इस लेख के अंदर हम बात करेंगे ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र के फायदे ( om namo bhagavate vasudevaya mantra ke fayde ) ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः मंत्र के बारे मे बहुत से लोग जानते हैं।आपने भी इस मंत्र को कई बार सुना और गुनगुनाया होगा । असल मे बहुत से लोग चलते फिरते इस मंत्र का जाप करते ही रहते हैं। यह भगवान क्रष्ण का मंत्र है जिसका मतलब है कि हे भगवान वासुदेव मैं आपको नमस्कार करता हूं । वासुदेव क्रष्ण को कहा जाता है। कई लोग इस मंत्र का कई सालों से जाप कर रहे हैं और अपना अनुभव भी इस बारे मे बाएं हैं।
श्रीकृष्ण भगवान विष्णु के 8वें अवतार कहे जाते हैं और हिंदु धर्म के अंदर इनको ईश्वर माना जाता है।कृष्ण निष्काम कर्मयोगी थे इनका जन्म द्वापरयुग के अंदर हुआ था।वे एक महानतम पुरूष थे ।उसी समय के वेद व्यास ने क्रष्ण के बारे मे महाभारत के अंदर लिखा है। इसके अलावा जो गीता है वह भी क्रष्ण और अर्जुन का संवाद है जो आज पूरी दुनिया के अंदर लोकप्रिय हो चुकी है।यही वह किताब है जिसकी वजह से क्रष्ण को जगतगुरू के नाम से भी जाना जाता है।
क्रष्ण का जन्म मथुरा के कारावास के अंदर हुआ था और जैसा कि आप जानते ही होंगे कंस को यह पहले से ही पता चल गया था कि उसका काल पैदा होने वाला है तो उसने देवकी की सभी संतानों को मरवा दिया था। क्रष्ण का लालन पालन गोकुल के अंदर हुआ था। जब वे थोड़े बड़े हुए तो उन्होंने अपने मामा कंस का वध किया और फिर पांड़वों की भी मदद की कहा जाता है कि क्रष्ण ने 124 साल की उम्र मे देह त्याग दिया । क्रष्ण के बाद से ही कलयुग की शूरूआत मानी जाती है।
उपर हमने क्रष्ण के बारे मे संक्षिप्त मे जाना । दोस्तों आपको बतादें कि यह मंत्र मैंने खुद ने भी जाप करके देखा है। और काफी समय तक जाप किया था।हालांकि पहली बार आपके लिए इस तरह के किसी भी मंत्र का जाप करना आसान नहीं होता है। क्योंकि हमको बहुत ही गलत आदतें होती हैं। जैसे जैसे आप मंत्र जाप करते चले जाते हो उसके बाद आप धीरे धीरे सुधरते भी जाते हो । हो सकता कि आप पहली बार मंत्र जाप करते समय भूल जाओ और कुछ गलती करो लेकिन जैसे जैसे आप मंत्र का जाप करते चले जाओगे वैसे वैसे आपके अंदर सुधार होता चला जाएगा ।
जो लोग पहली बार इस मंत्र का जाप करते हैं उनका मन उनको बार बार मंत्र का जाप बंद करने के लिए कहता है लेकिन वे इस बंद नहीं करते हैं तो उनको अच्छे परिणाम मिलने शूरू हो जाते हैं।इन परिणामों मे कई परिणाम को मैंने खुद ने महसूस किया है।
मंत्र का अर्थ:
ओम – ओम यह ब्रंह्माडीय व ध्वनि है।
नमो – नमस्कार।
भगवते – शक्तिशाली, दयालु व जो दिव्य है।
वासुदेवयः – वासु का अर्थ है सभी प्राणियों में जीवन और देवयः का अर्थ हैः ईश्वर। इसका मतलब है कि जीवन/प्रकाश जो सभी प्राणियों का जीवन है।
वासुदेव भगवान- अर्थात् जो वासुदेव भगवान नर में से नारायण बने, उन्हें मैं नमस्कार करता हूँ। जब नारायण हो जाते हैं, तब वासुदेव कहलाते हैं।
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1.ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र के लाभ आप भगवान को पा सकते हैं
दोस्तों वैसे तो आजकल बड़े बड़े शहरों के अंदर गुरूओं की कमी नहीं है जो आपको परमात्मा से मिलाने का दावा करते हैं। यदि आप ओम नमो भगवते मंत्र का जाप करते हैं तो फिर आप भगवान को पा सकते हैं। भगवान को पाने का मतलब यह है कि आप उनकी शरण मे जा सकते हैं। यदि एक बार आप भगवान वासुदेव की शरण मे चले जाते हैं तो उसके बाद आप हर प्रकार के संकट से दूर हो जाते हैं।
