इस लेख मे हम जानेंगे कि प्रिंटर कितने प्रकार के होते हैं printer kitne prakar ke hote hai? और उनकी कार्यप्रणाली क्या है?
प्रिंटर के बारे मे हम सभी जानते ही हैं। और आपको पता ही होगा कि प्रिंटर का उपयोग किसी भी चीज पर प्रिंट निकालने के लिए ही किया जाता है। आज बहुत ही प्रकार के प्रिंटर उपलब्ध हैं।पहला कंप्यूटर प्रिंटर 19 वीं शताब्दी में चार्ल्स बैबेज द्वारा यंत्रवत संचालित यंत्र था।मैकेनिकल प्रिंटर सन 2000 ई तक नहीं बना था।पहला इलेक्ट्रॉनिक प्रिंटर EP-101 था, जिसे जापानी कंपनी एप्सन द्वारा आविष्कार किया गया था और 1968 में जारी किया गया था।
पहले आने वाले वाणिज्यिक प्रिंटर के अंदर इलेक्ट्रिक टाइपराइटर और टेलेटाइप की तरह की मशीनों का प्रयोग किया जाता था।1980 के दशक मे डेज़ी व्हील सिस्टम थे जो काफी अधिक गति से आउटपुट का उत्पादन करते थे।
1984 मे HP LaserJet जैसे कम लागत वाले प्रिंटर की शुरूआत हुई थी।2010 के आसपास शुरू हुआ, 3 डी प्रिंटिंग एक गहन रुचि का क्षेत्र बन गया, जिससे ब्रोशर का उत्पादन करने के लिए प्रारंभिक लेजर प्रिंटर के समान भौतिक वस्तुओं के निर्माण की अनुमति मिलती है
आपको बतादें कि प्रिंटर एक आउटपुट डिवाइस होता है जो soft copy को hard copy मे बदलता है। आमतौर पर अब प्रिंटर का चलन कम होने लगा है। इसकी बड़ी वजह यह है कि मार्केट के अंदर पहले प्रिंटर का सबसे अधिक उपयोग किताबें प्रकाश मे किया जाता था। लेकिन समय बदल रहा है । अब लोग प्रिंटेड बुक पढ़ने की बजाय ई बुक पढ़ना अधिक पसंद करते हैं।
आपको बतादें कि प्रिंटर को विभिन्न आधारों पर अलग अलग प्रकारों के अंदर बांटा जा सकता है। जैसे कि यदि आप प्रिटिंग टेक्नॉलाजी के आधार पर प्रिंटर के प्रकार करेंगे तो अलग होगें और यदि आप उपयोग के आधार पर प्रिंटर का विभाजन करेंगे तो अलग प्रकार के होंगे तो आइए जान लेते हैं प्रिंटर के विभिन्न प्रकारों के बारे में ।
- Personal printers
Personal printers के अंदर वे प्रिंटर आते हैं जो एक या केवल कुछ व्यक्ति यूज करते हैं। एक समय मे केवल एक ही व्यक्ति इनको यूज कर सकता है।आमतौर पर यह घर के लिए ही होते हैं।इनकी गति धीमी होती है। 6 से लेकर 25 पृष्ठों प्रति मिनट तक प्रिंट कर सकते हैं।कुछ प्रिंटर मेमोरी कार्ड या डिजिटल कैमरा और स्कैनर से संग्रहित दस्तावेजों को प्रिंट कर सकते हैं।
- Virtual printer
वर्चुल प्रिंटर का मतलब यह है कि यह कोई भौतिक प्रिंटर नहीं होता है।वरन कम्प्यूटर के अंदर मौजूद एक प्रकार का प्रोगाम होता है। जब हम कोई फाइल प्रिंट करते हैं तो सबसे पहले उसे वर्चुली रूप से सेव करते हैं।
- Barcode printer
बारकोड प्रिंटर बारकोड लेबल या टैग को प्रिंट करने के लिए उपयोग केये जाते हैं।आतौर पर यह प्रिंटर भौतिक वस्तुओं पर लेबल करने के लिए उपयोग किये जाते हैं। बारकोड प्रिंटर के अंदर अलग अलग मुद्रण तकनीकों का प्रयोग किया जाता है।थर्मल प्रिंटर गर्मी उत्पन्न करने के लिए एक प्रिंटहेड का उपयोग करते हैं जो विशेष रूप से डिज़ाइन किए गए पेपर में रासायनिक प्रतिक्रिया का कारण बनता है जो कागज को काला कर देता है
