सोलर पैनल बनाने की तरीका और सौर उर्जा कैसे बनती है ?

‌‌‌हम बात करने वाले हैं सोलर पैनल बनाने की तरीका, सौर ऊर्जा प्लेट बनाने की विधि ,सोलर पैनल बनाने की विधि  के बारे मे

‌‌‌सौर उर्जा वह है जो सूर्य से प्राप्त की जाती है।सौर उर्जा धरती पर सभी प्राणियों के लिए फ्री के अंदर उपलब्ध है और इसके लिए किसी को कुछ भी देने की आवश्यकता नहीं है।सौर उर्जा का प्रयोग अलग अलग प्रकार से किया जाता है।सौर उर्जा को एकत्रित करने के लिए दो तरीके प्रयोग मे लिये जाते हैं । सबसे  प्रकाश-विद्युत सेल की मदद से और दुसरा उर्जा के द्धारा पानी को गर्म करके जनित्र चलाया जाता है। वैसे आजकल सौर उर्जा का प्रयोग बहुत ही तेजी से बढ़ रहा है। इसका सबसे बड़ा कारण तो यही है कि ‌‌‌यह बहुत ही सस्ती होती है।बस आपको एक बार खर्च करना होता है उसके बाद 25 साल तक कुछ भी खर्च करने की आवश्यता नहीं है। इतनी सालों के अंदर बिजली आपके लिए बहुत ही महंगी साबित होती है।

‌‌‌आज बिजली की कीमत बहुत अधिक होती जा रही है।इसका एक ही समाधान है और वो है सोलर उर्जा । इसकी प्लेट आप अपने घर के अंदर लगा सकते हैं और बिजली का उत्पादन कर सकते हैं। इतना ही नहीं आप दिन के अंदर तो पंखे और टीवी सब कुछ चला सकते हैं। ‌‌‌मतलब कि आप बिजली की भारी बचत कर सकते हैं। सौर उष्मा का उपयोग अनाज को सुखाने, जल उष्मन, खाना पकाने, प्रशीतन, जल परिष्करण तथा विद्युत ऊर्जा उत्पादन हेतु किया जा सकता है।सौर उर्जा का प्रयोग टीवी और रेडियो व पंखे वैगरह चलाने मे भी किया जा सकता है।

‌‌‌यदि आप बिजली के बिल से काफी परेशान हो चुके हैं तो आपके लिए सौलर पैनल सबसे अच्छा विकल्प है। इसमे आपको कई प्रकार के फायदे मिलेंगे । हालांकि हमने अपने घर मे सोलर पैनल नहीं लगाया है किंतु जो लोग इनका यूज करते हैं उनका बिजली बिल बहुत ही कम हो गया है। ‌‌‌और उनके लिए यह बहुत ही राहत की बात है।मैं कई ऐसे लोगों को जानता हूं जोकि बहुत कम बिजली खर्च करने के बाद भी शहर के नाम से वे बिजली कम्पनियों के द्धारा लूटे जाते थे । उनके लिए यह काफी अच्छा हो रहा है। ‌‌‌यदि आप भी बिजली बिल से राहत पाना चाहते हैं तो यही एकमात्र तरीका है।

सूर्य के प्रकाश से बिजली बनाने से कार्बन डाइऑक्साइड का उत्पादन नहीं होता है और यह ग्लोबल वार्मिंग में शामिल नहीं होता है। कैलिफ़ोर्निया के अंदर लोग सौलर पैनल स्थापित करने के लिए उन लोगों की भी मदद कर रहे हैं जो इनको स्थापित करने मे सक्षम नहीं हैं। भारत के अंदर भी लोग बड़े पैमाने पर सोलर एनर्जी ‌‌‌ की तरफ रूख कर रहे हैं।

सौर ऊर्जा बनाने की विधि solar panel banane ki vidhi

‌‌‌तो आइए अब हम जान लेते हैं कि किस प्रकार से सौर उर्जा बनती है और सैलर पैनल किस प्रकार से सौर उर्जा को कलेक्ट करता है। ‌‌‌वैसे हम आपको बतादें कि आप घर पर भी एक सौलर पैनल बना सकते हैं लेकिन यह ठीक से सैट नहीं हो पाएगा तो आप बाजार से ही खरीदें । वह अधिक बेहतर तरीके से काम करेगा ।

‌‌‌हम सभी ने फोटोवोल्टिक सौर पैनल के बारे मे सुना ही होगा लेकिन बहुत ही कम लोग यह जानते हैं कि यह सैल किस प्रकार से काम करते हैं ।

