इस लेख के अंदर हम नागालैंड मे शादी कैसे होती है और नागालैंड का इतिहास के बारे मे विस्तार से जानेंगे । नागालैंड मे शादी के रिवाज के बारे मे । जानकर आप चौंक जाएंगे।इंडिया की नागा जाति के कुछ अजीब प्रकार के कानून हैं। यदि यहां पर कोई नागा लड़की जवान हो जाती है। तो उसे घर का एक कमरा दे दिया जाता है। वह अपनी इच्छा के अनुसार किसी भी पुरूष के साथ x कर सकती है। इसमे उसके मां बाप उसे रोकते टाकते भी नहीं है। हांलाकि जब वह प्रेगनेंट हो जाती है।
तो उसे उसी पुरूष के साथ शादी करनी होती है। यदि पुरूष शादी के लिये इनकार कर देता है तो उसको समाज के द्वारा दंड भी मिलता है। जब किसी नागा जाति लड़की की शादी हो जाती है। और वह ससुराल चली जाती है ।जब तक वह ससुराल के अंदर रहती है। वह अन्य लड़कों के साथ संबंध नहीं बना सकती किंतु जैसे ही वह अपने गांव आती है। ससुराल के नियम कायदे वहीं पर छोड़ कर आ जाती है। वह यहां पर किसी भी पुरूष के साथ संबंध बना सकती है। वहीं उस लड़की का पति भी उसके जाने के बाद किसी भी कुंवारी लड़की के साथ संबंध बना सकता है।
नागालैंड उत्तर पूर्वी राज्य है ।इस राज्य की राजधानी कोहिमा है और इसका सबसे बड़ा शहर दीमापूर है।नागालैण्ड की सीमा पश्चिम में असम से, उत्तर में अरुणाचल प्रदेश से पूर्व मे बर्मा से और दक्षिण मे मणिपुर से मिलती है।नागालैंड की राजधानी शहर कोहिमा है भारत की 2011 की जनगणना के अनुसार 1,980,602 की आबादी के साथ इसका क्षेत्रफल 16,579 वर्ग किलोमीटर (6,401 वर्ग मील) है।, यह भारत के सबसे छोटे राज्यों में से एक है।
नागालैंड 1 दिसंबर 1963 को भारत का 16 वां राज्य बना था।1950 ई के बाद नागालैंड के अंदर एक अंतर जातिय संघर्ष भी हुआ जो इसके विकास को सीमित कर दिया ।कृषि से ही राज्य की 70 प्रतिशत अर्थव्यवस्था चलती है। इसके अलावा खनन , कूटीर व चल अचल संपति भी है।
नागालैंड की आबादी लगभग 1.9 मिलियन लोगों की है, जिनमें से 1.04 मिलियन पुरुष और 0.95 मिलियन महिलाएं हैं।दीमपूर के अंदर सबसे अधिक आबादी 379,769 है। उसके बाद कोहिमा के अंदर 270,063 जनसंख्या है।
नीचे यदि आप जनसंख्या चार्ट के अंदर देखेंगे तो सन 2011 की जनगणना के अंदर जनसंख्या की गिरावट को दिखाया गया है।
जनसंख्या परिवर्तन | |||
जनगणना | आबादी | % ± | |
1951 | 213,000 | – | |
1961 | 369,000 | 73.2% | |
1971 | 516,000 | 39.8% | |
1981 | 775,000 | 50.2% | |
1991 | 1,210,000 | 56.1% | |
2001 | 1,990,000 | 64.5% | |
2011 | 1,980,602 | -0.5% |
नागा लोगों की 16 जनजातियां होती हैं जो इस प्रकार से हैं अंगामी , एओ , चकेसांग , चांग , कचहरी , खिमनियुंगन , कोन्याक , कूकी , लोथा , फू , पोम्यूरी , रेंग्मा , संग्टम , सुमी , यमचूंगर और ज़ेमे – लिआंगमाई (ज़ेलियांग) इसके अलावा 6 कबिले भी हैं।
Table of Contents
नागालैंड का इतिहास नागालैंड नाम कैसे रखा गया ?
