इस लेख मे हम बात करने वाले हैं मोर कितने प्रकार के होते हैं ? mor kitne prakar ke hote hain और मोर के रहन सहन के बारे मे ।मोर के विषय मे आप जानते ही होंगे ।मोर एक सुंदर पक्षी होता है और आपके घरों के आस पास यह आसानी से मिल जाएगा । मोर की सुंदरता की वजह से ही मोरनी या मादा उसकी तरफ आकर्षित होती हैं।वैसे देखा जाए तो मौर की 3 प्रमुख प्रजातियां पाई जाती हैं।दो एशियाई प्रजातियां मूल रूप से भारतीय उपमहाद्वीप के नीले या भारतीय मोर हैं , और दक्षिण पूर्व एशिया का हरा मोर ; एक अफ्रीकी प्रजाति कांगो मोर है , जो केवल कांगो बेसिन के मूल निवासी है।
मोर वन के अंदर और शहरों के अंदर भी रहते हैं।यह जमीन पर घोषला बनाते हैं। और वहीं पर अंडे देते हैं। मोर के बच्चे निकलने के बाद मोरनी उनकी रक्षा शिकारियों से करती है।आपको बतादें कि मोर की सभी प्रजातियां बहुविवाहित होती हैं।
मोर सर्वाहारी होते हैं और ज्यादातर पौधों, फूलों की पंखुड़ियों, बीज के सिर, कीड़े और अन्य आर्थ्रोपोड , सरीसृप और उभयचर खाते हैं ।मोर आमतौर पर सुबह और शाम को खाने के लिए निकलते हैं। शहरों के अंदर रहने वाले मोर आमतौर पर सुबह दाने का सेवन करते हैं जो लोगों के द्धारा अलग अलग जगहों पर डाले गए होते हैं।
दिन के अंदर मोर पेड और दूसरी सुरक्षित जगहों के अंदर आराम करते हैं। और जब शाम हो जाती है तो वे वहां से निकल कर फिर खाने की तलास करते हैं।यह मटर के दाने ,अनाज ,आटा और कीड़ों का भी सेवन कर लेते हैं।
शाम होने के बाद मोर आमतौर पर उंचे पेड़ या किसी उंचे स्थान पर शरण लेते हैं। अधिकतर मोर रात के अंदर झुंड के साथ बैठते हैं। यदि आपके घर के आस पास मोबाइल टावर है तो मोर शाम को उस पर बैठे देखे जा सकते हैं। अधिक उंचाई पर बैठे होने से दूसरे मांसहारी जानवर उनका शिकार नहीं कर पाते हैं।
मोर भारत का मूल निवासी है। मोर को हिंदु संस्क्रति के अंदर बहुत ही अधिक महत्व दिया गया है। मोर को कार्तिकेय का वाहन माना जाता है।इसके अलावा कृष्ण भगवान अपने मुकुट पर मोर पंख लगाते थे । भगवान क्रष्ण को विष्णु का अवतार माना जाता है।
मौर्य साम्राज्य के संस्थापक चंद्रगुप्त मौर्य अनाथ पैदा हुए थे और नंदा साम्राज्य पर विजय प्राप्त करने और सेल्यूसीड साम्राज्य को हराने के बाद , चंद्रगुप्त ने अपने समय की निर्विरोध सत्ता की स्थापना की। इसका शाही प्रतीक तब तक मोर हुआ करता था। यह तब तक रहा जब अशोक ने इसको शेर मे नहीं बदल दिया गया ।भारत ने मोर को 1963 में अपने राष्ट्रीय पक्षी के रूप में अपनाया और यह भारत के राष्ट्रीय प्रतीकों में से एक है ।
मयूर सिंहासन एक प्रसिद्ध सिंहासन था। इसको मयूर सिंहासन इसलिए कहा जाता था क्योंकि इसके पीछे दो नाचते हुए मोर की फोटो लगी हुई थी।इसके अलावा बौद्ध देवता महामायुरी को मोर पर बैठा हुआ दिखाया गया है।
भारतीय मोर, कांगो मोर, और हरे मोर इस प्रकार से मोर मुख्य रूप से 3 प्रकार के ही होते हैं। मोर आज के समय मे सबसे बड़े उड़ने वाले पक्षी होते हैं।मोर का वजन 8 से 13 पाउंड हो सकता है। और इनकी लंबाई 9 फीट तक हो सकती है।तो आइए अब जान लेते हैं कि मोर कितने प्रकार के होते हैं ?
