इस लेख मे हम विस्तार से जानेंगे पत्रकारिता कितने प्रकार की होती है ? patrakar kitne prakar ke hote hain । पत्रकारिता की सम्पूर्ण जानकारी ,पत्रकारिता का मतलब सूचनाओं को संग्रहित करने और उनको आम पाठकों तक पहुंचाने से है। हालांकि हर सूचना समाचार के अंदर नहीं आती है। प्रकाशित करने के लिए कुछ खास सूचनाओं को चुना जाता है।जिसके अंदर जनरूचि ,निकटता और नविनता हो आदि ।इसके अलावा सूचनाओं के प्रकाशन के अंदर निष्पक्षता और तथ्यपरकता भी होनी जरूरी होती है।
समाचारों के अंदर केवल सूचनाएं ही नहीं आती हैं वरन कार्टून और फोटो भी आते हैं।इसके अलावा पत्रकारिता कई प्रकार की होती है। अक्सर जब दो लोग आपस मे मिलते हैं या फिर वे फोन पर बात करते हैं तो फिर वे सबसे पहले यही पूछते हैं कि क्या सूचना है ? क्या हालचाल है ? और क्या हो रहा है ? इसका मतलब यह है कि वे हाल की घटनाएं , दिन या फिर रात की घटनाएं जानना चाहते हैं।
और यही मनुष्य का स्वाभाव है कि वह नई सूचनाओं को जानना चाहता है।और इंसान का यही स्वाभाव पत्रकारिता के मूल सिद्धांत को बैठाता है। इंसान के अंदर यह प्रवृति होती है कि यह अपने आस पास जो कुछ भी हो रहा है उसको जानना चाहता है। और वैसे भी आजकल तो यही हो चुका है कि हम हमेशा ताजा घटनाओं का जिक्र करते हैं जब किसी से मिलते हैं तो । सिर्फ इतना ही नहीं है। आज का युग तो इंटरनेट का युग है और इस युग के अंदर कई प्रकार की पत्रकारिता मौजूद हैं जिनसे आप सूचनाएं हाशिल कर सकते हैं।
इन देश और दुनिया की सूचनाएं ही तो हमारा अगला कदम तय करती हैं।और यह सूचनाएं हमारे समाज को प्रभावित करती हैं।आज दुनिया और देश के अंदर जो कुछ भी हो रहा है । वह समाचार पत्रों के माध्यम से ही तो हमको पता चलता है। और उसके बाद हम उन सूचनाओं के हिसाब से भी काम करते हैं।
पत्रकारिता शब्द अंग्रेज़ी के “जर्नलिज़्म” (Journalism) का हिंदी रूपांतर है।
पत्रकारिकता लोकतंत्र का अंग माना जाता है जिसकी मदद से जनता के सामने सच को लाया जाता है। हालांकि आज के संदर्भ मे यह परिभाषा लागू नहीं होती है। पत्रकारिकता के अंदर झूठ फैलाना भी शामिल हो चुका है।
सी. जी. मूलर ने बिल्कुल कहा है कि-
सामायिक ज्ञान का व्यवसाय ही पत्रकारिता है। इसमें तथ्यों की प्राप्ति उनका मूल्यांकन एवं ठीक-ठाक प्रस्तुतीकरण होता है।
डॉ अवनीश सिंह चौहान के अनुसार-
तथ्यों, सूचनाओं एवं विचारों को समालोचनात्मक एवं निष्पक्ष विवेचन के साथ शब्द, ध्वनि, चित्र, चलचित्र, संकेतों के माध्यम से देश-दुनिया तक पहुँचाना ही पत्रकारिता है। इसके अंदर देश और समाज के लिए उपयोगी सूचनाओं को प्रस्तुत किया जाता है।
डॉ बद्रीनाथ कपूर के अनुसार –
पत्रकारिता पत्र पत्रिकाओं के लिए समाचार लेख एकत्रित तथा संपादित करने, प्रकाशन आदेश देने का कार्य है |
अब तक हमने पत्रकारिता की परिभाषा के बारे मे जाना उम्मीद करते हैं कि आपको पत्रकारिता का अर्थ पता चल गया होगा । तो आइए अब जानते हैं पत्रकारिता के प्रकार के बारे मे ।
Table of Contents
पत्रकारिता कितने प्रकार की होती है खोजी पत्रकारिता (Investigative journalism)
खोजी पत्रकारिता का मतलब होता है।एक ऐसी पत्रकारिता जो जासूसी होती है। या जो बहुत दबी हुई सूचनाओं को जनता के सामने लाती है। उसको खोजी पत्रकारिता कहा जाता है। आज देश के कोने कोने के अंदर अनेक ऐसी न्यूज होती हैं जो आम पत्रकारिता जानबूझ कर नहीं दिखाती है । खोजी पत्रकारिता के अंदर तथ्यों की जांच पड़ताल की जाती है और उसके बाद रहस्यों की परते खुलती हैं। उन रहस्यों को जनता के सामने लाया जाता है। कई तरह की न्यूज इसके अंदर हो सकती हैं। जैसे भ्रष्टाचार , लापरवाही, शोषण, अनियमितता, रिस्वतखोरी, गबन आदि की जानकारी जनता के सामने रखी जाती है।
इस प्रकार की पत्रकारिता की सबसे बड़ी बात यह होती है कि यह तथ्यों के साथ सत्य को खोजती है।पिछले दिनों एक न्यूज रिपोर्ट साब यही खोजी पत्रकारिता कर रहे थे । उन्होंने कई ऐसे तथ्य खोजे जो यह साबित करने के लिए काफी थे कि रामायण बस एक कहानी नहीं थी वरन यह एक हकीकत थी। जिसको बाद मे कहानी का रूप देकर लोगों के सामने रखा गया था।क्योंकि कुछ लोगों को लगता था कि रामायण काल्पनिक है।
2जी स्पेक्ट्रम घोटाला, कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाला, आदर्श घोटाला, ताज कारीडोर घोटाला जैसे महान घोटाले भारत के अंदर हुए हैं। इस प्रकार के घोटालों के तथ्यों को खोजन ही तो खोजी पत्रकारिता का काम होता है। हालांकि यह कार्य बहुत ही रिस्की होता है। और इस सिलसिले के अंदर कई बार पत्रकार की जान भी चली जाती है।
जाने-माने पत्रकार जुलियन असांज के ‘विकीलिक्स’ ने तो ऐसे-ऐसे रहस्योद्घाटन किये जिनसे कई देशों की सरकारें तक हिल गई थी। इस प्रकार से खोजी पत्रकारिता का मतलब यह है कि जो दबी हुई चीजों को आपके सामने रखता है वही तो खोजी पत्रकार होता है।
