आइए जानते हैं सिलाई सुई का आविष्कार किसने किया ,sui ka avishkar kab aur kahan hua ? सुई के बारे मे आप सभी जानते ही हैं।वैसे सुई का प्रयोग आजकल हर काम के अंदर किया जाता है। टैलर तो सुई को मशीन के अंदर डालकर कपड़े की सिलाई करते हैं और हम भी सुई की मदद से कपड़ों मे टांका वैगरह लगाने का काम करते हैं। सुई कई प्रकार की आती है। आज कल जो सुई आप देख रहे हैं पहले सुई वैसी नहीं थी।
यदि हम सुई के इतिहास पर नजर डालें तो पता चलता है कि अन्य चीजों की तरह सुई के अंदर भी कई प्रकार के बदलाव समय के साथ आपको देखने को मिले हैं। सुई एक ऐसा छोटा यंत्र है जिसकी मदद से हम कपड़ों को बहुत ही सहजता से सिल सकते हैं। वैसे देखा जाए तो सुई का इतिहास बहुत अधिक पुराना है।
क्योंकि प्राचीन काल से ही मानव कपड़ों और खाल का प्रयोग करता आया है।पहले जब कपड़े नहीं हुआ करते थे और इंसान जंगलों मे रहते थे तो वे पशुओं की खाल को पहना करते थे । आज भी अविकसित मनुष्य जंगलों मे रहते हैं और जानवरों की खाल पहनते हैं। यह जानवरों की खाल को टांका लगाने के लिए एक लौहे के सुई का प्रयोग करते थे ।हालांकि यह लौहे का सुई आज के सुई जैसी नहीं थी।
जैसा कि आपको पता ही होगा कि सुई एक लंबा और पतला और आगे से तीखा और चमकीला उपकरण है ।जिसके पीछे आप धागा लगाकर सिलाई के काम मे ले सकते हैं।पहले सुई को हडियों और लकडी से बनाया गया था। अब आधुनिक सुइयों को उच्च कार्बन स्टील के तार से निर्मित किया जाता है। गुणवत्ता वाली कढ़ाई सुइयों को दो तिहाई प्लैटिनम और एक तिहाई टाइटेनियम मिश्र धातु के साथ चढ़ाया जाता है ।
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sui ka avishkar kab aur kahan hua कांटो से बनी सुई और चटानों की सुई
वैज्ञानिकों का अनुमान है कि हडियों से बनी सुई बहुत बाद मे आई थी।पहले मनुष्य चमड़े के बने कपड़े पहनते थे और उनको सिलने के लिए कांटों से बनी सुई का प्रयोग करते थे । वे कांटो से चमड़े को छेदते और उसके बाद धागे को चमड़े मे से निकाल लेते इस प्रकार से सिलाई करते थे । इसके अलावा वे चमड़े को छेदने के लिए पत्थर का भी प्रयोग करते थे ।
लकड़ी की बनी सिलाई सुई
लकड़ी की बनी सिलाई सुई का प्रयोग बहुत ही प्राचीन समय से किया जा रहा है।प्राचीन काल के अंदर इंसान अपने चमड़े को सिलने के लिए भी लकड़ी से बनी सुई का प्रयोग करते थे । इसका फायदा यह होता था कि इसकी मदद से बेहद ही आसानी से सिलाई की जा सकती थी।आजकल जो लकड़ी से बनी सिलाई की सुई प्रयोग मे ली जाती है।वह गांवों के अंदर छप्पर को सिलने मे बहुत अधिक उपयुक्त होती है। और हमारे घर के अंदर तो आज भी लगभग 200 साल पुरानी लकड़ी की सुई मौजूद है।
सिलाई सुई का आविष्कार हड्डी से बनी सुई
