कुसुम योजना 2019 के बारे में जानकारी – कुसुम योजना की मदद से किसान अपनी भूमी पर सोलर पंप लगाकर खेती कर सकते हैं। इस तरह से यह योजना किसानों के उत्थान के लिए चलाई जा रही है। वैसे देखा जाए तो यह बहुत उपयोगी साबित हो रही है। सरकार किसानों को लगभग 30 प्रतिशत तक छूट प्रदान करती है और इसमे लोन भी मिल जाता है।जैसा कि आप सभी भारत की स्थिति जानते ही हैं। आज भी भारत के अंदर बहुत सारी ऐसी जमीन पड़ी है जिस पर खेती की जा सकती है। लेकिन बिजली की समस्या और सबसे बड़ी बिजली बिल की समस्या है।
कुसुम योजना बिजली संकट से झूझ रहे किसानों के लिए वरदान साबित हो सकती है। ऐसे किसान अपने खेत के अंदर सोलर सिस्टम स्थापित कर सकते हैं। और बिजली ग्रिड से भी पॉवर ले सकते हैं।
इस योजना के तहत यदि आप अपने किसी खेत के अंदर सोलर पंप लगवाना चाहते हैं तो आप अपने राज्य के किसी अधिक्रत वेबसाइट के उपर इसकी सूचना देख सकते हैं। वहां पर आपको अपने राज्य के नियमों के बारे मे पूरी जानकारी मिलेगी और इसके अंदर आपको कितनी छूट मिलेगी वह भी दिया हुआ होगा ।
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कुसुम योजना के बारे में जानकारी और कुसुम योजना का लाभ
कुसुम योजना किसानों को बहुत अधिक फायदा पहुंचा सकती है। यदि आप इसके फायदों के बारे मे विस्तार से जानना चाहते हैं तो आप नीचे दिये गए बिंदुओं को देखें ।
कुसुम योजना का लाभ किसानों की आय बढ़ाने के लिए फायदे मंद
दोस्तों यदि आप कुसुम योजना के तहत अपने खेत के अंदर सौलर पंप लगवाते हैं तो यह आपके लिए काफी बहतरीन सौदा हो सकता है। क्योंकि ऐसी स्थिति के अंदर आप सौलर पंप की मदद से अपने खेत मे सब्जी की खेती कर सकते हैं और गेंहू वैगरह की खेती कर सकते हैं। आमतौर पर सौलर पपं की मदद से आप खेती के अंदर अच्छा लाभ कमा सकते हैं।
और इस योजना के अंदर किसानों को एक दूसरा आप्सन भी दिया गया है कि यदि उनके पास जमीन है तो वे एक बड़ा सौलर प्लांट लगा सकते हैं। और उसके बाद उस बिजली को निगम को बेच कर पैसा कमा सकते हैं। हालांकि इसमे इन्वेस्ट करने की आवश्यकता होगी ।
बेरोजगारी को कम किया जा सकता है
दोस्तों आज बेरोजगारी तेजी से बढ़ रही है। अधिकतर किसान वर्षा पर निर्भर रहते हैं। यदि वर्षा होती है तो उनको रोजगार मिलता है अन्यथा वे बेरोजगार रहते हैं। जबकि बहुत से किसान तो ऐेसे हैं जिनके पास अच्छी खासी जमीन होने के बाद भी वे खेती नहीं कर पाते हैं । क्योंकि लाइट और बिजली बिल की बहुत अधिक समस्या रहती है। लेकिन सौलर पंप एक बार लगवाने के बाद आपको 12 महिने कहीं और काम करने की आवश्यकता नहीं होगी । बस आप अपने खेत के अंदर ही अच्छा खासा पैसा कमा सकते हैं। इतना ही नहीं वे खुद तो स्वरोजगार प्राप्त करेंगे ही वरन दूसरे लोगों को भी रोजगार प्रदान करेंगे । जो बड़े स्तर पर बेरोजगारी को दूर कर सकता है।
30 प्रतिशत तक छूट
यदि आप कुसुम योजना के तहत सौलर पंप लगवाते हैं तो आपको 30 प्रतिशत या आपके राज्य के अंदर जो निर्धारित है। वह छूट मिलती है। जिसका मतलब यह है कि आपको इसमे काफी बचत हो सकती है। यदि आप इसमे एक लाख खर्च करते हैं तो आपको 70 हजार रूपये पे करने होते हैं। यदि छोटा पंप लगवाते हैं। तो आपको इससे भी कम अमाउंट पे करना पड़ेगा ,जो अपने आप मे एक फायदे का सौदा हो सकता है।
भारी बिजली बिल से आप आजाद हो जाएंगे
दोस्तों बिजली की बढ़ती कीमतों से हर कोई परेशान है। और सबसे अधिक परेशानी किसानों को होती है। कम बिजली खर्च पर भी बहुत बार उनको अधिक बिजली बिल देना पड़ता है। ऐसी स्थिति के अंदर किसानों की आर्थिक स्थिति डगमगा जाती है। बिजली बिल की वजह से तो बहुत से लोग ऐसे हैं जो खेती करना पसंद नहीं करते हैं। लेकिन यदि आप सौलर पंप लगवाते हैं तो इसमे आपको ना केवल छूट मिलेगी वरन बिजली बिल देने की कोई आवश्यकता ही नहीं होगी । – कुसुम योजना के बारे में जानकारी
खाली पड़ी भूमी का अच्छा उपयोग