थर्मल ट्रांसफर प्रिंटर भी हीट का प्रयोग करता है। लेकिन इसके अंदर एक राल पदार्थ होता है जो हीट की वजह से पीघल जाता है और वस्तु पर चिपक जाता है।बारकोड प्रिंटर का उपयोग कई गोदामों के अंदर किया जाता है। जो तेजी से प्रिंट करने मे सक्षम होते हैं।
- 3D printing
वैसे हर ईमेज जो आप देखते हैं वह 2D ही होती है। लेकिन 3D प्रिंटिंग के अंदर आप इमेज के तीन आयाम को देख सकते हैं। मतलब आप इसके अंदर ईमेज की उंचाई लंबाई और गहराई भी देख सकते हैं।इसमे आमतौर पर आमतौर पर परत द्वारा सामग्री परत को क्रमिक रूप से जोड़कर, इसलिए इसे पारंपरिक मशीनिंग, कास्टिंग और फोर्जिंग के विपरीत एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग भी कहा जाता है।
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प्रिंटर के प्रकार type of printer accourding to printing method
प्रिंटर मैथड के आधार पर प्रिंटर दो प्रकार के होते हैं। जिसमे नॉन-इम्पैक्ट प्रिंटिंग (Non-Impact Printing) और दूसरा होता है।इम्पैक्ट प्रिंटिंग (Impact Printing) नीचे हम इन्हीं के बारे मे विस्तार से चर्चा करने वाले हैं।
प्रिंटर के प्रकार Non-Impact Printing
प्रिंटर कागज के उपर किस प्रकार से प्रिंट करता है। यह वर्गीकरण उसी के अनुसार किया गया है।आमतौर पर एक इंजेक्ट प्रिंटर के अंदर एक स्याही का रिबन होता है और वह कागज के उपर टच होता है।उसके बाद ही कागज पर छपाई होती है। Impact printers की सबसे बड़ी खास बात यह होती है कि यह पेपर के साथ फिजिकल रूप से कॉन्टेक्ट करता है। Non-Impact Printing के अंदर वे प्रिंटर आते हैं जो कागज के साथ फिजि कली रूप से कनेक्ट नहीं करते हैं। इनके अंदर एक toner होता है। जिसको आसानी से रिसाइकिल भी किया जा सकता है।
गैर-प्रभाव प्रिंटर के प्रकार में लेजर प्रिंटर शामिल है, जो डॉट्स के साथ चित्र बनाता है। लेजर प्रिंटर सबसे लोकप्रिय प्रकारों में से एक है। यह 300 डीपीआई से 1200 डीपीआई तक का रिज़ॉल्यूशन भी प्रदान करते हैं। वे न केवल तेज हैं, बल्कि शांत भी हैं।
इसके अनेक उप विधियां हैं।
- Laser Printer
- Photo Printer
- Portable Printer
- Multi functional Printer
- Thermal Printer.
- Inkjet Printer
Laser printer
लेजर प्रिंटर का आविष्कार 1970 के दशक में ज़ेरॉक्स PARC में किया गया था, आईबीएम , कैनन , ज़ेरॉक्स, ऐप्पल , हेवलेट-पैकर्ड जैसे लोगों ने बाद मे लेजर प्रिंटर पेस किया था। हालांकि लेजर प्रिंटर के आ जाने की वजह से प्रिंटिंग गति के अंदर बहुत अधिक बढ़ोतरी हुई।
लेजर प्रिंटर एक पर्सनल कम्प्यूटर का लोक प्रिय प्रकार है। इसके अंदर जब कागज को प्रिंट के लिए भेजा जाता है तो लेजर बीम विधुत का उपयोग करते हुए सेलेनियम-लेपित ड्रम पर दस्तावेज को ड्रा करता है।
और जब ड्रम चार्ज हो जाता है तो रोलर घूमता है और कागज पर लिखा जाता है। टोनर ईमेज को इसमे हीट और प्रेसर के माध्यम से कागज के उपर ट्रांसफर कर देता है।और यदि कलर लेजर प्रिंटर की बात करे तो यह आम ब्लैक प्रिंटर से काफी महंगा होता है।
