मानव अधिकार का वर्गीकरण manav adhikar ke kitne prakar मानवाधिकार कितने प्रकार के होते हैं , मानवाधिकार के प्रकार ,मानवाधिकार किसी राजा या किसी शक्ति के द्धारा दी गई चीज नहीं है। असल मे यह मानव के अस्ति्व के अंदर ही समाहित हैं। मानवाधिकार कानून का मुख्य उदेश्य इन अधिकारों की रक्षा करना होता है। और इसके लिए कई तरह के कानूनों को बनाया जा सकता है।
मानव अधिकार के बारे अनेक परिभाषाएं दी गई। उनके अनुसार मानवाधिकार एक ऐसी व्यवस्था होती है जिसके बिना मानव अपने सम्पूर्ण व्यक्तित्व का विकास नहीं कर सकता है।
इसका अर्थ यह है कि मानवाअधिकार यदि आपको नहीं दिये जाएंगे तो फिर आप किसी भी तरीके से अपना विकास नहीं कर सकते हैं। खेलना कुदना और जीना यह सब चीजें मानवा अधिकार के अंदर आती हैं। इन के बिना व्यक्तिगत विकास संभव नहीं है।
मूल अधिकार हमे संविधान प्रदान करता है लेकिन मानवा अधिकार हमे जन्म से ही प्राप्त हो जाते हैं। यह भी मानवा अधिकार की एक परिभाषा है। यह अधिकार हमे संविधान नहीं देता है। वरन जन्म लेने के बाद ही हमे यह अधिकार मिल जाते हैं।
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी होता है। और वह इस समाज के अंदर रहकर अपने व्यतित्व का विकास तभी कर सकता है जब उसे कुछ अधिकार प्राप्त होते हैं। बिना अधिकारों के वह पशु के समान हो जाएगा ।
इन अधिकारों को सर्वोच अधिकार भी कहा जाता है क्योंकि राज्य इनके उपर अतिक्रमण नहीं कर सकता है। इसलिए इनको कभी कभी अंतराष्र्ट्रय अधिकार के नाम से भी जाना जाता है।
वर्तमान मे मानवाअधिकारों के लिए जो आंदोलन चल रहे हैं वह बहुत प्राचीन है। प्राचीन काल से ही शक्तिशाली राजाओं और व्यक्तियों ने जनता का शोषण किया और इसके परिणाम स्वरूप जनता ने सदा ही इसका विरोध किया है।
वैदिक काल 400 ई के अंदर से ही मानव अधिकारों का संरक्षण किया जाता रहा है। सर्व भवंतू सुखीना एक तरह से मानवा अधिकारों की ही बात करता है। और दूसरे विश्व युद्ध के अंदर मानवाअधिकारों का खुलेआम उल्ल्घंन हुआ जिससे कि विश्व शांति को काफी खतरा पहुंचा और उसके बाद अंतराष्र्ट्रय स्तर पर मानवाअधिकारों के संरक्षण की बातें होने लगी । और आज एक ऐसा सिस्टम हो चुका है कि एक अंतराष्र्ट्रय स्तर पर मानवाअधिकार संगठन है जो इसके उल्ल्घन पर आवाज उठाता रहता है । और द्धितिय विश्व युद्ध के बाद सन 1945 ई के अंदर संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना हुई जिसके अंदर मानवाअधिकार को भी रखा गया था।
मानवा अधिकार के संबंध मे पहली बार अमेरिका राष्ट्रपति रूजवेल्ट ने इसका जिक्र किया था। और उन्होंने चार मूल भूत स्वतंत्रता के बारे मे विचार किया था। जोकि इस प्रकार से थी।
- इसके अंदर बोलने की स्वतंत्रता
- भय से स्वतंत्रता
- और बोलने से स्वतंत्रता ।
- भय से स्वतंत्रता ।
मानवाधिकार (Human rights) के मुद्रदे को अक्सर कश्मीर के बारे मे उठाया जाता है कई मिडिया हाउस हमेशा इस बात की खबर बनाते रहते हैं कि कश्मीर के अंदर मानवा अधिकार का उल्लंघन हो रहा है। लेकिन असल बात मे वहां पर अभी भी लोगों को आजादी मिली हुई है। भारत का कश्मीर सबसे अधिक अस्थिर राज्य के अंदर आता है। लेकिन अक्सर वहां पर धारा 144 लगी ही रहती है। और आपको तो पता ही है कि जिस स्थान पर धारा 144 लग जाती है उस स्थान पर सारे मानवाअधिकार अपने आप ही समाप्त हो जाते हैं।
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मानवाधिकार के प्रकार जिंदगी जीने का अधिकार
दोस्तों हर इंसान को अपनी जिदंगी जीने का अधिकार होता है। यह अधिकार उसको जन्म से ही मिल जाता है। कोई भी इंसान उसको जिदंगी जीने से रोक नहीं सकता है। यदि कोई इंसान किसी की जदंगी को खत्म कर देता है तो उसे अपराधी माना जाता है। इस तरह से आपको अपनी जिदंगी जीने का अधिकार है। राज्य इसके अंदर दखल नहीं दे सकता है की आप क्या खाएंगे क्या पियेंगे और किस तरह से अपनी जिदंगी जीएंगें । बस आपके पास स्वतंत्रता होती है कि आपको अपने जीवन के अंदर क्या करना है और किस तरह से जीवन जीना है। बिना किसी वजह से कोई भी सरकार आपको जिदंगी जीने से रोक नहीं सकती है। मतलब यही है कि आपको जीवन की स्वतंत्रता है आप जैसे चाहें अपने जीवन को जी सकते हैं। इसके अंदर कोई भी राज्य धखल नहीं दे सकता है। आपकी अपनी जिदंगी है आप जी सकते हैं।
manav adhikar ke prakar निजी सुरक्षा का अधिकार
