क्या आपको पता है pencil ka avishkar kisne kiya tha पेंसिल का आविष्कार किसने किया था और पेंसिल का आविष्कार कब हुआ था? यदि नहीं पता तो हम आपको पेन का आविष्कार के दिलचस्प इतिहास के बारे मे बताने वाले हैं।
दोस्तों पेन और पेंसिल के बारे मे आप भी अच्छी तरह से जानते ही होंगे ।पेन शब्द का प्रयोग हम अक्सर स्याही वाले पेन के लिए करते हैं। जबकी पेंसिल शब्द का प्रयोग हम लोग कच्ची पेंसिल और स्याही वाली पेंसिल दोनों के लिए ही करते हैं। आपको बतादें कि कच्ची पेंसिल का आविष्कार पेन से पहले हुआ था।
कच्ची पेंसिल का प्रयोग हम अक्सर रफ कामों के अंदर करते हैं। जैसे आपको गणित के अंदर या किसी अन्य विषयों मे चित्र बनाने की आवश्यकता होतो कच्ची पेंसिल का प्रयोग हम करते हैं। इसका फायदा यह है कि यदि चित्र वैगरह गलत हो जाते हैं तो हम आसानी से उनको मिटा सकते हैं।यदि पेन का यूज करेंगे तो हम उसे मिटा नहीं पाएंगे
। पेंसिलों के आगे भाग के अंदर आप जो लिखने के लिए इस्तेमाल करते हैं। वह ग्रेफाइट ही होता है। यह ग्रेफाइट पाउडर होता है। और यह तापमान परिवर्तन और नमी बढ़ने आदि मौसमी स्थितियों की वजह से अधिक प्रभावित नहीं होता है।
आमतौर पर एक पेंसिल के कोर को लेड के नाम से जाना जाता है। और यह प्रक्रति मे पाये जाने वाले तत्व ग्रेफाइट से बना हुआ होता है।1500 के दशक की शुरुआत में इंग्लैंड के लेक डिस्ट्रिक्ट में इसे खोजा गया था।हालांकि लिखने के लिए पदार्थों का प्रयोग बहुत पहले से ही किया जाता रहा है।
प्रागैतिहासिक गुफा के चित्र लगभग 40000 साल पहले चारकोल और चोक का प्रयोग करके बनाए गए थे ।इन पदार्थों को जमीन मे मिलाया गया था और पशु की लार या वसा के साथ मिलकार एक पेस्ट बनाया जाता था।और गुफाओं की दिवारों पर इसे अंकित किया गया था।प्रागैतिहासिक स्थलों टेक्सास से दक्षिण अफ्रीका तक खनन के बारे मे जांच की तो पता चला कि इनलोंगों को एक वर्णक की आवश्यकता थी। मतलब कलर की आवश्यकता ।इस पेंसिल के उपर एक कोर होता है। जो ठोस होता है और इसको छिल कर पेंसिल के ग्रेफाइट को निकाल कर इसका यूज किया जाता है।
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pencil ka avishkar kisne kiya tha ,कभी ऊंट की बाल पेंसिल भी बनाई जाती थी
पुरानी फ्रेंच पेंसिल को उंट के बाल से बनाया जाता था।जिसको पूरी तरह से कलात्मक बनाया जाता था और उससे लिखा जाता था।इस पेंसिल के अंदर पतली धातु की छड़ी इस्तेमाल की जाती थी। जिसकी मदद से मोम के अंदर खरोंच करके लिखा जाता था। रोमन पांडूलिपि के अंदर इसी प्रकार से लिखा गया है।
लेड पेंसिल की उत्पति के बारे मे रोमन लोगों से जानकारी मिलती है।जिन्होंने सीसे से बने स्टाइलस का इस्तेमाल किया था।पेंसिल का एक सिरा मोम की परत को खरोचता था जबकि उस पेंसिल के दूसरे सिरे पर एक चिकना स्टाइलस पदार्थ लगाया गया था जो मिटाने के काम आता था।
जबकि पेपर का आविष्कार चीन के अंदर हुआ था और यह 8 वीं शताब्दी तक चीन नहीं पहुंचा था।जबकि ब्रश ऐशिया के अंदर बहुत ही लोकप्रिय था। यूरोप मे इतना नहीं था।
आधुनिक पेंसिल का आविष्कार पहले कहाँ हुआ था
