बहुत से लोगों को यह नहीं पता है कि train me kitna gear hota hai ? एक परीक्षा के अंदर यह प्रश्न आया था कि train me kitna gear hota hai ? अब परीक्षा देने हमारा दोस्त भी गया हुआ था। उसे नहीं पता था कि ट्रेन मे गियर होते हैं या नहीं ? फिर होना क्या था।
वह प्रश्न का गलत उत्तर देकर आ गया । दोस्तों अकेला वहीं नहीं है। और भी बहुत से दोस्त और हमारे भाई बहिन हैं जो इस बात के बारे मे नहीं जानते हैं। इस लेख के अंदर हम बात करने वाले हैं train me kitna gear hota hai ? और उसके बारे मे भी थोड़ा जानेंगे कि ट्रेन मे कितने प्रकार के गियर यूज किये जाते हैं।
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train me kitna gear hota hai
वैसे देखा जाए तो ट्रेन के अंदर 6 मोटरें मिलकर 3000 से 6000 H.P का उत्पादन करती हैं।यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदलने के लिए एक जनरेटर का प्रयोग किया जाता है। उसके बाद यह 6 मोटरों को एलीसिकल ऊर्जा देता है। माइक्रोप्रोसेसर गवर्नर डीजल इंजन 400 rpm से लेकर 1100rpm तक की गति प्रदान करता है।लोको पायलेट इस गति को नियंत्रित कर सकता है।इसके अंदर वोल्टेज और करंट को बदला जाता है।
विधुत लोकोमोटिव के अंदर , TAP- CHANGER ट्रांसफार्मर का यूज किया जाता है।एक सर्वो मोटर 32 पॉजिशन पर रेगूलेट होती है।वैसे टेक्नॉलाजी भाषा मे ट्रेन मे कोईगियर नहीं होता है। लेकिन लोकल भाषा मे डीजल लोकोमोटिव में 8 गियर होते हैं, विद्युत इंजन में 32 गियर होते हैं। ट्रेन के अंदर कार या बस की तरह कोई गियर अनुपात को नहीं घटा सकते हैं।
वैसे देखा जाए तो अधिकतर ट्रेनों के अंदर गियरबॉक्स का यूज नहीं किया जाता है।क्योंकि स्टीम इंजन और इलेक्ट्रिक इंजन के प्रस्थान के समय बहुत अधिक टॉर्क होता है।लेकिन उच्च्तम आरपिएम बढ़ने पर टार्क कम हो जाता है। जिसको एक स्टेबलिटी फैचर के नाम से जाना जाता है। गड़बड़ी समाप्त होने पर ट्रेन चालक आरपीएम को बढ़ा सकता है। अन्य था वह एक स्थिर गति को भी प्राप्त कर सकता है।2000 RPM से कम तक टॉर्क स्थिर है।जो कॉयल मे बहने वाले करंट को कम करता है। अन्यथा कॉयल जल सकती हैं।
ट्रेन के अंदर एक स्पेसल Rpm होता है। जिसके उपर आने के बाद ट्रेन का टॉर्क भी स्थिर हो जाता है। और आरपिएम भी स्थिर रहता है। और यदि एक निश्चित आरपिएम से ट्रेन की स्पीड कम होती है तो ट्रेन का टॉर्क भी अपने आप ही कम हो जाता है। इसी तरीके से जब ट्रेन का आरपिएम बढ़ा है तो एक निश्चित मान तक ट्रेन का टॉर्क भी बढ़ जाता है। कहने का मतलब है ट्रेन करंट और वोल्टेज की मदद से अपन गति को कंट्रोल करती है।
क्या locomotives मे गियर सिस्टम होता है ?
ट्रेनों में ट्रांसमिशन गियर होते हैं। लेकिन आजकल का locomotives इलेक्ट्रिक सिस्टम से लैस हैं और जो अलटरनेटर से जुड़ा होता है व ट्रेक्सन मोटर चलाता है।
क्या ट्रेन मे बैक गियर होता है ?
