पतिव्रता नारी के लक्षण pativrata stri ke lakshan के बारे मे हम आपको बताने वाले हैं।पतिव्रता स्त्री का नाम तो आपने बहुत बार सुना ही होगा ।असल मे हमारे शास्त्रों के अंदर यह कहा गया है कि पति और पत्नी एक ही गाड़ी के दो पहिये होते हैं। और जिस तरह से यदि किसी गाड़ी का एक पहिया खराब हो जाता है , तो वह गाड़ी नहीं चल पाती है । उसी तरह से यदि पति और पत्नी के अंदर समस्या हो जाती है , तो फिर घर की गाड़ी नहीं चल पाती है।गरुड़ पुराण के अंदर भी पतिव्रता स्त्री के बारे मे बताया गया है। गरुड़ पुराण के अनुसार जिस किसी इंसान को पतिव्रता स्त्री मिलती है। वह भाग्यशाली होता है। ‘सा भार्या या गृहे दक्षा सा भार्या या प्रियंवदा। सा भार्या या पतिप्राणा सा भार्या या पतिव्रता।।’
चलो अब हम आपको बता देते हैं। कि पतिव्रता स्त्री का मतलब क्या होता है , तो आपको बतादें कि पतिव्रता स्त्री का मतलब होता है। ऐसी स्त्री जोकि अपने पति के अलावा किसी और के बारे मे गलत विचार मन मे नहीं लाती है। इस तरह की स्त्री तन मन और धन से अपने पति के प्रति सर्पित होती है। इसी को पतिव्रता स्त्री के नाम से जाना जाता है। हालांकि आजकल पतिव्रता स्त्री काफी अधिक दुर्लभ होती जा रही हैं। आजकल सब कुछ सिस्टम ही बकवास हो चुका है।
अधिकतर स्त्री को यही लगता है कि वे पति की गुलाम नहीं रह सकती हैं। इसलिए वे शादी के बाद या तो शादी को ही तोड़ देती हैं। या फिर दूसरी शादी की फिराक मे रहती हैं। खैर समय के साथ सब कुछ बदल जाता है , तो हम बात कर रहे थे पतिव्रता स्त्री के गुणों के बारे मे तो एक पति व्रता स्त्री के अंदर कई सारे गुण होते हैं। जिनके बारे मे हम बात करने वाले हैं। अरुंधति , सावित्री , अनुसूया , शांडिल्य, सती , लक्ष्मी , शतरूपा , मेना , सुनीति , संज्ञा जैसी महान पतिव्रता स्त्री हुई हैं। और उन स्त्री के गुणो के बारे मे तो हर तरफ चर्चे मिलते हैं। कहा जाता है कि एक बार एक पतिव्रता स्त्री ने अपने सत के बल पर तीनों देवो को बच्चा बना दिया था ।
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पतिव्रता नारी के लक्षण पति के घर पर नहीं होने पर श्रंगार को त्याग देती है pativrata stri ke lakshan
जैसा कि हमने आपको उपर बताया कि एक पतिव्रता स्त्री अपने पति के लिए सजती है। और यदि वह घर पर नहीं है , तो वह मेकअप और अंट शंट सब कुछ त्याग देती है । क्योंकि इसकी उसको जरूरत महसूस नहीं होती है। तो पतिव्रता स्त्री के यह खास लक्षण होते हैं। आपको ऐसी अनेक स्त्री देखने को मिलेगी , जोकि अपने पति के दूर रहने पर साज और श्रंगार नहीं करती हैं। हालांकि इस तरह की स्त्री बहुत ही कम आपको देखने को मिलेगी । लेकिन जो देखने को मिलती हैं। वे पतिव्रता स्त्री होती हैं।
अन्य पुरूषों की प्रशंसा नहीं करती है pativrata stri ke lakshan
