युष्मद् के शब्द रूप yushmad shabd roop in hindi ,युष्मद सर्वनाम का प्रयोग लोगों, जानवरों और चीजों के लिए किया जाता है। सर्वनाम के रूप तीनों लिंगों में समान होते हैं। इदमादि – इदम्, अस्मद, युष्मद, अदस शब्दों के रूप में भेद के कारण भिन्न हैं। सर्वनाम दो प्रकार के होते हैं- निजवाचक और निजवाचक। व्यक्तिगत सर्वनाम में मैं, आप, वह, वह और यह शामिल हैं। निजवाचक सर्वनामों में स्वयं, शामिल होते हैं। व्यक्तिगत सर्वनाम हमेशा एक विशिष्ट व्यक्ति को संदर्भित करते हैं जबकि कर्मवाचक सर्वनाम का उपयोग एक या अधिक लोगों के लिए किया जा सकता है।
युष्मद् के शब्द रूप yushmad shabd roop in hindi
विभक्ति | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
प्रथमा | त्वम् | युवाम् | यूयम् |
द्वितीया | त्वाम् | युवाम् | युष्मान् |
तृतीया | त्वाय | युवाभ्याम् | युस्माभिः |
चतुर्थी | तुभ्यं | युवाभ्याम् | युष्मभ्यम् |
पंचमी | त्वत् | युवाभ्याम् | युष्मत् |
षष्ठी | तव | युवयोः | युष्माकम् |
सप्तमी | त्वयि | युवयोः | युष्मासु |
एक बार की बात है, एक राजा था जिसके दो बेटे थे। सबसे बड़ा बेटा बहुत प्रतिभाशाली था और जल्दी सीख गया, जबकि छोटा बेटा उतना प्रतिभाशाली नहीं था और सीखने के लिए संघर्ष करता था। एक दिन, राजा ने घोषणा की कि वह अपने बेटों में से एक को विकल्प देगा – छोटे बेटे को या तो सरकार में नौकरी दी जा सकती है या अपने रिश्तेदारों के पास रहने के लिए भेजा जा सकता है। छोटा बेटा दूर जाकर अपने रिश्तेदारों के पास रहने लगा।
कई साल बाद बड़ा बेटा राजा बना और उसने अपने भाई को सरकार में नौकरी देने का फैसला किया। छोटा भाई नौकरी पाकर खुश था, लेकिन वह कभी नहीं भूला कि उसे कैसा लगा था जब उसे अपने परिवार के साथ रहने या सरकार में काम करने के बीच चयन करने के लिए मजबूर किया गया था। उन्होंने हमेशा यह याद रखने की कोशिश की कि आपके जीवन में कुछ मूल्यवान होना कैसा होता है – ऐसा कुछ जिसे आप मरने पर अपने साथ नहीं ले जा सकते।
लेकिन उसके बाद भी छोटा बेटा सरकार के अंदर नौकरी करता रहा और बड़ा बेटा आराम से राज कार्य का भार संभाल रहा था। इसी तरह से कुछ दिन और बीत गए और एक दिन छोटा बेटा सरकार के अंदर काम करते हुए काफी बोर हो गया । उसे यह लगने लगा था कि इस जीवन का कोई मूल्य नहीं है। असल मे वह कुछ ऐसा हाशिल करना चाहता था
कि उसे लगे कि वास्तव मे उसने जीवन का काफी अधिक फायदा उठाया है। और उसके बाद उसने अपने भाई से संपर्क किया और कहा कि वह जंगलों के अंदर जाना चाहता है और वहां जाकर तपस्या करना चाहता है। लेकिन बड़े भाई ने उसको मना कर दिया । पर वह जिद पकड़कर सारे काम काज को छोड़कर जंगल के अंदर चला गया और वहां पर घोर तपस्या करली और उसने इस तपस्या से अनेक अलौकिक ताकतें अर्जित करली थी । वह एक पल के अंदर हर किसी का भूत और भविष्य बता सकता था। और उसके बाद जैसे ही लोगों को इसके बारे मे पता चला कि जंगल के अंदर एक बाबा रहते हैं जो कि सब कुछ जानते हैं तो फिर उनके पास भगतों की भीड़ आने लग गई । वह हर इंसान के कल्याण के लिए काम करता था । अब लोग उसे नहीं जानते थे कि वह राजा का भाई है। लोग उसके आगे सोने के आभूषण तक दान कर देते थे । और वह ठहरा संयासी वह भी सच्चा वाला तो वह इन सब सोने को दान कर देता था।