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मोर कितने प्रकार के होते हैं कांगो मोर Congo Peafowl
कांगो मोर को अफ्रीकी मोर के नाम से जाना जाता है यह मोर की विलुप्त होती प्रजातियों मे से एक है।यह मुख्य रूप से कांगो बेसिन इलाके के अंदर पाया जाता है। जेम्स चैपिन द्वारा 1936 में एक प्रजाति के रूप में दर्ज किया गया था।कांगोलेस हेडड्रेस के अंदर लंबे लाल और भूरे रंग के पंख होते हैं जो किसी भी अन्य प्रजाति के अंदर मेल नहीं खाता है।चैपिन ने मध्य अफ्रीका के शाही संग्रहालय का दौरा किया तो वहां पर समान पंखों वाले भारतिए मोर को देखा । उसके बाद 1955 ई के अंदर इस मोर की 7 अन्य प्रजातियों को खोजा गया ।कांगो मोर में मोर और गाइनोफ्लो दोनों की शारीरिक विशेषताएं होती हैं , जो यह संकेत दे सकता है कि प्रजाति दोनों परिवारों के बीच की कड़ी है।।
इस प्रजाति का नर मोर लंबाई में 64-70 सेमी (25–28 इंच) तक होता है।नर मोर के पंख हरे और बैंगनी रंग के गहरे नीले रंग के होते हैं। इसका मुकुट ऊर्ध्वाधर सफेद लम्बी बालों का होता है।इसके अलावा इस मादा भूरे भूरे रंग की होती है। यदि हम कांगों मोर के आहार की बात करें तो यह भी अन्य मोर की तरह ही सर्वाहरी होता है। कीड़े और अनाज का सेवन करता है।सालॉन्गा नेशनल पार्क जैसी जगहों पर यह मोर रखे जाते हैं। क्योंकि यह काफी दुर्लभ प्रजाति के अंदर आता है।
कांगो मोर का निवास कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य के केंद्रीय कांगोलियन तराई के जंगलों के अंदर व सालॉन्गा नेशनल पार्क के अंदर यह इसको राष्टिय पक्षी बनाया गया है।कांगो मोर को IUCN रेड लिस्ट के अंदर डाला गया है।2013 तक, जंगली आबादी 2,500 और 9,000 वयस्क व्यक्तियों के बीच अनुमानित थी।
White Peafowl सफेद मोर
सफेद मोर बेहद ही दुर्लभ होते हैं।सफेद मोर अल्बिनो नहीं होता है। अल्बिनो मोर की आंखे गुलाबी और नीले रंग की होती हैं।सफेद मोर की नीली आँखें और रंगीन त्वचा होती है। और सफेद मोर के बच्चे पीले रंग के पैदा होते हैं उसके बाद जैसे ही वे बड़े होते हैं सफेद हो जाते हैं। ल्यूसीज्म की वजह से इस मोर का रंग सफेद हो जाता है। लेकिन यह आंखों के अंदर अपने सामान्य रंग को बनाए रखते हैं।
1,800 मीटर की ऊँचाई से नीचे आप इस मोर को पा सकते हैं। यह भारतिए ब्लू मोर की नस्ल है जो श्रीलंका और भारतिए उपमहाद्वीप के अंदर देखने को मिल सकती है। नम और शुष्क पर्णपाती जंगलों में यह रह सकता है लेकिन इसका रंग सफेद होने की वजह से शिकारियों की इस पर तेजी से नजर पड़ती है जिसकी वजह से इसका जल्दी शिकार हो सकता है । वर्तमान मे यह आपको जंगल मे बहुत ही कम मिलेगा ।
वन्यजीव रिजर्व के अंदर आपको यह मोर देखने को मिलेगा । इस प्रकार के मोर को देखने के लिए वन्यजीव रिजर्व मे बहुत सारे लोग होते हैं। अपने आस पास के वन्यजीव रिजर्व के अंदर आ पता कर सकते हैं।
मोर कितने प्रकार के होते हैं Green Peafowl हरे रंग का मोर
यह भी एक मोर का प्रकार है भारतीय मोर की तुलना में हरे मोर आमतौर पर अधिक शांत होते हैं। यह मोर पूरी तरह से हरे रंग के होते हैं।यह लंबी दूरी तक उड़ते हैं। गहरे जंगल के अंदर और पानी के किनारे अक्सर भोजन करते हुए देखे जा सकते हैं। यह देखने मे काफी सुंदर होता है।यह 3 मीटर तक लंबा हो सकता है।