दोस्तों आपको निजी सुरक्षा का भी अधिकार है। जैसे कि कोई आपके साथ मारपीट करता है तो आप अपने बचाव मे उचित कदम उठा सकते हैं। यह आपकी सुरक्षा का अधिकार है। और राज्य भ आपको सुरक्षा प्रदान करने के लिए कानून बनाते हैं। आपको अपनी सुरक्षा का पूरा अधिकार होता है।
जैसे कि कोई आपके उपर हमला कर देता है तो आपको चाहिए कि आप अपने बचाव के अंदर कदम उठाएं । यह आपकी सुरक्षा का अधिकार है। वैसे देखा जाए तो यह भी एक तरह से नैचुरल होता है। जब आप जंगल मे यह देखते हैं कि जंगली जानवरों पर शेर आदि हमला करते हैं तो वे अपने बचाव के अंदर जरूरी कदम उठाते हैं। उसी तरीके से आपको भी अपनी जीवन की सुरक्षा का अधिकार होता है।कोई भी राज्य आपको बिना वजह के मार नहीं सकता है।
सक्षम न्यायाधिकरण द्वारा बचाव का अधिकार
दोस्तो कई बार क्या होता है कि हम किसी वजह से कोर्ट के अंदर फंस जाते हैं हमारे उपर कैस चल रहा होता है। ऐसी स्थिति मे आपको यह पूरा अधिकार रहता है कि आप किसी भी वकील को नियुक्त कर सकते हैं और अपने बचाव के अंदर जरूरी कदम उठा सकते हैं। हालांकि यह एक लूज पॉइंट है। क्योंकि महंगे वकील खरीदने की वजह से पैसे वाले बच जाते हैं और गरीब बिना वजह ही फंसे रहते हैं। लेकिन यह आपके लिए अधिकार है कि आप अपने बचाव के लिए किसी भी तरह के सक्षम वकील को कर सकते हैं और केस लड़ सकते हैं। और संभव है कि आप उस मुकदमे से आजाद भी हो जाएं ।
भारत के अंदर इसी तरह के अधिकार के चलते अपराधी महंगे वकीलों को करते हैं और उसके बाद केस लड़कर छूट जाते हैं।या गवाहों को बदल दिया जाता है। इसका सीधा मतलब यही है कि आप अपने बचाव के लिए किसी भी तरह के वकील को चुन सकते हैं और बच सकते हैं।
कानून के सामने व्यक्ति के रूप में मान्यता के अधिकार
दोस्तों आप एक इंसान हैं यह मान्यता आपको जन्म के साथ ही मिल जाती है। और कोई भी कानून की किताब आपको यह नहीं कह सकती है कि आप एक व्यक्ति नहीं है। आपको एक व्यक्त के रूप मे मान्यता मिली हुई है। यदि कोई आपको व्यक्ति या इंसान ही नहीं कहेगा तो आपको कोई भी अधिकार नहीं मिलेगा । लेकिन जन्म के साथ ही आपको यह अधिकार मिल जाता है कि आप एक व्यक्ति हैं। और आपको वो सारे अधिकार मिलेंगे क्योंकि इंसान की पात्रता आप पूर्ण कर चुके हैं। तो आप समझ सकते हैं कि इसका मतलब क्या होता है।
manav adhikar ke prakar भेदभाव की स्वतंत्रता का अधिकार
दोस्तों भेदभाव एक व्यापक शब्द होता है।इसका मतलब यह है कि एक इंसान दूसरे इंसान मे भेदभाव नहीं करेगा और राज्य भी इंसानों के बीच भेदभाव नहीं करेगा । भेदभाव का मतलब यह हो सकता है जैसे कि रंग जाति और धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं होगा ।नागरिक जाति, लिंग, धार्मिक विश्वास या जन्म स्थान आदि के आधार पर कोई भेदभाव नहीं हो सकता है।
हालांकि भारत के अंदर अभी भी भेदभाव का सिस्टम मौजूद है। भेदभाव कई तरीके से हो सकता है। जैसे कि कोई आपकी जाति के आधार पर भेदभाव कर सकता है। भारत मे अक्सर दो तरह की जातियां होती हैं। एक जाति को छोटी जाति के नाम से जाना जाता है तो दूसरे को बड़ी जाति के नाम से जाना जाता है जो छोटी जाति वाले होते हैं। वे आमतौर पर बड़ी जाति वालों के साथ नहीं बैठ सकते हैं और बड़ी जाति वालों के बर्तन आदि को नहीं छू सकते हैं।
भले ही इस तरह का भेदभाव बड़े स्तर पर नहीं होता है लेकिन अभि भी यह मौजूद है। लगभग 10 साल पहले की बात है। एक बार मेरा दोस्त स्कूल से पैदल आया था तो वह नीचली जाति का होने की वजह से उसे पता नहीं था तो उसने दूसरे उंचि जाती वाले लोगों के मटके को छू लिया जिसकी वजह से उसे बहुत अधिक गुस्से का सामना करना पड़ा । लेकिन उसके बाद उसने इस तरह के घरों के अंदर जाना ही छोड़ दिया ।
दासता से स्वतंत्रता
दोस्तों दासता एक बहुत ही बुरी चीज होती है। जिसको गुलाम कहा जाता है। असल मे प्राचीन काल से चली आ रही एक प्रथा थी जिसके अंदर कि युद्ध के अंदर कई लोगों को पकड़ लिया जाता था और उसके बाद राजा लोग उनको अपना गुलाम बनाकर रखते थे । यह गुलाम युद्ध करने के भी काम मे आते थे और भी कई सारा काम फ्री के अंदर कर देते थे । बस इनको खाने की ही आवश्यकता होती थी। लेकिन अब इसके उपर कानून बन चुका है। 2 दिसंबर को दासता दिवस के रूप मे मनाया जाता है।
अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन ने दासता को समाप्त करने के लिए नए कानून बनाएं थे । लेकिन आपको यह पता होना चाहिए कि आज भी 1000 इंसानों मे से 5 दासता के शिकार हैं। यह बात अलग है कि उनको भय या हिंसा की मदद से काम करवाया जाता है और उनका शोषण किया जाता है। दासता मानव तस्करी और दूसरी चीजों को आज भी अंजाम दिया जाता है।भले ही इसके उपर कानून बन गया हो लेकिन दूर जाने की जरूरत नहीं है। भारत के अंदर आज भी कई लोग बंधुआ मजदूर की तरह काम करते हैं तो आप समझ सकते हैं कि क्या स्थिति है।
और और खास कर पैसे वाले लोग क्या करते हैं कि किसानों को और दूसरे गरीब लोगों को कर्ज देते हैं और जब वह कर्ज नहीं चुका पाता है तो उसके बाद उसको बंधुआ मजदूर बना दिया जाता है। उसी के अंदर वह काम करता रहता है।
मनमानी गिरफ्तारी और निर्वासन से स्वतंत्रता
दोस्तों वैसे तो भारत की पुलिस कुछ भी कर सकती है। तो यह अधिकार वैसे तो किताबी हो चुके हैं लेकिन अधिकार यह कहते हैं कि किसी भी नागरिक को मनमाने तरीके से हिरासत मे नहीं लिया जा सकता है। उससे पूछताछ की जा सकती है लेकिन बिना वजह उसको जेल मे बंद नहीं किया जा सकता है।यदि कोई आपको बिना वजह पकड़ता है और जेल मे डाल देता है तो आप उस पुलिस के खिलाफ कोर्ट जा सकते हैं कोर्ट आपके अधिकारों की रक्षा करेगा ।
दूसरा यह है कि आपने कितना भी बड़ा अपराध क्यों ना कर दिया हो । आपको दूसरी सजा दी जा सकती है लेकिन देश से नहीं निकाला जा सकता है। इस देश के अंदर यदि आप पैदा हुए हैं तो यह आपका अधिकार है कि आप यहां पर रह सकते हैं लेकिन असल मे ऐसा नहीं होता है। अधिकारों का उल्लघंन कई तरीके से होते है। जब किसी विशेष व्यक्ति को देश से भगाना होता है तो उसके उपर इतनी धाराओं मे केस दर्ज हो जाते हैं कि उसे देश को छोड़कर भागना ही पड़ता है।इसके अलावा उसके पास कोई भी चारा नहीं होता है। ऐसा कई बार हुआ है। लेकिन कोर्ट या सरकार किसी को देश छोड़ने का आदेश नहीं दे सकती है।
अपराध सिद्ध न होने तक निर्दोष माने जाने का अधिकार
दोस्तों माना कोई आपने अपराध कर दिया लेकिन वह अभी तक आपके उपर सिद्ध नहीं हुआ तो इसका अर्थ यह है कि आप निर्दोष माने जाएंगे ।कोर्ट आपको तब तक अपराधी नहीं मानेगा जब तक कि अपराध सिद्ध नहीं होता है।और आप तो जानते ही है कि भारत के अंदर अपराध को सिद्ध करना कितना कठिन होता है। भारत मे गवाह चाहिए होते हैं और गवाह के बारे मे आप अच्छी तरह से जानते ही है कि यह बदलने वाले होते हैं।
और यदि किसी पैसे वाले ने अपराध कर दिया हो तो उसके छूटने के चांस बहुत अधिक रहते हैं।क्योंकि उसके पास सारी शक्तियां मौजूद होती हैं वह किसी भी गवाह को खरीद सकता है। और गवाह को पलटने के लिए विवश कर सकता है।ता यदि आपके उपर कोई अपराध सिद्ध नहीं हुआ है तो उसके बाद आपको निर्दोष ही माना जाएगा ।
आंदोलन की स्वतंत्रता
दोस्तों आपको आंदोलन की स्वतंत्रता का अधिकार भी होता है। यदि आप शांतिपूर्ण तरीके से पदर्शन करते हैं तो इसके लिए पुलिस भी आपको रोक नहीं सकती है। लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि आप सरकारी कार्यों के अंदर बाधा पहुंचाए । यदि आप शांति से किसी स्थान पर अपनी मांगों के लिए आंदोलन करते हैं तो उसके बाद पुलिस भी आपको ऐसा करने से नहीं रोक सकती है। लेकिन यदि आप आंदोलन के दौरान सरकारी संपति को नष्ट करने की कोशिश करते हैं तो फिर सावधान रहने की जरूरत है उसदसा मे पुलिस आपके उपर कार्यवाही कर सकती है।
अक्सर आपने देखा होगा कि पुलिस कई बार लठ बरसाती है। इसका कारण यह होता है कि भीड़ काफी उग्र हो जाती है। लाल कीले पर किसानों के पर्र्दशन के दौरान पुलिस काफी शांत ही दिखी थी। लेकिन बहुत बार पुलिस भीड़ को काबू मे करने के लिए लठ का सहारा लेती है।
यदि आप मानवाधिकार के चक्कर मे आंदोलन करने के लिए जा रहे हैं तो आपको सही तरीके से जाना चाहिए वरना हो सकता है कि पुलिस के गुस्से का आपको भी शिकार होना पड़े । और इन आंदोलनों के अंदर कई बार कई लोग मारे भी जाते हैं तो सावधानी की जरूरत है।
गोपनीयता परिवार आदि के अंदर हस्तक्षेप की स्वतंत्रता
दोस्तों हर इंसान को यह अधिकार प्राप्त होता है कि वह अपने घर की जानकारी और कई सारी चीजों को गोपनिय रख सकता है। जैसे कि आपके घर के अंदर क्या होता है ? इस बारे मे आप किसी दूसरे से शेयर करे या ना करें कोर्ट आपको इस मामले मे विवश नहीं कर सकता है। यह आपकी गोपिनिय चीजें हैं जिनको आप गोपनिय ही रख सकते हैं। और वैसे भी घरेलू मामलों के अंदर गोपनियता बहुत ही जरूरी होती है। जैसे कि कोई बड़े स्टार हैं और वो अपने घर मे झगड़ते हैं और यह बात किसी दूसरे को पता चल जाए या उन दोनों के फैन को पता चल जाएगा तो फैन को बुरा लग सकता है और उनकी पोपुलरटी मे कमी आ जाएगी । कहा जाता है कि पर्दे के पीछे काफी कुछ होता है लेकिन सामने नहीं आ पाता है और जो सामने आ जाता है वह काफी घिनोंना होता है।
