समाचार पत्र का पर्यायवाची – दोस्तों समाचार पत्र की मदद से हम देश विदेश की न्यूज को पढ़ते हैं।समाचार पत्र के अंदर एक दिन के अंदर होने वाली घटनाओं को प्रकाशित किया जाता है। प्रतिदिन आने वाले समाचार पत्र को दैनिक समाचार पत्र कहा जाता है जैसे दैनिक भास्कर इसके अलावा रोजाना महिने से आने वाले समाचार पत्र को मासिक समाचार पत्र के नाम से जाना जाता है। इसके अलावा समाचार पत्र वार्षिक और साप्ताहिक भी होते हैं।
वैसे भी आजकल तो इंटरनेट का जमाना है। जिसके अंदर समाचार पत्रों का उतना अधिक महत्व नहीं रहा है। आज youtube जैसे बड़े प्लेट फोर्म आ चुके हैं। जिसके अंदर अब विडियो अपलोड होता है । और वहीं पर सब कुछ देखा जाता है।
समाचार पत्र का पर्यायवाची samachar patra ke paryayvachi shabd
समाचार के पर्यायवाची शब्द के अंदर आते हैं न्यूजपेपर , दैनिक पत्र , अखबार , चरचा
घटनायें, राजनीति, खेल-कूद, व्यक्तित्व, विज्ञापन आदि चीजें अखबार के अंदर प्रकाशित होती हैं। वैसे देखा जाए तो आजकल अखबार का महत्व कम होता जा रहा है। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि अब लोग इंटरनेट के उपर सर्च करके खबरे पड़ते हैं। कुछ लोग विशेष क्षेत्र की खबरों की वेबसाइट भी चलाते हैं।
सबसे पहला ज्ञात समाचारपत्र 59 ई.पू. का ‘द रोमन एक्टा डिउरना’ है। जूलिएस सीसर ने महत्वपूर्ण सामाजिक और राजनैतिक घटनाओं से अवगत करवाने के लिए इसको प्रकाशित करवाया गया था।8वी शताब्दी में चीन में हस्तलिखित समाचारपत्रो का प्रचलन हुआ था।
समाचार पत्रों के बारे मे कुछ मजेदार चीजें
- दोस्तों क्या आपको पता है कि अकेले चीन के अंदर ही हर साल 42 बिलियन से अधिक समाचार पत्र प्रकाशित किये जाते हैं।
- चीन के अंदर पहली बार जो समाचार पत्र परसारित हुआ था उसका नाम टेपो था।
- समाचार पत्रों को रिसाइकिल करने मे प्रयोग लिया जाता है।तत्कालीन औसत अखबार में 30 प्रतिशत पुनर्नवीनीकरण फाइबर सामग्री होती है।
- यदि यूरोप के अंदर पहले आधुनिक समाचार की बात करें तो यह सबसे पहले 1605 में प्रकाशन जर्मनी मे हुआ था ।उसके बाद 1631ई के अंदर फ्रांस मे इसको प्रकाशित किया गया था।
- 2006 में, अमेरिकी में समाचार पत्रों के लिए रीसाइक्लिंग दर 88 प्रतिशत थी।
- भारत में, टाइम्स ऑफ इंडिया सबसे बड़ा अंग्रेजी अखबार है, जिसकी प्रतिदिन 2.14 मिलियन प्रतियां बिकती हैं।
- विश्व पत्रकारिता के आरम्भ की बात करें तो इसकी शूरूआत सबसे पहले रोम के अंदर 131 ईस्वी पूर्व हुई होगी । और यहां पर Acta Diurna नाम का यह समाचार पत्र दैनिक था और आस पास की न्यूज दिया करता था।
- 15वीं शताब्दी के मध्य में योहन गूटनबर्ग ने छापने की मशीन का आविष्कार किया था। इसके बाद अखबारों का प्रकाशन शूरू हो गया था।
- 16वीं शताब्दी के अंत में, यूरोप के शहर स्त्रास्बुर्ग में, योहन कारोलूस नाम का एक कारोबारी हाथ से लिखकर समाचार पत्र बेचता था लेकिन यह बहुत अधिक महंगा था और इसके अंदर समय भी बहुत अधिक लगता था।उसके बाद उसने 1605 ई के अंदर एक मशीन खरीदी और रिलेशन नामक समाचार पत्र का प्रकाशन करना शूरू कर दिया था।
- छापे की पहली मशीन भारत में 1674 में पहुंची थी और देस का पहला अखबार 1776 ई के अंदर प्रकाशित हुआ था।विलेम बॉल्ट्स नामक एक अंग्रेजी अधिकार इस समाचार पत्र को प्रकाशित करता था और वह इसको अंग्रेजी के अंदर प्रकाशित करवाता था।
