यह प्रश्न आपके मन मे भी उठ सकता है कि पृथ्वीराज चौहान की तलवार कितने किलो की थी या पृथ्वीराज चौहान की तलवार का वजन कितना था।इस लेख मे इस पर हम बात करेंगे । पृथ्वीराज चौहान का नाम तो आप बहुत ही अच्छी तरीके से जानते हैं।इनका जन्म जन्म- 1149 को व मृत्यु- 1192 ई को हुई थी।यह चौहान राजवंश का एक प्रसिद्व राजा था। पृथ्वीराज चौहान ने अपनी राजधानी को दिल्ली बनाया था। पृथ्वीराज चौहान को भारतीय इतिहास मे काफी अधिक महत्व दिया जाता है।वे एक हिंदु शासक थे और महज 11 वर्ष की उम्र मे राज गददी के उपर बैठ गए थे ।चौहान को पिथोरा नाम से भी जाना जाता है।
पृथ्वीराज चौहान के बारे मे हम किसी दूसरे लेख के अंदर विस्तार से बताएंगे । यहां पर हम बात करने वाले हैं पृथ्वीराज चौहान की तलवार के बारे मे कि किस तरह की वह तलवार थी ।
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पृथ्वीराज चौहान की तलवार का वजन कितना है
दोस्तों प्राचीन वीरों की तलवार भी काफी अदभुत होती थी। महाराणा प्रताप के बारे मे तो यह कहा जाता है कि उनकी तलवार का वजन 80 किलो था और इतनी भारी तलवार हर किसी के बस मे उठाना ही नहीं होगा । हम जैसे लोग तो उस तलवार के वजन के नीचे दब सकते हैं। उससे दुश्मन को मारना तो बहुत ही दूर की बात होगी ।
पृथ्वीराज चौहान की तलवार का वजन 60 किलोग्राम था। मुझे नहीं लगता है कि आज कोई इंसान उस तलवार को सही ढंग से उठा भी सकता होगा । क्योंकि हम लोग 60 किलो की बोरी को भी दो व्यक्तियों की मदद से उठा पाते हैं तो तलवार का उठाना तो हमारे बस की बात ही नहीं होगा ।
38 इंच लंबी है पृथ्वीराज चौहान की तलवार
प्रथ्वी राज चौहान की तलवार के बारे मे यह बताया जाता है कि यह 38 इंच लंबी है । मतलब की यह 3 फुट से भी अधिक लंबी है। और यदि हम अपनी लंबाई की बात करें तो यह हमारे कंधे तक तो आ ही जाती है।इतनी बड़ी तलवार को एक हाथ से थामना वाकाई मे कठिन काम होता है।कम से कम आज के समय मे तो हम लोगों के पास इस तलवार को थामने की क्षमता भी नहीं है।
827 साल पुरानी तलवार
दोस्तों यदि हम प्रथ्वी राज चौहान की मौत का समय देखें तो यह 1192 ई था।और अब 2020 चल रहा है। वैसे देखा जाए तो अब यह तलवार लगभग 827 साल पुरानी तलवार है। और अगले 1000 सालों के बाद यदि कोई इस तलवार को देखेगा तो उसे यकीन ही नहीं होगा कि कोई ऐसा इंसान भी था जो इतनी भारी तलवार को उठाने की क्षमता भी रखता था। क्योंकि समय के साथ साथ मनुष्य की क्षमताओं मे कमी आ रही है। वह दिमागी रूप से अच्छा होता जा रहा है लेकिन बल मे उसके अंदर कमी आई है।
सोने की मूठ वाली है पृथ्वीराज चौहान की तलवार
दोस्तों इस तलवार के उपर सोने की मूठ चढ़ी हुई है। और यह देखने मे काफी आकर्षक भी लगती है। और यह मूठ चार इंच की है। मतलब कि जितनी हम अपने घर के आगे सिसी रोड बिछाते हैं। फलक पर सरकार श्री पृथ्वीराज बहादुर संवत 1282 उकेरा है।
200 किलो से अधिक वजन के साथ चलता था पृथ्वीराज चौहान
पृथ्वीराज चौहान की तलवार का वजन वजन हमने 60 किलो बताया था लेकिन एक जानकारी के अनुसार चौहान के कवच और ढाल और भाला व तलवार इन सभी को मिला दिया जाए तो इनका कुल वजन लगभग 200 किलो से अधिक हो जाता है। मतलब जब भी चौहान युद्व के अंदर होते थे तो उनके पास लगभग 200 किलो तक वजन होता था।