कांटो से बनी सुई अधिक उपयोगी नहीं थी तो बाद मे हड्डी से बनी सुई का विकास किया गया क्योंकि यह चमड़े को कोई नुकसान नहीं पहुंचाता था। इस सुई का काल 61,000 साल पहले हो सकता है । वैज्ञानिकों को हड्डी की सुई Sibudu गुफा , दक्षिण अफ्रीका डेनिसोवान्स इस सुई का यूज करते थे ।Potok Cave के अंदर एक 47000 साल पुरानी एक सुई मिली है जो हडियों से बनी हुई है।अस्थि और हाथीदांत की सुई लिओनिंग प्रांत में ज़ियाओगशान प्रागैतिहासिक स्थल में 30000 वर्ष पुरानी है। रूस में कोस्टेंकी स्थल पर 35000 साल पहले आइवरी सुईयां भी पाई गईं।
प्राचीन सुईयां
नाइलबाइंडिंग नामक सुई के फीते का एक रूप आम तौर पर हजारों वर्षों से बुनाई और क्रोकेट से पहले से लगता है, आंशिक रूप से क्योंकि यह बुनाई की तुलना में बहुत कम मोटे-मोटे धागे का प्रयोग करता था। अगेव पत्ती से भी सुई का निर्माण किया जाता था। इसको एक लंबे समय तक भीगोते थे और उसके बाद इसकी तेज नोक की मदद से सिलाई की जाती थी।
कांस्य युग के अंदर कई सोने की सूइयां भी बनाई गई थी।इसके अलावा तांबे की सुई का भी प्रयोग होने लगा था।
आधुनिक सिलाई की सुई
चीन के अंदर 10 वीं शताब्दी मे उच्च गुणवकता वाला स्टील बनाने का विकास किया गया ।बाद मे यह तकनीक जर्मनी और फ्रांस तक पहुंच गई। उसके बाद इंग्लैंड ने रेडडिच में 1639 में सुइयों का निर्माण शुरू किया। आज कल जो आप सुई देख रहे हैं। वह इसी समय के अंदर उत्पादित हो चुकी थी लेकिन समय के साथ इसमे कई बदलाव होते रहे ।
व्रताकार सुई
दोस्तों प्राचीन काल की खुदाई के अंदर भी व्रताकार सुई मिली हैं। वर्ताकार सुई का प्रयोग भारत मे आज भी होता है। हालांकि यह तेजी से लुप्त होती जा रही हैं।आजकल की व्रताकार सुई भी कुछ खास उदेश्य के लिए प्रयोग की जाती है।घास फूस के छप्पर बनाने वालों के पास व्रताकार सुई होती है और यह उसकी मदद से छप्पर को सिलने का काम करते हैं।
डेनिसोवन्स सुई मिली
7 सेंटीमीटर (2 3/4 इंच) सुई हमारे लंबे विलुप्त डेनिसोवन पूर्वजों द्वारा बनाई गई थी और हाल ही में खोजी गई होमिनिन प्रजाति या उप प्रजाति द्वारा इस्तेमाल की गई थी।अल्ताई पर्वत गुफा के अंदर जब खुदाई की जा रही थी तो यह सुई मिली जिसके बारे मे वैज्ञानिकों ने बताया कि यह लगभग 50 हजार साल पुरानी सुई है। यह हड्डी से बनी सुई है। आज तक यह शब्द की सबसे प्राचीन सुई है। और इसके बारे मे यह कहा जाता है कि इसको अब भी प्रयोग मे लिया जा सकता है।आपको यह भी बतादें कि इस सुई के अंदर जो हडडी प्रयोग की गई है अब तक यह पता नहीं लग सका है कि वह किस पक्षी की है।
यह डेनिसोवा गुफा में पाई जाने वाली सबसे लंबी सुई है। इससे पहले इस गुफा के अंदर पहले भी कई प्रकार की सुई मिल चुकी हैं।यह माना जाता है कि सुई डेनिसोवन्स द्वारा बनाई गई थी, क्योंकि यह उसी परत में पाया गया था, जहां डेनिसोवन अवशेष पहले पाया गया था।