- 1780 में जेम्स ओगस्टस हीकी का अख़बार ‘बंगाल गज़ेट’ था ,जिसके अंदर स्वतंत्र विचार व्यक्ति किया गया था।इस अखबार के अंदर अंग्रेजी अधिककारियों के जीवन के उपर लेख प्रकाशित होते थे । हीकी शासकों की आलोचना करने मे बाज नहीं आता था। इसके लिए उसके उपर कई बार जुर्माना लगाया गया और अंत मे उसे जेल मे डाल दिया ।उसके बाद यह अखबार भी बंद हो गया ।
- 1790 के बाद भारत में अंग्रेज़ी भाषा के अंदर कई और समाचार पत्र भी प्रकाशित हुए । लेकिन वे कुछ ही दिनों तक ही चल सके ।
सन 1811 ई के बाद कलकता के कुछ व्यापारियों ने कलकत्ता क्रॉनिकल नामक एक समाचार पत्र प्रकाशित करना शूरू कर दिया था। इस समाचार पत्र के संपादक जेम्स सिल्क बकिंघम थे । जिन्होंने अखबारों की स्वतंत्रता और सामाजिक सुरक्षा के बारे मे आवाज उठाई थी।उन्होंने अपने समाचार के अंदर स्थानिए लोगों की समस्याओं के बारे मे अच्छी तरह से लिखा और उसके बाद उन्होंने सती प्रथा के विरूद्व भी आवाज उठाई थी।1822 में एक बंगाली समाचार पत्र ‘संवाद कौमुदी’ हुई और इसके अलावा उन्होंने मिरात-उल-अखबार का भी प्रकाशन किया था।
भारत का पहला फारसी अखबार 12 अप्रैल 1822 को राजाराम मोहन राय ने प्रकाशित किया था । उस अखबार को मिरात-उल-अखबार के नाम से जाना जाता था।मिरात-उल-अखबार हर शुक्रवार को प्रकाशित किया जाता था। इस अखबार के अंदर लोगों की समस्याओं को उठाया जाता था । इसके अलावा लोगों को जागरूक करने का काम भी किया जाता था। इसके अलावा शासकों के सामने भी कुछ समस्याएं रखी जाती थी।
राजा राम मोहन राय हिंदू धर्म की कूरितियों के खिलाफ आवाज उठाने मे लगे थे । इसका परिणाम यह हुआ की हिंदू वादी संगठन राजाराम मोहनराय के विरूद्व हो गए । और उसके बाद उनको मारने की धमकियां भी दी जाने लगी ।ऐसी स्थिति के अंदर लोगों के अंदर गहरे गुस्से की भावना भर गई और फिर ब्रिटिश शासन को संदेह होने लगा । 10 अक्टूबर 1822 में डब्ल्यू.बी बेली ने इंडिया प्रेस की आलोचना की थी । उनका मानना था कि यह समाचार पत्र शासन के नियमों के विपरित थे ।1823 में, जॉन एडम ने प्रेस को कंट्रोल करने के लिए एक अध्यादेश लाया गया और उसके बाद उसने प्रेस की आजादी को छीन लिया गया । अब प्रेस को चलाने से पहले सरकार से लाइसेंस लेना होता था। और बिना लाइसेंस के यदि कोई प्रकाशन करता तो उसके उपर कार्यवाही हो सकती थी।
मिरात-उल-अख़बार के अंदर कुछ आपतिजनक सामग्री को लेकर सरकार ने अखबार से जावाब मांगा राजाराम मोहनराय ने इसके लिए अपील भी की लेकिन उनकी अपील को खारीज कर दिया गया और उसके बाद जेम्स सिल्क बकिंघम को भारत से निकाल दिया गया और 4 अप्रैल 1823 मे राजाराम मोहनराय के द्वारा लिखे जाने वाले अखबार के उपर प्रतिबंध लगादिया गया ।
1822 में फरदोंजी मुर्ज़बान द्वारा ‘बॉम्बे समाचार’ की शूरूआत की थी। इसी समय पर उूर्द और फारसी और बंगाली के अंदर दूसरे अखबारों का प्रकाशन हो रहा था। 3 नवंबर, 1838 – टाइम्स ऑफ इंडिया ने अपना पहला संस्करण द बॉम्बे टाइम्स और जर्नल ऑफ कॉमर्स प्रकाशित किया था। उसके बाद 1857 को भारत में स्वतंत्रता की लड़ाई के समय पत्रकारिता का और अधिक प्रचलन हो गया था।
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