एक लेजर प्रिंटर इंजेक्ट प्रिंटर की तुलना मे कई प्रकार से अलग होता है। एक लेजर प्रिंटर मे स्याही सूखी होती है। लेकिन इंजेक्ट प्रिंटर के अंदर यह गीली होती है।
यदि आप अधिक छपाई करना चाहते हैं तो आपके लिए लेजर प्रिंटर सबसे बेस्ट है। लेकिन यदि आपको कम छपाई की आवश्यकता है तो आपके लिए इंजेक्ट प्रिंटर उपयोगी रहता है।
जब आप कुछ प्रिंट करते हैं तो आपका कम्प्यूटर आपके प्रिंटर को कुछ डेटा सेंड करता है।प्रिंटर के अंदर एक इलेक्ट्रॉनिक सर्किट यह बताता है कि इस भेजे गए डेटा का मतलब क्या होता है? उसके बाद एक लैजर बीम को स्कैन किया जाता है जो बिजली का एक प्रेटर्न बनाता है।electricity की वजह से पेज के उपर स्याही छप जाती है।और उसके बाद एक फ्यूज़र इकाई टोनर को कागज में बांध देती है।
Photo Printer
जैसा कि नाम से ही स्पष्ट हो जाता है। फोटो प्रिंटर का यूज फोटो को प्रिंट करने के लिए ही प्रयोग किया जाता है। फोटो को प्रिंट करने के लिए इनको विशेष रूप से डिजाइन किया जाता है। इस तरह के प्रिंटर का उपयोग फोटोग्राफी करने वाले करते हैं। क्योंकि इनके अंदर फोटो की क्वालिटी बहुत अधिक अच्छी आती है। इप प्रिंटर की खास बात यह होती है कि यह फोटो को अधिक विश्वसनिए बनाने का काम करते हैं ताकि वह अधिक जीवंत दिख सके ।आज आपको मार्केट के अंदर Epson, Canon और HP जैसी बड़ी कम्पनियों के फोटो प्रिंटर उपलब्ध हैं।
Portable Printer
Portable Printer का मतलब है एक ऐसा प्रिंटर जो आसानी से कहीं पर ले जाया जा सके । आप इसका इस्तेमाल अपने सफर के दौरान कर सकते हैं। इसकी सबसे बड़ी खास बात तो यह होती है कि यह छोटा होता है। आप इसका उपयोग मोबाइल या लैपटॉप से जोड़कर भी कर सकते हैं। अमेजन पर आपको कई प्रकार के Portable Printer मिल जाएंगे । इसके अंदर कुछ इस तरह के फैचर आते हैं।
- USB और मोबाइल से सीधे प्रिंट
- पोर्टेबल
- वायरलेस और वाईफाई प्रत्यक्ष
- लाइटवेट
- एसी सॉकेट या यूएसबी / कार एडाप्टर से चार्जिंग विकल्प
- रिचार्जेबल
- मोबाइल प्रिंटर
- Apple AirPrint और Google क्लाउड प्रिंट
- नेटवर्क / राउटर से कनेक्ट किए बिना अपने लैपटॉप, स्मार्टफोन या टैबलेट से कनेक्ट करें
Multi functional Printer
Multi functional को All in one Printer के नाम से जाना जाता है। जिसका मतलब यह है कि आप एक ही मशीन की मदद से कई कार्य एक साथ कर सकते हैं। आप एक ही प्रिंटर की मदद से FAx,copy,scan कर सकते हैं।वैसे यह एक आम प्रिंटर की तुलना मे काफी महंगे आते हैं।
Multi functional Printer घर मे उपयोग के लिए उपयुक्त नहीं होते हैं। इनको अधिकतर वे ही लोग खरीदते हैं जो बिजनेस करते हैं। इसका फायदा यह होता है कि उनको अलग अलग उपकरण खरीदने की आवश्यकता नहीं होती है।
- यह प्रिंटर कलर और ब्लैक दोनों ही प्रकारों के अंदर उपलब्ध हैं।
- यह इंकजेट या लेजर तकनीक का उपयोग करते हुए पेपर को प्रिंट कर सकते हैं।
- इनमे आप इमेज की क्वालिटी को सलेक्ट कर सकते हैं।
- इसकी कोस्ट कम पड़ती है।