इसलिए गोपनियता सबके लिए काफी जरूरी हो जाती है। कई लोग तो ऐसे होते हैं जो दोहरे चरित्र के होते हैं दिन मे वे कड़क आदमी दिखाई देते हैं और रात मे विलन बन जाते हैं। इस तरह के लोगों का चरित्र यदि सबके सामने आ गया तो क्या होगा । यह दुनिया को आग लगा देंगे ।
अन्य देशों में शरण का अधिकार
दोस्तों वैसे तो इसको मानवाअधिकार कहा जाता है लेकिन असल मे इसका पालन नहीं होता है। और कुछ जगहों पर इसका पालन भी हुआ लेकिन उन देस के लिए सही नहीं हुआ है। इसका अर्थ यह है कि यदि यदि किसी वजह से आपके देश के अंदर संकट आ जाता है तो आपको यह अधिकार है कि आप किसी दूसरे देश के अंदर शरण ले सकते हैं। ऐसा करने का यह मतलब नहीं है कि आप वहां परमानेंट ही रहने लग जाएं जब तक आपके देश के अंदर स्थितियां सही नहीं होती हैं आपको तब तक वहां पर रहना चाहिए । उसके बाद भी यदि आप आना नहीं चाहते हैं तो आपको विवश किया जा सकता है वहां की सरकार के द्धारा ।
आपको अन्य देशों मे शरण मिल सकती है लेकिन आपको वहां का नागरिक नहीं बनाया जा सकता है। वैसे जब इस्लामिक देश आपस मे लड़ रहे थे तो उनमे रहने वाले कई मुस्लिम दूसरे देशों के अंदर गए थे । भारत मे भी लाखों शरणार्थी आकर रहने लग रहे हैं।
वैसे देखा जाए तो किसी भी देश के लिए दूसरे देश के नागरिक को अपने देश मे घुसोना काफी समस्या से भरा हो सकता है। कारण यह है कि यह लोग बाद मे देश मे दंगा फसदा कर सकते हैं।
अवकाश और विश्राम का अधिकार
दोस्तों आपको अवकाश और विश्राम करने का अधिकार है। मतलब यह है कि आप किसी जगह पर काम करते हैं और आप चाहते हैं कि आपको अवकाश करना है तो आप आसानी से अवकाश कर सकते हैं। आपकी मर्जी ही चलेगी । दूसरा आपको अवकाश करने से नहीं रोक सकता है। वह आपके उपर दबाव डाल सकता है लेकिन आपको रोकने का अधिकार उनके पास नहीं है। इसी तरीके से विश्राम करने का अधिकार आपके पास है। इसका मतलब यह है कि आप यदि विश्राम करना चाहते हैं तो कोई भी आपको विश्राम करने से रोक नहीं सकता है। आप अपनी मर्जी से विश्राम कर सकते हैं। कानून भी आपको ऐसा करने से रोक नहीं सकता है यह आपका अधिकार है।
विश्राम करने का अधिकार तो आपको नेचर से मिला हुआ है । सब पशु पक्षियों के पास अधिकार है लेकिन मनुष्य जानवरों को परेशान करता है।
वांछनीय कार्य करने का अधिकार
दोस्तों यहां पर वांछनीय कार्य का मतलब यह है कि मनुष्य को किसी भी शेयर मार्केट और दूसरे लिगल संगठनों मे शामिल होने का अधिकार है। वह जिस संगठन से जुड़ना चाहता है । उससे जुड़ सकता है। उसके उपर किसी भी तरह की पाबंदी नहीं है। हालांकि प्रतिबंधित संगठन जो होते हैं उनसे जुड़ने का अधिकार समाप्त कर दिया जाता है।
भारत के अंदर भी अनेक प्रतिबंधित संगठन मौजूद हैं। यदि आप इन संगठनों से जुड़ते हैं तो आपको समस्याएं हो सकती हैं। जैसे कि आपको जेल जाना पड़ सकता है। भारत मे प्रतिबंधित संगठन अधिकतर देशविरोधी हरकते करने का काम करते हैं। और इन संगठनों को पैसा देश विरोधी ताकते देती हैं। उसके बाद यह उस पैसे का इस्तेमाल भारत के अंदर करते हैं ताकि भारत मे किसी भी तरीके से अस्थिरता फैल जाए तो आप समझ सकते हैं । हां यदि आप किसी भी लिगल संगठन से जुड़ना चाहते हैं। और किसी भी शैयर मार्केट के अंदर पैसा लगाना चाहते हैं तो आपके लिए दरवाजे खुले हैं।
सामाजिक सुरक्षा का अधिकार
दोस्तों सामाजिक सुरक्षा का भी अधिकार मानवाधिकार के अंदर आता है। सामाजिक सुरक्षा का मतलब होता है अपने परिवार और समाज की सुरक्षा करना । सुरक्षा शब्द का अर्थ है उनको नुकसान पहुंचाने वाले तत्वों से मुकाबला करना । दोस्तों आप अपनी सामजिक सुरक्षा कर सकते हैं। वैसे देखा जाए तो सामाजिक सुरक्षा के अंदर केवल शारीरिक सुरक्षा ही नहीं आती है वरन इसमे बहुत सारी चीजें आती हैं।
2.अनिवार्य सामाजिक बीमा,
3. ऐच्छिक सामाजिक बीमा के कुछ प्रारूप,
4. पारिवारिक भत्ता,
5. सामाजिक सहायता,
6. जन-स्वास्थ्य सेवाएं।
जैसे कि आप अपने परिवार के किसी सदस्य की बीमा करवाते हैं तो वह भी एक सामाजिक सुरक्षा का हिस्सा होता है। क्योंकि यह आपके परिवार की आर्थिक जरूरतों को पूरा करने के लिए होती है।