जो लोग भगवान क्रष्ण के परमभक्त होते हैं वे इस मंत्र का जाप भगवान को पाने के लिए करते हैं। यदि आप भी भगवान क्रष्ण के या विष्णु के परम भगत हैं तो इस मंत्र का जाप कर सकते हैं। यदि आपकी भगती से भगवान प्रसन्न होते हैं तो वे आपको आशीर्वाद अवश्य ही देंगे ।
इस संबंध मे बालक ध्रुव की कहानी आती है।महाराज उत्तानपाद की दो रानियाँ थी। एक रानी का नाम सुनिति था जो बड़ी थी और दूसरी का नाम सुरूचि था जो छोटी थी।महाराज उत्तानपाद अपनी छोटी रानी से बहुत अधिक प्यार करते थे जबकि उनकी छोटी रानी उपेक्षित रहती थी और इसी वजह से वह वह भगवान की भगती के अंदर डूबी रहती थी।एक बार बड़ी रानी का पुत्र धुव्र उत्तानपाद की गोद मैं बैठ गया और सुरुचि को यह पसंद नहीं आता है
और ध्रुव को राजा की गोद से उतार देती है और बोलती है ….. की महाराजा की गोद मे बैठने का अधिकार मेरे पुत्र उत्तम का है। यदि तुम इस अधिकार को प्राप्त करना चाहते हो तो तुम्हे मेरे गर्भ से उत्पन्न होना होगा । इसके लिए भगवान से प्रार्थना करो ।
ध्रुव सुरुचि के इस प्रकार के व्यवहार से बहुत दुखी होता है और अपनी माता के पास आकर बोलता है तो माता कहती है कि सुरूचि ने ठीक ही कहा है । तुम भगवान की आराधना करो और वे ही तुम्हे उससे भी उच्च पद दे सकते हैं।
माता के वचनों को सत्य जानकर बालक ध्रुव ने जंगल की और प्रस्थान कर लिया और वहां पर देवर्षि नारद ने उनको समझाने का प्रयास किया लेकिन बालक धुव्र कहां मानने वाले थे ।ध्रुव ने द्वादशाक्षर मन्त्र ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र की दीक्षा ली और मधुवन मे जाकर तप करने लगे ।
ध्रुव ने पहले महिने बैर का सेवन किया उसके बाद सूखे पत्ते का सेवन किया फिर जल पीकर जिंदा रहे और अंत मे मात्र वायु के सहारे ही जिंदा रहने लगे ।और ध्रुव का मन भगवान के अंदर एकाग्र हो गया ।
उसके बाद भगवान ध्रुव की तपस्या से प्रसन्न हुए और ध्रुव के सामने प्रकट हुए ध्रुव ने भगवान की स्तुति करनी चाही लेकिन वाणी साथ ना दे सकती और उसके बाद भगवान ने अपने शंख को धुव्र के चरणों को स्पर्श करवाया और ध्रुव को आशीर्वाद दिया ।फिर ध्रुव अपने राज्य के अंदर आए । जहां पर उनका बहुत अधिक स्वागत हुआ । परारब्ध कर्म पुरा होने के बाद उनको लेने के लिए विशेष प्रकार के विमान आए ।
यह कहानी यह बताती है कि हम ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र जाप की मदद से भगवान को पा सकते हैं जो साधक भगवान को पाना चाहते हैं। यह मंत्र उनके लिए काम करता है।
2. ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र जपने के फायदे चिंता या डिप्रेशन को कम करता है
ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र चिंता या डिप्रेशन को कम करता है।यह सो प्रतिशत काम करता है।वैसे मैंने इस मंत्र का अधिक जाप नहीं किया था। लेकिन मंत्र का 3 साल से जाप करने वाली विनिता नाम की महिला ने बताया कि जाप शूरू करने से पहले उसको बिना किसी कारण से डिप्रेशन होता था। और चिंता बहुत अधिक होती थी।उसके बाद इस मंत्र के बारे मे किसी ने बताया । वैसे मैं क्रष्ण भगवान को बहुत पसंद करती हूं तो मैने इस मंत्र का जाप करना शूरू कर दिया । 2 महिने बाद ही मुझे सुधार होना महसूस हो गया और आज तो दिमाग मे चिंता होती ही नहीं है।यदि आपको डिप्रेशन है तो यह बेहतर तरीके से काम करता है।यदि आप मन से इस मंत्र का जाप करते हैं तो उसके बाद भगवान क्रष्ण सचमुच आपके उपर क्रपा करते हैं।