वैज्ञानिकों के अनुसार इस गुफा पर 282,000 वर्षों से मनुष्यों का कब्जा है।वैज्ञानिकों का मानना है कि डेनिसोवन 170,000 साल पहले धरती पर रहा करते थे ।2008 में ब्रेसलेट की खोज के बाद वैज्ञानिकों ने यह माना कि डेनिसोवन्स को होम सैपियंस या निएंडरथल की तुलना मे अधिक तकनीकी ज्ञान था।
इसके अलावा वैज्ञानिकों ने यह भी देखा कि ब्रेसलेट के अंदर बहुत ही सटीकता से एक होल किया गया था जो आधुनिक मशीनों से किया जाता था।
हाथी दांत की सुई
प्राचीन काल के अंदर हाथी दांत की सुई के भी प्रमाण मिले हैं।मनुष्यों ने गर्म, बारीकी से सज्जित कपड़ों को सिलने के लिए हड्डी और हाथीदांत की सुइयों का उपयोग किया।चीन के ज़ियाओगशान, लियाओनिंग प्रांत से हड्डी की सुई लगभग 30,000-23,000 साल पुरानी सुई मिली है ।
प्राचीन काल मे सुई को भी सजाया जाता था
कई प्रकार की प्राचीन सुई मिली हैं।जिनमे सुई को सजाया गया है।विक्टोरियन युग में, सुई के मामले लकड़ी, हड्डी, स्टर्लिंग सिल्वर, पेवर, या अन्य सामग्रियों से बने होते थे, और अक्सर इसे मूर्तिकला या सजावटी वस्तुओं के आकार का बनाया जाता था। एटूआई उस समय एक बॉक्सा था जो काफी सजा हूआ रहता था और इसके अंदर सुई और बाकी दूसरी चीजे जैसे कैंची वैगरह को रखा जाता था।
जैसा कि हमने आपको बताया कि जिस सुई का प्रयोग हम कर रहे हैं वह चीन मे बनना शूरू हूई थी।और बाद मे जर्मनी और यूरोप मे भी बनने लगी थी। लेकिन सुई का इतिहास बहुत पुराना है।मोहनजोदड़ों और हड़प्पा की खुदाई मे मिले अवशेष यह बताते हैं कि वहां के लोग भी सुई का प्रयोग करते थे । वहां की महिलाएं सूत का प्रयोग करती थी और मानव के बालों का प्रयोग धागे के रूप मे किया जाता था।
सुई पर लिखे नंबर का रहस्य
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जब भी आप बाजार से सुई लेकर आते हैं तो उसके उपर कुछ नंबर लिखे होते हैं।यह नंबर मशीन की सुई के लिए होते हैं। हाथ की सुई आपको बिना नंबर की मिल जाएगी । सुई अभी भी अमेरिका और यूरोपियन प्राणाली का उपयोग करती है।जैसे यदि किसी सुई पर 75/11 देखते हैं तो 75 यूरोपियन नंबर है और 11 अमेरिकन नंबर होता है।इसके अलावा यदि आप 11/75 देखते हैं तो इसका भी यही मतलब होता है।
इसमे अमेरिकन प्रणाली 8 से 19 नंबर का प्रयोग करती है ।इसमे 8 सबसे महिन सुई होती है।जबकि 19 नंबर की सबसे मोटी सुई होती है। और यूरोपियन प्रणाली 60 से 120 का प्रयोग करती है। 60 नंबर की सुई सबसे महिन होती है तो 120 नंबर की सुई सबसे मोटी होती है। नाजुक कपड़े के लिए एक अच्छा विकल्प 8/60 सुई का आकार होगा। भारी के लिए, मजबूत कपड़े एक आकार 19/120 सबसे अच्छा काम करेगा।
- Sewing Machine Needles
- American european
- 8 – 60
- 9 – 65
- 10 – 70
- 11 – 75
- 12 – 80
- 14 – 90
- 16 – 100
- 18 – 110
- 20 – 120
सिलाई मशीन सुई के भाग
सिलाई मशीन की सुई मशीन का महत्वपूर्ण भाग होती है और यह अलग अलग प्रकार की होती है। आपके द्वारा प्रयोग किये गए धागे और कपड़े पर इस सुई का प्रकार निर्भकर करता है।लेकिन सभी सिलाई सुई के कुछ मूल भाग होते हैं जिनके बारे मे आपको जानना बहुत ही जरूरी होता है।
