What is the name of  president opposite gender in hindi ?

president opposite gender in hindi की बात करें तो आपको बता दें कि राष्ट्रपति का कोई विपरीत लिंग नहीं होता है। यह स्त्री और पुरुष दोनों के लिए एक ही नाम है। उदाहरण के लिए, यदि कोई महिला प्रधान मंत्री है, तो उसे राष्ट्रपति के रूप में भी जाना जाता है। इसी प्रकार यदि कोई व्यक्ति प्रधानमंत्री है तो उसे राष्ट्रपति भी कहा जाता है।

president opposite gender in hindi या president opposite gender in hindi

राष्ट्रपति लिंगराष्ट्रपति विपरीत दिशा में
अध्यक्ष (पुरुष)अध्यक्ष (महिला)
अध्यक्षअध्यक्ष

राष्ट्रपति लोकतंत्र का एक शब्द मात्र है. आपको इसके बारे में पता होना चाहिए. जिन देशों में लोकतंत्र जैसी लचर व्यवस्था है, वहां प्रधानमंत्री होते हैं। लेकिन जहां लोकतंत्र जैसी घटिया व्यवस्था नहीं होती, वहां तो राजा ही होता है. और कोई प्रधानमंत्री नहीं है. देखिए, हर सिस्टम के अपने फायदे और नुकसान होते हैं। लेकिन लोकतंत्र के कुछ और नुकसान भी हैं. क्योंकि लोकतंत्र देश की सुरक्षा के लिए बहुत बड़ा ख़तरा है। एक तरह से लोकतंत्र उस रोटी की तरह है, जिसे चाटने के लिए कई दीमक लगे होते हैं। और छुप-छुप कर रोटी खाते रहते हैं. आप जानते हैं कि लोकतंत्र में आम जनता पर इतने अत्याचार होते हैं कि पूछो मत. अगर आप एक लोकतांत्रिक देश के अंदर रहेंगे तो आप खुद ही परेशान रहेंगे.

इस दुनिया में ऐसे कई देश हैं, जो आज भी लोकतंत्र में विश्वास रखते हैं। हालांकि इसका असर देश पर दिख रहा है. हम सिर्फ अमेरिका ही ले सकते हैं. धीरे-धीरे अमेरिका के अंदर बाहर से आने वाले लोगों की ताकत बढ़ती जा रही है और अमेरिका के मूल लोगों की ताकत काफी कम होती जा रही है। इसका वहां के मूल निवासियों पर बहुत बुरा असर पड़ रहा है. ये हाल सिर्फ अमेरिका का नहीं है. बल्कि ऐसा हर लोकतांत्रिक देश में हुआ है. वहां के मूल निवासी उम्मीद कर रहे हैं. वहीं बाहर से आने वाले लोगों को लुभाने के लिए वादे किये जा रहे हैं. और बेवजह आम जनता के टैक्स का पैसा दूसरे देशों से आने वाले लोगों पर खर्च किया जा रहा है. ये आप समझ सकते हैं.

आपको दूसरे देश के अंदर जाने की जरूरत नहीं है. आप भी देख रहे हैं भारत के अंदर. सरकार कोई कानून बनाती है तो कोर्ट उस पर कुंडली मारकर बैठ जाती है. और देश के अंदर करोड़ों लोगों के केस पेंडिंग हैं इसलिए कोर्ट उन पर विचार नहीं करता. तो लोकतंत्र के अंदर यही होता है. सरकारी तंत्र भ्रष्ट हो गया है. तो आम जनता को क्या उम्मीद करनी चाहिए? यहां देश के प्रधानमंत्री को धमकी दी जाती है तो कुछ नहीं होता. वहीं, किसी के सेना को बुरा-भला कहने से कुछ नहीं होता. लेकिन वहां आप चीन देख सकते हैं. अगर कोई वहां की सेना के बारे में कुछ भी बुरा कहता है तो वह अगले दिन घरों से गायब पाया जाता है। तो ऐसा राजशाही शासन के कारण होता है.

जिस तरह से भारत के अंदर दंगे हो रहे हैं. उन्हें देखकर ऐसा लग रहा है कि जल्द ही भारत की स्थिति बेहद खराब होने वाली है. और आने वाले दिनों में भारत अगला सीरिया हो सकता है. इसके बारे में कोई संदेह नहीं है। लोकतंत्र में आप बहुत सारी बंदिशों में रहते हैं. और सरकार वोट की भूखी है. और वैसे भी आजकल की सरकारों के बारे में तो आप भली-भांति जानते हैं।

और जहां तक ​​प्रधानमंत्री की बात है तो अकेले प्रधानमंत्री कुछ नहीं कर सकते. आपको इसके बारे में पता होना चाहिए. अगर संसद के अंदर कोई कानून बनाना है तो बाकी सदस्यों की सहमति बहुत जरूरी होगी. बिना सहमति के कुछ नहीं हो सकता. आपको इसके बारे में पता होना चाहिए.

इस तरह देखा जाए तो कहने को तो प्रधानमंत्री के पास बहुत ताकत होती है, लेकिन असल में प्रधानमंत्री के पास कोई ताकत नहीं होती. क्योंकि असली ताकत प्रधानमंत्री के समर्थन में है. अकेले प्रधानमंत्री कुछ नहीं कर सकते. फ़्रांस में दंगे हुए. तो इसकी वजह वहां आने वाले अवैध घुसपैठिये थे. और ऐसा तभी हुआ जब वहां लोकतंत्र मौजूद हो. अगर वहां लोकतंत्र नहीं है तो दंगे तो बहुत दूर की बात है. सबकी हालत चीन जैसी है. अगर चीन की बात करें तो वहां कम से कम आम लोग तो सुरक्षित हैं. भविष्य में उन्हें किसी दंगे का सामना नहीं करना पड़ेगा.

वह सब कुछ नहीं हैं। चीन के बारे में चीन आने वाली सभी समस्याओं को पहले ही खत्म कर रहा है। आपको इसके बारे में पता होना चाहिए. लेकिन भारत के अंदर हालात बहुत खराब हैं. भले ही हम कहें कि हम चीन से मुकाबला कर सकते हैं. लेकिन ऐसा नहीं हो सकता. चीन के अंदर बहुत ताकत है. यहां अगर कोई सेनी शहीद हो जाता है तो विरोधी पक्ष के लोग चिल्लाने लगते हैं. और देश के अंदर दंगा हो रहा है. और भारत कभी भी चीन से लम्बी लड़ाई नहीं लड़ सकता.

चीन एक समय भारत से पीछे था. लेकिन चीन इस वक्त कहां है? और हम कहाँ हैं? यह सब वहां लोकतंत्र के विनाश के कारण ही संभव हुआ है। ऐसा नहीं है कि दुनिया में लोकतंत्र धीरे-धीरे ख़त्म नहीं होगा. धीरे-धीरे लोकतंत्र ख़त्म हो जायेगा.

और एक बार भारत जैसे देश के अंदर लोकतंत्र खत्म हो जाएगा. तो उसके बाद धीरे-धीरे जनता अपराधों से मुक्त हो जाएगी। ये आप समझ सकते हैं. और यही आपके लिए सही होगा.

दरअसल यह संविधान अंग्रेजों द्वारा दिया गया था. भारत का कोई वास्तविक संविधान नहीं है. यह सिर्फ उधार लिया हुआ है.

This post was last modified on January 19, 2024

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