दोस्तों पतिव्रता स्त्री कभी भी पर पुरूष की प्रशांसा नहीं करती है और अपने पति से कभी भी उनकी तुलना नहीं करती है। क्योंकि उनके लिए उनका पति ही सबसे श्रेष्ठ होता है। पर पुरूष की प्रसंशा करने का मतलब यही है कि कहीं ना कहीं उसके अंदर उस पुरूष के प्रति भावना मौजूद है। अक्सर आपने भी देखा होगा कि कई सारी स्त्री होती हैं , जोकि दूसरे पुरूषों की प्रसंशा नहीं करती हैं। और अपने पति से उनकी तुलना तो भूलकर भी नहीं करती हैं। हालांकि पतिव्रता जो स्त्री नहीं होती हैं। वे ऐसा करती ही रहती हैं।
अपने पति का हर कदम पर स्पोर्ट करती हैं
पतिव्रता स्त्री का एक लक्षण यह होता है , कि वे अपने पति का हर कदम पर सपोर्ट करती हैं। यदि उनका पति कुछ करना चाह रहा है , तो वे भी उनके कार्य मे शामिल हो जाती हैं। पति की बातों का वे विरोध नहीं करती हैं। बेशक पति कलयुगी नहीं होना चाहिए । तो यदि किसी स्त्री के अंदर इस तरह के लक्षण होता है , तो इसका मतलब यह है कि वह पतिव्रता स्त्री है। वह अपने पति का हमेशा साथ देती है। एक बार तो पति यदि गलत भी हो तब भी उनकी बातों का भरोशा कर लेती है।
वे अपने पति का नाम नहीं लेती हैं
पतिव्रता स्त्री के लक्षणों के बारे मे शास्त्रों मे यह भी बताया गया है कि वे कभी भी अपने पति का नाम नहीं लेती हैं। क्योंकि इसके पीछे यह माना जाता है कि पति का नाम लेने से पति की उम्र कम हों जाती है। इसलिए वे अपने पति को ऐसे ही पुकारती हैं। वे नहीं चाहती हैं कि उनके पति की उम्र कम हो जाए और उसके बाद उनको परेशानी का सामना करना पड़े ।
वे द्धार पर अधिक देर तक नहीं खड़ी रहती हैं
पतिव्रता स्त्री कभी भी घर के द्धार पर अधिक देर तक आपको खड़ी नहीं मिलेगी । क्योंकि उनका वहां पर कोई काम नहीं होता है। बिना काम के इधर उधर तांक झांक करने की आदत उनकी नहीं होती है। यदि कोई महिला छत और द्धार पर इधर उधर झांकती रहती है। तो वह स्त्री पतिव्रता नहीं होती है। वरन कुलक्षणों वाली होती है। वह किसी से तब तक बात नहीं करेगी । जब तक कि दूसरा उससे बात नहीं करेगा । या कुछ कहेगा नहीं ।
वह अपने पति की उपेक्षा नहीं करेगी
पतिव्रता स्त्री का एक लक्षण यह भी होता है , कि वह अपने पति की उपेक्षा नहीं करेगी । चाहे उसका पति बीमार हो या नपुसंक हो या बूढ़ा हो । वह जैसा भी होगा । वह उसको पसंद करेगी । अपने पति की उपहास करने वाली स्त्री उसका अपमान करने वाली स्त्री कभी भी पतिव्रता स्त्री नहीं हो सकती है। हां पति इसके लायक होना जरूरी होता है।
पति के बिना वह उत्सवों मे जाने से बचती है
शास्त्रों के अंदर यह कहा गया है कि पतिव्रता स्त्री अकेले किसी भी उत्सव विवाह के अंदर जाने से बचती है। और यदि उसको जाना भी पड़ता है , तो वह अपने पति से पहले अनुमति लेती है। और उसके बाद ही किसी तरह के उत्सवों आदि के अंदर जाने का काम करती है। इसके अलावा तीर्थ स्थानों वैगरह के अंदर बिना पति की अनुमति के जाना पसंद नहीं करती है।
भगवान को अर्पण किये बिना कुछ नहीं खाती
दोस्तों पतिव्रता स्त्री का एक लक्षण यह भी होता है , कि वह भगवान को अर्पण किये बिना कुछ भी नहीं खाती है। वह सबसे पहले पितरों, अतिथियों, सेवकों, गौओं तथा भिक्षुकों आदि को भोजन देती है। और अपने पति के भोजन करने के बाद ही खाना खाती है। इस तरह की स्त्री यदि कोई है , तो उसको पतिव्रता स्त्री के नाम से जाना जाएगा । मगर इस तरह की स्त्री काफी अधिक दुर्लभ होती है।
