इस लेख के अंदर हम आपको विषकन्या क्या होती है vishkanya kya hoti hai और विषकन्या के इतिहास के बारे मे बताने वाले हैं।विषकन्या क्या होती है ,
दोस्तों आपने विषकन्या के बारे मे तो अवश्य ही सुना होगा । और आप यह जानते भी होंगे कि विषकन्या एक औरत होती है। जिसके शरीर के अंदर सांप के जितना विष होता है। वह अपने विष की मदद से किसी को भी मार भी सकती है। उसका विष इतना जहरीला होता है कि पल भर मे ही इंसान मौत के घाट उतर जाता है। वैसे आज के समय मे किसी तरह की विष कन्या आपको नहीं मिलेगी । लेकिन प्राचीन समय के अंदर राजा महाराजा विषकन्या का प्रयोग एक हथियार के तौर पर करते थे ।जिसकी मदद से अपने शत्रू को आसानी से मौत के घाट उतारा जा सकता था । यह तो प्राचीन समय की बात थी । वैसे आज भी विषकन्या की तरह लड़कियों का प्रयोग होता है। पहले वाली विषकन्या के पास केवल जहर था । लेंकिन अब वाली विषकन्याओं के पास दिमाग और हथियार होते हैं।
isis और कुछ देस आज भी लड़कियों को एज ए विषकन्या के रूप मे इस्तेमाल करते हैं। उनके इस्तेमाल करने का मकसद होता है कि लड़कियां कुछ काम पुरूषों से बेहतर ढंग से कर सकती हैं। आई एसआई महिला भारतिए लोगों को अपने जाल मे फंसा कर आंतकवादी गतिविधियों को अंजाम दिलवाती हैं।
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विषकन्या का इतिहास विषकन्या क्या होती है ?vishkanya kya hoti hai
दोस्तों विषकन्या एक लड़की होती है। जिसका प्रयोग किसी शत्रू का नास करने के लिए राजा महाराजा करते थे । जैसाकि आप विषकन्या सिरियल के अंदर देखते हो । विषकन्या के शरीर के अंदर जहर होता है। या यह कहें कि विषकन्या को जहरीली बना दिया जाता है। जिसकी वजह से जब कोई व्यक्ति जब उसके संपर्क मे आता है तो उसकी मौत हो जाती है। हालांकि विषकन्या जन्म से ही विषलिए हुए नहीं होती है। वरन उसको बाद मे विष के प्रति प्रतिरोधी बनाया जाता है।
विषकन्या कैसे बनती है
ऐसा नहीं है कि प्रचीन समय के अंदर हर किसी लड़की को उठाया और उसे विषकन्या बना दिया जाता था । वरन किसी ऐसी छोटी लड़की को विषकन्या बनाया जाता था जो देखने मे काफी खूबसूरत हो । ऐसा करने के पीछे बड़ी वजह यह थी कि खूबसूरत लड़की अपने शिकार को आसानी से अपने जाल मे फंसा सकती थी । लेकिन एक बदसूरत लड़की इस वजह से विषकन्या नहीं बन सकती थी क्योंकि हो सकता है। ऐसी लड़की से शत्रू मोहित ना हो ।
हालांकि विषकन्या बनने के तरीकों के पीछे विवाद रहा है। लेकिन 340-2 9 3 ईसा पूर्व चाणक्य द्वारा लिखित अर्थशास्त्र के अंदर विषकन्या का उल्लेख भी मिलता है। इस ग्रंथ के अनुसार प्राचीन समय के अंदर राजा महाराजा अपने शत्रू का नास करने के लिए विषकन्या का प्रयोग करते थे । लड़कियों को विषकन्या बनाने के लिए उनको जहर की थोड़ी थोड़ी मात्रा दी जाती थी । हालांकि यह तरीका काफी खतरनाख होता था । और विषकन्या बनाने के चक्कर मे कई सारी लड़कियां मर भी जाती थी । केवल कुछ या एक दो लड़कियों का शरीर ऐसा था जोकि उस जहर को सूट कर पाता था । इस वजह से वह बची रहती और आगे
अल्प मात्रा के अंदर जहर लेने पर यह जहर शरीर के अंदर जमा हो जाता है। जो काफी घातक भी है। प्राचीन रोमन राजा भी ऐसा करते थे । अल्प मात्रा मे जहर लेने व प्रतिरक्षा प्राप्त करने को मिथ्रिडेटिज्म कहा जाता है। मिथ्रिडेटिज्म से विषकन्या बनती थी ।
विषकन्या का इतिहास
विषकन्या का प्रयोग प्राचीन राजा करते थे । प्राचीन ग्रंथों के अंदर भी विषकन्या का उल्लेख मिलता है। बारहवीं शताब्दी में रचित ‘कथासरितसागर के अंदर विषकन्या का उल्लेख मिलता है।‘शुभवाहुउत्तरी कथा के अंदर भी विषकन्या का उल्लेख मिलता है।
