vahan pradushan janch kendra kaise khole ? पूरी जानकारी

‌‌‌इस लेख मे हम बात करेंगे प्रदूषण जांच केंद्र कैसे खोले के बारे में ।दोस्तों जब से नया ओटो एक्ट 2019 आया है। चालान की झड़ी लग गई है। और यदि किसी के पास कागज पूरे नहीं होते हैं तो फिर आप जानते ही हैं कि 10 हजार से लेकर लाखों रूपये तक का जुर्माना लग सकता है। ‌‌‌आज से पहले प्रदूषण जांच केंद्र वाले बैठे उबासियां मारते थे । लेकिन अब रूल बदल गया है और कल मैंने एक विडियो देखा था जिसके अंदर प्रदूषण जांच केंद्र वाले बता रहे थे कि अब बहुत अधिक काम बढ़ चुका है। कस्टमर भी बहुत अधिक आ रहे हैं। खैर अब इस सेक्टर के अंदर भी अच्छा पैसा कमाया जा सकता है।

‌‌‌जनवरी 2019 के के अंदर हम जब एक कम्पनी के अंदर काम करते थे तो एक प्रदूषण जांच केंद्र वाला हाईवे के पास गाड़ी रोककर वाहनों के प्रदूषण की जांच करता था। लेकिन तब उसके पास कोई खास कस्टमर नहीं आते थे । लेकिन जैसे ही नया मोटरव्हीकल एक्ट 2019 लागू हुआ है। उसको सांस लेना मुश्किल हो गया है।

‌‌‌खैर अब यदि आप अपने पास के शहर के अंदर जाकर देखेंगे तो बहुत कम प्रदूषण जांच केंद्र वाले मिलेंगे और अभी ही प्रदूषण जांच केंद्र खोलने का अच्छा मौका है। आप पैसा भी कमा सकते हैं। सही वक्त पर यदि आप सही काम करोगे तो फायदे के अंदर रहोगे । यदि कोई दिमाग वाला इंसान है तो वह प्रदूषण जांच केंद्र खोल ‌‌‌चुका होगा और अपने बिजनेस को आगे बढ़ा रहा होगा । यदि आप भी सबसे कम कम्पीटिशन वाले बिजनेस को तलास रहे हैं तो प्रदूषण जांच केंद्र खोलना सबसे अच्छा हो सकता है। ‌‌‌आइए जानते हैं कि प्रदूषण जांच केंद्र कैसे खोले ? और इसके लिए क्या क्या प्रोसेस होगी ।

भारत सरकार ने केंद्रीय मोटर वाहन नियम, 1989 के तहत प्रदूषण नियंत्रण (PUC) प्रमाणपत्र जरूरी कर दिया गया है। PUC यह जांच करता है कि वाहन के द्वारा किया जाने वाला प्रदूषण मानकों के अंदर आता है या नहीं ।जिस तरीके से एक कार के लिए बीमा अनिवार्य है। उसी तरीके से 1989 ने पीयूसी प्रमाणन को अनिवार्य कर दिया है।

What is PUC Certificate ?

यदि वहानों से निकलने वाले धूआं को अनियंत्रित करके छोड़ दिया जाए तो यह पूरे वातावरण को नुकसान पहुंचा सकता है। PUC प्रमाण पत्र यह दिखाता है कि वाहन के द्वारा उत्सर्जित किया जाने वाला धुंआ वातावरण को नुकसान नहीं पहुंचा रहा है। यह तय मानकों के अनुरूप है। PUC प्रमाण पत्र ‌‌‌उस वाहन के लिए जारी किया जाता है जो इसके मानको को पूरा करता है।

  • ‌‌‌जब आप एक नई कार खरीदते हैं तो उसके लिए एक PUC प्रमाणपत्र प्रदान किया जाता है। और यह 1 साल तक वैध होता है।उसके बाद समय समय पर इस परीक्षण को किया जाता है।
  • ‌‌‌नए बनाये जाने वाले प्रमाण पत्र की वैधता 6 महिने की होती है। आमतौर पर यह वाहन के मानकों के आधार पर तय की जाती है।
  • यदि कोई गाड़ी निर्धारित सीमा से अधिक प्रदूषण फैलाती है तो  वाहन का पंजीकरण नंबर एक दिन के भीतर परीक्षण केंद्र द्वारा आरटीओ, डिप्टी आरटीओ या सहायक आरटीओ को सूचित किया जाएगा।
  • ‌‌‌प्रदूषण प्रमाण पत्र की लागत काफी कम होती है। यह 50 से लेकर 100 रूपये के अंदर बन जाता है।

‌‌‌प्रदूषण जांच केंद्र लेने के लिए किससे संपर्क करें ?