हमारे देश के अंदर बहुत सारी भूमी ऐसी पड़ी है। जिस पर खेती होती ही नहीं है। लेकिन यदि आपके पास कोई खाली पड़ी भूमी है तो आप उसके उपर पंप लगवा सकते हैं और उसके बाद या तो आप खुद खेती कर सकते हैं। यदि आप ऐसा नहीं कर सकते तो किसी और को यह दे सकते हैं। जिससे आपको भी इसका फायदा मिलेगा । इस योजना का फायदा बंजर भूमी को हरियाली बनाने के लिए बखूबी उठाया जा सकता है।
खुद का बिजनेस स्थापित करने का मौका
यदि आपके पास कोई काम नहीं है या आप दूसरों के नीचे काम करके थक चुके हैं तो आप कुसुम योजना की मदद से अपने खेत मे सौलर पंप लगवा सकते हैं और उसके बाद खेती कर सकते हैं। भले ही आप गेंहूं की खेती ना कर पाएं लेकिन सब्जी की खेती के अंदर आप एक छोटी मोटी नौकरी से अधिक पैसा कमा सकते हैं। जो लोग 10 से 15 हजार महिना कमा रहे हैं वे सब्जी की खेती मे अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।
बिजली की कमी की समस्या खत्म
आमतौर पर जो किसान पहले से ही अपने खेत के अंदर बिजली का कनेक्सन लगवा चुके हैं।वे बिजली की कमी से बहुत अधिक परेशान रहते हैं। उनको चाहिए कि वे अपने खेत मे एक सौलर पैनल की स्थापना करवालें । जिसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि उनको बिजली की कमी से राहत मिलेगी ।
लंबे समय तक इंतजार की कोई आवश्यकता नहीं है
खेतों के अंदर बिजली कनेक्सन लगाना कोई आसान काम नहीं होता है। आपको पहले बिजली कम्पनी को फोर्म भरकर देना होता है और उसके बाद कनेक्सन आने मे काफी वक्त लगता है। लेकिन सौलर पंप लगवाने मे आपको कुछ भी समय नहीं लगेगा । क्योंकि यह कुछ कम्पनियों के अधीन होता है और उन कम्पनियों का फायदा इसमे होता है।
यदि आप जल्दी ही खेती करना र्स्टाट करना चाहते हैं तो फिर आपको सौलर पंप के लिए कुसुम प्रयोजना के तहत आवेदन करना चाहिए ।
5 साल तक सौलर पंप की गारंटी और हेल्पलाइन नंबर
इस योजना के तहत यह भी प्रावधान किया गया है कि सौलर पंप लगाने वाली कम्पनी आपको 5 साल तक इसकी पुरी गारंटी देती है। और इसको बीच बीच मे निरिक्षण के लिए भी आती है।
यदि इसमे कोई समस्या आ जाती है तो आप कम्पनी के दिये गए नंबर पर कॉल कर सकते हैं।हालांकि 5 साल पूर्ण हो जाने के बाद आपको इसके अंदर समस्या आने पर अतिरिक्त खर्च करना पड़ सकता है।
गरीबी दूर करने मे उपयोगी
यदि भारत के आधे भी लोग अपने खेत के अंदर सौलर पैनल लगवा लेते हैं तो इससे देश मे गरीबी दूर करने मे थोड़ी मदद मिल सकती है। और बंजर भूमी का अच्छा उपयोग हो सकता है। अधिकतर वे लोग गरीब हैं । जिनके पास जमीन नहीं है । ऐसे लोगों को तभी काम मिलेगा जब बड़े किसान अपनी जमीन का उपयोग खेती के अंदर करेंगे ।
भू जल स्तर को बनाए रखने मे मददगार
कुसुम प्रयोजना के अंदर उन किसानों को अधिक महत्व दिया जा रहा है जोकि सिंचाई की सुक्ष्म प्रणालियों का प्रयेाग करते हैं।ऐसा करने से भू जल स्तर को बनाए रखने मे मदद मिल सकती है। सिंचाई की परम्परागत प्रणाली के साथ समस्या यह है कि इसमे अधिकतर जल ऐसे ही खराब हो जाता है।
कुसुम योजना के फायदे पीने के पानी की समस्या को हल कर सकती है।
भारत के अंदर अभी भी बहुत सारी जगह ऐसी हैं जहां पर लाइट नहीं है और पीने के पानी की व्यवस्था नहीं है। लोगों को दूर जाकर पानी लाना पड़ता है।यदि वहां पर सोलर पैनल पंप लगाया जाता है तो यह उनके लिए बहुत फायदे मंद हो सकता है।
कुसुम योजना के बारे में जानकारी
केंद्रीय बजट 2018 के अंदर कुसुम योजना की घोषणा की गई थी। यह योजना 140,000 करोड़ की थी। जिसके अंदर परम्परागत रूप से प्रयोग किये जाने वाले बिजली के कुओं को सौलर कुओं के रूप मे जोड़ देना था।इस योजना का प्रमुख लक्ष्य यह था कि जितने भी किसान सिंचाई के लिए बिजली का यूज करते हैं। उनको बिजली की जगह सोलर सिस्टम से जोड़ना ताकि उर्जा को बचाया जा सके और एक किसानों के लिए जोखिम मुक्त आय का स्रोत पैदा किया जा सके ।
बजट सन 2018 के अंदर वित मंत्री अरूण जेटली ने घोषणा करते हुए कहा कि किसानों के अपने खेत मे सोलर पंप लगाने के लिए सबसीडी मिलेगी।इसके अलावा किसान यदि चाहे तो अपने पास बन रही अधिक पॉवर को कम्पनी को दे सकता है और इसके बदले मे पैसे कमा सकता है।
