हम आपको शीतला माता व्रत कथा sitala mata vrat katha , और शीतला माता के व्रत करने के नियम और तरीकों के बारे मे विस्तार से बताने वाले हैं।इसके अलावा शीतला माता की आरती , आदि भी आप पढ़ सकते हैं।
शीतला माता हिंदुओं कीएक प्रसिद्व देवी है।प्राचीन काल के अंदर शीतला माता कोबहुत अधिक माना जाता था। हालांकि समयके साथ इसकी मान्यता मे कमी आईहै। इसके वाहन कोगधा बताया जाता है।स्कंद पुराण के अंदर शीतला देवी केबारे मे उल्लेख मिलता है।
यह एक हाथ केअंदर कलश को धारण किये रहती हैऔर दूसरे हाथ मेझाडू धारण किये हुएरहती है। इस देवी के साथ नीमकी पति को भीजोड़ा जाता है। औरइस देवी को मुख्य रूप से चेचक को दूर करने के लिए अवतरित किया गया था।
आमतौर परयह एक प्रतिकात्मक है।झाड़ू से फोड़ों काफटना और रोगी कोठंडा जल प्रिय होता है। इस वजहसे कलश का महत्व बताया गया है।ऐसा एक स्त्रोत कीरचना भगवान शंकर नेकी थी । उन्होंने यह सब लोकहित के लिए किया था।
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शीतला माता व्रत कथा sitala mata vrat katha
एकगाव मे ब्राह्मण पतीपत्नी रहते थे ।उनके दो बेटे थेव दो बहुऐ थी।दोनो बहुएं के बहुत समये के बादपुत्र हुए थे ।इतने समये मे शीतला सप्तमी आ गयी। शीतला अष्टमी केपहला दिन ही घरमे ठण्डा भोजन तयार किया गया। दोनो बहुओ को लगाकि वो ठण्डा भोजन ग्रहण करेगी तोवो बिमार हो जायेगी ओर हमारे बेटे अभी बहुत छोटे है ।इस गलत विचार के केरण दोनो बहुओ ने चुपके से दो बाटी तयार कर ली।
सास ओरदोनो बहुएं शीतला माता की पुजा करकर कथा सुनी । बादमे सासतो माता शीतला केभजन करने केलिये बेठ गई ।दोनो बहुएं अपने बेटे के रोने केबहाना से घर कीओर आ गई ।दाने के बरतन सेगरमा गरम रोटी निकालकर चुरमा किया व अपना अपना पेट भर लिया । सास नेघर आकर भोजन करने को कहा ।भहुएं बहुत ठण्डा भोजन करने का बहाना करकर अपने कामलग गई।
सास ने कहा बच्चे कब से सोये हे उन्हें जगाकर भोजन करा लो।बहुएं जेसे हि अपने अपने बेटे कोजगाने गयी तो उसेमरा हुआ पाया ।बहुओं की वजह सेयह शीतला माता काप्रकोप था। और जैसे ही सास कोइस बात का पताचला तो वह बहुत दुखी हुई औरबोली ………. तुम्हारी वजहसे बेटे मर गएऔर जिन बैटों कीबदौलत तुमने धन कमाया और तुमको नाजहै। अब तुम जाओ और उनको जिंदा करके वापस लाओ ।
उसके बाद मरे हुए बेटों कोटोकरों के अंदर उठाकर दोनो निकल गईउसके बाद रस्ते केअंदर एक खेजड़ी कापेड़ आया ।उसके नीचे ओरी व शीतला दो बहिने बैठी हुई थी। उनके बालों के अंदर बहुत सारी जुंए थी।
उसके बाद दोनो बहूओं ने उन दोनों बहनों के सिरकी जुएं को निकाला ।उसके बाद दोनों बहनों ने सरके अंदर शीतलता काअनुभव किया तो वेबोली ……….जिस तरहसे तुमने हमारे सरको शीतल किया है।वैसे ही तुम दोनों को पेट कीशांति मिले ।
उसके बाद दोनो बहुएं एक साथ बोली कि पेट कादिया हुआ ही तोलेकर हम हर जगहपर मारी मारी फिररही हैं।शीतला माता कोकाफी तलास किया लेकिन अभी तक उनके दर्शन नहीं हुएहैं।
शीतला माता ने उसके बाद कहा ……….तुमदोनों पापीनी हो दूष्ट हो ,दुराचारिणी हो,तुम्हारा तो दर्शन करना ही सही नहीं है। तुम दोनों ने शीतला सप्तमी के दिन तुमदोनों को ठंडा भोजन करना चाहिए थालेकिन उसके बाद भीगर्म भोजन कर लिया ।
यहबात सुनकर दोनो बहुएं शीतला माता कोपहचान गई और बोली ..
