नादिरशाह फरास का शासक था और उसे ईरान का नेपोलियन भी कहा जाता है।भारत पर नादिरशाह ने आक्रमण 16 फरवरी 1739 ई के अंदर हुआ था। नादिरशाह बहुत अधिक महत्वकांक्षी राजा था। और भारत की धन संपदा को लूट लेना चाहता था। 1688 – 1747 के आस पास नादिरशाह ने ईरान पर अपनी संप्रभुता को स्थापित किया था।रूसी सम्राज्य और उस्मानी सम्राज्य को वहां से बाहर निकाल फेंका था।
नादिर का जन्म खोरासान (उत्तर पूर्वी ईरान) में अफ़्शार क़ज़लबस कबीले में एक साधारण परिवार में हुआ था। उसके बारे मे यह कहा जाता है कि उसके पिता की मौत को उसके बाल्यकाल के अंदर ही हो गई थी। और उसकी मां को किसी ने अपना गुलाम बना लिया था। लेकिन उसके बाद वह खुद वहां से भागने मे सफल रहा था। और एक कबिले के अंदर शामिल हो गया था।
जल्द ही वह अपने कबिले का प्रमुख बन गया था और उसने बाबा अली बेग़ की दो बेटियों से शादी भी करली थी।वह सुंदर और सजीला नौजवान था , उसे घुड़सवारी बहुत अधिक पसंद थी। और अपने अनुचरों के लिए बहुत अधिक उदार था । लेकिन अपने शत्रुओं के प्रति काफी निर्दय था। उसने अपने शासन काल के अंदर साफ़वियों की बहुत अधिक मदद की थी।
नादिरशाह ने पश्चिम के आक्रमण से संतुष्ट हो जाने के बाद भारत की ओर रूख किया ।सैन्य खर्च का भार जनता पर पड़ा । और उसने कंदहार पर अधिकार कर लिया और कहा कि मुगलो ने अफगान भगोड़े को शरण दी थी। उसके बाद काबुल पर कब्जा किया और फिर दिल्ली पर आक्रमण कर दिया । करनाल में मुगल राजा मोहम्मद शाह और नादिर की सेना के बीच भीषण लड़ाई हुई। लेकिन मुगलों की सेना छोटी थी और फारसी सेना के बारूदी अस्त्रों के आगे मुगल सेना अधिक समय तक टिक नहीं सकी । उसके बाद नादिरशाह 1739 ई के अंदर दिल्ली पहुंचा तो यह अफवाह फैला दी गई कि नादिरशाह मारा गया । और उसके बाद दिल्ली के अंदर विद्रोह हो गया और फारसी सैना का कत्ले आम करना आरम्भ हो गया । जिससे डरकर मुगलों ने अपनी धन संपदा को नादिरशाह को देदिया ।
दिल्ली पहुंचने के बाद नादिरशाह को पता चला कि बेटे रज़ा क़ुली, जिसे कि उसने अपनी अनुपस्थिति में वॉयसराय बना दिया था, ने साफ़वी शाह तहामाश्प और अब्बास का कत्ल कर दिया और उसके बाद वह उसके मौत का षडयंत्र रच रहा है। तो नादिरशाह ने उसको पद से हटा दिया । तुर्केस्तान के अभियान पर गया और उसके बाद दागेस्तान के विद्रोह को दमन करने निकला लेकिन यहां पर वह सफल नहीं हो सका ।दागेस्तान के अंदर जब नादिरशाह एक सैन्य अभियान के लिए था तो उसे खबर मिली की उसे रजा मारने के लिए आ रहा है। जिससे उसे बहुत दुख हुआ और उसने रजा की आंखे फूड़ा दी । जबकि वह यही कहता रहा कि वह निर्दोष है। दागेस्तान के अंदर से वह वापस लौट आया और अपनी पूरी सैना को संगठित किया ।उस समय नादिरशाह के पास लगभग 3,75,000 सैनिक थे और उस समय इतनी बड़ी सैना किसी की भी नहीं थी। 1743 ई के अंदर नादिरशाह ने उस्मानी सम्राज्य ईराक पर हमला किया । किरकुक पर उसका अधिकार हो गया लेकिन बग़दाद और बसरा में उसे सफलता नहीं मिल सकी ।मोसूल के अंदर तो उसे उस्मानों से समझोता करना पड़ा तब तक उसके समझ मे आ चुका था कि उस्मान आसानी से उसके कब्जे मे आने वाले नहीं हैं।
अब तक हमने नादिरशाह के संक्षिप्त जीवन के बारे मे जाना । तो आइए अब जानते हैं कि नादिरशाह ने 1739 में दिल्ली पर आक्रमण क्यों किया। और उसका दिल्ली पर आक्रमण करने का प्रमुख उदेश्य क्या था। इस बारे मे पूरे विस्तार से चर्चा करेंगे ।
Table of Contents
1.नादिरशाह ने 1739 में दिल्ली पर आक्रमण क्यों किया -जलालाबाद मे अपने दूत की हत्या