दोस्तों प्रदूषण जांच केंद्र लेने के लिए आपको अपने जिले के RTO से संपर्क करना होगा । हालांकि इसके लिए आपके पास जैक होना चाहिए । क्योंकि आप जानते ही हैं कि बिना जैक के इंडिया के अंदर तो कम से कम कोई काम नहीं होता  है।

‌‌‌रजिस्ट्रेशन कब तक वैध है ?

यदि आपने प्रदूषण जांच के लिए रजिस्टर करवा दिया है तो यह केवल एक साल के लिए ही वैलिड होगा यदि आपको इसे दूबारा से शूरू करना है तो आपके मशीनो वैगरह का परीक्षण होगा । यदि परीक्षण के अंदर सब पास हो जाता है। तो उसके बाद आप प्रदूषण जांच केंद्र को 1 साल तक और बनाए ‌‌‌रख सकते हैं। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि प्रदूषण जांच केंद्र का हर साल नविनिकरण करवाना होगा ।

‌‌‌प्रदूषण जांच केंद्र कौन खोल सकता है?

दोस्तों वैसे तो कोई भी प्रदूषण जांच केंद्र खोल सकते है। कहा यही जाता है। लेकिन सच माने तो यदि आपकी RTO  के अंदर अच्छी चलती है तो फिर आप प्रदूषण जांच केंद्र खुद खोल सकते हैं या फिर किसी की मदद भी कर सकते हैं।

  • कोई भी कम्पनी प्रदूषण जांच केंद्र खोल सकती है।
  • ‌‌‌एक तेल कम्पनी
  • कोई भी व्यक्ति
  • वाहन निर्माता

साइट की आवश्यकताएं

प्रदूषण जांच केंद्र खोलने के लिए आपके पास भूमी होना आवश्यक होता है। 4-पहिया और अन्य वाहनों की जाँच के लिए 2 और 3-पहिया और 1000 वर्ग फुट की जाँच के लिए न्यूनतम वर्कशॉप के लिए 400 वर्ग फुट की न्यूनतम क्षमता वाले वाहनों के निर्माता की अधिकृत कार्यशाला होनी चाहिए।

या

किसी व्यक्ति / फर्म / कंपनी के मामले में, न्यूनतम स्थान की आवश्यकता 200 वर्ग फुट के अनुरूप होती है, जिसमें पर्याप्त पार्किंग की जगह होती है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि कोई ट्रैफिक जाम न हो और आम जनता किसी भी तरह से बाधित न हो।

‌‌‌इसके अलावा कैबिन की लंबाई और चोड़ाई 2.5 or 2m  होनी चाहिए ।हाईट 2 मीटर और केबिन का कलर पीला होना चाहिए । जैसा कि आप चलते फिरते प्रदूषण जांच कंद्र को देखते हैं। यह वैसे ही होता है। ‌‌‌इसके अलावा कैबिन के उपर हर गाड़ी का चार्ज लिखा होना चाहिए । इसके अतिरिक्त जोभी टर्म और कंडिशन हैं उनको लिखा जाना चाहिए ।

PUC ऑपरेटर या प्रदूषण जांच केंद्र खोलने की योग्यताएं

  • मान्यता प्राप्त औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान द्वारा जारी किए गए ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग या मोटर मैकेनिक / ऑटो मैकेनिक / स्कूटर मैकेनिक / डीजल मैकेनिक या उसके समकक्ष कम से कम वैध प्रमाण पत्र होना चाहिए।
  • परीक्षण करने वाले व्यक्ति को वाहन की मरम्मत के बारे मे मामूली जानकारी होनी चाहिए ।
  • प्रदूषण के स्तर ‌‌‌को कम करने के बारे मे जानकारी होनी चाहिए ।

‌‌‌प्रदूषण जांच केंद्र खोलने के लिए उपकरणों की आवश्यकता

दोस्तों रोड पर मुख्य रूप से तीन तरह की गाड़ी चलती हैं। एक तो प्रेट्रोल से चलने वाली गाड़ी , डीजल से चलने वाली गाड़ी और गैस से चलने वाली गाड़ी । ‌‌‌इन सब के प्रदूषण की जांच करने के लिए अलग अलग मसीन की आवश्यकता होती है।