लेकिन खोजी पत्रकारिता भी अब पाक साफ नहीं रही है।तथ्यों को उस तरीके से नहीं दिखाया जाता है जिस तरीके से उनको दिखाना चाहिए । बस खोजीपत्रकारिता के माध्यम से भी ऐजेंडा या फिर झूठ फैलाया जाता है और यह बस पैसों के दम पर चलता है।
एक खोजी पत्रकारिता के अंदर एक पूरी टीम होती है।इसके अंदर आमतौर पर 5 लोग हो सकते हैं या फिर इससे अधिक हो सकते हैं। यह गुप्त रूप से अपने टारगेट को सेट करते हैं और उसके बाद अपने विचारों को प्रमाणित करने के लिए सबूत को एकत्रित करते हैं। जब प्राप्त सबूत एकत्रित हो जाते हैं तो इनको जनता के सामने रख दिया जाता है।
patrakar kitne prakar ke hote hai खेल पत्रकारिता Sports journalism
खेलपत्रकारिता का मतलब एक ऐसी पत्रकारिता है जो खेलों से जुड़ी न्यूज को दिखाती है । या खेल की सूचनाओं को सामने लाती है। आजकल खेल मनोरंजन का बहुत बड़ा साधन बन चुका है। हालांकि खेलने से बहुत सारे फायदे होते हैं। जैसे अच्छा स्वास्थ्य रहता है और वजन कम होता है। इसके अलावा बौद्धिक विकास भी होता है।
2008 के आस पास लोगों की खेलने मे काफी अधिक रूचि थी । कारण यह था कि उस समय भारत के अंदर इंटरनेट और दूसरे मनोरंजन के साधन उतने अधिक नहीं थे । आज इंटरनेट वैगरह आने की वजह से लोगों की खेलने मे रूचि कम हुई है लेकिन खेलों को देखने मे रूचि काफी बढ़ गई है जो खेलों को और अधिक लोकप्रिय बना चुकी है।
वर्तमान मे खेलों की बढ़ती लोकप्रियता ने ही खेलपत्रकारिता को जन्म दिया है।मल्ल-युद्ध, तीरंदाजी, घुड़सवारी, तैराकी, गुल्ली डंडा, पोलो रस्साकशी, मलखंभ, वॉल गेम्स जैसे आज काफी लोकप्रिय खेल हैं। और इनकी सूचनाओं को लोगों तक पहुंचाने को ही खेलपत्रकारिता कहा जाता है।
इंटरनेट और टीवी आने की वजह से लोग खेलों के बारे मे बहुत अधिक जानना चाहते हैं। भारत के अंदर क्रिकेट तो बहुत अधिक लोकप्रिय है। आज भी छोटे बच्चे से लेकर बड़े तक मैच देखते हैं। और हर इंसान का फेवरेट बल्लेबाज भी होता है।
प्राचीन काल के अंदर क्योंकि लोगों के अंदर खेलों को देखने के साधन मौजूद नहीं थे लेकिन आज ऐसा नहीं है। आज खेलों के प्रति लोगों की दिवानगी बढ़ रही है। यही कारण है कि खेलों से बहुत अधिक धन अर्जित किया जाता है। टीवी और पत्रकार सब खेलों के लिए लाइव न्यूज बताने मे लगे हुए हैं। खेलों को पसंद करने वाले पाठक तो सबसे पहले खेलपत्र को ही देखते हैं। आपको पता होना चाहिए कि आजकल कई समाचार पत्र तो सिर्फ एक खेलपत्रिका के नाम से ही चलते हैं। और कई न्यूज चैनल भी इसी नाम से चलते हैं।
इन खेल चैनलों के अंदर 24 घंटे कोई ना कोई खेल की कवरेज आती रहती है।इसके अलावा दशर्कों का भी रूझान कम नहीं हो रहा है।वे भी पुराने खेल तिथियों और डेटा को देखने मे भी काफी रूचि दिखा रहे हैं । जो खेलपत्रकारिता की बड़ी संभावना के बारे मे बताता है।
आज टेनिस, फुटबॉल, बास्केट बॉल, बॉक्सिंग, स्क्वाश, गोल्फ जैसे खेलों के अंदर काफी धन वर्ष हो रही है।अक्सर आपने देखा होगा खिलाड़ी किसी ना किसी ब्रांड का शर्ट पहनते हैं। ऐसा करके वे उस ब्रांड का प्रचार करते हैं और वह ब्रांड इसके लिए करोड़ो रूपये का भुकतान करता है। हालांकि खेल के अंदर धन वर्षा ने कई प्रकार की समस्याओं को भी जन्म भी दिया है। खेलों में गलाकाट स्पर्धा के कारण इसमें फिक्सिंग और डोपिंग जैसी बुराइयों का प्रचलन भी बढ़ने लगा है। फिक्सिंग और डोपिंग जैसी समस्याओं की वजह से खेल जगत बदनाम होने लगा है।
खेल पत्रकारिता Sports journalism का मतलब है जो खेल से जुड़ी सूचनाओं को जनता तक पहुंचाता है वह खेलपत्रकार है।
महिला पत्रकारिता Female journalism
महिला पत्रकारिता आज के जमाने के अंदर काफी चलती है। दुनिया के अधिकतर देशों के अंदर समाज पुरूष प्रधान रहा है क्योंकि प्रकृति ने पुरूष को अधिक ताकतवर बनाया है। जिसका परिणाम यह हुआ कि महिलाओं को सदैव ही दबाया गया और उनको उनको अबला कहकर संबोधित किया गया । उनको घर की चारदीवारी के अंदर कैद करके रखा गया ।
लेकिन अब समय बदल चुका है।और महिलाएं पुरूष की बराबरी कर चुकी हैं। वे उन सभी क्षेत्रों के अंदर काम करती हैं जो पहले केवल पुरूषों के अधिकार क्षेत्र के अंदर आते थे ।राजनीति, प्रशासन, सेना, शिक्षण, चिकित्सा, विज्ञान, तकनीक, उद्योग, व्यापार, समाजसेवा जैसे क्षेत्रों के अंदर महिलाओं ने अपनी पहचान बनाई है।
मृणाल पांडे, विमला पाटील, बरखा दत्त, सीमा मुस्तफा, तवलीन सिंह, मीनल बहोल, सत्या शरण, दीना वकील, सुनीता ऐरन, कुमुद संघवी चावरे, स्वेता सिंह, पूर्णिमा मिश्रा, मीमांसा मल्लिक, अंजना ओम कश्यप आदि अनेक महिलाएं हैं जिन्होंने अपनी मुकाम मे सफलता हाशिल की है।
अक्सर आज के समय मे महिला पत्रकारिता का क्षेत्र काफी व्यापक हो चुका है। कई महिला पत्रिका चलती हैं। इनके अंदर काम करने वाली भी महिलाएं होंती हैं। इनके अंदर महिलाओं के अधिकार और उनकी समस्याओं पर ही बात की जाती है।
महिला पत्रकारिता के अंदर एक बहुत ही बड़ा क्षेत्र आता है। ग्रहशोभा और विनिता जैसी पत्रिकाओं का नाम आपने सुना ही होगा । यह सारी महिलाओं से जुड़ी होती हैं। महिला पत्रिकारिता का मतलब होता है जो महिलाओं की समस्याएं ,उनके अधिकार और उनकी समस्याओं व महिलाओं के लिए उपयोगी जानकारी प्रधान करती करती है। वही महिला पत्रकारिता होता है।