हम तो भोली भाली हैं ,अजनाने केअंदर गर्म भोजन खालिया था ,आपके प्रभाव को नहीं जानती थी। हम अपनी गलती को स्वीकार करती हैं।आप हमेक्षमा प्रदान करें ।दुबारा हम ऐसा कार्य कभी नहीं करेंगी ।
उनके पश्चाताप से भरेशब्दों को सुनने केबाद शीतला माता बहुत अधिक प्रसन्न होगईं और उनकी याचना के बाद उन्होंने दोनो मर चुके पुत्र को जीवित कर दिया ।
उसके बाद दोनों बहुए अपने बेटों कोलेकर गांव आ गई। गांव वालों कोजब इस बात कापता चला कि उनको शीतला माता केसाक्षात दर्शन हुए हैंतो गांव वालों नेउन बेटो और बहुओं का स्वागत किया । उसके बाद बहुओं नेगांव के अंदर शीतला माता का मंदिर बनाया ।और सबलोग शीतला माता कोपूजने लगे ।
शीतला माता ने बहुओं पर जैसी अपनी दृष्टि की वैसी कृपा सब परकरें। श्री शीतला मांसदा हमें शांति,शीतलता तथा आरोग्य प्रदान करने की क्रपा करे ।
श्री शीतला मात की जय
शीतला माता व्रत कथा2
कई जगहपर व्रत के समययह कथा कही जाती है।प्राचिन समय सेहि हिन्दु धर्म शीतला माता कि मान्यता रहि है ।एसी ही एक कथामें एक ब्राह्माण केसात बेटे थे उनसब की शादी होगयी परन्तु उनकि कोई भी संतान नही थी ।एक बूढ़ी माता नेब्राह्माणी को उनके पुत्र वधुओ सेशीतला माता का वर तकराने को कहा ।उस ब्राह्माणी ने अपनी पुत्र वधुओं सेश्रद्धापूर्वकव्रत कराया ।
जिससे उनकी पुत्र वधुओ को संतान प्राप्ति हुई । एकबार ब्राह्माणी व्रत कानियम का पालन नहिकिया, वो गर्म जलसे स्नान कर लिया ।
इतना हीनहि, उसने गर्म भोजन कर लिया साथही उनकी बहुओ नेभी यहि गलती दोहराई । उसी रातब्राह्माणी ने बहयकर स्वंन देखा तेा वह जागगई ।
तब उसने देखा कि उसके सभी परिवार केसदस्य मर चुके थे। ऐसा देखकर वहशोक करने लगी, उसके पड़ोसियों नेबताया की भगवती शीतला माता के प्रकोप से हुआ है।
यह सुनकर ब्राह्माणी का विलाप ओर ज्यादा बढ़गया । वह विलाप करती हुई जगलकी ओर चली गई। जगल मेउसे एक बुढ़िया मिली जो अंनि ज्वाला से तडप रहीथी । बुढ़िया नेकहा की उसे इसजलन से दुर करने के लिये मिट्टी के बर्तन से धई निकाल कर उसे लेपकरे ।
इससे ज्वला शांत हो जायगी यह बात सुनकर यह सुनकर ब्राह्माणी को अपने किये पर पश्चाताप हुआ। उसने मता शीतला से मफी मागी ओर अपने परिवार को जीवित करने कि विनती की ।
माता नेउसे दर्सन दिया ओरसभी को धही कालेप लगाने को कहा, उसने वेसाही किया ।एसा करने से उसका परिवार से सभीसदस्य जीवित हो गये। इस दिन सेमता की पुजा पुत्र कामना केलिये करते है ।
शीतला माता व्रत कथा3