मेरी पत्नी ने भी यह करके देखा था।उसको पहले काफी चिंता होती थी और बिना किसी कारण से वह चिंता करने लग जाती । उसकी वजह से उसकी सेहत के उपर भी काफी बुरा प्रभाव पड़ रहा था तो मैंने उसको बोला कि वह ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें ।उसने इस मंत्र का लगभग 5 महिने जाप किया और उसकी चिंता हमेशा के लिए गायब हो गई। वाकाई मे यह मंत्र काम करता है। यदि आपको किसी प्रकार की चिंता या डिप्रेशन है तो आप इस मंत्र का जाप कर सकते हैं।
3.मानसिक शांति के लिए ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का महत्व
दोस्तों यह मंत्र आपको मानसिक शांति प्रदान करता है। यदि आप इस मंत्र का जाप करेंगे तो आपका मन शांत हो जाएगा । जिन लोगों का मन शांत नहीं होता है या उनको मन से काफी परेशानी होती है वे इस मंत्र का जाप कर सकते हैं। आप कुछ महिने जाप करेंगे तो आप अंदर बहुत अधिक शांति का अनुभव करेंगे ।कुछ लोग होते हैं जिनकी मानसिक शांति किसी कारण से भंग हो जाती है। यदि ऐसा है तो आप इस मंत्र का जाप करें। आपका मन इतना अधिक शांत हो जाएगा जिसकी आपने कल्पना भी नहीं की थी।लेकिन आपको यह मंत्र पूरे विश्वास के साथ जपना होगा यदि आप पूरे विश्वास के साथ इस मंत्र का जाप नहीं करेंगे तो आप अच्छे परिणामों को प्राप्त नहीं कर पाएंगे ।
4.नगेटिव विचारों पर विराम लगता है
आपको पता ही होगा कि खाली दिमाग शैतान का घर होता है। यदि आपके दिमाग के अंदर नगेटिव विचार आते हैं और आप उन नगेटिव विचारों से छूटकारा पाना चाहते हैं तो इस मंत्र का जाप कर सकते हैं। आप रोजाना मंत्र का जाप करते रहें । जब आपकी जीभ खाली हो तब मंत्र जाप करें । कम से कम 3 महिने के अंदर ही आपको इसका फर्क महसूस होना शूरू हो जाएगा और 5 महिने यदि आप लगातार जाप करते हैं तो ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र के फायदे आपको नजर आ जाएगा ।
जैसे जैसे आप मंत्र का जाप करते जाएंगे मंत्र की उर्जा की वजह से आपके अंदर पैदा होने वाले नगेटिव विचार नष्ट हो जाएंगे । आमतौर पर इस प्रकार के नगेटिव विचार बाहरी ताकतों की वजह से भी पैदा हो जाते हैं। कुछ लोग जो जीवन के अंदर हमेशा से ही नगेटिव ही सोचते रहते हैं और इस प्रकार के लोग ऐसा करके दुखी ही होते हैं।
उनको यह समझ नहीं आता है कि नगेटिव विचार किस प्रकार से रोके जा सकते हैं। हमारे यहां पर एक महिला है जो बिना काम के नगेटिव विचारों से परेशान होती है। वह सोचने लगती है कि यदि उसके साथ कुछ गलत हो गया तो क्या होगा और न जाने कितने प्रकार के बेकार की कल्पना करने लगती है। इस तरह के लोगों को यह मंत्र जाप करने से काफी फायदा मिलता है।
5.मन की एकाग्रता बढ़ती है
मन की एकाग्रता भी ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र जाप से बढ़ती है। यदि आपका मन यहीं कहीं पर बिना कारण के भटकता रहता है तो यह आपके मन को रोकने का सरल तरीका है। स्टूडेंटों के लिए यह सबसे महत्वपूर्ण है। स्टूडेंट को चाहिए कि सुबह जल्दी उठे और स्नान करने के बाद इस मंत्र का अधिक से अधिक बार ध्यान मे बैठने के बाद जाप करें । कुछ ही दिनों के अंदर यह महसूस हो जाएगा कि आपके मन की गति कम हो गई है। और मन पहले की तुलना मे भाग नहीं रहा है।