दोस्तों पहले वाली ट्रेन के अंदर मैकेनाइज्ड रोटेट्री नामक एक विशाल पहिया हुआ करता था। जिसकी दिशा बदल देने पर ट्रेन उल्टी चलती थी। लेकिन अब यदि आप ट्रेन के मोटरो मे प्रवाहित धारा को उल्टा करदेंगे तो ट्रेन उल्टी चलने लगेगी । आपने एक और बात को नोटिस किया होगा कि इंजन के दोनो शिरों पर कैबिन होते हैं। वे कैबिन तब बहुत काम आते हैं। जब अमरजेंसी के अंदर ट्रेन को उल्टा चलाने की आवश्यकता पड़ जाए ।
गियर ट्रेन के प्रकार type of gear train
गियर ट्रेन का मतलब आपको यह नहीं समझना चाहिए कि यह गियर ट्रेन के अंदर यूज किये जाते हैं। वरन इसका मतलब है एक सिस्टम है जो की एक शाफट से दूसरे शाफट पर पॉवर ट्रांसफर के लिए प्रयोग किया जाता है। मतलब गियर को आपस मे जोड़ने का एक तरीका कह सकते हैं।इन गियर ट्रेन का प्रयोग विभिन्न प्रकार के वेग को प्राप्त करने के लिए गिया जाता है।इस प्रकार के गियर ट्रेन का प्रयोग खराद मशीन, मिलिंग मशीन, घड़ी आदि मे किया जाता है। इसी तरीके से हर चलित मशीन एक गियर ट्रेन सिस्टम से मिलकर बनी होती है।
Simple gear train
सिंपल गियर ट्रेन के अंदर एक गियर को इनपुट गियर कहा जाता है। जबकी एक अन्य गियर को आउटपुट गियर के नाम से जाना जाता है। इनपुट गियर आमतौर पर मोटर वैगरह से जुड़ा होता है। तो आउटपुट गियर पहियों को गति देने का काम करता है।इसके अंदर एक शाफ्ट दूसरी से जुड़ी होती है। और विभिन्न प्रकार की गति प्राप्त करने के लिए कई गियर का प्रयोग किया जाता है।इसमे चालित गियर और मध्यवर्ती गियर ड्राइविंग होते हैं।
Compound gear train
जैसा कि आपने देखा कि सिंपल गियर ट्रेन सिस्टम के अंदर हर गियर को अलग एक शॉफट पर लगाया जाता है। लेकिन कम्पाउंड गियर सिस्टम के अंदर ऐसा नहीं होता है। इसमे ड्राइविंग गियर और चालित गियर एक ही शाफट पर लगाए जाते हैं। इसमे बीच वाले गियर के दो भाग रहते हैं। एक कम गति प्राप्त करने के लिए होता है। तो दूसरा अधिक गति प्राप्त करने के लिए होता है।
Reverted gear train
रिवर्टेड गियर ट्रेन एक विशेष प्रकार की गियर ट्रेन होती है। जिसके अंदर ड्राइविंग गियर शाफ्ट अक्ष और संचालित गियर शाफ्ट अक्ष एक लाइन में होते हैं। इसके अंदर प्रत्येक ड्राइविंग व संचालित शाफ्ट पर एक गियर और मध्यवर्ती शाफ्ट पर दो गियर लगाए जाते हैं। रिवर्ट गियर गाड़ियों का use वहां किया जाता है, जहां छोटी जगह में वेग अनुपात की आवश्यकता रहती है।जैसे घड़ियाँ उलटी गियर वाली train का अच्छा हैं।
Epicyclic gear train
साधारण गियर ट्रेनों और कम्पाउंड गियर ट्रेनों की तुलना में बहुत अधिक या बहुत कम वेग अनुपात प्राप्त कर सकती है।गियर अक्ष के बीच एक सापेक्ष गति होती है। एपिसाइक्लिक गियर ट्रेनों में साधारण गियर ट्रेनें, मिश्रित गियर ट्रेनें और मिश्रित सरल यह सब शामिल हो सकती हैं।
train me kitna gear hota hai लेख के अंदर हमने आपको यह समझाने का प्रयास किया है कि ट्रेन किस तरीके से अपनी गति को कंट्रोल करती है। इसके अलावा कुछ कॉमन गियर सिस्टम के बारे मे बताया गया है।
भारतीय रेलवे करीब 13200 ट्रेनों का परिचालन करती है। जैसा कि हमने आपको पहले की बताया कि इसके अंदर 8 गियर होते हैं। जिनको नॉच के नाम से जाना जाता है। यह गियर आम गाड़ी की तरह नहीं होते हैं कि उनको बार बार बदलने की जरूरत पड़ती है। ट्रेन बस एक ही स्पीड के अंदर चलती है।हालांकि वर्तमान के अंदर ट्रेन मे भी काफी अधिक बदलाव आ चुका है। और डिजल इंजन की जगह इलेक्ट्रिक इंजन आ चुके हैं। और इनके अंदर सब कुछ ओटोमेटिक होता है। गियर आदि की जरूरत नहीं होती है।इसके अलावा पटरी की क्षमता भी अलग अलग होती है। कुछ पटरी इस तरह की होती हैं , कि उनके उपर एक हाई स्पीड ट्रेन को नहीं चलाया जा सकता है। वहीं कुछ इस तरह की पटरी बनाई जाती हैं , जिसके उपर हाई स्पीड ट्रेन को बहुत ही आसानी से चलाया जा सकता है।