आपको बतादें कि आधुनिक पेंसिल का आविष्कार सबसे पहले यूरोप मतलब फ्रांस के अंदर हुआ था।यह ग्रेफाइट और मिटटी के मिक्चर से बने होते हैं और इनका प्रयोग ड्राइंग और लिखने दोनों मे ही किया जाता है।
पेंसिल का आविष्कार किसने किया ग्रेफाइट की खोज पर एक नजर
पेन का आविष्कार किसने किया के बारे मे जानने से पहले हम ग्रेफाइट की खेाज के बारे मे जान लेते हैं। ताकि इसको समझने मे हमे काफी आसानी हो जाए। लगभग 1565 ई के आस पास ग्रेफाइट को बॉरोर्डेल पैरिश, क्यूम्ब्रिया में सीथवेट जैसे स्थानों पर खोजा जा चुका था।इंग्लेंड मे पाया जाने वाला ग्रेफाइट काफी शुद्व था और इसका प्रयो पेंसिलों मे देखा जा सकता है।
बाद मे पेंसिल के लिए ग्रेफाइट की उपयोगिता का पता चला तो पेंसिल की ख्याती दूर दूर तक फैल गई और ग्रेफाइट की तस्करी की जाने लगी। हालांकि बाद मे इसकी सुरक्षा के लिए खानों मे सिक्योरिटी लगाई गई थी। इंग्लैंड को 1662 में इटली में ग्रेफाइट पाउडर के पुनर्गठन नियम के बाद पेंसिल के उत्पादन पर एकाधिकार प्राप्त हो गया था।1860 ई तक ग्रेफाइट के पेंसिलों का उत्पादन होता रहा ।केसविक शहर जो पेंसिल का उत्पादन करता है ,कंबरलैंड पेंसिल संग्रहालय की लोकेशन मे है।
पेंसिल का आविष्कार किसने किया इसमे लकड़ी के कवर को जोड़कर ?
पहले आमतौर पर ग्रेफाइट को ही लिखने के लिए प्रयोग मे लाया जाता था। और आज हम जो कच्ची पेंसिल के उपर लकड़ी का हेंडल देख रहे हैं वह 1560 के आसपास सिमोनियो और लिंडियाना बर्नाकोटी नामक दो दंपति की ही देन है।
इन लोगों ने दो लकड़ी को काटा और उसके अंदर एक ग्रेफाइट का स्टिक डाला गया और फिर इनको चिपका दिया गया । यही कच्ची पेंसिल का हम लोग यूज कर रहे हैं। दोस्तों आजकल तो लकड़ी के अंदर सीधे ही छेद हो जाता है और मशीन की मदद से ग्रेफाइट स्टिक को डाल दिया जाता है। इसी पेंसिल का प्रयोग हम आज तक करते आ रहे हैं।
पेंन का आविष्कार और ग्रेफाइट का पाउडर
पेंसिल का आविष्कार किसने किया और कब किया इसके बारे मे आप जान ही चुके हैं तो अब आपको ग्रेफाइट के पाउडर के बारे मे बता देते हैं। पाउडर ग्रेफाइट से ग्रेफाइट की छड़ें बनाने का पहला प्रयास 1662 में जर्मनी के नूर्नबर्ग में हुआ था। इसमें ग्रेफाइट, सल्फर और एंटीमनी के मिश्रण का इस्तेमाल किया गया था।नेपोलियन युद्धों के दौरान फ्रांसिसी लोगों के लिए जर्मन और अंग्रेजी पेंसिल उपलब्ध नहीं थे ।फ्रांस ग्रेफाइट की छड़ों का आयात करने मे असक्षम था।1795 में, निकोलस-जैक्स कोंटे ने मिट्टी के साथ पाउडर ग्रेफाइट को मिलाने और छड़ में मिश्रण बनाने की एक विधि की खोज की थी।
1790 में कोह-आई-नूर के संस्थापक ऑस्ट्रियन जोसेफ हार्डटम द्वारा खोजा गया था।वियना में कोह-आई-नूर नामक एक कम्पनी के द्वारा इसे पटेंट करवाया गया था।हेनरी बेसेमर का पहला सफल आविष्कार था जिसे (1838) ग्रेफाइट पाउडर को कठोर बनाने के विधि का प्रयोग किया ।
पेंसिल का आविष्कार और संयुक्त राज्य अमेरिका
कॉनकोर्ड, मैसाचुसेट्स में एक कैबिनेटमेकर विलियम मुनरो ने 1812 में पहली अमेरिकी लकड़ी की पेंसिल बनाई थी। दार्शनिक हेनरी डेविड थोरो ने यह पता लगाया था कि किस तरह से ग्रेफाइट का प्रयोग करके लिखने वाली पेंसिल को बनाया जा सकता है?