राव माधोसिंह ट्रस्ट म्यूजियम मे रखी है चौहान की तलवार
राव माधोसिंह ट्रस्ट संग्रहालय राजस्थान के कोटा शहर में स्थित है। और इसकी स्थापना 30 मार्च 1970 ई को की गई थी । राव माधोसिंह ट्रस्ट म्यूजियम के अंदर शास्त्र कक्ष मे यह तलवार रखी गई है। और यहां पर आने वाले सैलानी चौहान की इस तलवार को देखकर आश्चर्य करते हैं।
राजमहल का मुख्य प्रवेशद्वारा हथियापोल है।इसमे दोनो और कलात्मक हाथियों का चित्र लगा हुआ है जिसको भींमसिंह ने बूंदे से लाया था।इससे पहले कोटा राज परिवार की देवी व्रजनाथ जी का मंदिर भी आता है।मंदिर के प्रवेश द्वारा के निकट आता है एक खुला चौक । और यहीं पर संग्रालयह के अनेक कक्ष बने हुए हैं। जैसे शास्त्र कक्ष के अंदर आपको अनेक प्रकार के प्राचीन अशस्त्र शास्त्र मिल जाएंगे ।और वन्यजीव के अंदर शिकार किये गए कुछ वन्य जीवों के कंकाल बचे हैं। आप जाएं तो वहां पर इनको भी देख सकते हैं।
शस्त्र कक्ष
राजमहल के दाहिनी ओर अशस्त्र शास्त्र रखे गए हैं। यहां पर मध्यकाली अशस्त्र भी मौजूद हैं। इसके अलावा कोटा के महाराजाओं के शास्त्र भी रखे हुए हैं।इसके अंदर एक म्यान मे दो तलवार , ढालें ,कटालें ,तीर ,कमान ,भले ,नेज और फरसा,खंजर ,तिपस्तोल ,खुखरी ,खंजर ,पेशकब्ज ,सुनहरी मोरछल आदि बहुत प्रकार के अशस्त्र शास्त्र रखे हुए हैं।
वन्यजीव कक्ष
दोस्तों वन्य जीव कक्ष के अंदर कोटा के राज परिवार के द्वरा शिकार किये गए वन्य जीवों को यहां पर रखा गया है। हालांकि इनको एक विशेष तकनीक की मदद से सुरक्षित रखा गया है।इसके अंदर काले तितर ,भालू ,सिंह ,सांभर ,घड़ियाल , गौर मच्छली आदि मुख्य हैं।
राजमहल कक्ष
राज महल के अंदर यदि आप जाते हैं तो वहां पर आज भी राज गददी को वैसे ही रखा गया है।रियासत काल के अंदर यहां पर राजा और दूसरे दरबारी बैठा करते थे ।उच्च अधिकारी ,सामंत अपने निर्धारित स्थान के उपर बैठा करते थे ।यहां पर कांच की कारिगरी देखने लायक है।यह मुगलकालिन नमूना है।यदि राज महल की उपर मंजिल की बात करें तो यहां पर बहुत सारे चित्र उकेरे गए हैं।भीम महल काफी सुंदर और कलात्मक है।इसके अलावा तीसरी मंजिल के उपर महल का निर्माण कोटा के महाराव माधोसिंह ने बनाया था।इस महल के अंदर राजस्थान के अनेक शैलियों के चित्र बनाए गए हैं। यह महल पूरा चित्रों से उकेरा गया है।
चित्र कक्ष
इस कक्ष के अंदर अनेक प्रकार के चित्रों को चित्रकारों के द्वारा बनाया गया है।1857 की क्रांति के बारे मे यहां पर चित्रों के अंदर दिखाया गया है। इसके अलावा अश्व ,गज आदि के चित्रों को भी यहां पर उकेरा गया है।
पृथ्वीराज चौहान के जीवन पर रिसर्च
दोस्तों आपको बतादें कि यहां पर हर साल देखने के लिए लगभग 40 हजार से भी अधिक सैलानी आते हैं। जबकि एक टिकट लगभग 60 रूपये के आस पास का कटता है।पृथ्वीराज चौहान के बारे मे सरकार ने भी अब अधिक ध्यान दिया है । और एक न्यूज के अनुसार सरकार चौहान के जीवन के उपर रिसर्च करवा रही है।
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पृथ्वीराज चौहान की तलवार में कितना वजन था ? इस प्रश्न का उत्तर आपको इस लेख के अंदर मिल चुका है। यदि आपको कुछ पूछना है तो आप नीचे कमेंट कर पूछ सकते हैं।
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Pratviraj Chauhan ji ki height kit ni the