(Kukurmutta)क्या आप जानते हैं मशरूम कितने प्रकार की होती है ?मशरूम के प्रकार के बारे मे हम विस्तार से जानेंगे।मशरूम जमीन के उपर उगता है।अक्सर हमने सफेद रंग की मशरूम को कई बार देखा भी होगा ।मशरूम को Kukurmutta के नाम से भी जाना जाता है। दुनिया भर के अंदर कई प्रकार की मशरूम मौजूद है। और मशरूम का सबसे अधिक प्रयोग औषधियों के अंदर किया जाता है। यह अनेक प्रकार की बीमारियों का ईलाज कर सकती है। और पीछले कुछ सालों के अंदर किसान भी मशरूम की खेती करने लगे हैं। क्योंकि इसके अंदर उनको बहुत अधिक मुनाफा होता है।
नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉज इंफॉर्मेशन के द्धारा किये गए रिसर्च के अंदर यह पाया गया कि मशरूम के पौधे के अंदर कई प्रकार के गुण होते हैं।एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटीकैंसर, एंटीमाइक्रोबियल, हेपेटोप्रोटेक्टिव व एंटीडायबिटिक गुण मशरूम के अंदर होते हैं जो कैसर को दूर करने और मधुमेह को दूर करने का काम करते हैं।
मशरूम के अंदर पोषक तत्व की लिस्ट हम आपको नीचे प्रदान कर रहे हैं।जिससे आप यह अंदाजा लगा सकते हैं कि मशरूम कितनी लाभदायक होती है।
पोषक तत्वों के नाम | 1 कप मशरूम में पोषक तत्व की मात्रा | दैनिक कितना खाना चाहिए |
कैलोरी | 21.1 | 1,600 |
प्रोटीन | 3.0 | 46-56 |
कार्बोहाइड्रेट | 3.1 | 130 |
कैल्शियम (MG) | 2.9 | 1,000 |
आयरन (MG) | 0.5 | 18 |
मैग्नीशियम (MG) | 8.6 | 310 |
फास्फोरस (MG) | 82.6 | 700 |
पोटेशियम (MG) | 305 | 4,700 |
सोडियम (MG) | 4.8 | 2200 |
जस्ता (MG) | 0.5 | 8 |
कॉपर (एमसीजी) | 305 | 890 |
सेलेनियम (एमसीजी) | 8.9 | 55 |
विटामिन सी (MG) | 2.0 | 65-90 |
विटामिन डी (MG) | 0.2 | 15 |
फोलेट (एमसीजी डीएफई) | 16.3 | 400 |
Choline (MG) | 16.6 | 400 |
नियासिन (MG) | 3.5 | 16 |
अधिकतर लोग बटन या पोर्टोबेलो मशरूम के बारे मे जानते हैं । अक्सर इस प्रकार की मशरूम आपको दुकानों पर देखने को मिल जाएगी ।लेकिन मशरूम अनेक प्रकार की होती है। जिसके बारे मे शायद बहुत से लोग जानते भी नहीं हैं। मशरूम की खेती भारत के अंदर सन 1961 ई के अंदर हिमाचल प्रदेश के अंदर शूरू हुई थी लेकिन बाद मे ।इसका प्रचार प्रसार बढ़ता रहा और आज देश के कई जगहों पर मशरूम की खेती शूरू हो चुकी है। अब तक दुनिया भर के अंदर मशरूम की 10,000 प्रजातियां पाई जाती हैं लेकिन उनमे से अधिकतर भारतिये वातावरण के लिए उपयोगी नहीं है। भारत के अंदर केवल 3 प्रकार की मशरूम अधिक लोकप्रिय है। बटन मशरूम ,सिप मशरूम और धानपुआल मशरूम ।
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मशरूम कितने प्रकार की होती है Button Mushrooms
इसको बेबी मशरूम या व्हाइट मशरूम के नाम से जाना जाता है। यह मशरूम का सबसे आम प्रकार है जिसको आप दुकानों के अंदर देख सकते हैं।Agaricus bisporus यूरोप और उत्तरी अमेरिका में घास के मैदानों के अंदर यह उगती है। इसकी खेती दुनिया के 70 से अधिक देशों के अंदर की जाती है। और इसको सबसे अधिक दुनिया मे खाया जाता है।
इस मशरूम को कई नामों से जाना जाता है जैसे आम मशरूम , सफेद मशरूम , बटन मशरूम , खेती मशरूम , मेज मशरूम , चमपिन्यान मशरूम । स्विस ब्राउन मशरूम , रोमन ब्राउन मशरूम , इतालवी ब्राउन मशरूम , सेरेमनी , क्रिमिनी मशरूम , शाहबलूत मशरूम आदि ।
यह मशरूम 10-30 सेंटीमीटर लंबा होता है और इसका सबसे पहले वर्णन अंग्रेजी से वनस्पतिशास्त्री वर्णित किया गया था मोरडेकाइ कयूबिट कूके उसकी 1871 में ब्रिटिश कवक मे किया था।परिपक्व होने के बाद मशरूम का व्यास 5-10 सेंटीमीटर तक हो जाता है।बीजाणु प्रिंट गहरे भूरे रंग के होते हैं। यह दुनिया भर के घास के मैदानों के अंदर वसंत ऋतु मे उगता है और वहां से इसको एकत्रित करके खाया जाता है।
लुकलेस भी एक प्रकार की जहरीली मशरूम होती है।जंगल के अंदर जो मशरूम उगती है वहां पर कई जहरीली प्रजातियां भी होती हैं। ऐसी स्थिति मे बिना सोचे समझे मशरूम को नहीं खाना चाहिए ।
बटन मशरूम की व्यावसायिक खेती का सबसे पहला वैज्ञानिक विवरण 1707 में फ्रांसीसी वनस्पतिशास्त्री जोसेफ पिट्टन डी टूरनेफोर्ट द्वारा बनाया गया था । फ्रांसीसी कृषक ओलिवियर डी सेरेस ने उल्लेख किया कि यह माइग्रेन से राहत प्रदान करने वाली होती है।
1990 ई के अंदर पुरी दुनिया मे 1.6 billion kilograms मशरूम बेची गई थी और अमेरिका के अंदर सबसे अधिक बटन मशरूम का ही उपयोग होता है।बटन मशरूम के अंदर कुछ पोषक तत्व इस प्रकार से होते हैं ।
अगरिकस बिस्पोरस, बटन मशरूम | |
प्रति 100 ग्राम मे पोषक तत्व | |
ऊर्जा | 93 केजे (22 किलो कैलोरी) |
कार्बोहाइड्रेट | 3.26 ग्राम |
शुगर्स | 1.98 जी |
फाइबर आहार | 1 ग्रा |
मोटी | 0.34 ग्राम |
प्रोटीन | 3.09 जी |
विटामिन | मात्रा% DV † |
थियामिन (बी 1 ) | 7% 0.081 मि.ग्रा |
राइबोफ्लेविन (B 2 ) | 34% 0.402 मि.ग्रा |
नियासिन (बी 3 ) | 24% 3.607 मिग्रा |
पैंटोथेनिक एसिड (बी 5 ) | 30% 1.497 मिग्रा |
विटामिन बी 6 | 8% 0.104 मिलीग्राम |
फोलेट (B 9 ) | 4% 17 माइक्रोग्राम |
विटामिन बी 12 | 2% 0.04 μg |
विटामिन सी | 3% २.१ मिग्रा |
विटामिन डी | 1% 0.2 माइक्रोग्राम |
खनिज पदार्थ | मात्रा% DV † |
लोहा | 4% 0.5 मिग्रा |