बहुत प्राचीन समय किबात है ,एक गावमे एक बूडी ओरतरहती थी । उसगाव मेअष्टमी के दिनशीतला माता कि पुजा का आयोजन हुआ। गाव वालो नेमाता शीमला को प्रसाद के रुप मेगरिष्ठ का प्रसाद चडाया ।
गरिष्ठ प्रसाद से माता का मुह जलगया । माता इसकारण से नाराज होकर पुरे गाव मेआग लगा दी ।इससे पुरा गाव जलकर तहस नहस होगया केवल उस बुडीया का घर बचगया ।
सभी गाववाले उस बुडियां सेउसका घर न जलने का कारण पु़छा , तब उसने मताशीतला को प्रसाद खीलाने की बात बताई । उस बुडिया ने बताया किवह रात को हीप्रसाद बनाकर रख दिया था , जो बादमे उसने ठण्डा प्रसाद का माता कोभोग लगाया ।
बुडीया कि बातको सुनकर गाव वालो को अपनी गलती का अहसास हुआ। तब गाव केलोग माता से क्षमा मागी ओर अगली बार ठण्डा वबासी प्रसाद चडाने कावचन दिया । तबसे ऐसी मान्यता बनगयी ।
शीतला माता व्रत की पूजा विधि
दोस्तों यदि आप शीतला माता का व्रत करते हैं तो आपको इनकी पूजा विधि के बारे मे भी सही से पता होना आवश्यक होता है।बहुत से लोग सही पूजा विधि को नहीं जानते हैं तो आइए आपको बताते हैं इसके बारे मे । शीतला सप्तमी के एक दिन पहले मीठा भात (ओलिया), खाजा, चूरमा, मगद, नमक पारे, शक्कर पारे, बेसन चक्की, पुए, पकौड़ी,राबड़ी, बाजरे की रोटी आदि कुछ भी पूजा करने से पहले नहीं खाना चाहिए । यह उचित नहीं माना गया है।
सप्तमी के एक दिन पहले छठ को सारा भोजन बनालें उसके बाद रशोई की साफ सफाई करें । फिर रोली, मौली, पुष्प, वस्त्र आदि माता को अर्पित करते हुए उनकी पूजा की जानी चाहिए ।
· शीतला सप्तमी के पहले दिन आपको नौ कंडवारे और एक एक कुल्हड और दीपक मंगवालेना चाहिए ।
· बासोडे के दिन सुबह जल्दी उठना चाहिए और ठंडे पानी से स्नान कर लेना चाहिए।
· एक थाली के अंदर दही राबड़ी ,पौवा पकोड़ी आपने जो भी बनाया है वह रख सकते हैं।इसके अलावा दूसरी थाली के अंदर चावल, मेहंदी, काजल, हल्दी, मोली, वस्त्र, होली वाली बड़कुले की एक माला व सिक्का भी रख देना है।
· कलश के अंदर आपको ठंडा जल भरकर रखना होता है। इसके अलावा आटा गूंथे नमक बिना और इसका एक दीपक बनाएं उसके बाद दीपक के अंदर रूई घी के अंदर भरकर लगाएं और बिना जलाए ही इसको माता को चढ़ाया जाता है। पूजा करने के बाद घर के सभी सदस्यों को रोली और हल्दी से टीका करना होता है।
उसके बाद घर पर या मंदिर के अंदर जाकर पूजा करना होता है। सबसे पहले माता को जल चढ़ाएं और हल्दी से टीका करें ।काजल, मेहंदी, लच्छा, वस्त्र चढ़ाकर प्रसाद भी
शीतला माता व्रत केफायदे