नागालैंड में आदमी कैसे काटते हैं head hunting Nagaland
आटा चक्की के प्रकार type of Atta Chakki Machine
कार्बन डेटिंग की जानकारी what is carbon dating
नागालैंड वनस्पतियों और जीवों के लिए बहुत ही अच्छी जगह माना जाता है। यहां पर कई प्रकार के जीव और वनस्पति पाये जाते हैं।इतना ही नहीं यहां पर कई तरह के सुंदर पक्षियों की प्रजातियां देखने को मिलती हैं।वैसे नागालैंड काम मलब होता है।नागाओं की भूमी और नागा एक प्रकार की प्रजाति यहां पर लंबे समय तक रहती आई थी। तो इसको हिंदी के अंदर नागाओं की भूमी कहेंगे जबकि अंग्रेजी मे नागालैंड कहलाएगा ।
नागा शब्द की उत्पति
नागा शब्द की उत्पति के बारे मे सही सही जानकारी उपलब्ध नहीं है लेकिन माना जाता है कि यह बर्मी शब्द ना-का या ‘नाग’ से बना है, जिसका अर्थ है झुमके वाले लोग ।दक्षिण एशिया में यूरोपीय उपनिवेशवाद के आने से पहले ही नागा भारत के उत्तर पूर्व के अंदर रहते थे ।उसके बाद जब अंग्रेज आए और इन लोगों के बारे मे पूछताछ की तो इनको नाका कहा गया ।जो बाद मे नागा के रूप मे दर्ज हुआ ।
नागा लोगों की भाषा
राज्य के अंदर लगभग रहने वाले लगभग 2 मिलियन लोग चिनी और तिब्बती भाषा बोलते हैं। हालांकि हर जनजाति के पास कुछ ऐसी भाषाएं भी होती हैं जो दूसरी जनजाति के लिए बहुत ही अनजान होती हैं।1967 में, नागालैंड विधानसभा ने भारतीय अंग्रेजी को नागालैंड की आधिकारिक भाषा के रूप में घोषित किया था। इसके अलावा यहां पर असमिया पर आधारित एक क्रेओल भाषा , नागैमी के अंदर भी शिक्षा दी जाती है।नागालैंड के अंदर बोली जाने वाली भाषाओं का प्रतिशत कुछ इस प्रकार से है।
- सुमी (12.75%)
- कोन्याक (12.33%)
- अंगामी (12.03%)
- Ao (10.05%)
- लोथा (8.96%)
- छोकरी (4.6%)
- संग्राम (3.83%)
- बंगाली (3.77%)
- Yimchungrü (3.74%)
- चांग (3.31%)
- हिंदी (1.13%)
- खियामिनुंगन (3.11%)
- रेंग्मा (3.05%)
- फ़ोम (2.71%)
- अन्य (14.63%)
नागालैंड के अंदर धर्म
नागालैंड के अंदर 88% लोग इसाई हैं।राज्य के अंदर ईसाई लोगों की जनसंख्या 1,739,651 है।मेघालय और मिजोरम भी भारत के अंदर ईसाई बहुल ईलाके हैं।इस राज्य के शहर और ग्रामीण के अंदर चर्च बहुत बड़ी संख्या मे देखने को मिलते हैं।19 वीं शताब्दी से पहले यहां पर ईसाई नहीं थे लेकिन उसके बाद मिशनरी के आने के बाद यहां पर तेजी से धर्मांतरण हुआ और आज बहुत बड़ी संख्या मे चर्च हैं।
नागालैंड के त्यौहार
जैसा कि आपको पता होगा कि हर जनजाति के अपने त्यौहार होते हैं। इस संस्कृति के अंदर सभी प्रकार के ईसाई त्यौहारों को मनाया जाता है।वैसे तो नागालैंड के अंदर पूरे साल त्यौहार आते रहते हैं। फिर भी नीचे कुछ त्यौहारों की लिस्ट दी जा रही है।
जनजाति | त्यौहार name | महिना |
अंगामी | Sekrenyi | फरवरी |
Ao | मोत्सु, त्सुंग्रेमोंग | मई, अगस्त |
Chakhesang | त्सूखेंनी, सेकेरनी | अप्रैल / मई, जनवरी |