इस योजना के अंदर 10 वर्षों में `1,40,000 करोड़ का लक्ष्य रखा गया है। जिसमे से केंद्र सरकार को 48,000 करोड का योगदान देना है। किसान को सोलर पंप खरीदने के लिए लगभग 60 प्रतिशत तक सब्सिडी भी दी जाएगी ।
यह परियोजना किसानों के भविष्य को पूरी तरह से बदल सकती है।पश्चिमी भारत के अंदर किसान हमेशा बिजली की आपूर्ति से परेशान रहते हैं यह परियोजना उनकी समस्याओं को दूर कर सकती है।इसके अलावा पूर्वी भारत में भी सिंचाई की समस्याओं को दूर करने मे यह योजना उपयोगी हो सकती है। महंगी बिजली का उपयोग से बचा जा सकता है। एक तरह से यह किसानों के लिए काफी उपयोगी योजना ही है।
सोलर उर्जा को बेचने का विचार सबसे पहले गुजरात में धुंडी गांव में मध्य गुजरात विज कंपनी लिमिटेड (MGVCL) और इंटरनैशनल वाटर मैनेजमेंट इंसेफ्रेड (IWMI) द्वारा किया गया था।यहां पर 9 एसआईपी हैं।
सन 2017 के अंदर यहां के किसानो की बिजली को बेचकर औसत कमाई 6000 रूपये प्रतिमाह हो गई थी।दिसंबर 2015 से अप्रैल 2016 के दौरान, किसानों के पास खरीद-फरोख्त नहीं थी और उत्पादित सभी ऊर्जा का उपयोग सिंचाई में किया गया था। मई 2016 के अंत में MGVCL ने अधिशेष बिजली खरीदना शुरू किया तो चीजें बदल गईं।अप्रैल और मई के दौरान किसानों ने अपनी सौर ऊर्जा को एमजीवीसीएल को बेचना शुरू कर दिया।
भारत ने सन 2030 गैर-जीवाश्म ईंधन के अंदर 40 प्रतिशत तक बढ़ोतरी करने का लक्ष्य रखा गया है।कैबिनेट ने सौर ऊर्जा लक्ष्य के लिए मंजूरी देदी गई है।2022 तक सौर ऊर्जा उत्पादन के 100 गीगावॉट के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए बड़े पैमाने पर सौर ऊर्जा उत्पादन परियोजनाएं स्थापित की जा रही हैं।
सौर उर्जा की इन परियोजना के माध्यम से किसानों को बंजर भूमी पर खेती करने और आय प्राप्त करने का अवसर दिया जा रहा है।वैसे भी भारत के अंदर बहुत सारी भूमी ऐसी है जहां पर खैती की जा सकती है। ऐसा तभी हो सकता है। जब वहां पर सौलर पंप की स्थापना की जाए ।
वर्तमान में, भारत में 30 मिलियन से अधिक कृषि पंप स्थापित हैं, जिनमें से लगभग 10 मिलियन पंप डीजल आधारित हैं। बिजली वितरण कम्पनी के पास नए पंप लगाने की बहुत लंबी सूचि भी मौजूद है।अब इस तरह के पंप को सौर ऊर्जा से जोड़ने की आवश्यकता है।
देश में स्थापित 20 मिलियन से अधिक ग्रिड से जुड़े कृषि जल पंप देश की कुल वार्षिक बिजली खपत का 17 प्रतिशत से अधिक उपभोग करते हैं।सोलर पंप लगाने का फायदा यह है कि बिजली के उपर इन पंपों की निर्भरता को कम किया जा सकता है।
कुसुम योजना के बारे में जानकारी कुसुम योजना मे तीन घटकों का लक्ष्य
कुसुम योजना के अंदर तीन घटकों का लक्ष्य रखा गया है जो इस प्रकार से हैं।
- Component-A
10,000 MW तक के स्टिल्ट माउंटेड ग्रिड कनेक्टेड सोलर या अन्य नवीकरणीय ऊर्जा आधारित पावर प्लांट्स की स्थापना।
- Component B 17.50 लाख स्टैंड-अलोन सौर कृषि पंप की स्थापना
- Component-C: 10 लाख ग्रिड से जुड़े कृषि पंपों का सोलराइजेशन।
1000 मेगावाट क्षमता वाले एक लाख ग्रिड से जुड़े कृषि पंपों को शुरू किया जाएगा और दूसरे कम्पोनेंट को लागू किया जाएगा ।
इस योजना के तीन घटकों का लक्ष्य है 2022 तक 25,750 मेगावाट की सौर क्षमता जोड़ें, कुल केंद्रीय वित्तीय सहायता ,4 34,422 के साथ।
कुसुम योजना के बारे में जानकारी Component A: Setting up of 10,000 MW of Decentralized Ground/Stilt Mounted Grid Connected Solar or other Renewable Energy based Power Plants
सौर या अन्य नवीकरणीय ऊर्जा आधारित बिजली संयंत्रों (आरईपीपी) की क्षमता 500 किलोवाट से 2 मेगावाट तक है , को स्थापित किया जाएगा ।यह सयंत्र किसानों / सहकारी समितियों / पंचायतों / किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) / जल उपयोगकर्ता संघों (डब्ल्यूयूए) के लिए स्थापित किये जाएंगे ।
हालांकि राज्य सरकार 500 kW से कम क्षमता के सौर या अन्य नवीकरणीय ऊर्जा आधारित बिजली संयंत्रों की स्थापना की अनुमति भी दे सकती है। energy based power plants (REPP) को केवल 5 किलोमिटर के दायरे मे स्थापित किया जाएगा ताकि किसी भी प्रकार का एनर्जी लोस और ट्रांसमिसन लोस को कम किया जा सके ।