  • ‌‌‌सूर्य की उर्जा सबसे पहले सौर पैनलों से टकराती है और एक विधुतिय क्षेत्र बनाती है।
  • उसके बाद यह बिजली सौलर पैनल से जुड़े तार के अंदर प्रवाहित होने लग जाती है।
  • यह तार एक इन्वर्टर से जुड़ा होता है और आपको बतादें कि सौलर पैनल डिसी का उत्पादन करते हैं । इन्वर्टर इसको ऐसी के अंदर बदल देता है।
  • एक अन्य तार इन्वर्टर से इलेक्ट्रिक पैनल को प्रॉपर्टी पर इलेक्ट्रिक पैनल तक पहुंचाता है, जो पूरे भवन में आवश्यकतानुसार बिजली वितरित करता है।
  • ‌‌‌जैसे जैसे बिजली मीटर से आगे की तरफ जाती है।मीटर पीछे चलने लग जाता है। जिसके परिणाम स्वरूप रिडिंग के अंदर अपने आप ही कमी आनी शूरू हो जाती है।

सौर पीवी पैनल कई छोटे फोटोवोल्टिक कोशिकाओं से बने होते हैं – फोटोवोल्टिक अर्थ वे सूर्य के प्रकाश को बिजली में बदल सकते हैं।सिलिकॉन का इसके अंदर प्रयोग किया जाता है ,जो विधुत क्षेत्र को बनाए रखने के लिए आवश्यक असंतुलन को पैदा करने का कार्यकरती हैं। ‌‌‌जब सूर्य की रौशनी अद्र्धचालक पर टकराती हैं तो प्रकाश उर्जा फोटोन के रूप मे अवशोषित होती है।इससे कई इलेक्ट्रॉन डीले हो जाते हैं और सूर्य उर्जा स्वतंत्र रूप से बहती है।

‌‌‌सौलर सैल के सकारात्मक और नकारात्मक क्षेत्र बन जाते हैं ।यही विधुत क्षेत्र बहने वाले इलेक्ट्रॉनों को एक निश्चित दिशा के अंदर प्रवाहित करने को मजबूर कर देते हैं।इसी को उर्जा प्रवाह कहा जाता है।

‌‌‌उसके बाद इलेक्ट्रॉनों तारों के माध्यम से प्रवाहित होते हैं।जैसा कि उपर बताया जा चुका है सौलर सैल डीसी करंट का उत्पादन करते हैं और इससे एक इन्वर्टर जुड़ा होता है जो डसी को एसी के अंदर बदलता है क्योंकि हमारे घर के अंदर सारे उपकरण ऐसी करंट पर काम करने वाले होते हैं।

‌‌‌हालांकि कुछ लोग बिना इन्वर्टर के डीसी उपकरणों का भी प्रयोग करते हैं।इसे इन्वर्टर से इलेक्ट्रिकल पैनल के अंदर भेजा जाता है। जिससे बिजली पूरे भवन के अंदर वितरित हो जाती है।और उसके बाद उपकरणों को आसानी से चलाया जा सकता है।

ब्रेकर बॉक्स के माध्यम से बची हुई बिजली को ग्रिड को देदिया जाता है। आमतौर पर जब आपके सौलर पैनल की बिजली अधिक होती है तो यह ग्रिड को ट्रांसफर होती रहती है और जितनी बिजली ट्रांसफर होती है वह मीटर के अंदर अंकित होती है। लेकिन यदि आपको अधिक बिजली की जरूरत होती है तो उसके बाद वह आपको ग्रिड ‌‌‌ से लेनी होती है और इसके लिए आपको अतिरिक्त चार्ज भी देना होता है।

‌‌‌तो अब आप समझ गए होंगे कि सौर उर्जा बनाने की विधि क्या होती है? बहुत से लोग अपने घर के अंदर सौर उर्जा प्लेट लगाते हैं और उसके बाद बिजली को ग्रिड को बेच देते हैं। ऐसा करके वे काफी पैसा कमा रहे हैं। यदि आपके पास जमीन  है तो आप अपने पैसों से सौलर पैनल लगाकर ग्रिड को बिजली बेच सकते हैं।‌‌‌बस इसके अंदर आपको सिर्फ एक बार पैसा खर्च करना होता है।