नंदवश के राजा मलक्यतू को मारने के लिए चाणक्य ने विषकन्या का प्रयोग किया जाता था ।चंद्रगुप्त के राज्याभिषेक के समय वहां पर एक भव्य आयोजन किया गया था । और वहां नाचने वाले भी आए थे । इन नाचने वालों के अंदर एक विषकन्या भी आई थी । जो देखने मे काफी खूबसूरत थी । मलक्यतू ने कहा की यह कन्या तो चंद्रगुप्त को डांस दिखाएगी । लेकिन चाणक्य ने किसी तरह से विचार बदलवा दिया और मलक्यतू को उसका डांस अकेले मे देखने के लिए राजी कर लिया । उसके बाद उस विषकन्या ने अपने जहर से राजा को खत्म कर दिया।
इस घटना के बाद चाणक्य ने चंद्रगुप्त के खाने के अंदर नियमित कुछ मात्रा के अंदर विष देना शूरू कर दिया । ताकि यदि कभी चंद्रगुप्त जाने अंजाने के अंदर किसी विष कन्या के संपर्क मे आ भी जाए तो विषकन्या उसका कुछ ना बिगाड़ सके । एक दिन जब राजा चंद्रगुप्त भोजन कर रहे थे तो महारानी ने उनकी थाली से एक कतरा भोजन का उठाकर खा लिया । रानी गर्भवती थी और जहर के प्रभाव सें बेहोश हो गई। किसी को भी पता नहीं चल सका की रानी बेहोस कैसे हुई। जब यह बात चाणक्य तक पहुंची तो उसने वैध को बुलाया और रानी का उपचार किया ।
उपचार के दौरान रानी की मौत हो गई। लेकिन उसका बेटा बच गया । जिसका नाम रखा गया बिंदुसार जो आगे चलकर मगध का सम्राट बना।
विषकन्या का इतिहास विषकन्या कैसे मारती थी शत्रू को
प्राचीन समय मे विषकन्या को राजा महाराजा एक जैविक हथियार के रूप मे इस्तेमाल करते थे । विषकन्या के बारे मे यहां तक कहा जाता है कि वह स्पर्स मात्र से ही इंसान को मार सकती थी । जोकि सरासर गलत है। विषकन्या अपने दुश्मन को मारने के लिए मुख्य रूप से दो तरीके
खाने पीने की चीजों मे जहर देना
विषकन्या अपने दुश्मन की खाने की चीजों के अंदर अपनी लार मे मिला जहर मिला देती थी । जिसकी वजह से दुश्मन की मौत हो जाती थी । चूंकि शत्रू के सेवक विषकन्या की तलासी लेकर अंदर आने देते थे । जिससे उसको शक भी नहीं होता था । विषकन्या एक लड़की होने की वजह से भी शक की गुंजाइस नहीं रहती । वैसे यह सब काम विषकन्या अकेले मे करती थी ।
शत्रू के साथ संबंध बनाकर
बहुत से राजा ऐसे थे । जिनको जवान लड़कियों से संबंध बनाना काफी अच्छा लगता था । जब वे कहीं पर जाते थे तो उनके स्वागत मे जवान लड़कियां उनके पास भेजी जाती थी । इन लड़कियों के अंदर यदि उस राजा को मारना होता तो विषकन्या भेजी जाती थी । जब राजा उस विषकन्या के साथ संबंध बनाता तो उसकी मौत हो जाती थी ।
विषकन्या को सिखाए जाते थे कई कोशल
जो लड़की विषकन्या होती थी । उसको जन्म से ही कई कौशल सिखाए जाते थे । ताकि वह इन कौशल से दुश्मन को आसक्त कर सके । जैसे विषकन्या को डांस संगीत वैगरह भी सीखाया जाता था । ताकि संगीत के बहाने वह दुश्मन के नजदीक जा सके । वैसे विषकन्या का प्रयोग एक राजा दूसरे राजा को मारने के लिए करते थे ।
विषकन्या का इतिहास रियल लाइफ विषकन्या
दोस्तो अब तक तो हमने जाना की विषकन्या क्या होती है? और उसके अंदर क्या खास बाते होती हैं ? उपर लेख का यदि हम सारांश निकालें तो हम इतना की कह पाएंगे कि विषकन्या एक एसी लड़की होती है। जिसके अंदर जहर की मात्रा आम इंसान से अधिक होती है। उतराखंड के रामनगर में रहने वाली ज्योति कश्यप को लोग रियल लाइफ की विषकन्या के नाम से जानते हैं। इसकी वजह है ज्योति के शरीर के अंदर जहर की अधिक मात्रा होना । एक न्यूज वेबसाईट के अनुसार ज्योति को यदि कोई सांप डस लेता है तो ज्योति पर इसका कोई भी असर नहीं होता है।
इस वजह से अब ज्योति को विषकन्या के नाम से जाना जाता है। लोगों ने जब पहली बार ज्योती को सांप गले मे लटकाए देखा तो दंग रह गए । और उसे नाग कन्या तक कहने लगे । बाद मे जब मिडिया को पता चला तो सब तरफ उसे विषकन्या कहा जाने लगा।