Distribution companies (DISCOMs) पॉवर स्टेशन को इसकी सूचना देंगी कि कहां से बिजली को रिसिव किया जाना है। और इसके लिए आवेदन मांगे जाएंगे जोकि अपने सौलर प्लांट के द्वारा उत्पादित बिजली को बेचना चाहते हैं।
DISCOM द्वारा पूर्व-निर्धारित स्तर पर टैरिफ में खरीदा जाएगा। यदि किसी विशेष उप-स्टेशन के लिए आवेदकों द्वारा दी गई कुल क्षमता अधिसूचित क्षमता से अधिक है, तो रिन्यूएबल पॉवर जनरेटर का चयन करने के लिए DISCOM द्वारा बिडिंग रूट का अनुसरण किया जाएगा।यहां पर भी एक तरह से बोली लगेगी ।मतलब यहां पर भी टैरिफ सीलिंग होगा । Power Purchase Agreement की बात करें तो यह 25 साल का होगा । मतलब की उपभोक्ता 25 साल तक अपनी बिजली को कम्पनी को देने का अर्रेजमेंट करता है। बंजर / गैर-ज़मीन पर लागू किया जाएगा। कृषि भूमि को भी इस योजना के तहत अनुमति दी जाती है।
विकेंद्रीकृत नवीकरणीय ऊर्जा ऊर्जा संयंत्रों का चयन और कार्यान्वयन Notification of sub-station wise generation capacity
DISCOM RE generation क्षमता का आंकलन करेगी जिसको 33/11 केवी या 66/11 केवी या 110/11 केवी ग्रामीण स्टेशनों के उप-स्टेशन में इंजेक्ट किया जा सकता है।DISCOM इस तरह की सूचना को अपनी वेबसाइट पर डाल सकता है। किसी भी किसानों की भूमि को पट्टे पर देना किसान और डेवलपर के बीच एक द्वि-पक्षीय समझौता होगा और डेवलपर को भूमि को पट्टे पर देने में विफलता के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जाएगा।
आरपीजी की शॉर्ट-लिस्टिंग के लिए एक्सप्रेशन ऑफ़ इंटरेस्ट (EoI)
DISCOM कोई ऐसी ऐजेंसी को हायर कर सकती है जो renewable power plants को बना सकती हो ।एक आरपीजी को एक विशेष 33/11 केवी उप-स्टेशन के लिए एक से अधिक नवीकरणीय बिजली संयंत्र के लिए आवेदन करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। एक आरपीजी के ईओआई को भी अयोग्य घोषित किया जाएगा यदि यह पाया जाता है कि उसके मालिक / साथी / निदेशक / सदस्य ने भी एक ही उप-स्टेशन के लिए एक अन्य आरपीजी के लिए प्रोपराइटर / पार्टनर / डायरेक्टर / मेंबर के रूप में ईओआई दाखिल किया।
Selection of energy based power plants
विशेष उप-स्टेशन के लिए प्राप्त योग्य आवेदनों की कुल कुल क्षमता, सब-स्टेशन पर कनेक्टिविटी के लिए अधिसूचित क्षमता दोनो को इसके अंदर देखा जाता है। यदि किसी विशेष सब-स्टेशन के लिए प्राप्त पात्र आवेदन की कुल कुल क्षमता सब-स्टेशन पर कनेक्टिविटी के लिए अधिसूचित क्षमता से अधिक है,तो डिकॉम किसी दूसरी ऐजेंसी को Bids के लिए बुला सकती है।
इसके अलावा जो आवेदक बिजली बेचना चाहते हैं उनको निर्धारित समय तक टैरिफ बोलियां जमा करवानी होगी । बोली दाताओं का चयन सबसे कम टैरिफ के आधार पर ही किया जाएगा ।
sub-station से कनेक्ट करना
2 मेगावाट तक की क्षमता का आरईपीपी सब-स्टेशन के 11 केवी साइड से जुड़ा हो सकता है और चयनित आरपीजी आरईपीपी से सब-स्टेशन के लिए समर्पित 11 केवी लाइन बिछाने के लिए उतरदायी होगा ।आरपीजी लागू छूट और अन्य शुल्क का भुगतान करके DISCOM के माध्यम से 11 kV लाइनों का निर्माण कर सकता है। RPG इस समर्पित 11 kV लाइन को बनाए रखने के लिए ज़िम्मेदार होगी।
Power Purchase Agreement (PPA)
DISCOM और आरपीजी के बीच निष्पादित किए जाने वाले मानक पावर परचेज एग्रीमेंट की एक कॉपी को EoI के पास जमा कराना आवश्यक होगा ।सीओडी की तारीख से पीपीए 25 वर्ष की अवधि के लिए होगा। DISCOM अनुबंध क्षमता के भीतर आरपीजी से पूरी शक्ति खरीदने के लिए बाध्य होगा। PPA की 25 साल की अवधि समाप्त होने के बाद आरपीजी संयंत्र का संचालन करने के लिए स्वतंत्र होगा।
Bank Guarantees
energy based power plants DISCOM को निम्न लिखित बैंक गारंटी प्रदान करेगा ।
- ईओआई के साथ बैंक गारंटी के रूप में 1 लाख / मेगावाट
- लेटर ऑफ अवार्ड जारी होने की तारीख से 30 दिनों के भीतर 5 लाख / मेगावाट