इसी तरीके से यदि किसी को आपकी मदद की आवश्यकता है तो आप उसकी मदद करते हैं तो यह भी एक तरह से सामाजिक सुरक्षा ही होती है।
सामाजिक सुरक्षा एक बहुत ही उपयोगी तत्व होता है जोकि आपके लिए काफी फायदेमंद होता है। यदि आप आपनी सामाजिक सुरक्षा करते हैं तो आपको पछताना नहीं पड़ेगा वरन समय आने पर आप सब समस्यओं का आसानी से मुकाबला कर पाएंगे ।
समुदाय के सांस्कृतिक प्रोग्रामों मे भाग लेने का अधिकार
दोस्तों यह भी आपको अधिकार प्राप्त है कि आप अपने समुदाय के सांस्कृतिक प्रोग्राम मे भाग ले सकते हैं।और उस इवेंट का काफी आनन्द उठा सकते हैं। इसके लिए आपको रोका नहीं जा सकता है। अपने समुदाय के किसी भी कार्यक्रम मे आप जा सकते हैं और अपनी संस्कृति को जीवंत बनाए रखने के लिए यह जरूरी हो चुका है। आजकल वैसे भी आप यह देख रहे हैं कि लोग अपनी जीवन शैली को छोड़ते जा रहे हैं और विदेशी जीवन शैली को तेजी से अपनाते जा रहे हैं।
यदि ऐसे ही चलता रहा तो आने वाले दिनों मे भारत की संस्कृति पूरी तरह से समाप्त हो जाएगी और यहां पर विदेशी संस्कृति का नया प्रयोग आ जाएगा ।
इसलिए वैसे भी हर इंसान का कर्त्तव्य बनता है कि वह अपनी संस्कृति को बनाए रखने का प्रयास करें। ऐसा करने का फायदा यह होगा कि वह अपनी संस्कृति को जीवित रख पाएगा और जोकि काफी फायदेमंद होगा ।
समय के साथ लोगों के तौर तरीके बदल रहे हैं। और इसका कारण यह है कि हम सब अधिक पैसे वाले लोगों को अनुकरण कर रहे हैं। जिसकी वजह से कई लोग तो अपनी सभ्यता और संस्कृति से नफरत करने लगें हैं। दोस्तों एक देश तभी तक देश बचा रह सकता है जब तक कि वह अपनी संस्कृति पर टिका हो संस्कृति और सभ्यताएं जब नहीं बचेगी तो भारत भी एक दिन सिरिया ही बन सकता है। इसमे कोई शक नहीं है। क्योंकि जब अपनी संस्कृति को छोड़कर दूसरों की संस्कृति को हम अपनाते हैं तो अचानक से हम भूल जाते हैं कि हम कौन हैं और दूसरों को ही काफी पसंद करने लग जाते हैं। जिसका परिणाम यह होता है कि हमे अपनी मात्रभूमी से प्रेम नहीं होता है।
जीने का अधिकार
दोस्तों आपको अपना जीवन जीने का अधिकार है। सही तरीके से आप अपने जीवन को जी सकते हैं। कोई भी इंसान आपके जीवन जीने को समाप्त नहीं कर सकता है। और यदि आपके उपर कोई जीने के तरीके बदलने की जोर जबरदस्ती करता है तो यह अपराध के अंदर आता है।
आप अपने जीवन को किस तरीके से जीना चाहते हैं? यह पूरी तरह से आपके उपर निर्भर करता है। आप एक अच्छे इंसान की तरह जीना चाहते हैं तो जी सकते हैं और एक बुरे इंसान की तरह जीना चाहते हैं तो जी सकते हैं। कोई दूसरा इंसान आपके जीने के तरीके मे आपकी मर्जी के बिना फेरबदल नहीं कर सकता है।
यदि आप सही तरीके से जीवन को जीते हैं तो आपके लिए सब कुछ आसान हो जाएगा और आपकी सब जगह पर पूछ होगी लेकिन यदि आप गलत तरीके से जीवन जीते हैं तो फिर आपकी कोई पूछ नहीं होगी । गलत तरीके से जीवन जीने वाले हमेशा परेशान होते रहेंगे । और यदि गलत काम करोंगे तो हो सकता है कि एक दिन आपको पुलिस पकड़े और जेल मे डाल दे। आप देखते हैं कि बड़े बड़े गैंगेस्टर के पास काफी पैसा होता है लेकिन उनमे से अधिकतर पुलिस की गोली से मारे जाते हैं। इसका कारण यह होता है कि उनके जीवन जीने का तरीका गलत होता है तो उनको इसकी सजा को भी भुगतना पड़ता है।
इसलिए जीवन जीने के सही तरीके को चुने जोकि आपके लिए और आपके परिवार के लिए भी काफी फायदे मंद रहेगा । यदि आप गलत तरीके को चुनते हैं तो आपके साथ भी गलत ही होगा ।
विश्वास और धर्म की स्वतंत्रता
वैसे विश्वास और धर्म को सर्वाभौमिका मानवाधिकार कहा जाता है लेकिन ऐसा है नहीं । असल मे दुनिया के सभी देशों के अंदर विश्वास और धर्म की स्वतंत्रता नहीं है। कुछ ऐसे देश हैं जहां पर दूसरे धर्म के लोगों को प्रताड़ित किया जाता है। और इसके अंदर इस्लामिक देश भी आते हैं और चीन जैसा एक बड़ा देश भी इसके अंदर आता है। चीन के अंदर विगर मुस्लमान रहते हैं जिनके उपर अक्सर चीन सरकार जुल्म ढाती रहती है और चीन को रोकने वाला कोई भी मानवाधिकार संगठन नहीं है।
और दूसरे इस्लामिक देश भी इस मामले मे कुछ बोलना नहीं चाहते हैं क्योंकि उनके हित चीन के साथ जुड़े हुए हैं। इसी तरह से पाकिस्तान भी इसी तरीके का देश है जहां पर मंदिर तोड़ने की खबरे आती रहती हैं और वहां पर भी आपको दूसरे धर्म को मानने पर आजादी नहीं मिलती है । और यदि आप इस्लाम धर्म से नहीं हैं तो आम लोग आपको काफी परेशान कर सकते हैं और हिंदुधर्म की महिलाओं को या दूसरे किसी धर्म की महिलाओं को वहां से निकलना काफी कठिन है।
