पावर स्टीयरिंग क्या होता है? – पावर स्टीयरिंग का नाम तो आपने सुना ही होगा । आजकल नई आने वाली गाड़ियों के अंदर पावर स्टीयरिंग का ही युज किया जाता है। इसको यूज करने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि गाड़ी को मोड़ना बहुत ही आसान हो जाता है। दोस्तों यदि आप कभी टरबे वैगरह के अंदर बैठे हों तो आपको पता होगा कि जब टरबै को मोड़ना होता है तो डराइबर के पसीने छूट जाते हैं। इसके लिए उसे बहुत अधिक बल लगाना पड़ता है। लेकिन यदि गाड़ी पावर स्टीयरिंग वाली है तो उसे हाथ के ईशारे से आसानी से मोड़ जा सकता है। तो अब आप कुछ समझे की पावर स्टीयरिंग क्या है ।दोस्तों इसका काम सिर्फ इतना होता है कि गाड़ी को हम इससे आसानी से मोड़ सकते हैं।
हाइड्रोलिक या इलेक्ट्रिक एक्ट्यूएटर्स उर्जा को नियंत्रित रखते हैं और जब डाइवर को गाड़ी को मोड़ना होता है तो उसे कम प्रयास लगाना पड़ता है। मतलब कि आधी उर्जा यह खुद लगाते हैं। कारों मे हाइड्रोलिक पावर स्टीयरिंग सिस्टम एक एक्ट्यूएटर के माध्यम से स्टीयरिंग प्रयास को बढ़ाते हैं, एक हाइड्रोलिक सिलेंडर जो एक सर्वो प्रणाली का हिस्सा है । इन प्रणालियों में स्टीयरिंग व्हील और लिंकेज के बीच एक सीधा यांत्रिक कनेक्शन होता है ।
पावर स्टेरिंग सिस्टम कई प्रकार का होता है। हाइड्रोलिक पावर स्टीयरिंग सिस्टम के अंदर एक्ट्यूएटर का प्रयोग किया जाता है। जबकि इलेक्ट्रीक पॉवर स्टीयरिंग सिस्टम के अंदर मोटर्स का यूज किया जाता है।इसके अलावा बड़े बड़े वहानों के अंदर एक तरह से मिक्स सिस्टम का प्रयोग किया जाता है। उन्हें पावर स्टीयरिंग को ऑपरेट करने के लिए हाइड्रोलिक और इलेक्टि्रक दोनों ही सिस्टम की आवश्यकता होती है।
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पावर स्टीयरिंग क्या है इसका इतिहास
- ऑटोमोबाइल पर पहला पावर स्टीयरिंग सिस्टम 1876 के अंदर एक व्यक्ति ने बनाया था। लेकिन उसके बारे मे बहुत ही कम लोग जानते हैं।
- उसके बाद सन 1903 ई के अंदर एक ट्रक के पहियों को मोड़ने के लिए आगे वाले हिस्से के अंदर एक मोटर लगाई गई थी। जोकि ट्रक के टायरों को मोड़ने के लिए ड्राइवर की सहायता करती थी।
- पेंसिल्वेनिया के पिट्सबर्ग के निवासी रॉबर्ट ई। टायफोर्ड ने अपने चार पहिया ड्राइव सिस्टम के लिए 3 अप्रैल, 1900 को अपना पेटेंट जारी किया था।
- पियर्स-एरो के ट्रक डिवीजन के एक इंजीनियर फ्रांसिस डब्ल्यू डेविस ने यह खोज करने का प्रयास किया कि पावर स्टीयरिंग को कैसे आसान बनाया जा सकता है। उसके बाद पहली बार सन 1926 ई के अंदर अपने आविष्कार को सर्वाजनिक रूप से पदर्शित किया गया । डेविस जनरल मोटर्स के अंदर जाने के बाद पावर स्टीयरिंग को और अधिक बेहतर ढंग से बनाया गया । लेकिन कम्पनी ने गणना की तो पता चला की यह बहुत अधिक महंगा था।
