om jum sah mantra benefits in hindi ॐ जम सः Om jum sah mantra के बारे मे हम आपको इस लेख के अंदर बताने वाले हैं। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए और आप इस बात को समझ सकते हैं। यह एक तरह से महामृत्युंजय मंत्र के नाम से इसको जाना जाता है और यह अकाल मौत से बचाने के लिए काफी उपयोगी होता है। इस मंत्र का जाप करने के लिए रूद्राक्ष की माला का प्रयोग किया जाता है। और इस मंत्र की मदद से आप रोग और कष्ट को काट सकते हैं। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए और आप इस बात को समझ सकते हैं।यदि किसी को अकाल मौत का भय होता है तो ॐ जम सः Om jum sah mantra का जाप करना चाहिए ।
यह आपकी अकाल मौत का भय को समाप्त करता है और आपके जीवन के अंदर खुशियों को लाने का काम करता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । असल मे कुछ लोगों की कुंडली के अंदर अकाल मौत का योग होता है तो उनके लिए यह मंत्र काफी अधिक उपयोगी होता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए और आप इस बात को समझ सकते हैं। और यही आपके लिए सही होगा । आप इस बात को समझ सकते हैं। यही आपके लिए सही होगा ।
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ॐ जम सः कौन सा मंत्र हैं om jum sah mantra benefits in hindi
दोस्तों ॐ जम सः कौन सा मंत्र हैं | Om jum sah mantra के बारे मे हम आपको नीचे बता रहे हैं। तो आप इस मंत्र का जाप कर सकते हैं यह आपके लिए काफी अधिक फायदेमंद हो सकता है।
ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ।
इस मंत्र के बारे मे यह कहा जाता है कि यदि कोई इस मंत्र का जाप करता है तो उसे काफी अधिक जीवनदान मिल जाता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । हम इस मंत्र के फायदे के बारे मे अलग से बात करने वाले हैं।
महामृत्युंजय मंत्र प्राण प्रतिष्ठा आह्वान
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॐ गुरवे नमः।
ॐ गणपतये नमः। ॐ इष्टदेवतायै नमः।
इति नत्वा यथोक्तविधिना भूतशुद्धिं प्राण प्रतिष्ठां च कुर्यात्।
महामृत्युंजय मंत्र विनियोगः
ॐ तत्सदद्येत्यादि मम अमुक प्रयोगसिद्धयर्थ भूतशुद्धिं प्राण प्रतिष्ठां च करिष्ये। ॐ आधारशक्ति कमलासनायनमः। इत्यासनं सम्पूज्य। पृथ्वीति मंत्रस्य। मेरुपृष्ठ ऋषि;, सुतलं छंदः कूर्मो देवता, आसने विनियोगः।
महामृत्युंजय यंत्र का बीज मंत्र के बारे मे जानकारी
ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्
ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ
ॐ जम सः कौन सा मंत्र हैं Om jum sah mantra के जाप करने का तरीका
दोस्तों ॐ जम सः कौन सा मंत्र हैं Om jum sah mantra को आपको सही तरह से जाप करना काफी अधिक जरूरी होता है। यदि आप सही तरह से इसको जाप नहीं करते हैं तो इससे आपको किसी भी तरह का कोई फायदा नहीं हो सकता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए और आप इस बात को समझ सकते हैं।
ॐ जम सः कौन सा मंत्र हैं Om jum sah mantra के फायदे
दोस्तों आपको बतादें कि ॐ जम सः कौन सा मंत्र हैं | Om jum sah mantra के कई सारे फायदे हैं । यदि आप इस मंत्र का जाप करते हैं तो आपको कई तरह से फायदे मिलते हैं तो आइए जानते हैं। ॐ जम सः कौन सा मंत्र हैं | Om jum sah mantra के जाप करने के फायदे के बारे मे विस्तार से
Om jum sah mantra के फायदे धन के अंदर बढ़ोतरी