दिशानिर्देशों में दिए गए समयरेखा के अनुसार चयनित आरपीजी को DISCOM के साथ PPA पर हस्ताक्षर करने की आवश्यकता होती है। मामले में, चयनित आरपीजी निर्धारित समय अवधि के भीतर पीपीए को निष्पादित करने में विफल रहता है, ई यदि किसी भी कारणवश किसी भी बोली दाता का चयन नहीं किया जाता है तो कुसुम योजना के अंदर DISCOM, चयनित आरपीजी (ओं) को LoA जारी करने की तारीख के 15 दिनों के भीतर EMD जारी करेगा।
Commissioning
चयनीत RPG के LoA जारी करने के 9 महिने के भीतर सौर ऊर्जा संयंत्र का कमीशन दिया जाएगा ।आरपीजी नौ महीनों की इस अवधि के दौरान आरईपीपी को कमीशन कर सकता है और डीओसीओए लोमा जारी होने के बाद किसी भी समय उस कमीशन आरईपीपी से बिजली खरीदने के लिए बाध्य हो जाता है।
DISCOM RPG के कॉल रिसिव होने के बाद 3 दिन के भीतर किसी भी समय प्लांट को चैक कर सकती है।यदि किसी कारण से इन्फेक्सन फैल हो जाता है तो DISCOM निम्न लिखित काम करेगा ।
- सौर ऊर्जा संयंत्र के चालू होने में दो महीने से अधिक की देरी हो जाती है, तो पीपीए क्षमता कम हो जाएगी / परियोजना क्षमता में संशोधन किया जाएगा।
minimum generation
यदि किसी भी वर्ष आरपीजी न्यून्तम उर्जा उत्पादन जिसको DISCOMs ने निर्धारित किया है को , सक्षम नहीं होता है तो ऐसी स्थिति के अंदर प्रदर्शन में इस तरह की कमी से मुआवजे का भुगतान करने के लिए आरपीजी को उत्तरदायी माना जा सकता है। हालांकि non-availability की स्थिति के अंदर यह लागू नहीं होगा ।
Renewable Energy
कार्यान्वयन के दौरान पायलट परियोजनाओं की निरंतर निगरानी की जाएगी और उनकी सफलता का मूल्यांकन करने के लिए भी पूरा किया जाएगा और इस घटक के तहत क्षमता बढ़ाने के लिए एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जाएगी। इस तरह के मूल्यांकन को आंतरिक एजेंसी के माध्यम से आंतरिक रूप से किया जा सकता है।
DISCOM
कुसुम योजना के घटक ए को लागू करने के लिए डिस्कोम को अपनी मंजूरी भेजनी होगी ।ऊर्जा क्षमता की घोषणा करेगा जिसे 33/11 kV उप- से जोड़ा जा सकता है।DISCOM, चयनित स्टेशन पर उप-स्टेशन पर कनेक्टिविटी प्रदान करेगा।
आरपीजी ने परियोजना मे जिन किसानों की भूमी लीज पर ली है उनको भी भुकतान किया जाएगा ।जो सीधे DISCOM को दिया जाएगा ।DISCOM द्वारा दिए गए लीज रेंट को आरपीजी के कारण मासिक भुगतान से काट लिया जाएगा।
राज्य नोडल एजेंसी (SNA)
यह एजेंसी राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों, DISCOM और किसानों के साथ समन्वय स्थापित करने का काम करेगी ।यह किसानों की सहायता भी करेगी । जिसके अंदर डीपीआर, पीपीए / ईपीसी अनुबंध तैयार करना, वित्तीय संस्थानों से धन प्राप्त करने की जानकारी देना । नवीकरणीय ऊर्जा आधारित बिजली संयंत्रों के चयन मे होने वाली समस्या को दूर करना भी इसका एक कार्य है।
Renewable Power Generator (RPG)
किसानों / सहकारी समितियों / पंचायतों / किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) / जल उपयोगकर्ता संघों (डब्ल्यूयूए) या परियोजनाओं के विकासकर्ता किसानों का समूह को RPG के नाम से जाना जाता है।
इन सबको DISCOMS द्वारा की जाने वाली चयन प्रक्रिया में भाग लेना होता है। चयन के मामले में, उन्हें पीपीए पर हस्ताक्षर करने और इन दिशानिर्देशों और लागू नियमों के अनुसार सयंत्र को स्थापित करना होता है।
कुसुम योजना के बारे में जानकारी Component B: Installation of 17.50 Lakh Stand-alone Solar Pumps घटक बी: 17.50 लाख स्टैंड-अलोन सोलर पंपों की स्थापना
इस घटक के तहत किसानों के खेतों के अंदर मौजूद डीजल कृषि पंपों / सिंचाई प्रणालियों को बदलकर 7.5 एचपी तक की क्षमता के स्टैंडअलोन सौर कृषि पंप स्थापित करने की योजना है। खास कर वहां पर अधिक ध्यान दिया जाएगा । जहां पर ग्रिड आपूर्ति उपलब्ध नहीं है।
