सफेद तिल खाने के फायदे , safed til khane ke fayde दोस्तों तिल के बारे मे आप अच्छी तरह से जानते ही होंगे और अधिकतर किसान जो होते हैं वे काले तिल का उपयोग करते हैं। हालांकि तिल चाहे किसी भी तरह का क्यों ना हो वह काफी फायदेमंद होता है। तिलों का तेल निकाला जाता है जोकि घी की तरह फायदेमंद होता है। वही तेल जोकि ऑरेजनल होता है। मार्केट मे मिलने वाला नकली तेल नहीं । इसी तरह से आप यदि एक किसान हैं तो आप सफेद तिल के बारे मे जानते ही होंगे । और तिल का उत्पादन ही करते होंगे। आमतौर पर हम लोग भी तिल का उत्पादन करते हैं। और उनको बेच ना कर तेल निकाल कर रखते हैं कई बार ऐसा करते हैं। फिर उस तेल से मिठाइयां बनाई जाती है। असल मे यह
ऑरेजनल तिल का तेल होता है तो सेहत के लिए किसी भी तरह से हानिकारक नहीं होता है। आप इस बात को अच्छी तरह से समझ सकते हैं। दोस्तों आपकी जानकारी के लिए बतादें कि सफेद तिल का तेल आपके लिए काफी फायदेमंद होता है। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए । तो दोस्तों आइए जानते हैं सफेद तिल के फायदे के बारे मे विस्तार सें । वैसे आपको बतादें कि तिल चाहे सफेद हो या काला दोनों ही अपने आप मे काफी फायदेमंद होते हैं। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
दोस्तों आपकी जानकारी के लिए बतादें कि तिल के अंदर कई तरह के पोषक तत्व पाये जाते हैं। जोकि हम इंसानों की सेहत के लिए काफी फायदेमंद होते हैं तो आइए जानते हैं उन पोषक तत्वों के बारे मे तिल में कॉपर, मैंगनीज और कैल्शियम, फास्फोरस, मैग्नीशियम, लोहा, जिंक, मोलिब्डेनम, विटामिन बी 1, सेलेनियम और आहार फाइबर आदि ।
दोस्तों तिल के तीन प्रकार होते हैं। सफेद तिल लाल तिल और काले तिल और हम आमतौर पर सफेद और काले तिल के बारे मे अच्छी तरह से जानते हैं लेकिन लाल तिल के बारे मे उतना अधिक नहीं जानते हैं। लेकिन असल मे लाल तिल भी होता है।
वैसे काले और सफेद तिल की बात करें तो दोनों के अंदर कुछ अधिक अंतर नहीं है। बस देखने मे सबसे अधिक रंगों का ही अंतर होता है। यदि हम कुछ मामूली अंतर को छोड़दें तो । एक वैज्ञानिक रिसर्च मे यह सामने आया है कि काले तिल सफेद तिल के मुकाबले अधिक एंटिऑक्सीडेंट होते हैं।लेकिन यह बात पूरी तरह से स्पष्ट हो चुकी है कि काले तिल के अंदर काफी अधिक मात्रा के अंदर पोषक तत्व होते हैं । इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए और आप समझ सकते हैं।
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safed til khane ke fayde सफेद तिल खाने के फायदे तनाव को कम करता है
तनाव (Stress) मन के अंदर उपजा एक प्रकार का विकार होता है जिसकी वजह से हमारा मानसिक और शारीरिक विकास प्रभावित होता है। आमतौर पर जो लोग तनाव के अंदर होते हैं उनको काफी परेशानी होती है। जैसे कि आपकी नौकरी चली गई तो आप काफी टेंशन मे आ गए । क्योंकि आपको पता ही है कि आज के युग के अंदर नौकरी कितनी जरूरी है। और कुछ दिनों पहले एक अपाहिज लड़की को नौकरी से निकाल दिया था तो उसने छत से कूद कर सुसाइड कर लिया था। तो दोस्तों तनाव काफी भयंकर चीज होती है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
लेकिन आपको पता होना चाहिए कि तनाव के अंदर तिल काफी फायदेमंद होते हैं। यदि आप भी तनाव के अंदर हैं तो आपको चाहिए कि आप सफेद तिल का सेवन करें। यह आपको तनाव से दूर रखने मे काफी अधिक मदद करेंगे ।
सफेद तिल को आप कई तरह से सेवन कर सकते हैं। लेकिन यदि आप तनाव मे हैं तो सफेद तिल के लडडु बनाएं और उसके बाद आप इनका सेवन कर सकते हैं। इसके लिए आप गुड़ की मदद ले सकते हैं। गुड़ के लडडू किस तरह से बनाते हैं ? इसके बारे मे यदि आप जानते हैं तो ठीक है लेकिन यदि नहीं जानते हैं तो इंटरनेट पर सर्च करें आपके सामने सारी विधि आ जाएगी तो आप ट्राई कर सकती हैं। तनाव को दूर करने के लिए इसके अलावा भी आप कई उपाय को आजमा सकती हैं। जैसे कि योगा करना और शांति से रहना । इसके अलावा भी बहुत कुछ है। आप दूसरी नौकरी के लिए प्रयास कर सकती हैं। लेकिन यदि आप किसी समस्या को लेकर परेशान हैं तो इसके लिए बस एक ही ट्रिक काम करता है कि आपको बेपरवाह होना चाहिए । आप किसी से दिल ना लगाएं। बस यदि आप ऐसा नहीं करेंगे तो दुख नहीं आएगा और आपको किसी तरह का तनाव नहीं झेलना पड़ेगा ।
आज से ही बेपरवाह वाला सिद्धांत मानना शूरू करदें। आप कभी भी डिप्रेशन के अंदर नहीं जाएंगे आपको इसके प्रभाव के बारे मे अच्छी तरह से पता चल ही जाएगा तो आप समझ सकते हैं। इसके फायदे के बारे मे
सफेद तिल के फायदे खून की कमी को दूर करता है
दोस्तों खून की कमी होना एक बहुत ही आम समस्या होती है। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए । खून की कमी शरीर के अंदर तब होती है जब हीमोग्लोबिन का लेवल कम हो जाता है। और यदि शरीर के अंदर काफी कम खून रह जाता है तो इस स्थिति को एनिमिया के नाम से जाना जाता है। और यह रोग तब होता है जब शरीर के अंदर आयरन नहीं होता है। क्योंकि आयरन की मदद से ही हिमोग्लोबीन का निर्माण होता है। खैर जो भी हो सफेद तिल का सेवन करने से शरीर के अंदर खून की कमी को आसानी से रोका जा सकता है।