स्टूडेंट के लिए मन नहीं लगने की समस्या होती है। और इस समस्या से पार पाने के लिए अधिक से अधिक मंत्र जाप करें । वैसे तो इस मंत्र को कोई भी जाप कर सकता है। उसके मन की एकाग्रता शक्ति के अंदर अवश्य ही बढ़ोतरी होगी ।
6.नगेटिव शक्तियों का प्रभाव नहीं होता
जब आप ओम नमो भगवते मंत्र का जाप करते हैं तो यह आपके अंदर एक सकारात्मक उर्जा पैदा करता है। और इसकी वजह से आपके मन के उपर जो नगेटिव उर्जा प्रभाव डालती हैं वह प्रभाव नहीं डाल पाएंगी । इस मंत्र के जाप की वजह से आपके चारो ओर एक अद्रश्य घेरा बन जाएगा और उस घरे की वजह से यदि कोई नगेटिव शक्ति आपको नुकसान पहुंचाने की कोशिश करेगी तो वह आपको नुकसान नहीं पहुंचा पाएगी ।
यदि आपको यह लगता है कि कोई नगेटिव उर्जा आपके मन को प्रभावित कर रही है तो आपको यह मंत्र जपना चाहिए । यह आपको फायदा पहुंचाएगा और आपके आस पास से उन नगेटिव ताकतों को दूर भगाने का काम करेगा ।
जिन लोगों को नकारात्मक शक्तियों से हमेशा डर बना रहता है या जो किसी ऐसी जगह से हमेशा सफर करते हैं जहां पर नगेटिव शक्तियों का वास होता है तो उसको अधिक से अधिक इस मंत्र का जाप करना चाहिए ।
7.भगवान विष्णु के दर्शन
ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र जाप का एक फायदा यह भी है कि यदि आप इसको निरंतर कई सालों तक जपते हैं तो संभव है आपकी भगती से भगवान क्रष्ण प्रसन्न हो जाएं और आपको दर्शन दें । ध्रुव की कहानी के बारे मे हमने उल्लेख किया कि उन्होंने किस प्रकार से भगवान विष्णु की क्रपा प्राप्त की थी । यदि आप भगवान के दर्शन करना चाहते हैं तो इस मंत्र का रोजाना जितना हो सके जाप करना चाहिए ।और हो सकता है की इस मंत्र जाप से प्रसन्न होकर भगवान विष्णू आपको सपने मे भी दर्शन दे सकते हैं।
8.शारीरिक ऊर्जा के लिए
यदि आप चाहें तो इस मंत्र को शारीरिक रूप से उर्जा प्राप्त करने के लिए प्रयोग कर सकते हैं। जब आप इस मंत्र का जाप करते हैं तो आपका मन शांत हो जाता है। और इसकी वजह से जो कुछ भी आप खाते पीते हैं उसका असर तेजी से होता है। आपने देखा होगा कि जो लोग शांत होते हैं वे आमतौर पर शारीरिक रूप से हष्ट पुष्ट होते हैं। दिमाग की शांति का असर शरीर पर असर पड़ता है।
9.सुख और समृद्धि
सुख और समृद्धि भी आपको यह मंत्र देता है। यदि आप रोजाना इस मंत्र का जाप 108 बार करते हैं या अधिक से अधिक इस मंत्र का जाप करते हैं तो फिर भगवान आपके उपर क्रपा करेंगे और आपके घर के अंदर सुख आएंगे । इसके अलावा आपके साथ कुछ समस्याएं हैं तो वे समस्याएं अपने आप ही दूर हो जाएंगी । तो आप सुख और सम्रद्वि के लिए भी इस मंत्र का जाप कर सकते हैं।
10.मुक्ति का मंत्र
ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र को मुक्ति देने वाला मंत्र बताया गया है। जो लोग मोक्ष प्राप्त करने की इच्छा रखते हैं वे भी इस मंत्र का जाप करते हैं। इस मंत्र का अधिक से अधिक जाप करने से भगवान की क्रपा होती है। और इससे प्राणी भव सागर से पार होता है। यदि सच मुच आप भगवान के भगत हैं तो इस मंत्र को निरंतर जपते रहिए । इस मंत्र की शक्ति से आपके भव बंधन टूटने लग जाएंगे और एक समय ऐसा आएगा कि आपका मन संसार की चीजों के अंदर उलझना बंद कर देगा और वह बस भगवान की भगती के अंदर रम जाएगा । आपको पता ही होगा कि जब तक हमारा मन बंधन मे है । हम भी बंधन मे हैं। और जैसे ही हमारा मन मुक्त हो जाएगा हम भी मुक्त हो जाएंगी । इसी एक बात अष्ट्रावक्र गीता मे कही गई है कि जो खुद को मुक्त मानता है वह मुक्त ही है।और जो खुद को बंधन मे मानता है । वह बंधन मे ही है।