Multi functional Printer को कई प्रकार से डिवाइड किया जा सकता है,मुख्य रूप से उनकी स्पीड और डयूटी साइकिल के आधार पर।इन प्रिंटर के अंदर कई प्रकार के फंक्सन आते हैं। और अलग अलग प्रिंटर के अंदर अलग अलग फंक्सन आते हैं। जैसे कुछ प्रिंटर के अंदर आपको स्कैनर मिलेगा तो कुछ के अंदर यह नहीं मिलेगा । निर्भर करता है कि आप किस प्रकार का खरीदना चाहते हो । आपको इनकी प्राइस के अंदर भी काफी अंतर देखने को मिलेगा ।सन 2013 के बाद तो अधिक तर प्रिंटर multifunction printers ही आने लगे थे ।
अब यह small business, enterprise and commercial use के लिए आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं। अधिकतर MFP laser-printer technology का यूज करते हैं।
- Raw, LPR, IPP, FTP printing भी इसके अंदर उपलब्ध है।
- USB भी इसमे लगा सकते हैं।
- Printer drivers भी आपको अलग अलग operating systems के लिए मिल जाएगा ।
- internal storage के अंदर मौजूद इमेज को भी प्रिंट कर सकते हैं।
- Copy features भी इसके अंदर मौजूद होता है।
- CD/DVD Label Printing भी आप इसकी मदद से कर सकते हैं।
- Resolution DPI इसके अंदर आपको सलेक्ट करने का मौका मिल जाता है।
- PDF, TIFF, JPEG, XPS, जैसे सभी फार्मेट इसके अंदर उपलब्ध हैं।
- Document editing modes के अंदर आप डाक्यूमेंट के अंदर बदलाव कर सकते हैं।
Thermal Printer
थर्मल प्रिंटर मे ईमेज को प्रिंट करने के लिए हीट का प्रयोग किया जाता है।गुणवत्ता और गति की वजह से यह काफी लोकप्रिय प्रिंटर बन चुका है।इस तरह के प्रिंटर का उपयोग एयरलाइन, बैंकिंग, मनोरंजन, खुदरा, किराना और स्वास्थ्य सेवा उद्योगों में किया जाता है। थर्मल प्रिंटर प्रिंट करने के लिए टोनर का उपयोग नहीं करता है। लेकिन इसकी प्रिंटिंग स्पीड की वजह से इसका प्रयोग लेबल बनाने मे सबसे अधिक किया जाता है।
- यह प्रिंटर अन्य प्रिंटर की तुलना मे अधिक टिकाउ हैं।
- मुद्रण के अन्य रूपों की तुलना में यह अधिक कुशल और तेज होते हैं।
- इनको उपयोग करना बहुत ही आसान होता है।
- थर्मल प्रिंटर का उपयोग करके निवेश को बचा सकते हैं।
- यह किसी भी प्रकार का शौर नहीं करता है।
इन प्रिंटर की कुछ समस्याएं भी हैं यह रंगों को अच्छी तरीके से प्रिंट नहीं कर सकते हैं।इसके अलावा यदि प्रिंट करते समय वे अधिक गर्म हो जाते हैं तो छपाई सही से नहीं होती है और स्याही का अधिक उपयोग होता है।
उच्च ताप की वजह से प्रिंथेड को नुकसान हो सकता है। जिसकी वजह से इसकी बार बार मरम्मत करवाने की आवश्यकता पड़ती है।
Inkjet Printer
Inkjet Printer को भी Inkjet Printer के अंदर रखा जाता है।इस प्रिंटर के अंदर नोजल का उपयोग किया जाता है। इस नोजल की मदद से कागज के उपर स्याही की बौछार होती है और उसके बाद प्रिंटिंग पूर्ण होती है।
इस प्रिंटर के अंदर चार प्रकार के नोजल का प्रयोग होता है। जिसमे नीला ,काला ,लाल पीला ।इन चार रंगों की मदद से किसी भी प्रकार का रंग पैदा किया जा सकता है। क्योंकि हर प्रकार के रंग इन चार रंगों से पैदा होते हैं।
इस प्रिंटर के अंदर डॉट्स होते हैं। जो व्यास में 50 और 60 माइक्रोन के बीच होते हैं। यह मानव के बाल के समान होते हैं। इन डॉटस की मदद से 1440×720 डॉट्स प्रति इंच रिज़ॉल्यूशन मे प्रिंट किया जा सकता है।