आपको बतादें कि शरीर को रोजाना 18 मिलीग्राम आयरन आयरन की जरूरत होती है। और यदि शरीर को इतना आयरन नहीं मिलता है तो उसके बाद शरीर के अंदर खून की कमी होने लग जाती है। आपको इसके बारे मे पता होना चाहिए । खैर अधिकतर लोग जो मांस का सेवन करते हैं। खासकर कलेजी वैगरह तो उनके अंदर खून की कमी होने का सवाल ही पैदा नहीं होता है। हालांकि जरूरी नहीं है कि शाकहारी लोगों के अंदर अधिक खून की कमी हो आमतौर पर चुकदंर जैसे फल इस तरह के होते हैं कि उनके अंदर भरपूर आयरन होता है। इसलिए गर्भवति महिलाओं को खून की कमी को दूर करने के लिए चुकंदर दिया जाता है।
इस तरह से दोस्तों यदि शरीर के अंदर खून की कमी है तो यह कई तरह की समस्याओं को जन्म दे सकती है। इसलिए बेहतर यही होगा कि शरीर के अंदर खून की कमी को दूर करने का प्रयास किया जाए । यदि आप एक गर्भवती महिला हैं तो आपको खून की कमी को दूर करने के लिए हर संभव प्रयास किये जाने चाहिए ।
सफेद तिल के फायदे शरीर को जरूरी एनर्जी देता है
दोस्तों यदि आपको एनर्जी चाहिए तो सफेद तिल का सेवन करना आपके लिए काफी फायदेमंद हो सकता है। इसके बारे मे पता होना चाहिए । और यह आपके लिए काफी जरूरी भी है। एनर्जी हर इंसान के लिए जरूरी होती है खास कर किसान और मजदूर काफी अधिक मेहनत करते हैं तो उनके लिए एनर्जी का होना बहुत ही जरूरी होता है। बिना एनर्जी के काम करना बहुत ही कठिन होता है। सफेद तिल के अंदर प्रोटीन होता है जोकि शरीर के लिए काफी अधिक उपयोगी होता है। आपको इसके बारे मे पता होना चाहिए ।
यदि आप चाहते हैं कि आपके शरीर के अंदर नैचुरल एनर्जी आए तो सफेद तिल इसके लिए काफी फायदेमंद हो सकते हैं। इसकी मदद से आपके शरीर मे नैचुरल एनर्जी आएगी और जो आप जीतोड़ काम करते हैं। उसको करने मे आपको किसी भी तरह की परेशानी नहीं होगी आप भी इस बात को अच्छी तरह से समझ सकते हैं।
तो दोस्तों जीतोड़ मेहनत करने वालों के लिए एनर्जी के तौर पर सफेद तिल काफी फायदेमंद होता है। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए । और आप समझ भी सकते हैं।
safed til khane ke fayde batao सफेद तिल के फायदे डिप्रेशन को खत्म करता है
यदि किसी इंसान को डिप्रेशन हो जाता है तो वह दैनिक कार्यें के अंदर रूचि को खो देता है और हमेशा ही उदास उदास ही रहता है। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए ।और इस तरह के लक्षण यदि लंबे समय तक रहते हैं तो उसको डिप्रेशन के नाम से जाना जाता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार दुनिया भर में 35 करोड़ से अधिक लोग डिप्रेशन से झूझ रहे हैं।डिप्रेशन एक प्रकार का मानसिक विकार होता है जोकि कुछ पुरानी स्वास्थ्य समस्याओं को बढ़ा सकता है और काफी समस्या पैदा कर सकता है। यदि इसका सही समय पर ईलाज नहीं किया जाता है तो इसके काफी भयंकर परिणाम आते हैं। और इसकी वजह से इंसान सुसाइड तक कर सकता है। इसके बारे मे भी आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए ।
दोस्तों सफेद तिल के बारे मे यह माना जाता है कि यह डिप्रेशन को दूर करने मे काफी उपयोगी होता है। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए । यदि आपके यहां पर भी कोई इंसान डिप्रेशन से ग्रस्ति है तो फिर उसे सफेद तिल का सेवन करते रहना चाहिए जोकि दिमाग को रिलेक्स करने का काम करते हैं।
डिप्रेशन भी कई तरह का होता है। जोकि समझने के लिए अलग अलग भागों के अंदर बांटा गया है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए तो आइए जान लेते हैं संक्षेप के अंदर डिप्रेशन कितने प्रकार का होता है।
- मेजर डिप्रेसिव डिसऑर्डर आमतौर पर जब होता है जब इंसान काफी गहरा निराश हो जाता है उसे किसी भी तरह की आशा की किरण नजर नहीं आती है।इस तरह के डिप्रेशन की वजह से व्यक्ति के खाने पीने उठने और बैठने के सभी कार्य बहुत अधिक प्रभावित होते हैं। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
- सायकोटिक डिप्रेशन आमतौर पर एक अलग प्रकार का डिप्रेशन हो जाता है। जिसके अंदर मतिभ्रम हो जाता है और बिना किसी वजह के भय हो सकता है अर्थहीन विचार आ सकते हैं। हालांकि इस तरह का डिप्रेशन काफी कम ही लोगों के अंदर देखने को मिलता है।
- बाइपोलर डिप्रेशन एक अलग ही प्रकार का डिप्रेशन होता है। जिसके अंदर इंसान दो अलग अलग तरह के विचारों के बीच फंस जाता है। उसे सही तरह से यह समझ नहीं आता है कि उसे क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए । ऐसी स्थिति के अंदर कभी एक विचार प्रभावी होता है तो कभी दूसरा । इस स्थिति के अंदर इंसान कभी अधिक खुश होता है तो कभी काफी दुखी होता है।
- डिस्थीमिया और क्रोनिक डिप्रेशन डिप्रेशन का ही एक रूप होता है जोकि एक साल या उससे अधिक समय तक चल सकता है। और इस स्थिति के अंदर इंसान खुश नहीं रहता है। खुशी होने पर भी वह उसे महसूस नहीं कर सकता है। हालांकि यह डिप्रेशन किसी भी तरह से हानिकारक तो नहीं होता है। लेकिन इसका असर दिमाग पर जरूर ही होता है। आपको पता होना चाहिए ।
डिप्रेशन (अवसाद) के लक्षण की यदि हम बात करें तो इसके लक्षण अलग अलग हो सकते हैं। और इन लक्षणों की मदद से यह आसानी से पता लगाया जा सकता है कि डिप्रेशन कितना गम्भीर है और किस प्रकार का है ?
