दोस्तों इस छोटे से लेख के अंदर हम बात करेंगे जापान में हिन्दू आबादी जापान में हिन्दू जनसंख्या पर।- जापान एक बौद्व धर्म को मानने वाला देश है। लेकिन यहां कि संस्कृति मे हिंदू धर्म ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।दोस्तों जापान के अंदर बौद्ध धर्म की मान्यता है। लेकिन बौद्ध धर्म हिंदू धर्म से एक दम से जुड़ा हुआ है। और आप यह भी कह सकते हैं कि बौद्ध धर्म हिंदू धर्म से ही निकला हुआ है।फॉर्च्यून के सात देवता” हैं, जिनमें से चार हिंदू देवताओं के रूप से ही पैदा हुए हैं। बेनजीतेंस्मा ( सरस्वती ), बिश्मोन (वैरवावा या कुबेर), दाओकुटुतेन ( महकला / शिव ) और किचिज़ेन ( लक्ष्मी )। Benzaitennyo / सरस्वती और Kisshoutennyo ।इस वजह से भी जापान के अंदर बौद्व धर्म और हिंदू धर्म के अंदर काफी समानता देखी जा सकती है।हिंदू देवी महाकाली को जापानी देवी Daikokutennyo के नाम से जाना जाता है।
- मृत्यु के हिंदू देवता, यम को उनके बौद्ध रूप में Enma के नाम से जाना जाता है।
- गरुड़ , विष्णु का पर्वत ( वहाण ), करुरा (迦 楼 羅) के नाम से जाना जाता है।
इसके अलावा जापान के अंदर हिंदू देवी देवताओं पर किताबें भी लिखी गई हैं। और यह आज भी कहा जाता है कि जापान हिंदू धर्म को प्रोत्साहन देता है।
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जापान में हिन्दू आबादी
सन 2106 के एक अनुमान के अनुसार जापान के अंदर 30,048 भारतीय हैं। और उनमे से अधिकतर हिंदू हैं। माना जाता है कि जापान के अंदर आज भी जापानियों द्वारा हिंदू धर्म का सम्मान किया जाता है। इसके उदाहरण वहां पर मौजूद मंदिर भी हैं।
- शिरडी साईं बाबा टोक्यो मंदिर
- इस्कॉन न्यू गया
- बेनज़ितेंसमा श्राइन
- गणेश मंदिर, असाकुसा
जापान मे कितने धर्म हैं?
दोस्तों जापान के अंदर कुल 5 प्रकार के धर्म पाये जाते हैं। सन 2006 की गणना के अनुसार
- लोक शिंटो या कोई धर्म नहीं (51.8%)
- बौद्ध धर्म (34.9%)
- Shinto संगठनों और अन्य (4%)
- ईसाई धर्म (2.3%)
- अनुत्तरित (7%)
जापान में हिन्दू धर्म
भले ही जापान के अंदर हिंदू धर्म मानने वालों की पोपुलेसन कम है। लेकिन बौद्व धर्म भी भी हिंदू धर्म से ही निकला है।
क्या आप जानते हैं कि जापानी लोग हिंदू धर्म के 20 देवता की पूजा करते हैं। इन देवताओं के अंदर वरुण, इंद्र, ब्रह्मा, यम, कामदेव आदि हैं। इसके अलावा जापान के अंदर सबसे ज्यादा पूजे जाने वाले देवताओं मे अन्य देवता जैसे सरस्वती, गणेश और शिव हैं। भारत मे प्रार्थना और मंत्र का पाठ भी संस्कृत में है, लेकिन जापान मे प्राचीन “सिद्ध” लिपि का उपयोग हुआ है , जो लंबे समय से भारत में “देवनागरी” लिपि के साथ यूज होती आई है। जापानी संस्कृति के तल से भारतीय संस्कृति बहुत मजबूती से जुड़ी हुई है।
जापान के अंदर देवताओं की प्रार्थनाएं संस्कृत में हैं । इसके अलावा यहां पर कुछ ऐसे मंदिर भी हैं जोकि भिक्षुओं को संस्कृत सीखाने का काम करते हैं।किंतु इनके अंदर इस्तेमाल की गई स्क्रिप्ट एक प्राचीन लीपी है।यह 5 वीं शताब्दी के अंदर प्रचलित थी। बाद मे इस आधुनिक देवनागरी के अंदर बदला गया था। लेकिन सिद्ध लिपि जापान के अंदर आज भी प्रचलित है।अनुष्ठानों के अंदर हमारे यहां पर हवन किया जाता है। वैसा ही कुछ जापान के अंदर किया जाता है। जिसको हम हवन कहते हैं तो जापानी लोग इसको होमा के नाम से जानते हैं। इसके अंदर अधिकतर मंत्रों का उचारण स्वाहा होता है। बिल्कुल वैसा ही जापान के अंदर होता है।