सोलर पैनल बनाने की तरीका solar panel banane ka tarika

अधिकांश सौर पैनल अभी भी सिलिकॉन क्रिस्टलीय कोशिकाओं की एक श्रृंखला से बने होते हैं, जो सामने की कांच की प्लेट और एल्यूमीनियम फ्रेम के भीतर समर्थित एक रियर पॉलीमर प्लास्टिक बैक-शीट के बीच होते हैं।

‌‌‌एक बार स्थापित हो जाने के बाद सौर पैनल 25 साल तक काम करता है लेकिन आद्रता ,तापमान और हवा जैसी चीजें सौलर पैनल पर प्रभाव डालती हैं।इसकी वजह से कुछ पैनल बाद मे विफल हो सकते हैं। इन सब समस्याओं को ध्यान मे रखके ही सौलर पैनल को उच्च गुणवकता का बनाया जाता है।

सौर फोटोवोल्टिक सैल को बनाने के लिए सिलिकॉन क्रिस्टलीय का प्रयोग किया जाता है।सिलिकॉन क्रिस्टलीय पॉलीक्रिस्टलाइन या मोनोक्रिस्टलाइन हो सकते हैं और इनके अंदर सबसे अच्छे मोनोक्रिस्टलाइन  हैं जो थोड़ें महंगे होते हैं लेकिन अधिक उर्जा का उत्पादन करते हैं।

पॉलीक्रिस्टलाइन थोड़े सस्ते होते हैं और इनको कई प्रक्रियाओं के बाद बनाया जाता है।आजकल मोनोक्रिस्टलाइन को भी कम लागत के साथ बनाया जाता है । जिसकी वजह से यह सस्ते हो गए हैं और अधिकतर लोग इनको खरीदना पसंद करते हैं।

  • मोनोक्रिस्टलाइन सिलिकॉन सेल – उच्चतम दक्षता और उच्चतम लागत
  • कास्ट मोनोसिलिकॉन सेल – उच्च दक्षता और कम लागत
  • पॉलीक्रिस्टलाइन सिलिकॉन सेल – कम दक्षता और सबसे कम लागत

सोलर पैनल बनाने की तरीका क्रिस्टलीय सिलिकॉन के निर्माण की प्रक्रिया

सिलिकॉन को सबसे पहले रेत से निकालते हैं।सिलिका सैंड को कार्बन आर्क वेल्डिंग की प्रक्रिया के माध्यम से शुद्ध किया जाता है।इस प्रक्रिया से गैरजरूरी आक्सिजन निकलता है।इसके बाद  99% शुद्ध सिलिका  प्राप्त हो जाता है।‌‌‌उसके बाद सिलिका को और अधिक शुद्ध किया जाता है।यही शुद्ध पॉलीक्रिस्टलाइन सिलिकॉन है।अब इसको पी या एन टाइप बनाने के लिए फास्फोरस की ट्रेस मात्रा के साथ डोप किया जाता है।

‌‌‌अब पॉलीक्रिस्टलीन सिलिकॉन को पिघलाया जाता है और उसके बाद उसे एक आयताकर बॉक्स के अंदर डाला जाता है।और हीरे तार काटने की विधि का प्रयोग करके कटा हुआ बनाते हैं।

सौर पैनलों को कैसे बनाया जाता है

‌‌‌सौलर पैनल बनाने के लिए कई स्टेप्स को पुरा करना होता है। और नीचे एक सोलर पैनल बनाने की पूरी स्टेप्स दिया गया है।यह जानकारी हमने  अलग अलग सोर्स से एकत्रित की है।

सोलर पैनल बनाने की तरीका सोलर पीवी सेल

सौर फोटोवोल्टिक सेल सीधे ही सूर्य की उर्जा को डीसी के अंदर बदल देते हैं।यह सिलिकॉन के होते हैं जिनके बारे हम आपको उपर बता ही चुके हैं।जिसमें दो मुख्य प्रकार मोनोक्रिस्टलाइन और पॉलीक्रिस्टलाइन सिलिकॉन होते हैं।

 यह पॉजिटिव पी टाइप और नगेटिव एन टाइप बनाए जाते हैं।‌‌‌यह अलग अलग प्रकार की दक्षता के साथ बनाए जाते हैं।अधिकाशं आवासिय पैनल के अंदर 16 पॉलीक्रिस्टलाइन सेल होते हैं।जो 30 से 40 वोल्ट तक वोल्टेज उत्पन्न करती हैं।‌‌‌जबकि बिजनेस के प्रयोग के लिए 70 से 80 सैल का प्रयोग किया जाता है।