इस आविष्कार को उनके पति को पेंसिल बनाने के कारखाने के द्वारा प्रेरित किया गया था।अमेरिका के एक व्यापारी एबेनेज़र वुड ने पेंसिल बनाने की विधियों का निर्माण किया और उसने अपने इन तकनीकों को सांझा नहीं किया था और इनका पेटेंट भी नहीं करवाया था। एक न्यूयॉर्क का एबर्ड फेबर भी पेंसिल बनाने का अग्रणी उत्पादक बन गया था।
जोसेफ डिक्सन नामक एक अन्य आविष्कारक ग्रेफाइट की खान से जुड़ा हुआ था।उन्होंने बड़े पैमाने पर पेंसिल बनाने के साधन विकसित किया था।1870 तक, द जोसेफ डिक्सन क्रूसिबल कंपनी ग्रेफाइट की सबसे बड़ी उपभोक्ता बन गई थी।
- 19 वीं सदी के अंत तक, यूएस में प्रत्येक दिन 240,000 से अधिक पेंसिल का उपयोग होने लगा था।
- पेंसिल के लिए सबसे पसंदिदा लकड़ी लाल देवदार था जो सुगंधित भी होती थी।
- द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटेन में रोटरी पेंसिल शार्पनर को गैरकानूनी घोषित कर दिया गया । क्योंकि इसके लिए दुर्लभ लकड़ी और सीसे का प्रयोग हो रहा था।
- धूप देवदार का उपयोग अब लाल देवदार के जगह पर किया जाता है।आज अधिकांश पेंसिल इसी से बनाई जाती हैं।
- दुनिया भर में सालाना 14 बिलियन से अधिक पेंसिल का निर्माण किया जाता है।
- दक्षिण पूर्व एशिया में पेंसिल बनाने के लिए जेलुटोंग नामक लकड़ी का प्रयोग किया जाता है।
पेंसिल का आविष्कार किसने किया था- पेंसिल के पीछे रबर का उपयोग
आज हम पेंसिल के पीछे रबर का प्रयोग करते हैं। वह सबसे पहले 30 मार्च 1858 को, हाइमन लिपमैन ने लगाया था।बाद मे इन्होंने अपना पेटेंट जोसेफ रेकेंडॉफ़र को 1,00 000 डॉलर में बेच दिया था।
प्लास्टिक की पेंसिल का आविष्कार
प्लास्टिक की पेंसिल का आविष्कार 1967 में एम्पायर पेंसिल कंपनी के लिए हेरोल्ड ग्रॉसमैन ने किया था।उसके बाद 1970 के दशक मे आर्थर डी ने इसके अंदर सुधार किया था।आज हम जिस पेंसिल का प्रयोग करते हैं। जो प्लास्टिक की बनी होती है और इससे सिक्के को बाहर निकाला जा सकता है। यह पहले लकड़ी की बनी होती थी।
पेंसिल का आविष्कार किसने किया था- पेंसिल और उसका रंग
दोस्तों अलग अलग देशों के अंदर अलग अलग रंगों की पेंसिल का प्रयोग किया जाता है। अमेरिका के अंदर बनी पेंसिल मे से अधिकांश पीले रंग की होती हैं।यह परम्परा 1890 ई के अंदर शुरू हुई थी।हार्डथम कंपनी ने अपना कोह-आई-नूर ब्रांड पेश किया था।यह काफी अच्छा और महंगा पेंसिल था।
इस पेंसिल के बारे मे यह कहा गया था कि यह अच्छे गुणवकता के ग्रेफाइट से बनी हुई है। बाद मे दूसर कम्पनियों ने भी इसकी नकल करनी शूरू करदी थी ताकि उनकी पेंसिल भी अच्छी गुणवकता की लग सके ।
जर्मन और ब्राज़ीलिया देश हरे ,काले या नीले रंग की पेंसिल का प्रयोग करते हैं।दक्षिणी यूरोपीय देशों में, पेंसिल पीले रंग की रेखाओं के साथ प्रयोग की जाती है।ऑस्ट्रेलिया में, वे एक छोर पर काले बैंड के साथ लाल पेंसिल होती हैं।