इसके अलावा महिलाओं को अधिकार दिलाने और उनके लिए कानूनी सलाह देने मे भी इन पत्रिकाओं की महत्वपूर्ण भूमिका है।महिलाओं के बहुतसारे मुद्दों को महिला पत्रिका के माध्यम से उठाया जाता है।
बाल-पत्रकारिता Child journalism
बाल पत्रकारिता का मतलब है जो बच्चों से जुड़ी सूचनाओं को शैयर करती हैं वे सारी बाल पत्रकारिता कहलाती हैं वर्तमान के अंदर बाल पत्रकारिता का भी काफी वर्चस्व है।
बच्चों की जानकारी अनेक प्रकार की होती है। जैसे बच्चों के स्वास्थ्य से जुड़ी जानकारी को शैयर करना , बच्चों के देखभाल की जानकारी , बच्चों के खेलने से जुड़ी जानकारी और बच्चों के लिए कहानी और चुटकले । इनके अंदर आते हैं।
अक्सर छोटे बच्चे इन पत्रिकाओं से ही तो सीखते हैं।अनेक कहानियों के माध्यम से बच्चों को नैतिक चीजें सीखाई जाती हैं। और उनको नैतिकता के मामले के अंदर बलिष्ठ बनाया जाता है।
और इन पत्रिकाओं के अंदर अनेक प्रकार की प्रतियोगिता चलती है जिसके अंदर बच्चे भाग लेते हैं और अपनी रचना वैगरह को भेजते हैं जिससे उनके अंदर रचनात्मक गुण का विकास होता है।
वर्तमान मे अनेक पत्रिकाएं ऐसी चल रही हैं जो बच्चों से संबंधित हैं।एक बाल पत्रकार का कार्य कहानी लिखना , या बच्चों के लिए पहले लिखना या फिर बच्चों को जानकरी देने के लिए लेख लिखना होता है। हालांकि बालपत्रिका के अंदर काफी प्रतिस्पर्धा भी है।
कुछ बाल पत्रिकाओं के नाम इस प्रकार से हैं।
पत्रिका का नाम | शूरू करने का समय |
बाल लोक | 1961 |
बाल दुनिया | 1961 |
बेसिक बाल शिक्षा | 1961 |
बाल वाटिका | 1962 |
रानी बिटिया | 1962 |
शेरसखा | 1963 |
नन्दन | 1949 |
मिलिन्द | 1949 |
जगंल | 1985 |
बाल प्रभात | 1949 |
चमकते | 1949 |
सितारे | 1949 |
शिशु बन्धु | 1949 |
बाल जगत | 1949 |
बच्चों का अख़बार | 1,949 |
बालकुंज | 1,949 |
चंपक | 1,949 |
लइखँर्थ्ीद्ध | 1,949 |
थ्र्रकुंज | 1,949 |
जंतुक | 1,949 |
पोट | 1,949 |
नटखट | 1,949 |
चन्द्र खिलौना | 1,949 |
बाल रंग भूमि | 1,960 |
मुन्ना | 1960 |
गोल गप्पा | 1960 |
नगराम | 1962 |
बच्चे और हम | 1962 |
चमाचम | 1962 |
गुरु चेला | 1963 |
हँसती दुनिया | 1943 |
गुड़िया | 1973 |
किशोर | 1943 |
मिलन्द | 1943 |
बाल बन्धु | 1963 |
प्यारा बुलबुल | 1949 |
लल्लू पंजू | 1985 |
शावक | 1985 |
बालेश | 1985 |
बाल रुचि | 1985 |
देवछाया | 1985 |
बाल दर्शन | 1985 |
शिशुरंग | 1949 |
कलरव | 1949 |
आदर्श बाल सखा | 1949 |
ओ राजा | 1949 |
बाल साहित्य समीक्षा | 1949 |
बाल पताका | 1949 |
मुसकराते फूल | 1949 |
बालकल्पना | 1949 |
मेला | 1949 |
देव पुत्र | 1949 |
राकेट | 1960 |
बालमन | 1960 |
बाल रत्न | 1960 |
कुटकुट | 1961 |
नन्हें तारे | 1961 |
नन्हीं मुस्कान | 1961 |
नन्हें मुन्नों का अखबार | 1961 |
द चिल्ड्रन टाइम्स | 1961 |
आनन्द दीप | 1962 |
बाल नगर | 1962 |
चन्दन | 1962 |
लल्लू जगधर | 1962 |
सुमन सौरभ | 1963 |
किलकारी | 1985 |
उपवन | 1985 |
चकमक | 1985 |
बाल कविता | 1985 |
अच्छे भैया | 1949 |
नये फूल धरती के | 1949 |
बालहंस | 1949 |
बालमंच | 1949 |
नन्हें सम्राट | 1949 |
किशोर लेखनी | 1949 |
बाल मेला | 1949 |
बाल विवेक | 1949 |
समझ झरोखा | 1949 |
यू.पी.नन्हा समाचार | 1949 |
हिमांक रतन | 1949 |
बाल मिलाप | 1979 |
बाल प्रतिबिम्ब | 2003 |
अभिनव बालमन | 2009 |
बाल युग | 2014 |
फुलवारी | 1961 |
आर्थिक पत्रकारिता Economic journalism
आर्थिक पत्रकारिता अर्थ से संबंधित होती है।इसके अंदर कोई ऐसा व्यवहार जो राज्यों या व्यक्तियों के बीच होता है जो अर्थ से संबंध रखता हो उसे ही आर्थिक पत्रकारिता कहा जाता है।आर्थिक पत्रकारिता के अंदर अर्थ से जुड़ी योजनाएं ,कार्य और उनके गुण दोषों की जांच की जाती है। इस पत्रकारिता के अंदर शैयर मार्केट जैसी चीजें आती हैं।इसके अलावा सरकार समय समय पर धन से जुड़ी कई सारी स्कीम चलाती है। वह भी इसी के अंदर आती है।
इस पत्रकारिता के अंदर आपको यह बताया जाता है कि आप अपने धन का किस प्रकार से बेहतर उपयोग कर सकते हैं ? और धन को किसी अच्छी स्कीम के अंदर लगाने के बारे मे भी सुझाव दिया जाता है।
वर्तमान मे आर्थिक पत्रकारिता का क्षेत्र बहुत अधिक बढ़ा हो चुका है।क्योंकि एक देश दूसरे देश के उपर निर्भर है । आयात निर्यात चलता ही रहता है। सो यदि किसी एक देश के अंदर सोने चांदी के भाव बढ़ते हैं तो उसका असर दूसरे देश पर भी पड़ता है। इसी प्रकार से भारत विदेशों से कच्चा तेल आयात करता है।
यदि विदेशों के अंदर कच्चे तेल की कीमत बढ़ती है।तो यह भारत के अंदर पूरी तरह से प्रभावित करती है। आर्थिक पत्रकार आपको यह उल्लेख करते हुए मिल जाएंगे कि किस देश के अंदर तेल की कीमत क्या है ? और भारत मे तेल कि कीमते क्यों बढ़ी हैं। और इनको किस प्रकार से कम कर सकते हैं ?