मैगनीशियम | 3% 9 मिलीग्राम |
फास्फोरस | 12% 86 मिग्रा |
पोटैशियम | 7% 318 मिग्रा |
सोडियम | 0% 3 मिग्रा |
जस्ता | 5% 0.52 मिग्रा |
अन्य घटक | मात्रा |
पानी | 92.45 ग्राम |
Cremini Mushrooms
यह आमतौर पर बटन मशरूम की ही एक प्रजाति होती है।लेकिन गहरे स्वाद के साथ यह भूरे रंग के साथ आती है। आपको बतादें कि 1962 तक सभी प्रकार के बटन मशरूम भूरे रंग के होते थे लेकिन पेंसिल्वेनिया के एक किसान ने सफेद मशरूम का आविष्कार किया ।
आपको बतादें कि अलग अलग मशरूम के बीच मे जो अंतर है वह उनके पकने के समय को लेकर होता है। सफेद बटन मशरूम सबसे छोटी किस्म होती है। जिसको कम समय के अंदर की एकत्रित कर लिया जाता है।एक बटन मशरूम और पोर्टोबेलो मशरूम के बीच की है। यह बस बटन मशरूम की तुलना में थोड़ा लंबा पकने की अनुमति देते हैं यही कारण है कि इसके स्वाद और कलर के अंदर अंतर आ जाता है।
Cremini मशरूम के कैप का गहरा और भूरा रंग होता है।इसकी टोपी झबरा और बनावटी लगती है लेकिन चिकनी होती है।और एक ताजा मशरूम के गलफड़े पूरी तरह से बंद होते हैं आप उन्हें पल्ट कर देख सकते हैं। क्रैमिनी मशरूम अंदर पूरी तरह से सफेद होता है।
अगरिकुस बिसपोरस मशरूम और उनके रिश्तेदार जैसे कि अगरिकुस कैम्स्ट्रिस (फील्ड मशरूम) जंगल के अंदर उगते हैं और यह काफी जहरीले भी होते हैं।एगरिकस मशरूम अमानिटा मशरूम के तरह दिखते हैं और जहरीले होते हैं । यदि कोई इनकी टोपी को खा जाता है तो फिर 5 से 24 घंटे तक जहर के लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। और यह गुर्दे और यकृत को गम्भीर नुकसान पहुंचा सकते हैं।
जैसा कि हमने आपको बताया कि यदि आपने बटन मशरूम खाया है तो cremini-mushrooms का स्वाद थोड़ा गहरा होता है।इस मशरूम की बनावट बटन मशरूम के समान ही नाजुक होती है। क्रीमीनी मशरूम के अंदर नमी कम होती है।क्रीमीनी मशरूम के तने भी पूरी तरह से खाने योग्य होते हैं।लेकिन किसी भी मशरूम को खाने से पहले अच्छी तरह से धो लेना जरूरी होता है।
Cremini Mushrooms को कुछ लोग कच्चा भी खाते हैं।गाजर, अजवाइन, मिर्च और अन्य सब्जी के साथ कुछ लोग इसको खाना पसंद करते हैं।हालांकि इससे वैसे किसी तरह का नुकसान नहीं है लेकिन इसके अंदर एग्रैटिन नामक एक रसायन होता है।जो एक हाइड्रेज़िन-व्युत्पन्न मायकोटॉक्सिन और एक आईएआरसी समूह 3 कार्सिनोजेन होता है।यह काफी जहरीला होता है।यह रसायन शरीर के अंदर टयूमर की संभावना को बढ़ाता है।
लेकिन यह रसायन गर्मी के प्रति काफी संवेदनशील होता है।जो आपके शरीर के अंदर सभी प्रकार के विषाक्त पदार्थों को हटादेता है।सो आपको कच्चा मशरूम नहीं खाना चाहिए । यह मशरूम बहुत ही तेजी से बढ़ते हैं और 8 दिन के बाद ही यह रेत के अंदर दिखने लगते हैं। और मशरूम 24 घंटे के अंदर दुगुने आकार के होते हैं।
Portobello Mushrooms
पोर्टोबेलोस बटन मशरूम के जीवन का अंतिम पूर्ण विकसित चरण है।यह मशरूम सेरेमनी या बटन मशरूम की तुलना मे काफी बड़े होते हैं और इनके अंदर स्वाद भी हल्का होता है। इसमे पूरी तरह से खुली हुई टोपी होती है ।यह पोर्टोबेलोस शाकाहारी बर्गर के रूप में उपयोग किये जाते हैं।
यह व्यास में पंद्रह सेंटीमीटर औसत है और एक मोटी स्टेम से जुड़ा हुआ है। चिकनी टोपी गहरे भूरे रंग से लेकर तन तक और दृढ़, मोटी और स्पंजी होती है।यह सामान्य मशरूम का बड़ा, मिट्टी का और परिपक्व संस्करण है जो कि एगारिससी परिवार से संबंधित है। पोर्टोबेलो, एगरिक कल्टीव, चम्पिग्नॉन पोर्टोबेलो, फ्लैट चेस्टनट मशरूम जैसे नामों से भी इसको जाना जाता है।
पोर्टाबेला मशरूम में विटामिन डी, तांबा, सेलेनियम, पोटेशियम, फास्फोरस, विटामिन बी 6 मौजूद होते हैं। इसका उपयोग सिरका, अजवायन की पत्ती, मेंहदी, अजवायन के फूल या सिलेंट्रो, मारिनारा, पालक, पत्तेदार साग, टमाटर आदि के साथ मिलाकर खाया जा सकता । इस मशरूम को 7 से 10 दिन तक फ्रिज के अंदर रखा जा सकता है और बाद मे खाया जा सकता है। पिज्जा व बर्गर को बनाने मे मुख्य रूप से इसी मशरूम का उपयोग होता है।
पोर्टेबेला मशरूम 1980 के दशक मे बहुत ही कम लोकप्रिय थी । लेकिन बाद मे इस मशरूम को कम्पनियों ने मांस का एक विकल्प बताया था और आज इस मशरूम की बहुत अधिक मांग मार्केट के अंदर हो चुकी है।
Oyster Mushrooms
यह मशरूम बटन मशरूम से अलग होते हैं और देखने मे एक सीप की तरह लगते हैं। इस वजह से उनको सीप मशरूम के नाम से जाना जाता है। हालांकि यह स्वाद के अंदर सीप के जैसे नहीं होते हैं। वरन काफी स्वादिष्ट होते हैं।यह हल्के और मीठे स्वाद के साथ आते हैं ।इस मशरूम की खेती जर्मनी के अंदर प्रथम विश्व युद्ध के अंदर की गई थी। और आज यह पूरी दुनिया के अंदर व्यापक रूप से प्रयोग किया जाता है।
मशरूम की एक व्यापक, पंखे या सीप के आकार की टोपी होती है, जिसमें 5-25 सेमी फैले होते हैं। इसका तना सफेद या भूरे रंग का होता है।सीप मशरूम मांसहारी मशरूमों मे से एक हैं। वैसे तो यह मशरूम कई जगहों पर विकसित हो सकता है लेकिन इसकी कुछ प्रजातियां पेड़ों पर ही उगती हैं।भारत के केरल के अंदर इसकी बहुत अधिक खेती की जाती है।और इससे कई व्यंजन तैयार किये जाते हैं। इसकी खेती पॉलिथीन की थैली के अंदर की जाती है।
King Oyster Mushrooms
