postmortem kaise kiya jata hai इसके बारे मे हम आपको बताने वाले हैं।postmortem का नाम आपने सुना ही होगा । जब किसी की मौत संदेह के घेरे मे होती है , तो फिर उसकी बॉडी का postmortem करवाया जाता है। उसकी मदद से डॉक्टर यह जानने का प्रयास करते हैं , कि उस इंसान के साथ क्या हुआ था ? या फिर कैसे हुआ था ।खास कर जब कोई जहर खाकर मरता है , या फिर फांसी लगा लेता है या फिर ऐक्सीडेंट हो जाता है , तो उसके बाद postmortem करवाया जाता है। भारत के अंदर postmortem केवल तभी होता है , जब कोई अनहोनी की वजह से मरता है। यदि कोई अपनी स्वाभाविक मौत मर जाता है , तो उसका postmortem नहीं किया जाता है। और उसको ऐसे ही जला दिया जाता है। इसके अलावा यदि किसी की हत्या करदी जाती है , तो उसकी बॉडी का postmortem भी किया जाता है , ताकि हत्या के बारे मे और अधिक जाना जा सके ।
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postmortem kaise kiya jata hai
postmortem की प्रोसेस सेम आपरेशन की तरह ही होती है। और इसके अंदर आपरेशन से कुछ अलग नहीं होता है। यदि किसी बॉडी का postmortem करना है , तो सबसे पहले उसको postmortem करने के लिए बनाए गए थिएटर के अंदर ढक कर लाया जाता है। उसके बाद वहां पर एक मैन् डॉक्टर होता है , और कुछ सहायक डॉक्टर भी होते हैं। मैंन डॉक्टर निर्देश देने का काम करता है। और जो सहायक डॉक्टर होते हैं। वे postmortem करते हैं।
सबसे पहले बॉडी के उपर से कपड़े को हटाया जाता है। और उसके बाद डॉक्टर अपने गल्व वैगरह पहन लेते हैं। चश्मा वैगरह लगा लेते हैं। उसके बाद एक ब्लैड की मदद से बॉडी के शरीर को चीर दिया जाता है। यह नीचे से लेकर छाती तक हो सकता है। उसके बाद बॉडी के अंदर के अंग साफ साफ दिखाई देने लग जाते है। डॉक्टर अंदर के अंगों को निकाल लेते हैं। और यदि उनको कुछ आवश्यक परीक्षण करना है , तो वे उनका परीक्षण करते हैं। और यदि जरूरत होती है , तो उनमे से कुछ अंगों को रख लेते हैं। जिसकी बाद मे जांच की जाती है। ताकि बॉडी के मौत के बारे मे और अधिक विश्लेषण किया जा सके ।
postmortem यदि एक बार हो जाता है , तो फिर बॉडी को टांके लगा दिये जाते हैं। और कपड़े से अच्छी तरह से ढक दिया जाता है। उसके बाद आवश्यक कागज बनाये जाते हैं। और जो बॉडी के परीजन बाहर खड़े होते हैं , उनको बॉडी दे दी जाती है। उसके बाद बॉडी के धर्म के हिसाब से उसको जला दिया जाता है , या फिर उनको दफना दिया जाता है।
डॉक्टर प्रतीक ने बताया पहला postmortem अनुभव कैसा था ?
दोस्तों postmortem करना कोई आसान काम नहीं होता है। हमको लगता है , कि यह आमतौर पर काफी आसान होता है। लेकिन ऐसा कुछ नहीं है । कई बार इसकी वजह से डॉक्टर खुद परेशान हो जाते हैं। हम यहां पर डॉक्टर प्रतीक के postmortem अनुभव को शेयर कर रहे हैं।
मैं जब पहली बार शव परीक्षण के लिए गया , तो हमको सबसे पहले पुलिस के द्धारा मुर्दाघर के अंदर लेकर जाया गया । यह बस सीखने के लिए था । और मेरे लिए एक तरह से नया अनुभव भी था ।मैंने देखा कि मुर्दाघर के अंदर सड़ते शव की दुर्गंध बहुत अधिक थी ।और मुझे उस गंध की वजह से काफी अधिक उबकाई आने लगी । जिसकी वजह से मैं काफी अधिक परेशान होने लगा । ऐसा लग रहा था , कि उल्टी होने वाली है। लेकिन काम तो करना ही था , तो पहला दिन किसी तरह काटा दूसरे दिन खाली पेट ही चला गया ।
उस दिन भी मुर्दाघर के अंदर काफी बेकार गंध थी । हमने इत्र वैगरह छिड़का लेकिन उसके बाद भी कुछ खास फायदा नहीं हुआ ।वहां पर कुछ लावारिस शव थे , जो पहले ही मर चुके थे । और उनकी पहचान अभी नहीं हुई थी । वे शव सड़ रहे थे ।और हम शाम 6 बजे काम पूरा किया । और उस रात हमने खाना भी नहीं खाया तो पोस्टमार्टम करना भी कोई इतना आसान काम नहीं होता है।
डॉक्टर अंकित ने पोस्टमार्टम का अनुभव बताया