7.5 एचपी से अधिक क्षमता के पंपों की अनुमति दी जा सकती है।छोटे और सीमांत किसानों को प्राथमिकता दी जाएगी। इसमे पानी के उपयोग को कम करने के लिए सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली का उपयोग करने वाले किसानों को प्राथमिकता दी जाएगी। योजना के अनुसार यह स्वदेशी सौर कोशिकाओं और मॉड्यूल के साथ स्वदेशी रूप से निर्मित सौर पैनलों का उपयोग करना अनिवार्य होगा। इसके अलावा, मोटर-पंप-सेट, नियंत्रक और प्रणाली के संतुलन को भी स्वदेशी रूप से निर्मित किया जाना चाहिए।
सौलर पंप लगाने के लिए राज्य सरकार भी सबसीडी देती है। यह 30 से लेकर 50 प्रतिशत तक हो सकती है।शेष 40% किसान द्वारा प्रदान किया जाएगा। किसान के योगदान के लिए बैंक वित्त उपलब्ध कराया जा सकता है, ताकि किसान को शुरू में लागत का केवल 10% भुगतान करना पड़े।
यदि राज्य सरकार 30% से अधिक सब्सिडी प्रदान करती है, तो लाभार्थी का हिस्सा तदनुसार कम हो जाएगा। आपके राज्य के अंदर इस पर सरकार कितनी सब्सीडी दे रही है आप इसको नेट के उपर सर्च कर पता लगा सकते हैं।
इस योजना के तहत नए सौर कृषि पंपों को डार्क जोन / ब्लैक जोन में इस घटक के तहत कवर नहीं किया गया है।लेकिन डीजल पंपों को इन क्षेत्रों में स्टैंडअलोन सौर पंपों में परिवर्तित किया जा सकता है जोकि पानी को बचाने के लिए सुक्ष्म सिंचाई परियोजनाओं का प्रयोग करते हों ।
पंपों का आवंटन और खरीद
सौर पंपों का आवंटन एमएनआरई द्वारा एक वर्ष में एक बार जब आवश्यक हो, सचिव, एमएनआरई की अध्यक्षता में एक स्क्रीनिंग समिति द्वारा अनुमोदन के बाद जारी किया जाएगा। वितिय वर्ष की शुरूआत से पहले एमएनआरई कार्यान्वयन एजेंसियों से मांग का पता करेगा और उसके बाद हर राज्य की कार्यान्वयन एजेंसियों को पंपो की आपूर्ति करेगी । एमएनआरई के पास किसी भी राज्य की योजना की प्रगति का पता लगाने का और समय अनुमोदन को संशोधित करने का अधिकार भी होगा ।
कार्यान्वयन एजेंसियां अनुमोदन के लिए एमएनआरई को ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से प्रस्ताव प्रस्तुत करेंगी । और ऑफलाइन आवेदन को स्वीकार नहीं किया जाएगा ।गुणवत्ता और पोस्ट इंस्टॉलेशन सेवाओं को सुनिश्चित करने के लिए केवल सौर जल पंपों के निर्माताओं या सौर पैनलों के निर्माताओं को बोली प्रक्रिया में भाग लेने की अनुमति होगी।
इसमे एल 1 दरों का मिलान किया जाएगा और चयनित उम्मीदवारों को 50%, 30% और कुल निविदा मात्रा का 20% देना होगा।आपको बतादें कि बोली लगाने वालों की संख्या टेंडर के आधार पर भिन्न हो सकती है।
चयन लाभार्थी और योजना का कार्यान्वयन राज्य कार्यान्वयन एजेंसी के अधीन होगा ।सफल चयनित आवंटन कर्ता को मांग के अनुसार पंप और सोलर सिस्टम को आंवटन करना होगा ।
17.5 लाख स्टैंड-अलोन सोलर वाटर एग्रीकल्चर पंपिंग सिस्टम की स्थापना के बाद 8000 मेगावाट से अधिक की सौर क्षमता का निर्माण होगा । सौलर पंपों की स्थापना साल के अंदर केवल 150 दिन किया जाता है।
किसान सौर उर्जा का प्रयोग चॉफ कटर, फ्लोर मिल, कोल्ड स्टोरेज, ड्रिपर, बैटरी चार्ज मे भी कर सकता है।
यूएसपीसी के साथ सौर पंपिंग सिस्टम के लिए पूरी अतिरिक्त लागत किसान ही वहन करेंगे ।अन्य गतिविधियों के लिए सौर ऊर्जा से आय बढ़ाने के लिए यदि किसान इसमे कुछ अतिरिक्त सुविधांओं को जोड़ सकते हैं। एक सफल सैलर एक बार सौलर पंप लगाने के बाद 5 साल तक हेल्पलाइन, जिला स्तरीय सेवा केंद्र और मानकों का अनुपालन शिकायतों / निवारण की सुविधाएं भी प्रदान करेगा । कार्यान्वयन एजेंसी भी इस मामले मे जागरूकता पैदा करने के लिए जिम्मेदार होगी ।
कुसुम योजना के बारे में Installation pump सौर कृषि पंप प्रणालियों की स्थापना
सौर कृषि पंप प्रणालियों की स्थापना के लिए परियोजनाओं को MNRE के द्वारा निधारित तारिक के 12 महिने के भीतर पूरा करना होगा ।सिक्किम, जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, लक्षद्वीप और उत्तर-पूर्व सहित पूर्वोत्तर राज्यों के लिए यह समय 15 महिने तक होगा । परियोजना के पूरा होने में एक महीने से अधिक की देरी के लिए लागू सर्विसचार्ज में 10% की कमी करदी जाएगी ।
Monitoring and maintenance निगरानी और रखरखाव
