बहुत लोगों का यह प्रश्न हो सकता है कि मरने के बाद आत्मा कितने दिन घर में रहती है ? लेकिन इस बारे मे बहुत सी मान्यताएं प्रचलित हैं। और आपको भी पता होगा कि आत्मा मरने के बाद 12 दिन तक घर के अंदर ही रहती है और उसके बाद घर को छोड़कर चली जाता है। बहुत से लोग इस बारे मे पहले से ही जानते भी होंगे । और कुछ लोग तो ऐसे होंगे जिन्होंने यह बात पढ़ी भी होगी ।
दोस्तों जैसा कि आपको पता है कि आत्मा का कोई वैज्ञानिक रूप नहीं है।उसी तरीके से इस संबंध मे बस मान्यताओं के सिवाय कुछ नहीं है। हम इस लेख के अंदर केवल हिंदु धर्म की बात करने वाले हैं। दूसरे धर्मों के अंदर क्या होता है। इस बारे मे हमे नहीं पता । लेकिन हिंदू धर्म से हम जुड़े हैं इस लिए हमे इसके बारे मे अच्छे से पता है।
इन सबके अलावा कुछ केस भी ऐसे हुए हैं ।जिनसे यह साबित होता है कि आत्मा मरने के बाद कुछ दिन तक घर के अंदर ही रहती है। वैसे हिंदु धर्म के अनेक ग्रंथ भी यही कहते हैं। इन सबके अलावा यदि आप किसी जानकार इंसान यह पूछेंगे कि आत्मा मरने के बाद कितने दिन तक घर के अंदर रहती है ? तो वह भी आपको यही बताएगा कि इंसान के मरने के बाद आत्मा घर के अंदर रहती है। दोस्तों आज तो हम भी जान चुके हैं लेकिन जब हम छोटे थे तो हमारे दादा दादी बताते थे कि इंसान के मरने के बाद आत्मा कुछ दिन तक घर मे रहती है। जब तक की पिंडदान पूरा नहीं हो जाता है।
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मरने के बाद आत्मा कितने दिन घर में रहती है marne ke baad aatma kitne din ghar mein rehti hai
इंसान के मरने के बाद आत्मा 12 दिन तक घर के अंदर रहती है। यदि आपने गुरूड पुराण पढ़ा होगा तो आपको पता होगा कि आत्मा इन 12 दिनों के अंदर किस तरह से रहती है? और क्या क्या करती है। यदि आपने गरूड पुराण नहीं पढ़ा है तो आप नेट की मदद से उसे फ्री मे डाउनलोड करके पढ़ सकते हैं। उसके अंदर इंसान के मरने के बाद आत्मा का क्या होता है ? इस बारे मे विस्तार से दिया हुआ है।
गुरूड पुराण के अंदर उल्लेख मिलता है कि जब कोई इंसान मरता है तो उसे यमदूत लेने आते हैं और जब इंसान की मौत होने वाली होती है तो उसे दिव्य द्रष्टि प्राप्त हो जाती है। जिसकी वजह से वह तीनो लोक को देख सकता है। गुरूड पुराण के प्रथम अध्याय के अंदर उल्लेख मिलता है कि जब यमदूत मरने वाले इंसान के निकट आते हैं तो उसके बाद उस इंसान की इंद्रियां विकल हो जाती हैं और यमदूत उसके शरीर से प्राण निकाल लेते हैं।
जो लोग पापी होते हैं उनके प्राण गुदा मार्ग से बाहर निकलते हैं। इसके अलावा जो लोग सत्कर्मी होते हैं उनके प्राण अलग जगह से निकलते हैं। इसके अलावा यह भी माना जाता है कि अंत समय मे चेतना किसी एक स्थान पर एकत्रित हो जाती है और उसके बाद उसी जगह से सारी चेतना उसी जगह से बाहर निकलती है। खैर इन सब मान्यताओं के अलावा अब एक मान्यता और भी चलने लगी है और वह यह मान्यता है कि अब जब इंसान मरता है तो यमदूत उसे लेने के लिए नहीं आते हैं। वरन जो उसकी जैसी आत्माएं घूम रही हैं वे उसे लेने के लिए आती हैं । हालांकि इसके अंदर कितनी सच्चाई है ? इस बारे मे कुछ कहा नहीं जा सकता लेकिन मैं सिर्फ इतना जानता हूं कि जब मेरी दादी मां खत्म हूई थी तो उसने अपने भाई को देखा थ जो मर चुका था । और उसने यह भी बताया था कि उसका भाई उसे बुला रहा है।
इन सब के अलावा एक दिन मैं टीवी के अंदर एक पुनर्जन्म की घटना देख रहा था। जिसके अंदर एक लड़के का पुनर्जन्म हुआ था और उसके बारे मे सब कुछ दिखाया जा रहा था। उस लड़के का नाम राहुल था। लड़का हरियाणा के पल्वल का रहने वाला था और यदि आप इसके बारे मे अधिक जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो आप youtube या गूगल पर सर्च कर सकते हैं।
यह लड़का पहले एक गाड़ी के अंदर काम करता था । उसके बाद किसी वजह से इसकी मौत हो गई थी।इसने अपने पूर्व जन्म के परिवार को भी पहचान लिया था। जब मिडिया वालों ने पूछा कि वह मरने के कितने दिन तक घर के अंदर ही रहा तो ? तो उसने जवाब दिया कि वह मरने के 12 दिन तक घर के अंदर ही रहा था। इन सबके अलावा लड़के ने यह भी बताया कि वह इन 12 दिनों के दौरान घर की छत पर या नीम के उपर बैठा रहा । वह सब कुछ देख सकता था लेकिन उसे कोई भी नहीं देख सकता था। वह जानता था कि उसके घर के अंदर कौन कौन ? आ रहा है और कौन कौन जा रहा है?