वैसे देखा जाए तो यह मानवाधिकार बस किताबों के अंदर ही रह गया है रियल मे यह कम ही दिखाई देता है। यदि बात करें भारत की तो भारत के अंदर अभी भी आपको किसी भी धर्म को मानने की स्वतंत्रता मिलती है। आप किसी भी धर्म को अपनी मर्जी से अपना सकते हैं और अपनी मर्जी से किसी भी धर्म को छो़ड़ सकते हैं।
वसीम रिजवी का नाम काफी चर्चा मे रहा । उन्होंने हिंदु धर्म को ग्रहण कर लिया था और उसके बाद इस्लाम के खिलाफ जहर उगला । इस तरह से भारत के अंदर धर्म परिवर्तन चलता रहता है। और धर्म को बदलने के लिए पैसे दिये जाते हैं । और पैसों के बल पर अधिक से अधिक लोग अपने धर्म मे जोड़े जाने का प्रयास किया जाता है।
असल मे धर्म एक विश्वास होता है। और वैसे देखा जाए तो विश्वास के उपर आप कानून नहीं बना सकते हैं। विश्वास अंदर की चीज होती है। लेकिन आजकल विश्वास को बदलने मे भी लोग लगे हुए । जैसे कि आपको इस्लाम पंसद है तो वह आपके अंदर की चीज है। और आपको बदला नहीं जा सकता है।लेकिन पैसे के लालच मे लोग कर रहे हैं।
चुनावों में भाग लेने का अधिकार
दोस्ता चुनाव के अंदर भाग लेने का अधिकार भी आपके पास है। भारत के अंदर कई तरह के चुनाव होते हैं। जैसे कि नगरपालिका का चुनाव । सरपंच के चुनाव पार्षद के चुनाव वार्ड पंच के चुनाव आदि होते हैं।नागरिको को चुनावों मे भाग लेने का अधिकार हैं। वे चुनावों के अंदर वोट डाल सकते हैं। अपने पसंद के प्रत्याक्षियों को चुन सकते हैं।
वैसे इस अधिकार का उल्ल्घंन होने की खबरे आती रहती हैं। कई बार ऐसा होता है कि कुछ ताकतवर लोग दूसरों को वोट नहीं डालने देते हैं। और चुनाव को प्रभावित करने का पूरा प्रयास किया जाता है लेकिन इस चीजों को रोकने वाला कोई नहीं होता है। मानलिजिए कि कोई आपको डराता है कि यदि आप उनके मतानुसार वोट नहीं डाले तो अंजाम भुगतने के लिए तैयार रहना और शरारती लोगों से हर कोई दूर रहना चाहता है। ऐसी स्थिति मे इस अधिकार का उल्ल्ंघन भी होता है लेकिन जानकारी मे नहीं आता है।
और वैसे भी जानकारी मे आ जाने के बाद भी कोर्ट इन मामले मे अक्सर मोन ही रहते हैं।
शांतिपूर्ण सभा और एसोसिएशन बनाने का अधिकार
दोस्तों आपको यह अधिकार है कि आप शांतिपूर्ण तरीके से किसी भी जगह पर कोई सभा बुला सकते हैं और वार्ता कर सकते हैं। पुलिस आपको तब तक कुछ नहीं कह सकते हैं जब तक कि आप किसी कानून का उल्ल्घंन नहीं करते हो ।
वैसे यदि आप शांतिपूर्ण किसी भी तरह की सभा बुलाते हो तो इससे पुलिस को कोई परेशानी नहीं है। अक्सर आपने देखा होगा कि अनेक जगह पर जब नेता लोग आते हैं तो सभा बुलाई जाती है जिसके अंदर आप भी जा सकते हैं।
लेकिन कई बार क्या होता है कि इस सभा के अंदर ही कुछ उपद्रव वाले लोग होते हैं जोकि उपद्रव कर देते हैं। ऐसी स्थिति मे आपको बचकर रहना होगा क्योंकि ऐसा होने की स्थति मे पुलिस लठ बरसाएगी और आपको भी लठ का सामना करना कर पड़ सकता है। इस तरह के कांड के अंदर मौत तक हो जाती हैं।
जब तक सभा शांति पूर्ण तरीके से हो रही है तब तक तो ठीक है।लेकिन जैसे ही सभा अशांत होती है उसके बाद आपको सावधान हो जाना चाहिए । असल मे यह जो अधिकार होता है उसका भी उल्लंघन होता है कई बार पुलिस शांति पूर्ण सभाओं को भी अनुमति प्रदान नहीं करती है।
शिक्षा का अधिकार
दोस्तों शिक्षा का अधिकार भी मौलिक अधिकारेां के अंदर आता है।आप भारत के किसी भी विधायल के अंदर जाकर शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं। हालांकि आपके पास पैसा होना चाहिए और आप परीक्षा के अंदर क्वालिफाई होने चाहिए । लेकिन शिक्षा का अधिकार सबको है। यदि कोई निम्न जाति से आता है तो उसे शिक्षा से वंचित नहीं किया जा सकता है।हालांकि कई बार शिक्षा के मामले मे भी भेदभाव किया जाता है। एक स्कूल के अंदर की घटना है जिसके अंदर उच्च जाति वाले बच्चों को अलग बैठाया जाता था और निम्न जाति वालो को अलग बैठाया जाता था। बाद मे इस घटना का विडियो वायरल हो गया और फिर टीचर के उपर गाज गिरने लगी ।इस तरह से नहीं किया जाना चाहिए । सभी को समान रूप से शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार है। स्कूल वाले आपको यह कहकर नहीं निकाल सकते हैं कि आप छोटी जाति के हैं। इसलिए आपको स्कूल मे नहीं रखा जा सकता है।इस तरह से शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार सभी को है।भले ही वह छोटा हो या बड़ा हो । सब शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं। इसमे कोई शक नहीं है।