और इसका वजन 3 किलोग्राम तक हो सकता है।इसके उपर हरे रंग की गुच्छेदार शिखा है, जो नीले रंग की फटी हुई शिखा के आकार में भिन्न है।
इस मोर मे मादा की लंबाई 3.6 फीट होती है।और इसका वजन 2.5 पाउंड वजन होता है।यह जमीन पर घोसला बनाते हैं और मादा 3 से 6 अंडे देता है।
बीज, कीड़े, सरीसृप, फल और छोटे जानवर खाता है। इसके अलावा यह विषैले सांपों का शिकार भी करता है। हरे मोर की तीन प्रमुख प्रजातियां पाई जाती हैं।हालांकि कुछ वैज्ञानिक इसको 5 प्रजातियों के अंदर विभाजित किये थे लेकिन इनमे से कुछ अब विलुप्त हो चुकी हैं।
मादा की शिखा में थोड़ी चौड़ी पट्टियाँ होती हैं, जबकि उनमे से नर पतले और लम्बे होते हैं। चेहरे की त्वचा सफेद से हल्की नीली और धारीदार है और कान के बगल में पीले रंग की है। भौं की ओर आंख के नीचे का काला त्रिकोण पुरुष में नीला-हरा और मादा में भूरा होता है।
दक्षिण पूर्व एशिया , पूर्वी और उत्तर-पूर्वी से अतीत में भारत , उत्तरी म्यांमार , और दक्षिणी चीन जैसे स्थानों पर यह व्यापक रूप से पाया जाता है। थाईलैंड में वियतनाम , कंबोडिया , प्रायद्वीपीय मलेशिया , और के द्वीपों जावा के अंदर इस मोर का निवास स्थान है।
उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय , साथ ही सदाबहार और पर्णपाती वनों के अंदर पाये जाते हैं।यह बांस के खेतों ,सवाना घास और झाडियों व खेतों के अंदर आपको मिल सकते हैं।
हरे मोर आमतौर पर कई सारी मादाओं के साथ संबंध बनाते हैं। नर एकांत के अंदर रहना बहुत अधिक पसंद करते हैं।इनके हरम के अंदर कई मादाएं रह सकती हैं।आहार में मुख्य रूप से फल , अकशेरुकी , सरीसृप , मेंढक का शिकार करना यह पसंद करते हैं। इसके अलावा फूलों की कलियां और जामुन इनका पसंदिदा भोजन है।
IUCN रेड लिस्ट के अंदर इस मोर को रखा गया है।पीछले सालों मे दुनिया मे इस मोर की आबादी मे काफी गिरावट देखी गई है।हुआई खा खेंग वन्यजीव अभयारण्य , वियतनाम में कैट टीएन नेशनल पार्क और इंडोनेशिया के जावा में बलुरन नेशनल पार्क , उजुंग कुलोन नेशनल पार्क इस मोर के लिए संरक्षित हैं।
सन 1995 ई के अंदर जब गणना हुई थी तो इस मोर की आबादी लगभग 10000 होने का अनुमान है।ग्रे मोर-तीतर म्यांमार का राष्ट्रीय पक्षी है, लेकिन हरा मोर बर्मा के राजाओं का एक प्राचीन प्रतीक था।
- पावो म्यूटिकस म्यूटिकस , जावा मोर- जावा, इंडोनेशिया के पूर्व और पश्चिमी छोर पर इस मोर की अधिक आबादी पाई जाती है।हरे मोर की यह सबसे रंगीन उपप्रजातियों मे से एक मानी गई है।गर्दन और स्तन मे सुनहरा रंग होता है।
- पी। एम साम्राज्यवादी , इंडो–चाइनीज मोर – पूर्व म्यांमार से लेकर थाईलैंड, चीन में युन्नान प्रांत और इंडोचीन हरे मोर की उप प्रजाति पाई जाती है।यह सबसे आम उपप्रजाति है और इसका सबसे व्यापक वितरण भी है। उत्तरी थाईलैंड में नान , योम , इंग और पिंग नदी के घाटियों के अंदर भी इसकी आबादी पाई जाती है।
- पी एम स्पाइसीफ़र , बर्मीज़ मोर – दक्षिण-पश्चिमी थाईलैंड की ओर म्यांमार व पूर्व में बांग्लादेश के साथ-साथ उत्तरी मलेशिया मे यह पाया जाता है।नर का मुकुट वायलेट-नीला होता है।