यूरो, डॉलर, पाउंड, येन जैसी मुद्रायें भी आर्थिक पत्रकारिता के अंदर आती हैं। आज पूरी दुनिया के किसी कोने के अंदर आर्थिक हलचल होती है तो यह दूर दूर तक जाती है।इसके अलावा मजबूत अर्थव्यवस्था वाले देशों के अंदर जो आर्थिक परिवर्तन होता है उसके प्रभाव का छोटे देशों पर विश्लेषण करना भी आर्थिक पत्रकारिता का कार्य होता है।
इसके अलावा आर्थिक पत्रकारिता के सामने बड़ी चुनौती है कालाधन ,भष्टाचार और लूट । जैसे जैसे अर्थ का महत्व मनुष्य के लिए बढ़ता जा रहा है वैसे वैसे लूट और अधिक बढ़ती जा रही है। और लोग अपने पथ से भ्रष्ट होते जा रहे हैं। जब एक घोटाला होता है तो आर्थिक पत्रकारिता वाले उसको अर्थ के हिसाब से विश्लेषण करते हैं कि उस धन से क्या नुकसान होगा और उसका किस प्रकार से उपयोग किया जा सकता था। एक तरह से आर्थिक पत्रकारिता आर्थिक सलाह और आर्थिक जानकारियों को प्रदान करती है।
भारत एक कृषी प्रदान देश है और आज भी भारत की 70 फीसदी आबादी गांवों के अंदर बसती है।आर्थिक पत्रकारिता के अंदर ग्रामीण योजनाओं के बारे मे भी जानकारी दी जाती है। किस प्रकार से गांवों का आर्थिक विकास हो सकता है ? और कौनसी योजनाएं कहां तक सफलता प्राप्त कर पाई हैं?इन सभी पर एक आर्थिक पत्रकारिता विचार करती है। आर्थिक पत्रिकाओं के अंदर इकॉनॉमिक टाईम्स, फाइनेंशियल एक्सप्रेस, बिजनेस स्टैण्डर्ड, बिजनेस लाइन, मनी कंट्रोल, इकॉनामिक वेल्थ, मिंट आदि आती हैं जो अर्थ से जुड़ी जानकारी प्रदान करती हैं।
patrakar kitne prakar ke hote hain sankshep mein varnan ग्रामीण पत्रकारिता
भारत एक गांवों का देश है और आज का युग बदल चुका है। पहले गांव के अंदर अखबार वैगरह कुछ नहीं आता था लेकिन अब समय बदल चुका है।गांव के लोग भी अखबार पढ़ना चाहते हैं और देश दुनिया के बारे मे जानना चाहते हैं। इसी वजह से ग्रामीण पत्रकारिता का जन्म हुआ ।
यह एक ऐसी पत्रकारिता होती है जिसके अंदर गांवों की खबरों के बारे मे दिखाया जाता है।और वर्तमान मे कई पत्रकार इस दिशा के अंदर काम कर चुके हैं। वे गांवों का दौरा करते हैं और उसके बाद गांव के अंदर क्या क्या समस्याएं हैं उनके बारे मे बता करते हैं। इसकी वजह से गांव वालों को एक मंच मिलता है कि वे अपनी समस्याओं को किसी से कह सकें।
हालांकि गांव के अंदर पत्रकारिता करने का अगल ही मजा होता है। इसके अंदर पत्रकार को एक नया अनुभव होता है।यहां पर आप को सामान्य रूटीन समाचारों के अलावा गांव के अंदर चल रही योजनाओं के बारे मे जानकारी मिलती है कि किस प्रकार की योजनाएं गांव के अंदर चल रही हैं ? और उनके अंदर क्या बदलाव करने की आवश्यकता है।इसके अलावा गांवों के अंदर होने वाले भ्रष्टाचार की तरफ किसी का ध्यान नहीं जाता है तो इस समस्या को भी ग्रामीण पत्रकारिता उजागर करती है।
शहरीकरण के बढ़ते प्रभाव की वजह से गांवों के अंदर भी काफी बदलाव आ रहे हैं।खान पान और पहनावे में बदलाव, सामाजिक सम्बंधों में बदलाव, युवाओं में बदलाव आदि के बारे मे सूचनाएं जुटाई जा सकती हैं।इसके अलावा गांवों के अंदर पर्यावरण प्रदूषण भी एक समस्या बन चुकी है । हालांकि इसपर किसी का ध्यान नहीं जाता और आपने भी देखा होगा कि कई गांवों के रस्ते बुरी तरह से गंदगी लगे हुए होते हैं लेकिन उनके उपर किसी भी तरह का ध्यान नहीं दिया जाता है।एक पत्रकार का कार्य यही है कि वह इन सभी समस्याओं पर ध्यान आकर्षित करें ।
ग्रामीण पत्रकारिता के अंदर कृषि पत्रकारिता भी आती है। एक ग्रामीण पत्रकार गांव के अंदर होने वाली खेती के बारे मे जानकारी दे सकता है। जैसे कि गांव मे खेती करने मे क्या समस्याएं आती हैं ? और किसानों को खेती से संबंधित योजनाओं का लाभ मिलता है या नहीं ? इसके अलावा खेती किसी प्रकार से की जानी चाहिए ? इस पर किसानों से बातचीत की जा सकती है।इस प्रकार से ग्रामीण इलाकों के अंदर अपराध से जुड़ी समस्याओं पर भी पत्रकारिता की जा सकती है। कुछ ऐसे मुद्दे ग्रामीण इलाकों मे भी होते हैं जिनपर कोई भी ध्यान नहीं देता है। जैसे चोरी ,डकैती और मारपीट आदि पर यदि पुलिस सुनवाई नहीं कर रही है तो इसको जनता के सामने उजागर किया जा सकता है।इस प्रकार से आप देख सकते हैं कि ग्रामीण पत्रकारिता का क्षेत्र बहुत अधिक बड़ा है
व्याख्यात्मक पत्रकारिता
व्याख्यात्मक पत्रकारिता के अंदर एक पत्रकार को कोई घटना प्रदान की जाती है और उस घटना की व्याख्या करनी होती है।इसके अंदर उस घटना से जुड़े तथ्यों और सटीकताओं को खोजा जाता है। यह खोजी पत्रकारिता के समान होती है। लेकिन इसके अंदर आपको बस एक टॉपिक दिया जाता है।
