ragya shabd roop राज्ञी का शब्द रूप के बारे मे हम आपको बता रहे हैं। और उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा प्रयास पसंद आएगा । यह शब्द रूप हम आपको नीचे दे रहे हैं और आप इसको देख सकते हैं। यदि आपका कोई सवाल है तो आप हमे कमेंट करके बता सकते हैं। वैसे आपको बतादें कि राज्ञी सूर्य की पत्नी का नाम होता है।
ragya shabd roop राज्ञी का शब्द रूप के बारे मे जानकारी
विभक्ति | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
प्रथमा | राज्ञी | राज्ञ्यौ | राज्ञ्यः |
द्वितीया | राज्ञीम् | राज्ञ्यौ | राज्ञीः |
तृतीया | राज्ञ्या | राज्ञीभ्याम् | राज्ञीभिः |
चतुर्थी | राज्ञ्यै | राज्ञीभ्याम् | राज्ञीभ्यः |
पंचमी | राज्ञ्याः | राज्ञीभ्याम् | राज्ञीभ्यः |
षष्ठी | राज्ञ्याः | राज्ञ्योः | राज्ञीनाम् |
सप्तमी | राज्ञ्याम् | राज्ञ्योः | राज्ञीषु |
सम्बोधन | हे राज्ञि ! | हे राज्ञ्यौ ! | हे राज्ञ्यः ! |
दोस्तों प्राचीन काल की बात है एक राजा की पुत्री राज्ञी नाम की हुआ करती थी। वह काफी सुंदर थी और उसकी सुंदरता के चर्चे दूर दूर तक मशहूर थे । और यही कारण था कि आस पास के राजा उससे विवाह करना चाहते थे । पहले आमतौर पर स्वयंवर रखा जाता था । आज की तरह शादियां नहीं होती थी । इस स्वयंवर के अंदर कन्या को जो कोई भी पसंद आ जाता था । उसको वह माला डाल देती थी।राज्ञी भी जब शादी योग्य हुई तो उसके पिता ने एक स्वयंवर रखा और उसके अंदर यह शर्त रखी की इस राज्य की कन्या को उसके साथ विवाह किया जाएगा जोकि एक ही तीर के अंदर दूर रखे हुए घड़े को बिना फोड़े गिरा देगा । और इसके लिए स्वयंवर के अंदर दुनिया के अलग अलग शक्तिशाली राजा आए । और स्वयंवर चालू हुआ तो सबसे पहले एक राजा आया और उसने एक तीर से उस घड़े को गिरा तो दिया लेकिन वह घड़ा फूट गया । और इसी प्रकार से सभा के अंदर आने वाले सभी राजाओं ने प्रयास किया लेकिन कोई भी इस काम के अंदर सफल नहीं हो सका । जिसके बाद राज्ञी के पिता को अफशोष हुआ कि उन्होंने यह क्या शर्त रखतदी । और उसके बाद अंत मे राज्ञी के पिता ने कहा कि है कोई ऐसा इंसान इस सभा के अंदर जोकि इस घड़े को तीर से गिरा दे लेकिन तीर से घड़ा फूटे ना ।
उसके बाद एक सुंदर सा राजकुमार आया और उसने तीर के आगे के भाग को तोड़ दिया और उसके बाद एक ही झटके के अंदर उस घड़े को गिरा दिया और घड़ा फूटा नहीं ।और उस राजकुमार का नाम सूर्यदेव था । यह देखकर वहां पर बैठे राक्षस जाति के लोग काफी अधिक गुस्सा हो गए ।
वे यह कहने लगे कि यह शादी नहीं हो सकती है। जो राजकुमार यह सब कर रहा है वह एक राजा का बेटा नहीं है। इसकी वजह से यह शादी नहीं हो सकती है। यदि यह राजकुमार हम सभी को परास्त कर देता है तो उसके बाद राज्ञी से शादी करके ले जा सकता है।
और यह सब कहने के बाद सभी राक्षस जाती के लोग एक तरफ हो चुके थे । और उसके बाद सारे मैदान के अंदर चले गए एक तरफ सूर्य देव थे तो दूसरी तरफ राक्षस जाति के राजा थे । और भयंकर युद्ध चलने लगा ।