‌‌‌डीजल वाहनों की जांच के लिए

  • केंद्रीय मोटर वाहन नियम, 1989 के नियम 116 (3) के तहत निर्धारित दिशानिर्देशों के अनुसार धुएँ के मीटर का एक अनुमोदित मेक (RS 232 पोर्ट के साथ और जहाँ भी RS-232 पोर्ट नहीं बनाया गया है, एनालॉग सिग्नल को बदलने के लिए एक उपयुक्त एडाप्टर डिजिटल सिग्नल }
  • ‌‌‌आपको एक कम्प्यूटर की आवश्यकता होगी जिसके अंदर
  • 1 गीगाहर्ट्ज़ (GHz) या तेज़ 32-बिट (x86) या 64-बिट (x64) प्रोसेसर।
  • गीगाबाइट (जीबी) रैम (32-बिट) या 2 जीबी रैम (64-बिट)
  • 100 जीबी उपलब्ध हार्ड डिस्क स्थान (32-बिट) / (64-बिट)
  • माउस के साथ 17 इंच का रंग मॉनिटर और कीबोर्ड
  • 4 यूएसबी पोर्ट, 2 सीरियल पोर्ट, 1 समानांतर / प्रिंटर
  • विंडोज 7 ओएस
  • USB वेब कैमरा
  • प्रिंटर – इंकजेट / लेजर रंग प्रिंटर
  • निर्बाध बिजली आपूर्ति (यूपीएस)
  • 1 (एक) एमबीपीएस की न्यूनतम गति के साथ समर्पित ब्रॉडबैंड / इंटरनेट सुविधा।
  • कंप्यूटर में अच्छा एंटीवायरस सॉफ्टवेयर।
  • परिवहन विभाग के दिशा-निर्देशों के अनुसार कोई भी सॉफ्टवेयर।
  • केंद्रीय मोटर वाहन नियम, 1989 के नियम 126 में उल्लिखित किसी एजेंसी से एक प्रमाण पत्र की आवश्यकता होगी ।
  • एएमसी अनुबंध के अनुसार सत्यापित विवरण ।
  • ‌‌‌पेट्रोल और डीजल के मामले मे एक बार मशीनों का अंशांकन किया जाना चाहिए । और उसके बाद दिये गए प्रमाण पत्र को अधिकारियों को दिखाया जाना चाहिए ।

पेट्रोल और सीएनजी / एलपीजी वाहनों की जाँच करने के लिए

केंद्रीय मोटर वाहन नियम, 1989 के नियम 116 (3) के तहत 4 गैस विश्लेषक बनाने को मंजूरी दी, जिसमें आरपीएम और लैंबडा माप शामिल हैं। (RS-232 पोर्ट के साथ और जहाँ भी RS-232 पोर्ट को एनालॉग सिग्नल को डिजिटल सिग्नल मे चेंज करने के लिए एडप्टर नहीं बनाया है।

‌‌‌इसके अलावा उपर दिये गए अन्य उपकरण

‌‌‌प्रदूषण जांच के लिए आवश्यक मशीने कहां से प्राप्त करें ?

दोस्तों प्रदूषण जांच के लिए आवश्यक मसीने प्राप्त करने के बारे मे आप RTO  से संपर्क कर सकते हैं। वे आपको कुछ संस्थाओं का एड्रस देदेंगे जोकि इसके लिए अधिक्रत हैं। आपको वहीं से उपकरणों की खरीद करनी होगी ।इस बारे मे अधिक जानकारी के ‌‌‌लिए अपने जिले के परिवहन कार्ययालय से संपर्क करें ।आप चाहें तो किसी अन्य प्रदूषण जांच वाले से मिलकर जानकारी मांग सकते हैं।

‌‌‌प्रदूषण जांच केंद्र स्थापित करने की फीस

पदूषध जांच केंद्र खोलने की फीस अलग अलग राज्य के अंदर अलग अलग हो सकती है। वैसे आपके इसके लिए RTO से संपर्क कर सकते हैं । वह आपको इसके बारे मे पूरे विस्तार से बताएगा ।आवेदन शुल्क: 5000 / – रु। और वार्षिक नवीकरण शुल्क: 5000 / – रु है।‌‌‌यह कम ज्यादा होता रहता है।

PUC टेस्ट कैसे किया जाता है?

यदि आपकी कार या बाइक प्रेट्रोल से चलती है तो इसके लिए सबसे पहले उसे र्स्टाट किया जाता है और एग्जोस्ट पाइप के अंदर से नूमना लिया जाता है। नमूना लेने से पहले बाइक को फुल रेस दी जाती है।

और यदि आपकी गाड़ी पेट्रोल से ना चलकर डीजल से चलती है तो इसके लिए 4 से 5 नूमने ‌‌‌लिये जाते हैं और उसके बाद अंतिम परिणाम जारी किया जाता है।

PUC Certificate के अंदर लिमिटेशन

PUC Certificate के लिए टेस्ट करने से पहले कई मानकों को देखा जाता है। हम आपको इसके लिए नीचे बता रहे हैं।