खुद की संपति रखने का अधिकार
दोस्तों हमें अपने खुद की संपति रखने का भी अधिकार है। यदि आपके पास कोई संपति है तो उसको सरकार नहीं छीन सकती है। खासकर तब जब आपने किसी तरह का गुनाह नहीं किया हो वह संपति भी अवैध नहीं होनी चाहिए । यदि अवैध संपति होगी तो उसके बाद सरकार उसको जप्त कर सकती है।
यदि आप ईमानदारी से संपति रखते हैं और सरकार को टेक्स देते हैं तो उसके बाद आप किसी भी तरह की संपति रख सकते हैं। कोई समस्या नहीं है। भारत के अंदर बहुत सारे लोग हैं जिनके पास लाखों की संपति है और संपति को वे रखते भी हैं। उसी तरीके से आपको भी संपति रखने का अधिकार होता है।
हालांकि यदि सरकार चाहे तो आपकी संपति को जब्त कर सकती है लेकिन वह ऐसा करेगी नहीं ।बिना वजह संपति जब्त नहीं किया जा सकता है। भारत के अलावा दुनिया के लगभग सभी देशों के अंदर संपति रखने का अधिकार है।
विवाह और परिवार के अधिकार
आपको विवाह का अधिकार दिया गया है आप अपनी मनपंसद लड़की से विवाह कर सकते हैं। यदि वह विवाह करने के पक्ष मे हैं। इसके अलावा आप अपना परिवार बना सकते हैं। विवाह करने के मामले मे सरकार रोक नहीं लगा सकती है। हालांकि इस संबंध मे सरकार विवाह की उम्र को निर्धारित कर सकती है। जैसा कि भारत के मामले मे किया गया है।भारत के अंदर विवाह की उम्र को निर्धारित कर दिया गया है। उस उम्र के बाद ही विवाह को वैध माना जाता है। और ऐसे तो लोग उससे भी कम उम्र के अंदर विवाह कर लेते हैं।
लेकिन आपको बस इतना समझना है कि विवाह का अधिकार है।आप किसी से विवाह कर सकते हैं और अपने परिवार को बढ़ा सकते हैं अपने परिवार की देखभाल कर सकते हैं। यह भी आपको अधिकार है।
हालांकि इस अधिकार के मामले मे काफी प्रतिबंध होते हैं।जिससे कि भारत के अंदर एक पत्नी रहते यदि कोई पति दूसरी पत्नी को लेकर आता है तो दूसरी शादी को वैध नहीं माना जाता है। दूसरी शादी करने के लिए पहली पत्नी को तलाक देना होता है।
नागरिकता बदलने का अधिकार
दोस्तों हमको नागरिकता को बदलने का अधिकार भी है। इसका मतलब यह है कि आप भारत के अलावा दूसरे देश की नागरिकता भी ले सकते हैं। लेकिन भारत के अंदर दोहरी नागरिकता का प्रावधान नहीं है। इसका अर्थ यह है कि दूसरे देश की नागरिकता आप ले लेते हैं तो उसके बाद भारत की नागरिकता अपने आप ही समाप्त हो जाएगी ।लेकिन आपके पास यह अधिकार रहता है कि आप किसी भी देश की नागरिकता ले सकते हैं और उस देश के अंदर जाकर बस सकते हैं। जैसे कि भारत के अनेक लोग यूएसए के अंदर जाकर बस गए और वहीं के होकर रह गए ।
जिसके अंदर कमला हैरिस का नाम आता है।कमला हैरिस की दादी भी कभी भारत के अंदर रहने वाली थी। बाद मे वे विदेश चली गई ।यदि आप नागरिकता को बदलना चाहते हैं तो बदल सकते हैं।लेकिन इसके लिए आपको कुछ चीजों की जरूरत होगी । आप जिस भी देश की नागरिकता लेना चाहते हैं उसकी कुछ शर्तें होती हैं आपको उन शर्तों को पूरा करना होगा तभी आपको नागरिकता मिलेगी ।
मौलिक अधिकार के बारे मे जानकारी
दोस्तों अब तक हमने मानवाधिकार के बारे मे चर्चा की लेकिन हम अब आपको मौलिक अधिकार के बारे मे बताएंगे । यह वो अधिकार होते हैं जोकि संविधान के द्धारा आपको प्रदान किये जाते हैं। यह अधिकार हर देश के अंदर लिखित या अलिखित अवस्था मे मिल जाएंगे । भारत के अंदर के मौलिक अधिकार के बारे मे हम चर्चा करेंगे ।
समानता का अधिकार अनुच्छेद 14-18
इसका अर्थ यह है कि भारत के अंदर सभी व्यक्तियों को कानून के अधीन माना जाएगा ।जाति लिंग धर्म और भाषा के आधार पर किसी भी तरह का भेदभाव नहीं किया जाएगा ।खास कर एक ही प्रकार की योग्यता रखने वालों के मामलो में ।अनुच्छेद 15(1) कहता है कि किसी व्यक्ति पर जाति धर्म और लिंग के आधार पर किसी भी तरह से भेदभाव नहीं किया जाएगा ।यदि भेदभाव किया जाता है तो यह अपराध माना जाएगा ।
और एक नागरिक धर्म जाति लिंग और जन्म स्थान के आधार पर किसी तरह का कोई भी भेदभाव नहीं करेगा । मनोरंजन के स्थान नलकूपों और सड़कों पर एक नागरिक दूसरे के साथ सही तरीके से समानता के साथ पेस आएगा। यह नहीं कहा जा सकता है कि सड़क पर केवल उंचि जाति वाले चलेंगे नीची जाति वाले उसके उपर नहीं चल सकते हैं। सड़क और दूसरे सर्वाजनिक स्थान पर सभी आ जा सकते हैं। इसमे किसी तरह की रोक टोक नहीं हो सकती है।
स्वतंत्रता का अधिकार अनुच्छेद 19-22