चांग | कुंडंगलम, नुक्नु लेम | अप्रैल, जुलाई |
डिमासा कचहरी | बुशू जिबा, | जनवरी, अप्रैल |
Khiamniungan | मिउ फेस्टिवल, त्सोकुम | मई, अक्टूबर |
Konyak | Aoleang Monyu, लाओ-ऑनग Mo | अप्रैल, सितंबर |
कूकी | मिमकुट, च्वंग कुट | जनवरी, नवंबर |
Lotha | तोखु इमोंग | नवंबर |
फोम | मोनू, मोह, बोंगवुम | अप्रैल, मई, अक्टूबर |
Pochury | Yemshe | अक्टूबर |
Rengma | Ngadah | नवंबर |
संगतम | Amongmong | सितंबर |
Rongmei | Gaan-Ngai | जनवरी |
सुमी | आहुना, तुलूनी | नवंबर, जुलाई |
Yimchungru | मेटुमिनिउ, त्सुंगकामनिउ | अगस्त, जनवरी |
जेलियांग | हेगा, लैंग्सिमी / छगा गाडी, और मेलीनी | फरवरी, अक्टूबर, मार्च |
हॉर्नबिल फेस्टिवल का नागालैंड के अंदर बहुत अधिक महत्व है।यह सरकार के द्धारा सन 2000 ई के अंदर शूरू किया गया था।इसका प्रमुख उदेश्य सभी जनजातियों की एक ही त्यौहार के अंदर सहभागिता करना था।यह हर साल 1 से 10 दिसंबर के बीच मनाया जाता है।किसमा के अंदर इसको आयोजित किया जाता है। इस त्यौहार को मनाने का प्रमुख उदेश्य यह है कि नागाओं की सांस्क्रतिक विरासत को सहेज कर रखा जा सके ।
त्योहार का नाम हॉर्नबिल इस लिए रखा गया है क्योंकि यह एक पक्षी का नाम है जो सभी जनजातियों की लोककथाओं के अंदर देखने को मिलता है।इस त्यौहार के अंदर लोग शिल्प ,खेल और भोजन का लुत्फ उठाते हैं।नृत्य, फैशन शो, सौंदर्य प्रतियोगिता, पारंपरिक तीरंदाजी, नगा कुश्ती, स्वदेशी खेल और संगीत कार्यक्रम आदि होते हैं।
नागालैंड की शिक्षा
नागालैंड के अंदर स्कूल राज्य और निजी संगठन के द्धारा चलाये जाते हैं। इसके अलावा यहां पर भी 12 वीं कक्षा पास करने के बाद अलग अलग प्रकार के कोर्स किया जा सकता है।
- सेंट जोसेफ कॉलेज, जाखामा
- कोहिमा साइंस कॉलेज
- पटकाई क्रिश्चियन कॉलेज
- एक केंद्रीय विश्वविद्यालय- नागालैंड विश्वविद्यालय
- एक इंजीनियरिंग कॉलेज- नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी नागालैंड
- वन कॉलेज ऑफ़ वेटरनरी साइंस एंड एनिमल हसबैंड्री इन जलूकी
नागालैंड जनजातियों का भोजन
नागालैंड गर्म काली मिर्च का घर माना गया है।यहां पर पाई जानी वाले अलग अलग प्रकार की जनजातियों के अलग अलग प्रकार के भोजन हैं।यह लोगा मांस ,मछली का सेवन करते हैं।पकवान स्मोक्ड सूअर का मांस किण्वित सोयाबीन के साथ पकाया जाता है ।यह लोग लहसुन और अदरक का भी प्रयोग करते हैं।यहां पर सबसे अधिक पसंद किये जाने वाले भोजन के अंदर सूअर का मांस और घोघे का भोजन है।गल्हो एक शाकाहारी दलिया है जिसे चावल, पत्तियों और मसालों के साथ पकाया जाता है।
दुश्मन का गला काटने की प्रथा
कोंयाक नामक नागालैंड के आदिवासियों को बेहद ही डेंजर माना जाता है। इन लोगों के यहां पर अपने दुश्मन का गला काटने की प्रथा है। हालांकि अब इस पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।यदि कोई नागा अपने दुश्मन की हत्या कर देता है और उसका गला काट कर लाता है तो इस दिन को यादगार माना जाता है और इस दिन जश्न भी मनाया जाता है।इसके अलावा चेहरे पर टेटु भी बनाए जाते हैं।