चयनित विक्रेता सौर कृषि पंपों के डिजाइन, आपूर्ति, स्थापना और कमीशन के लिए जिम्मेदार माने जाएंगे ।आपदा और चोरी के लिए सिस्टम को 5 साल तक की एएमसी प्रदान की जाएगी ।
AMC में एक तिमाही में कम से कम एक बार निरीक्षण करने वाले विक्रेता शामिल होंगे और निर्धारित प्रारूप के अनुसार स्थापित पंपों की त्रैमासिक निरीक्षण रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे।
सिस्टम का रखरखा करने के लिए प्रत्येक जिले के अंदर एक केंद्र होगा जिसका स्थानिए भाषा मे हेल्पलाइन नंबर दिया जाएगा ।एमएनआरई द्वारा निर्धारित तरीके और प्रारूप में एमएनआरई को सौर ऊर्जा संयंत्र के प्रदर्शन डेटा को ऑनलाइन भी जमा करवाना होगा ।
- कार्यान्वयन एजेंसी निगरानी मानकों जैसे कि अंतिम उपयोग सत्यापन और सांख्यिकीय जैसी जानकारी एकत्रित करने की जिम्मेदारी होगी ।
- Implementing agencies हर माह पर प्रोग्रेस रिपोर्ट संबिट करेगी ।
- Ministry officials इस सोलर पंप का निरिक्षण भी करेंगे । यदि यह मानाकों के अनुसार नहीं है तो यह वेंडर को ब्लेक लिस्ट करने का अधिकार भी रखती है।
कुसुम योजना के बारे में Implementation Agency के उतरदायित्व
- मासिक और त्रैमासिक प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करना
- प्रोजेक्ट दिए गए समयसीमा के भीतर पूरा होता है यह देखना और MNRE दिशानिर्देशों और मानकों का अनुपालन को देखना
- Online submission करती है मंथली रिपोर्ट को
- ऑनलाइन और ऑफलाइन रिकोर्ड को मैंटेन करना ।
- योजना का प्रचार-प्रसार करना ताकि जागरूकता बढ़े।
कुसुम योजना के बारे में जानकारी – घटक C: 10 लाख ग्रिड से जुड़े कृषि पंपों का सोलराइजेशन
कुसुम योजना के इस घटक के तहत बिजली उपयोग करने वाले पंपों को सोलर सिस्टम से जोड़ने का भी प्रयास किया जाएगा । किसी भी मामले मे पंप की क्षमता 2 एचपी से कम नहीं होगी । ताकि यह किसान की जरूरतों को आसानी से पूरा कर सके ।अतिरिक्त सौर ऊर्जा DISCOMs को बेची जाएगी। उपयोगकर्ता संघों और समुदाय / क्लस्टर आधारित सिंचाई प्रणाली को भी इस घटक के तहत कवर किया जाएगा। हालांकि, छोटे और सीमांत किसानों को प्राथमिकता दी जाएगी।
सिंचाई के अंदर पानी के अधिक उपयोग को रोकने के लिए सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली वाले किसानों को अधिक प्राथमिकता दी जाएगी । सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली को बढ़ावा देने और ऊर्जा कुशल पंपों के साथ कृषि पंपों को बदलने की संभावनाओं को कार्यान्वयन एजेंसियों के द्वारा पता लगाया जाएगा ।
सौर पैनल के अंदर जितने भी उपकरण और चीजें प्रयोग की जाएंगी वे सभी स्वदेशी रूप से निर्मित होनी चाहिए ।इसके अलावा यदि विक्रेता विदेशी उपकरणों का प्रयोग करते हैं तो उन्हें इसकी सूचि देनी होगी ।
सैलर पंप की स्थापना के लिए राज्य सरकार 30% की सब्सिडी देगी और शेष 40% किसान द्वारा प्रदान किया जाएगा। यदि किसान के पास पैसा नहीं है तो बैंक से लोन देने की व्यवस्था की जाएगी । इस प्रकार से पहली दफा किसान लागत का केवल 10 प्रतिशत ही वहन करेगा । बाकी का किसान को बैंक को बाद मे चुका देना होगा।
उत्तर पूर्वी राज्यों, सिक्किम, जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड, लक्षद्वीप और ए एंड एन द्वीप समूह में, बेंचमार्क लागत का 50% सीएफए दिया जाएगा ।राज्य सरकार 30% की सब्सिडी देगी; और शेष 20% किसान द्वारा प्रदान किया जाएगा। किसान के योगदान के लिए बैंक वित्त उपलब्ध कराया जा सकता है।
DISCOMs अपने RPO लक्ष्यों को पूरा करने के लिए। ग्रिड द्वारा दी गई सौर ऊर्जा और किसान द्वारा उपयोग की जाने वाली सौर ऊर्जा का उपयोग कर सकता है।
यदि आवश्यक हो तो कृषि पंप सौर पैनलों से बिजली ले सकते हैं।वे ग्रिड से भी पॉवर ले सकते हैं।
लेकिन यदि सौर पैनलों का अत्पादन अधिक है तो अधिक बिजली वे ग्रिड को दे भी सकते हैं। दूसरा यह भी हो सकता है कि पंप केवल सौर उर्जा पर चलेंगे और ग्रिड से कोई भी पॉवर नहीं खींची जाएगी अतिरिक्त उर्जा को ग्रिड को देदिया जाएगा ।