लेकिन कुछ ही समय के अंदर सूर्यदेव ने अपने ताप की मदद से सभी राक्षसों को भस्म कर दिया और उसके बाद राज्ञी के पिता ने अपनी शर्त के अनुसार राज्ञी की सूर्यदेव के साथ शादी करवादी । इस तरह से यह एक अच्छा विवाह सम्पन्न हो गया।
दोस्तों सूर्यदेव के बारे मे आपको पता ही होगा । हिंदुधर्म के अंदर सूर्य को भी एक देवता माना जाता है। आपको बतादें कि देवता वे होते हैंजोकि आमतौर पर जीवन देने वाले होते हैं। आपको बतादें कि देवता वे नहीं होते हैं जोकि जीवन को लेने का काम करते हैं।
आपको बतादें कि कोई भी चीज जोकि जीवन को देने मे सहायक होती है वह देवता ही होती है। और जो जीवन को लेने का काम करती है वह राक्षस होती है आप इस बात को समझ सकते हैं। और यही आपके लिए सही होगा ।
क्योंकि सूर्य को जीवन देने वाला माना जाता है इसकी वजह से वह देवता है दोस्तों देवता दो प्रकार के होते हैं। लेकिन मुख्य रूप से जो उर्जा होती है वह हम सभी की एक ही होती है आपको इसके बारे मे पता होना चाहिए । और आप इस बात को समझ सकते हैं।
जैसे कि आप हैं और दूसरे राक्षस हैं उनको जीवन देने वाली उर्जा एक ही होती है। बस विचारों का अंतर होता है। राक्षस विनाश के अंदर भरोशा करते हैं। वे अपने फायदे को देखते हैं और देवता विकास के अंदर भरोशा करते हैं।
जब कोई इंसान मरता है तो वह दो प्रकार के अंदर ही जाता है। जब कोई अच्छा इंसान मर जाता है तो वह मरने के बाद देवता बन जाता है और जब कोई बुरा इंसान मर जाता है तो वह मरने के बाद राक्षस बन जाता है। आपको पता होना चाहिए । कि इस दुनिया के अंदर अनेक लोक और लोकांतर होते हैं ।
और इन लोक और लोकांतर के अंदर देवता भी रहते हैं और राक्षस भी रहते हैं। यह बात सच है कि देवता वह होते हैं जोकि इस जीवन काल के अंदर अच्छे कर्म करने वाले होते हैं । यदि आप इस जीवन के अंदर अच्छे कर्म करते हैं तो आपको मरने के बाद देव पद ही मिलेगा ।
लेकिन यदि आप इस जीवन के अंदर अच्छे कर्म नहीं करते हैं और बुरे कर्म करते हैं तो उसके बाद आपको मरने के बाद राक्षस पद ही मिलेगा । और राक्षसों को जितनी अधिक पिड़ा होती है उतनी किसी को नहीं होती है। उनके जो बुरे कर्म होते हैं वे ही उनको काफी अधिक परेशान करते हैं।
दोस्तों यह आपके उपर निर्भर करता है कि आप क्या बनना चाहते हैं अभी आप यदि शरीर के अंदर हैं तो उसके बाद आप अपने कर्मों की दिशा को बदल सकते हैं। यदि एक बार आप शरीर से निकल जाते हैं तो उसके बाद आप चाहकर भी अपने कर्मों की दिशा को नहीं बदल सकते हैं। और आप कुछ नहीं कर सकते हैं।
इसलिए आपको हमेशा ही सही कर्म करने के बारे मे फोक्स करना चाहिए । यदि आप गलत कर्म करते हैं तो आपको उन गलत कर्मों को भुगतने के लिए तैयार हो जाना चाहिए आप इस बात को समझ सकते हैं। और इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
इसलिए आपको यह नहीं सोचना चाहिए कि यदि कोई इंसान गलत कर रहा है और वह अधिक सुख पा रहा है । असल मे यह सुख थोड़े दिन का ही होगा । और उसके बाद उनको दुख ही देखना पड़ेगा । आप इस बात को समझ सकते हैं।