अधिकांश शिंटो देवों की उत्पति हिंदू धर्म से हुई है। यह बात अधिकांश जापानी पूजारी जानते है। लेकिन वे इस बारे मे बात नहीं करते हैं। इसके अलावा जापानी लोग भारत के बारे मे बहुत ही कम जानते हैं। वे यहां के धर्म के बारे मे अच्छे से परिचित नहीं हैं।
Yama यम
बौद्ध पौराणिक कथाओं में Yama नामक देवता का उल्लेख मिलता है। जबकि हिंदू धर्म के अंदर भी इसी देवता का उल्लेख मिलता है।इस देवता के बारे मे यह कहा जाता है कि यह म्रत लोगों को उनके कर्मों के अनुसार सजा देता है। जापान के अंदर भी लोग इस देवता को मानते हैं। और यह माना जाता है कि यह मौत का देवता है।
Benzaiten सरस्वती
देवी सरस्वती को जापान के अंदर Benzaiten के नाम से जाना जाता है।एक जापानी बौद्ध देवी है, जो हिंदू देवी सरस्वती से उत्पन्न हुई है। इसकी पूजा 8 वीं शताब्दी के माध्यम से 6 वीं शताब्दी के दौरान जापान के अंदर होने लगी थी। Benzaiten एक तरह से हिंदू देवी लक्ष्मी और सरस्वती से मेल खाती है। यह एक फूल पर बैठी हुई दिखाई गई है। जापान में बेनज़ाइटन को अक्सर एक संगीत वाद्ययंत्र के साथ दिखाया जाता है, जैसा कि भारत में हिंदू धर्म की सरस्वती देवी को दिखाया जाता है।इसके मंदिर मंदिर जापान के द्वीपों और तटीय क्षेत्रों में अधिक हैं। ऐसा माना जाता है कि इस देवी को संगीत का ज्ञान है। इस वजह से इसे अद्भुत ध्वनियों की देवी के नाम से भी जाना जाता है। जापानी लोगों के अनुसार बेनजाइटन जल, समय, शब्द, वाणी, वाक्पटुता, संगीत और ज्ञान की देवी है।
Daikokuten शिव
दोस्तों जापानी लोग भगवान शिव को Daikokuten के नाम से जानते हैं। और इनकी एक अजीब से फोटो भी है। जो आप नीचे देख सकते हैं। Daikokuten को जापानी लोग 5 लकी देवताओं मे से एक मानते हैं। जापानी लोग शिव को काफी उच्च देवता मानते हैं। और यहां पर भगवान शिव की फोटो भी बेची जाती है। हालांकि यह हिंदू धर्म के शिव के जैसी हू बहू नहीं है। Daikoku को विभिन्न रूप से धन का देवता माना जाता है, या घर का, विशेष रूप से रसोई का। वह अपने व्यापक चेहरे, मुस्कुराहट और एक सपाट काली टोपी से पहचाने जाते हैं। उन्हें अक्सर एक सुनहरे रंग के मैलेट को पकड़ने में चित्रित किया जाता है, जिसे उचाइड नो कोज़ुची कहा जाता है 1690 का बुट्सुज़ज़ुई संग्रह के अंदर Daikokuten को तीन स्त्री रूप के अंदर भी दर्शाया गया है। और यह माना गया है कि यह हिंदू धर्म की त्रि देवी ही हैं।
Kisshōten लक्ष्मी
देवी लक्ष्मी को जापानी लोग Kisshōten के नाम से जानते हैं। यह एक हाथ के अंदर मणि लिए रखती है। आप इस देवी का चित्र देख सकते हैं।जापानी लोग इसको खुशी , सुंदरता की देवी के रूप मे पूजते हैं। यह भी सात महत्वपूर्ण देवताओं मे से एक है।
दोस्तों जैसा कि आपने जापान मे हिंदू धर्म पर लिखे लेख के अंदर देखा की जापान में हिन्दू आबादी काफी कम है। और हिंदू ओं की अधिकांश आबादी भी वही है जो इंडिया से जाकर बसे हुए हैं। हालांकि जापान एक शांत देश है और वहां पर सारी शिक्षा वैगरह जापानी के अंदर ही होती है। भले ही इंसान किसी भी धर्म का क्योंना हो। यदि वह वहां पर बस गया है तो उसके लिए सब जापानी कानून लागू हो जाते हैं। भारत की तरह सैक्यूलर के नाम पर दंगा जैसी कोई चीज नहीं होती है।
जापान में हिन्दू आबादी और जापान मे पूजे जाते हैं हिंदू देवता
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