नादिरशाह ने 1739 में दिल्ली पर आक्रमण क्यों किया ? तो इसके पीछे जलालाबाद के अंदर अपने दूत की हत्या मुगल सैनिकों के द्वारा किये जाने की वजह से नादिरशाह को बहुत दुख हुआ और इस वजह से उसने बदला लेने के लिए दिल्ली पर आक्रमण किया था। ऐसा इसलिए हुआ कि जब नादिरशाह ने अपना राज्य का विस्तार करना चाहा तो उसका पहला टारगेट कन्धार था। इस वजह से उसने मुहम्मद शाह को लिखा कि कन्धार के मुगल शासकों को काबुल में शरण नहीं दी जानी चाहिए। लेकिन जब नादिरशाह ने कंधार पर आक्रमण किया तो मुहम्मद शाह ने उसकी बात को नहीं माना ।
2.राजनैतिक सम्बन्ध विच्छेद कर लेना
दोस्तों मुगल और ईरानियों के साथ हमेशा से राजनितिक संबंध थे । और वे दोनों आपस मे दूतों का आदान प्रदान भी करते थे । लेकिन पता नहीं क्यों जब नादिरशाह सता के अंदर आया तो दिल्ली के मुगलों ने इस प्रथा को बंद कर दिया और ऐसा करने से नादिरशाह को अपना अपमान लगा । इसी वजह से भी उसने दिल्ली पर आक्रमण करने काम मन बनालिया था।
3.नादिरशाह ने 1739 में दिल्ली पर आक्रमण किया क्योंकि वह सम्राज्य का विस्तार करना चाहता था
यह सच है कि नादिरशाह काफी महत्वकांक्षी राजा था। और इसी वजह से उसे ईरान का नेपोलियन कहा जाता है। कत्लेआम करना उसकी फिरत मे शामिल था। उसने अपने जीवन काल के अंदर तब तक युद्व लड़े जबतक की उसकी सांसे रूक नहीं गई। उसने ईराक , बगदाद , बसरा ,मोसूल , किरकुक ,तुर्केस्तान और भारत के अंदर भी युद्व लड़े। नादिरशाह का दिल्ली पर आक्रमण करने का मकसद था कि वह अपने समाज्य का बहुत अधिक विस्तार कर सके ।और ऐसा हुआ भी । कंधार पर आक्रमण करने के बाद और 24 फरवरी 1739 में करनाल का युद्व हुआ । जिसमे उसे यह सब बहुत आसान लगा।
4.भारत के शासकों की दुर्बलता
दोस्तों नादिरशाह ने दिल्ली पर आक्रमण किया । क्योंकि वह पहले से ही भारत के शासकों की दुर्बलता के बारे मे जानता था।नादिरशाह ने 24 फरवारी 1739 ई के अंदर करनाल पर आक्रमण किया ।जब सहादत खां को आक्रमण का समाचार हुआ तो वह लगभग 80 हजार सैनिकों को लेकर करनाल पहुंचा लेकिन इस युद्व के अंदर मुगल सेना मात्र 3 घंटे ही टिक पाई और उसके बाद सहादत खां को बंदी बना लिया गया । और नादिरशाह को 50 लाख रूपया दिया गया । इस युद्व के बाद नादिरशाह को यह पता चल गया की मुगल सेना के अंदर दम नहीं है। और वह लड़कर दिल्ली पर आसानी से कब्जा कर सकता है।
एक तरह से यह युद्व नादिरशाह को दिल्ली पर आक्रमण करने के लिए प्रेरित किया था।
5.सआदत खाँ के बहकावे की वजह से
सआदत खां को मीरबक्सी का पद मिल चुका था। और इस वजह से उसने नादिरशाह को मिले का नश्चिय किया और मिलने के बाद बोला कि यदि वे दिल्ली पर आक्रमण करते हैं। तो उनको 50 लाख की बजाय 20 करोड़ मिलेगा । बस उसके बाद इन बातों से नादिरशाह को दिल्ली पर आक्रमण करने के लिए प्रेरित किया ।20 मार्च 1739 को नादिर शाह ने दिल्ली के अंदर प्रवेश किया ।22 मार्च को अफवाह फैल गई की नादिरशाह की मौत हो गई तो वहां पर 700 सैनिक मारे गए । जिससे देखकर नादिरशाह को गुस्सा आया और कत्लेआम का आदेश देदिया । जिसकी वजह से 30 हजार लोग मारे गए और अंत मे मुहम्मदशाह की याचना पर नादिर शाह ने अपने आदेश को वापस लेलिया । नादिरशाह ने 1739 में दिल्ली पर आक्रमण क्यों किया ? तो इसके पीछे यह भी एक बड़ा कारण था।
6.दिल्ली का वैभव