किंग सीप नियमित सीप मशरूम के समान दिखते हैं जो एक मोटी, सफेद तने के ऊपर उगते हैं।इसका डंठल खाने के अंदर कठोर नहीं होता है।इसका प्रयोग चीन ,जापान और कौरियाई व्यंजनों के अंदर इसका सबसे अधिक प्रयोग किया जाता है।इस मशरूम को शाकाहारी स्कैलप्प्स कहा जाता है। जो मांसहारी मशरूम नहीं खाते यह उनके लिए उपयुक्त है।यह मशरूम सस्ते नहीं होते हैं। यदि आप मशरूम चुनते हैं तो उसे अच्छे तरीके से देखे और यदि कहीं पर वह खराब है तो दूसरी चुन लें ।
यदि आप मशरूम को कच्चा और बारीक कटा हुआ खा रहे हैं, तो छोटे मशरूम का चयन करें क्योंकि यह स्वाद मे मजबूत होते हैं। हालांकि एक बार पकाने के बाद, मशरूम का प्राकृतिक उमी स्वाद नहीं मिलता है
Chanterelle Mushrooms
यह एक जंगली मशरूम होता है जो सबसे अधिक लोकप्रिय मशरूम के अंदर आता है।यह कलर के अंदर पीले ,नारंग और सफेद हो सकते हैं।इसकी चिकनी टोपी होती हैं।इस मशरूम की अधिकांश प्रजातियां गोल और कांटेदार होती हैं।
यूरेशिया, उत्तरी और मध्य अमेरिका और अफ्रीका में चेंटरेल आम हैं । यह शंकुधारी शंकुधारी जंगलों में गुच्छों में उगते हैं, लेकिन अक्सर पहाड़ी बर्च जंगलों में और घास और कम उगने वाली जड़ी-बूटियों के बीच पाए जाते हैं।इस मशरूम के अंदर कई प्रकार के पोषक तत्व पाये जाते हैं जो इसको बहुत ही उपयोगी मशरूम बना देते हैं।
Chanterelle Mushrooms | |
प्रति 100 ग्राम पोषण मूल्य (3.5 औंस) | |
ऊर्जा | 160 केजे (38 किलो कैलोरी) |
कार्बोहाइड्रेट | 6.86 ग्राम |
शुगर्स | 1.16 ग्रा |
फाइबर आहार | 3.8 ग्रा |
मोटी | 0.53 ग्रा |
प्रोटीन | 1.49 ग्राम |
विटामिन | |
राइबोफ्लेविन (B 2 ) | 18% 0.215 मिग्रा |
नियासिन (बी 3 ) | 27% 4.085 मि.ग्रा |
पैंटोथेनिक एसिड (बी 5 ) | 22% 1.075 मिग्रा |
विटामिन बी 6 | 3% 0.044 मि.ग्रा |
विटामिन डी | 35% 5.3 माइक्रोग्राम |
खनिज पदार्थ | |
कैल्शियम | 2% 15 मिग्रा |
लोहा | 27% 3.47 मिग्रा |
मैगनीशियम | 4% 13 मिग्रा |
मैंगनीज | 14% 0.286 मिग्रा |
फास्फोरस | 8% 57 मिग्रा |
पोटैशियम | 1 1% 506 मि.ग्रा |
सोडियम | 1% 9 मिलीग्राम |
जस्ता | 7% 0.71 मिग्रा |
पानी | 90 ग्रा |
16 वीं शताब्दी से ही इस मशरूम को खाया जा रहा था लेकिन तब इसका व्यापक प्रयोग नहीं किया जा रहा था। लेकिन 18 वीं शताब्दी के अंदर इसका व्यापक प्रयोग होने लगा था। 1836 में, स्वीडिश माइकोलॉजिस्ट एलियास फ्राइज़ ने चेंटरेल को सबसे अधिक उपयोगी मशरूमों मे से एक माना था।
Porcini Mushrooms
Porcini Mushrooms सूखे और ताजा दोनो ही रूपों के अंदर बेचा जाता है।इतालवी और फ्रांसीसी व्यंजनों में यह सबसे अधिक प्रयोग किया जाता है। खेती यूरोप, उत्तरी अमेरिका और एशिया के अंदर की जाती है। यह जंगल के अंदर उगते हैं।यह मध्य यूरोप के अंदर पतझड़ मौसम मे उगते हैं।इनको डिश के रूप मे और पास्ते मे खाया जाता है। पोर्सिनी मशरूम भूरे रंग के छायादार मशरूम होते हैं।इनका डंठल और टोपियां एक इंच से लेकर एक फुट तक होती है।
यदि आप Porcini Mushrooms को पकाते हैं तो इसको पानी मे नहीं भीगोंना चाहिए क्योंकि इससे इसके अंदर का पदार्थ बाहर निकल सकता है। आप इसको एक नम कपड़े से पोंछ सकते हैं।
इस मशरूम का स्वाद पौष्टिक और मांस के जैसा होता है। यदि आप मांस खाते हैं तो आपको पता चल जाएगा । असल मे यह मांसहार का एक अच्छा विकल्प होता है। जो लोग मांस नहीं खाते वे इसका प्रयोग कर सकते हैं।
शरद ऋतु या वसंत के अंदर बाजार के अंदर कंटेनरों के अंदर बिकता हुआ मिल जाता है।सफेद डंठल और भूरे रंग का दिखने वाला मशरूम पका हुआ ही होता है। आप इस मशरूम को 6 महिने तक सूखा कर एक कंटेनर के अंदर रख सकते हैं। यह खराब नहीं होगा ।
100 ग्राम मशरूम आपके दैनिक अनुशंसित कैल्शियम का 17 प्रतिशत और लोहे के डीवी का 167 प्रतिशत प्रदान करते हैं।इसके अलावा प्रति 100 ग्राम मशरूम 33 ग्राम से अधिक प्रोटीन देते हैं।
Hedgehog Mushrooms
इस मशरूम की टोपी सूखी, हल्के पीले रंग से हल्के नारंगी से भूरे रंग की होती है, और अक्सर एक अनियमित आकार विकसित होती है।इसकी सुखद गंध और मसालेदार इसका स्वाद और कड़वा होता है। यह एक पसंदीदा खाद्य प्रजाति है, हालांकि परिपक्व नमूनों में कड़वा स्वाद विकसित हो सकता है।इसके जैसी दिखने वाली कोई मशरूम की जहरीली प्रजाति नहीं है।इसको कनाड़ा और यूरोप के अंदर बेचा जाता है। कार्ल लिनिअ ने इस प्रजाति का 1753 ई के अंदर वर्णन किया था।इस मशरूम के अंदर पाये जाने वाले पोषक तत्व की मात्रा को नीचे दिया जा रहा है।
हाइडनम रिपेंडम, सूखा | |
100 ग्राम मे पोषक तत्व | |
ऊर्जा | 342 kcal |
मोटी | 4.3 ग्राम |
प्रोटीन | 19.7 ग्रा |
विटामिन सी | 1 मिग्रा |
खनिज पदार्थ | मात्रा% DV † |
कैल्शियम | 600 मिग्रा |
तांबा | 38.9 मिलीग्राम |
लोहा | 38 मिलीग्राम |
मैगनीशियम | 230 मिग्रा |
मैंगनीज | 23.2 मिग्रा |
पोटैशियम | 2.89 मिग्रा |
सोडियम | 31.9 मिग्रा |
जस्ता | 60% 5.72 मिलीग्राम |
Chicken Of The Woods Mushrooms
यह मशरूम पीले और नारंगी रंग के अंदर दिखती है।यह देखने मे काफी अच्छी लग सकती हैं।यदि इस मशरूम के स्वाद की बात करें तो इसका स्वाद जूं मांस की तरह होता है। जबकि कुछ लोग यह बताते हैं कि इसका स्वाद चिकन और झींगा मछली की तरह होता है।