विकास पत्रकारिता
विकास पत्रकारिता के अंदर भौतिक विकास को महत्व दिया जाता है।जब हम विकास पत्रकारिता की बात करते हैं तो इसके अंदर कृषि ,शिक्षा ,रोजगार और भौतक साधनों के विकास की बात की जाती है।और यह ऐसे लोगों की बात करती है जो जीवन की मुख्य धारा से अलग रहते हैं। आज भी भारत के अंदर ऐसे कई इलाके हैं जो जीवन की बुनियादी सुविधाओं से लेस नहीं हैं।इन लोगों की समस्याओं को उठाना ही विकास पत्रकारिता के अंदर आता है।
विकास पत्रकारिता की परिभाषा देते हुए लिखा गया है कि इसके अंदर जीवन की सही रिपोर्ट को प्रस्तुत करना होता है। जिसके अंदर आम आदमी के जीवन को प्रभावित करने वाले विकास कार्यक्रमों की सफलता और असफलता के बारे मे विवेचन करना होता है। इसके अलावा इस पत्रकारिता के अंदर पत्रकार अनुभवी लोगों के सुझाव भी ले सकता है जोकि विकास के बारे मे अपनी राय रख सकते हैं। किस स्थान पर किस प्रकार से विकास किया जाना चाहिए ।
इस प्रकार से विकास पत्रकारिता के अंदर विकास कार्यों की अच्छी तरह से खोजबीन की जाती है लेकिन इसके अंदर अधिक धन खर्च होता है और इतने धन को खर्च करना पत्रकार के लिए काफी कठिन कार्य होता है। क्योंकि इसके अंदर इतनी अधिक इनकम नहीं होती है।
और विकास पत्रकारिता के पाठक भी काफी कम हैं। यही वजह है कि कुछ पत्रकार इस दिशा के अंदर कुछ अधिक मेहनत नहीं करते हैं और ज्यों कि त्यों ही जो मिला छाप देते हैं। जिससे खबरों की विश्वसनियता के अंदर कमी आ जाती है।
और विकास कार्यों पर सरकारी अधिकारी भी बोलने से कतराते हैं। क्योंकि उनको लगता है कि यदि उनकी पोल खुल गई तो वे व्यर्थ के अंदर ही मुश्बित मे पड़ जाएंगे । इसके अलावा जब कोई विकास पत्रकार उनके कार्यों की पोल खोलने के लिए आता है तो वे उसे साठ गांठ भी आसानी से कर लेते हैं। क्योंकि यह लोग एक पत्रकार को मोटा पेशा देते हैं।यही वजह है कि इस प्रकार के समाचारों को दबा दिया जाता है।
इसके अलावा विकास पत्रकारिता के अंदर बहुत ही कम लोग आते हैं जोकि चाहेंगे कि वे यह कार्य करें । अधिकतर पत्रकार ऐसे होते हैं जो गांवों की धूल फांकना पसंद नहीं करते हैं और यहां कहां से जो भी आंकड़े मिलते हैं वे उनको उठाकर ले आते हैं और उसके बाद उनको छाप देकर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं। और गांवों के अंदर अनेक प्रकार की योजनाएं चलाई जाती हैं।लेकिन बिचौलियों की मिलीभगत की वजह से यह योजनाएं भी सक्सेस नहीं हो पाती हैं। और कई बार इन योजनाओं का पैसा भी अधिकारी चट कर जाते हैं। इस प्रकार से विकास पत्रकारिता के अंदर काफी समस्याएं हैं।
संदर्भ पत्रकारिता
संदर्भ पत्रकारिता का मतलब होता है एक ऐसी पत्रकारिता जिसके अंदर आपको संदर्भ देने की आवश्यकता होती है। आमतौर पर संदर्भ पत्रकारिता के अंदर लगभग सारी पुरानी चीजें आती हैं। जैसे आज आप किसी फेमस इंसान के उपर लेख लिख रहे हैं तो आप उसके उपर अपने मन से कुछ भी नहीं लिख सकते हैं। वरन आपको पुरानी पत्र पत्रिकाओं को खोजना होगा जिसके अंदर उस इंसान ने इंटरव्यू दिया होगा ।और इंटरव्यू के अंदर उसने क्या कहा था ? इस बारे मे भी आपको देखना होगा। और अक्सर आपने देखा होगा कि कई समाचार संदर्भ भी छापते हैं।
संदर्भ पत्रकारिता के अंदर संदर्भ का बड़ा महत्व होता है।जब आप किसी के लिए कुछ कहते हैं तो फिर आपको उसका संदर्भ भी देना होता है। आपको पता होना चाहिए कि इसी प्रकार से विज्ञान और दूसरे विषयों पर लेख लिखने के बाद उनका संदर्भ देना होता है। विकिपिडिया पर जो कुछ भी आप लिखा देखते हैं उसका संदर्भ भी आपको नीचे लिखा हुआ मिल जाएगा ।इस प्रकार से एक तरह से विकिपिडिया के लिए जो भी पत्रकार काम करते हैं उनके लिए यह भी एक संदर्भ पत्रकारिता हुई ।
संदर्भ कुछ ऐसे स्त्रोत होते हैं जंहा से आपने कुछ सूचनाओं को उठाया होता है।
संसदीय पत्रकारिता
संसदीय पत्रकारिता के अंदर संसद के अंदर क्या हो रहा है ? और कानूनों के अंदर कौनसे बदलाव हुए हैं। यही सब आता है। एक अखबार के न्यूज रिपोर्टर को संसदीय पत्रकारिता के लिए रखा जाता है। जोकि संसद से जुड़ी कार्यप्रणाली की जानकारी रखता है। आपको बतादें कि संसदीय पत्रकारिता कानून से संबंध रखती है लेकिन यह कानूनों पर सलाह नहीं देती है।जैसे हाल ही के अंदर संसद मे कौनसे कानून पर बहस चल रही है ? और कौनसा कानून सरकार वापस ले रही है। आज संसद के अंदर किसने क्या बोला ? सरकार किस समस्या का किस प्रकार से समाधान कर रही है। संसद मे हंगामा हो गया ।इस प्रकार की खबरे भी आप देखते होंगे ।यह सारी खबरे संसदिय पत्रकार के जिम्में होती हैं। संसद के अंदर की हलचल को यह पत्रकार लोगों तक पहुंचाने का काम करते हैं।