अपने पति को कभी भी परेशान नहीं करती
दोस्तों पतिव्रता स्त्री कभी भी अपने पति को परेशान नहीं करती है। जिसके अंदर पति को ताना मारना पति को बिना वजह परेशान करना । और पति को बेकार के कार्यों के लिए फोर्स करना जैसी चीजें वह स्त्री नहीं करती है। यह भी एक पतिव्रता स्त्री के बड़े लक्षण होते हैं।
पर पुरूषों से हंसी मजाक नहीं करती है
दोस्तों पतिव्रता स्त्री का एक लक्षण यह भी होता है कि वह पर पुरूषों से मजाक करना पसंद नहीं करती है। यदि वह काम वैगरह भी करती है। तो बस अपने काम से काम रखती है। अन्य पुरूषों से उसको कोई भी मतलब नहीं होता है। वह दूसरे पुरूषों से कम से कम संपर्क रखती है। या फिर जरूरत का ही संपर्क रखती है। कुल मिलाकर एक पतिव्रता स्त्री फूहड हंसी हंसना जैसे लक्षण उसके अंदर मौजूद नहीं होते हैं।
पतिव्रता स्त्री पति का आदर करती है
जो स्त्री अपने पति का ही आदर नहीं करती है। वह कभी भी पतिव्रता नहीं हो सकती है। भले ही उसका पति किसी भी तरह का क्योंना हो वह अपने पति का आदर करने वाली होती है। अक्सर आपने देखा होगा कि कुछ स्त्री अपने पति के अच्छा और संस्कारी होने के बाद भी अपमान करती हैं , तो इस तरह की स्त्री कोई पतिव्रता नहीं होती हैं। मरने के बाद कुलक्षणों वाली स्त्री घोर नर्क मे गिरती हैं।
दुष्ट स्त्रियों का संग नहीं करती है
पतिव्रता स्त्री दुष्ट स्त्री का संग नहीं करती हैं। इनकी सबसे बड़ी खास बात होती है। यह हमेशा ऐसी स्त्री का संग करती हैं ,जोकि उनके समान ही अच्छी होती हैं। यदि इनको पता चल जाता है कि कोई स्त्री पतित हो चुकी है , तो यह तुरंत ही उस तरह की स्त्री से दूरी बना लेती हैं। क्योंकि यह इन सब चीजों को पाप मानती हैं। वैसे भी इनको पता होता है कि यदि वे इस तरह की स्त्री का संग करते हैं , तो धीरे धीरे बुरे गुण उनके अंदर भी आने शूरू हो जाएंगे।
वे अपने रूप पर घमंड नहीं करती हैं
पतिव्रता स्त्री की एक खास बात यह होती है कि यह अपने रूप पर कभी भी घमंड नहीं करती है। क्योंकि इस तरह की स्त्री कोई मामूली दो कौड़ी की स्त्री नहीं होती है। क्योंकि उसको सब कुछ पता होता है कि यह रूप और कुछ नहीं होता है। आज नहीं तो कल यह नष्ट हो ही जाना है। और जो नष्ट हो जाना है। उसके उपर घमंड करना ठीक नहीं होता है। पतिव्रता स्त्री के अंदर यह गुण आपको सबसे अधिक देखने को मिलेगा ।
पति को अपने अधीन रखने का प्रयास नहीं करती
इसके अलावा पतिव्रता स्त्री की एक खास लक्षण यह भी होता है कि यह किसी भी तरह से जोर जबरदस्ती पति को अपने अधीन रखने का प्रयास नहीं करती हैं। और इनको यह सही भी नहीं लगता है। हालांकि पति इनसे परामर्श कर सकता है। इनकी सलाह ले सकता है। लेकिन यह अपने पति को अपने अनुसार चलाने की कोशिश नहीं करती हैं। और यही इनका सबसे बड़ा गुण होता है।
पतिव्रता स्त्री हमेशा कम बोलने वाली होती हैं।
यदि आप ज्ञानी स्त्री को देखोगे तो आपको यह पता चलेगा कि अधिकतर ज्ञानी स्त्री काफी कम बोलने वाली होती है। क्योंकि जो स्त्री पूरे दिन अधिक बोलती है। वह अक्सर चंचल स्वाभाव की होती है। और पतिव्रता धर्म का पालन नहीं कर पाती है। हर किसी के साथ अधिक बातें करना एक स्त्री के लिए जरा भी अच्छा नहीं होता है। यह प्राचीन काल के अंदर बताई गई चीजें आज पूरी तरह से सत्य हो रही हैं।