  • 2 और 3 पहिया वाहन (2 या 4 स्ट्रोक) जो 31 मार्च 2000 को या उससे पहले निर्मित हैं का Percentage of CO 4.5 or Hydrocarbon measured in ppm 9000 तक होना चाहिए।
  • 2 और 3 पहिया वाहन (2 स्ट्रोक) जो 31 मार्च 2000 के बाद निर्मित हुए हैं का Percentage of CO 3.5 or Hydrocarbon measured in ppm 6000 तक होना चाहिए।
  • 2 और 3 पहिया वाहन (4 स्ट्रोक) जो 31 मार्च 2000 के बाद निर्मित हुए हैं का Percentage of CO 3.5 or Hydrocarbon measured in ppm 4500 होना चाहिए।
  • 4 पहिए वाले वाहन जो पूर्व भारत स्टेज II नॉर्म्स के अनुसार निर्मित हैं का Percentage of CO 3 or 1500 Hydrocarbon measured in ppm तक होना चाहिए।
  • 4पहिए वाले वाहन जो पूर्व भारत चरण II, चरण III या उसके बाद के मानदंड के अनुसार बने हुए हैं। Percentage of CO 0.5  or 750 Hydrocarbon measured in ppm तक होना चाहिए।

PUC प्रमाणपत्र के अंदर निम्न लिखित जानकारियां लिखी होती हैं

  • प्रमाण पत्र की क्रम संख्या ।
  • वाहन का प्लेट नंबर ।
  • वाहन के परीक्षण का दिनांक ।
  • PUC प्रमाणपत्र की समाप्ति तिथि।
  • परीक्षण से रीडिंग और अवलोकन।

PUC प्रमाण पत्र एक वैध दस्तावेज बन चुका है यदि कोई अधिकारी आपकी गाड़ी का यह प्रमाण पत्र पूछता है तो आपको यह दिखाना होगा । यदि आप ऐसा करने मे असमर्थ हैं तो आपको दंड दिया जा सकता है।यदि आप जुर्माना नहीं देना चाहते हैं तो आपको यह प्रमाण पत्र अपने साथ हमेशा रखना होगा जब आप गाड़ी चलाते हों । ‌‌‌यदि किसी वाहन का यह वैध प्रमाण पत्र नहीं है तो  मोटर वाहन अधिनियम की धारा 190 (2) के अनुसार अभियोजन के लिए उत्तरदायी है।इसके लिए 1000 रूपये तक वसूले जा सकते हैं। ‌‌‌यदि आपके पास वैध प्रमाण पत्र है लेकिन आपका  वाहन प्रदूषण कर रहा है तो आपका प्रमाण पत्र रद किया जाएगा और एक सप्ताह के भीतर नया प्रमाण पत्र प्राप्त करना होगा यदि आप ऐसा करने मे विफल रहे तो आप पर मोटर वाहन अधिनियम की धारा 190 (2) के तहत मुकदमा चलाया जाएगा। PUC प्रमाण पत्र कि हम बात करें तो दिल्ली के अंदर भी ऐसे बहुत से वाहन चलते हैं जिनके पास प्रमाण पत्र नहीं है।

यह कानून की खराब अनुपालना है। और बाकी शहरों का तो कहना ही क्या ? लगभग 90 प्रतिशत लोग जो ग्रामीण इलाकों के अंदर रहते हैं या फिर वे छोटे मोटे शहरों के अंदर रहते हैं । उन्होंने तो अपनी ‌‌‌कार या बाइक का कभी प्रदूषण जांच तक नहीं किया । हालांकि नया मोटर एक्ट 2019 आ जाने के बाद अब हर इंसान अपनी गाड़ी का प्रदूषण जांच सर्टिविकेट बनाने मे लगा हुआ है। इसी वजह से आजकल प्रदूषण जांच केंद्रों पर काफी भीड़ रहती है।

‌‌‌प्रदूषण जांच केंद्र और मुनाफा

दोस्तों आपको बतादें कि इस बिजनेस के अंदर मुनाफा ही मुनाफा है। यदि आपको किसी को रिश्वत नहीं देनी पड़े तो अब चांदी ही चांदी है। हालांकि आने वाले 4 से 6 साल के अंदर बहुत अधिक प्रदूषण जांच केंद्र खुल जाएंगे । और वैसे भी यदि आप किसी छोटे शहर के अंदर ‌‌‌प्रदूषण जांच केंद्र खोलते हैं तो फिर आपके पास केवल उस शहर के नागरिक नहीं नहीं आएंगे ।वरन आपके पास दूसरे गांव के नागरिक भी आएंगे जोकि उस शहर से जुड़े हुए हैं। और यदि आप रोजाना आपके पास कम से कम 10 लोग आते हैं तो आप महिने के 20 सें लेकर 25 हजार तक कमा सकते हैं।

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This post was last modified on September 14, 2019

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