mohan shabd roop मोहन शब्द रूप मोहन शब्द रूप के बारे मे हम आपको बता रहे हैं। और उम्मीद करते हैं कि आपको यह पसंद आएगा । यदि आपका कोई सवाल है तो आप कमेंट करके बता सकते हैं। नीचे हम आपको मोहन शब्द रूप के बारे मे दिया गया है। आपको याद करने मे काफी आसानी होगी ।
mohan shabd roop मोहन शब्द रूप
एकवचन | द्विवचन | बहुवचन | |
प्रथमा | मोहनम् | मोहने | मोहनानि |
संबोधन | मोहन | मोहने | मोहनानि |
द्वितीया | मोहनम् | मोहने | मोहनानि |
तृतीया | मोहनेन | मोहनाभ्याम् | मोहनैः |
चतुर्थी | मोहनाय | मोहनाभ्याम् | मोहनेभ्यः |
पञ्चमी | मोहनात् / मोहनाद् | मोहनाभ्याम् | मोहनेभ्यः |
षष्ठी | मोहनस्य | मोहनयोः | मोहनानाम् |
सप्तमी | मोहने | मोहनयोः | मोहनेषु |
दोस्तों यदि हम मोहन शब्द के अर्थ की बात करें तो यह कई तरह के अर्थ को प्रकट करता है। जैसे कि श्रीकृष्ण। अपमान करनेवाला, तिरस्कर्ता, बेइज्ज़ती करनेवाला, तौहीन करनेवाला। दोस्तों हम आपको मोहन शब्द के बारे मे विस्तार से बता रहे हैं। और उम्मीद करते हैं कि आपको यह पसंद आएगा ।
दोस्तों प्राचीन काल की बात है एक गांव के अंदर मोहन और सोहन दो भाई रहा करते थे । दोनों भाई अधिक पढ़े लिखे नहीं थे लेकिन एक दिन उन दोनों ने सुना की हर इंसान को अपने जीवन के अंदर गुरू बनाना चाहिए । ऐसा इसलिए क्योंकि यदि हम गुरू नहीं बनाते हैं तो उसके बाद हम मुक्त नहीं हो सकते हैं।
लेकिन उनको इस बात की जानकारी नहीं थी कि गुरू किस प्रकार का होता है ? और किस इंसान को हम गुरू बना सकते हैं और किस इंसान को नहीं बना सकते है। तो एक दिन दोनों भाइयों ने निश्चय किया कि चलो एक गुरू की तलास करते हैं।
इस तरह से गुरू की तलास करते हुए वे एक जंगल के अंदर गए । वहां पर उनको एक बाबा बैठे हुए मिले जोकि तपस्या कर रहे थे । मतलब वे ध्यान मग्न थे । सोहन और मोहन ने उनके ध्यान टूटने का इंतजार किया । लेकिन वे उनके ध्यान को भी भंग नहीं कर सकते थे । उनको डर था कि बाबा कहीं पर शाप ना देदें ।
इस तरह से वे कुछ दिन वहीं पर बिना खाए पीये बैठे रहे और बाबा ध्यान के अंदर वैसे ही बैठे रहे । उसके बाद एक दिन जब बाबा ने अपनी आंख खोली तो अपने सामने दो बच्चों को देखा । तो बाबा उनके पास आए और बोले …….क्यों बच्चों बोलो कैसे आना हुआ ?
……महाराज हम आपके शिष्य बनने के लिए आए हैं।
….. हम आपको अपने शिष्य तो बना लेंगे लेकिन आपको बतादें कि पहले आपको एक परीक्षा पूरी करनी होगी । और यदि आप उस परीक्षा के अंदर पास हो जाते हैं तभी आपको शिष्य बनाया जाएगा । क्या आप उस परीक्षा को देने के लिए तैयार हैं ?