पतिव्रता स्त्री सतकर्म करने वाली होती है
यादे रखें एक दुष्ट स्त्री कभी भी पतिव्रता नहीं हो सकती है। जो कुसंग जा चुकी है। आप उससे यह कभी भी उम्मीद नहीं कर सकते हैं। लेकिन एक पतिव्रता जो स्त्री होती है। चह सतकर्म करने वाली होती है। वह दया और धर्म के मार्ग पर आगे बढ़ने वाली होती है। उसको धर्म आदि के बारे मे सब कुछ पता होता है। ऐसी ही कोई स्त्री पतिव्रता नहीं होती है। उसके लिए धर्म का सहारा चाहिए होता है। यदि धर्म का सहारा नहीं है तो पतिव्रता बनना कोई आसान कार्य नहीं रह जाएगा । आप इस बात को समझ सकते हैं।
अपने पति को खुश करने का हर संभव प्रयास करती है
एक पतिव्रता स्त्री अपने पति को तन और मन से हमेशा खुश करने का प्रयास करती रहती है। क्योंकि वह अपने पति के अंदर ही सब कुछ देखने का प्रयास करती है। जो उसके पति की इच्छा होती है। वह वही सब कुछ करने का प्रयास करती रहती है। यदि इस तरह के गुण किसी स्त्री के अंदर होते हैं , तो उसको पतिव्रता स्त्री के नाम से जाना जाता है। वैसे भी एक पत्नी का यही तो धर्म होता है , कि वह अपने पति को खुश करने का प्रयास करें । और जो उसका पति कहे वही उसको करना चाहिए ।
सदैव महान लोग पतिव्रता स्त्री के आर्दश होते हैं
एक पतिव्रता स्त्री के आदर्श टीवी पर नाच करने वाले लोग कभी नहीं होते हैं।उसके आदर्श सदैव महान लोग होते हैं। भगवान उनके आदर्श होते हैं। और उनकी ही पूजा पाठ करती है। उनकी ही फोटों अपने घर के अंदर यह स्त्रियां लगाने का काम करती हैं । यदि कोई स्त्री ऐसे एक्टर को पसंद करती है , जोकि हर रोज नई पत्नी को बदलते हैं। फूहड मजाक करते हैं। कहते कुछ हैं और करते कुछ हैं , तो इस तरह की स्त्री कभी भी पतिव्रता नहीं हो सकती है।
पतिव्रता स्त्री पर पुरूष से नजरे नहीं मिलाती हैं।
दोस्तों कहा गया है , कि जो स्त्री पतिव्रता होती है। वह पर पुरूष से नजरे नहीं मिलाती है। वह बात बेसक करती है। लेकिन कभी भी उसकी आंखों मे आंखे डालकर बात नहीं करती है। क्योंकि यह उसके लिए सही नहीं होता है। अब आप पूछ सकते हैं कि आजकल तो महिलाएं आफिस मे काम करती हैं। तो आप देख सकते हैं। कि हर दिन तलाक हो रहे हैं। और अवैध संबंध विकसित हो रहे हैं। इसकी बहुत ही बड़ी वजह यही तो है। ज्योति मोर्या जैसी कहानी आपको बहुत अधिक देखने को मिलेगी ।
एक पतिव्रता स्त्री असमय ही घर से बाहर नहीं घूमती है
दोस्तों याद रखें एक पतिव्रता स्त्री के लिए उसका चरित्र ही सबसे बड़ी चीज होती है। इसलिए वह असमय ही घर से बाहर नहीं घूमती है। दारू पार्टी करना और बार मे जाना यह सब किसी पतिव्रता स्त्री के लक्षण नहीं होते हैं। यह सब कुलक्षणी स्त्री के लक्षण होते हैं। और यदि कोई इस तरह की स्त्री से शादी करता है। तो उसके सदैव ही पछताना पड़ता है। क्योंकि इस तरह की स्त्री घर के लिए बनी नहीं होती है।
अपने पति का हर कदम पर साथ देती है