इतना ही नहीं इस लड़के ने बताया कि उसने अपने घरवालों को आवाज देने की कोशिश भी कि की वह यहां पर है। लेकिन उसकी आवाज कोई सुन ही नहीं पाया था। उसके बाद उसने बोलना बंद कर दिया था। और आगे उसने बताया कि जब 12 दिन हो गए तो वह किसी अज्ञात ताकत के प्रभाव से अपने घर को छोड़कर कहीं दूर चले गए और वहां पर हम कई मरे हुए लोग थे जो एक पेड़ के उपर रहते थे ।
इंसान मरने के बाद आत्मा 24 घंटे के लिए जाती है यमलोक
दोस्तों गुरूड पुराण के अंदर यह भी उल्लेख मिलता है कि जब इंसान की मौत हो जाती है तो उसकी आत्मा को 24 घंटे के लिए यमदूत पकड़ कर यमलोक ले जाते हैं और इस दौरान वे आत्मा के पुण्य और पाप के बारे मे बताते हैं । गुरूड पुराण के अनुसार जब इंसान अपने भौतिक शरीर को छोड देता है तो यमदूत उसे पास के अंदर बांध लेते हैं और उसके बाद उसे यममार्ग की यातनाओं के बारे मे बताया और दिखाया जाता है ।
जिसके बाद आत्मा अपने भौतिक शरीर को छोड़कर हाय हाय करती है और फिर रोती बिलखती हुई यममार्ग के उपर चलती है। इस दौरान उसे बहुत अधिक पीड़ा होती है।अपने बंधु और बांधुओं का विलाप सुनता हुआ वह जीव जोर जोर से रोता है और यतदूत के द्वारा प्रताड़ित किया जाता है। यममार्ग पर उसे कुत्ते काटते हैं और भूख प्यास से पीड़ित होता है ,यमदूत उसके शरीर पर कोड़े भी मारते हैं।
यमदूत उस जीव को ऐसी जगह पर चलाते हैं जिस जगह पर वह चलने मे असमर्थ होने के बाद भी चलता है बार बार गिरता है और फिर उस जीव को यमदूत बार बार उठाते हैं। बड़ी कठिनाई से उसे चलना पड़ता है। यह सब तब होता है । जब यमदूत उस जीव को 24 घंटे के लिए यमपूरी मे लेकर जाते हैं।
इस तरह से यमदूत निकालते हैं शरीर से प्राण
गरूड पुराण बताता है कि कौवे के समान काले , बड़े दांत वाले और क्रोध पूर्ण नेत्रों वाले यमके दूत जब मरने वाले इंसान के समीप आते हैं तो फिर वह डर कर मल और मूत्र त्याग देता है।संसार मे वाशना के मोह के अंदर फंसा व्यक्ति शरीर को छोड़ना नहीं चाहता है लेकिन यमदूत उसे पकड़ कर जबरदस्ती शरीर से बाहर निकालते हैं।अपने भौतिक शरीर को छोड़कर हाय हाय करता हुआ वह प्राणी यमदूतों के द्वारा पकड़ कर खींचा जाता है। और यमदूत उसे नरक के अंदर जी जाने वाली यातनाओं के बारे मे बताते हैं।
दुबारा शरीर के अंदर प्रवेश करने की कोशिश करती है आत्मा
दोस्तों गुरूड पुराण कहता है कि जब इंसान खत्म होता है तो उसके शरीर से आत्मा निकल जाती है और उसके बाद वह अपने शरीर को नीचे पड़े हुए देख सकती है। बहुत सी आत्माओं को अपने शरीर से मोह होता है तो वे वापस शरीर के अंदर प्रवेश करने की कोशिश करती हैं। लेकिन वह इसके अंदर सफल नहीं हो सकती है । उसके बाद माया मोह से बंधी हुई वह आत्मा जोर जोर से रोने बिलखने लग जाती है।
मरने के बाद आत्मा कितने दिन घर में रहती है और क्या करती है?