- उसके बाद डेविस ने बेंडिक्स नामक एक कम्पनी के साथ करार किया और यह कम्पनी वहानों का एक पूर्जा बनाने का काम करती थी। उसी वक्त द्वितिय विश्व युद्व के अंदर वहानों का ढंग से संचालने के लिए बिजली की आवश्यकता को और अधिक बढ़ा दिया ।
- क्रिसलर कॉर्पोरेशन ने 1951 क्रिसलर इम्पीरियल पर “हाइड्रैगाइड” नामक पहली बार पावर स्टीयरिंग लॉंच किया गया था। और उसका सर्वाजनिक पदर्शन भी किया गया था।
- उसके बाद जनरल मोटर्स ने 1952 कैडिलैक को पावर स्टीयरिंग सिस्टम के साथ पेश किया, जो डेविस ने कंपनी को 20 साल पहले ही देदिया था।
- डेट्रोइट के चार्ल्स एफ। हैमंड ने 1958 में कनाडाई बौद्धिक संपदा मे स्टीयरिंग के अंदर सुधार के लिए पेटेंट दायर किया था।
अब जो भरी वाहन आते हैं। उनके अंदर पॉवर स्टीयरिंग अवश्य ही दिया जाता है। हालांकि जो हल्के वाहन होते हैं उनके अंदर पावर स्टीयरिंग की कोई आवश्यकता नहीं होती है।
हाइड्रोलिक पावर स्टीयरिंग सिस्टम
इस सिस्टम के अंदर स्टीयरिंग को नियंत्रित करने के लिए हाईड्रोलिक सिस्टम का यूज किया जाता है।हाइड्रोलिक दबाव आमतौर पर गेरोटर या रोटरी वेन पंप से दिया जाता है।स्टीयरिंग व्हील सिलेंडर में प्रवाह को नियंत्रित करने के लिए वाल्व का प्रयोग होता है। जितना अधिक टॉर्क चालक स्टीयरिंग व्हील और कॉलम पर लागू होता है, उतना अधिक द्रव वाल्व सिलेंडर के माध्यम से आता है ।स्टीयरिंग व्हील पर लगाए गए ट्रोक को मापने के लिए एक सेंसर भी लगा होता है।इसके अंदर एक मरोड़ पट्टी का प्रयोग किया जाता है।
और नीचे का छोर कि ओर घुमाया जाता है, तो बार लगाए गए टॉर्क के आनुपातिक रूप से बार में मुड़ जाएगा। मरोड़ पट्टी के विपरीत छोरों के बीच की स्थिति में अंतर एक वाल्व को नियंत्रित करता है। वाल्व सिलेंडर को प्रवाह करने की अनुमति देता है जो स्टीयरिंग सहायता प्रदान करता है; मरोड़ पट्टी के “मोड़” जितना अधिक होगा, बल उतना अधिक होगा।
हाईड्रोलिक सिस्टम सकारात्मक गति का एक प्रकार है।उच्च इंजन गति पर स्टीयरिंग अच्छे से काम करेगा ।स्टीयरिंग बूस्टर की भ्ज्ञी इसके अंदर व्यवस्था होती है। क्योंकि कई बार पावर स्टीयरिंग खराब हो जाता है। और इसके खराब होने से मैन स्टीयरिंग काम करना बंद कर सकता है। इससे बचने के लिए स्टीयरिंग बूस्टर का प्रयोग किया जाता है। इसके अलावा इसके अंदर भरे द्रव्य का भी समय समय पर नीरिक्षण करना बहुत आवश्यक होता है।
DIRAVI वैरिएबल-असिस्ट पावर स्टीयरिंग
इसका आविष्कार फ्रांस के सिट्रॉन ने किया था।कार के हाइड्रोलिक सिस्टम में दबाव होता है तो स्टीयरिंग व्हील और रोडव्हील्स के बीच किसी भी प्रकार का संबंध नहीं होता है।प्रणाली को पहली बार 1970 में Citroën SM में पेश किया गया था, और इसे यूके में ‘VariPower’ और अमेरिका में ‘SpeedFeel’ के रूप में जानते हैं। आपको बतादें कि इस सिस्टम के अंदर लगाए गए दबाव सड़क की गति के समानुपाती होते हैं। मतलब जब गाड़ी उच्च गति पर होती है तो स्टीयरिंग पर अधिक बल लगाने की आवश्यकता नहीं होती है। इसके विपरित अधिक बल लगाना पड़ता है।