दोस्तों पतिव्रता स्त्री बहुत अधिक दुर्लभ है। और आजकल यह काफी कठिन है। पति व्रता स्त्री का एक लक्षण यह भी होता है , कि वह अपने पति के हर कदम पर साथ देती है। जैसे पति पहले बहुत पैसे वाला हुआ करता था , मगर किसी वजह से बिजनेस के अंदर घाटा हो गया , तो इस तरह की स्त्री पति को कभी भी छोड़कर नहीं जाती है। वरन उसका पूरा साथ देती है। यदि आजकल के स्त्री की बात करें , तो उनको पैसा से मतलब होता है। जब तक पति के पास अच्छा पैसा है , तब तक तो ठीक है , जैसे ही पैसा खत्म हो जाता है। तो वे दुसरे बकरे को तलास करने लग जाती हैं।
पति से बैर रखने वाली नहीं होती है
दोस्तों पतिव्रता स्त्री कभी भी अपने पति से बैर रखने वाली नहीं होती है। अपने फायदे के लिए झूठ मूठ ही पति के उपर केस कर दिया । यह सब गुण किसी भी पतिव्रता स्त्री के नहीं होते हैं। आजकल ऐसा कई महिलाएं कर रही हैं। अपने मां बाप के दबाव मे आकर अपने पति पर झूठे ही केस कर दे रही हैं। और उसके बाद जब पति उनको छोड़ देता है , तो फिर दूसरे मर्द की तलास करती हैं। और तलाक सुदा महिला को बाद मे एक अच्छा इंसान मिलाना भी काफी कठिन होता है। क्योंकि हर कोई इस बात से डर जाता है , कि पता नहीं स्त्री कैसी होगी । पहले पति को ही छोड़ दिया ।
भांति भांति के रूप नहीं बदलती है
दोस्तों एक पतिव्रता स्त्री की सबसे बड़ी पहचान यह होती है , कि वह भांति भांति के रूप नहीं बदलती है। उसको रूप बदलकर किसी को दिखाना नहीं होता है। जैसे कि घर मे मेहमान आने पर बार बार कपड़ों को बदलना बार बार मेकअप करना । यदि इस तरह से कोई स्त्री करती है , खास कर दूसरों को दिखाने के लिए तो वह कोई पतिव्रता स्त्री नहीं होती है। एक बार जब हम काम करने गए थे तो एक स्त्री को इसी तरह से देखा । वह स्त्री दिन मे 50 बार कपड़े चेंज करती थी । अब हमें यह समझ नहीं आ रहा था कि यह स्त्री क्यों अपने समय को नष्ट कर रही है। लेकिन बाद मे यह पता चला कि इस तरह की स्त्री भी होती हैं।
पतिव्रता स्त्री घर मे कलह नहीं करती है
एक पतिव्रता स्त्री का स्वाभाव काफी अधिक पवित्र होता है। वह अपने पति के घर को कभी भी बांटने का काम नहीं करती है। और इसकी वजह से वह घर के अंदर कलह नहीं करती है। और उसको कलह करना भी नहीं चाहिए । जो स्त्री घर के अंदर कलह करती है। अपने पति का अपमान करती है। वह कभी भी पतिव्रता स्त्री नहीं होती है।
अधर्म करने वाली
दोस्तों अधर्म करने वाली स्त्री । उसको पाप करने मे भय नहीं लगता है। इस तरह की स्त्री पतिव्रता नहीं होती है। पतिव्रता स्त्री बिना वजह किसी को नुकसान नहीं पहुंचाती है। अपने फायदे के लिए वह किसी को नुकसान नहीं करती है। अधर्म से वह हमेशा दूरी बनाकर रखती है। तभी तो वह खुद को बहुत आगे तक लेकर जाती है।
एक पतिव्रता स्त्री के कोई भी पुरूष मित्र नहीं होते हैं
याद रखे एक पतिव्रता स्त्री के कोई भी पुरूष मित्र नहीं होते हैं। हां वह महिलाओं से खूब दोस्ती रखती है। लेकिन पुरूषों से हमेशा किनारा करके रखती है। इसलिए आपको यह भी देखना चाहिए कि सोसल मिडिया पर महिला के पुरूष मित्र हैं। या नहीं वरना आपको आजके माहोल के बारे मे पता ही होगा ।