दोस्तों डॉक्टर अंकित ने भी अपने पोस्टर्माटम का पहला अनुभव बताते हुए लिखा कि जब मैंने पहली बार यह सब किया तो मुझे पहले दिलचस्प लगा ऐसा कुछ भी नहीं था ।जब हम पहली बार मुर्दाघर के अंदर पहुंचे तो देखा कि वहां पर काफी तेज दुर्गंध आ रही है। पहली बार मे यह किसी इंसान को बीमार बनाने के लिए ही काफी होती है। हमारे सामने उस समय एक शव पड़ा हुआ था ,जोकि एक सफेद कपड़े से ढका हुआ था । दूसरा क्षत विक्षत हालत मे पड़ा हुआ था ।उस समय 3 शव आये थे । पहला अपहरण और हत्या का दूसरा रेल दुर्घटना मे मौत और तीसरा पानी मे डूबने से मौत ।तकनीशियन और एक रिकॉर्ड कीपर उसके अंदर मौजूद थे । उन लोगों ने एक हथोड़े जैसा उपकरण लिया और उसके बाद उस की मदद से शव की खोपड़ी को तोड़ डाला । उस समय उसकी खोपड़ी से एक अलग ही पदार्थ साफ साफ दिखाई देने लगा था ।उसके बाद उन लोगों ने शव को बीच मे से चीर दिया और अपना परीक्षण करने लगे । खून बहने लगा तो उसको रोक दिया गया । और देखने मे यह काफी घृणित दर्शय लग रहा था ।
तभी किसी के मोबाइल के अंदर हनुमान ज्ञान गुण सागर रिंग बजी तो पास के लोग हंसने लगे कि इनकी जाने मन का फोन है।कुल मिलाकर यह पूरा दिन ऐसे ही निकल गया । असल मे पोस्टमार्टम काफी भयानक होता है। और यदि आप वहां पर पहली बार जाते हैं , और आपसे दुर्गंध सहन नहीं होती है , तो आपको उल्टी होना तय होता है। पोस्टमार्टम करने के बाद आम शाम को ठीक ढंग से खाना कभी भी नहीं खा सकते हैं।
हालांकि यदि कोई लंबे समय तक काम करता है , तो उसके बाद उसको इन सब चीजों की आदत पड़ जाती है। इस तरह की कोई समस्या नहीं होती । लेकिन नया नया यदि कोई वहां पर जाता है , तो उसको कुछ महिनों के लिए काफी बड़ी समस्या का सामना करना पड़ता है।
6 से 10 घंटे के बीच पोस्टमार्टम जरूरी
दोस्तों डॉक्टर यह बताते हैं , कि किसी की मौत के 6 से 10 घंटे के बीच पोस्टमार्टम करना काफी अधिक जरूरी होता है। यदि पोस्टमार्टम के अंदर काफी देरी होती है। तो उसके बाद काफी बड़ी समस्या होती है। क्योंकि उसके बाद परिणाम प्रभावित होने लग जाते हैं। हालांकि कई बार क्या होता है , कि किसी के मौत के काफी दिनों बाद भी लाश नहीं मिल पाती है। तो जब लाश मिलती है , तो उसके बाद पोस्टमार्टम किया जाता है , जिससे कि चीजों के बारे मे ठीक से पता किया जा सके ।
क्योंकि जब लाश काफी देरी से मिलती है , तो पोस्टमार्टम करने मे भी काफी परेशानी होती है। मरने के बाद शरीर का विघटन शूरू हो जाता है , और उसके अंदर बदबू आने लग जाती है। यही कारण है कि बाद मे पोस्टमार्टम करने मे काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
पोस्टमार्टम के अंदर पहले शरीर की बाहरी जांच होती है
दोस्तों यदि डॉक्टर किसी लाश का पोस्टमार्टम करते हैं , तो सबसे पहले शरीर की बाहरी जांच होती है।बाहरी जांच के अंदर कई सारी चीजों को नोट किया जाता है। जैसे कि शरीर के उपर किस तरह के निशान मौजूद हैं ? और किसी तरह से वार किया गया है। जैसे कि किसी की हत्या की गई है , तो डॉक्टर यह पता लगाने की कोशिश करते हैं , कि हत्या के अंदर किस तरह का हथियार इस्तेमाल किया गया है ? इसके बारे मे विचार किया जाता है।
पहले अच्छी तरह से बाहरी जांच होती है। और उसके बाद ही अंदर की जांच की जाती है। आप इस बात को समझ सकते हैं। और यही आपके लिए सही होगा ।
पोस्टमार्टम सिर्फ दिन मे ही किया जा सकता है
यदि हम पोस्टमार्टम के समय की बात करें ,तो आपको बतादें कि यह सिर्फ दिन के अंदर ही किया जा सकता है। रात के अंदर पोस्टमार्टम नहीं किया जाता है। इसका एक कारण यह होता है , कि रात को अंधेरे मे शरीर के अंगों का सही तरह से परीक्षण नहीं किया जाता है। यदि किसी की मौत रात के अंदर हुई है , तो उसका पोस्टमार्टम सिर्फ दिन मे ही किया जाएगा ।
पोस्टमार्टम की रिपोर्ट मे कितना समय लगता है ?