कुछ पेंसिल निर्माताओं की सूचि और ब्रांड
- कारन डी स्विट्जरलैंड की पेंसिल कम्पनी है।
- चीन पेंसिल कंपनी के पेंसिल ब्रांड “चुंग ह्वा” और “ग्रेट वॉल” हैं।
- क्रेटाकोलर बेलिस्टिफ्टफैब्रिक ऑस्ट्रिया की पेंसिल बनाने की कम्पनी है।
- Derwent कंबरलैंड पेंसिल कंपनी यूके की है। जिसके ब्रांड का नाम Derwent है।
- Dixon Ticonderoga कंपनी अमेरिका की है। जिसके ब्रांड का नाम डिक्सन, ओरियोल, टिस्कोन्डरोगा है।
- फेबर-कास्टेल एजी जर्मनी की पेंसिल कम्पनी है। जिसके ब्रांड का नाम जर्मनी, इंडोनेशिया, कोस्टा रिका है।
- FILA समूह इटली की पेंसिल कम्पनी है ,लियरा, डिक्सन, टिस्कोन्डरोगा ब्रांड इसी कम्पनी के हैं।
- जनरल पेंसिल कंपनी अमेरिका की है और इसके ब्रांड का नाम जनरल, किम्बर्ली ब्रांड है।
- हिंदुस्तान पेंसिल भारत की कम्पनी है और इसके ब्रांड का नाम अप्सरा, नटराज हैं।
- मित्सुबिशी पेंसिल कंपनी जापान की है और इसके ब्रांड मित्सु-बिशी, यूनी हैं।
पेंसिल के बारे मे कुछ मजेदार तथ्य
अब तक हमने यह जाना कि पेंसिल का आविष्कार किसने किया था ? और पेंसिल का इतिहास क्या था ? इस बारे मे जाना । अब हम आपको बताते हैं। पेंसिल से जुड़े कुछ मजेदार तथ्य के बारे मे ।
- एक पेड़ से औसतन 2500 पैंसिल बनाई जा सकती हैं।
- पेंसिल शब्द एक पुराने फ्रांसिसी शब्द पिनसेल से निकलता है। जिसका मतलब छोटा होता है।
- दूसरे विश्व युद्व के दौरान पायलेटों को बॉलपॉइंट पेन बहुत अधिक पसंद आते थे । क्योंकि यह उंचाई पर जाने के बाद भी रिसाव नहीं करते थे ।
- बिरो कंपनी दुनिया भर में एक दिन में 14 मिलियन पीस “बीआईसी क्रिस्टल” बॉलपॉइंट पेन बेच देती है।
- अमेरिका एक साल के अंदर 2 बिलियन पेन का उत्पादन करता है।
- जॉन स्टीनबेक नामक उपन्यास कारने एक उपन्यास लिखने के लिए एक दिन के अंदर 60 पेसिल का इस्तेमाल कर लिया था।
- अमेरिका नोसेना मानचित्रों के उपर लाल पेन का उपयोग नहीं करती हैं। क्योंकि जहाज रात के अंदर लाल रोशनी का प्रयोग करते हैं। जिसकी वजह से देखने मे समस्या होती है।
- दुनिया में सबसे लंबी पेंसिल की लंबाई 323.51 मीटर है। इसे यूनाइटेड किंगडम के एडवर्ड डगलस मिलर ने बनाया था ।यह एक रिकोर्ड है।
- अधिक महंगे लिखने वाले ब्रश बाघ, मुर्गी, हिरण और मनुष्य के बालों से बनाए जाते हैं और इनके अंदर हीरे ,जवाहरात जड़े होते हैं।
- सबसे पुराना कार्यरत पेन फाउंटेन पेन 1702 का है। जिसको डिजाइन किया था एम बायोन ने ।
- उरुग्वे के एमिलियो एरेनास नामक एक व्यक्ति के पास दुनिया का सबसे बड़ा काली पेंसिल का संग्रह है।उनके पास लगभग 16,260 पेंसिल हैं।
- एक 17 वीं शताब्दी की सबसे पुरानी पेंसिल मिली है। जो एक जर्मन घर के विनिर्माण के दौरान मिली थी।
- भारत मे सबसे बड़े बॉलपॉइंट पेन को आचार्य मकुनुरी श्रीनिवास ने किया था। जिसकी लंबाई और वजन लंबाई 5.5 मीटर है और इसका वजन 37.23 किलोग्राम था।