दोस्तों यदि हम Om jum sah mantra के फायदे के बारे मे बात करें तो आपको बतादें कि यह मंत्र आपके लिए धन को बढ़ाने का काम करता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । यदि आपके घर के अंदर धन की कमी है तो फिर आपको महामृत्युंजय मंत्र का पाठ करना चाहिए । यदि आप इस मंत्र का पाठ करते हैं तो उसके बाद आपके घर मे धन की कमी नहीं होगी । आप इस बात को समझ सकते हैं। और इस मंत्र के जाप की वजह से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए और आप इस बात को समझ सकते हैं। यही आपके लिए सही होगा । इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । आप इस बात को समझ सकते हैं।वैसे भी आपको पता ही है कि आजकल धन के बिना कुछ भी नहीं हो सकता है। यदि आपके पास धन नहीं है तो इसका मतलब कुछ नहीं है।
Om jum sah mantra के फायदे अकाल मौत से बचाता है
दोस्तों महामृत्युंजय मंत्र का जाप आपको अकाल मौत से बचाने का काम करता है। यदि आपको अकाल मौत होने का भय है तो फिर आपको महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना चाहिए । यह अकाल मौत के भय को समाप्त कर देता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए और आप इस बात को समझ सकते हैं। और यही आपके लिए सही होगा ।यदि आप इस मंत्र का जाप करते हैं तो आपकी उम्र बढ़ जाती है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए और यह एक तरह से काफी अच्छा मंत्र है।
यदि किसी इंसान की कुंडली के अंदर अकाल मौत के योग बनते हैं तो उसके बाद उसे इस मंत्र का जाप करना चाहिए । यह उसके लिए काफी अधिक फायदेमंद होता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए और आप इस बात को समझ सकते हैं।
महामृत्युंजय मंत्र के फायदे सम्मान मिलता है
दोस्तों यदि आप समाज के अंदर या फिर घर परिवार के अंदर सम्मान प्राप्त करना चाहते हैं तो फिर महामृत्युंजय मंत्र का जाप आपके लिए काफी अधिक फायदेमंद होता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए और आप इस बात को समझ सकते हैं। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए और आप इस बात को समझ सकते हैं यही आपके लिए सही होगा ।
जिन लोगों को उच्च सम्मान चाहिए होता है उनको इस मंत्र का जाप करना चाहिए । यह आपके लिए काफी अधिक उपयोगी हो सकता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । और आप इस बात को समझ सकते हैं और यही आपके लिए सही होगा । इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । और आप इस बात को समझ सकते हैं।
om jum sah mantra के फायदे संतान को प्राप्त करने के लिए
om jum sah mantra या महामृत्युंजय मंत्र आमतौर पर संतान को प्राप्त करने के लिए प्रयोग किया जा सकता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए और आप इस बात को अच्छी तरह से समझ सकते हैं। यदि आपकी कोई संतान नहीं है तो आपको महामृत्युंजय मंत्र
का जाप करना चाहिए । यह आपके लिए काफी अधिक फायदेमंद हो सकता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए और आप इस बात को अच्छी तरह से समझ सकते हैं। इस मंत्र का जाप करने से आपके घर के अंदर संतान आती है ऐसा माना जाता है। महामृत्युंजय मंत्र का जाप यदि आप सही तरह से करते हैं तो इससे काफी अधिक फायदा हो सकता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए और आप इस बात को समझ सकते हैं।
महामृत्युंजय मंत्र के फायदे निरोगी काया के लिए
महामृत्युंजय मंत्र के फायदे के बारे मे बात करें तो आपको बतादें कि यदि आप निरोगी काया को प्राप्त करना चाहते हैं तो फिर आपको इस मंत्र का जाप करना चाहिए । यह आपके लिए काफी अधिक फायदेमंद होती है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए और आप इस बात को समझ सकते हैं। और यही आपके लिए सही होगा । इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए और आप इस बात को समझ सकते हैं। और यही आपके लिए सही होगा ।