ग्लास

‌‌‌पीवी सी प्लेट को यदि आपने देखा होगा तो उसके उपर एक ग्लास लगा होता है।यह सैल को मलबे और धूप से बचाने का काम करती है। जिससे कचरा सैल को नुकसान नहीं पहुंचा पाता है।ग्लास आमतौर पर उच्च शक्ति वाला टेम्पर्ड ग्लास होता है जो 3.0 से 4.0 मिमी मोटा होता है।इसको यांत्रिक भार को सहन करने और तापमान को सहन करने के लिए बनाया गया है।

‌‌‌इन सोलर पैनल को 1 इंच के औलों के प्रभाव को सहन करने के लिए डिजाइन किया गया है।इसके अंदर एक मानक ग्लास का भी प्रयोग किया जाता है जो गम्भीर दुर्घटना मे सैल की सुरक्षा करता है।

सोलर पैनल बनाने की तरीका एल्यूमिनियम फ्रेम

एल्यूमीनियम फ्रेम सेल की रक्षा करने और पैनल को माउंट करने के लिए बनाई जाती है। एल्यूमीनियम के बाहर निकले वर्गों को कड़े प्रतिरोध को सहन करने के लिए बनाया जाता है।एल्यूमीनियम फ्रेम सिल्वर या एनोडाइज्ड ब्लैक हो सकता है । वैसे इसको अलग अलग निर्माता अलग अलग तरीके से बनाते हैं।

ईवा फिल्म

यह एथिलीन विनाइल एसीटेट है। यह एक प्लास्टिक की पारदर्शी परत होती है।इसका प्रयोग सैल को सही स्थिति मे रखने के लिए किया जाता है।यह अधिक टिकाउ होती है और नमी को सहन करने वाली होती है।यह गंदगी के प्रवेश को रोकर सैल को लंबा जीवन प्रदान करती है।

‌‌‌यह पीवी सैल को अचानक से होने वाले आघात से भी सुरक्षा देती है।और वायब्रेशन से वायर के कनेक्सन को स्थिर रखती है।यह पानी के प्रवेश को भी रोकने का काम करती है।

बैकशीट

बैकशीट सौर पैनल की सबसे उपर परत होती है। यह पैनल को यांत्रिक सुरक्षा प्रदान करती है।और यह विधुत इन्सुलेश प्रदान करती है। नमी से भी सुरक्षा भी प्रदान करती है। बैकशीट सामग्री पीपी, पीईटी और पीवीएफ सहित विभिन्न पॉलिमर या प्लास्टिक से बना है जो विभिन्न स्तरों की सुरक्षा, थर्मल स्थिरता और दीर्घकालिक यूवी प्रतिरोध प्रदान करते हैं। बैकशीट की परत आमतौर पर सफेद रंग की होती है ‌‌‌लेकिन यह कुछ जगहों पर काले रंग के अंदर भी उपलब्ध है।

जंक्शन बॉक्स  और कनेक्टर्स

solar-cell

जंक्शन बॉक्स पैनल के पीछे की ओर स्थित एक छोटा सा बॉक्स होता है और इसकी मदद से केबलों को आपस मे कनेक्ट किया जाता है। यह अधिक महत्वूपर्ण होता है । इसको गंदगी और नमी से बचाया जाना चाहिए ।

बायपास डायोड

बायपास डायोड जंक्सन बॉक्स के अंदर होते हैं।यह धारा को एक दिशा के अंदर बहने की अनुमती देते हैं।एक विशिष्ट 60 सेल पैनल में 20 पीवी सेल की 3 पंक्तियाँ होती हैं और  3 बायपास डायोड होते हैं। ‌‌‌इन डायोड के विफल होने का खतरा होता है।इसलिए इनको बदला होता है। लेकिन आधुनिक सौर पैनल के अंदर लंबे समय तक चलने वाले डायोड का प्रयोग किया जाता है।

सौर MC4 कनेक्टर्स

‌‌‌सभी सौर पैनल के अंदर मौसम प्रतिरोधी प्लग और सॉकेट जुड़े होते हैं।इनको सौर MC4 कनेक्टर्स कहा जाता है।सौर MC4 कनेक्टर्स को काफी मजबूत बनाया जाता है ताकि 1000V तक कम और उच्च वोल्टेज दोनों पर न्यूनतम प्रतिरोध के साथ होना चाहिए।

‌‌‌इन कनेक्टर्स को मानक 4 मिमी या 6 मिमी डबल इंसुलेटेड सोलर डीसी केबल के साथ टिनडेड कॉपर मल्टी-स्ट्रैंड कोर के साथ न्यूनतम प्रतिरोध के लिए डिज़ाइन किया गया है।