दोस्तों शीतला माता का पूजन बहुत अधिक उपयोगी होता है।हिन्दू पंचांग केअनुसार, चैत्र महीने केकृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को बसोड़ा पूजन किया जाता है। इस व्रत को बसौड़ा व्रत के नाम सेभी पहचाना जाता है।शीतला माता के व्रत करने के अपने फायदे होते हैं।शीतला माता को शीतलता का प्रतीक माना गया है।और यह रोगों कोदूर भगाने वाली मानी जाती है। हालांकि पहले के समयचेचक और माता जैसे रोग बहुत अधिक हुआ करते थेतो योगियों ने इसप्रकार के विधान कोबैठाया होगा ।
व्रती के कुल मेंदाहज्वर, पीतज्वर, विस्फोटक, दुर्गन्धयुक्त फोडे, नेत्रों केसमस्त रोग, शीतलाकी फुंसियों जैसी समस्या पहले के समय बहुत अधिक होती थीतो इस प्रकार कीदेवी की स्थापना कीगई ताकि लोग जागरूक हो सकें ।
सफाई का प्रतीक है शीतला माता की झाडू
आपदेख सकते हैं किशीतला माता को एकहाथ के अंदर झाडू लिए हुए दिखाया जाता है ,जोसाफ सफाई का प्रतीक होता है। जिसका मतलब यह हैकि माता को साफसफाई बहुत अधिक पसंद है और जहां पर गंदगी होती है वहां परमाता वास नहीं करती है। एकतरह से यह लोगों को सफाई कासंदेश दे रही है।शीतला अष्ठमी के दिनसाफ सफाई का विशेष ध्यान दिया जाता है। सफाई काफायदा यह होता हैकि यह किसी प्रकार के रोग होने से रोकती है।
चेचक की गम्भीरता का संकेत
पहले का समयऐसा था कि हरइंसान को चेचक होता था। उस समयचेचक जैसे रोगों सेलड़ने के लिए माता का योगदान था।इस देवी को चेचक को दूर करने के लिए जाना जाता है। एक तरह सेयह लोगों को चेचक के प्रति जागरूकता फैलाने का भीकाम है ताकि रोगसही से रहें ।
नीम के महत्व को व्यक्त करती शीतला देवी
शीतला देवी से नीमको भी जोड़ा जाता है।आमतौर पर जबकिसी को चेचक होजाता था तो नीमके पत्ते इसके अंदर बहुत अधिक उपयोगी साबित होते थे। एक तरह सेयह देवी नीम केपत्तों के औषधिय गुणों के बारे मेहमे जागरूक करने करती है। ताकि हमबीमारियों से जागरूक रहसके ।वैसे भी आधुनिक समय के अंदर हम नीम केमहत्व को अच्छी तरहसे जान गए हैं। और इसका प्रयोग भी करने लगेहैं।
गर्दभ की लीद के फायदे
दोस्तों चेचक के दागरह जाते हैं लेकिन इन दाग कोमिटाने के लिए गधेकी लीद बहुत अधिक उपयोगी होती है।एक तरह से गदेकी लीद से प्राचीन काल के अंदर चेचक के दागको मिटाया जाता था।उस समय आज कीतरह हजारों तरह कीदवाइयां नहीं थी।
रोगाणु नाशक जल
शीतला माता के हाथमे रोगाणु नाशक जलहोता है। जिसका मतलब यह है किहमे स्वच्छ जल कासेवन करना चाहिए यदिहम ऐसा नहीं करते हैं तो बीमार पड़ सकते हैं। आज भले हीहम इस दिशा केअंदर जागरूक हो चुके हैं लेकिन पहले बहुत अधिक बुरी दशा थी लोगगंदे पानी को पीते थे ।