यदि आपको किसी रोग ने घरे रखा है । आपका वह रोग ठीक नहीं हो रहा है तो फिर आपको महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना चाहिए । यह आपके लिए काफी अधिक फायदेमंद हो सकता है। और इससे आपके रोग दूर होंगे । इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए और आप इस बात को समझ सकते हैं।
मंगल दोष के अंदर फायदेमंद है
महामृत्युंजय मंत्र के फायदे के बारे मे बात करें तो आपको बतादें कि यह मंत्र मंगल दोष के अंदर काफी अधिक फायदेमंद होता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । यदि आपको मंगल दोष की समस्या है तो फिर आपको महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना चाहिए । यह आपके लिए काफी अधिक उपयोगी हो सकता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए और आप इस बात को समझ सकते हैं। कुछ ग्रह स्थितियां हैं जो इंगित करती हैं कि एक व्यक्ति मांगलिक दोष के साथ पैदा हुआ है। ये स्थान लग्न, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम और द्वादश हैं। मांगलिक दोष वाले व्यक्ति का विवाह बहुत ही शुभ माना जाता है क्योंकि यह दो समान गुणों और ताकत वाले लोगों को एक साथ लाता है। यह पति-पत्नी के बीच के रिश्ते को मजबूत करता है और उन्हें जीवन भर जुड़े रहने में मदद करता है।
वैसे आपके अंदर यदि मंगल दोष है तो इसके कुछ लक्षण होते हैं जिसकी मदद से यह पता लगाया जा सकता है कि आपको मंगल दोष है या फिर नहीं है तो आइए जानते हैं इसके बारे मे
- सबसे पहली बात आपको अपने बड़े भाई से लड़ाई होती रहती है ,
- मंगल दोष की वजह से संतान को प्राप्त करने मे समस्या आती है।
- जब मंगल कुंडली में द्वादश भाव में होता है तो व्यक्ति की विवाह करने मे समस्या आ सकती है ।
- और इस तरह से जातक को गुस्सा काफी अधिक आता है इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
इस तरह से कुछ लक्षण होते हैं जिसकी मदद से आप मंगल दोष को पहचान सकते हैं। और आप किसी जानकार को अपनी कुंडली भी दिखा सकते हैं। जिससे कि आसानी से यह पता चल जाएगा कि आपको मंगल दोष की समस्या है।
कालसर्प दोष को दूर करने मे
कालसर्प दोष के कारण कई लोग हमेशा शारीरिक और आर्थिक रूप से परेशान रहते हैं। इस दोष के कारण जातकों को संतान संबंधी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसका मतलब यह है कि उन्हें अपने जीवन के हर पहलू में संघर्ष करना पड़ता है। उन्हें अक्सर शादी करने या नौकरी पाने में कठिनाई होती है क्योंकि वे सामान्य समाज में फिट नहीं होते हैं।
वैसे तो आपको बतादें कि इंसान की कुंडली के अंदर कई प्रकार के योग बनते हैं। और उन सभी योग का अपना अपना प्रभाव होता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।यदि आप महामृत्युंजय मंत्र का जाप करते हैं तो इससे काल सर्प दोष से छूटकारा मिल सकता है। इसके अलावा भी बहुत सारे उपाय होते हैं जिसकी मदद से कालसर्प दोष से आपको छूटकारा मिल सकता है। इसके लिए कुछ सरल उपाय भी हम आपको बतादेते हैं।
- यदि आपको कालसर्प दोष की समस्या है तो जातक को घर में मोरपंख धारण किए भगवान श्री कृष्ण की प्रतिमा घर में स्थापित करनी चाहिए । और ओम नमों भगवते वासुदेवाय मंत्र का रोजाना 108 बार जाप करना चाहिए । इससे आपको काफी अधिक फायदा होगा । इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
- सोमवार के दिन भगवान शिव का रुद्राभिषेक करना चाहिए। और मिट्टी के सवालाख महादेव बनाकर यदि आप उनकी पूजा करते हैं तो ऐसा करने से काल सर्प दोष से छूटकारा मिल जाएगा । इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
- हर मास की पंचमी तिथि के दिन 8 प्रमुख नागों की पूजा करें। ऐसा करने से कालसर्प दोष से छूटकारा मिल जाता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए और आप इस बात को अच्छी तरह से समझ सकते हैं। और यही आपके लिए सही होगा । आप इस बात को समझ सकते हैं।