- उदासी
- थकान
- ध्यान केंद्रित करने में परेशानी
- दुख
- गुस्सा आना
- चिड़चिड़ापन
- हताशा
- बैचेनी
- मन मे आत्मघाती विचार आना
- सिर मे दर्द होना ।
- आनन्द से दूर रहना
- सही तरीके से नींद ना आना ।
दोस्तों यदि किसी इंसान को डिप्रेशन हो जाता है तो आपको चाहिए कि आप उस इंसान को डॉक्टर के पास लेकर जाएं और डॉक्टर उसको कुछ दवाएं दे सकता है जिससे कि डिप्रेशन काफी कम हो जाएगा । इसके अलावा आमतौर पर डिप्रेशन होने की कोई एक वजह नहीं होती है। लेकिन यह माना जाता है कि जिन लोगों को डिप्रेशन होने का पहले से इतिहास रहा है उनको इस तरह की समस्या होने की संभावना काफी अधिक होती है। इसके बारे मे आपको पता ही होगा ।
इसके अलावा यदि किसी को मानसिक चोट लगी है तो उसकी वजह से भी डिप्रेशन होने के चांस काफी अधिक बढ़ जाते हैं। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
यदि कोई नशीले पदार्थों का सेवन करता है तो उसकी वजह से भी डिप्रेशन होने के चांस काफी अधिक हो जाते हैं । क्योंकि नशीले पदार्थ सीधे दिमाग पर असर करते हैं जिससे कि डिप्रेशन होने के चांस काफी अधिक बढ़ जाते हैं। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए ।
safed til khane ke fayde in hindi सफेद तिल खाने के फायदे रोगप्रतिरोधक क्षमता को बेहतर करता है
दोस्तों तिल आमतौर पर रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए जाना जाता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।तिल रोग प्रतिरोधक क्षमता को बेहतर करता है जिससे कि हमे रोगों से लड़ने की शक्ति मिलती है। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए ।
यदि शरीर के पास रोग प्रतिरोधक क्षमता काफी बेहतर नहीं है तो फिर आप बार बार बीमार पड़ेंगे आपने कोरोना काल के अंदर यह देखा भी होगा कि जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता काफी कम थी कोरोना ने उनको अपने चपेट के अंदर लेलिया था । इसलिए यदि हर इंसान चाहता है कि वह कम बीमार हो तो उसे अपने शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा कर रखना होगा तभी कुछ फायदेमंद होगा । और इसके लिए काफी कुछ किया जा सकता है। बात सिर्फ सफेद तिल की नहीं है। यदि आप गिलोय का सेवन करते हैं तो रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाया जा सकता है। इम्यूनिटी के मामले मे गिलोय सबसे अच्छी होती है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए और आप इसको समझ भी सकते हैं।
यदि हम बात करें इम्यूनिटी की तो यह खास प्रकार के एंटिबॉडी होते हैं जोकि खून के साथ पूरे शरीर के अंदर यात्रा करते हैं। कुछ एंटिबॉडी इस प्रकार के होते हैं जोकि सभी बीमारियों के लिए काम करते हैं तो कुछ इस प्रकार के होते हैं जोकि किसी खास बीमारी के आने पर ही सक्रिय होते हैं। आमतौर पर जब कोरोना के बाद इम्यूनिटी काफी अधिक कमजोर हो गई थी तो फंगस ने अटैक करना शूरू कर दिया था। क्योंकि इम्प्यूनिटी स्टैराइड की वजह से काफी कमजोर हो गई और फंगस से लड़ नहीं पाई । वरना फंगस तो हमारे आस पास ही सदैव रहता है। लेकिन हमारी स्ट्रॉंग इम्यूनिटी के चलते वह हमारा कुछ भी नहीं बिगाड़ पाता
इस तरह से आप समझ सकते हैं कि बेहतर इम्यूनिटी का होना बहुत ही जरूरी होता है। आपको इसके बारे मे पता होना चाहिए । और इम्यूनिटी को बढ़ाने के लिए आप कई तरह के उपाय कर सकते हैं जोकि आपके लिए काफी फायदेमंद हो सकते हैं।
शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता उम्र के हिसाब से भी काफी कमजोर हो जाती है। एक बच्चे के अंदर रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी होती है। लेकिन यदि इंसान बूढ़ा हो जाता है तो उसके बाद उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता धीरे धीरे कमजोर होना शूरू हो जाती है। यही कारण है कि बूढ़े इंसान को बीमारी बहुत ही जल्दी घेर लेती है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । हालांकि अच्छे खान पान की मदद से बूढ़े लोग भी अपनी इम्यूनिटी को स्ट्रॉंग कर सकते हैं। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए और आप समझ भी सकते हैं।
सूजन को कम कर सकता है
दोस्तों ऐसा कहा गया है कि सफेद तिल का सेवन करने से सूजन की समस्या भी कम हो सकती है। यदि आपको किसी तरह की सूजन की समस्या है तो आपको सफेद तिल का सेवन करना चाहिए जोकि आपके लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकता है। दोस्तों सूजन की समस्या को कम करने के और भी तरीके हैं।
सूजन कई तरह की हो सकती है। जैसे कि पेट मे अधिक गैस बनता है तो उसकी वजह से भी शरीर के अंगों के अंदर सूजन आ जाती है। इसके अलावा यदि किसी को कैंसर की समस्या है क्रोनिक डिजिज है या फिर किडनी की समस्या है तो पूरे शरीर के अंदर सूजन आ जाती है।
वैसे आपको बतादें कि सफेत तिल सूजन की समस्या को पूरी तरह से सही करने मे सक्षम नहीं है। इसका कारण यह है कि सूजन जिसकी वजह से आता है उसके लिए आपको डॉक्टर से संपर्क करना होगा । जैसे कि आपको किडनी की समस्या है तो आपको एक बार अपने डॉक्टर से मिलकर बात करना चाहिए। सिर्फ सफेद तिल के सेवन करते रहने से किडनी की समस्या ठीक नहीं हो सकती है। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए और आप इस बात को समझ भी सकते हैं।
इसके अलावा यदि आपको किसी और तरह की समस्या की वजह से सूजन हुआ है तो आपको एक बार अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए और आपका डॉक्टर आपको जो निर्देश देता है। आपको उसका पालन करना चाहिए यही आपके लिए सबसे अधिक जरूरी है। और आप इस बात को अच्छी तरह से समझ सकते हैं।
हड्डियों को मजबूत बनाने में है फायदेमंद है सफेद तिल
दोस्तों सफेद तिल हडियों को काफी मजबूत बनाने का काम करते हैं। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए और आप समझ भी सकते हैं।ऑस्टियोपोरोसिस एक इस प्रकार की समस्या होती है जिसके अंदर हडियां इतनी अधिक कमजोर हो जाती हैं कि उनके टूटने और फैक्चर होने का खतरा बहुत अधिक बढ़ जाता है। और जरा सी असावधानी की वजह से हडियों के अंदर फैक्चर हो जाता है।