अधिकतर इंजेक्ट प्रिंटर थर्मल तकनीक का प्रयेाग करते हैं।यह स्याही को गर्म करने के लिए हीट का प्रयोग करते हैं।सबसे पहले स्याही को गर्म करके बुलबुला बनाया जाता है।उसके बाद फोर्स की मदद से इसको पेपर पर छापा जाता है।
आमतौर पर इस प्रिंटर की सबसे बड़ी समस्या है इंक क्लौगिंग है।मतलब कि यदि कुछ समय तक प्रिंटर का प्रयोग नहीं किया जाता है तो छेद के आगे स्याही जम जाती है। इसके अलावा कई बार अधिक समय बीत जाने की वजह से स्याही सूख जाती है।
प्रिंटर के मूल रिज़ॉल्यूशन के अनुरूप नोजल घनत्व, 300 और 600 डीपीआई के बीच होता है, जबकि 1200 डीपीआई के बढ़ाया जा सकता है। इसमे प्रयोग होने वाली थर्मल तकनीक की एक सीमा यह है कि इसमे जो स्याही यूज होती है। वह गर्मी के प्रतिरोधी होनी चाहिए । क्योंकि फायरिंग प्रक्रिया गर्मी आधारित है। तापीय प्रिंटर में ऊष्मा का उपयोग करने के साथ-साथ एक शीतलन की भी आवश्यकता होती है।
प्रिंटर के प्रकार Impact Printing
यह एक ऐसा प्रिंटर है जोकि स्याही रिबन के साथ सीधा कागज के संपर्क मे आता है।एक plastic head इंक रिबन पर स्ट्राइक करता है।और ribbon को कागज के साथ दबाया जाता है। जिसकी वजह से पेपर पर प्रिंट होता है। डॉट मैट्रिक्स, डेज़ी-व्हील और बॉल प्रिंटर इम्पेक्ट प्रिंटिंग के कुछ सामान्य प्रकार हैं।
सबसे बड़ी बात यह है कि यह प्रिंटर भौतिक रूप से कागज को स्पर्श करते हैं।एक डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर पर पिंस की एक ग्रिड, जिसके संयोजन अक्षर बनाते हैं, धातु या प्लास्टिक स्ट्राइकर के अंत में मौजूद है।यदि आपने एक टाइप राइटर देखा होगा उसके जैसे ही यह प्रिंटर भौतिक रूप से कागज को स्पर्श करता है। हालांकि यह उससे अलग होता है।
इस प्रकार के प्रिंटर की सबसे बड़ी कमी यह है कि यह बहुत अधिक शौर करते हैं। जिसकी वजह से अब इनका उपयोग होना कम हो गया है। अब अधिकतर लेजर आधारित प्रिंटर और हीट सिस्टम आधारित प्रिंटर का ही प्रयोग किया जाने लगा है।
यह प्रिंटर निन्न लिखित प्रकार के होते हैं।
- Dot Matrix Printer
- Daisy Wheel Printer
- line Printer
- Chain Printer
- Drum Printer
Drum Printer
इस प्रिंटर के अंदर एक बेलनाकार ड्रम होता है।इसके उपर अक्षर लिखे होते हैं। और उसके बाद एक रिबन लगा होता है। कागज को रिबन के बाद लगाया जाता है। इसमे एक हेमर होता है। जब हेमर को दबाया जाता है तो कागज पर अक्षर प्रिंट हो जाता है। हालांकि इसमे ड्रम बहुत तेज गति से घूमता है और हेमर की काम करने की गति काफी तेज होती है।
ड्रम पर प्रिंट पदों की संख्या पृष्ठ पर उपलब्ध संख्या के बराबर होती है। यह संख्या आम तौर पर 80-132 होती है।ड्रम प्रिंटर की विशिष्ट गति प्रति मिनट 300 से 2000 लाइनों के आस पास होती है।
ड्रम प्रिंटर का उपयोग घरों के अंदर नहीं किया जाता है। इस तरह के प्रिंटर का सबसे अधिक उपयोग उधोगो मे किया जाता है। हालांकि समय के साथ इनका उपयोग कम होता जा रहा है।
Dot Matrix Printer