Indian Peacock
भारतीय मोर ( पावो क्रिस्टेटस ) एक नीले रंग का मोर होता है।नर मोर चमकीले रंग का होता है जिसके पंख भी चमकीले रंग के होते हैं।मोर के पंख लंबे होते हैं और वह इनको प्रेमलाप के दौरान पदर्शित करता है। लंबे पंख होने के बाद भी वह उड़ने मे सक्षम होता है। भारतिय मोर खेतों के अंदर और खुले जंगल मे रहते हैं और जामुन, अनाज के लिए चारा बनाते हैं लेकिन साँप, छिपकली और छोटे कृन्तकों का सेवन करना पसंद करते हैं। भारतीय मोर को प्रकृति के संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय संघ (IUCN) द्वारा लिस्ट कंसर्न के रूप में सूचीबद्ध किया गया है ।
मोर एक बड़ा पक्षी होता है। जिसकी लंबाई 100 से 115 सेमी तक होती है।व मोर का वजन 4 से 6 किलो तक हो सकता है।जबकि मादा की लंबाई 95 सेंटीमिटर होती है। और मादा का वजन 3 से 4 किलोग्राम तक होता है। हरे मोर की नर भारतिए मोर की तुलना मे थोड़ी लंबी होती है।सिर के पंख छोटे और मुड़े हुए रहते हैं।आंख के ऊपर एक सफेद पट्टी और आंख के नीचे एक अर्धचंद्राकार सफेद पैच नंगी सफेद त्वचा से बनता है। इस मोर की पूंछ मे केवल 20 ही पंख होते हैं। जबकि कुल पंखों की संख्या 200 के करीब होती है।
निचली गर्दन धात्विक हरे रंग की होती है और स्तन के पंख गहरे भूरे रंग के होते हैं। शेष अंडरपार्ट सफेद होते हैं। युवा नर मादा की तरह दिखते हैं।पिया ओउ की आवाज यह काफी जोर से बोलता है।
यह मोर भारतीय उपमहाद्वीप के अंदर रहता है। और 1800 मीटर की उंचाई के नीचे पाया जाता है।यह नम और शुष्क पर्णपाती वनों के अंदर आपको देखने को मिल सकता है।संयुक्त राज्य अमेरिका , मैक्सिको , होंडुरास , कोलंबिया , गुयाना , सूरीनाम , ब्राजील , उरुग्वे , अर्जेंटीना , दक्षिण अफ्रीका , पुर्तगाल , मेडागास्कर , मॉरीशस , रियूनियन , इंडोनेशिया , पापुआ न्यू गिनी जैसे स्थानों पर इस मोर को पेश किया गया है।
भारतिय मोर भी दिन मे भोजन करते हैं। मोर आमतौर पर सुबह और शाम के समय अधिक सक्रिय होता है। दिन मे धूप के समय आराम करता है। यह रात मे उंचे पेड़ और इमारतों पर शरण लेते हैं। नर और मादा का अनुपात अलग अलग हो सकता है। कुछ जगहों पर 100 मादाओं पर केवल 43 नर ही मिले हैं। जबकि कुछ जगहों पर 100 मादाओं पर 200 से अधिक नर हैं।
जैसा कि हमने पहले ही बताया है कि मोर बहुपत्नी होते हैं। इनका प्रजनन मौसम पर निर्भर करता है। मोर 2 से 3 साल की उम्र मे परिपक्व हो जाते हैं। नर मोर मादा मोर को लुभाने के लिए एकत्रित होते हैं। और मादा को लुभाने की कोशिश करते हैं।दक्षिणी भारत में पीक सीज़न अप्रैल से मई, श्रीलंका में जनवरी से मार्च और उत्तरी भारत में जून के महिने मे प्रजनन होता है। मोर के घोसले जमीन पर होते हैं या फिर वे किसी ईमारतों पर भी हो सकते हैं। भारतिए मोर 4 से 8 अंडे देते हैं। मादा अंडों को 28 दिन तक सेती है। उसके बाद उससे बच्चे निकलते हैं।जब बच्चे निकल जाते हैं तो वे मादा के साथ ही रहते हैं। और यदि कोई दूसरा शिकारी जीव बच्चों पर हमला करता है तो मादा उससे अपने बच्चों की रक्षा करती है।
बीज, कीड़े, फल, छोटे स्तनपायी और सरीसृप भारतिय मोर सेवन करते हैं।भारतिए मोर सर्वाहरी होते हैं।यह खेतों के अंदर बाजरा और गेंहू व धान का भी सेवन करते हैं।
