नीम की निंबोली के फायदे top Benefits of eating Neem Nimboli

दोस्तों नीम के नीम की निंबोली के फायदे के बारे मे आप जानते ही होंगे आपको यह तो पता है कि नीम बहुत ही फायदे मंद होता है। आपको बतादें कि नीम एक भारतिय मूल का पेड़ है और यह मुख्य रूप से  पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल,  (बर्मा), थाईलैंड, इंडोनेशिया, श्रीलंका  ‌‌‌जैसे देशों के अंदर पाया जाता है। लेकिन यदि अब की बात करें तो यह आपको अफ्रीका, आस्ट्रेलिया, दक्षिण पूर्व एशिया के अंदर भी देखने को मिल सकता है।

‌‌‌नीम के पेड़ का वनस्पतिक नाम Azadirachta indica है और इससे अनेक प्रकार की दवाइयां भी बनाई जाती हैं जो विभिन्न रोगों के उपचार मे काम आती हैं।

‌‌‌यदि आपने आयुर्वेद को पढ़ा होगा तो आपको पता ही होगा कि नीम के बीज भी बहुत फायदे मंद होते हैं। और इनका प्रयोग त्वचा ,पाचन जैसी समस्याओं को दूर करने मे किया जाता है।‌‌‌ नीम के बीजों को हम निंबोली के नाम से जानते हैं। जब हम छोटे थे और स्कूल जाया करते थे तो हमारे स्कूल के अंदर काफी सारे नीम के पेड़ थे ।उन पेड़ों से निंबोली गिरती थी और हम उनमे से अच्छी निंबोली निकाल कर खा लेते थे ।

नीम की निंबोली के फायदे
By Sathishindexagro – Own work, CC BY-SA 4.0, wiki

‌‌‌हालांकि जो पकी हुई निंबोली थी वह काफी स्वादिष्ट भी होती थी लेकिन जो पकी हुई निंबोली नहीं थी वह काफी खारी होती थी। जिसको हम लोग नहीं खाते थे ।

‌‌‌दोस्तों आपको बतादें कि नीम का औषधी के रूप मे लगभग 6000 सालों से हम लोग प्रयोग करते आ रहे हैं। नीमा का पेड़ इस बात का बहुत अच्छा उदाहरण है कि नेचर अपने पास समस्याएं रखती है तो वह अपने पास इस समस्याओं का हल भी रखती है।

‌‌‌नीम के पेड़ मे छाल, पत्ते, और बीज आदी हैं। ‌‌‌इसके अक्सर, जड़, फूल, और फल का भी उपयोग किया जाता है।

नीम का पत्ता हैनसेन रोग, नेत्र विकार, खूनी नाक, आंत्र कृमि, अपच, भूख न लगना, त्वचा के अल्सर, और रक्त वाहिकाओं के रोगों (हृदय रोग), बुखार, मधुमेह, मसूड़ों की बीमारी (मसूड़े की सूजन) और यकृत के लिए नियोजित है। पत्ती गर्भनिरोधक के लिए और गर्भपात ‌‌‌के लिए उपयोग भी की जा सकती है।

छाल को प्रोटोजोअल संक्रमण, पेट और एंटरल अल्सर, त्वचा रोग, दर्द और बुखार के लिए नियोजित किया जाता है।

फूल को पाचक रस, कफ को कम करने और आंत्र कृमि के इलाज के लिए नियोजित किया जाता है।

फल को बवासीर, आंत्र कृमि, पथ विकार, खूनी नाक, कफ, नेत्र विकार, मधुमेह, घाव और हैनसेन रोग के लिए नियोजित किया जाता है।

नीम की टहनी का उपयोग खांसी, दमा, बवासीर, आंत्र कृमि, निम्न युग्मक स्तर, मूत्र विकार और पॉलीजेनिक विकार के लिए किया जाता है।

बीज का तेल हैनसेन रोग और एंटरल कीड़े के लिए उपयोग किया जाता है। वे अतिरिक्त रूप से गर्भनिरोधक के लिए और गर्भपात का कारण बनते हैं।

तना, जड़ की छाल और फल का उपयोग टॉनिक और कसैले के रूप में किया जाता है।कुछ लोग सिर की जूँ, त्वचा रोग, घाव और त्वचा के अल्सर के इलाज के लिए त्वचा पर मार्गोसा लागू करते हैं