हडियों का पर्दशन
कोयका प्रजाति के लोग भैंस य बकरी या किसी हिरण को मारते हैं तो उसके बाद उसके सर को अपने घर के अंदर सजावट के तौर पर रखते हैं। और यदि किसी इंसान का सर काटा गया है तो उसको विशेष रूप से दिखाया जाता है।हालांकि सर काटने की परम्परा बंद हो जाने के बाद इंसानी सिर की अस्थियों को घर के अंदर नहीं रखा गया है। उनको कहीं पर फेंक दिया गया है।
रहने के लिए बांस के बनाए जाते हैं मकान
यह लोग रहने के लिए बांस के मकान बनाते हैं और उनके नीचे रहते हैं। रहने और भंडारण के लिए अलग अलग मकान होते हैं। अनाज को बांस की टोकरी से ढककर रखा जाता है।इसके अलावा चावल को लकड़ी के डेंडे से पीटकर बनाया जाता है।
समय के साथ इन लोगों के अंदर भी सब कुछ बदल रहा है। अब नागा लोग भी अपने शरीर की सजावट को कम कर चुके हैं और ईसान धर्म ग्रहण करने के बाद इनके जीवन के अंदर काफी बदलाव आने शूरू हो गए हैं। चर्चों मे जाने से इनके जीवन मे आधुनिकता की छाप पड़ी है।
नागालैंड के दर्शनिय स्थल
भले ही नागालैंड के अंदर संघर्ष चलता रहा हो लेकिन यहां पर अनेक दर्शनिय स्थल मौजूद हैं । जिनको देखने के लिए दुनिया भर के पर्यटक आते रहते हैं। उनमे से कुछ के बारे मे हम नीचे जानकारी प्रदान कर रहे हैं।
खुबसूरत शहर कोहिमा
केवहिरा इस जगह का प्राचीन नाम था और बाद मे इसका नाम बदलकर कोहिमा कर दिया गया था।यह एक बहुत ही सुंदर जगह है और नागालैंड की राजधानी भी है।यदि आप यहां पर जाते हैं तो आपको अनेक प्रकार के सुंदर फूल देखने को मिलेंगे । यह काफी सुंदर जगह है।
मोकोकचुंग
मोकोकचुंग भी एक प्रमुख पर्यटक का केंद्र है। यह कोहिमा और दिमपुर के प्रमुख पर्यटक क्षेत्रों मे से एक माना जाता है। लोंगखुम, लंग्पांगकांग, मोपुंगचुकिट और चुचुइइमलांग जैसे क्षेत्र भी इसी के पास पड़ते हैं। यह काफी मजेदार है। और यहां पर अधिकतर लोग केवल खेती पर ही निर्भर हैं।
दीमापुर
दीमापुर सबसे अधिक आबादी वाला शहर है। इस शहर के अंदर एक एयरपोर्ट भी है। यही वजह है कि यहां पर बहुत अधिक पर्यटक आते ही रहते हैं। ट्रिपल फॉल्स, कचहरी खंडहर, नागालैंड विज्ञान केंद्र और प्राणि उद्यान जैसे स्थल यहां पर हैं जिनको देखने के लिए दूर दूर से पर्यटक आते रहते हैं।
फेक पर्यटन स्थल
फेक पर्यटन स्थल नागालैंड की एक प्रमुख जगहों मे से एक है। टिज़ू, लानी और सेडज़ू यहां तीन नदी हैं। इसके अलावा यहां पर कई प्रकार की वनस्पति पाई जाती है। जिसको देखने के लिए लोग आते हैं। वैसे यहां पर प्राक्रतिक छटा बहुत ही सुंदर है। जिसको देखकर हर कोई चौंके बिना नहीं रह सकता है।
शीलोई झील कोहिमा