‌‌‌सूर्य उर्जा एक मुक्त स्त्रोत है ,जो कभी खत्म नहीं होने वाली है इसके विपरित गैस और दूसरे संसाधन तेजी से खत्म हो रहे हैं।और बिजली के उत्पादन वैगरह से ग्रिनहाउस गैसों की समस्या भी तेजी से बढ़ रही है। सौर पैनल विषाक्त नहीं होते हैं।धुनिक क्रिस्टलीय सिलिकॉन सौर पैनलों में लगभग  कोई विषाक्त सामग्री नहीं होती है ।आज दुनिया भर में स्थापित 98% सौर पैनल क्रिस्टलीय सिलिकॉन किस्म के हैं और यदि सौर पैनल नष्ट हो जाते हैं तो उसके बाद भी प्रदूषण का कारण नहीं बनते हैं।

‌‌‌सोलर पैनल की कीमत

दोस्तों सौलर पैनल की कीमत अलग अलग होती है।और यह निर्भर करती है कि आप कौनसा ब्रांड ,क्वालिटी का ले रहे हैं। आपको मार्केट के अंदर सोलर प्लेट के वाट की कीमत 18 से 36 रूपये के अंदर मिल जाएगी । नीचे हमने एक टेबल दी है आप उसके अंदर भी देख सकते हैं।‌‌‌जैसे यदि आप एककिलोवाट का सौलर पैनल लगाते हैं तो फिर आपको कम से कम 30000 रूपये देने होंगे ।

‌‌‌सौलर पैन‌‌‌ल      ‌‌‌मार्केट कीमत         ‌‌‌प्रतिवाट कीमत

  • 10 वाट    750    75
  • 20 वाट      1300        65
  • 40 वाट      1900         47
  • 50 वाट      2400         48
  • 75 वाट      4000        53
  • 125 वाट    6000          48
  • 180 वाट    7500           41
  • 330 वाट    11500     34
  • 375 वाट    13000      34
  • 400 वाट    14000      35

इनवर्टर (Inverter)

दोस्तों जैसा कि हमने आपको पहले ही बताया था कि सौलर पैनल डीसी करंट का उत्पादन करता है। और हमारे घरेलू उपकरण एसी पर  चलते हैं तो डीसी को ऐसी के अंदर बदलने के लिए इनवर्टर का यूज होता है।  ‌‌‌वैसे तो आप अलग से भी डीसी उपकरणों को खरीद सकते हैं लेकिन यह एक अच्छा आइडिया नहीं होगा । इन्वर्टर आपको मार्केट के अंदर अलग अलग प्रकार के मिलते हैं।750 VA/12V का सौलर इर्न्वटर आपको 75 रूपये वॉट के अंदर मिलेगा । और जैसे जैसे आप अधिक वॉट का सौलर पैनल लेंगे पर वाट प्राइस घट जाएगी ।1100 VA/12V सौलर इर्न्वटर आपको 65 प्रति वॉट आपको मिलेगा जिसकी मार्केट कीमत लगभग 1300 रूपये होगी । इसी प्रकार से 1800 VA/24V का सौलर इर्न्वटर आपको 2500 रूपये के अंदर ‌‌‌ मिल जाएगा ।

बैटरी (Battery)

सौलर पैनल रात के अंदर काम नहीं करता है क्योंकि रात मे सूर्य की रोशनी नहीं होती है। ऐसी स्थिति मे आपको एक बैटरी का प्रयोग करना होगा जो दिन के दौरान सौलर पैनल से चार्ज होगी और उसके बाद रात मे आप उसकी मदद से बल्ब वैगरह जला सकते हैं।‌‌‌वैसे कुछ ऐसे भी हैं जो दिन के अंदर ही सौलर पैनल का यूज करते हैं रात मे बिजली का प्रयोग करते हैं। जैसे गांव के अंदर रहने वाले लोग ऐसा ही करते हैं। वे दिन मे सौलर पैनल का उपयोग करते हुए पंखे वैगरह चलाते हैं और रात मे उनको पंखे चलाने की आवश्यकता नहीं होती है।या बहुत कम होती है।‌‌‌मतलब कि आप बिना बैटरी के भी काम चला सकते हैं। 

Solar Panel Stand

Solar Panel Stand सौलर प्लेट को माउंट करने के लिए प्रयोग मे लिया जाता है। आपने देखा होगा कि सौलर प्लेट एक एंगल पर लगी होती हैं उनको माउंट करने के लिए जो स्टैंड प्रयोग मे लिया जाता है। उसी को सौलर स्टैंड कहते हैं।