व्रत के अपने फायदे
यदि आप शीतला माता के व्रत करते हैं तोइसका अपना ही फायदा है।यदि आप व्रत करते है तोआप अपने शरीर सेगंदगी को बाहर निकाल सकते हैं शरीर को आराम मिलता है। इसके अलावा यह भी कहागया है कि ऐसाकरने से आईक्यू लेवल बढ़ जाता है।इसके अलावा जिनलोगों को दिल कीबीमारिया होती है उनके लिए व्रत बहुत अधिक उपयोगी साबित होते हैं।
शीतला माता व्रत केलिए चालिसा
जय जयश्री शीतला भवानी। जयजग जननि सकल गुणधानी ॥
गृह गृहशक्ति तुम्हारी राजती। पूरन शरन चंद्रसा साजती ॥
विस्फोटक सी जलत शरीरा। शीतल करत हरतसब पीड़ा ॥
मात शीतला तव शुभनामा। सबके काहे आवही कामा ॥
शोक हरीशंकरी भवानी। बाल प्राण रक्षी सुखदानी ॥
सूचि बार्जनी कलश कर राजै। मस्तक तेज सूर्य सम साजै ॥
चौसट योगिन संग देदावै। पीड़ा ताल मृदंग बजावै ॥
नंदिनाथ भय रो चिकरावै। सहस शेष शिरपार ना पावै ॥
धन्य धन्य भात्री महारानी। सुरनर मुनी सब सुयश बधानी ॥
ज्वाला रूपमहाबल कारी। दैत्य एकविश्फोटक भारी ॥
हर हर प्रविशत कोईदान क्षत। रोग रूपधरी बालक भक्षक ॥
हाहाकार मचो जग भारी। सत्यो ना जबकोई संकट कारी ॥
तब मैंय्या धरि अद्भुत रूपा। कर गई रिपुसही आंधीनी सूपा ॥
विस्फोटक हिपकड़ी करी लीन्हो। मुसल प्रमाण बहु बिधि कीन्हो ॥
बहु प्रकार बल बीनती कीन्हा। मैय्या नहीं फल कछु मैंकीन्हा ॥
अब नही मातु काहू गृह जै हो।जह अपवित्र वही घररहि हो ॥
पूजन पाठमातु जब करी है।भय आनंद सकल दुःख हरी है ॥
अब भगतन शीतल भय जैहे। विस्फोटक भय घोरन सै हे ॥
श्री शीतल ही बचेकल्याना। बचन सत्य भाषे भगवाना ॥
कलश शीतलाका करवावै। वृजसे विधीवत पाठ करावै ॥
विस्फोटक भयगृह गृह भाई। भजेतेरी सह यही उपाई ॥
तुमही शीतला जगकी माता। तुमही पिता जगके सुखदाता ॥
तुमही जगका अतिसुख सेवी। नमो नमामी शीतले देवी ॥
नमो सूर्य करवी दुखहरणी। नमो नमो जगतारिणी धरणी ॥
नमो नमोग्रहोंके बंदिनी। दुख दारिद्रा निस निखंदिनी ॥
श्री शीतला शेखला बहला। गुणकी गुणकी मातृ मंगला ॥
मात शीतला तुम धनुधारी। शोभित पंचनाम असवारी ॥
राघव खर बैसाख सुनंदन। कर भग दुरवा कंत निकंदन ॥
सुनी रतसंग शीतला माई। चाही सकल सुख दूरधुराई ॥
कलका गनगंगा किछु होई। जाकर मंत्र ना औषधी कोई ॥
हेत मातजी का आराधन। और नही हैकोई साधन ॥
निश्चय मातु शरण जोआवै। निर्भय ईप्सित सोफल पावै ॥
कोढी निर्मल काया धारे। अंधा कृत नित दृष्टी विहारे ॥
बंधा नारी पुत्रको पावे। जन्म दरिद्र धनीहो जावे ॥
सुंदरदास नामगुण गावत। लक्ष्य मूलको छंद बनावत