इस प्रकार से आपको कई कानूनों का पता पहले से ही चल जाता है कि सरकार कौनसा कानून ला रही है और इसका जनता पर क्या प्रभाव पड़ने वाला है। नए कानून पर जनता का फीडबेक लेना भी एक तरह से इस पत्रकारिता के अंदर आता है।इस प्रकार से कई कानून ऐसे भी होते हैं जो सरकार वापस लेलेती है तो यह भी संसदिय पत्रकारिता के विषय हैं।
रेडियो पत्रकारिता
रेडियो पत्रकारिता के बारे मे तो आपको अधिक बताने की जरूरत नहीं है। आज भी भारत के अधिकांश इलाकों के अंदर रेडियो का प्रयोग किया जाता है। हालांकि रेडियों का प्रयोग कभी बहुत अधिक होता था लेकिन अब रेडियो सुनने वाले लोंगों की संख्या तेजी से कम होती जा रही है।
एक समय ऐसा होता था कि बहुत से लोग रेडियो सुनते थे । रेडियो पत्रकारिता का सीधा मतलब यह है कि आपको रेडियों पर समाचार प्रसारित करना होता है। इसमे आपको बस सूचनाएं एकत्रित करनी होती हैं। और इसके लिए आपको कहीं पर जाने की जरूरत नहीं होती है। क्योंकि रेडियो पत्रकारिता का क्षेत्र बहुत ही सीमित होती है। और आज के समय मे तो इंटरनेट पर न्यूज की भरमार होती है। एक रेडियोपत्रकार इंटरनेट से सूचनाओं को एकत्रित करता है और उसके बाद उनके अंदर कांट छांट करता है फिर इनको प्रस्तुत करता है।
रेडियो पत्रकारिता एक तरह से बहुत ही सरल है। बस इसके अंदर आपकी आवाज या वाक कला का काफी महत्व होता है। यदि आप अच्छे से बोल पाने मे सक्षम हैं तो आप यह पत्रकारिता कर सकते हैं। इसके अलावा रेडियो पत्रकारिता के कोर्स भी होते हैं। जिनको आप कर सकते हैं । जिसके बाद आपको सर्टिविकेट भी प्रदान किया जाता है। एक रेडियो पत्रकार के लिए उतने आप्सन नहीं हैं और वह एक स्वतंत्र पत्रकार भी नहीं बन सकता है। इसलिए इसका दायरा भी बहुत सीमित होता है।
दूरदर्शन पत्रकारिता
दूरदर्शन पत्रकारिता जिसको हम टीवी पत्रकारिता भी कह सकते हैं।दूरदर्शन पहले सबका फेवरेट चैनल हुआ करता था। हालांकि अब चैनलों की बाढ़ आ चुकी है तो दूरदर्शन कहीं पीछे छूट गया है।दूरदर्शन की स्थापना एक परीक्षण के तौर पर दिल्ली में 15 सितंबर 1959 को हुई थी । पहले यह आधे घंटे तक ही प्रसारण करता था। बाद मे 1975 मे इसका नाम दूरदर्शन रखा गया था।
दूरदर्शन पत्रकारिता एक व्यापक विषय होता है जिसके अंदर आपको लगभग सभी प्रकार के विषयों को कवर करना होता है।जब आप एक टीवी चैनल के लिए काम करते हैं तो आपको अपराध ,सामाजिक ,राजनैतिक और आर्थिक इन सभी मुदृों को कवर करना पड़ता है तो आप समझ सकते हैं कि टीवी पत्रकारिता का क्षेत्र कितना व्यापक होता है। इसके अंदर आमतौर पर अलग अलग क्षेत्रों के अंदर काम करने वाले पत्रकारों को हायर किया जाता है और उसके बाद उनको इनकी योग्यता के अनुसार काम सौंपा जाता है।
दूरदर्शन पत्रकारिता के अंदर केवल बोलना ही शामिल नहीं होता है।वरन इसके अंदर विडियो भी आते हैं। जिससे की पत्रकार को उस स्थान पर जाना होता है जहां की वो खबर दिखाना चाहते हैं। इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि दर्शक सिर्फ सुनते ही नहीं हैं वरन देखने का भी आनन्द लेते हैं। वर्तमान मे बहुत सारे चैनल इस पत्रकारिता मे आ चुके हैं। कभी दूरदर्शन एक होता था। और चैनलों की प्रतिस्पर्धा की वजह से दूरदर्शन कहीं पीछे छूट गया है।
फोटो पत्रकारिता
मनुष्य के अंदर सीखने की आकांक्षा हमेशा से रही है।कैमरे के आविष्कार से पहले भी फोटो मौजूद थी और इसके लिए चित्रकार जिस भी चीज को देख लेते थे । उसके हूबहू पेंटिंग बना देते थे लेकि कैमरे के आने के बाद हर कोई कहीं की भी फोटो ले सकता है। और समाचार पत्रों के अंदर सूचना के साथ साथ उससे जुड़ी फोटो भी प्रकाशित होती है जो समाचारों को और अधिक प्रभावी बनाने का कार्य करती है।फोटोग्राफी के बाद लोग दूर दूर जगहों पर फोटो के लिए जाने लगे और आज यह एक बड़े व्यवसाय के अंदर बदल चुका है।
और अब तो फोटोग्राफी इतनी अधिक हावी हो चुकी है कि अक्सर गोलियों के बीच जाकर फोटोग्राफर फोटो लेते हैं। और कई बार झगड़ों के अंदर पत्रकारों की भी मौत हो जाती है। वैसे आपको बतादें कि फोटो पत्रकारिता अलग अलग प्रकार की होती है। जिसके बारे मे हम यहां पर आपको बता रहे हैं।
- खेल फोटो पत्रकारिता के अंदर फोटोग्राफर खेल की तस्वीर लेता है। यह लोग किसी चैनल के लिए काम करते हैं और इनको सिर्फ खेल के लिए फोटोग्राफी करने के लिए रखा जाता है। हालांकि यह इसके अंदर काफी अनुभवी होते हैं।