11.सर्वकल्याण महामंत्र
ओम नमो भगवते महामंत्र सर्वकल्याण मंत्र है। जिसका अर्थ यह है कि यह आपको हर प्रकार से लाभ देता है। यदि आप अपना सम्पूर्ण कल्याण के बारे मे सोच रहे हैं तो यह मंत्र जाप कर सकते हैं। इससे आपके बिजनेस के अंदर भी फायदा होगी और आपके सारे कष्ट भी दूर हो जाएंगे और यदि कोई साधक मन से इस महामंत्र का जाप करता है तो उसका कल्याण निश्चित है। बहुत से साधु संतों ने इस मंत्र का जाप किया वे भव सागर से पार हो गए ।
12.ग्रह शांत होते हैं
ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करने से ग्रह शांत रहते हैं। यदि आपकी कुंडलनी के अंदर ग्रह अच्छे नहीं चल रहे हैं तो आप दिन के अंदर रोजाना अधिक से अधिक बार इस मंत्र का जाप करें । ऐसा करने से आपके उपर जो ग्रहों का बुरा प्रभाव पड़ रहा है। वह नहीं पड़ेगा । ग्रहों को शांत रखना बेहद जरूरी होता है।वरना आपका जीवन कष्टमय हो जाता है।
13.पितृ दोष दूर होता है
ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करने से पितृ दोष दूर होता है ।पितृ दोष का मतलब होता है कि जो हमारे पूर्वज होते हैं वे अपने नीच कर्मों की वजह से नीच योनी जैसे भूत और प्रेत बन जाते हैं। इसकी वजह से हमको शाप लगता है और हमारा कोई काम सही से नहीं होता है। आज बहुत से ऐसे घर हैं जो पितृ दोष से पीड़ित हैं और उनमे से कई तो ऐसे हैं जिनको यह भी पता नहीं है कि उनका कोई पूर्वज मरने के बाद भूत बन गया है। जबकि कुछ लोग इस चीज के उपर यकीन नहीं करते हैं। ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र पितर दोष को दूर करने का सबसे अच्छा उपाय है।
14.आपकी मनोकामना पूर्ण होती है ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का महत्व
जो लोग इस मंत्र का जाप दिन और रात करते हैं। उनकी मनोकामना पूर्ण हो जाती है।यदि आप अपनी जिंदगी से कुछ चाहते हैं और आपको वह नहीं मिल रहा है तो आप इस मंत्र का अधिक से अधिक बार जाप करें। ऐसा करने से भगवान पसन्न होंगे और आपकी मनोकामना को अवश्य ही पूर्ण करेंगे ।
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः की महिमा
सूत जी लिखते हैं जो इंसान सोते जागते और उठते व बैठते हुए इस मंत्र का जाप करता है।तो वह सभी प्रकार के पापों से छूट जाता है और फिर अंत मे भगवान की शरण मे चला जाता है।इस मंत्र का जाप निरंतर कर्म करते हुए करना चाहिए । इससे आपके पुराने कर्म भी नष्ट होते हैं।
प्राचीन काल की बात है एक गांव के अंदर एक ब्राहमण रहता था। उसके कोई भी पुत्र नहीं था तो उसने कठिन तपस्या की तो एक पुत्र पैदा हुआ ।उस पुत्र का नाम ऐतरेय रखा गया और जब वह बड़ा हुआ तो उसके पिता ने उसको वेद और शास्त्र का ज्ञान देना चाहा । लेकिन उसकी जीभ सिर्फ एक ही मंत्र बोलती थी कि ओम नमो भगवते वासुदेवाय ।उसका पिता उसे बहुत कुछ पढ़ाने की कोशिश की लेकिन वह बालक कुछ भी नहीं सीख पाया ।और अंत उसका पिता निराश हो गया और एक दूसरी शादी की उससे एक पुत्र हुआ। उस पुत्र को वेदों का ज्ञान दिया ।वह थोड़ा बड़ा हुआ तो घर के अंदर बहुत अधिक धन कमाकर लाने लगा ।