शीलोई झील एक बहुत ही सुंदर देखने लायक स्थल है और यहां के निवासी इस झील को अधिक पवित्र मानते हैं। यह माना जाता है कि इस झील के अंदर एक बच्चे की पवित्र आत्मा इस झील के अंदर रहती है। यदि आपको मछलियों के बीच रहना पसंद है। यदि आप मछलियों को कुछ डालना पसंद करते हैं तो यह झील आपके लिए बहुत उपयोगी है आप कुछ आनंद के क्षण यहां पर बिता सकते हैं।
नागा हेरिटेज विलेज कोहिमा
नागा हेरिटेज विलेज को किसामा गांव के नाम से भी जाना जाता है।यदि आपको नागाओं की संस्कृति को देखना है तो आप इस गांव का दौरा कर सकते हैं। हॉर्नबिल त्योहार को दिसंबर माह के अंदर मनाया जाता है। इस दौरान यहां पर अलग अलग जनजातियों की विशेषभूषा और खानपान देखने को मिलता है जो वास्तव मे किसी अदभुत चीज से कम नहीं है।
तौफेमा गाँव
तौफेमा गाँव भी नागालैंड के अंदर एक देखने लायक स्थल है।यह खूबसूरत पहाड़ी पर बनी हुई एक बस्ती है।यहां पर कई तरह की छोटी छोटी झोंपडियां बनी हुई हैं जो नागाओं की संस्कृतिक पहचान का प्रतीक हैं। इस गांव को देखने के लिए दूर दूर से पर्यटक आते हैं।
जगह जुकू घाटी
जगह जुकू घाटी नागालैंड के अंदर प्रमुख आकर्षण स्थलों मे से एक है। यहां पर जपफू नाम एक चोटी भी है जिसकी उंचाई 3048 मीटर है जो नागालैंड की दूसरी सबसे उंची चोटी के अंदर गिनी जाती है। यदि आप यहां के दर्श्य को देखते हैं तो यह आपके मन को भा जाएगा ।
मोन कोन्याक नागों का निवास
कोन्याक नागों का निवास स्थान भी देखने लायक एक आकर्षण है।यह ढलानों के अंदर बना हुआ है। यहां पर आपको इस प्रकार के लोग मिलेंगे जिनके चेहरे पर टेटू बने हैं और वे लूंगी पहने हुए हैं। यह काफी शानदार क्षेत्रों मे से एक है।
फ्लाइट से नागालैंड की यात्रा
नागालैंड के सबसे नजदीग हवाई अडडा दीमपूर है।डिब्रूगढ़ , असम में अनुसूचित वाणिज्यिक सेवाओं के साथ नागालैंड का एकमात्र हवाई अड्डा है।यह दीमापुर से 7 किलोमीटर (4.3 मील) और कोहिमा से 70 किलोमीटर (43 मील) दूर स्थित है।
नागालैंड के अंदर रेल्वे
नागालैंड के अंदर सन 1903 ई के अंदर पहली बार रेल्वे लाइन बिछाई गई थी।नागालैंड में एकमात्र रेलवे स्टेशन के रूप में लुमडिंग-डिब्रूगढ़ रेल खंड पर दीमापुर रेलवे स्टेशन है।
नागालैंड के अंदर जीवजंतु और वनस्पति
नागालैंड का लगभग एक-छठा भाग उष्णकटिबंधीय और उप-उष्णकटिबंधीय सदाबहार वनों से घिरा हुआ है। यहां पर बांस मोहगनी जैसे वन मिलते हैं।यहां पर सबसे अधिक झूम खेती की जाती है।धीमी लोरिस , असमी मैकाक , सुअर-पूंछ वाले मकाक , स्टंप-टेल्ड मकाक , रीसस मकाक , कैप्ड लंगूर , होलॉक गिब्बन , हिमालयन ब्लैक भालू , ढोल , सामयिक बंगाल टाइगर , भारतीय तेंदुआ आसानी से देखने को मिल जाते हैं।
मिथुन (एक अर्ध-पालतू गौड़ ) नागालैंड का राजकीय पशु है और इसे नागालैंड सरकार की आधिकारिक मुहर के रूप में अपनाया गया है । यह राज्य में सबसे मूल्यवान प्रजाति है। पूर्वोत्तर में इस जानवर के संरक्षण और सुरक्षा के लिए, 1988 में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) द्वारा राष्ट्रीय अनुसंधान केंद्र मिथुन (NRCM) की स्थापना की की जा चुकी है।रोडोडेंड्रोन राज्य फूल है जिसकी चार प्रजातियां मौजूद हैं।