- युद्ध फोटोपत्रकारिता के अंदर पत्रकार युद्ध के मैदानों मे , आतंकवादी गतिविधियों मे जाते हैं और लड़ाई के मैदानों मे फोटो खींचते हैं। वैसे देखा जाए तो यह काफी जोखिम भरी पत्रकारिता होती है।इसके अंदर पत्रकार कई बार घायल भी हो जाते हैं।
- तात्कालिक फोटो पत्रकारिता वह जिसके अंदर खास समय पर घटने वाली घटनाओं की फोटो ली जाती है। जैसे कहीं पर कोई दूर्घटना हो गई है या फिर कहीं पर कोई कार्यक्रम हो रहा है और किसी और तरह का उत्सव होना । इस प्रकार की फोटोग्राफी को तात्कालिक फोटो पत्रकारिता कहलाती है।
- यात्रा फोटोपत्रकारिता भी एक प्रकार की पत्रकारिता है जो शौकिया लोगों के द्धारा की जाती है।अक्सर आपने कई लोगों को अलग अलग जगह पर घूमने जाते हुए देखा होगा । और वे विभिन्न स्थलों की फोटो लेते हैं यही यात्रा फोटो पत्रकारिता होती है।
- वन्य जीव फोटो पत्रकारिता के अंदर एक पत्रकार अलग अलग वन्य जीव स्थलों पर जाता है और अनेक प्रकार की फोटो लेता है। आपको बतादें कि फोटो पत्रकार दो प्रकार के हो सकते हैं। पहला पत्रकार वे जो किसी न्यूज के लिए काम करते हैं। और दूसरे वे जो स्वतंत्र पत्रकार होते हैं जो अपने चैनल या ब्लॉग के लिए काम करते हैं।
विधि पत्रकारिता Law journalism
लीगल जर्नलिस्ट वे व्यक्ति होते हैं जो पत्रकारिता उन विषयों के बारे में करते हैं जो पूरी तरह से कानून से संबंधित हैं।तो आप समझ सकते हैं कि विधि पत्रकारिता कानूनी विषयों के बारे मे आपको जानकारी प्रदान करती है। हालांकि इस क्षेत्र के अंदर ब्लॉग अधिक होते हैं। यह पत्रकार कानूनी चीजों के बारे मे समय समय अपने पाठकों को बताते रहते हैं।एक विधि पत्रकार के बहुत सारे कार्य होते हैं। यह कानूनी से जुड़ी तत्कालिक घटनाओं को आपको बताता है ।जैसे सरकार अब कौन से कानून पर काम कर रही है और किस कानून को सरकार अब लागू करेंगी । और उससे क्या होगा ? इसके अलावा अपराधों के कानूनों पर जैसे सजा वैगरह पर भी यह जानकारी प्रदान करती है।
आजकल लॉ ग्रेजुएट कानूनी पत्रकारों के रूप में अपना करियर बनाने के लिए उत्सुक हैं।आपको बतादें कि कानूनी पत्रकारिता वही कर सकता है जोकि इस क्षेत्र के अंदर पढ़ा हो उसे कानून की अच्छी जानकारी होना बहुत ही आवश्यक होता है।
वैसे देखा जाए तो कानूनी पत्रकारिता करने के लिए आपको कुछ खास योग्यता की आवश्यकता नहीं होगी लेकिन यदि आप लॉ के जानकार हैं तो फिर आपके लिए इसको करना काफी आसान हो जाएगा । इसके अलावा आपके पास हिंदी और अंग्रेजी भाषा की अच्छी पकड़ होनी चाहिए । और यदि आप कानून का अनुभव रखते हैं तो यह आपके लिए सबसे अधिक बेस्ट है।
अंतरिक्ष पत्रकारिता
अंतरिक्ष पत्रकारिता के अंदर अंतरिक्ष से जुड़ी सूचनाएं आती हैं। आजआप देख सकते हैं कि पूरी दुनिया अंतरिक्ष मे प्रगति कर रही है। जैसे उपग्रह भेजना नई चीजों की खोज करना । किसी ग्रह पर जीवन की खोज । और पानी की खोज। एलियन जैसे दिलचस्प विषय अंतरिक्ष पत्रकारिता के अंदर आते हैं। आज हर कोई यह जानना चाहता है कि इतने बड़े ब्रह्रमांड के अंदर केवल हम अकेले ही इंसान हैं या फिर ऐसा कोई और ग्रह भी है जहां पर इंसान रहते हैं ? हालांकि इस प्रकार के गूढ सवालों के जबाव अंतरिक्ष पत्रकारिता के अंदर ही विचार किये जाते हैं। आपने देखा होगा कि अंतरिक्ष के अंदर रोजाना नई नई खोजे होती रहती हैं
और आम लोग इसके अंदर काफी दिलचस्पी भी लेते हैं। यही कारण है कि अब अंतरिक्ष विज्ञान जैसे विषय भी पढ़ाये जाने लगे हैं। भारत भी अंतरिक्ष के क्षेत्र मे आगे निकल चुका है। वर्तमान मे कुछ पत्र पत्रिकाएं तो ऐसी ही छापी जा रही हैं जो पूरी तरह से अंतरिक्ष से संबंधित होती हैं। अंतरिक्ष पत्रकारिता करने वाले अधिकतर पत्रकार अंतरिक्ष विज्ञान से ही होते हैं । क्योंकि यह इन चीजों को काफी बेहतर ढंग से समझ सकते हैं।
सर्वादय पत्रकारिता Literary journalism
साहित्यिक पत्रकारिता जो कथात्मक तकनीकों और शैलीगत रणनीतियों के साथ तथ्यात्मक रिपोर्टिंग को पारंपरिक रूप से कथा साहित्य से जोड़ती है। साहित्यिक पत्रकारिता के अंदर साहित्यि से जुड़ी चीजें आती हैं । जैसे कि कहानी का लेखन और भाषा से संबंधित कई चीजें आती हैं। कहानी ,लेख और व्यंग्य और पत्र वैगरह इसके अंदर आते हैं। हालांकि Literary journalism करने के लिए आपको साहित्य के बारे मे अच्छी जानकारी होनी चाहिए ।
क्योंकि बिना भाषा के पकड़ के आप उसके अंदर लिख नहीं सकते हैं। वर्तमान मे कथा और कहानियों से संबंधित कई तरह की पत्रिकाएं चल रही हैं। और कई पत्रकार उनके अंदर काम करते हैं। बाल हंस और हंस जैसी पत्रिकाएं छपती हैं। इसके अलावा सरिता जैसी मशहूर पत्रिका भी छपती है।
