैसें हुई थी ?
…….. मेरी मौत 70 साल मे हुई थी।
……… आपको कौन लेने आया था ?
…… एक कमल के फूल की तरह देवता थे ।
इसी तरह से उस व्यक्ति को पिछले 6 जन्मों तक ले जाया गया । हालांकि व्यक्ति जैसे जैसे एक जन्म पीछे जाता है। उसको बहुत अधिक कष्ट होता है। यह कोई एक ही घटना नहीं है। वरन ऐसी बहुत सी घटनाएं हो चुकी हैं।
जिनके अंदर पिछले जन्म के बारे मे पता चला है। बहुत से लोग ऐसे भी हैं जो पुर्न्जन्म के बारे मे नहीं मानते हैं। लेकिन असल मे मानने या ना मानने से कुछ नहीं होता है। सच हमेशा सच ही रहेगा । आज वैज्ञानिक 1000 पूर्न्जन्म के डेटा का विश्लेष्ण कर प्रमाणित कर चुके हैं कि ऐसा होता है। यह सब संस्कार हमारे इसी मन के अंदर सेव रहते हैं।
स्वाभाविक मन (Spontaneous Mind)
स्वाभाविक मन के बारे मे कोई ज्यादा जानकारी नहीं है।योग के अंदर इसको हृदय के नाम से जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस स्थिति तक एक योगी ही पहुंच सकता है। यहां तक पहुंचने से पहले एक योगी को काफी मेहनत करनी होती है। निष्काम कर्म और विवेक से ही इस मन का निर्माण होता है।
परम मन (Ultimate Mind)
यह मन की गहन परत होती है।इस परत तक केवल कुछ ही लोग पहुंच पाते हैं।यदि कोई मन की इस परत तक पहुंच जाता है तो वह अनलिमिटेड ताकतों का स्वामी हो जाता है। वह सब कुछ करने मे सक्षम हो जाता है। एक ही क्षण के अंदर हजारों किलोमिटर तक देख सकता है। अपनी आवाज को पहुंचा सकता है।
इतना ही नहीं किसी भी इंसान का भूत और भविष्य भी वह देख सकता है।लेकिन इस मन की परत को छूना आसान नहीं है।यहां तक पहुंचने के लिए आपको एक योग्य गुरू की आवश्यकता होगी ।
यह अवस्था परमज्ञान की आवस्था होती है। इसमे पहुंचने के बाद अज्ञान नहीं होता फिर तर्क वितर्क नहीं होता कोई संशय नहीं होता है। बस सदा आनन्द ही आनन्द होता है। यह परमानन्द की आवस्था होती है।
आपने भी सुना होगा कि योगी हजारों सालों तक ध्यान के अंदर मगन रहते हैं । उनको इस बात का एहसास ही नहीं होता है कि उनका शरीर कहां है और क्या कर रहा है। माना जाता है कि मन की यही परत आत्मा के लिए उपयोगी है। इस परत को छू लेने के बाद एक योगी को संसार के अंदर कभी वापस नहीं आना पड़ता है।
यह वह स्थिति होती है जहां पर सब बुराइयां नष्ट हो जाती हैं। कुछ भी नहीं होता है। हर चीज शांत होती है।बस आनन्द के शिवाय कुछ नहीं होता है। एक योगी को इस समय सभी भौतिक चीजों के अंदर कोई रूचि नहीं रह पाती है। सच तो यह है कि वह जो आनन्द का अनुभव करता है। वैसा आनन्द किसी भौतिक चीज कें अंदर है ही नहीं ।
मन का स्वरूप
दोस्तों मन के प्रकार के बारे मे हम आपको बता चुके हैं।आमतौर पर एक इंसान का मन मन के तीन स्तर का प्रयोग करता है।चेतन ,अवचेतन और अचेतन का प्रयोग करता है।लेकिन यदि कोई इंसान योगी होता है तो वह ध्यान करता है और चेतना के द्वारा अपने मन के दूसरे स्तरों को छूते चले जाता है। जैसे जैसे वह मन के दूसरे स्तरों की ओर जाता है।वैसे वैसे उस इंसान की क्षमता बढ़ जाती है।
हिंदु धर्म के अंदर मोक्ष की अवधारणा के बारे मे उल्लेख मिलता है।माना जाता है कि जो योगी मन के उच्चतम स्तर को छू लेता है। वह परमचेतना के संपर्क मे हो जाता है।और उसके बाद वह हमेशा हमेशा के लिए बह्रमलीन हो जाता है।
चित्र के अंदर दिखाई गई लंबी लाइन इंसान की क्षमता मे बढ़ोतरी को बता रही है। जो इंसान पूर्ण योगी हो जाता है। वह परम चेतना को छू लेता है और वह सम्पूर्ण ब्रहमांड से जुड़ जाता है।
दोस्तों इस प्रकार से लेख के अंदर हमने मन के प्रकारों के बारे मे जाना ।असल मे मन के उच्च स्तर को बहुत ही कम लोग छू पाते हैं। और वे इन तक जाने का प्रयास ही नहीं करते हैं। वे सिर्फ भौतिक चीजों के अंदर ही उलझे रहते हैं।
आत्मा और मन में होते हैं यह खास भेद आपको पता होना चाहिए ।
sir आप बहुत अच्छा लिखते हैं