डार्क जोन / ब्लैक जोन के मामले में केवल मौजूदा ग्रिड से जुड़े पंपों को ही सौर्यकृत किया जाएगा, क्योंकि वे पानी को बचाने के लिए सूक्ष्म सिंचाई तकनीकों का उपयोग करते हैं सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली को बढ़ावा देने की जांच क्रियान्वयन एजेंसी के द्वारा की जाएगी ।डिस्कॉम संबंधित राज्य / एसईआरसी द्वारा तय की गई दर पर किसान से अतिरिक्त बिजली खरीदेगा। जिन सोलर से बिजली खरीदी जा रही है ।उनको दिन के दौरान चालू रखा जाएगा । सिस्टम को इंस्टालेशन के प्रदर्शन की निगरानी के लिए रिमोट मॉनिटरिंग सिस्टम होगा ।
सोलराइजेशन क्षमता और खरीद का आवंटन
सचिव, एमएनआरई की अध्यक्षता में एक स्क्रीनिंग कमेटी द्वारा अनुमोदन के बाद, वर्ष में एक बार एमएनआरई द्वारा सोलराइजेशन पंपों के लिए राज्यवार आवंटन जारी किया जाएगा। हर वित्तीय वर्ष की शुरुआत में फीडर वार मांग प्रस्तुत की जाएगी । वर्ष के लिए समग्र लक्ष्य और कार्यान्वयन एजेंसियों से प्राप्त मांग के आधार पर, MNRE राज्य की ऐजेंसियों को सौर उर्जा क्षमता का आंवटन करेगा ।
घटक को प्रारंभिक एक लाख ग्रिड से जुड़े कृषि पंपों के लिए पायलट मोड पर लागू किया जाना है ।परियोजनाओं को कार्यान्वयन के दौरान निरंतर निगरानी की जाएगी और एक रिपोर्ट तैयार की जाएगी ।
कार्यान्वयन एजेंसियां अनुमोदन के लिए एमएनआरई को ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से प्रस्ताव प्रस्तुत करेंगी। और ऑफलाइन आवेदनों पर विचार नहीं किया जाएगा ।एमएनआरई इसके लिए एक समय सीमा भी निर्धारित करेगी जिसके अंदर आवेदन करना होगा ।
नए प्रतिष्ठानों के लिए केवल स्क्रीनिंग समिति द्वारा विचार किया जाएगा। पहले से जिन पंपों को सौलर से जोड़ा जा चुका है। उन पर विचार नहीं किया जाएगा ।
पंपिंग सिस्टम के सोलराइजेशन
सोलराइजेशन के लिए नेस्टैलेशन टाइमलाइन और पेनल्टीप्रोटेक्ट्स MNRE द्वारा मंजूरी की तारीख से 12 महीने के भीतर पूरे किए जाएंगे। हालांकि, सिक्किम, जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, लक्षद्वीप और ए और एन द्वीप सहित उत्तर पूर्वी राज्यों के लिए इस समय सीमा मंजूरी की तारीख से 15 महीने होगी परियोजना के पूरा होने में एक महीने से अधिक की देरी के लिए लागू सर्विसचार्ज में 10% की कमी कर दी जाएगी ।
Monitoring and maintenance
चयनित विक्रेता सोलराइजेशन अर्थात डिजाइन, आपूर्ति, स्थापना और कमीशनिंग के सभी पहलुओं के लिए जिम्मेदार होंगे।पंप की चोरी और आपदा से सुरक्षा के लिए विक्रेता पांच साल की बीमा प्रदान करेगा । ईएमसी में निर्धारित प्रारूप के अनुसार स्थापना की त्रैमासिक निरीक्षण रिपोर्ट प्रस्तुत करना शामिल है। सिस्टम के रख रखाव के लिए प्रत्येक जिले के अंदर एक हेल्पलाइन नंबर दिया जाएगा जोकि उनकी भाषा के अंदर उपलब्ध होगा । सौर ऊर्जा संयंत्र के प्रदर्शन डेटा के साथ त्रैमासिक रखरखाव रिपोर्ट प्रस्तुत करना अनिवार्य होगा
Responsibilities of Implementation Agency
- फीडर के लिए यह minimum solarisation लेवत तय कर सकती है।
- यदि आवश्यक हो, तो कनेक्टिविटी के मानक / विनियम, और सोलराइजेशन के लिए फीडर के कनेक्शन की सुविधा प्रदान करना।
- पंपों के सोलराइजेशन के लिए मांग एकत्र करना।
- एमएनआरई दिशानिर्देशवी के अनुसार प्रक्रिया का संचालन करें।
- एमएनएफ सीएफए का विभाजन और उपयोग प्रमाणपत्र और व्यय का लेखा परीक्षित विवरण देना।
- रिकॉर्ड्स के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन रखरखाव।
- योजना का प्रचार करना। जागरूकता बढ़ाना।
Source कुसुम योजना के बारे में जानकारी लेख के अंदर हमने आपको कुसुम योजना के बारे मे सबकुछ बताने का प्रयास किया है। यदि आप अपने राज्य के सौलर पैनल के लगाने के तरीके के बारे मे जानना चाहते हैं तो गुगल पर सर्च करें कुसम योजना इन राजस्थान या जो आपका राज्य है। हर राज्य का पैटर्न थोड़ा अलग हो सकता
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This post was last modified on December 20, 2019