पुत्र का शब्द रूप putra shabd roop पुत्र शब्द अजन्त (अकारांत) पुल्लिंग संज्ञा शब्द है। सभी पुल्लिंग संज्ञाओ के रूप इसी प्रकार बनाते है जैसे- देव, बालक, राम, वृक्ष, गृह, मास, इन्द्र, कृष्ण इस प्रकार से आप दूसरे शब्द रूप भी बना सकते हैं।
पुत्र का शब्द रूप putra shabd roop
विभक्ति | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
प्रथमा | पुत्रः | पुत्रौ | पुत्राः |
द्वितीया | पुत्रम् | पुत्रौ | पुत्रान् |
तृतीया | पुत्रेण | पुत्राभ्याम् | पुत्रैः |
चतुर्थी | पुत्राय | पुत्राभ्याम् | पुत्रेभ्यः |
पंचमी | पुत्रात् / पुत्राद् | पुत्राभ्याम् | पुत्रेभ्यः |
षष्ठी | पुत्रस्य | पुत्रयोः | पुत्राणाम् |
सप्तमी | पुत्रे | पुत्रयोः | पुत्रेषु |
सम्बोधन | हे पुत्र! | हे पुत्रौ! | हे पुत्राः! |
हर परिवार अलग होता है, लेकिन कुछ सामान्य चीजें हैं जो माता-पिता अपने बच्चों को स्वयं की एक मजबूत भावना विकसित करने में मदद करने के लिए करते हैं। ऐसा करने का एक महत्वपूर्ण तरीका इस बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करना है कि बच्चा कौन है और उसे क्या अच्छा लगता है। इससे बच्चे को एक मजबूत पहचान विकसित करने में मदद मिलती है, जो बाद के जीवन में विशेष रूप से फायदेमंद हो सकती है।
अपने पुत्र के लिए सर्वोत्तम संभव जानकारी प्रदान करने के लिए, उसकी पसंद और रुचियों को ध्यान में रखना महत्वपूर्ण है। उदाहरण के लिए, यदि वह खेल से प्यार करता है, तो खेल टीमों और एथलीटों के बारे में बात करना सुनिश्चित करें। यदि वह इतिहास से प्यार करता है, तो प्रसिद्ध ऐतिहासिक शख्सियतों या घटनाओं पर चर्चा करें। एक बार जब आपको इस बात का अच्छा अंदाजा हो जाता है कि आपका बेटा क्या पसंद करता है, तो उसे अपने बारे में विस्तृत जानकारी देना आसान होगा।
अपने पुत्र के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करके आप उसे आत्म-पहचान की एक मजबूत भावना विकसित करने में मदद कर सकते हैं।
दोस्तों जब हम पुत्र की बात करते हैं तो पुत्र दो प्रकार के होते हैं एक होता है कुपुत्र और दूसरा होता है सुपुत्र । दोस्तों वैसे हर कोई अपने नाम के आगे सुपुत्र लगाना पसंद करता है लेकिन नाम के आगे सुपुत्र लगाने से वह सुपुत्र नहीं हो जाता है इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । इस संबंध मे हम आपको एक कहानी के बारे मे बता रहे हैं। तो आइए जानते हैं इस कहानी के बारे मे ।
प्राचीन काल की बात है । एक महिला थी उसके दो पुत्र थे एक का नाम राम और दूसरे का नाम रावण था। जैसा उनका नाम था वैसा ही उनका काम था। जब महिला और उसका पति कमाते थे तो दोनों पुत्रों को किसी प्रकार की कोई चिंता नहीं थी और दोनों काफी आराम से रहा करते थे ।
एक बार क्या हुआ की राम और रावण के पिता बीमार पड़ गए और बहुत दिन तक ठीक नहीं हो पाए । घर के अंदर कोई कमाने वाला नहीं था। ऐसी स्थिति के अंदर दोनो पुत्रों के उपर काम का बोझ आ गया तो उनकी मां ने कहा कि बेटा अब आप दोनों को कमाने के लिए जाना पड़ेगा तो दोनो बेटे तैयार हो गए ।