- पेंसिल बनाने के लिए लेड का प्रयोग नहीं किया जाता है। इसमे सिर्फ ग्रेफाइट और मिटटी का यूज होता है।
- ग्रीस मे 8,514 विभिन्न पेंसिल शार्पनर्स का संग्रह है जो दुनिया का सबसे बड़ा संचों का संग्रह है।
- 2004 में, चीन में कारखानों ने 10 बिलियन से अधिक पेंसिल बनाई गई थी। यह आंकड़ा इतना अधिक था कि यह धारती को 40 बार से अधिक बार तक घेर सकती थी।
- अमेरिका के राष्ट्रपति हर बार बिलों पर हस्ताक्षर करने के लिए अलग अलग पेन का प्रयोग करते हैं। और एक बार एक पेन प्रयोग हो जाने के बाद दुबारा उसका प्रयोग कभी नहीं किया जाता है।
- सबसे महंगी फाउंटेन पेन “फुलगोर नोक्टर्नस” है। जिसको इटली के टिबाल्डी द्वारा बनाया गया है इसके अंदर 945 काले हीरे और 123 माणिकों को लगाया है। इसकी कीमत की बात करें तो यह 8 मिलियन डॉलर का है।
- सबसे महंगी पेंसिल ग्रेफ वॉन फैबर-कास्टेल है। जिसको जिसको 240 साल पुरानी जैतून की लकड़ी और 18 कैरेट सफेद सोने से बना गया है।
दुनिया की सबसे बड़ी पेंसिल world largest pencil
अब तक हमने पेंसिल के आविष्कार और पेंसिल के रोचक तथ्य के बारे मे जाना था। लेकिन आइए अब हम जानते हैं। दुनिया की सबसे बड़ी पेंसिल के बारे ।
दुनिया की सबसे लंबी पेंसिल की लंबाई 1091.99 मीटर है।10 अक्टूबर 2017 को समीर, फ्रांस में बीआईसी (फ्रांस) द्वारा हासिल किया गया था।इसको पॉलीस्टीरिन और ग्रेफाइट से बनाया गया है। जिसकी वजह से यह मुड़ती भी है। BIC ने फ्रांस के अंदर अपने नय कारखाने के उदघाटन के समय यह रिकोर्ड बनाया था।
पेंसिल का सबसे बड़ा संग्रह
दिल्ली के तुषार लखनपाल के पास दुनिया का सबसे बड़ा पेंसिल संग्रह है। नई जानकारी के अनुसार उन्होंने ऐलिमियो ऐरोनस के रिकॉर्ड को तोड़ दिया है। और अब इनका नाम भी गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड के अंदर दर्ज हो चुका है।इनके पास अब 19,824 से अधिक पेंसिल हो चुकी हैं जो 40 से अधिक देशों से एकत्रित किये गए हैं।तुषार लखनपाल, डीपीएस वसंत कुंज के बारहवीं कक्षा के छात्र हैं।तुषार ने कहा की वह जब 3 साल का था तब से यह पेंसिल संग्रह का काम कर रहा है। वे इसको पदर्शित करने की इच्छा रखते हैं।
पहले यह एक आदत थी और बाद मे इसका शौक लगगया परिवार और दोस्तों ने भी इसके लिए प्रोत्साहित किया ।उनके संग्रह में विभिन्न आकारों की पेंसिल हैं, सबसे छोटी 3 सेमी, साथ ही एक पेंसिल जो 8 फीट 3 इंच लंबी है।क्लच पेंसिल, रंग पेंसिल, सुगंधित पेंसिल जैसी कई प्रकार की पेंसिल इनके पास हैं।
इनके पास 22-कराटे सोने से बनी हुई पेंसिल है और इन्होंने दावा किया था कि इस पेंसिल का इस्तेमाल इंग्लेंड की रानी के द्वारा किया गया था।एमिलियो एरेनास के पास 72 देशों की 16,260 काली पेंसिल शामिल हैं। एमिलियो ने 1956 में अपना संग्रह शुरू किया था।
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