आपको बतादें कि यह मशरूम पेट गैस की समस्या पैदा कर सकती है। इसलिए आपको पहली बार कम इसका सेवन करना चाहिए यदि आप पेट की गड़बड़ी से बचना चाहते हैं तो टेस्ट करके देख सकते हैं।और आपको बतादें कि पेड़ पर उगने वाली लकड़ी के चिकन से बचना चाहिए क्योंकि यह आपको बीमार कर सकता है।
चिकन फ्राइड चिकन ऑफ द वुड्स बनाने का तरीका बहुत ही सरल होता है।
- सबसे पहले जंगल के अंदर से चिकन ऑफ द वुड्स लेकर आएं । आप एक मूठ्ठी मशरूम ले सकते हैं।
- उसके बाद एक कप आटे की जरूरत होगी ।
- स्वाद के अनुसार काली मिर्च लें।
- 3 अंडे लें ।
- अजवाइन ,लौंग और नींबू भी इसके अंदर डालनें हैं।
- सबसे पहले जिस पेड़ पर मशरूम लगी है। उस मशरूम को अच्छी तरह से चाकु से काट लें और फिर अच्छी तरह से धोंएं व धूप के अंदर सुखा दें ।
- स्वाद के लिए नमक, काली मिर्च आटे के अंदर मिलाएं उसके बाद आटे में अंडे और मशरूम मिलाएं और आटे को गूंथ लें ।
- 1/4 कप खाना पकाने के तेल लें और गर्म करें इसके अंदर 2 चम्मच मक्खन मिलाएं उसके बाद मशरूम, लहसुन की कुचल लौंग और अजवायन भी मिला दें ।इसको तब तक पकाते रहें जब तक कि यह सुनहरे रंग की नहीं हो जाती है।
Black Trumpet Mushrooms
ब्लैक चेंटरेल , ब्लैक ट्रम्पेट , ट्रॉम्पेट डे ला मोर्ट (फ्रेंच), ट्रॉम्बेटा डी मोर्टी (इटालियन) या ट्रम्पेट ऑफ द डेड आदि के नाम से भी जाना जाता है।15 सेमी या 6 सेमी तक ही बढ़ता है।ऊपरी और भीतरी सतह काले या गहरे भूरे रंग की होती है, और निचली और बाहरी उपजाऊ सतह ग्रे की बहुत हल्की छाया होती है।यूरोप, उत्तरी अमेरिका, जापान और कोरिया के जंगलों के अंदर पाया जाता है और पेड़ों के नीचे उगता है।यह जून से नवंबर तक दिखाई देता है।यह दिखने मे बहुत ही खराब होते हैं लेकिन इनका स्वाद काफी अच्छा होता है।
आमतौर पर मशरूम का मिलना बहुत कठिन होता है।क्योंकि यह काले रंग की होती है और यह आसानी से छुप जाती हैं।यह पानी के एक छोटे स्रोत या गीले / दलदली क्षेत्र के करीब हो सकते हैं जहाँ सड़न और मृत लकड़ी होती है।
- फ़नल के आकार के हैं और भूरे, भूरे या काले रंग में आते हैं। टोपी के किनारों को बाहर की ओर लुढ़काया जाता है और लहराती होती है।
- काले तुरही इसकी सबसे महत्वपूर्ण चीज होती है। इसके पास कोई भी गल्फड़ा नहीं है।
- सबसे आम प्रजाति है क्रैटरेलस कॉर्नुकोपिओइड एस । अन्य प्रजातियाँ मौजूद हैं, जैसे कि क्रैटरेलस फ़ॉइटिडस ।
- इसका तना एक इंच तक लंबा और एक ही रंग, या टोपी की तुलना में थोड़ा हल्का होता है।। तने के अंदर का भाग खोखला होता है ,और यह आसानी से टूट जाता है।
Wood Blewit Mushrooms
पतझड़ और मिश्रित वुडलैंड में पत्ती के कूड़े के अंदर देखने को मिलता है। यह सर्दियों के दौरान हल्के मौसम के अंदर देखने को मिलता है।दिसंबर तक यह अच्छे से फलता है।वुड ब्लीविट्स नीला रंग लिये होते हैं और इनकी टोपी व तने बैंगनी रंग के होते हैं। हालांकि परिपक्व होने के बाद तने अपना नीला रंग थोड़ा खो देते हैं।यह ब्रिटेन और आयरलैंड में आम और व्यापक रूप से, वुड ब्लेवित लेपिस्टा नूदा पूरे मुख्य भूमि यूरोप और उत्तरी अमेरिका सहित दुनिया के कई अन्य हिस्सों में पाया जाता है।
सन 1790 ई के अंदर इसका वर्णन बैप्टिस्ट फ़्राँस्वा पियरे बुलियार्ड ने किया था।इस प्रजाति की सही से पहचान करने की आवश्यकता होती है।कॉर्टिनाइर कवक के साथ यह मिसरित हो सकता है।इसका स्टेम 15 से 25 मिमी व्यास और 5 से 10 सेमी लंबा, गैर-टैपिंग स्टाइप ठोस है और अक्सर एक सूजन (क्लेवेट) आधार होता है।
इसका एक सुखद स्वाद होता है।वुड ब्लीविट्स को खाने से पहले अच्छे तरीके से पकाया जाना चाहिए और इनको कभी भी कच्चा नहीं खाना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से यह अपच का कारण बन सकते हैं।
आप इनको चिकन या मांस के साथ खा सकते हैं। या फिर पनीर, चावल और पास्ता के साथ भी परोश कर खा सकते हैं।यह खाने मे काफी स्वादिष्ट लगते हैं।
Morel Mushrooms
यह मशरूम केवल जंगल के अंदर ही उगते हैं और मशरूम काफी मजेदार होते हैं। मशरूम खाने वाले लोगों के लिए बहुत अधिक प्रिय हैं।इनकी खेती करना थोड़ा कठिन होता है।उत्तरी अमेरिका और यूरोप भर में जंगली क्षेत्रों में पाए जाते हैं। मोरल मशरूम उगाने के लिए गर्म और गीली परिस्थितियाँ सबसे अच्छी होती हैं यह आकार के अंदर दूसरे मशरूमों से अलग होते हैं। जिसकी वजह से इनका भेद करना बहुत ही आसान होता है।इनका रंग ग्रे हो सकता है और अंदर से यह खोखले होते हैं।
मोरेल मशरूम की कई प्रजातियां ऐसी होती हैं जो घातक हो सकती हैं। यदि आप जंगल के अंदर से मशरूम लाने के बारे मे विचार कर रहे हैं तो सबसे पहले किसी अनुभवी को आपको साथ लेलेना चाहिए क्योंकि वही आपको सही परामर्श प्रदान कर सकता है।
यह मशरूम काफी महंगे होते हैं। 1 पाउंड के लिए 20$ तक खर्च करना पड़ सकता है।मशरूम के महंगे होने के पीछे सबसे बड़ा कारण यह है कि इनकी खेती आसान नहीं होती है। और जंगल के अंदर केवल कुछ जानकार लोग ही इनको खोज कर लाते हैं।
Morel Mushrooms को भी अन्य मशरूम की तरह संग्रहित किया जा सकता है। इसके लिए ताजा मशरूम को फ्रीज के अंदर आप 7 दिन तक रख सकते हैं। हालांकि इससे इसके स्वाद के अंदर भी बदलाव हो सकता है। इसके अलावा आप इनको सूरज की रोशनी के अंदर सुखा सकते हैं और उसके बाद इसे एक कंटेनर के अंदर बंद करके 6 महिने के लिए रख सकते हैं। आइए जानते हैं कि इस मशरूम के अंदर कितना पोषक तत्व होता है।
