भगवान ने इंसान को क्यों बनाया , ईश्वर ने इंसान को क्यों बनाया ।
दुनिया के हर धर्म के अंदर इस बात का जिक्र जरूर मिलता है। कि इस दुनिया को बनाने वाला ईश्वर एक है। जिसको अलग अलग नामों से जाना जाता है। जिसके बारे मे यह कहा जाता है। कि ईश्वर सर्वशक्तिमान है। उसी ने यह दुनिया बनाई है। और अपनी बनाई दुनिया के नियम वह खुद निर्धारित करता है। यह बात तो तय है कि इस दुनिया को बनाने वाला ईश्वर ही है। लेकिन ईश्वर ने इंसान को क्यों बनाया ? इस प्रश्न का हमारे पास कोई खास जवाब नहीं है। लेकिन कुछ लोग इस प्रश्न का उत्तर देने की कोशिश करते हैं। यह सच है कि ईश्वर बिना उदेश्य के कोई काम नहीं करता ।
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ईश्वर ने हमे बनया जिससे हम उसे पूजे God made us so that we worship him
कई सारे विद्वानों का मानना है कि ईश्वर अपनी पूजा करवाने के लिए इंसानों को बनाया था । उसने सबसे पहले कई सारे जीवों को बनाया था । लेकिन वे ईश्वर की पूजा करने मे सक्षम नहीं थे । इस वजह से उसने इंसानों को बनाया । यह परिकल्पना सच लगती है क्योंकि हर धर्म के अंदर ईश्वर की पूजा की जाती है। और ईश्वर रूष्ट होने पर दण्डि़त भी करता है। यह परम्परा आज की नहीं है। सदियों से चली आ रही है। इंद्र की पूजा न करना और व्रज पर मूसलाधार वर्षा करना ईश्वर की रूष्टता का प्रमाण है। जिससे साबित होता है। कि उसने ईंसान को अपनी पूजा करने के लिए बनाया था ।
ईश्वर ने हमे बनया ताकि हम दुनिया का आनन्द ले सकें God made us the order we can make the world enjoy
इस बात मे कोई शक नहीं है कि कुछ न होने से अच्छा है कुछ होना । ईश्वर ने हमे इस वजह से भी बनाया ताकि उसकी बनाई दुनिया का हम आनन्द ले सकें । पूरा सुख उठा सकें । और यह कहना गलत भी नहीं है प्राचीन लोग ईश्वर की बनाई दुनिया का पूरा आनन्द उठाते भी थे । लेकिन कुछ लोगों को आपति हो सकती है कि इस संसार मे आनन्द तो कहीं है ही नहीं । तो उसको हम कहना चाहेंगे कि इस संसार मे आनन्द न होने का कारण ईश्वर नहीं है। हम खुद हैं। किसी की हत्या करना , चोरी करना और कोई भी गलत काम करने वाले हम हैं ईश्वर नहीं है। और यह सब हम अपने फायदे के लिए करते हैं। हम एक दूसरे से दुखी हैं न की ईश्वर हमे दुखी कर रहा है। सोचो अपने दिमाग पर जोर डालो कि यदि ईश्वर हमारे दिमाग को गर्मी से बचने के लिए ठंड को अच्छा महसूस कराने वाला और ठंड से बचने के लिए गर्मी मे अच्छा महसूस कराने वाला व भूख के समय खाना खाने के बाद संतुष्टि महसूस करने वाला न बनाता तो क्या हम जिंदा रह पाते है। लेकिन ईश्वर इसके विपरित इंसान को बना नहीं सकता था । और ऐसा बनाता तो भविष्य के अंदर दुख झेलने की आशंका थी । लेकिन इंसान के जिने की गुंजाइस अधिक थी। इसी वजह से उसने हमे ऐसा बनाया । यदि कोई व्यक्ति एक्सी डेंट के अंदर मारा जाता है तो यह ईश्वर की गलति नहीं है यह साधन हमने बनाया है। और हम ही इसे चला रहे हैं तो ईश्वर इसमे क्या कर सकता है।
खुद को संतुष्ट करने के लिए ईश्वर ने हमे बनाया God made us to satisfy ourselves
यह बात साइंस भी मान चुका है कि पहले एक कोशिकिए जीव आए थे । उसके बाद दूसरे कोशिकिए जीवों की उत्पति हुई थी । ईश्वर ने पहले अलग अलग प्रकार के जीवों को बनाया था । लेकिन वह किसी भी जीव को बना कर संतुष्ट नहीं हुआ । उसके बाद उसने सर्व क्ष्रेष्ठ जीव बनाने के लिए प्रयास किये और इंसान को बनाया जिसे देखकर ईश्वर को सुंतुष्टि मिली होगी । इसका कारण यह भी है कि इंसान से क्ष्रेष्ठ जीव इस दुनिया के अंदर कोई दूसरा नहीं है।
ईश्वर ने हमे अपनी प्रजा के रूप मे पाने के लिए बनाया है
God has made us as our species.