लांग ज्योंति को काफी जहरीला मानते हैं। इसी वजह से उसके साथ खाना खाने और चाय पीने से बचते हैं। उनका मानना है कि इनके खून के अंदर जहर मिला हुआ है। हालांकि ज्योति के पिता चंद्रसेन ज्योति को इन सबसे दूर रहने की सलाह देते हैं। कई बार लोग उनके घर फोन करके पूछते हैं कि क्या आप सपेरे बोल रहे हो । हालांकि ज्योति अब उनकी बातों का बुरा नहीं मानती है और हंसकर टाल देती है।
नाजनीन विषकन्या
ऐसा कुछ नहीं है कि सिर्फ जानवर ही जहरीले होते हैं। वरन कुछ इंसान भी काफी अजीब होते हैं।पीछले दिनों बुंदेलखंड के हमीरपुर के अंदर रहने वाली एक 10 साल की लड़की का विडियो सामने आया था । जिसके अंदर लड़की कई सारे सांपों से खेल रही थी । जिसको देखकर लोगों ने लड़की को विषकन्या के रूप मे बुलाना शूरू कर दिया ।
विषकन्या ही नहीं विषपुरूष भी होते थे
आपकी जानकारी के लिए बतादें कि इतिहास के अंदर केवल विषकन्या के बारे मे ही उल्लेख नहीं किया गया है। वरन विष पुरूष के बारे मे भी उल्लेख मिलता है। गुजरात का सुल्तान महमूद एक विष पुरूष था ।
जिसके बारे मे यह कहा जाता है कि वह अपने थूक से किसी को भी मौत के घाट उतार सकता था।नादिरशाह को भी एक विष पुरूष के रूप मे जाना जाता है। हालांकि अधिकतर विष पुरूष प्रतिरोधी इस वजह से बने ताकि वे किसी भी कन्या के साथ रिलेशन बनाए तो उनको किसी भी प्रकार की हानि ना हो ।
हालांकि विष पुरूष का प्रयोग केवल वे अपनी खुद की सुरक्षा के लिए था । अन्य किसी व्यक्ति को विष पुरूष बनाने का कोई फायदा नहीं था ।
विषकन्या की बावड़ी की कहानी जबलपुर
बात विषकन्या की आती है तो हम आपको जबलपुर की बाड़ी की स्टोरी भी सुना देते हैं। गुजरात के अंदर कभी कुमार पाल का राज्य था । यह बात है सन 1199 की ,और उसके बहनोई क्रष्ण देव सेना की कमान सम्भालते थे ।उनको एक नाचने वाली जिसका नाम निलमणि था से प्रेम हो गया था । यह बात जब कुमार पाल को पता लगती है तो वह क्रष्ण देव की हत्या करने का आदेश देता है। सैनिक उसे तो मार देते हैं। लेकिन नीलमणी वहां से भागजाने मे कामयाब रहती है। उसके बाद वह जबलपुर की बावड़ी के अंदर छिप जाती है। बावड़ी शहरी इलाके से काफी दूर थी ।
वहां पर कोई आता जाता नहीं था । नीलमणि वहीं रहती है। लेकिन उसके मन मे कुमार पाल को मारने की इच्छा बहुत तीव्र हो उठती है। उसके कुछ समय बाद वह एक बच्ची को जन्म देती है। वह उस बच्ची को उस बावड़ी के अंदर ही पालती है। कुमार पाल को मारने के लिए वह उसे सर्प का जहर देने लग जाती है।
और इस प्रकार से वह बड़ी होने के बाद एक जहरीली विषकन्या बन जाती है। इतिहास के अंदर इस कहानी को अनेक इतिहास कार सच बताते हैं। बताया जाता है कि विषकन्या एक राजा से प्रेम भी करती थी । लेकिन वह विषकन्या होने की वजह से राजा की मौत हो जाती है।
इंसान का सबसे जहरीला अंग यकृत
आपकी जानकारी के लिए बतादें कि हमारे यक्रत के अंदर कई प्रकार के जहरीले पदार्थ होते हैं। और यक्रत इन पदार्थों मे से सिर्फ काम के पदार्थ ही हमारे शरीर के अंदर भेजता है। बाकी को बाहर निकाल देता है। यकृत बहुत उपयोगी अंग है। जब जहर की कम मात्रा खाई जाती है तो इंसान के सुरक्षित रहने की संभावना अधिक होती है क्योंकि यकृत उसे रोके रखता है। लेकिन अधिक मात्रा खाने पर यकृत उसे रोकने मे असमर्थ हो जाता है। और इंसान की मौत हो जाती है। जहर की अल्प मात्रा का शरीर पर असर धीरे धीरे होता है।
विषकन्या बनाने मे यही तरीका प्रयोग मे लिया जाता है। कन्या को अल्पमात्रा मे जहर दिया जाता है। जिसकी वजह से उसकी मौत होने की संभावना कम हो जाती है।
विषकन्या का इतिहास और विषकन्या पर हमारा लेख आपको कैसा लगा नीचे कमेंट करके हमें बतागर्भावस्था के दौरान सुपारी खाने के फायदे और नुकसान
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