ऑस्टियोपोरोसिस सम्बन्धी फ्रैक्चर ज़्यादातर कूल्हे, कलाई या रीढ़ की हड्डी में होते हैं। वैसे यह पुरूष और महिला दोनेां को ही हो सकता है। लेकिन यह अधिकतर उन महिलाओं को प्रभावित करता है जिनका मासिक धर्म बंद हो चुका है।
भारत में लगभग 2.6 करोड़ (2003 के आंकड़े) लोग ऑस्टियोपोरोसिस से पीड़ित हैं और यह हर्ट रोग के बाद दुनिया के अंदर दूसरे स्थान पर आता है। हर 8 मे से एक इंसान इससे पिड़ित है। यदि इसका समय पर ईलाज नहीं किया जाता है तो उसके बाद यह गम्भीर समस्या पैदा कर सकता है।
- प्राथमिक ऑस्टियोपोरोसिस आमतौर पर महिलाओं को अधिक होता है। यह 40 की उम्र के बाद होता है। मासिकधर्म के रूकने के बाद हडियां कमजोर होने लग जाती हैं । जिससे कि समस्याएं होती हैं। हालांकि यह पुरूषों को भी हो सकता है। लेकिन महिलाओं को यह होने की संभावना काफी अधिक होती है।
- इडियोपैथिक जुवेनाइल ऑस्टियोपोरोसिस आमतौर पर एक प्रकार की दुर्लभ बीमारी हैं।और इस प्रकार के रोग के अंदर हडियों का निर्माण बहुत ही कम होता है। और खास कर यह रोग बच्चों के अंदर होता है। इनकी हडियां काफी अधिक कमजोर हो जाती हैं। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए ।
- ओस्टोजेनेसिस इम्पर्फेक्टा एक इस प्रकार का रोग हैं जो जन्म के समय ही पैदा हो जाता है। जिसकी वजह से हडियां काफी अधिक कमजोर हो जाती हैं और वे टूटने भी लग जाती हैं। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
- माध्यमिक ऑस्टियोपोरोसिस आमतौर पर किसी तरह की दवा लेने की वजह से हडियों के अंदर काफी अधिक कमजोरी आ जाता है। और समस्याएं होती हैं। जैसे कि आप अधिक मात्रा मे कैंसर की दवाएं ले रहे हैं। या फिर आप अधिक मात्रा मे थायराइड की दवाएं ले रहे हैं तो समस्या बढ़ सकती है।
ऑस्टियोपोरोसिस के लक्षणों की बात करें तो इसके कई सारे लक्षण होते हैं। हालांकि यह यदि प्रथम चरण के अंदर है तो उसके बाद इसको पहचानना काफी कठिन होता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । हालांकि हर जगहों पर होते फैक्चर की मदद से आप इसको बहुत ही आसानी से पहचान सकते हैं।
- ऑस्टियोपोरोसिस यदि किसी को हो जाता है तो इसकी वजह से मसूड़ों के अंदर ढीलापन हो सकता है। और यदि आपके दांत अपनी पकड़ छोड़ रहे हैं तो फिर आपको इसके बारे मे अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए और आपके डॉक्टर आपको जो भी निर्देश देते हैं। आपको उसका पालन करना होगा ।
- इसके अलावा यदि आपके हाथों के पकड़े की क्षमता कम हो रही है। आप चीजों को ठीक से पकड़ नहीं पा रहे हैं तो यह संभव हो सकता है कि आपको हडियों की कमजोरी हो गई है। और आपके हाथों से चीजें छूट सकती हैं।
- इसके अलावा नाखूनों की मदद से भी हडियों की ताकत का अंदाजा लगाया जा सकता है। यदि आपके नाखून काफी अधिक कमजोर हो रहे हैं तो आपको पता होना चाहिए कि आपकी हडियां काफी अधिक कमजोर हो रही हैं। जोकि आपके लिए सही नहीं होगा ।
- इसके अलावा रीढ़ की हड्डी के अंदर संकुचन पैदा हो जाता है। जिसकी वजह से रीढ़ की हड्डी का झुकाव काफी अधिक बढ़ जाता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । और इसकी वजह से कमर मे दर्द भी हो सकता है।इसके अलावा सांस लेने मे भी काफी कठिनाई होती है।
- ऑस्टियोपोरोसिस रीढ़ की हड्डी के फ्रैक्चर का कारण बन सकता है। इसकी वजह से पीठ और गर्दन के अंदर दर्द हो सकता है।
- नाजुक हड्डियों का सबसे आम लक्षण है। हड्डियों की कमज़ोरी के कारण आसानी से फ्रैक्चर हो सकते हैं। यह आमतौर पर छींकने और खांसने पर भी हो सकते हैं।
ऑस्टियोपोरोसिस की यदि हम वजहों की बात करें तो इसकी कई सारी वजहे हो सकती हैं। जिसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए
- सूजन, हार्मोन से संबंधित स्थितियां, या कुअवशोषण समस्याएं।
- अधिक शराब पीने से भी यह समस्याएं हो सकती हैं। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
- कम बॉडी मास इंडेक्स
- और इसके पीछे अनुवांशिक कारण भी जिम्मेदार हो सकता है। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए । और आप समझ भी सकते हैं।
कब्ज के लिए फायदेमंद हैं तिल
दोस्तों कब्ज के लिए सफेद तिल काफी फायदेमंद होते हैं। यदि आपको काफी समय से कब्ज की शिकायत रहती है तो आप तिल का सेवन कर सकते हैं। तिल कब्ज की समस्या को दूर करने का काम करते हैं। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए ।सफेद तिलों के अंदर फाइबर होता है जोकि कब्ज से राहत प्रदान करने का काम करता है। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए और आप इस बात को समझ भी सकते हैं।
वैसे कब्ज के अंदर होता यह है कि मल आमाश्य के अंदर काफी अधिक कड़ा हो जाता है और कड़ा होने की वजह से यह बाहर नहीं निकल पाता है। जिससे कि काफी समस्या होती है। हर इंसान को दिन मे एक बार मल त्याग के लिए जाना चाहिए । यदि दिन मे एक बार भी मल त्याग नहीं होता है तो यह कब्ज का संकेत हो सकता यदि किसी को कब्ज की समस्या है तो इसका जल्दी से जल्दी ईलाज किया जाना चाहिए । इसकी वजह से कई दूसरी समस्याएं पैदा हो सकती हैं। जैसे कि अधिक समय तक बैठे रहने और जोर लगाने से मलद्धार की नसे फूल सकती हैं और बवासीर हो सकता है।
इसी प्रकार से जब कड़ा मल पास होता है तो उसकी वजह से पेट मे घाव हो सकते हैं। इसलिए डॉक्टर कब्ज का पता लगाने के लिए एक्सरे की मदद लेता है। आपको इसके बारे मे पता होना चाहिए ।
अब आइए हम कब्ज के कारणों पर चर्चा करते हैं तो इसके कई सारे कारण हैं जिसकी वजह से कब्ज हो सकता है।
- जैसे भोजन के अंदर फाइबर का कम होना
- पानी कम पीना
- अधिक बैठे रहना
- थायरॉयड हार्मोन का कम बनना
- कैल्सियम और पोटैशियम की कम मात्रा
- मधुमेह के रोगियों में पाचन संबंधी समस्या
- बड़ी आंत के अंदर चोट का होना ।
- बगैर भूख के भोजन करना।
- भोजन को चबा चबा कर नहीं खाना ।
- दुख चिंता और डर नहीं होना ।
- कॉफी चाय का अधिक सेवन करना
- लिवर और तिल्ली की बीमारी का होना ।