जिसकी वजह से वह लोगों के बीच और अधिक मसूहर हो गया और फिर इसी तरह से बात होते होते राजा के पास पहुंच गई और उसने भी सोचा कि क्योंना वह भी उस बाबा के पास जाए और अपने भविष्य के बारे मे पता करे तो उसने अपने साथ कुछ सेनिकों को लिया और निकल पड़ा ।
अपने भाई को आते देख संयास पहचान चुका था लेकिन उसने अपनी पहचान को जाहिर करना उचित नहीं समझा । और फिर क्या था राजा उसके पास आया और पूछा कि उसका भविष्य क्या है ? तो जैसे ही बाबा ने भविष्य देखा वह चौंक गया क्योंकि उसे यह पता चल चुका था कि उसके भाई की मौत आज से 5 दिन बाद हो जाएगी और वह भी शेर के हमला करने से । उसने बिना कुछ सोचे समझे राजा को यह सब बता दिया । अपनी मौत की बात सुनने के बाद राजा को गुस्सा आया और राजा बोला क्या बकवास कर रहे हो । मेरी मौत की सूचना देते हो और उसके बाद उसने अपने ही भाई को बंदी बनाकर राजमहल के अंदर ले आया ।
यह बात आग की तरह फैल गई की राजा मरने वाला है। जबकि राजा को नहीं पता था कि यह सच होने वाला है। कुछ दिन बीते और 5 दिन आया तो राजा यह सब भूल चुका था और जंगल के अंदर शिकार खेलने के लिए जाने लगा । राजा जब जंगल के अंदर शिकार खेल रहा था तो वहां पर एक शेर ने राजा के उपर हमला बोल दिया और राज कुछ करता उससे पहले ही सब कुछ स्वाह हो चुका था। बाबा की वाणी सच निकली लेकिन उसके बाद मंत्री राजा बन गया क्योंकि राजा का पुत्र नहीं था। उसने बाबा को जेल से आजाद कर दिया और कहा कि आप चाहे तो राजा बन सकते हैं। लेकिन बाबा ने राजा बनने से मना कर दिया और जंगल की तरफ जाने लगा
तो मंत्री ने कहा कि आप मेरा भविष्य तो बताते जाएं मुझे क्या करना है क्या नहीं करना है ? बाबा ने मना किया तो राजा अड़ गया तो बाबा ने भविष्य के अंदर देखा कि वह एक अच्छा राजा साबित होगा और उम्र भर राजा बना रहेगा और उसके बाद वहां से चला गया ।
उधर बाबा जान चुका था कि इस दुनिया के अंदर जो खुशी देखते हैं वो मूर्ख इंसान हैं इस दुनिया के अंदर कोई भी खुशी नहीं होती है। यह खुशी तो पानी के बुलबुले के समान होती है। आज यह है और कल नहीं होगी । इसकी यही सच्चाई है।
वह खुद को यह बात समझ ही चुका था लेकिन वह दूसरों को इसके बारे मे कैसे समझा सकता था। इस लिए फिर से जंगल के अंदर चला गया और वहां पर मस्त होकर रहने लगा । अब भी उसके पास बहुत सारे लोग अपनी समस्याओं का हल लेकर आते थे ।
और वह उन समस्याओं को आसानी से हल कर देता था ।
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