वैसे यदि जल्दी किसी पोस्टमार्टम की रोपोर्ट चाहिए होती है। तो इसके लिए मात्र 24 घंटे का समय लगता है। लेकिन यदि उतनी अधिक जरूरी रिपोर्ट नहीं है , तो इसके अंदर कम से कम एक महिना लग जाता है। पोस्टमार्टम की रिपोर्ट आने के आधार पर यदि किसी की हत्या हुआ है , तो पुलिस उस अपराधी को पकड़े का प्रयास करती हैं।
पोस्टमार्टम कौन कर सकता है?
आपके मन मे यह भी एक बड़ा सवाल हो सकता है , कि पोस्टमार्टम कौन कर सकता है? तो आपको बतादें कि पोस्टमार्टम करने के लिए पैथोलॉजिस्ट होते हैं। आपको बतादें कि खुद पैथोलॉजिस्ट पोस्टमार्टम नहीं करते हैं वरन कुछ निम्न रैंक के कर्मचारी होते हैं। उनका काम चिरफाड़ करना होता है। और वे एक बार चिरफाड़ कर लेते हैं , तो उसके बाद पैथोलॉजिस्ट पार्ट का अध्ययन करने के लिए होते हैं। वे पता लगाते हैं , कि इंसान की मौत किस तरह से हो सकती है।
पोस्टमार्टम को हम किस तरह से देख सकते हैं ?
दोस्तों यदि आप पोस्टमार्टम को देखना चाहते हैं , तो आपको अधिक कुछ नहीं करना है। आपको पता ही है , कि अपने युटुब विडियो पर सब कुछ उपलब्ध है , आप उसको देख सकते है। हम खुद भी आपको यहां पर एक विडियो दे रहे हैं , उस विडियो के अंदर आप लाइव देख सकते हैं ,कि आप किस तरह से पोस्टमार्टम कर सकते हैं। और इसतरह की चीजें आप देखकर काफी अचंभित हो सकते हैं।
कई बार लाशों के अंदर पड़ जाते हैं कीड़े
आपको हमने उपर अनुभव बताएं हैं। लेकिन आपको यह भी बतादें कि जो लोग पोस्टमार्टम करते हैं उनकी जिदंगी आसान नहीं होती है। एक व्यक्ति ने अपना अनुभव बताते हुए लिखा कि पोस्टमार्टम करना भी कोई आसान काम नहीं होता है। एक बार हमारे यहां पर एक बार एक लाश आई । जिसका पोस्टमार्टम हम कर रहे थे ,तो उसकी लाश के अंदर कीड़े पड़े हुए थे । और वे उस लाश को खा रहे थे । मुझे यह काफी अधिक बेकार लगा लेकिन काम तो करना ही था । क्योंकि कई बार क्या होता है , कि काफी समय तक लाश मिलती नहीं है। तो बाद मे जब लाश मिलती है , तो वह आधी सड़ और गल चुकी होती है। ऐसी स्थिति के अंदर उसके अंदर कीड़े पड़ना सबसे आम होता है।
और यदि कोई पहली बार पोस्टमार्टम कर रहा है , तो यह उसके लिए काफी कठिन काम हो सकता है। परीक्षा की घड़ी हो सकती है।
पोस्टमार्टम करने के बाद कई दिनों तक नहीं खा पाते हैं खाना
पोस्टमार्टम करना काफी विभत्स कार्य होता है। और आखिर डॉक्टर भी इंसान होते हैं। उनके अंदर भी घृणा जैसी चीजें होती हैं। डॉक्टर जो नए नए होते हैं। और वे जब पोस्टमार्टम करते हैं , तो उनके लिए यह सब प्रक्रियाएं काफी आसान नहीं होती हैं। एक बार यदि वे सड़ी गली बॉडी के साथ काम करते हैं , तो कई दिनों तक खाना भी नहीं खा पाते हैं।
पोस्टमार्टम का इतिहास
चलते चलते इस लेख के अंदर हम आपको पोस्टमार्टम का इतिहास के बारे मे भी बता देते हैं , जिससे कि चीजों के बारे मे आपको अच्छी तरह से पता चल सके । तो आइए जानते हैं । इसके बारे मे पोस्टमार्टम को ऑटोप्सी भी कहा जाता है. 3500BC में सबसे पहले इराक के अंदर किया गया था । उसके बाद कहा जाता है कि इटली की यूनिवर्सिटियों के अंदर इसके बारे मे पढ़ाना शूरू किया गया था । भारत के अंदर पहले ही पोस्टमार्टम के बारे मे उल्लेख मिलता है।चाणक्य ने पोस्टमार्टम को जरूरी बताया था । उनका मनना था , कि मौत का कारण पता करने के लिए पोस्टमार्टम को करना चाहिए ।महर्षि सुश्रुत को सर्जरी के जनक के तौर पर जाना जाता है। उन्होंने भी पोस्टमार्टम के बारे मे उल्लेख किया है।
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