मोरेल मशरूम, कच्चा | |
प्रति 100 ग्राम मशरूम के अंदर पोषक तत्व | |
ऊर्जा | 31 किलो कैलोरी |
कार्बोहाइड्रेट | 5.1 ग्राम |
शुगर्स | 0.6 ग्रा |
फाइबर आहार | 2.8 ग्राम |
मोटी | 0.57 ग्रा |
प्रोटीन | 3.12 जी |
थियामिन (बी 1 ) | 0.069 मि.ग्रा |
राइबोफ्लेविन (B 2 ) | 0.205 मिग्रा |
नियासिन (बी 3 ) | 2.252 मि.ग्रा |
पैंटोथेनिक एसिड (बी 5 ) | 0.44 मिग्रा |
विटामिन बी 6 | 0.136 मि.ग्रा |
फोलेट (B 9 ) | 9 माइक्रोग्राम |
विटामिन डी | 5.1 माइक्रोग्राम |
कैल्शियम | 43 मिग्रा |
लोहा | 12.18 मिलीग्राम |
मैगनीशियम | 19 मिलीग्राम |
मैंगनीज | 0.587 मिग्रा |
फास्फोरस | 194 मिग्रा |
पोटैशियम | 411 मिग्रा |
जस्ता | 2.03 मिग्रा |
Enoki Mushrooms
मशरूम की जंगली और खेती के प्रकारों के बीच एक महत्वपूर्ण अंतर है । संवर्धित मशरूम प्रकाश के संपर्क में नहीं आते हैं, जिसके परिणामस्वरूप सफेद रंग होता है, जबकि जंगली मशरूम आमतौर पर गहरे भूरे रंग का प्रदर्शन करते हैं।सितंबर से मार्च के बीच मे यह मशरूम उगाई जाती है। गैलेरिना मार्जिनटा भूरे रंग के कैप और स्टाइप प्रस्तुत करती है और सबसे उल्लेखनीय रूप से भूरे, जंग खाए हुए होते हैं। यह अलग-थलग हो जाता है और यह एक अंगूठी प्रस्तुत करता है
यदि आप जंगल के अंदर मशरूम को चुन रहे हैं तो आपको गैलीरिना मार्जिनेट के साथ भ्रमित नहीं होना चाहिए क्योंकि यह जहरीली होती है।एनोकी लंबी और पतली मशरूम होती है। जो सोंप के अंदर बहुत अधिक लोकप्रिय है। इसको सलाद वैगरह के अंदर भी इस्तेमाल किया जाता है।
2005 में प्रकाशित नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ़ सिंगापुर के शोध में कहा गया है कि गोल्डन सुई मशरूम के डंठल में बड़ी मात्रा में प्रोटीन होता है।
Shimeji Mushrooms
पूर्वी एशिया और उत्तरी यूरोप का यह मशरूम मूल निवासी है।इसके तने लंबे होते और कैप पतला व गोलाकार होता है।इसकी 20 से अधिक प्रजातियां पाई जाती हैं। अब तो अमेरिका और यूरोप के अंदर इसकी खेती व्यापक रूप से की जाती है।
इसका स्वाद नाजुक होता है। और बनावट दानेदार होती है।इस मशरूम को कभी भी कच्चा नहीं खाना चाहिए क्योंकि यह नुकसान दायी होती है। इसका स्वाद मीठा और अखरोट स्वाद रहता है। सूप, स्टॉज, नूडल्स, सलाद ,चावल के अंदर भी इस मशरूम को खाया जाता है। इसके अलाव कैप्स और डंठल दोनो ही खाने योग्य होते हैं। यह मशरूम मसालेदार या स्वादिष्ट भी बनाए जा सकते हैं।
Shiitake Mushrooms
शियाटेक मशरूम दुनिया भर के अंदर एक लोकप्रिय मशरूम है। और यह समृद्ध, दिलकश स्वाद और अनेक प्रकार के स्वास्थ्य लाभ के लिए जानी जाती है। इसके अंदर कुछ ऐसे तत्व पाये जाते हैं जो कैंसर से लड़ने मे मदद करते हैं। हर्ट को अच्छा करते हैं इसके अलावा भी इसके बहुत सारे फायदे होते हैं।
शियाटेक पूर्वी एशिया के मूल निवासी खाद्य मशरूम होती है। और 2 से 4 इंच तक इसके बढ़ने वाले कैप तक यह गहरे भूरे रंग की होती है।इसको सब्जी की तरह खाया जाता है। संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, सिंगापुर और चीन मे भी यह मशरूम उगती है लेकिन सबसे अधिक जापान के अंदर उगाती है।
शियाटेक मशरूम के अंदर कैलोरी कम मात्रा के अंदर होती है।इसके अंदर कई प्रकार के पोषक तत्व पाये जाते हैं। जो शरीर के लिए बहुत उपयोगी होते हैं।
- कैलोरी: 44
- कार्ब्स: 11 ग्राम
- फाइबर: 2 ग्राम
- प्रोटीन: 1 ग्राम
- राइबोफ्लेविन: दैनिक मूल्य का 11% (DV)
- नियासिन: डीवी का 11%
- कॉपर: डीवी का 39%
- विटामिन बी 5: 33% डीवी
- सेलेनियम: DV का 10%
- मैंगनीज: DV का 9%
- जस्ता: 8% डीवी
- विटामिन बी 6: 7% डीवी
- फोलेट: 6% DV
- विटामिन डी: 6% डीवी
शियाटेक मशरूम को कई चीजों के साथ आसानी से खाया जा सकता है। सूखे शियाटके को आप पका कर खा सकते हैं।सूखे शियाटके के अंदर एक काफी अच्छा स्वाद होता है। यह अक्सर मीठा, खट्टा, कड़वा और नमकीन स्वाद हो सकता है।फ्राइज़, सूप, स्टोव जैसे व्यंजनों के साथ इसका यूज किया जा सकता है।शियाटके मशरूम का प्रयोग चिकित्सा के अंदर चीन मे प्राचीन काल से किया जाता रहा है। रिसर्च से यह बात सामने आई है कि शिइटेक के अंदर कुछ ऐसे यौगिक पाये जाते हैं जो कैंसर से बचाने का कार्य करते हैं।
- शियाटेक मशरूम दिल की बीमारी से सुरक्षा करता है।इसके अंदर कुछ खास अणु होते हैं जो आपके आंत में कोलेस्ट्रॉल के अवशोषण को रोकने में मदद करते हैं। चूहों पर किये गए रिसर्च के अंदर अच्छे परिणाम आए हैं।
- यह आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा सकता है।रिसर्च के अंदर कुछ लोगों को शामिल किया गया और उनको रोजाना 2 शियाटके दिये गए और एक महिने के बाद उनकी प्रतिरक्षा क्षमता मे सुधार देखा गया था।
- इस मशरूम को कई रिसर्च के अंदर एंटीकैंसर के रूप मे दिखाया गया था।लेंटिनन को ल्यूकेमिया कोशिकाओं के विकास और प्रसार को रोकने के लिए दिखाया गया है। यह टयूमर से लड़ने मे काफी मदद करता है।
- शियाटेक मशरूम जीवाणुरोधी, एंटीवायरल और एंटीफंगल होता है। और यदि कोई इसका सेवन करता है तो उसे संक्रमण होने का खतरा कम हो जाता है।