‌‌‌क्या सर्दी मे सौलर पैनल काम करेगा

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बहुत से लोग यह सवाल करते हैं कि क्या सौलर पैनल सर्दी के अंदर सही से काम करेगा ? तो आपको बतादें कि इंडिया के अंदर तो सौलर पैनल सर्दी मे सही से काम करेगा ही । जब धुंध आती है तो यह 12 बजे तक बिजली कम पैदा करता है लेकिन उसके बाद धूप निकलने पर बिजली आसानी से ‌‌‌पैदा हो जाती है।इसके अलावा जिन इलाकों के अंदर बर्फ पड़ती है। उन इलाकों मे साल मे 200 दिन तक आसानी से सौलर पैनल आसानी से काम करता है।

‌‌‌कौनसा सौलर सिस्टम आपके लिए बेहतर साबित हो सकता है ?

जैसा कि आपको पता ही होगा । बिजली की कीमत तेजी से बढ़ती जा रही हैं। और ऐसी स्थिति के अंदर एक मजूदर किसान के लिए बिजली की कीमतों को चुकाने मे समस्या हो रही है तो इसका अच्छा विकल्प सौलर सिस्टम हो सकता है।‌‌‌इन बिजली की बढ़ती कीमतों से परेशान होकर ही लोग सौलर की तरफ रूख कर रहे हैं। आमतौर पर दो प्रकार के सौलर सिस्टम का यूज किया जाता है। एक ऑन ग्रिड होता है तो दूसरा ऑफ ग्रिड होता है।

On Grid Solar System

‌‌‌यह मुख्य रूप से बिजली को बचाने के लिए प्रयोग मे लिया जाता है और यह तभी काम करता है जब Main Supply उपलब्ध होती है।जैसे ही मैन सप्लाई बंद हो जाती है। यह सिस्टम भी काम करना बंद कर देता है।इसमे एक इनवर्टर का इस्तेमाल किया जाता है। और यदि यह सिस्टम आपके घर के लोड़ से अधिक बिजली को पैदा ‌‌‌करता है तो वह अधिक बिजली ग्रिड को ट्रांसफर कर दी जाती है। तो आप समझ सकते हैं। कि यह किस प्रकार से काम करता है ।यह सिस्टम केवल उन स्थानों पर काम करता है जहां पर बिजली कम जाती है। और बैकअप के लिए बैटरी आप रख सकते हैं नहीं तो इसकी कोई आवश्यकता नहीं है।

Off Grid Solar System

Off Grid Solar System का यूज काफी होता है।वैसे भी भारत जैसे देश के अंदर यही सिस्टम काम करता है।इसमे बैटरी ,इन्वर्टर का यूज किया जाता है। जब पॉवर सप्लाई बंद हो जाती है तो बैटरी से पॉवर मिलती है।‌‌‌यह सोलर सिस्टम ऐसी जगह पर बहुत अधिक इस्तेमाल किया जाता है जहां पर या तो बिजली नहीं आती है या फिर बिजली है ही नहीं । और बहुत से लोग टूबैवल पर भी इसी सिस्टम का इस्तेमाल करते हैं।

भारत की टॉप 10 Solar Companies

भारत एक ऐसा देश है जहां पर सौर उर्जा का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है। सरकार भी लोगों के अंदर जागरूकता पैदा कर रही है ताकि सौर उर्जा को बढ़ावा दिया जा सके । इसके अलावा अनेक योजनाएं भी चलाई जा रही हैं।2022 तक 175 गीगावॉट तक का लक्ष्य भारत मे रखा गया है। ‌‌‌वैसे आपको बतादें कि सौर उर्जा का अब दौर चल रहा है और लोग इसके अंदर रूचि भी ले रहे हैं। इसका सबसे बड़ा फायदा मिलेगा आमजनता को क्योंकि जो बिजली कम्पनियां मनमाना पैस वसूल रही हैं उनके उपर लगाम लगेगी और आने वाले समय के अंदर हर घर के अंदर सौर उर्जा का प्रयोग होने लग जाएगा । पीएम कुसुम योजना ने डीजल और मिट्टी के तेल पर निर्भरता कम की और सामाजिक ऊर्जा पर भरोसा किया। कुल 20 लाख किसान स्टैंडअलोन सोलर पंप स्थापित करने की योजना थी।