वॉचडॉग पत्रकारिता Watchdog journalism
वॉचडॉग पत्रकारिता खोजी पत्रकारिता का एक रूप है जहां पत्रकार, लेखक या समाचार प्रकाशन के प्रकाशक तथ्य-जांच करते हैं और जवाबदेही बढ़ाने के लिए राजनीतिक और सार्वजनिक आंकड़ों का साक्षात्कार करते हैं।
वॉचडॉग पत्रकारिता की सबसे बड़ी खास बात यह होती है कि यह सत्ता के अंदर बैठे लोगों की जानकारी एकत्रित करते हैं और यदि कुछ भी गलत हो रहा है तो उसकी न्यूज को जनता तक पहुंचाते हैं।
इसके अलावा यह देखा जाता है कि सत्ता के लोग किस प्रकार से कानून का दुरूपयोग करते हैं वॉचडॉग पत्रकारिता प्रचारवादी पत्रकारों से अलग है, जो अक्सर सरकार के दृष्टिकोण से लेखों की रिपोर्ट करते हैं।इसके अलावा वॉचडॉग पत्रकार राजनीतिक भ्रष्टाचार और सत्ता में लोगों के किसी भी गलत काम जैसे सरकारी अधिकारी या निगम अधिकारी के बारे मे जानकारी देते हैं।
एक तरह से देखा जाए तो यह पत्रकारिता सरकार के कार्यों से संबंधित होती है।यह सरकार के कार्यों की निगरानी करती है और उनकी समीक्षा करती है। और यदि सरकारी अधिकारी भ्रष्टाचार करते हैं तो उनकी जानकारी भी लोगों को दी जाती है ताकि इसको रोका जा सके ।
पीत पत्रकारिता
पीत पत्रकारिता का मतलब ऐसी पत्रकारिता होती है जिसके अंदर सनसनी फैलाने वाली न्यूज की खोज की जाती है। ऐसी न्यूज जो सुनने मे आपका ध्यान काफी आकर्षित कर सकती है। यह बिक्री बढ़ाने का काफी अच्छा तरीका है। आपने देखा होगा कि कई ब्लॉग इंटरनेट पर ऐसे चलते हैं जोकि रोचक जानकारी शैयर करते हैं तो इस प्रकार की पत्रकारिता पीत पत्रकारिता होती है।
अक्सर आपने कई न्यूज सुनी होगी जैसे किसी व्यक्ति ने अपने बालों से ट्रेन को खींच लिया तो किसी ने पूरी रात श्मसान मे बीताआई भूतों को देखने के लिए । इस प्रकार की न्यूज सुनने मे और पढ़ने मे मसालेदार लगती हैं और हर कोई इनको जल्दी से पढ़ना चाहता है ।
एक एक पीत पत्रकार इस प्रकार की चटपटी न्यूज को एकत्रित करता है और उसके बाद उनको वेब या अपने किसी ब्लॉग या न्यूज के अंदर पोस्ट करता है।
पेज थ्री पत्रकारिता
थ्री फेज पत्रकारिता वह पत्रकारिता होती है जिसके अंदर एक पत्रकार नेता ,अभिनेता और अभिनेत्री आदि लोगों से मिलता है और उसके बाद उनका इंटरव्यू लेता है और उनके जीवन के बारे मे लोगों को बताता है। हालांकि इस प्रकार की पत्रकारिता के लिए आपके अंदर कोई विशेष योग्यता की आवश्यकता तो नहीं है फिर भी आपको भाषा की अच्छी समझ होना आवश्यक होता है क्योंकि बिना भाषा की समझ के आप संवाद नहीं कर पाएंगे । अक्सर आपने इस प्रकार के कई पत्रकारों को देखा होगा कि वे बड़ी बड़ी हस्तियों का इंरटरव्यू लेते हैं और लोंगों को इनके जीवन के बारे मे बताते हैं। हालांकि यह पत्रकारिता करना आसान नहीं होता है क्योंकि बड़े लोगों के पास समय का अभाव होता है तो आपको चक्कर लगाने हो सकते हैं।
कृषी पत्रकारिता Agricultural journalism
कृषी पत्रकारिता के अंदर खेती से जुड़ी जानकारी प्रदान की जाती है। वर्तमान मे अनेक प्रकार की कृषी पत्रिकाएं चलती हैं। हालांकि इन पत्रिकाओं की पहुंच किसानों तक नहीं हो पाती है क्योंकि अधिकतर किसान अनपढ़ हैं और उनको इन सब कि जानकारी नहीं है। यही वजह है कि कृषी पत्रिकाओं के कस्टमर बहुत कम होते हैं। हालांकि समय के विकास के साथ ही अब इंटरनेट का युग है और इस युग के अंदर अनेक ब्लॉग ऐसे चल रहे हैं जो केवल आपको कृषि से जुड़ी जानकारी प्रदान करते हैं। इसके अंदर गांव कनेक्सन और खेती बाड़ी जैसे ब्लॉग हैं ही ।
वैसे तो कृषि पत्रकारिता के लिए आपको किसी भी तरह की डिग्री की आवश्यकता नहीं होती है लेकिन उसके बाद भी यदि आपने कृषि के अंदर डिप्लोमा या स्नातक किया है तो आपको इसके अंदर प्राथमिकता प्रदान की जाती है।
एक कृषि पत्रकार के कई सारे कार्य होते हैं। यह गांव गांव के अंदर जाते हैं और किसानों की समस्याओं को अधिकारियों तक पहुंचाते हैं। इसके अलावा यदि कोई किसान किसी फसल की वैज्ञानिक खेती कर रहा है तो वह इसको किस प्रकार से कर रहा है ? इसकी जानकारी भी यह पत्रकार किसानों को प्रदान करते हैं।
ताकि दूसरे किसान भी इससे काफी फायदा उठा सकें। इसके अलावा पत्रकार कृषि अधिकारियों से परामर्श करते हैं और अनेक प्रकार के लेख लिखे जाते हैं जिससे कृषकों को आधुनिक तकनीकी की जानकारी मिलती है और इससे किसान अच्छा लाभ कमा पाते हैं।
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