- विटामिन डी शरीर की हडि्यों के निर्माण के लिए बहुत ही उपयोगी होती है।इस मशरूम के अंदर विटामिन डी उच्च मात्रा के अंदर होती है। इसका अर्थ है कि यह मशरूम शरीर की हडि्यों को मजबूत बनाती है।
- शियाटेक मशरूम खाने से कई तरह के नुकसान हो सकते हैं।इसको खाने से त्वचा लाल हो सकती है। इसके अलावा लंबी अवधि में पाउडर मशरूम के अर्क का उपयोग करने से पेट में जलन भी हो सकती है।
Maitake Mushrooms
ग्रिफोला फ्रैन्डोसा एक पॉलीपोर मशरूम है जो गुच्छों के रूप मे पेड़ों के आधार पर उगता है।यह गर्मियों में शुरुआती शरद ऋतु के अंदर पाया जाता है।डांसिंग मशरूम के नाम से भी इसको जाना जाता है।यह चीन, यूरोप और उत्तरी अमेरिका का मूल निवासी है।
ओक, एल्म और मेपल के पेड़ों के नीचे सबसे अधिक उगता है।जापान और चीन के अंदर तो इसका प्रयोग 1000 साल पहले से ही किया जाता रहा है। लेकिन अब तो यह अमेरिका के अंदर भी काफी लोकप्रिय हो गया है। इसको स्वाद और औषधी दोनो ही रूपों मे प्रयोग मे लिया जाता है।वैज्ञानिक रिसर्च के अंदर भी इस मशरूम को कैंसर रोकने वाला बताया गया है।इसके अंदर पोटैशियम ,तांबा ,विटामिन बी जैसे उपयोगी तत्व होते हैं।
- मैटाके पर हुए कुछ रिसर्च बताते हैं कि यह काफी उपयोगी मशरूम होती है।सन 2013 मे हुए एक रिसर्च के अनुसार यह मशरूम स्तन कैंसर के विकास को रोक सकता है।रिसर्च के अंदर चूहों में ट्यूमर को रोकते हुए दिखाया गया है। हालांकि यह प्रयोग अभी इंसानों पर नहीं किया गया था लेकिन इसके परिणाम काफी आशाजनक रहे हैं।
एक अध्ययन में पाया गया कि मैटाके डी-फ्रेक्शन, जो एक प्रकार का अर्क होता है, मानव कैंसर कोशिकाओं को मारने में कुशल है। यह एक प्रोटीन के साथ लिया गया था ।
- 2013 के एक अध्ययन में मैटाके पाउडर चूहों को दिया गया था। और उनके अंदर कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करके देखा गया था।फैटी एसिड को भी बढ़ाने का कार्य यह करती है।मैटाके मशरूम धमनियों को अच्छा बनाने का कार्य करती है।
- 2015 के एक अध्ययन के नतीजों से पता चलता है कि मैटाके मशरूम टाइप 2 डायबिटीज वाले मरीजों के लिए काफी उपयोगी साबित हो सकता है।हालांकि चूहों पर किये गए रिसर्च से परिणाम काफी सकारात्मक आए हैं।
- Maitake Mushrooms के वैसे तो कई सारे फायदे होते हैं लेकिन इसके कुछ नुकसान भी होते हैं। जिनके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।यह बहुत पुराना मशरूम नहीं होना चाहिए वरना यह काफी कठोर हो जाता है और पचाने मे समस्याएं आती हैं। हालांकि मशरूम को पकाने के बाद यह पचने मे आसान हो सकती है।इसके अलावा कुछ लोगों को यह खाने से एलर्जी भी हो सकती है। और गर्भवती महिलाएं और जिनको मधुमेह है उनको इसको खाने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श अवश्य ही करना चाहिए ।
Reishi Mushrooms
यह काफी दिलचस्प मशरूम है और बहुत अधिक लोकप्रिय है।इसको खाने से कई सारे स्वास्थ्य लाभ होते हैं जैसे प्रतिरक्षा प्रणाली के अंदर सुधार करती है और कैंसर के विकास को रोकने मे मदद करती है। गनोडर्मा ल्यूसिडम के नाम से भी इसको जाना जाता है । यह एक प्रकार का कवक होता है जोकि ऐशिया के अंदर कई गर्म स्थानों पर बढ़ता है।
इसका लाल-वार्निश, किडनी के आकार का कैप और परिधीय रूप से डाला गया स्टेम इसे एक अलग प्रशंसक जैसा दिखता है।जब यह ताजा होता है जो लिंगजी नरम और सपाट दिखता है।इसके नीचे के हिस्से मे गलफड़ों की कमी होती है।
लिंगज़ी, जिसे ऋषि मशरूम के नाम से भी जाना जाता है। यह पीछले 2000 सालों से ज्ञात मशरूम है। लिंगज़ी का स्वाद कड़वा होने की वजह से इसका प्रयोग गर्म पानी के साथ पीने मे भी किया जाता है।
इस मशरूम को खाने से कई सारे फायदे होंते हैं।
- इम्यून सिस्टम को बूस्ट करने मे यह मशरूम काफी उपयोगी मानी गई है।यह आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने का कार्य करती है।ऋषि के कुछ रूप सफेद रक्त कोशिकाओं मे सूजन को बदल सकते हैं।
- कैंसर रोगियों में मे हुए रिसर्च से यह पता चला है कि यह मशरूम एक प्रकार की कोशिकाओं का विकास करती है जो कैंसर के विरूद्ध लड़ने मे काफी उपयोगी साबित होती हैं।
- Reishi Mushrooms को कैंसर रोधी माना गया है।4,000 से अधिक स्तन कैंसर के मरीजों को यह मशरूम दिया गया जिससे उनके अंदर सुधार हुआ था। और इसकी वजह से कैंसर कोशिकाएं नष्ट हो सकती हैं। मनुष्यों में प्रोस्टेट कैंसर को रोकने मे भी इस मशरूम की भूमिका हो सकती है। हालांकि अभी भी इनके उपर रिसर्च चल रही हैं।
- थकान और अवसाद दो सामान्य समस्याएं हैं इनसे भी Reishi Mushrooms लड़ सकती है।132 लोगों के रिसर्च मे यह पाया गया कि मशरूम सेवन के बाद इन लोगों को आराम था। 48 स्तन कैंसर से बचे लोगों को भी यह मशरूम दिया गया तो उनके अंदर बहुत अधिक मानसिक सुधार देखने को मिला ।
- ब्लड शुगर कंट्रोल करने मे भी यह काफी फायदेमंद हो सकती है। कई रिसर्च के अंदर यह संकेत मिले हैं कि मशरूम रक्त शर्करा के स्तर को कम करती है।हालांकि कुछ अन्य रिसर्च ने इसके लाभ को नहीं दिखाया था। हालांकि इसके उपर मजबूत रिसर्च की आवश्यकता है।