भूत प्रेत दोष का नाश करने के लिए
दोस्तों महामृत्युंजय मंत्र भूत प्रेत दोष को नाश करने के लिए भी जाना जाता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए और आप इस बात को समझ सकते हैं और यही आपके लिए सही होगा । इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए और आप इस बात को समझ सकते हैं। वैसे यदि आप भूत प्रेत से छूटकारा प्राप्त करना चाहते हैं तो उसके बाद आपको किसी जानकार से संपर्क करना चाहिए । यह सबसे अधिक फायदेमंद होगा । इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए आप इस बात को समझ सकते हैं ।यही आपके लिए सही होगा ।
महामृत्युंजय मंत्र जाप विधि
महामृत्युंजय मंत्र जाप विधि के बारे मे आपको सही तरह से जाप करना चाहिए । यदि आप इस मंत्र का सही तरह से जाप नहीं करते हैं तो इससे कोई भी फायदा नहीं होने वाला है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए और आप इस बात को समझ सकते हैं। बेहतर यही होगा कि मंत्रजाप करने के लिए आप किसी ऐसे इंसान को चुन सकते हैं जोकि आपके लिए काम करें । और उसको विधि के बारे मे ठीक तरह से पता होना चाहिए । यदि आप खुद करते हैं तो आप इसका उच्चारण भी सही तरह से नहीं कर पाएंगे । तो मंत्र जाप करने के लिए आपको कुछ बातों का ध्यान रखना होगा ।
- मंत्र का जाप करते समय आपको धरती पर बैठकर मंत्र का जाप नहीं करना चाहिए । वरन आप कुश वैगरह के आसन को ले सकते हैं। और अपनी पहले से ही एक जगह आपको निर्धारित कर लेनी चाहिए । आपको जाप करते समय रोज अपनी जगह को नहीं बदलना चाहिए । नहीं तो कोई फायदा नहीं होगा ।
- महामृत्युंजय मंत्र का यदि आप जाप कर रहे हैं तो आपको पूर्व दिशा की ओर मुख करके मंत्र का जाप करना चाहिए और अपने मन को एकाग्र रखना चाहिए । और आप इस बात को समझ सकते हैं।
- महामृत्युंजय मंत्र का यदि आप जाप कर रहे हैं तो मांसहार और शराब आदि का सेवन आपको नहीं करना चाहिए । यदि आप इनका सेवन करते हैं तो इससे मंत्र जाप के अंदर आपको कोई भी फायदा नहीं होने वाला है आप इस बात को समझ सकते हैं। और यही आपके लिए सही होगा ।
- महामृत्युंजय मंत्र का जाप यदि आप कर रहे हैं तो आपको गलत उच्चारण बिल्कुल भी नहीं करना होगा । यदि आप गलत उच्चारण करते हैं तो इससे कोई भी फायदा नहीं होगा । इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए और आप इस बात को समझ सकते हैं। और यही आपके लिए सही होगा ।
- इस मंत्र का जाप करते समय धूप और दीपक जलते रहना चाहिए । यदि दीपक के अंदर घी की मात्रा काफी कम हो रही है तो आपको उसे और भर देना चाहिए ।
- मंत्र के जाप करते समय आपको केवल रूद्राक्ष की माला का ही प्रयोग करना होगा । किसी दूसरी तरह की माला का आपको प्रयोग नहीं करना चाहिए ।
- इस मंत्र का जप उसी जगह करे जहां पर भगवान शिव की मूर्ति, प्रतिमा या महामृत्युमंजय यंत्र रखा हो।
- इस मंत्र का जाप करते समय शिवलिंग पर दूध और जल से अभिशेष करते जाएं ।
प्रतिष्ठा आह्वान मंत्र के बारे मे जानकारी
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॐ गुरवे नमः।
ॐ गणपतये नमः। ॐ इष्टदेवतायै नमः।
इति नत्वा यथोक्तविधिना भूतशुद्धिं प्राण प्रतिष्ठां च कुर्यात्।
महामृत्युंजय मंत्र विनियोग
ॐ तत्सदद्येत्यादि मम अमुक प्रयोगसिद्धयर्थ भूतशुद्धिं प्राण प्रतिष्ठां च करिष्ये। ॐ आधारशक्ति कमलासनायनमः। इत्यासनं सम्पूज्य। पृथ्वीति मंत्रस्य। मेरुपृष्ठ ऋषि;, सुतलं छंदः कूर्मो देवता, आसने विनियोगः।
महामृत्युंजय मंत्र प्राण-प्रतिष्ठा विनियोग