और उसकी माता भी बहुत अधिक प्रसन्न रहती थी। जबकि ऐतरेय माता ने अपने पुत्र से कहा ….बेटा तुम्हारा भाई कितना धन कमाकर लाता है।और इसकी वजह से उसकी माता कितनी सुखी रहती है जबकि मैं अभागी हूं । मेरा तो मर जाना ही अच्छा है।
तो उसके बाद ऐतरेय ने अपनी माता को ढांढस बंधाया और फिर वह यज्ञ मंडल मे गया उसके जाते ही वहां पर बैठे लोग वैदिक मंत्र को भूल गए उसके बाद ऐतरेय ने ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का स्पष्ट उचारण किया । जिससे वे लोग बहुत अधिक खुश हो गए और ऐतरेय को बहुत अधिक धन दिया । और उसके बाद उसने आकर अपनी माता को भी खुश कर दिया ।
ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र की महिमा 2
प्राचीन काल के अंदर आरुणि नामक एक महान तपस्वी रहा करते थे । और वे वन के अंदर तपस्या करते थे । वहीं पर इनका एक सुंदर आश्रम था।एक दिन वे नदी के तट पर तपस्या कर रहे थे तो इन्होंने अपनी ओर आते एक भयंकर व्याध को देखा ।जो अपने हाथ के अंदर धनुष लिये हुए था।
वह देखने मे बहुत क्रूर लग रहा था ।और वह उस तपस्वी को मरने के विचार से ही तेजी से इधर आ रहा था।आरुणि ने जैसे ही साधु के ह्रदय के अंदर नारायण को देखा । वह थर थर कांपने लगा और उसके धनुष बाण गिर गए और साधु के पैरों मे गिरकर बोला—-हे महान आत्मा मैं आपको मारने के लिए आया था ।लेकिन आपको देखते ही मेरी कू बुद्वि जवाब दे गई और मैं बहुत अधिक डर गया । मैंने आज तक न जाने कितने ही पाप किये हैं। और न जाने कितन ब्रहामणों को मार दिया और साधवी स्त्री की हत्याएं कर डाली ।
ब्राह्मण को भी मैंने नहीं छोड़ा । मैंने बहुत अधिक पाप किया मेरी क्या गति होगी । मैं नहीं जानता हे महान आत्मा मेरा कल्याण करें । मैं तप करना चाहता हूं मेरी मदद करों ।
लेकिन महान् पापी की बात को आरुणि ने नहीं सुना और वे अपना काम करते रहे । जबकि व्याध भी उसी नदी के किनारे एक कूटिया बनाकर रहने लगा और वहीं पर वह भी तप करने लगा ।कुछ दिन बीत जाने के बाद ।एक दिन आरुणि नदी के अंदर स्नान करने के लिए घुसे थे तो वहां पर एक भूखा बाघ आ गया और आरूणि के उपर हमला कर दिया ।उसी समय मुनी या संत के मुख से निकला ओम नमो भगवते वासुदेवाय ।लेकिन इसी मंत्र के सुनने के बाद वह बाघ पुरूष के अंदर बदल गया और बोला हे मुनीवर आपकी क्रपा हो गई है। अब मैं भगवान विष्णु के लोक मे जा रहा हूं ।
आरूणि ने बाघ से पूछा कि हे युवक आप कौन हैं ? तो युवक ने बताया ।मुने! मैं पूर्वजन्म में ‘दीर्घबाहु’ नाम से प्रसिद्ध एक राजा था| समस्त वेद और सम्पूर्ण धर्मशास्त्र मुझे सम्यक् प्रकार से अभ्यस्त थे । लेकिन मेरा ब्राह्मणों से कोई प्रयोजन नहीं था और मे सारे ब्राह्मणों को गाली देता था।और मेरे इस प्रकार के व्यवहार को ब्राह्मणों ने कई बार क्षमा किया लेकिन बाद मे वह क्रोधित हो गए और मुझे शाप दिया कि तू बाघ बन जाएगा और तुझे कोई भी बात का स्मरण नहीं रहेगा ।
ब्राह्मणो के शाप की वजह से मैं बहुत दुखी हुआ और अपनी गलती का एहसास हुआ । उसके बाद मैं उनके पैरों मे गिर कर गिड़गिड़ाया तो वे कृपादृष्टि हुए और बोले कि ‘प्रत्येक छठे दिन मध्यान्हकाल में तुझे जो कोई मिले, उसे तू खा जाना-वह तेरा आहार होगा| जब तुझे बाण लगेगा और उसके आघात से तेरे प्राण कण्ठ में आ जायँ, उस समय किसी ब्राह्मण के मुख से जब ओम नमो भगवते वासुदेवाय यह मन्त्र तेरे कानों में पड़ेगा, तब तुझे स्वर्ग की प्राप्ति हो जायगी