First Solar

‌‌‌यह अमेरिका की एक कम्पनी है जो भारत के अंदर काम कर रही है।पहला सौर उन्नत प्रौद्योगिकी का उपयोग करके व्यापक पीवी सौर प्रणाली का एक अग्रणी वैश्विक प्रदाता है। यह भारत के अंदर फिल्मी माडयूल की आपूर्ति करता है। ‌‌‌यह कम्पनी  दुनिया भर में 175 GW से अधिक सौर मॉड्यूल बेचती है।यदि इस कम्पनी की खास बात देखें तो यह थिन फिल्म मैन्युफैक्चरिंग में लीडर है और यह मॉडूयल उच्च तापमान वाले क्षेत्रों मे कितने उपयोगी हैं कहा नहीं जा सकता है। इसके अलावा High-Efficiency Panels इसकी प्रमुख विशेषताएं हैं।

Canadian Solar

‌‌‌यह कम्पनी कनाडा की है लेकिन इसका कार्य चीन के अंदर होता है क्योंकि चीन मे आसानी से सस्ती लेबर मिल जाती हैं। इसके अलावा इस कम्पनी ने दुनिया भर में 150 से अधिक देशों में 29 से अधिक GW सोलर मॉड्यूल वितरित कियें हैं। यह पिछले 17 सो सालों से काम कर रही है। शॉन क्यू, अध्यक्ष, अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने कनाडा में 2001 में एक निर्भीक मिशन के साथ कनाडा के सौर (NASDAQ: CSIQ) की स्थापना की थी। और इस कम्पनी का मुख्य उदेश्य अधिक से अधिक लोगों तक सौलर उर्जा के उपकरणों को पहुंचाना है।

  • More than 46 GW solar modules shipped
  • Over 15 GW project backlog and pipeline around the world
  • 17 manufacturing facilities in Asia & Americas
  • पॉली सेल दक्षता का नया विश्व रिकॉर्ड 23.81%
  • 590 W तक का सिंगल फेशियल मॉड्यूल
  • मार्च 2020 के अंत तक दुनिया भर में पेटेंट
  • 2,400 से अधिक पेटेंट आवेदन और 1,500 से अधिक प्राधिकृत।

Trina Solar

PV मॉड्यूल और स्मार्ट ऊर्जा समाधान के लिए वैश्विक अग्रणी प्रदाता के रूप में, Trina Solar वैश्विक सतत विकास को बढ़ावा देने के लिए PV उत्पादों, अनुप्रयोगों और सेवाओं का वितरण करती है। इसका मिशन मानवता के सभी के लाभ के लिए दुनिया भर में वैश्विक अक्षय ऊर्जा विकास को बढ़ावा देना है।जून 2020 तक, ट्रिना सोलर ने दुनिया भर में 50 से अधिक गीगावॉट के सौर मॉड्यूल की डिलीवरी की है। Trina Solar ने 3GW से अधिक सौर ऊर्जा संयंत्रों को ग्रिड वर्लवाइड से जोड़ा है। Trina Solar की स्थापना 1997 में Gao Jifan द्वारा की गई थी।यह कम्पनी चीन की है। और चीन के सबसे उपयोगी उधोगों के अंदर गिनी जाती है।

Panasonic

पैनासोनिक कॉरपोरेशन ऑफ नॉर्थ अमेरिका की एक कम्पनी है। ‌‌‌इस कम्पनी को दुनिया के सबसे अच्छे सौलर पैनल निर्माताओं मे से एक माना जाता है।सौर पैनल मॉड्यूल उन्नत और कुशल हैं।1997 में अपने पेटेंट, उच्च दक्षता वाले फोटोवोल्टिक मॉड्यूल से डेब्यू करने के बाद से, पैनासोनिक ने  18 मिलियन से अधिक मॉड्यूल का उत्पादन किया है, जो दुनिया भर के उपभोक्ताओं, व्यवसायों और संस्थानों को स्वच्छ, सस्ती  ऊर्जा प्रदान करता है।

Luminous

‌‌‌यह पीछले 29 साल से काम कर रही है और यह भारत की बड़ी सौलर कम्पनियों मे से एक है।कंपनी की सूरत, भारत में 1.5 गीगावॉट की सौर पैनल विनिर्माण इकाई है।इनवर्टर बैटरी, इनवर्टर जैसे होम इलेक्ट्रिकल्स और सौलर पैनल का यह निर्माण करती है।7 विनिर्माण इकाइयों के साथ, भारत में 28 से अधिक बिक्री कार्यालयों और 36 से अधिक देशों के अंदर यह अपना बिजनेस कर रही है।इस कम्पनी के अंदर 60,000 से अधिक कर्मचारी काम करते हैं।