अस्य श्रीप्राणप्रतिष्ठामंत्रस्य ब्रह्माविष्णुरुद्रा ऋषयः ऋग्यजुः सामानि छन्दांसि, परा प्राणशक्तिर्देवता, ॐ बीजम्, ह्रीं शक्तिः, क्रौं कीलकं प्राण-प्रतिष्ठापने विनियोगः।
डं. कं खं गं घं नमो वाय्वग्निजलभूम्यात्मने हृदयाय नमः।
ञं चं छं जं झं शब्द स्पर्श रूपरसगन्धात्मने शिरसे स्वाहा।
णं टं ठं डं ढं श्रीत्रत्वड़ नयनजिह्वाघ्राणात्मने शिखायै वषट्।
नं तं थं धं दं वाक्पाणिपादपायूपस्थात्मने कवचाय हुम्।
मं पं फं भं बं वक्तव्यादानगमनविसर्गानन्दात्मने नेत्रत्रयाय वौषट्।
शं यं रं लं हं षं क्षं सं बुद्धिमानाऽहंकार-चित्तात्मने अस्राय फट्।
एवं करन्यासं कृत्वा ततो नाभितः पादपर्यन्तम् आँ नमः।
हृदयतो नाभिपर्यन्तं ह्रीं नमः।
मूर्द्धा द्विहृदयपर्यन्तं क्रौं नमः।
ततो हृदयकमले न्यसेत्।
यं त्वगात्मने नमः वायुकोणे।
रं रक्तात्मने नमः अग्निकोणे।
लं मांसात्मने नमः पूर्वे ।
वं मेदसात्मने नमः पश्चिमे ।
शं अस्थ्यात्मने नमः नैऋत्ये।
ओंषं शुक्रात्मने नमः उत्तरे।
सं प्राणात्मने नमः दक्षिणे।
हे जीवात्मने नमः मध्ये एवं हदयकमले।
महामृत्युंजय संकल्प
तत्र संध्योपासनादिनित्यकर्मानन्तरं भूतशुद्धिं प्राण प्रतिष्ठां च कृत्वा प्रतिज्ञासंकल्प कुर्यात ॐ तत्सदद्येत्यादि सर्वमुच्चार्य मासोत्तमे मासे अमुकमासे अमुकपक्षे अमुकतिथौ अमुकवासरे अमुकगोत्रो अमुकशर्मा/वर्मा/गुप्ता मम शरीरे ज्वरादि-रोगनिवृत्तिपूर्वकमायुरारोग्यलाभार्थं वा धनपुत्रयश सौख्यादिकिकामनासिद्धयर्थ श्रीमहामृत्युंजयदेव प्रीमिकामनया यथासंख्यापरिमितं महामृत्युंजयजपमहं करिष्ये।
इति यष्यादिन्यासः
अथ करन्यासः
ॐ ह्रीं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः त्र्यम्बकं ॐ नमो भगवते रुद्रायं शूलपाणये स्वाहा अंगुष्ठाभ्यं नमः।
ॐ ह्रीं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः यजामहे ॐ नमो भगवते रुद्राय अमृतमूर्तये माँ जीवय तर्जनीभ्याँ नमः।
ॐ ह्रौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः सुगन्धिम्पुष्टिवर्द्धनम् ओं नमो भगवते रुद्राय चन्द्रशिरसे जटिने स्वाहा मध्यामाभ्याँ वषट्।
ॐ ह्रौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः उर्वारुकमिव बन्धनात् ॐ नमो भगवते रुद्राय त्रिपुरान्तकाय हां ह्रीं अनामिकाभ्याँ हुम्।
ॐ ह्रौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः मृत्योर्मुक्षीय ॐ नमो भगवते रुद्राय त्रिलोचनाय ऋग्यजुः साममन्त्राय कनिष्ठिकाभ्याँ वौषट्।
ॐ ह्रौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः मामृताम् ॐ नमो भगवते रुद्राय अग्निवयाय ज्वल ज्वल माँ रक्ष रक्ष अघारास्त्राय करतलकरपृष्ठाभ्याँ फट् ।
इति करन्यासः
ॐ ह्रौं ॐ जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः त्र्यम्बकं ॐ नमो भगवते रुद्राय शूलपाणये स्वाहा हृदयाय नमः।
ॐ ह्रौं ओं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः यजामहे ॐ नमो भगवते रुद्राय अमृतमूर्तये माँ जीवय शिरसे स्वाहा।
ॐ ह्रौं ॐ जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः सुगन्धिम्पुष्टिवर्द्धनम् ॐ नमो भगवते रुद्राय चंद्रशिरसे जटिने स्वाहा शिखायै वषट्।
ॐ ह्रौं ॐ जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः उर्वारुकमिव बन्धनात् ॐ नमो भगवते रुद्राय त्रिपुरांतकाय ह्रां ह्रां कवचाय हुम्।
ॐ ह्रौं ॐ जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः मृत्यार्मुक्षीय ॐ नमो भगवते रुद्राय त्रिलोचनाय ऋग्यजु साममंत्रयाय नेत्रत्रयाय वौषट्।
ॐ ह्रौं ॐ जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः मामृतात् ॐ नमो भगवते रुद्राय अग्नित्रयाय ज्वल ज्वल माँ रक्ष रक्ष अघोरास्त्राय फट्।
इत्यंगन्यासः
त्र्यं नमः दक्षिणचरणाग्रे।
बं नमः,
कं नमः,
यं नमः,
जां नमः दक्षिणचरणसन्धिचतुष्केषु ।