उसके बाद मैंने ॐ हरये नमः मंत्र का जाप करते हुए अपने शरीर को छोड दिया ।मैं आपको कहता हूं कि ब्राह्मण { जो शास्त्र का जानकार हो ] इस धरती पर चलते फिरते देवता हैं।
ऐसा कहकर वह स्वर्ग चला गया ।और आरुणि बाघ के पंजे से छूटकर यह कहने लगा कि आज व्याध तुमने बाघ से मरी रक्षा कि मैं तुम से प्रसन्न हूं और जो तुम्हे वर चाहिए वह मैं देने के लिए तैयार हूं ।
व्याध ने कहा- ब्राह्मणदेव मुझे कोई वर नहीं चाहिए । मैं इस बात से प्रसन्न हूं कि आप मुझसे प्रसन्न हुए । आरुणि ने आगे कहा कि हे व्याध चिरकाल तक तुमने बहुत अधिक पाप किये । लेकिन तुमने भगवान विष्णु का नाम सुनने व निंरतर उनका ध्यान करने से तुम्हारे बहुत सारे पाप कट गए हैं और अब यहीं पर रहकर तपस्या करों । समय समय पर मैं तुम्हारी मदद करता रहूंगा ।
ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का लाभ
एक भीखारी जंगल के अंदर रहता था। वह काफी भोला भिखारी था। वह जब गांव के अंदर मांगने के लिए गया तो उसने लोगों को ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करते हुए सुना ।
उसे यह बहुत ही अजीब लगा । उसके बाद उसने इस मंत्र को याद कर लिया और जोर जोर से बोलकर भीख मांगने लगा ।वह जहां पर भी जाता इसी मंत्र का जाप करता और जैसे ही लोग यह सुनते उसे बहुत अधिक धन देते । उसे यह समझ नहीं आ रहा था कि इस नाम के अंदर ऐसा क्या है?
उसके बाद एक दिन वह ऐसे ही मंत्र का जाप करते हुए जा रहा था तो एक व्यक्ति उस भिखारी से बोला कि यह भगवान विष्णु का मंत्र है। और यदि कोई इंसान तन मन और धन से इसको जपता है तो उसके सभी दुखों का अंत होकर परमपद को प्राप्त करता है।
अब ने भिखारी भगवान का नाम तो सुना था लेकिन आज उसे उनका मंत्र मिल गया तो वह बहुत खुश हुआ और उसे यह विश्वास हो गया कि यदि वह भगवान के मंत्र का जाप करेगा तो उसे इस नर्क जिंदगी से छूटकारा मिल जाएगा ।
उसके बाद वह उसी दिन से ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करना और तेज कर दिया । बस आराम से एक पेड़ के नीचे बैठ जाता और मंत्र जाप करता रहता है। और तब तक मंत्र जाप करता जब तक की वह थक नहीं जाता ।
जब वह बुरी तरह से थक जाता तो उठता और पानी पीता और खाना खाता और फिर वही काम करने लग जाता ।अब उसने अधिक धन एकत्रित करने का सपना छोड़ दिया बस जब खाने को खत्म हो जाता तो मांग कर ले आता और फिर उसको खा लेता ।
जब वह किसी के भी घर मे जाता तो बोलता ओम नमो भगवते वासुदेवाय । भगवान के भक्त को दो वक्त की रोटी दो ।जब कोई उसे ज्यादा देने की कोशिश करता तो वह कहता कि उसे अधिक की जरूरत नहीं है। बस उसका पेट भर जाए काफी है।
कुछ दिन बीत गए ।अब उसकी यह हालत होगई कि कि उसके मुख से सिर्फ एक ही नाम निकलता कि ओम नमो भगवते वासुदेवाय । वह भूल गया कि उसका क्या नाम है ? और वह कौन है ? बस वह इतना ही जानता था कि वह बस भगवान का भगत है।
उसी राज्य के एक राजा ने घोषणा की कि हमारे राज्य के सबसे महान संत को जो कोई तलास करके लाएगा उसे ईनाम दिया जाएगा । ऐसी स्थिति के अंदर कुछ लोगों की नजर उसके उपर पड़ी और वे उस भिखारी को भी उठाकर ले गए ।राज दरबार लगा तो राज दरबार मे 4 संत आए इनमे से एक संत भिखारी था । और वह बस ओम नमो भगवते मंत्र का जाप करता जा रहा था।
राजा ने 4 संतों से कहा कि आप साबित कर सकते हैं कि आप राज्य के सबसे बेस्ट संत हैं। तो तीनों संत अपने ज्ञान को बताने लगे । लेकिन चौथा संत कुछ नहीं बोला ।