पतिव्रता स्त्री अपने पति को कभी भी दुखी नहीं करती हैं
दोस्तों आपको बतादें कि यदि एक अच्छा पति है , तो पतिव्रता स्त्री कभी भी अपने पतियों को दुखी करने का काम नहीं करती हैं। इसकी वजह है कि वे खुद को हमेशा धर्म के अनुसार व्यवहार करती हैं। हालांकि यदि पति की बुरे लक्षणों वाला होता है , तो वह खुद ही अपनी पत्नी को दुखी करता रहता है।
मदउन्मुक्त नहीं होती है
दोस्तों एक पतिव्रता स्त्री कभी भी मद उन्मुक्त नहीं होती है। मतलब यही है , कि काम से वशीभूत होकर अपने कुल को नष्ट करने वाली वह नहीं होती है। उसके अंदर संयमित होने का गुण होता है। जैसे पति कहीं बाहर गए हुए हैं। तो वह अपने काम भाव को कंट्रोल करने मे सक्षम होती है। और पर पुरूषों से खासकर दूरी बनाकर रखती है। एक पतिव्रता स्त्री की यह सबसे बड़ी खूबी होती है।
अपने माता पिता की इज्जत को कभी भी ठेस नहीं पहुंचाती है
घर से भाग कर शादी कर लेना । और माता पिता की बिना अनुुमति के शादी करना । यह सब गुण पतिव्रता स्त्री के अंदर नहीं होते हैं। क्योंकि उनको यह पता होता है कि वे अपने माता पिता का सम्मान कभी भी नीचा नहीं करने दे सकती है। और यदि इस तरह की स्त्री कहीं पर है , तो वह सदा पूजनिय ही होती है। इस तरह की स्त्री अपने माता पिता की आज्ञा मानने वाली होती हैं।
लज्जा का त्याग नहीं करती है
एक बेशर्म औरत कभी भी पतिव्रता नहीं हो सकती है। इस बात को आपको याद रखना चाहिए । कहा जाता है कि लाज ही स्त्री का गहना होता है। और यदि उसने लाज ही बेच दी तो फिर वह एक वेश्या हो चुकी है। इस तरह की स्त्री कभी भी पतिव्रता नहीं होती है।
कुछ महान पतिव्रता स्त्री के बारे मे जानकारी
भारत के प्राचीन ग्रंथों के अंदर कई सारी ऐसी स्त्री के बारे मे उल्लेख मिलता है , जोकि पतिव्रता स्त्री के रूप मे जाना जाता है। तो आइए जानते हैं। उन पतिव्रता स्त्री के बारे मे ।
अनुसूया: अनुसूया ब्रह्मा, विष्णु और महेश की पत्नी थीं। और एक बार जब देवता उनकी पतिधर्म की परीक्षा लेने के लिए आए ,तो उन्होंने अपनी शक्ति की मदद से तीनो देवों को बालक बना दिया था ।
द्रौपदी: द्रौपदी महाभारत की पात्र थीं। वह पांच पांडवों की पत्नी थीं। वह अपने पतिव्रता धर्म के लिए भी प्रसिद्ध हैं। और एक बार जब कौरवों ने उनके चीर हरण करने की कोशिश की थी , तो भगवान ने उनको बचाया था ।
सुलोचना: सुलोचना रामायण की पात्र थीं। वह रावण के पुत्र मेघनाद की पत्नी थीं। वह अपने पतिव्रता धर्म के लिए भी प्रसिद्ध हैं। जब मेघनाद को राम के हाथों मृत्यु का वचन मिला, तो उन्होंने अपने पति की मौत को रोकने के लिए भगवान शिव की तपस्या की थी ।
सावित्री: सावित्री महाभारत की पात्र थीं। वह राजा अश्वपति की पुत्री थीं। वह अपने पति सत्यवान की मृत्यु को रोकने के लिए भगवान विष्णू की तपस्या की और भगवान विष्णू ने उनको वरदान दिया और उनके पति को फिर से जीवित कर दिया ।
मंदोदरी: मंदोदरी रामायण की पात्र थीं। वह रावण की पत्नी थीं। जब राम ने लंका पर आक्रमण किया था , तो रावण को मंदोदरी ने खूब समझाया था ।
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