- सुई के उपरी हिस्से को Shank कहा जाता है और इसी को मशीन के अंदर डाला जाता है।यह एक तरफ सपाट और दूसरी तरफ गोल होती है।यदि आप एक सिलाई मशीन मे सुई का उपरी हिस्सा किस तरह से लगता है तो मशीन की सुई देखें ।
- Shaft सिलाई मशीन की सुई के बीच का हिस्सा होता है जो गोल होता है।
- Groove ही वह भाग होता है जिसके अंदर एक छेद बना होता है। और यहां पर आप सुई मे धागा डालते हैं आप सुई के अंदर बनी धागे की जगह को अच्छी तरह से देख सकते हैं।
- Point सुई का वह भाग होता है।यही वह भाग होता है जो कपड़े के संपर्क मे आता है और कपड़े मे छेद करता है।
- सुई की आंख धागे को ढ़ोने का काम करती है और जिसके अंदर आप धागे को पिरोते हैं वह सुई की आंख ही होती है।
सेल्फ थ्रेडिंग सुई
हैंडीकैप या सेल्फ-थ्रेडिंग सुइयों में आंख के पास सुई की तरफ कभी-कभी हल्की-सी स्लिट होती है। इसके किनारे पर धागा होता है और यह स्लाइड कर सकती है।यह सभी आकारों मे उपलब्ध नहीं हैं 80/12 और 90/14 आकार मे ही उपलब्ध हैं।
ट्रिपल सिलाई मशीन सुई
ट्रिपल सिलाई मशीन सुई एक अलग प्रकार की सुई होती है।इस सुई के अंदर एक ही सूई के साथ 3 अलग अलग प्रकार की सुई जुड़ी हुई होती हैं और तीनों सुई के अंदर अलग अलग धागे को पिरोया जाता है। यह सुई किसी आम मशीन के अंदर प्रयोग नहीं की जाती हैं। ट्रिपल सुई को ड्रिलिंग सुई के नाम से भी जाना जाता है।
स्ट्रेच सुई
इन सुई का आकार 11/75 और 90/14 हैं होता है।इस प्रकार की सुई हर कपड़े पर प्रयोग नहीं होती है। यह बेहद ही खींचाव वाले कपड़े पर प्रयोग मे ली जाती है।
विंग सिलाई मशीन सुई
विंग सिलाई मशीन सुई वह सुई है जिसका प्रयोग हाथ से सिलने के लिए किया जाता है। आपने अक्सर बुने हुए कपड़ों को देखा होगा उनके अंदर अक्सर विंग सुई का प्रयोग किया जाता है।इस सुई का उपलब्ध आकार 16/100 और 19/120 है।
चमड़े की सिलाई की सूई
चमड़े की सिलाई करने के लिए एक आम प्रकार की सुई उपयुक्त नहीं है।इसके लिए एक विशेष प्रकार की सुई प्रयोग मे ली जाती है।जो आसानी से चमड़े के अंदर प्रवेश करती है और काफी मजबूत भी होती है।
जींस सिलाई मशीन सुई
इन सुइयों में एक अतिरिक्त तीक्ष्ण बिंदु और कठोर टांग होती है, जिससे यह कठिन कपड़ों की सिलाई और कपड़े की कई परतों को एक साथ सिल सकती है।उपलब्ध सुई आकार 18/110 के माध्यम से 10/70 हैं।
कढ़ाई सिलाई मशीन सुई
यह सुई कपड़े पर कढ़ाई करने के लिए प्रयोग मे ली जाती है।कढ़ाई की सुई भी दो प्रकार की होती है एक मशीन मे लगाने की होती है। और दूसरी होती है हाथ से कढ़ाई करने की सुई ।
सिलाई सुई का आविष्कार किसने किया sewing needle history लेख के अंदर हमने सुई के इतिहास को विस्तार से जाना ।यह लेख आपको कैसा लगा नीचे कमेंट करके बताएं ।