राजा ने जैसे ही चौथे संत को कहा कि आप क्यों नहीं साबित करना चाहते हैं कि आप ज्ञानी हैं। इतने मे खराब वेश भूषा को देखकर सब लोग उसके उपर हंसने लगे लेकिन उसने कहा …. नहीं मैं कोई संत नहीं हूं । मुझे यहां पर जबरदस्ती लाया गया है। मैं अपनी श्रेष्ठता यहां पर साबित करने नहीं आया हूं ।
…………लेकिन हम मानते हैं कि आप अपनी श्रेष्ठता को साबित करें आप एक संत हैं ।
………मुझे इस दुनिया मे एक ही श्रेष्ठता दिखती है और वह है भगवान वासुदेव । उसके श्रेष्ठ कोई नहीं है। हमारा यहां पर मकसद श्रेष्ठता साबित करने के लिए नहीं है। वरन मकसद है एक दूसरे का सहयोग करते हुए खुद का आत्मकल्याण करना ।
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राजा ने संत से कहा …….आप को जो मांगना है हम आपको देगें ।
…… नहीं राजन उसके शिवाय कोई भी देने का अध्किारी नहीं है। आप मुझे हर चीज नहीं दे सकते क्योंकि आप भी अभावों मे जी रहे हैं। और जो इंसान खुद अभावों मे जीता है वह दूसरे के अभावों को पूर्ण रूप से नहीं मिटा सकता है। मुझे पद और मद और धन की कोई कामना नहीं है।क्योंकि यह सब उस वासुदेव के सामने तुच्छ हैं। यदि आप सागर की एक बूंद मांगोगे तो आपकी प्यास कभी नहीं बुझ सकती । बस पूरा सागर ही आपका हो जाए तो कैसा रहेगा । बस भगवान की शरण मे जो चला जाता है उसे कभी कमी नहीं होती ।
सब लोग इस भीखारी के ज्ञान को सुनकर चकित हो गए ।सब लोग सोच रहे थे कि इतने मैले कपड़े पहनने वाला कोई इतना महान और ज्ञानी हो सकता है । लेकिन सच यही है कि भक्त पागल होते हैं। पागलपन का नाम ही तो भक्ति है।
ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र के लाभ लेख के अंदर हमने मंत्र के लाभ के बारे मे विस्तार से जाना यह लेख आपको कैसा लगा नीचे कमेंट करके बताएं ।
Poora mantra hai kya om namoh bhagwate vasudevaya …ya piche namha bhi lagana hai har jagha alg alg likha hai koi plz poora mantra likh do maine google pe try kiya
🙏 really bohot acha gyaan hai. Heart touching. I have no words to explain my feelings after reading this entire gyaan about this mantra. Really very thank you God.& thanks to you too. 🙏
Hari OM!
Sir, aapka yah lekha bahut hai achha aur prernakayak laga. Maine ise pura padha. Lekha ke liye Dhnaybad.
Dvadash mantr hai ye aur eska matlb Dova ka matlb 2 aur das
total 12 akchar ka mantr hai namh esmy nhi lagna hai
mai bhi jap karta rhta hu bol k aur man m bhi meri parsaniya khtm ho rhi hai jis kam k leey lagta tha mai nhi kar pauga vo ab lag rha apny aap ho rha hai
ha par es mantr ka labh leny k leey sudh achrd sabhi k leey dya chma honi chiye aur krodh ka tyag karna he padega aur jagt k paln har shree visnu ji k parti samprd visvas hona chiye
bhgvan aap ki paricha jarur lege jab aap kisi kimat m har nhi mano ge to jarur labh milga kitna bhi bura ho har nhi mnna hai marty dam tak akhir lagta he kya hai mantr bony m man m he to bolna hai aur jo aap ka karm hai vo karty rhye ye sirf mera anubhav hai baki agr kisi ko kuch galt lage to bhgvan visnu hamy maaf kary 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