या देकोई करे यदी शंका। जग दे मैंय्या काही डंका ॥
कहत रामसुंदर प्रभुदासा। तट प्रयागसे पूरब पासा ॥
ग्राम तिवारी पूर मम बासा। प्रगरा ग्राम निकट दुर वासा ॥
अब विलंब भय मोही पुकारत। मातृ कृपाकी बाट निहारत ॥
बड़ा द्वार सब आसलगाई। अब सुधि लेतशीतला माई ॥
यह चालीसा शीतला पाठ करेजो कोय।
सपनेउ दुःख व्यापे नही नितसब मंगल होय ॥
बुझे सहस्र विक्रमी शुक्ल भाल भल किंतू।
जग जननी का येचरित रचित भक्ति रसबिंतू
शीतला माता व्रत के लिए आरती Sheetla Mata Ki Aarti
जय शीतला माता, मैया जय शीतला माता आदि ज्योति महारानी सब फल कीदाता | जय
रतन सिंहासन शोभित, श्वेत छत्र भ्राता, ऋद्धिसिद्धि चंवर डोलावें, जगमग छवि छाता | जय
विष्णु सेवत ठाढ़े, सेवें शिव धाता, वेदपुराण बरणत पार नहीं पाता | जय
इन्द्र मृदंग बजावत चन्द्र वीणा हाथा, सूरज ताल बजाते नारद मुनि गाता | जय
घंटा शंख शहनाई बाजै मन भाता, करैभक्त जन आरति लखिलखि हरहाता | जय
ब्रह्म रूप वरदानी तुही तीन काल ज्ञाता, भक्तन को सुखदेनौ मातु पिता भ्राता | जय
जो भी ध्यान लगावैं प्रेम भक्ति लाता, सकल मनोरथ पावे भवनिधि तर जाता | जय
रोगन से जो पीड़ित कोई शरण तेरी आता, कोढ़ी पावे निर्मल काया अन्ध नेत्र पाता | जय
बांझ पुत्र को पावे दारिद कट जाता, ताको भजै जोनाहीं सिर धुनि पछिताता | जय
शीतल करती जननी तुही है जग त्राता, उत्पत्ति व्याधि विनाशत तू सब कीघाता | जय
दास विचित्र कर जोड़े सुन मेरी माता, भक्ति आपनी दीजै और न कुछभाता | जय
शीतला माता से जुड़ी अन्य कहानी
माता शीतला के बारे मे एसा माना जाता है, किदेवी दुर्गा ने छोटी कात्यायनी के रुपमे अवतार लिया था। जो ऋषि कात्यायन की पुत्री थी, जीसने कई राक्षसी ताकतों को मार डाला था, जो कालकेय के द्वारा भेजे गाये थे ।
ज्वरसुर नामक दानव नेकात्यायनी के बचपन मेहेजा, चेचक पेचिश , खसरा जेसे रोगो कोफेलाया था । कात्यायनी ने अपने कुछ दोसतो के तो रोगदुर कर दिये थे। दुनीया को इनसब रोगो से राहत दिलाने के लिये शीतला माता कारुप धारण कर लिया । उनके चारो हाथो मे सेछोटा झाड़ू, पखा, घडाव एक छोटा कपथा ।
उसने सभीबच्चो के रागो कोदुर कर दिया था। बादमे अपने दोसत बटुक को कहाकी तुम बहार जाओओर राक्षस जवासुर का सामना करे । युवा बटुक ओर राक्षस जवासुर के बीचघमासान युद्ध हुआ ।जटासुर बटुक को हराने मे सफल होगया था ।
जटासुर ने देखा किबटुक मृत हो जाने के बाद गायब हो गया ।वह हेरान हो गयाओर सोचा की वहकहा गया जिसके पासएक विसाल शरीर था।जिसके पास तीनआंखें और चार भुजाएं एक युद्ध-कुल्हाड़ी, तलवार, त्रिशूल औरराक्षस के सिर केथे ।