- reishi मशरूम भले ही कई फायदे प्रदान करती हो लेकिन इसके कुछ नुकसान भी होते हैं जिनके बारे मे भी आपको अवश्य ही जान लेना चाहिए । इसमें पेट या पाचन संकट का थोड़ा बढ़ा जोखिम शामिल था। यकृत स्वास्थ्य पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं बताया गया।लेकिन जो लोग रक्त समस्या से झूझ रहें हैं या स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए यह मशरूम उपयोगी नहीं है। इस मशरूम के सेवन से यकृत या गुर्दे पर किसी भी प्रकार के हानिकारक प्रभाव को नहीं देखा गया है। हालांकि अभी भी इस मामले मे व्यापक रिसर्च नहीं हो पाए हैं।
Lion’s Mane Mushrooms
बन्दर का सिर मशरूम, दाढ़ी वाला मशरूम, व्यंग की दाढ़ी, दाढ़ी वाला हेजहॉग मशरूम जैसे नामों से इसको जाना जाता है।यह एक प्रकार की औषधीय मशरूम होती है।उत्तरी अमेरिका, यूरोप और एशिया के अंदर पाई जाती है।यह गर्मियों के दौरान आम होते हैं।
- डिमेंशिया के खिलाफ सुरक्षा मे यह मशरूम काफी उपयोगी होती है। दिमाग के अंदर उम्र की बढ़ोतरी के साथ एक नये कनेक्सन के बनने की दर कम हो जाती है।यही कारण है कि उम्र के साथ दिमाग सही से काम नहीं कर पाता है। इसके अंदर हेरिकोन और एरीनाकिंस दो ऐसे यौगिक होते हैं जो दिमाग के विकास को उत्तेजित करते हैं।संज्ञानात्मक हानि की स्थिति में एक अध्ययन में पाया गया कि चार महीने तक प्रतिदिन 3 ग्राम मशरूम का सेवन करने से कामकाग मे सुधार हुआ था।
- इसके अलावा जानवरों पर किये गए एक रिसर्च के अंदर इस मशरूम को अल्जाइमर रोग को दूर करने वाला मशरूम के रूप मे भी दिखाया गया है। हालांकि मनुष्य के बारे मे आंकड़े नहीं हैं। चूहों में स्मृति हानि कम पाई गई थी।यह मशरूम एमाइलॉयड-बीटा प्लेक के कारण होने वाले न्यूरोनल क्षति को रोका सकती है।
Matsutake Mushrooms
एशिया, यूरोप, और उत्तरी अमेरिका में बढ़ता है। यह जापानी , कोरियाई और चीनी व्यंजनों में इसकी विशिष्ट मसालेदार सुगंधित गंध के लिए बेशकीमती है। यह मशरूम पेड़ों के नीचे उगते हैं और कूड़े और पतियों के नीचे आसानी से छुप जाते हैं।हालांकि जंगल के अंदर इसको खोजना कठिन होता है। इसकी कीमत $ 4.41 प्रति किलोग्राम होती है। मटूटके मशरूम जापान के अंदर मजेदार स्वाद के साथ बिकती है।इसकी एक मीठी सुगंध है जो मशरूम को सरू के संकेत के साथ जोड़ती है।
Giant Puffball Mushrooms
puffball मशरूम आम तौर पर देर से गर्मियों और शरद ऋतु में घास के मैदान, फ़ील्ड और पर्णपाती जंगलों में पाया जाता है। यह पूरे विश्व में समशीतोष्ण क्षेत्रों में पाया जाता है। यह 10 से 50 सेंटीमीटर बढ़ते हैं और 35 सेंटीमिटर व्यास के होते हैं।परिपक्व विशालकाय पफबॉल के अंदर का रंग हरा भूरा होता है, जबकि अपरिपक्व कशेरुकाओं का आंतरिक भाग सफेद होता है। युवा होने पर बड़े सफेद मशरूम खाने योग्य होते हैं।
पफबॉल मशरूम जब एक बार परिपक्व हो जाता है तो उसके बाद यह जल्दी ही सड़ना शूरू कर देता है। और यदि उसे बाद इसको कोई खाता है तो नुकसान हो सकता है।
पफबॉल को अपरिपक्व होने पर ही खाने योग्य माना जाता है। और यदि बिजाणू बनने शूरू हो गए हैं तो उसके बाद इसको खाने पर पाचन की समस्याएं हो सकती हैं। पफ़बॉल एक ज्ञात स्टाइल है और लंबे समय तक घाव ड्रेसिंग के रूप में उपयोग किया जाता है।आपको बतादें कि इसका वजन 20 किलोग्राम तक पहुंच जाता है।
मशरूम की अलग अलग श्रेणियां
मशरूम कई प्रकार मे आती हैं।जैसे कुछ मशरूम ऐसी होती हैं जो जंगल के अंदर उगाई जाती हैं तों कुछ ऐसी होती हैं जिनकी खेती भी की जाती है। तो आइए इस आधार पर भी हम मशरूम के अलग अलग प्रकार के अंदर बांट लेते हैं।
संवर्धित मशरूम
बटन मशरूम, पोर्टोबेलो, सेरेमनी, सीप मशरूम, एनोकी इसकी अंदर आती हैं। यह वे मशरूम होती हैं जिनकी खेती होती है। और किसान इनको अपने खेतों के अंदर अनेक प्रकार के उपकरणों का इस्तेमाल करके उगाते हैं। और उसके बाद इनको बाजारों मे बेच दिया जाता है।
जंगली मशरूम
ट्रफल, मोरेल और चेंटरेल मशरूम इसके अंदर आती हैं। इनकी खेती करना संभव नहीं होता है क्योंकि यह कुछ पेड़ पौधों की जड़ों के अंदर ही उगते हैं। इसके अलावा इनकी पहचान हर किसी को नहीं होती है। जो जानकार होते हैं वे ही इन मशरूम को तोड़ते हैं। यह महंगी होती हैं क्योंकि इनकी उपलब्धता कम होती है।
औषधीय मशरूम
शियाटेक और माईटेक मशरूम खाने मे कड़वे होते हैं लेकिन इनका प्रयोग दवा को बनाने मे और चाय बनाने मे किया जाता है।यह मशरूम ऐसे हैं जिनका लंबे समय तक दवा वैगरह बनाने मे उपयोग होता रहा है।
कैंसर का इलाज करना, कोलेस्ट्रॉल कम करना, जीवाणुरोधी और ऐंटिफंगल एजेंटों के रूप मे इन मशरूम का इस्तेमाल किया जाता है। इनके बारे मे उपर पहले ही बताया जा चुका है।
साइकोएक्टिव मशरूम
इसको मैजिक मशरूम के नाम से भी जाना जाता है। इसके कई तरह के मनोवैज्ञानिक प्रभाव होते हैं। और यह कई देशों के अंदर बैन भी है।
जहरीला मशरूम
जंगल के अंदर कई प्रकार की जहरीली मशरूम उगती हैं। और यदि आपको जानकारी नहीं है तो कभी भी मशरूम को नहीं तोड़े और उसे चखने की गलती को बिल्कुल भी नहीं करें । सबसे जहरीली मशरूम अमनता बिस्पोरिगरा होती है। इनका सेवन करने से किड़नी और लिवर को बड़ा नुकसान हो सकता है।
उगने के आधार पर मशरूम के अलग अलग प्रकार