मं नमः वामचरणाग्रे ।
हें नमः,
सुं नमः,
गं नमः,
धिं नम, वामचरणसन्धिचतुष्केषु ।
पुं नमः, गुह्ये।
ष्टिं नमः, आधारे।
वं नमः, जठरे।
र्द्धं नमः, हृदये।
नं नमः, कण्ठे।
उं नमः, दक्षिणकराग्रे।
वां नमः,
रुं नमः,
कं नमः,
मिं नमः, दक्षिणकरसन्धिचतुष्केषु।
वं नमः, बामकराग्रे।
बं नमः,
धं नमः,
नां नमः,
मृं नमः वामकरसन्धिचतुष्केषु।
त्यों नमः, वदने।
मुं नमः, ओष्ठयोः।
क्षीं नमः, घ्राणयोः।
यं नमः, दृशोः।
माँ नमः श्रवणयोः ।
मृं नमः भ्रवोः ।
तां नमः, शिरसि।
॥ इत्यक्षरन्यास ॥
महामृत्युंजय मंत्र का जाप कब करना चाहिए
दोस्तों आपको बतादें कि यदि आप महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना चाहते हैं तो इसके लिए आपको उपर दिये गए यदि फायदे आपको दिये गए है। यदि आपको खास तौर पर अकाल मौत का भय है तो फिर आपको महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना चाहिए । इसके अलावा संतान को प्राप्त करने के लिए भी आप इस मंत्र का जाप कर सकते हैं। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए। लेकिन मुख्य तौर पर यह मंत्र आमतौर पर अकाल मौत से बचने के लिए बनाया गया है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
महा मृत्युंजय मंत्र का पाठ किस तरह से करना चाहिए ?
दोस्तों महा मृत्युंजय मंत्र के प्रयोग के बारे मे हम आपको पहले ही बता चुके हैं। आप उपर दी गई विधि को देख सकते हैं और उसके बाद उसका पाठ कर सकते हैं। यह काफी आसान है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । यदि आप खुद नहीं कर सकते हैं तो आप किसी दूसरे इंसान की मदद ले सकते हैं।
महा मृत्युंजय मंत्र के नुकसान क्या हो सकते हैं ?
दोस्तों महा मृत्युंजय मंत्र का कोई भी नुकसान नहीं होता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए और आप इस बात को समझ सकते हैं। यह कोई दवा नहीं है कि इसका कोई भी नुकसान हो । यह एक मंत्र है जो आपको सिर्फ फायदा देता है । कोई भी नुकसान नहीं होता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए और आप इस बात को समझ सकते हैं।
महा मृत्युंजय मंत्र को हम कहां पर सुन सकते हैं
दोस्तों यदि आप महा मृत्युंजय मंत्र को सुनना चाहते हैं तो आप youtube पर जा सकते हैं और उसके बाद आपको वहां पर इसका सही सही उच्चारण मिल जाएगा । और आपको पता चल जाएगा कि आपको इसका उच्चारण किस प्रकार से करना होगा ।
वहां पर आपको विडियो मिल जाएगा । और उस विडियों के अंदर आप इस मंत्र को सुन सकते हैं और उसके बाद अपने हिसाब से आप इसको प्रयोग कर सकते हैं।
मृत संजीवनी मंत्र क्या है?
मृत संजीवनी मंत्र के बारे मे यदि हम बात करें तो आइए जानते हैं। इसके बारे मे भी
ऊं हौं जूं स:। ऊं भूर्भव: स्व:। ऊं त्र्यंबकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बंधनांन्मत्योर्मुक्षीय मामृतात।
शुक्राचार्य ने किया था संजीवनी मंत्र का प्रयोग
दोस्तों आपने शुक्राचार्य का नाम तो सुना ही होगा । और इसके बारे मे आपको पता ही होगा । ऐसा माना जाता है कि शुक्राचार्य ने संजीवनी मंत्र का प्रयोग करते हुए दानवों को जीवित कर दिया था। शुक्राचार्य ने शिव जी की कठिन तपस्या की। शुक्राचार्य की कठिन तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें संजीवनी मंत्र का वरदान दिया। और उसके बाद वे दानवों के गुरू बन गए और इसी संजीवनी मंत्र की मदद से शुक्राचार्य ने कई सारे दानवों को फिर से जीवित कर दिया था। इस तरह की कथा और कहानियों के बारे मे आपने सुना ही होगा ।आपको बतादें कि शुर्काचार्य पाताल लोक के निवासी थे और उन्होंने अपने तपोबल से राजा बलि को फिर से जीवित कर दिया था।
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