अब दोस्तों हम कब्ज के लक्षणों के बारे मे बात करने वाले हैं तो आइए जानते हैं कब्ज के लक्षणों के बारे मे विस्तार से
- दोस्तों कब्ज के अंदर मल काफी सख्त हो जाता है। और इसकी वजह से मल का त्याग करने के लिए काफी अधिक जोर लगाना पड़ता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
- ऐसे लोगों की जीभ सफेद या मटमैली हो जाती है और मुंह का स्वाद भी खराब हो जाता है।इसके अलावा मुंह के अंदर बदबू आने लग जाती है।
- कब्ज के रोगियों को उतनी अधिक भूख नहीं लगती है। । इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
- अधूरे मल त्याग की भावना, पेट में सूजन या पेट दर्द आदि भी कब्ज के लक्षणों मे नजर आते हैं।
कब्ज से बचाव के कुछ टिप्स हैं जिनको आप फोलो कर सकते हैं और कब्ज से बच सकते हैं तो आइए जानते हैं उन टिप्स के बारे मे ।
- यदि हम कब्ज से बचना चाहते हैं तो इसके लिए कई सारे उपाय कर सकते हैं। जिसके अंदर फल सब्जी साबुत अनाज और फलियों का सेवन कर सकते हैं।
- इसके अलावा पानी जैसे तरल पदार्थों का अधिक से अधिक सेवन करना चाहिए । जोकि मल के कड़ा होने से बचाने का काम करते हैं।
- लैट्रिन को रोकने का प्रयास ना करें।
- इसके अलावा चाय और कॉफी का सेवन आपको कम करना होगा ।
safed til khane ke kya fayde hain खूनी दस्त मे तिल के फायदे
खूनी दस्त दस्त के अंदर भी सफेद तिल काफी फायदेमंद होते हैं। इसके बारे मे आपको पता होगा ।10 ग्राम काले तिल को पीसकर उसमें 20 ग्राम चीनी आदि को बकरी के दूध के अंदर मिलाकर पीने से खून दस्त बंद हो जाता है। यह देशी ईलाज है। और सदैव काम करता है। आपको इसके बारे मे पता होना चाहिए ।इसके अलावा तिल को पीस कर उसके अंदर मक्खन मिलाकर खाने से भी खूनी दस्त बंद हो जाता है।
खूनी जो दस्त होती है वह आंतों के संक्रमण की वजह से होती है। इसकी वजह दस्त के अंदर खून और बलगम आ सकता है।यह एक तरह की इस प्रकार की बीमारी होती है जोकि बहुत ही तेजी से फैलती है। और इससे बचने के लिए अच्छी तरह से सावधानी बरतने चाहिए ।
अमीबा की वजह से भी यह संक्रमण हो सकता है। और यह आमतौर पर दूषित खाने पीने की चीजों की वजह से फैलता है। यह आपके मुंह के रस्ते से शरीर के अंदर प्रवेश कर जाता है। आपको इसके बारे मे पता होना चाहिए ।
अब यदि हम खून दस्त के लक्षणों की बात करें तो इसके कई सारे लक्षण होते हैं। तो आइए जानते हैं इन लक्षणों के बारे मे ।
- हल्का पेट मे दर्द हो सकता है।
- पेट मे ऐंठन हो सकता है।
- दस्त लग सकता है।
- गम्भीर संक्रमण की स्थिति के अंदर मल मे खून आ सकता है।
इस तरह के जो लक्षण होते हैं वे संक्रमण के एक से दो दिन के भीतर ही दिखने लग जाते हैं। आपको इसके बारे मे पता होना चाहिए । और कुछ समय बाद यह ठीक भी होने लग जाते हैं।बैक्टीरियल पेचिस के अंदर आमतौर पर दस्त ही लगता है। लेकिन दस्त के अंदर खून नहीं निकलता है।इसकी वजह से पेट मे दर्द हो सकता है।इसके अलावा बुखार भी आ सकता है।और उल्टी भी हो सकती है। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए ।अमीबी पेचिश काफी डेंजर होता है। इसके लक्षण भी उपर जैसे ही हो सकते हैं। लेकिन इसकी वजह से मल के अंदर खून आ सकता है यदि आम पेचिस है तो कुछ समय बाद अपने आप ही ठीक हो जाता है। लेकिन यदि संक्रमण यदि अधिक गम्भीर हो जाता है तो उसके बाद आपको अपने डॉक्टर से संपर्क करने की आवश्यकता होती है। और उस संक्रमण की वजह से मामला काफी गम्भीर हो सकता है। इसके लिए डॉक्टर आपको कुछ एंटिबायोटिक दवाएं लिखकर दे सकते हैं। जिससे कि समस्या हल हो सकती है।
यदि हम खूनी दस्त के कारणों की बात करें तो यह आमतौर पर दूषित भोजन और पानी की वजह से भी फैलता है। यदि आप दूषित जगहों पर रहते हैं तो वहां पर इसके फैलने के चांस काफी अधिक हो जाते हैं। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए ।
यदि कोई दूषित हाथों से भोजन को छू लेता है तो उसको पेचिश होने के चांस काफी अधिक बढ़ जाते हैं। इसके अलावा जिन लोगों को पेचिश है और इसके कोई लक्षण नहीं हैं उनकी मदद से भी यह फैल सकता है। और दूसरे लोगों के अंदर इसकी वजह से संक्रमण पैदा हो सकता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।अमीबी पेचिश आमतौर पर उन लोगों से अधिक फैलता है जोकि पहले से ही इस बीमारी से ग्रस्ति हैं।
- यदि आप दूषित खाने की चीजों का सेवन करते हैं तो इससे संक्रमण फैल सकता है।
- यदि आप दूषित पानी का सेवन करते हैं तो इससे भी संक्रमण फैल सकता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
- इसके अलावा संक्रमित लोगों के संपर्क मे आने से भी यह संक्रमण आसानी से फैल सकता है। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए । और यही आपके लिए सबसे अधिक जरूरी है।
- इसके अलावा शारीरिक संपर्क की वजह से भी दस्त हो सकता है।
- यदि आप अधिक शराब का सेवन करते हैं तो इसकी वजह से भी संक्रमण का जोखिम अधिक हो जाता है।
- कैंसर होने की वजह से
- रोग प्रतिरोधक क्षमता के कमजोर होने की वजह से ।
यह संक्रमण आमतौर पर उन जगहों से अधिक फैलता है जहां पर पहले से ही खाने पीने की चीजों को सर्वे किया जाता है। वहां पर यदि सही तरह से साफ सफाई नहीं होती है तो यह संक्रमण दूसरे लोगों के अंदर फैल जाता है।
पेचिश से बचने के लिए क्या क्या उपाय किये जा सकते हैं तो आइए इनके बारे मे भी एक बार जानने का प्रयास करते हैं ताकि आपको चीजों के बारे मे सही सही जानकारी मिल सकें ।
यदि आप इस बीमारी को फैलने से रोकना चाहते हैं तो इसके लिए कुछ जरूरी कदम उठा सकते हैं। जिससे कि आप इस बीमारी को फैलने से रोक सकते हैं तो आइए जानते हैं। इन जरूरी कदमों के बारे मे जिससे कि आप इस बीमारी को फैलने से रोक सकते हैं।
- यदि आप शौच के लिए जाते हैं तो आपको अपने हाथों को साबुन से अच्छी तरह से साफ करना चाहिए ।
- टायलेट शीट और नल आदि को इस्तेमाल कर रहे हैं तो पहले उनको अच्छी तरह से धोना भी बहुत जरूरी होता है।
- जब तक आपके लक्षण ठीक नहीं हो जाते हैं तब तक आपको दूसरों से दूरी बनाकर रखनी होगी