बहुत से लोगों के दिमाग के अंदर यह भी आता है कि मरने के बाद आत्मा घर मे 12 दिन तक रहती है और उन 12 दिन तक आत्मा करती क्या है? तो दोस्तों इस प्रश्न का उत्तर हम गरूड़ पुराण के अध्याय नंबर 1 के आधार पर देना चाहेंगे ।
गरूड पुराण यह कहता है कि कर्मफल का नाश सैंकड़ो वर्ष बीत जाने के बाद भी नहीं होता है।यदि आत्मा को पिंडदान नहीं किया जाएगा तो उसका प्रेत शरीर कैसे बनेगा और शरीर ही नहीं बनेगा तो वह कर्मफल कैसे भोगेगा ? और जब कर्मफल ही नहीं भोग पाएगा तो उसको मनुष्य जीवन नहीं मिल पाएगा और दुखी होकर इस संसार मे भटकता फिरेगा ।
कहने का मतलब है कि मरने के बाद 12 दिन प्रेत घर मे रहता है और उसके बाद उसे एक टेम्परेरी शरीर प्राप्त हो जाता है । फिर उस शरीर को लेकर वह 13 वे दिन यम मार्ग के अंदर चलता है और यदि उस जीव ने अच्छे कर्म किये हैं तो वह आसानी से यम मार्ग को पार कर सकता है। लेकिन यदि उसने अच्छे कर्म नहीं किये तो यम मार्ग मे उसे बहुत पीड़ा का सामना करना पड़ता है।
पहले दिन जो पिंडदान होता है उससे सिर बनता है और दूसरे पिंडदान से गर्दन और कंधे । तीसरे पिंडदान से हर्ट बनता है । चौथे पिंडदान से पीठ पांचवे से नाभि छठे और सातवे से कटि और गुहा पैदा होते हैं।आठवें से जांघे और नौवे से पैर बनते हैं।इन सबके अलावा 10 वें पिंडदान से प्रेत की भूख और प्यास दोनो जाग जाती हैं।उसके बाद प्रेत 11 वें और 12 पिंड दान से भोजन करता है ।और 13 वें दिन घर से यमदूतों के साथ चल पड़ता है।
यमपूरी को जाने के लिए आत्मा को रस्ते के अंदर आने वाले 16 पुरों को पार करना पड़ता है। इस दौरान यदि वह जीव पापी है तो उसे बहुत अधिक यातनाओं का सामना करना पड़ता है। लेकिन यदि वह जीव पापी नहीं है तो उसे यातनाओं का सामना नहीं करना पड़ता है। यम इन सबके अलावा जब आत्मा यमलोक मे पहुंच जाती है तो उसके बाद उसे यह टैम्परेरी शरीर को छोड़ देना होता है। ऐसा गरूड पुराण के अंदर उल्लेख मिलता है।
अचानक मौत के बाद एहसास नहीं होता कि हम मर चुके हैं
दोस्तों जानकार बताते हैं कि जो लोग अचानक से किसी एक्सीडेंट या किसी और वजह से मरते हैं उनको यह एहसास नहीं होता है कि वे मर चुके हैं। जब इंसान इस तरह से मर जाता है तो अचानक से आत्मा उसके शरीर से अलग हो जाती है।
और वे खुद को बहुत हल्का महसूस करते हैं। ऐसी स्थिति के अंदर जब आत्मा अपने शरीर को सामने पड़ा हुआ देखती है तो उसके बाद उनको यह एहसास हो जाता है कि वे मर चुके हैं। इन सबके अलावा मरे हुए इंसान को बहुत अलग ही फील होता है। जैसे कि उसके सारे रोग ही कट गए हैं और वह खुद को अजीब सा महसूस करता है।
कुछ आत्माएं 12 दिन मे ही प्रेत बनकर दिखाई देने लगती हैं