नागालैंड के अंदर पाये जाने वाले खनीज
नागालैंड के अंदर कई प्रकार के खनीज पाये जाते हैं। पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस और चूना ,पत्थर व संगमरमर इसके अलावा लौहा निकल आदि भी यहां पर मौजूद हैं।
नागालैंड के लोगों की वेषभूषा
नागालैंड के लोगों की पोषाक वहां के निवासियों की संस्क्रतिक को व्यक्त करती है।नागा लोग वही वेषभूषा रखते हैं जोकि उनके पूर्वजों के द्धारा पहना गया था। यहां पर पुरूष हॉर्नबिल के काले और सफेद पंख और जंगली सूअर के दांतों को गले के अंदर धारण किया जाता है।जबकि महिलाएं काले रंग की साड़ी अक्सर पहनती हैं और अपने गले के अंदर हार को भी धारण करती हैं। हालांकि नागा लोगों के पहनावे के अंदर समय के साथ बहुत अधिक परिवर्तन आ रहा है। और यह लोग भी आधुनिक पहनावे की तरफ आकर्षित हो रहे हैं।
नागालैंड का भूगोल
नागालैंड एक पहाड़ी राज्य है। नगा हिल्स से वृद्धि ब्रह्मपुत्र घाटी 610 मीटर (2,000 फीट) तक असम में और दक्षिण-पूर्व में और अधिक बढ़, 1800 मीटर है।3,841 मीटर के साथ सरमाटी राज्य की सबसे उंची चोटी है।यहां पर नाग हिल्स पेटीकाई रेज के साथ मिलती है।उत्तर की ओर दोयांग और दीफू जैसी नदियाँ, दक्षिण पश्चिम में बराक नदी बहती है। और इस राज्य का लगभग 20 प्रतिशत भाग जंगल से घिरा हुआ है।
नागालैंड की जलवायु
मई से सितंबर के महीनों में यहां पर 70 से 80 इंच तक वर्षा होती है।तापमान 21 से 40 ° C के आस पास रहता है। कुल मिलाकर यह राज्य काफी सुखद और शानदार परिस्थितियों का आनन्द लेता है।गर्मी के मौसम के दौरान तापमान 16 से 31 ° C हो जाता है। और यहां पर जल्दी ही सर्दी आ जाती है व कडाके की ठंड पड़ती है।
नागालैंड संघर्ष
भारत के पूर्व ईलाकों के अंदर पहले से ही राजाओं का राज चलता था।और यहां पर अलग अलग प्रकार की जनजातियां रहती थी। इतना ही नहीं इन सभी की अपनी अपनी संस्कृति भी थी।यह लोग भी अपनी सभ्यता और संस्कृति से प्रेम करते थे और नहीं चाहते थे कि उनके उपर दूसरों के नियमों को थोपा जाए ।इसीलिए जब भारत का संविधान लिखागया तो नागालैंड को इसमे विशेष छूट प्रदान की गई थी। बिना यहां के लोगों की अनुमति के कोई भी नियम या कानून इन पर थोपा नहीं जा सकता था।नागा जनजाति की ग्रेटर नागालिम बनाने की मांग रही है।और यह मांग उठने लगी की यह भारत के अंदर एक स्वायत राज्य होना चाहिए ।
जैसा कि हमने आपको बताया कि नागा बहुत ही खतरनाख लोग होते हैं। और इन लोगों के यहां पर अपने दुश्मनों का सर काटने की पम्परा है।और जो सिर को काट कर लाता है उसे सबसे अधिक साहसी समझा जाता है। जब अंग्रेज भारत के अंदर आए थे तो वे नागालैंड के उपर कब्जा करने के लिए यहां छावनी बनाई थी।आपको यह पता होना चाहिए कि नागा भारत के अंदर मिलना ही नहीं चाहते थे । और उनका मत था कि वे अपने हाल पर रहना चाहते हैं। उसके बाद उनको बलपूर्वक भारत के अंदर शामिल कर लिया गया था।