वर्तमान मे मोर की संख्या को 100,000 से अधिक आंका गया है। भारत के अंदर मोर का शिकार मांस और पंखों के लिए किया जाता है । मोर को मारना भारत मे कानूनी रूप से अपराध माना गया है।वैसे मोर फसलों को नुकसान पहुंचा सकते है।लेकिन यदि देखा जाए तो अब मोर की आबादी उतनी अधिक नहीं रही है। पहले हमारे यहां पर बहुत अधिक मोर देखने को मिलते थे लेकिन अब मोर की आबादी मे तेजी से कमी आई है। हालांकि इसके पीछे क्या कारण है ? इस बारे मे कुछ नहीं कहा जा सकता है।
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मोर से जुड़े कुछ मजेदार तथ्य
अब तक हमने मोर कितने प्रकार के होते हैं के बारे मे विस्तार से जाना था। आइए अब जानते हैं मोर से जुड़े कुछ मजेदार तथ्यों के बारे मे जिनको आपको जरूर जानना चाहिए।
वह नर मोर है जिसके पास सजावटी पंख होते हैं
दोस्तों आपने देखा होगा कि कुछ मोर सजावटी होते हैं। उसके सुंदर पंख होते हैं तो आपको बतादें कि केवल नर मोर ही सजावटी होता है मादा सजावटी नहीं होती है।
मोर के पंखों को ट्रेन कहा जाता है
मोर के पंखों को ट्रेन कहा जाता है।यह हिस्सा अधिक सजावटी होता है और रंगीन भी होता है। देखने मे बहुत अधिक सुंदर भी लगता है।
मोर की पूंछ शरीर की लंबाई की 60 प्रतिशत तक होती है
ट्रेन पर रंगीन आंखों के आकार के निशान नीले, लाल, सोने जैसे निशान हो सकते हैं। मोर की पूंछ काफी लंबी होती है।
मोर की लंबी पूंछ प्रेमलाप और संभोग के लिए होती है
क्या आपको पता है कि मोर की लंबी पूंछ का क्या उदेश्य है तो मोर की लंबी पूंछ मादा को आकर्षित करने का कार्य करती है। यह नर मोर को बेहतर साबित करती है।
मोर के पंख क्रिस्टल की तरह दिखाई देते हैं
रंगीन ट्रेन पर प्रकाश की विभिन्न तरंग दैर्ध्य का प्रतिबिंब दिखाई देता है।मोर की ट्रेन के फ्लोरोसेंट रंगों के लिए क्रिस्टल जैसी संरचनाएं जिम्मेदार हैं।।
एक मोर की पूंछ जन्म के तीन साल बाद विकसित होती है
दोस्तों आपको बतादें कि जन्म के बाद एक मोर के लिंग की पहचान नहीं हो सकती है।जन्म के बाद वे अपनी माता के साथ रहते हैं । फिर स्वतंत्र रूप से रहने लगते हैं।
मोर के दो पैर और 4 उंगली होते हैं
मोर के दो पैर होते हैं।इसके तीन उंगली आगे की तरफ और एक पीछे की तरफ होती है। आगे की उंगली थोड़ी लंबी होती है जो मोर को पेड़ पर बैठने के लिए काफी मददगार होती है।
मोर की ध्वनी कम पिच की होती है
जब मोर अपनी पूंछ को हिलाते हैं तो वे एक तरह की ध्वनी पैदा करते हैं।यह ध्वनि हमे बस सरसराहट लगती है। हम इसको सही तरीके से नहीं सुन पाते हैं लेकिन दूसरे मोर इसको आसानी से समझ लेते हैं।
मोर 11 अलग अलग प्रकार की आवाजे निकाल सकता है
आपको बतादें कि मोर 11 अलग अलग प्रकार की आवाजें निकाल सकता है।यह काफी तेज आवाज निकालता है। और इस वजह से यह काफी बेकार आवाज भी आपको लग सकती है लेकिन कुछ आवाज सुंदर भी लगती हैं।
मोर झुंड के अंदर रहना पसंद करते हैं
अक्सर आपने देखा होगा कि अधिकतर मोर झुंड के अंदर रहना पसंद करते हैं मोर अक्सर झुंड के अंदर दाना चुगते हुए या घूमते हुए देखे जा सकते हैं।
मोर के समूह को हरम के नाम से जाना जाता है