ईश्वर चाहता था कि उसके पास इतनी सारी ताकते हैं। इतनी सारी ताकतों के होने के बाद वह एक राजा नहीं बन सका । इसी वजह से उसने इंसानों को पैदा किया । ताकि इंसान उसकी प्रजा के रूप मे रह सकें । यदि इंसान गलत काम करते हैं तो ईश्वर इंसानों को दण्ड़ भी देता है। मौत के बाद इंसान को को उसके कर्मों की सजा मिलती है।
ईश्वर की बनाई दुनिया को आगे बढ़ाने के लिए To pursue the created world of God
वैसे तो ईश्वर की बनाई दुनिया के अंदर कई सारे जीव हैं। लेकिन वे इंसान के जितने बुद्विमान नहीं हैं। और वे ईश्वर की बनाई दुनिया को आगे नहीं बढ़ा सकते । लेकिन इंसान ही एक मात्र जीव है। जिसके पास बुद्वि है। और वह ईश्वर की बनाई दुनिया को आगे ले जा सकता है। इसी वजह से ईश्वर ने हमे बनाया है ताकि उसकी स्रष्टि रचना को आगे बढ़ाया जा सके उसका विकास किया जा सके ।
हमे अच्छे कर्म करने के लिए बनाया है We have been made to do good deeds
दुनिया के हर धर्म के अंदर इस बात का उल्लेख मिलता है कि जो इंसान बुरे कर्म करता है। भगवान उसे सजा देते हैं । भगवान ने इंसान को अच्छे और बुरे के अंदर फर्क महसूस करने की ताकत दी है ताकि वह अच्छे कर्म करे । उसके बाद भी यदि इंसान बुरे कर्म करते हैं तो उन्हें सजा मिलती है। भगवान चाहता है कि इंसान अच्छे कर्म करें और उनको खुशी मिल सके बुरे कर्मों से दूर रहें और मेरी तरह से अच्छे बने बुराई से नफरत करें ।
भगवान ने हमाको क्यों बनाया एक और सच
दोस्तों यदि आप कबीर को मानते हैं। तो आपको यह पता होगा कि हम जिन देवी देवताओं को भगवान मानकर पूजते हैं वे भगवान नहीं हैं। और वे हमे मुक्त नहीं कर सकते हैं। कबीर के अनुराग सागर के अंदर यह लिखा हुआ मिलता है कि हम इंसान काल के लोक के अंदर फंस गए हैं। और काल ने हमे अपने फायदे के लिए बनाया है। कबीर के ग्रंथ अनुराग सागर के अनुसार काल को प्रतिदिन कई करोड़ जीव के जन्म देने और उसके बाद उनका भक्षण करने का शाप मिला हुआ है। और यदि काल पुरूष हम जीवों को नहीं बनाएगा तो वह भक्षण किसका करेगा । इस वजह से यह सिद्व होता है कि उसने हमे अपने कार्य के लिए बनाया है। और जिन देवताओं को हम भगवान मानकर पूजते हैं वो सब काल के ही हैं। यदि हमे इन काल लोक से निकलना है तो पूर्ण परमात्मा की भक्ति करनी होगी ।
यदि आपको इन बातों पर यकीन नहीं आता है तो आप ऑनलाइन कबीर का ग्रंथ अनुराग सागर पढ़ सकते हैं। कबीर के अनुसार जो पूर्ण परमात्मा है उसके पास जो आत्माएं रहती हैं। उनका जन्म मरण नहीं होता है और उनको किसी भी प्रकार का दुख नहीं होता है। दोस्तों वैसे देखा जाए तो इस बात के अंदर मुझे सच्चाई नजर आती है। इतना तो आप खुद भी सोच सकते हैं कि भगवान कोई भी काम बिना किसी उदेश्य के नहीं करते हैं और जीवों की रचना करने के पीछे उसका बहुत बड़ा उदेश्य है। जो यही हो सकता है। हालांकि सच कोई नहीं जानता है। लेकिन यदि आप गीता को पढ़े होंगे तो आपको पता होगा कि उसके अंदर काल ने अपना विराट रूप दिखाया था। और काल ने यह कहा था कि मैं ही हूं जो जीवों को मारता हूं । सच बात तो यह है कि काल सबसे बड़ा है और सारे देवता को पूज कर हम सभी उसके पास ही जाने वाले हैं।
इसके अलावा कबीर के अनुराग सागर के अंदर तो यहां तक लिखा गया है कि सतपुरूष ने काल को पहले कुछ लोक दिये थे और उसके बाद काल ने गलती की तो उसको उसके लोकों से निकाल दिया गया था। जिसको हम दुर्गा के नाम से पूजते हैं वह काल की ही पत्नी है। क्या आपने कभी पूर्ण परमात्मा की भक्ति की है। दोस्तों हम जो परसाद और बलि देते हैं। देवता उसी से उर्जा प्राप्त करते हैं और खुद को बनाए रखते हैं। क्या आपको पता है कि किसी भी असली भगवान को भनाए रखने के लिए बलि की आवश्यकता होगी ? सदगूरू ऑरजी वेबसाइट के अनुसार देवताओं को इसी प्रकार से बनाया गया है। और यह बात बहुत हद तक सत्य है देवता को दोष लगना इसी बात का परिचाय भी है। भले ही कुछ पाठक हमारी बात से सहमत नहीं हो लेकिन यदि उनके पास कोई और सुझाव है तो वो हमे बता सकते हैं।
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