बाघ कीखाल और खोपड़ियों कीएक माला भीपहने हुए थे ।बटुक ने भगवान शिवके अवतार भैरव कारुप धरण कर लिया था । भैरव ने जवासुर कोफटकार लगरयी ओर कहाकि वह माता दुर्गा का सेवक है।भैरव ओर जवासुर के बीच महायुद्ध हुआ ।
जवासुर नेकई राक्षसो को अपनी काली सकतीयो सेबना लीया मगर भैरव उन सभी कोनष्ट कर दिया ।अन्त मे भैरव ओरजरासुर के बिच युद्ध मे मोत प्राप्त हुई ।जवासुर को बुखार कादानव मानते थे जोजहा भी जात बुखार फेलाकर सभी किहत्या कर देता था।
उन सभीलोगो को यह दानव ने भयभीत करदिया था । साथही बुखार के कारण सभी बच्चे बीमार हो गये थे, उन बच्चो कि माताये रो रही थी। इस का इलाज बेद को भीनही पता चला । जवासुर सोच रहा थाकि यह सब एसेही तडप के मरजायेगे , मगर माता पार्वती व भगवान शिवने उसे रोकने केलिए उसके खिलाफ फेसला ले के बारे मे सोचने लगगये ।
माता पार्वती ने फेसला लिया कि उनकी ठण्डक सभी बच्चो को माता पिता से राहत मिलेगी । महादेव नेअपने आपको भैरव केरुप मे जरासुर कासामना करने केलिये धरती पर चलेगये ताकी जरासुर कोरोका जा सके ओरबच्चो अधीक नुकसान नपहुचा सके ।
दोनो केबीच मे विशाल कुस्ती मे प्रवेश लिया । इसी बिचपार्वती ने शीतला माता का रुप लेलीया ।वह रंग मेंहल्की और गहरे नीले रंग के वस्त्र पहने, अपने अंगों पर कम सेकम गहने पहने, तीनआंखों वाली थी ।जोअपने हाथो छोटी झाड़ू , पखा , मटका कपलिये थी ।
वह ठंडे पानी केमटके मे ठंडा जलरखती थी जीससे रोगीयो को ठीक करती थी ।उसका वाहन के रुपमे एक गधा थाजीसके उपर वे बेठती थी । देवी शीतला ने अपना कार्य शुरु करदिया था वह पुरे संसार कें अन्दर घुमती रही वअपने ठण्डे शीतल जलसे पुरु दुनीया केरोगोको दुर करती रही सबको शीतल करती रही ।सभी को लाइलाज बुखार से पुरी तीहसे ठीक कर दिया ।
बच्चे सभीअपनी माता पिता सेमीले बच्चो ने लाइलाज बिमारी से ठीककरने के लिये अपना आभार व्यकत करधन्यवाद दिया साथ हीउनके माता पिता नेभी धन्यवाद दिया ।फिरदेवी शीतला ने अपनी युद्ध मेबनाई व जरासुर कोउकसाया जीससे जरासुर काघुसा बड गया ओरजरासुर भैरव से युद्ध करने लगा ।
भैरव यहभी ज्यानता हैजरासुर को पता हैकि न केवल देवी शीतला पॉक्स, घावों, गलौस, मवाद औरबीमारियों का इलाज करसकती हैं वह बुखार जेसी बीमारी काइलाज भी कर सकती है ।
इस प्रकार देवी शीतला देवी ने जरासुर को भयनकर चेचक रोग से सक्रमित कर दिया जिससे उसकी बहुत बुरी तरह मर गया। इस तरह सेभैरव व शीतला माता जरासुर जैसे राक्षस का वध करसन्सार को बिमारीयो मुकत्ती दिलाई ।