- उन खाने पीने की चीजों का सेवन करें। जिनको अधिक तापमान पर पकाया गया है। अधिक तापमान पर पकने की वजह से सारे जीवाणु और बैक्टिरिया नष्ट हो जाते हैं तो आपको इसका कोई डर नहीं है।
खांसी मे सफेद तिल के फायदे
दोस्तों खांसी एक आम प्रकार की समस्या होती है। जब फेफड़ों के अंदर बलगम हो जाता है तो उसकी वजह से खांसी आती है। सर्दी जुकाम के अंदर खांसी का होना एक प्रकार की आम समस्या होती है। इसके बारे मे आप अच्छी तरह से जानते ही हैं।खांसी के अंदर भी सफेद तिल काफी फायदेमंद होते हैं। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए ।
- 4 चम्मच तिल 1 गिलास पानी में मिलाकर इतना उबालें कि पानी आधा बच जायें। उसको दिन मे दो बार पीने से खांसी मे आराम मिल जाता है।
- इसके अलावा आयुर्वेद के अनुसार तिल का काढ़ा बनाएं और उसके अंदर गुड़ मिलाकर सेवन करने से भी खांसी के अंदर आराम मिल जाता है। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए ।
- इसके अलावा खांसी होने की दसा मे तिल और मिश्री को मिलाकर उबालें और फिर पीने से सर्दी खांसी मे आराम मिल जाता है।
खांसी एक आम समस्या होती है। यदि हमारी गले और सांस नली के अंदर बलगम आता है तो हम खांसते हैं। और खांसी को हम साधारण भी मान सकते हैं। लेकिन कभी कभी यह खांसी किसी गम्भीर बीमारी का भी संकेत होती है। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए ।सामान्य सर्दी और जुकाम की वजह से भी खांसी हो सकती है। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए ।
वैसे कई मामलों के अंदर खांसी के लिए किस तरह की दवा लेने की जरूरत नहीं होती है। यह अपने आप ही ठीक हो जाती है।खांसी प्रदूषण, गैस्ट्रोएसोफैगेल रीफ्लक्स डिज़ीज़ दम घुटना, क्रोनिक ब्रोंकाइटिस, अस्थमा, फेफेडों में ट्यूमर, दिल का दौरा पड़ना, पोस्ट नेजल ड्रिप, धूम्रपान जैसी समस्याओं की वजह से पैदा हो सकती है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
यदि हम खांसी के प्रकार की बात करें तो यह मुख्य तौर पर तीन प्रकार की होती है। पहली प्रकार को हम सूखी खांसी के नाम से जानते हैं। जिसके अंदर बलगम नहीं आता है। और दूसरी खांसी बलगम वाली होती है। और एक अलग प्रकार की खासी होती है जोकि रात के अंदर होती है।
यदि हम खांसी के लक्षणों की बात करें तो खांसी के कई सारे लक्षण होते हैं। और खांसी का जो ईलाज होता है वह खांसी के प्रकार के आधार पर किया जाता है। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए ।
- बुखार, ठंड लगना, बदन दर्द, गले में खराश, मतली, उल्टी, सिरदर्द, साइनस में दबाव, नाक बहना, रात में पसीना आना आदि तेज खांसी के साथ होते हैं तो यह सर्दी जुकाम के संकेत हो सकते हैं।
- इसके अलावा कई बार क्या होता है कि असहज वातावरण के अंदर हम चले जाते हैं तो इसकी वजह से भी खांसी हो सकती है। लेकिन यह जो खांसी होती है वह किसी तरह के संक्रमण के परिणाम स्वरूप नहीं होती है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
- कई बार आपको किसी पदार्थ से एलर्जी होती है। और जब आप उस पदार्थ के संपर्क मे आते हैं तो उसकी वजह से भी खांसी हो सकती है। उस स्थिति के अंदर इस तरह की खांसी के लिए आपको दवा लेने की जरूरत हो सकती है। यह एलर्जी की दवा से बहुत ही आसानी से सही हो जाती है।
- इसके अलावा कई बार क्या होता है कि हम धुम्रपान करते हैं। और उसकी वजह से खांसी होने लग जाती है। ऐसी स्थिति के अंदर यदि आप धुम्रपान करते हैं तो आपको धूम्रपान कम करने की जरूरत है। और इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए ।
- फेफड़ों के कैसर होने की वजह से भी खांसी हो सकती है। आमतौर पर फेफड़ों के कैंसर के अंदर खांसी के साथ खून भी आ सकता है। यदि आपको फेफड़ों के कैंसर के बारे मे शक लगता है तो आपको एक बार अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए और वह जो निर्देश देते हैं आपको उसका पालन करना चाहिए ।
- खांसी गैस्ट्रोएसोफैगेल रीफ्लक्स डिज़ीज़ की वजह से भी खांसी होती है। जब आप खाना खाने के बाद लेटते हैं तो फिर भोजन नली के अंदर आ सकता है। ऐसिड़ की वजह से आपको खांसी हो सकती है। इस तरह की खांसी को रोकने के लिए दवा नहीं कुछ सावधानियां बरतने की जरूरत है।
- इसके अलावा कुछ दवाएं भी ऐसी होती हैं जिनकी वजह से खांसी हो सकती है। यदि आप इस तरह की दवाएं ले रहे हैं तो आपको चाहिए कि आप एक बार अपने डॉक्टर को बताएं और आपका डॉक्टर आपको जो निर्देश देता है। आपको उसका पालन करना चाहिए । यही आपके लिए जरूरी होगा ।
- ऊपरी श्वसन तंत्र के संक्रमण की वजह से कुछ खांसी हो सकती है। जिसकी वजह से सर्दी जुकाम आदि की वजह से यह खांसी हो सकती हैं। आमतौर पर यह कई लोगों के अंदर देखने को मिलती है।
- इसके अलावा यदि आपको फेफड़ों मे किसी भी तरह का संक्रमण है तो यह खांसी हो सकती है। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए । आप इस बात को भी समझ सकते हैं।
अब यदि हम बात करें खांसी के बचाव की तो दोस्तों आपको बतादें कि खांसी से बचाव करने का कोई भी तरीका नहीं है। आपको इसके बारे मे पता होना चाहिए ।
- उन लोगों से आपको दूरी बनानी होगी जिनको जुकाम हुआ है। नहीं तो संक्रमण आपके अंदर फैल सकता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
- फ्लू और जुकाम के मौसम में आपको बार बार हाथ धोना चाहिए ताकि आप संक्रमण से बहुत ही आसानी से बच सकें। और आपके लिए यह करना जरूरी है।
- यदि आपको खांसी से बचना है तो ध्रुम्रपान नहीं करना चाहिए । ऐसा करने का नुकसान यह होगा कि आपको बार बार खांसी आएगी और समस्या और अधिक विकट हो सकती है।
- इसके अलावा तरल पदार्थ का अधिक से अधिक सेवन करें। ऐसा इसलिए क्योंकि यह बलगम को पतला करने मे काफी अधिक मदद करता है।
- फ्लू टीका हर साल लगता है तो आप हर साल इसका टीका लगाएं । जिससे कि आप संक्रमण से बहुत ही आसानी से बच सकते हैं।
- इसके अलावा आपको अपनी शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता के अंदर सुधार करते रहना चाहिए । क्योंकि यदि आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी होगी तो फिर काली खांसी कुकर खांसी जैसी समस्याएं आपका कुछ भी नहीं बिगाड़ पाएंगी । इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