पावर स्टीयरिंग क्या है इलेक्ट्रो-हाइड्रोलिक सिस्टम
पावर स्टीयरिंग क्या है ? इसके अब तक हमने कई चीजों के बारे मे जाना है। उपर दिये गए पावर स्टीयरिंग के अलावा पॉवर स्टीयरिंग के कुछ और प्रकार भी होते हैं। जिनके अंदर इलेक्ट्रो-हाइड्रोलिक सिस्टम भी आता है। इस सिस्टम को हाइब्रिड के नाम से जाना जाता है। इसके अंदर एक दबाव एक इलेक्टि्रक मोटर के माध्यम से आता है।
- 1965 में, फोर्ड ने मर्करी पार्क लेन के “कलाई-मोड़ तत्काल स्टीयरिंग” के बेड़े के साथ प्रयोग किया, जिसने पारंपरिक बड़े स्टीयरिंग व्हील को दो 5-इंच (127 मिमी) के छल्ले, एक तेज 15: 1 गियर अनुपात और एक इलेक्ट्रिक हाइड्रोलिक के साथ बदल दिया गया ।
- 1988 में, सुबारू XT6 को एक अद्वितीय Cybrid अनुकूली इलेक्ट्रो-हाइड्रोलिक स्टीयरिंग के अंदर कुछ और सुधार किये ।
- 1990 में, टोयोटा ने अपनी दूसरी पीढ़ी के MR2 को इलेक्ट्रो-हाइड्रोलिक पावर स्टीयरिंग के साथ पेश किया गया था।
- इलेक्ट्रो-हाइड्रोलिक सिस्टम कई कारों में प्रयोग होता है। जैसे , वोक्सवैगन , ऑडी , प्यूज़ो , सिट्रोएन , सीट , स्कोडा , सुज़ुकी , ओपल , मिनी , टोयोटा , होंडा आदि।
पावर स्टीयरिंग क्या है इलेक्ट्रिक सिस्टम
मोटर चालित पावर स्टीयरिंग ( MDPS ) के अंदर एक इलेक्ट्रीक मोटर का प्रयोग किया जाता है।इसके अलावा इसके अंदर एक सेंसर का भी प्रयोग किया जाता है।कंप्यूटर मॉड्यूल मोटर के माध्यम से ट्रोक को लागू किया जाता है।ड्राइविंग स्थितियों के अनुसार यह अलग अलग बल लगाने की अनुमति देता है। EPAS सिस्टम यदि विफल हो जाता है तो उसके बाद भी डरने की आवश्यकता नहीं है। क्योंकि ऐसी स्थिति के अंदर गाड़ी के स्टीयरिंग को एक आम स्टीयरिंग के रूप मे प्रयोग किया जा सकता है। हालांकि यह निर्भर करता है ड्राइवर के कौशल के उपर ।इलेक्ट्रिक सिस्टम का फायदा यह है कि यह इंजन की दक्षता को बढ़ाने का काम करता है।
क्योंकि इसके अंदर हाइड्रोलिक पंप लगातार नहीं चलते रहते हैं।और हाइड्रोलिक पंप के बीच कई उच्च दबाव वाले हाइड्रोलिक होज़, इंजन पर घुड़सवार, और स्टीयरिंग गियर, चेसिस पर लगाए गए हैं। इसका रखरखाव करना भी बहुत ही आसान होता है।
- 1986 में NSK ने बैटरी कांटे के लिए EPS को व्यावहारिक उपयोग में लाया था।
- Koy वर्षों में कोयो सेको (वर्तमान JTEKT), NSK ने केवल मीनारों के लिए एक स्तंभ प्रणाली विकसित की गई थी , जो केवल जापान में बेची गई।पहली इलेक्ट्रिक पावर स्टीयरिंग प्रणाली 1988 में सुज़ुकी सर्वो पर दिखाई दी थी।