दोस्तों मोर के समूह को हरम के नाम से जानते हैं। इस हरम के अंदर नर और मादा हो सकते हैं। अक्सर यह झुंड के रूप मे रहते हैं।
मोर आक्रमक हो सकते हैं
मोर कभी कभी काफी आक्रमक भी होते हैं ।ऐसा तब होता है जब कोई अजनबी मोर या मोर को नुकसान पहुंचाने के लिए कोई उनकी सीमा के अंदर प्रवेश करते हैं। आमतौर पर जब मादा बच्चे देती है तो उनकी रक्षा के लिए मादा और नर आक्रमक हो सकते हैं।
मोर की उम्र 10 से 20 साल ही होती है
मोर की उम्र जंगल के अंदर बहुत ही कम होती है। यह अधिकतर 20 साल तक ही जिंदा रहते हैं। जबकि यदि उनको कैद मे रखा जाए तो आसानी से 50 साल तक जिंदा रह सकते हैं।जंगल मे उम्र कम होने का कारण यह है कि मोर भोजन और वातावरण से अधिक संर्घष करते हैं।
मोर बहुपत्नी रखते हैं
दोस्तों मोर 5 मादाओं के साथ विवाह कर सकते हैं। और कई बार एक मोर इससे भी अधिक मादाओं के साथ विवाह करते हैं। इसका सबसे बड़ा कारण यह होता है कि अधिकतर एरिया मे नर की संख्या मादा से बहुत ही कम होती है।
मोर काफी चतुर पक्षी होते हैं
दोस्तों मोर काफी चतुर पक्षी होते हैं वे शिकारियों को भ्रमित करने के लिए अपने घोसले से दूर अन्य स्थानों पर अशुद्ध अंडे भी दे सकते हैं जिससे शिकारी आसानी से धोखा खा सकते हैं।
मोर उड़ने मे भी सक्षम होते हैं
मोर वजन मे भारी होने की वजह से अधिक दूर तक नहीं उड़ सकते हैं लेकिन फिर भी पेड़ पर बैठने और लंबी दूरी की यात्रा करने के लिए वे उड़ सकते हैं।
मादा मोर को पेहेन कहा जाता है
मादा मोर को पेहेन के नाम से जाना जाता है। अक्सर लोग मादा के पेहेन नाम के बारे मे नहीं जानते हैं वे मादा मो मारनी कहते हैं।
- मोर की औसत चलने की गति 10 मील प्रति घंटा की गति से चल सकते हैं।
- मोर के छोटे बच्चों को चूजों के नाम से जाना जाता है।
- कांगो मोर को छोड़कर दूसरी मोर की प्रजाति विलुप्त की कगार पर नहीं हैं।
- 2,000 से अधिक वर्षों के लिए, मोर को मनोरंजन प्रयोजनों या धर्म के लिए दुनिया भर में कैद में रखा गया है।
- 3000 साल पहले, फीनिशियन मोर को मिस्र से आयात करते थे और वे लोग वहां पर उनका प्रयोग सजावट के लिए करते थे ।
- मोर सांपों के साथ ना केवल लड़ सकते हैं वरन उनको आसानी से खा भी सकते हैं और मार सकते हैं।
- आपको बतादें कि यदि एक मोर को पानी के अंदर छोड़ दिया जाए तो वे तैर नहीं पाएंगे ।
- कुत्ते, बाघ, बिल्ली, रैकून और मानव मोर का शिकार कर सकते हैं।
- मोर जब खतरे को महसूस करते हैं तो वे सबसे अधिक शौर करते हैं।
- मोर के पंखों को प्राप्त करने के लिए उनको मारने की जरूरत नहीं होती है। प्रजनन के बाद वे अपने सारे पंखों को अपने आप ही गिरा देते हैं।
- ईसाई धर्म के अंदर मोर को चिरस्थायी जीवन के रूप मे देखा गया है।
- ग्रीक और रोमन के अंदर देवी हेरा को मोर के साथ दिखाया जाता है।
- भारत के राष्ट्रीय पक्षी मोर हैं, बल्कि वे हिंदू धर्म में दया, परोपकार, ज्ञान और दया का प्रतीक मोर होता है।
मोर कितने प्रकार के होते हैं ? लेख के अंदर हमने मोर के प्रकार के बारे मे विस्तार से जाना । उम्मीद करते हैं कि आपको यह लेख पसंद आया होगा । यदि आपका इससे संबंधित कोई सवाल है तो आप नीचे कमेंट करके पूछ सकते हैं।
This post was last modified on October 22, 2020