दोस्तो नादिरशाह पहले ही ईरान लौट आना चाहता था। लेकिन जब उसे बताया गया कि यदि आप दिल्ली पर आक्रमण करोगे तो आपको अकूत धन मिल सकता है। और वैसे भी उसने खुद ही दिल्ली के बारे मे बड़ी बड़ी बाते सुन रखी थी। और मुगलों के कुछ विश्वासी लोगों के द्वारा ऐसा कहना उसे और भी अच्छा लगा तो फिर क्या था । नादिरशाह को दिल्ली पर आक्रमण करने के लिए मुगलों ने ही खुद तैयार कर लिया था।
7.अयोग्य सेना
दोस्तों नादिरशाह यह भी जानता था कि दिल्ली के राजा के पास कोई योग्य सेना नहीं है। और यदि वह युद्व भी करेगा तो अधिक समय तक उसकी सेना के सामने दिल्ली के राजा की सेना का टिकना काफी मुश्किल हो जाएगा । जब राजा मुहमम्द शाह ने अपने सेनापति दौलत खां और निजाउमुल्लक को करनाल के पास नादिरशाह को रोकने के लिए जानके लिए कहा तो दोनो बहुत पहले से ही घबरा गए थे और जाने से इनकार कर दिया था।उसके बाद मुहम्मद शाह खुद इस सेना को लेकर करनाल के पास लड़ने के लिए गया । इस युद्व के अंदर दौलता खां भी बाद मे शामिल हुआ था और मरते हुए उसने मुहम्मद शाह को यह सुझाव दिया था कि वह दौलत देकर नादिरशाह को वापस फारस भेज दे।
8.नादिरशाह ने 1739 में दिल्ली पर आक्रमण किया क्योंकि वह धन लूटना चाहता था
नादिरशाह ने 1739 ई के अंदर दिल्ली पर आक्रमण किया था। उसके आक्रमण का सबसे बड़ा उदेश्य यही था कि वह धन लूट सके । नादिरशाह ने इसको बखूबी अनजाम भी दिया था।11 मार्च सन 1939 ई को दिल्ली पर नादिरशाह का अधिकार हो गया था।
और मुगल शासन का अंत हो चुका था।नादिरशाह के सैनिक पूरी दिल्ली के अंदर फैले हुए थे और हत्याएं और लूटपाट कर रहे थे ।और लगभग 5 घंटे के अंदर नादिरशाह के सैनिकों ने 2 लाख लोगों को मार दिया था।चांदनी चौक , सब्जी मंडी , दरिबा कीला आदि स्थानों के मकान जलकर नष्ट हो चुके थे ।नादिरशह दिल्ली के अंदर दो महिने रहा और इतने दिनों के अंदर उसने दिल्ली का दिवाला निकाल दिया था।सआदत खां को उसने बीस करोड़ रूपये एभी कत्ल कर दिया जाएगा । एकत्रित करने का काम दिया और कहा गया कि यदि वह ऐसा नहीं कर पाएगा तो उसका भी कत्ल कर दिया जाएगा । इस डर से उसने पहले ही जहर खाकर आत्महत्या करली थी।
यहां से जाते समय वह 30 करोड़ रूपया नगद और हीरे ,जवाहरात ,सोना चांदी भी ले गया । इसके अलावा उसने 100 हाथी, 7 हजार घोड़े, 10 हजार ऊंट, 100 हिजड़े, 130 लेखपाल, 200 लुहार, 200 बढ़ई तथा “शाहजहाँ का तख्ते ताउस” को भी लेकर चला गया ।नादिरशाह को कश्मीर एवं सिन्ध के पश्चिमी प्रदेश, थट्टा प्रान्त एवं बन्दरगाह, कोहिनूर हीरा भी अपने साथ लेकर चला गया ।इसके अलावा मुहम्मदशाह ने अपनी पुत्री का विवाह नासिरुल्लाह मिर्जा के साथ करवादिया था। जोकि नादिरशाह का पुत्र था। जिसके बाद नादिर शह ने खुश होकर मुम्मदशाह को उसके पद वापस देदिया था।
दिल्ली के शासक मुहम्मद शाह ने नादिरशाह के आक्रमणों से कोई भी सबक नहीं सीखा था। और वह अपने राज्य को मजबूत करने की बजाय आमोद प्रमोद के अंदर ही लगा रहा ।और उसका सरकारी खजाना खाली हो गया । अमीर उससे भी अमीर हो गए और उसके बाद वह खुद भी अमीरों पर निर्भर हो गया ।मुहम्दशाह की मौत के बाद अहमदशाह शासक बना जो विभिन्न दुगुर्णों से युक्त था और वह अपना अधिकतर समय हरम के अंदर ही गुजारता था।उसके बाद उसके ही एक अधिकारी ने उसको पकड़कर अंधा बनावा दिया था।
नादिरशाह ने 1739 में दिल्ली पर आक्रमण क्यों किया के पीछे इस प्रकार से कई कारण काम कर रहे थे । और इसके अंदर सबसे बड़ा कारण तो यह था कि नादिरशाह भारत के अंदर कमजोर राजाओं को देख रहा था और वह यह जानता था कि वहां पर आसानी से लूट को अंजाम दे सकता है।
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