- यदि कोई व्यक्ति, लंबे समस से ग्रसित फेफेड़ों की बिमारी के लिए दवा ले रहा है तो आपको चाहिए कि आप उस व्यक्ति से दूरी बनाकर रखें यही आपके लिए सही होगा ।
यदि आपकी उम्र अधिक है और आप किसी तरह की फेफड़ों की बीमारी से ग्रस्ति हैं तो आपको चाहिए कि आप अपने डॉक्टर के बताए जाने वाले सभी तरह के नियमों का पालने करें। वरना आपके लिए समस्या का सबब हो सकता है।
सफेद तिल खाने के फायदे बुखार मे
हमारे शरीर का सामान्य तापमान 98.6 डिग्री F तक होता है। लेंकिन जब शरीर का तापमान अधिक हो जाता है। तो इस स्थिति को बुखार के नाम से जाना जाता है। वैसे आपको बतादें कि बुखार अपने आप मे कोई रोग नहीं है। बुखार एक तरह से किसी रोग से लड़ने की वजह से उत्पन्न होता है। इसका मतलब यह है की बुखार रोग का लक्षण होता है। यदि सफेद तिल की बात करें तो यह बुखार के अंदर काफी अधिक फायदेमंद होते हैं।यदि आप तिल की लुगदी को बनाकर उनका सेवन घी के साथ करते हैं तो यह काफी फायदेमंद होता है।
वैसे कई बार बुखार अधिक थकान की वजह से भी हो सकता है। जब हम कई बार अधिक श्रम कर लेते हैं तो उसके बाद शरीर काफी गर्म हो जाता है। और हमे ऐसा लगने लग जाता है कि बुखार हो गया है। इस तरह से कई बार बुखार किसी वायरल संक्रमण का भी परिणाम हो सकता है। आपको पता होना चाहिए ।
सर्दी, मूत्र मार्ग में संक्रमण मेनिनजाइटिस, मलेरिया, एपेन्डिसाइटिस आदि की वजह से भी बुखार हो सकता है। आपको इसके बारे मे पता होना चाहिए ।निम्न स्तर के बुखार की सीमा लगभग 100 डिग्री F – 101 डिग्री F तक होती है। और 102 डिग्री एफ को मध्यम स्तर के बुखार के नाम से जाना जाता है।
104 डिग्री F से अधिक उपर यदि बुखार जाता है तो उसके बाद हम उसको उच्च स्तर के बुखार के नाम से जानते हैं। आपको इसके बारे मे पता होना चाहिए । और आप समझ ही सकते हैं।
- निमोनिया (lobar pneumonia), टाइफाइड, मूत्र पथ में संक्रमण आदि की वजह से जो बुखार होता है वह आमतौर पर 24 घंटे तक समान ही रहता है। इसके अंदर कोई भी शक नहीं है।और इसके लक्षणों के आधार पर डॉक्टर दवा देते हैं।
- टाइफाइड और संक्रमित एंडोकार्डिटिस रोग से जो रोगी ग्रस्ति हो जाते हैं उनके शरीर का तापमान सामान्य से उपर ही रहता है। और इसके अंदर कोई बदलाव नहीं होता है। ऐसी स्थिति के बारे मे भी डॉक्टर निर्देशित करता है।
- मलेरिया, प्यूमिया( pyemia) और सेप्टीसीमिया के बुखार के अंदर जो शरीर का तापमान है वह कुछ घटों के लिए ही अधिक रहता है।बाकि पूरे दिन सामान्य रहता है। मरीज को सही से पता ही नहीं चल पाता है कि वह रोगी है या फिर नहीं है।
- Pel Ebstin Type के बुखार के अंदर शरीर का तापमान मे बार बार बदलाव होता है। 3 दिन के लिए शरीर का तापमान उच्च होता है। उसके बाद अगले 3 दिन के लिए शरीर का तापमान काफी कम हो जाता है। आप समझ सकते हैं। इस स्थिति के अंदर आप अपने डॉक्टर को भी संपर्क कर सकते हैं और आपका डॉक्टर आपको जो निर्देश देता हैं। उसका पालन करने की जरूरत है। आप अच्छी तरह से समझ सकते हैं।
- मियादी बुखार के अंदर बुखार का एक पैटर्न होता है। इसके अंदर बुखार कुछ दिनों तक रह सकती है। और उसके बाद कुछ हफतों तक किसी भी तरह के लक्षण मौजूद नहीं होते हैं। जिससे मरीज को पता नहीं चल पाता है।
बुखार के लक्षण के बारे वैसे तो आपको बताने की कोई भी आवश्यकता नहीं है। क्योंकि बुखार का पता अधिकतर मामलों के अंदर आसानी से चल जाता है। यदि नहीं चलता है तो फिर हम आपको इसके कुछ लक्षणों के बारे मे बताने वाले हैं। जिससकी मदद से आपको आसानी से इसका पता चल जाएगा ।
- सुस्त होना
- नाक का बहना
- दस्त
- उल्टी
- कमजोरी महसूस होना
- आंखों मे दर्द होना
- हर्ट गति तेज होना
- बेहोशी और चक्कर आना
- शरीर का तापमान अधिक होना ।
बुखार के कारण के बारे मे बात करें तो इसके कई सारे कारण हो सकते हैं जिसकी वजह से बुखार आता है तो आइए एक नजर बुखार के कारणों पर भी डाल लेते हैं जिससे कि आपको भी पता चलेगा कि बुखार किस वजह से हो सकता है तो आइए जानते हैं।
- वायरस संक्रमण
- जीवाणु द्वारा संक्रमण
- बेहद अधिक थकान होने पर
- सूजन की वजह से बुखार हो सकता है।
- घातक टयूमर की वजह से बुखार हो सकता है।
- इसके अलावा कुछ दवाओं की वजह से भी बुखार हो सकता है।
बुखार आमतौर पर अधिकतर केस के अंदर जीवाणु के संक्रमण की वजह से होता है। तो आइए जानते हैं बुखार से बचने के लिए कुछ उचित कदम उठा सकते हैं ।
- अक्सर अपने हाथों को अच्छे से साफ करना चाहिए खासतौर पर शौचालय जाने के बाद या फिर यदि आप किसी इंसान से मिलते हैं और कुछ चीजों का आदान प्रदान करते हैं तो भी आपको यह करना चाहिए । अपने हाथों को सही से साफ करना जरूरी हो जाता है। इस तरह की अच्छी आदत के बारे मे आपको अपने छोटे बच्चों को भी सीखाना चाहिए ।
- इसके अलावा बच्चों को सही तरीके से हाथ धोना नहीं आता है। इसलिए आपको चाहिए कि आप अपने बच्चों को सही तरीके से हाथ धोना सिखाएं । यही आपके लिए सही होगा ।
- हैंड सेनेटाइजर आप अपने पास रख सकते हैं। यदि साबुन उपलब्ध नहीं है तो आप इसका प्रयोग कर सकते हैं।
- इसके अलावा यदि आप खांस रहे हैं या फिर छींक रहे हैं तो आपको दूसरे लोगों से दूरी बनाकर रखनी होगी ताकि संक्रमण नहीं फैले और मास्क पहनकर जा सकते हैं। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए ।
बिस्तर मे पेशाब कर देने की बीमारी के ईलाज मे
दोस्तों आपको बतादें कि बिस्तर मे पेशाब करना भी एक प्रकार की बीमारी होती है। आपको इसके बारे मे पता होना चाहिए ।नॉकटर्नल एनुरेसिस के नाम से इस बीमारी को जाना जाता है। आपको इसके बारे मे पता होना चाहिए । आपको बतादें कि यह बीमारी बच्चों और खासकर पुरूषों के अंदर अधिक होती है। महिलाओं मे कम ही देखने को मिलती है। मैं खुद भी ऐसे कई लोगों को जानता हूं जोकि नींद मे पेशाब कर देते हैं। और उनको इसके बारे मे कुछ भी पता नहीं रहता है। यदि किसी को इस तरह की समस्या है तो उसे तिल का सेवन लंबे समय तक करना चाहिए । तिल का सेवन काफी फायदेमंद होता है। आपको इसके बारे मे पता होना चाहिए ।