LG India

‌‌‌यह भारत की ही कम्पनी है और कई प्रकार के सौलर पैनलों का निर्माण करती है।उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स, मोबाइल संचार और घरेलू उपकरणों में एक वैश्विक रूप में, एलजी इंडिया अब बेहतर सौर उत्पादों की पेशकश करता है जो कम खपत दरों के साथ उच्च प्रदर्शन को जोड़ती है।

Tata Solar

Tata Solar का भारत में सबसे बड़ा और सबसे पुराना सोलर पैनल विनिर्माण की कम्पनी है।यह अब ईपीसी सेवाएं प्रदान करने मे लगी हुई है।टाटा सोलर ने दुनिया भर में करीब 1.4 गीगावॉट के सोलर मॉड्यूल्स को शिप किया है। पिछले 20 सालों में भारत में 1.5 गीगावॉट का यूटिलिटी स्केल और 200 मेगावाट का रूफटॉप सोलर प्रोजेक्ट लगाया है। 19 वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में जमशेदजी टाटा द्वारा स्थापित, टाटा समूह दुनिया के सबसे बड़े और सम्मानित व्यापारिक संगठनों में से एक है।

Loom Solar

लूम सोलर प्रा लिमिटेड एक स्टार्ट-अप है, जो मोनो क्रिस्टलीय सौर पैनल और एसी मॉड्यूल का निर्माता है। इसकी शुरुआत वर्ष 2018 में फरीदाबाद, हरियाणा में पूर्व-कार्यकारी अधिकारी अमोल आनंद द्वारा की गई थी। लूम सोलर पूरे भारत में अपने उत्पादों की पेशकश करता है, जिसमें 3 दिन के भीतर ‌‌‌सामान की डिलिवरी करता है। संयुक्त राज्य अमेरिका में 11 वें वार्षिक 2019 गोल्डन ब्रिज बिजनेस एंड इनोवेशन अवार्ड्स में प्रतिष्ठित स्वर्ण और रजत पदक भी लूम सोलर ने जीता है। इसकी आपको हिंदी के अंदर भी वेबसाइट मिल जाएगी ।

Vikram Solar

विक्रम सोलर कोलकाता मे है व इसका मुख्यालय पश्चिम बंगाल में है।यह पीवी सौर मॉड्यूल का निर्माता है।विक्रम सोलर की रेटेड वार्षिक सौर मॉड्यूल उत्पादन क्षमता 1 गीगावॉट है। और इनकों 4 दशकों से अधिक का अनुभव है। इसके कार्यालय पूरे भारत के अंदर इसके अलावा बिजनेस का विस्तार विदेशों मे भी है।

‌‌‌यदि आप अपने घर के अंदर एक सौलर पैनल लगाते हैं तो आप आपने वाले बिजली के बिल को आसानी से कम कर सकते हैं।जैसे कि किसी घर के अंदर 300 यूनिट बिजली हर महिने खर्च हो जाती है और 7 रूपये यूनिट का है तो हर महिने 2100 रूपये बिजली का बिल देना होगा । ‌‌‌लेकिन यदि आप 1 किलोवाट का सोलर पैनल लगाते हैं तो पूरे दिन पंखे और टीवी चला सकते हैं। ऐसी स्थिति मे आप एक महिने के अंदर 100 यूनिट ही या इससे भी कम बिजली खर्च करेंगे और 700 रूपये से भी कम बिजली बिल आएगा ।

‌‌‌सौलर पैनल आपके बिजली बिल को आधे से भी कम कर देता है।और बहुत से लोग इसका यूज भी करने लगे हैं। एक व्यक्ति ने बताया कि सौलर पैनल लगाने से पहले उसका बिजली बिल 4000 महिना आता था और उसकी महिने की इनकम 10000 रूपये है। ऐसे मे बहुत अधिक समस्या होती थी लेकिन अब बस 700 रूपये से अधिक नहीं आता है।

सौर ऊर्जा बनाने की विधि लेख के अंदर हमने सौर उर्जा के बनने के तरीके के बारे मे जाना इसके अलावा । सौलर प्लेट किस प्रकार से बनाई जाती है। इस पर भी विस्तार से चर्चा की यह लेख आपको कैसा लगा नीचे कमेंट करके बताएं ।

This post was last modified on September 9, 2020

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