खूनी दरवाजे को लाल दरवाजा भी कहा जाता है। यह दरवाजा बाहदूर साह जफर मार्ग दिल्ली गेट के निकट पड़ता है। यह दिल्ली मे बने ऐतिहासिक समारकों मेसे एक है। इसके पास मौलाना आजाद चिकित्सकिए अस्पताल है।
क्यों पड़ा खूनी दरवाजा नाम
इस दरवाजे के बारे मे इतिहास के अंदर कई बातें मिलती हैं। मुगल सल्लनत के तीन शहजादों को विलियम हडसन ने प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के दौरान इस दरवाजे पर गोली मारदी थी। जब वह इन तीनों को लाल किले ले जहा रहा था। तो उसने इनको यहां पर रोका और नंगा कर गोली मारदी।
खूनी दरवाजे के साथ और भी कई अमानविए घटनाएं जोड़ी जाती हैं।
अकबर के बाद जांहगिर सम्राट बना तो उसने अकबर के नवरत्नो मेसे एक अब्दुल रहीम के दो लड़कों को इस दरवाजे पर मरवाडाला और उसके शावों को इस पर सड़ने के लिए छोड़ दिया था।
औरंगजेब ने अपने बड़े भाई के सर को काट कर यहां पर लटका दिया था।
हांलाकि कुछ इतिहास कारों के अनुसार इसका नाम खूनी दरवाजा मुगल काल में ही था।
भारत वि भाजन के दौरान पूराने किले की और जाते हुए कुछ शरणार्थियों को मार डाला गया था।
2002 के अंदर यहां पर दो लड़कों ने एक लड़की का बलात्कार किया था।
भूतों का कहर
वैसे इस दरवाजे को मनहूस माना जाता है। यह माना जाता है कि यह दरवाजा जब भी खुलता है तो यहां पर किसी ना किसी की हत्या हो जाती है। लोगों का मानना है कि यहां पर मारे गए लोगों की आत्माएं मौजूद हैं । और जब भी कोई व्यक्ति इस दरवाजे के आस पास जाता है तो उसे पैरानोर्मल क्रियाएं महसूस होती हैं।