1946 में अंगामी ज़ापू फिज़ो की अगुआई में नागा नेशनल काउंसिल (NNC) बनाया गया । जिसका कहना था कि वे भारत का ही हिस्सा बने रहंगे लेकिन वे अपने तौर तरीके खुद ही तय करेंगे । हालांकि बाद मे यह एग्रीमेंट टूट गया । 14 अगस्त,1947 को जब पाकिस्तान बना तो नागाओं ने भी खुद को आजाद घोषित किया था लेकिन इस खबर पर मिडिया ने ध्यान नहीं दिया था।उसके बाद नागाओं ने जनमत संग्रह करवाया और अधिकतर लोगों ने आजाद नागालैंड की मांग की लेकिन सरकार ने उनकी मांग को मानने से इंकार कर दिया ।
उसके बाद नागाओं और सरकार के बीच संघर्ष चलता रहा । सरकार ने विद्रोह को दबाने के लिए बहुत प्रयास किये । इसके अलावा नागाओं ने भूमिगत नागा फेडरल गवर्नमेंट’ (NFG) और ‘नागा फेडरल आर्मी’ (NFA) बनाई । उसके बाद जब सरकार ने नागों के विद्रोह को दबाने का अधिक प्रयास किया तो बहुत से नागा देश छोड़कर चले
गए । उसके बाद अनेकों बार संघर्ष हुए लेकिन समस्या का कोई हल नहीं निकला तो सरकार ने नागाओं के साथ बातचीत की और एक अलग प्रकार का कानून पारित किया गया ।
देश के संविधान में संशोधन करके अनुच्छेद 371 A पास किया गया । जिसका मतलब यह है कि केंद्र का बनाया गया कोई भी कानून नागाओं पर तभी लागू होगा जब यहां कि विधानशभा उसे बहुमत से पास करदेगी । ईसाई मिशनरियों के आने के बाद नागा लोगों ने तेजी से ईसाई धर्म अपना लिया और सन 2011 तक यहां पर 90 प्रतिशत नागा ईसाई धर्म को स्वीकार कर चुके थे । और यहां पर बहुत अधिक चर्च भी बन रहे हैं।
नागालैंड राज्य बनने के बाद भी भारत सरकार और नागाओं के बीच संघर्ष जारी रहा और इस संघर्ष के अंदर अनेक नागाओं के परिजन मारे गए । 11 नवंबर, 1975 को इंदिरा गांधी आई तो उन्होने नागाओं के साथ शिलॉन्ग समझौते पर हस्ताक्षर किये । और नागाओं ने यह कहा कि वे भारत से अलग नहीं होंगे और भारत का ही हिस्सा बने रहेंगे ।
आपको बतादें कि बहुत सारे नागा गुट हैं। हर नागा गुट खुद को नागाओं का प्रमुख मानता है। और इनके अंदर भी विरोध है। और यदि कोई समझोता सरकार को करना होता है तो उसे सभी नागा गुटों की सहमती लेनी होती है। सरकार का कार्य सभी नागा गुटों के बीच संतुलन को कायम करना है।
चीन नागालैंड से सटा होने की वजह से वहां से नागाओं के विरोध को समर्थन भी मिलता है। और चीन नागाओं की मदद भी करते हैं।शिलॉन्ग शांति के समय भी चीन से समर्थन मिलने वाले नागा गुट ने इस समझौते को मानने से ही इनकार कर दिया था।
जानकारों के अनुसार कश्मीर के अंदर 370 हटाए जाने के बाद नागाओं को लग रहा है कि उनके साथ भी ऐसा ही हो सकता है। ऐसी स्थिति के अंदर अब वे अपने लिए एक अलग झंडे की भी मांग कर रहे हैं।नागाओं का यह कहना है कि उनको अपनी संस्क्रति को संरक्षित करने के लिए पूर्ण आजादी होनी चाहिए । जबकि सरकार इसके पक्ष मे नहीं है।