तो उसके बाद दोनों शिष्य तैयार हो गए । और महाराज ने उनको कहा । जाओ और दुनिया के किसी भी कौने के अंदर एक ऐसा इंसान खोज कर लाओ जो दुखी है ही नहीं । या जिसके पास आज तक दुख आया ही नहीं । इंसान ही आपको खोज कर लाना है। उसके बाद दोनों भाई अलग अलग दिशाओं के अंदर रवाना हो गए ।
सबसे पहले सोहन गया । सोहन कोई अधिक बुद्धिमान इंसान नहीं था। वह सबसे पहले एक गांव के अंदर गया और वहां पर एक व्यक्ति के पास गया और पूछा कि क्या आप ऐसा कोई इंसान बता सकते हैं जिसके पास दुख नहीं है। वह सुखी है। उसने एक इंसान का नाम बताया और उसके बाद सोहन उस इंसान के पास चला गया ।
उसके बाद उस इंसान से सोहन ने पूछा ………..क्या आप ही वह इंसान हैं जिसके पास कभी दुख नहीं आया ।
………हां मैंने दुख नहीं देखा है। उस इंसान ने कहा ।
…….तो क्या आप मेरे साथ चल सकते हैं।
हां चल सकता हूं । उस इंसान ने कहा । और उसके बाद वह सोहन के साथ चलने को तैयार हो गया ।
जैसे ही बाबा के पास सोहन पहुंचा और कहा …….महाराज इस इंसान ने आज तक दुख नहीं देखा । बाबा हैरान था और बोला ………आज से 5 साल पहले तुम्हारी पत्नी की मौत हो गई तो तुम नहीं रोए थे क्या वह दुख नहीं था । वह इंसान हैरान था कि बाबा को इसके बारे मे कैसे पता चला । उसके बाद बाबा बोला ……….. सोहन तुम परीक्षा के अंदर सफल नहीं हो पाए हो आप इस बात को अच्छी तरह से समझ सकते हैं। और यही आपके लिए सही होगा । इसलिए यदि तुम मेरे शिष्य बनना है तो उसके बाद तुमको कुछ पढ़ना होगा । फिर उधर मोहन ऐसे इंसान की तलास करने की कोशिश कर रहा था जिसके पास कुछ भी दुख नहीं था।
वह गांव गांव के अंदर घूमा और इस तरह से वह कई साल तक ऐसे इंसान की तलास के अंदर गुजार दी । लेकिन उसे आज तक कोई भी इंसान नहीं मिला था । उसके बाद एक दिन वह ऐसे ही किसी दुकान के पास लेटा हुआ था तो उसने देखा कि एक इंसान का पुतला है। और उसे यह सही लगा और उसने सोचा की ऐसा इंसान मिलना संभव नहीं है जिसको आज तक कोई दुख नहीं आया हो । तो यह एक तरह से पुतला ही हो सकता है। उसने उस दुकान से पुतला को खरीदा और उसके बाद उसे लेकर गुरू के पास गया । गुरू के पास जब वह गया तो गुरू को पुतला देते हुए कहा कि ऐसा कोई इंसान मिलना संभव नहीं है जोकि दुख ना भोगा हो लेकिन यह पुतला इस तरह का हो सकता है। उसके बाद क्या था गुरू ने उसके पुतले को लेलिया और कहा …….तुम इस परीक्षा के अंदर पास हो चुके हो यह एक तरह से अच्छी बात है। तुमने यह जान लिया कि इंसानी जीवन के अंदर दुख तो आता ही है। लेकिन जिस तरह से तुमने इस पुतले को चुना ।
इससे एक बात तो साबित हो गई है कि पुतले की तरह तुमको बनना होगा । जिस प्रकार से कुछ भी हो यह पुतला कोई भी क्रिया नहीं करता है। उसी प्रकार से तुमको बनना होगा । आप इस बात को समझ सकते हैं। तुम यदि एक बार इस प्रकार से खुद को बना लेते हैं। तो उसके बाद कितना बड़ा दुख भी क्यों ना आजाएगा । आप उसको बहुत ही आसानी से सहन कर सकते हो इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए और आप इस बात को समझ सकते हैं। और यही आपके लिए सबसे अधिक सही होगा । इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
इस तरह से दोस्तों इंसानी जीवन के अंदर किसी तरह का सुख नहीं है।