जय शीतला माता की
शीतला माता के व्रत मे सुनने के लिए भजन
दोस्तों वैसे तो शीतला माता के आपको youtube पर अनेक प्रकार के भजन मिलजाएंगे आप शीतला माता भजन लिखकर सर्च कर सकते हैं। और जब आपमाता का व्रत करते हैं तो आपको उनके भजनों कोभी अवश्य ही सुनना चाहिए ।ऐसा करने से बहुत अधिक पुण्य मिलता है।
अरे पीलो ओडोनी मारी,टाबरा री माँ,ए मारी हालरीया री माँ,आपा तो चाला शीतला माता,अरे किया ओडू ओ मारा,हालरीया रा बाप,पालनीया मे रोवे गीगलीयो,अरे हिण्डो गालेनी ए मारी,हालरीया री माँ,बोलीयो तो रेवे गीगलीयो।।
मेले चालोनी मारी हालरीया री माँ,मारी गीगलीया री माँ,आपा तो चाला शीतला माता,अरे गाड़ी जोतोनी मारे,हालरीया रा बाप,आ लारे लागी शीतला माता,अरे तूतो फेरेनी मारी,हालरीया री माँ,आपा तो चाला शीतला माता,अरे किकर फेरू ओ मारा,हालरीया रा बाप,मारे गीगलीये रा बाप,गोद्या मे रोवे हालरीयो।।
अरे चुडलो फेरे नी मारी,टाबरा री माँ ए मारी बाबूडा री माँ,आपा तो चाला शीतला माता,अरे किया फेरू ओ मारा,हालरीया रा बाप,पालनीया मे रोवे गीगलीयो।।
अरे रकडी फेरोनी मारे,हालरीया री माँ,आपातो चाला शीतला माता,अरे किकर फेरू ओ मारा,हालरीया रा बाप,पालनीया मे रोवे हालरीयो।।
अरे देवेनी ए मारी हालरीया री माँ,बोलीयो तो रेवे गीगलीयो,अरे मेले मेले चालोनी मारी,हालरीया री माँ,आपा तो चाला शीतला माता,अरे गाड़ी जोतु ए मारी,हालरीया री माँ,आपा तो चाला शीतला माता।।
sitala mata के मंदिर की लिस्ट
1. शीतला माता जन्मस्थान मगध, बिहारशरीफ, नालंदा
2. शीतला माता मंदिर, मैनपुरी, उत्तर प्रदेश
3. शीतला माता मंदिर, मेरठ, उत्तर प्रदेश
4. शीतला चौकिया धाम मंदिर, जौनपुर
5. शीतला माता मंदिर, खंडा, सोनीपत
6. मां शीतला मकर धाम, जौनपुर
7. शीतला माता मंदिर, जालोर, राजस्थान
8. शीतला माता मंदिर, रेन्गस, राजस्थान
9. शीतला माता मंदिर, गरिया, कोलकाता
- शीतला माता मंदिर, ऊना, हिमाचल प्रदेश
11 .शीतला माता मंदिर, पालमपुर, हिमाचल प्रदेश - हरुलोंग्रुप शीतलाबाड़ी, लुमडिंग, नागांव, असम
- शीतला माता मंदिर, जोधपुर, राजस्थान
- शीतला माता मंदिर, कौशाम्बी, उत्तर प्रदेश
- शीतला माता मंदिर, निज़ामबाद, आज़मगढ़, उत्तर प्रदेश
- शीतला माता मंदिर, बाड़मेर, राजस्थान
- शीतला माता मंदिर, बिधलान, सोनीपत
- शीतला देवी मंदिर, गुड़गांव
- शीतला माँ मंदिर, समता
- शीतला माँ मंदिर मंदिर, मंडला, मध्य प्रदेश
- शीतला देवी मंदिर, माहिम, मुंबई
This post was last modified on January 30, 2023