संविधान के अंदर भारत के लोगों को कुछ स्वतंत्रताएं दी गई हैं। ऐसा नहीं है कि आपको कुछ भी करने की स्वतंत्रताएं हैं। आपको कुछ सीमित मात्रा मे छूट दी गई है। जिसका उपयोग आप कर सकते हैं।
- विचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता आपको प्रदान की गई है। आप किसी भी मामले मे अपने विचार रख सकते हैं आपको अपने विचार रखने मे किसी तरह की रोक टोक नहीं की जा सकती है।
- अस्त्र-शस्त्र रहित और शांतिपूर्ण सम्मलेन की स्वतंत्रता भी आपको प्रदान की गई है। आप अस्त्र शस्त्र रहित सम्मेलन कर सकते हैं। ऐसा करने की आपको स्वतंत्रता प्रदान की गई है। आप इसका उपयोग कर सकते हैं।
- दोस्तों आपको भ्रमण की स्वतंत्रता भी है। इसका मतलब यह है कि आप देश के किसी हिस्से मे भ्रमण करने के लिए जा सकते हैं। आपको किसी तरह की रोक टोक नहीं की जा सकती है।
- इसके अलावा आपको निवास की स्वतंत्रता भी है। आप किसी भी स्थान पर निवास कर सकते हैं। मेरा मतलब यह है कि आप कहीं पर भी जमीन लेकर निवास कर सकते हैं। आप चाहे तो एक राज्य से दूसरे राज्य के अंदर जाकर निवास कर सकते हैं। क्योंकि यह स्वतंत्रता आपको सविधान प्रदान करता है।
- व्यवसाय की स्वतंत्रता भी आपको प्रदान की गई है। इसका अर्थ यह है कि आप किसी भी तरह का व्यवसाय कर सकते हैं। मतलब यह है कि आप अपनी पसंद के अनुसार व्यवसाय को चुन सकते हैं ताकि आप उसको बेहतर ढंग से कर पायें । आपको व्यवसाय चुनने की आजादी संविधान देता है।
शोषण के विरूद्ध अधिकार अनुच्छेद 23-24
यह अधिकार पुरुष , महिला , बच्चो के खरीद फरोख्त से , वेश्यावृत्ति , देवदासी व दास प्रथा से संबंधित है।इसका मतलब यही है कि आपको किसी भी तरीके से शोषण नहीं किया जाना चाहिए । जैसे कि कोई बच्चों की खरीद फरोख्त करता है तो यह भी अपराध माना जाता है। क्योंकि इसके अंदर उन बच्चों का शोषण हो रहा है।
इसके अलावा 14 साल से कम उम्र के बच्चों से मजदूरी करवाना भी अपराध माना गया है। यदि किसी ईंट भटे या किसी अन्य मजदूरी के काम मे 14 साल से कम उम्र के बच्चों को रखा जाता है तो यह अपराध माना गया है और इससे बच्चों को मजदूरी पर लगाने वाले के खिलाफ कार्यवाही हो सकती है।
इस अधिकार का मतलब यह है कि एक इंसान दूसरे इंसान का किसी भी तरीके से शोषण नहीं कर सकता है। और यदि वह अवैध रूप से ऐसा करता है तो उसके खिलाफ कार्यवाही हो सकती है।
वेश्यावृत्ति को यदि किसी से जबरदस्ती करवाई जाती है तो उस स्थिति के अंदर इसको शोषण के अंदर ही रखा जाता है। हालांकि यदि कोई महिला अपनी मर्जी ऐसा कर रही है तो फिर इसको शोषण की संज्ञा दी जा सकती है यदि महिला की उम्र कम हो ।
धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार अनुच्छेद 25-28
भारत के संविधान के मूल अधिकार के अंदर धार्मिक स्वतंत्रता का भी उल्लेख मिलता है। इसका मतलब यह है कि आपको धर्म की पूरी स्वतंत्रता है। आप अपने मंदिर या जो पूजा स्थल है वह बना सकते हो और अपने धर्म के अनुसार इबादत कर सकते हैं।सरकार धर्म के मामले मे किसी को विवश नहीं करेगी । जो इच्छा है वह धर्म आप ग्रहण कर सकते हैं और उसके बाद उसी धर्म के अंदर आप अपनी इबादत कर सकते हैं।
वैसे धर्म परिवर्तन करना अवैध नहीं है। लेकिन इस पर वर्तमान मे कई सारे प्रतिबंध लग गए हैं। जैसे यदि आप अपनी मर्जी से धर्म बदल रहे हैं तो आपको कोई कानून नहीं रोक सकता है लेकिन यदि आपको धर्म परिवर्तन के लिए दबाव बनाया जा रहा है तो उसके बाद आपके उपर कानून लागू हो सकता है।
लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आप अपना धर्म नहीं बदल सकते हैं। आपको धर्म को मानने की पूरी आजादी है। आप मान सकते हैं और अपनी इबादत कर सकते हैं। लेकिन आप किसी के साथ धर्म का पालन करने के लिए जोर जबरदस्ती नहीं कर सकते हैं। ऐसा करने से उसके मौलिक अधिकार का हनन होता है।
शिक्षा एवं संस्कृति का अधिकार अनुच्छेद 29-30
हमारे देश के अंदर कई धर्मों के लोग बसते हैं सभी आपको अपनी धार्मिक शिक्षा का प्रचार प्रसार करने का अधिकार है।और वे अपनी अपनी संस्कृति के नियमों का पालन कर सकते हैं। उनके उपर किसी तरह की रोक टोक नहीं की जा सकती है।
नागरिकों के प्रत्येक वर्ग को अपनी भाषा, लिपि व संस्कृति को सुरक्षित रखने का पूरा अधिकार हैं। और संस्थानों मे जाति और धर्म के आधार पर किसी भी तरह का भेदभाव नहीं किया जा सकता है।
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This post was last modified on December 21, 2021