वैसे यह एक बहुत ही बुरी समस्या है। यदि आप किसी रिश्तेदार के यहां पर गए हुए हैं तो फिर आपको समस्या हो सकती है। और यह आपको शर्मिंदा कर सकता है। आपको समझजाना चाहिए ।
यदि हम नींद मे पेशाब के कारणों की बात करें तो इसके कई सारे कारण होते हैं जिसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । जैसे कि
- पेशाब की थैली का कैंसर होना
- मधुमेह का होना
- रीढ़ की हडडी मे चोट लगना ।
- पेशाब के रस्ते मे संक्रमण
- प्रोटेस्ट ग्रंथि का बढ़ना
- चिंता और तनाव का होना ।
इसके अलावा यह जो समस्या होती है वह तंबाखू और शराब आदि का अधिक सेवन करने से भी हो सकती है। यदि आपको इस प्रकार की समस्या है तो आपको चाहिए कि आप अपने डॉक्टर से एक बार परामर्श करें और आपका डॉक्टर आपको जो निर्देश देता है आपको उसका पालन करना चाहिए ।यह आपके लिए सबसे अधिक जरूरी भी है।
बेड पर खिलाड़ी बना देता है तिल
दोस्तों आजकल जीवन ही पूरा घनचक्कर हो गया है। आजकल पैसा इतना जरूरी हो गया है कि पैसा के चक्कर मे सब कुछ छूट गया है। और ऐसी स्थिति के अंदर मर्द जात की उत्तेजन काफी कम हो गई । जिसकी वजह से महिलाएं संतुष्ट नहीं हो पाती हैं। आजकल के मर्द वैसे भी ढीले हो चुके हैं। बेड पर जाते ही आउट हो जाते हैं। ऐसी स्थिति के अंदर क्या किया जा सकता है। आप इस बात को समझ सकते हैं। खैर तिल और भृंगराज के पत्तों को लगातार एक मास तक सेवन करने से लाभ मिलता है । और यह काफी फायदेमंद भी होता है। आमतौर पर इसका किसी भी तरह का साइड इफेक्ट नहीं होता है। आप इस बात को समझ सकते हैं। वैसे आप अपनी स्थिति के अंदर दवा लेकर भी सुधार कर सकते हैं। लेकिन यदि दवा की मदद से भी सुधार नहीं आता है तो आप देशी दवा ले सकते हैं। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
बाहर दम भरने वाले अधिकतर मर्द बेड पर आने के बाद नो बोल से भी आउट हो जाते हैं। यह बात तो सच ही है। खैर दुनिया के अंदर यह सब चलता रहता है आप तिल का उपाय करके देख सकते हैं। यदि आपको यह समस्या है तो यदि समस्या नहीं है तो फिर अच्छी बात है।
मूत्रजलन में तिल के फायदे
पेशाब करते समय कई बार काफी तेज जलन होती है। इस प्रकार की जलन को कई लोग अनुभव करते हैं। और हो सकता है कि आपने भी इसको अनुभव किया हो।इस समस्या को डिस्युरिया के नाम से जाना जाता है। और यह किसी भी उम्र की महिला और पुरूष को हो सकती है। यह बच्चों को भी हो सकती है। यदि हम मूत्र मे जलन की बात करें तो मूत्र मे जलन के लिए तिल काफी फायदेमंद हो सकता है। इसके लिए आप यह कर सकते हैं।तिल के ताजे पत्तों को 12 घण्टे तक पानी में भिगोकर उस पानी को पिलाने से काफी लाभ होता है। आपको इसके बारे मे पता होना चाहिए । और यह किसी भी तरह से हानिकारक नहीं होता है।
वैसे आपको बतादें कि यह जो समस्या होती है वह महिलाओं के अंदर अधिक होती है। मूत्र पथ मे संक्रमण अपने आप मे कोई बीमारी नहीं है। और यह संक्रमण का लक्षण होता है। यदि आप इस स्थिति के अंदर डॉक्टर के पास जाते हैं तो डॉक्टर आपको एंटिबायोटिक दवा दे सकते हैं। जिससे कि यह समस्या बहुत ही आसानी से ठीक हो जाएगी ।
पेशाब मे जलन के लक्षण की बात करें तो इसके कई सारे लक्षण हो सकते हैं । जिसकी मदद से आप इसकी गम्भीरता को समझ सकते हैं तो आइए जानते हैं। पेशाब मे जलन के लक्षण के बारे मे ।
- बुखार
- जांघ के अंदरूनी हिस्से में दर्द
- मूत्र में ज्यादा बदबू आना
- पेशाब में खून आना या धुंधला पेशाब
- पेट मे दर्द
- मतली उल्टी
- दस्त होना ।
- इसके अलावा गुप्त अंग के अंदर खूजली हो सकती है।
- जलन हो सकती है।
- इसके अलावा पीड़ा और जलन होती है।
दोस्तों यदि हम पेशाब मे जलन के कारणों की बात करें तो इसके कई सारे कारण होते हैं जोकि पेशाब के अंदर जलन पैदा होने के कारण हैं तो आइए जानते हैं उन कारणों के बारे मे ।
- ब्लैडर इन्फेक्शन (सिस्टाइटिस)
- योनि संक्रमण
- मूत्रपथ का संक्रमण (यूटीआई)
- बच्चेदानी में सूजन
- मूत्रमार्ग मे संक्रमण आदि इसके कारण हो सकते हैं।
- कैंसर
- पुरूषों मे प्रोटेस्ट की बीमारी आदि ।
यदि पेशाब के अंदर जलन हो रही है तो उससे बचने के लिए आप क्या कर सकते हैं जिससे कि आपको इस समस्या का सामना नहीं करना पड़े तो इसके लिए हम आपको कुछ उपाय बताने वाले हैं जिसकी मदद से आप इससे बच सकते हैं।
- अधिक मात्रा मे तरल पदार्थ का सेवन करें
- अधिक मात्रा मे मूत्र अंदर ना रखें
- और यौन संबंध बनाने के बाद पेशाब करना जरूरी है।
- इसके अलावा असुरक्षित संबंध बनाने से आपको बचना होगा ।
- इसके अलावा आपको टाइट अंडरवियर नहीं पहनना चाहिए तो आप समझ सकते हैं।
दंत रोग में तिल के फायदे
दोस्तों आजकल दंत रोग भी काफी तेजी से बढ़ते ही जा रहे हैं। छोटे छोटे बच्चों के दांतों के अंदर कीड़े लग जाते हैं जिसकी वजह से उनको दांत निकालने पड़ते हैं। इसका जो सबसे बड़ा कारण है वह खानपान ही है। आजकल इसी तरह का खानपान हो चुका है। कि दांत मे कीड़े पड़ते देर नहीं लगती है। और यदि आप डॉक्टर के पास जाएंगे तो डॉक्टर क्या करेंगा उसके अंदर मसाला भरदेगा दांतको निकाल देगा । लेकिन कोई भी कार्य असल मे सही तरह से काम नहीं करता है। यदि दांतों के अंदर मसाला भर दिया जाएगा तो भी यह लंबे समय तक नहीं चलेगा ।
और नकली दांत के बारे मे तो आप अच्छी तरह से जानते ही हैं। उसके अधिक पैसा लगने के बाद भी वह असली दांत का मुकाबला नहीं कर सकता है। ऐसी स्थिति के अंदर हम कुछ नहीं कर सकते हैं। लेकिन कुछ घरेलू तरीके हैं जिसकी मदद से आप अपने दांत को बचा सकते हैं। जोकि एक तरह से काफी फायदेमंद होगा ।
आप जितना अपने दांत को चला सकते हैं उतना आपको चलाना चाहिए । और यह जरूरी भी है। दांत को निकालना तो एक अंतिम उपाय है जिसको आप कभी भी कर सकते हैं। इस तरह से आप समझ सकते हैं । आपको बतादें कि जिन लोगों को दांतों की समस्या हो उनको चबा चबा कर तिलों का सेवन करना चाहिए दांतों की समस्याएं दूर हो जाएंगी ।
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