और घर से दूर नौकरी करने के लिए चल पड़े फिर क्या था। दोनों अलग अलग राज्य के अंदर गए । वहीं पर दोनों को ही साफ सफाई का काम मिला तो दोनों खुशी खुशी से तैयार हो गए । और उसके बाद राम काफी बुद्धिमान इंसान था। साफ सफाई करते करते एक दिन उसके हाथ एक कागज लग गया और उसके अंदर महल के कुछ शत्रु राजा को मारने के बारे मे प्लान कर रहे थे तो राम ने उस कागज को राजा को देदिया । राजा यह देखकर काफी प्रसन्न हुआ और अपने शत्रुओं को पकड़ कर जेल मे डाल दिया । राम के इस काम से राजा बहुत खुश हुआ और उसे अपना अंग रक्षक बना लिया । बाद मे राजा को पता लगा की राम झूठ नहीं बोलता है।
उसकी इस सोच की वजह से राजा को काफी अच्छा लगा इसी तरह से दिन बीत गए । और एक दिन पास के राजा ने उस राज्य पर आक्रमण कर दिया । राजा काफी टेंशन मे थे तो राम ने इसका कारण पूछा तो राजा ने सारी बात बताई ।
राम ने कहा कि आप चिंता ना करें । उसी दिन राम राज्य की सीमा का दौरा करने गया और उसके बाद राजा को सारी बात बताई और कहा कि हमारे राज्य के अंदर आने से पहले शत्रु को नदी पार करनी होगी और वे जब नदी पार करेंगे तो सबसे कमजोर स्थिति के अंदर होंगे । और हम ऐसी स्थिति के अंदर उनको नदी पार ही रोके रखेंगे इस पार नहीं आने देंगे । राजा को यह सुझाव अच्छा लगा । और दूसरे ही दिन राजा ने हजारों सेनिकों को नदी के उस पार तैनात कर दिया जोकि छुपकर तैनात थे । दुश्मन सेना को इसका जरा भी पता नहीं था। और राम स्वयं इस युद्ध को देख रहा था।
जैसे ही दुश्मन सेना नदी पार करने लगी उसके उपर जोरदार हमला हुआ और दुश्मन सेना कुछ समझ पाती उससे पहले ही यह हमला हो गया और फिर क्या था।
दुश्मन नदी पार करने की कई बार कोशिश की लेकिन वे नदी पार नहीं कर पाए । और अंत मे उनको पीछे हटना पड़ा । इसकी वजह से राजा काफी खुश हुआ और राम को सेनापति बना दिया गया ।
और राम अपने घर पर अच्छा पैसा भेजने लगा। उधर रावण दूसरे राज्य के अंदर काम कर रहा था तो वह राज के दुश्मनों के साथ मिल गया और उसने ही राजा को मारने के लिए साजिश रची । लेकिन वह इसके अंदर सफल नहीं हो सका और बाद मे उसे पकड़ लिया गया ।
और राजा ने रावण को फांसी की सजा सुनाई और उसके बाद जब राम को इसके बारे मे पता चला तो राम ने राजा से कहा कि वह रिक्वेस्ट करें कि उसके भाई को फांसी ना दी जाए । तो राजा ने दूसरे राजा से रिक्वेस्ट की तो राजा मान गया और उसकी फांसी की सजा को टाल कर उसे जेल के अंदर ही बंद रखा।
क्योंकि मामला दूसरे राज्य का था तो राम भी कुछ नहीं कर सकता था । और उसके बाद राम ने घर जाकर अपने माता पिता को सारी बता बताई लेकिन माता पिता भी कुछ नहीं कर सकते थे । उनको अफसोस हो रहा था कि रावण को पालने मे उनसे कहां पर कमी रह गई थी।
लेकिन वे भी अफसोस के अलावा कुछ नहीं कर सकते थे । वहीं जेल के अंदर बंद रावण ने एक बार फिर जेल से भाग कर राज को मारने की कोशिश की और वह इसके अंदर सफल तो हो गया लेकिन बाद मे उसे पकड़ लिया गया और फांसी देदी गई ।
इस बार राम भी कुछ नहीं कर पाया था शायद होनी को यही मंजूर था।