डॉट मैट्रिक्स प्रिंटिंग को impact matrix printing के नाम से भी जाना जाता है।इम्पैक्ट डॉट मैट्रिक्स प्रिंटिंग मे एक प्रिंट हेड का उपयोग होता है जोकि उपर नीचे दायें बाएं प्रिंट कर सकता है। इसमे भी टाइपराइटर की तरह ही होता है। लेकिन इसमे अक्षर एक डॉट मैट्रिक्स से बने होते हैं, और इस प्रकार, विभिन्न फोंट और मनमाना ग्राफिक्स का उत्पादन किया जा सकता है।
इसमे प्रिंट करने के लिए यांत्रिक दबाव का प्रयोग किया जाता है। जिसकी वजह से प्रिंटर मल्टी-पार्ट पर प्रिंट करना काफी आसान हो जाता है। इस प्रिंटर के अंदर प्रत्येक dot को एक छोटी धातु की छड़ के द्वारा बनाया जाता है।इनको इलेक्ट्रोमैग्नेट के द्वारा आगे बढ़ाया जाता है।प्रिंटर के जिस हिस्से में पिन होता है उसे प्रिंट हेड कहा जाता है। प्रिंटर चलाते समय, यह आम तौर पर एक समय में टेक्स्ट की एक लाइन प्रिंट करता है।
एक आम serial dot matrix printers एक कॉमन रूप क्षेतिज चलने वाले प्रिंटेड हेड का उपयोग करते हैं।प्रिंट करने की speed को बढ़ाने के लिए पिन को चार लंबवत या क्षैतिज रूप से थोड़ा विस्थापित व्यवस्थित किया जाता है।
एक दूसरे configuration जैसे line dot matrix printers के अंदर एक फिक्स प्रिंट हेड का उपयोग किया जाता है।और पेपर को प्रिंट करने के लिए हजारों पिन का उपयोग किया जाता है। कभी-कभी दो क्षैतिज रूप से विस्थापित पंक्तियों को इंटरलेविंग के माध्यम से प्रभावी डॉट घनत्व में सुधार करने के लिए उपयोग किया जाता है।
Daisy Wheel Printer
यह एक प्रकार का impact printer है। जिसका आविष्कार 1969 में डेविड एस ली ने डियाब्लो डेटा सिस्टम्स में किया था।इसमे एक प्लास्टिक डिस्क या धातु से बनी डिस्क का उपयोग किया जाता है।
इसमे अक्षर, संख्या और अन्य वर्ण होते हैं । प्रिंटर इस डिस्क को घूमाता है और फिर एक हथौड़ा स्ट्राइक का उपयोग करके एक स्याही रिबन में प्रत्येक अक्षर को कागज पर बनाता है। 1970 और 1980 के दशक में यह प्रिंटर बहुत अधिक लोक प्रिय थे । लेकिन अब इनका समय खत्म हो चुका है। यह बहुत धीमी गति से काम करते हैं।
line Printer
यह प्रिंटर form paper का निरंतर युज करते हैं।यह पूरे पेज पर प्रिंट करते हैं और पेज पर आगे पीछे चलते हैं। मुख्य रूप से दो प्रकार के लाइन प्रिंटर मौजूद हैं। जिनमे से प्रिंटर चेन प्रिंटर और ड्रम प्रिंटर ।लाइन प्रिंटर में उपयोग की जाने वाली मूल मुद्रण तकनीक 1930 के दशक की है, फिर भी वे उच्च गति मुद्रण के लिए अनुकूल हैं।
अन्य प्रिंटर की तुलना मे वे लागत के अंदर कम हैं और अधिक टिकाउ भी हैं ।वह वातावरण के लिए उपयोगी होने के साथ ही साथ कम खर्चिले होने की वजह से काफी टिकाउ भी हैं।
हालांकि लाइन प्रिंटर के अनेक नुकसान भी हैं। इन नुकसान के अंदर यह सबसे अधिक शौर करते हैं।गुणवत्ता की बात करें तो यह बहुत कम है । और यह प्रिंटर ग्राफिक्स प्रिंट नहीं कर सकते हैं। और अब तो इनका सामान मिलना ही कम हो गया है क्योंकि डिमांड नहीं है।
Chain Printer
यह एक प्रकार का लाइन प्रिंटर है जो प्रिंट करने के लिए एक प्रकार के स्लग का प्रयोग करता है।इसके अंदर चैन के उपर अक्षर की खुदाई होती है और उसके बाद इसमे एक रिबन लगा होता है। हेमर और रिबन के बीच मे कागज को लगाया जाता है।
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