दोस्तों यह तो आप जान ही चुके हैं कि मरने के बाद आत्मा 12 दिन तक घर मे रहती है। लेकिन क्या आपको पता है कि कुछ पापी आत्माएं इन 12 दिन के अंदर ही अपने घरवालों को परेशान करने लग जाती हैं। हमारी एक बुआ बताती है कि उनके यहां पर एक एक व्यक्ति की मौत हुई थी।मौत के 3 दिन बाद ही वह इंसान प्रेत बन गया और घर के लोगों को परेशान करने लगा ।दोस्तों उसके बाद घर वालों ने जैसे तैसे 12 दिन बिताए और फिर उस आत्मा को किसी तांत्रिक को बुलाकर जप्त करवाया । हालांकि सारे लोग एक जैसे नहीं होते हैं। कुछ लोग घोर पापी होते हैं और इसी वजह से वे मरने के बाद प्रेत बन जाते हैं।
मैं यहां हूं आप क्यों रो रहे हैं मरने के बाद बोलती है आत्मा
दोस्तों जैसा कि गुरूड पुराण के अंदर लिखा हुआ है कि किसी इंसान के मरने के बाद रोना नहीं चाहिए । रोने की वजह से आत्मा को भी कष्ट पहुंचता है।जब आत्मा अपने प्रियजनों के रोने को सुनती है तो उसे भी बहुत अधिक दुख होता है। यह आत्मा के विदाई का समय होता है ऐसी स्थिति के अंदर यदि कोई रोता है तो आत्मा के मन मे वैराग्य का भाव नहीं आता है
जो उसकी आगे की यात्रा के अंदर बाधक होता है।जब आत्मा अपने प्रियजनों के रूदन को देखती है तो वह भी जोर जोर से चिल्लाती है कि वह मरी नहीं है वह यहां पर है । मरा तो केवल उसका शरीर है। हालांकि उसकी बात को कोई नहीं सुनता है। क्योंकि उसे कोई देख नहीं पाता है।
दोस्तों अब तक हमने यह जाना कि मरने के बाद आत्मा कितने दिन घर में रहती है ? अब हम यह जान लेते हैं कि मरने के बाद आत्मा की गति क्या होती है? वैसे तो किसी आत्मा कि अलग अलग गति होती है वह उसके कर्मों के उपर निर्भर करती है। यदि किसी इंसान ने बुरे कर्म किये हैं तो उसकी गति नहीं होती।
हिन्दू धर्म शास्त्रों में उल्लेख है कि गति दो प्रकार की होती है 1.अगति और 2. गति। अगति के चार प्रकार है- 1.क्षिणोदर्क, 2.भूमोदर्क, 3. अगति और 4.दुर्गति और गति के अंदर जीव को 4 लोक मे से किसी एक लोक के अंदर जाना पड़ता है। 1.ब्रह्मलोक, 2.देवलोक, 3.पितृलोक और 4.नर्कलोक
हिंदु धर्म ग्रंथों की माने तो इंसान के जन्म लेने के मकसद को कभी नहीं भूलना चाहिए । आज हम जिस संसार के अंदर रह रहे हैं वह एक माया जाल है और यहां पर हम केवल कुछ समय के लिए आये हैं। अच्छे कर्म करने के लिए आए हैं। हमारा यह घर नहीं है।
बहुत से लोग यही समझते हैं कि यह संसार ही उनका घर है वे इस संसार से और घर परिवार से जुड़ जाते हैं और उसके बाद पाप कर्म करते हैं। मौत के बाद उन्हीं के घर वाले उनका छोटा सा काम भी नहीं कर पाते हैं। और वो इंसान जिंदा रहते हुए अपने घर वालों का पालन पोषण करता है उनके लिए कुकर्म करता है।
इन कुकर्म की सजा केवल उसी को मिलती है जो यह पाप कर्ता है। यदि आप अपने घरवालों को सुखी रखने के लिए चोरी करते हैं या कोई और गलत काम करते हैं तो उसकी सजा आपको मिलेगी । लेकिन यदि आप सच मे अपने परिवार का भला चाहते हैं तो उन्हें जितना हो सके अच्छा बनाने की कोशिश करें । उनके मन कर्म और वचन के अंदर जो बुराइयां हैं उन सबको खत्म करने की कोशिश की जिए ताकि उनको सच्चा सूख मिल सके । उनको गुरू मंत्र दलवाएं ।