विद्युत रूप से परिवर्तनीय गियर अनुपात सिस्टम
- 2000 में, होंडा S2000 टाइप V में पहला इलेक्ट्रिक पावर वेरिएबल गियर रेशियो स्टीयरिंग (VGS) सिस्टम दिया गया था।
- टोयोटा ने लेक्सस एलएक्स और लैंडक्रूजर साइग्नस पर वैरिएबल गियर रेशियो स्टीयरिंग की शुरूआत की थी।
- 2003 में, बीएमडब्ल्यू ने 5 सीरीज पर ” सक्रिय स्टीयरिंग ” प्रणाली शुरू की थी।
हाइड्रोलिक पावर स्टीयरिंग की कुछ कमियां
दोस्तों अब तक आपने पावर स्टीयरिंग क्या होता है कि बारे मे जान लिया । लेकिन आपको बतादें कि जब इलेट्रिक पावर स्टीयरिंग सिस्टम नहीं आया था। तब हाइड्रोलिक पावर स्टीयरिंग का प्रयोग किया जाता था। लेकिन इस सिस्टम के अंदर कुछ कममियां थी। और उन कमियों कों इलेक्टि्रक पावर स्टीयरिंग सिस्टम ने दूर कर दिया आइए जानते हैं। उनके बारे मे भी ।
बेल्ट और तरल पदार्थ की समस्या
आमतौर पर हाइड्रोलिक सिस्टम के अंदर तरल पदार्थ का प्रयोग किया जाता था। और उसको बार बार बदलने की आवश्यकता होती थी । इसके अलावा इसके अंदर यूज मे लिए गए बेल्ट बार बार खराब हो जाते थे । यह भी इस सिस्टम की एक बड़ी कमी थी।
वहान को भारी बनाता है
हाइड्रोलिक पावर स्टियरिंग के अंदर काफी अधिक वजन हो जाता है। और वैसे देखा जाए तो यह वहान के अंदर अनावश्यक वजन को जोड़ने का काम भी करता था। लेकिन इलेक्टि्रक पावर स्टीयरिंग हल्का होने की वजह से फायदे मंद है।
अधिक इंधन की खपत
आमतौर पर इस सिस्टम को चलाने के लिए इंजन की उर्जा का प्रयोग किया जाता है। और हर समय चलते रहने की वजह से यह इंधन की खपत को अनावश्यक रूप से बढ़ाने का काम भी करता है।लेकिन इलेक्टि्रक पावर स्टीयरिंग के अंदर ऐसा कुछ नहीं है। यह एक सेंसर के द्वारा काम करता है। कम गति पर स्टीयरिंग हल्का रहता है। ताकि चालक गाड़ी को आसानी से मोड़ सके और अधिक गति पर यह भारी होता है। ताकि गाड़ी स्टेबल तरीके से चल सके ।
पॉवर स्टेयरिंग की सबसे बड़ी खास बात यह होती है। कि इस स्टेयरिंग के साथ एक मोटर भी जुड़ी होती है। यह ड्राइवर को काफी आसान लगता है। और यह उस दिशा मे ही आसानी से गाड़ी को मोड़ देता है। जिस दिशा के अंदर ड्राइवर जाता है। यदि आप बड़ी भारी गाड़ी को देखेंगे , तो आपको पता चलेगा कि उनको मोड़ना काफी कठिन होता है। ड्राइवर को काफी अधिक फोर्स लगाना पड़ता है। मगर पॉवर स्टेयरिंग के साथ ऐसा नहीं होता है। उसके अंदर बस आपको हाथ का ईशारा देना होता है। सब कुछ अपने आप ही हो जाता है।
दोस्तों पावर स्टीयरिंग क्या है ? और यह केसे काम करता है इस बारे मे आप अच्छे तरीके से जान ही चुके हैं। आप नीचे कमेंट करके बताएं कि लेख केसा लगा ।
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This post was last modified on February 17, 2024