दोस्तों हम अब जान लेते हैं कि उगने के आधार पर मशरूम कितने प्रकार के होते हैं।
Endophytes
एंडोफाइटिक कवक पौधे के उत्तक पर आक्रमण करते हैं और उसके बाद वहीं से पोषण ग्रहण करते रहते हैं।लेकिन इससे पौधे को किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं होता है।हालांकि आप इन मशरूम की खेती भी कर सकते हैं।
Parasitic Mushrooms
परजीवी मशरूम में चागा, शेर का अयाल इसके अंदर आते हैं। यह पौधे पर उगते हैं और पौधे से पोषण लेने का काम करते हैं इनकी वजह से पौधा संक्रमित हो जाता है। और उसके बाद नष्ट भी हो सकता है।
Mycorrhizal Mushrooms
ये मशरूम हैं जिनका पेड़ और अन्य पौधों के साथ सहजीवी संबंध है। मायसेलियम पेड़ पौधों के जड़ों मे उगती है।यह मशरूम पौधे के लिए भी उपयोगी होती हैं। यह पौधे को पोषण भी देने का कार्य करती हैं। ट्रफ़ल्स, पोर्सिनी, चेंटरेल और मात्सुतके जैसी मशरूमें इसी के अंदर आती हैं।
Saprotrophic Mushrooms
यह मशरूम मृत पदार्थ पर उगते हैं। वे एंजाइम और एसिड जारी करते हैं जो ऊतक को छोटे टुकड़ों में तोड़ देते हैं जिन्हें वे अवशोषित कर सकते हैं और पोषक तत्व प्राप्त कर सकते हैं।यह मशरूम सड़े हुए पौधे ,लकड़ी और मरे हुए जानवरों पर उगते हैं ।बटन मशरूम, शिटेक, रीशी, मोरेल, पफबॉल, एनोकी इसके प्रमुख उदाहरण हैं।
दुनिया के सबसे खतरनाख जहरीले मशरूम
आपको पता होगा की जहरीले मशरूम वास्तव मे घातक होते हैं। और यदि किसी ने गलती से खा लिया तो उसकी मौत तक हो सकती है। तो आइए जान लेते हैं कि यह सबसे जहरीले मशरूम कौन कौन से होते हैं ?
Death Cap( अमनिता फालोइड्स )
यह मशरूम सबसे घातक मशरूमों मे से एक है और आपको लगभग बहुत सारे जगह पर देखने को मिलेगी । इस मशरूम के उपर एक गोल टोपी होती है।यदि कोई गलती से इसको खा लेता है तो यह शरीर की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाना शूरू कर देती है। उसके बाद 6 से 12 घंटे के भीतर उल्टी ,दस्त होने शूरू हो जाते हैं।मूत्र उत्पादन मे कमी हो जाती है और प्यास लगने लग जाती है।एक बार यदि इसे कोई खा लेता है तो 50 प्रतिशत संभावना मौत की होती है। इसको खाने से पहले की कई लोग मर चुके हैं और कुछ तो कौमा मे भी जा चुके हैं।
Conocybe filaris
Conocybe filaris भी खाने से घात साबित होता है। इसके सेवन के 6 से 24 घंटे के भीतर इसके लक्षण प्रकट होना शूरू हो जाते हैं। इसके अंदर भोजन की विषाक्तता और पेट की समस्याएं होती हैं। इसकी वजह से गुर्दे की विफलता और यकृत की समस्याएं हो सकती हैं।
Webcaps
इस मशरूम की दो प्रजातियां होती हैं घातक वेबकैप ( कॉर्टिनारियस रूबेलस ) और fool’s वेबकैप ( कॉर्टिनाइरियस ऑरेलानस ) । यह दोनो ही जहरीली और घातक होती हैं। इन मशरूम के अंदर ऑरलानिन नामक जहर होता है जो आम फ्लू के समान लक्षण पैदा करता है।और इसके लक्षण काफी बाद मे पैदा होते हैं। 3 सप्ताह के बाद इसका असर होता है।और परिणाम गुर्दे की विफलता होता है। सन 2008 ई के अंदर एक लेखक ने इस मशरूम को कुछ लोगों को दिया था जिसके परिणाम स्वरूप उनका गुर्दा विफल हो गया था।
Autumn Skullcap
उत्तरी गोलार्ध और ऑस्ट्रेलिया के अंदर यह सबसे अधिक पाई जाती है। और इसके अंदर अमोटॉक्सिन नामक एक जहर होता है।दस्त, उल्टी, हाइपोथर्मिया और यकृत की समस्याएं हो सकती हैं । और यदि सही तरीके से उपचार नहीं किया जाता है तो उसके बाद व्यक्ति की मौत तक हो सकती है।
Destroying Angels
अमनिता बिस्पोरिगेरे उत्तरी अमेरिका की सबसे अधिक जहरीली मशरूम होती है। यह सफेद रंग की और काफी आकर्षक मशरूम होती है।इसको खाने के 5 घंटे के बाद उल्टी ,दस्त और गुर्दे की विफलता व अंत मे मौत हो जाती है। देखने मे यह मैदानी मशरूम के जैसी दिखती है।
Podostroma cornu damae
यह बहुत ही दुर्लभ कवक होता है जो एशिया के अंदर पाया जाता है।यह लाल रंग का होता है। इसके लाल रंग के अंदर टॉक्सिन्स होते हैं।पेट में दर्द, छीलने वाली त्वचा, बालों का झड़ना, निम्न रक्तचाप और बाद मे गुर्दे की विफलता इसके लक्षण होते हैं। और यदि व्यक्ति का सही तरीके से उपचार नहीं किया जाए तो उसकी मौत तक हो सकती है।
Deadly Dapperling
इसके अंदर एमटॉक्सिन होता है और यह यूरोप व ऐशिया के कुछ हिस्सों के अंदर पाया जाता है।यदि कोई इस जहर को खा लेता है तो यकृत को गम्भीर क्षति हो सकती है। और मौत तक हो सकती है।
असम और मेघालय जैसे इलाकों के अंदर जहरीली मशरूम खाने से लोगों के बीमार होने की खबरे आती रहती हैं। और यदि आप गूगल पर सर्च करेंगे तो आपको बहुत सारी न्यूज ऐसी मिल जाएंगी । पीछले दिनों ऐसी ही एक न्यूज आई थी ।एक महिला जंगल से मशरूम तोड़कर ले आई । जबकि वह इनके बारे मे ठीक से नहीं जानती थी तो उसने सब्जी बनाई और उसके साथ ही परिवार के दस लोगों ने भी वही सब्जी खाई उनमे से 6 लोगों की मौत हो गई थी।
यदि आप मशरूम के बारे मे ठीक से नहीं जानते हैं तो उसे खाने की कोशिश ना करें । क्योंकि हो सकता है कि आप जो खा रहे हैं वही जहरीली हो तो समस्या हो सकती है।
मशरूम कितने प्रकार की होती है ? लेख के अंदर हमने मशरूम के अलग अलग प्रकार के बारे मे विस्तार से जाना हम उम्मीद करते हैं कि आपको यह लेख पसंद आया होगा । यदि लेख आपको अच्छा लगा ? या आपका कोई सवाल हो तो नीचे कमेंट करके हमें बताएं ।