नीम का बीज भी यह एक शक्तिशाली इम्यूनो-उत्तेजक होने के साथ-साथ एक प्रभावी एंटी-वायरल और एंटी-बैक्टीरियल  होता है।‌‌‌यदि हम नीम के फायदे की बात करें तो यह कई चीजों के अंदर आपको लाभ पहुंचाता है जैसे

  • रक्त को शुद्ध करता है
  • एंटी-बैक्टीरियल गुण
  • अल्सर का इलाज
  • संक्रमण को खत्म करता है।
  • प्रतिरक्षा प्रणाली को अच्छा करता है।

‌‌‌नीम के बीजों को आप कई तरीके से काम मे ले सकते हैं। आमतौर पर निंबोली खाना भी एक तरह से फायदे मंद होता है। जिससे नीम के बीज के जैसे फायदे मिल सकते हैं। हालांकि यह उतना गुणकारी नहीं होता है।‌‌‌कुछ लोग नीम के बीज को दूध के अंदर डालकर खाते हैं तो कुछ लोग इसका चुर्ण बनकार भी सेवन करते हैं। नीम का बीज भी काफी खारा होता है। यह दवा के जैसा होता है।

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‌‌‌निंबोली के फायदे रक्त को शुद्व करने मे Benefits of nimboli in purifying blood

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दोस्तों निंबोली नीम के पेड़ के उपर लगती है। यदि कोई इसको खाता है तो उसके शरीर के अंदर नीम के रक्तशोधक गुण पहुंच जाते हैं। आमतौर पर निंबोली भी उन्हीं तत्वों से बनी होती है जोकि नीम के अंदर होते हैं।‌‌‌भले ही आप नीम के बीज को नहीं खाते लेकिन उसके बाद भी आपको इसका फायदा मिलता है भले ही मिलने वाले फायदे की मात्रा कम हो । हालांकि यदि आप बाजार से नीम के बीज के चूर्ण को शहद के साथ खाते हैं तो रक्त शोधन की दर को आप बढ़ा सकते हैं।

‌‌‌नीम के तत्व सीरम एंजाइमों के स्तर को स्थिर करके और विटामिन ए, ई और प्राकृतिक कैरोटीनॉयड्स में पाए जाने वाले एंटीऑक्सिडेंट के स्तर को बढ़ाकर रासायनिक रूप से प्रेरित जिगर की क्षति को कम करते हैं। , जो मुक्त कणों को बेअसर करते हैं और जिगर की क्षति को रोकते हैं।

‌‌‌निंबोली के फायदे किड़नी की ‌‌‌समस्याओं को दूर करता है Benefits of Nimboli removes the problems of Kidney

दोस्तों यदि आप नीम की निंबोली को एकत्रित कर लेते हैं और उसके बाद उनको सूखा कर उनका चूर्ण बनाकर उपयोग करते हैं तो यह आपकी किड़नी की समस्याओं ‌‌‌को दूर करने मे मदद कर सकता है।यदि आप नींम के बीज के पाउडर और चाय का सेवन करते हैं तो यह बहुत अधिक फायदे मंद हो सकता है। हालांकि आपको ऐसा करने से पहले किसी योग्य डॉक्टर से परामर्श लेना आवश्यक होता है।

‌‌‌पेट के कीड़ों से छूटकारा पाने के लिए To get rid of stomach bugs

यदि आप निंबोली का सेवन करते हैं तो यह आपके पेट के किड़ों को मारने मे उपयोगी होती है। इसके अलावा यदि आप नीम के बीज से बने पाउड़र का सेवन करते हैं या कैप्सूल का सेवन करते हैं तो यह आपके पेट मे पल रहे कीड़ों को खत्म करने का एक अच्छा उपाय हो सकता है।‌‌‌वैज्ञानिक रिसर्च के अंदर यह साफ हो चुका है कि पेट मे पलने वाले कीड़ों और परजीवी जो हमको नुकसान पहुंचा सकते हैं , को खत्म करने के लिए आपको नीम के रस का सेवन या नीम के बीज का सेवन करना चाहिए । यह बहुत अधिक फायदा पहुंचाता है।

‌मलेरिया के उपचार मे निंबोली बहुत उपयोगी

दोस्तों जैसा कि आपको पता ही होगा कि मादा एनोफ़िलेज़ (Anopheles) नामक एक मच्छर के काटने से फैलता है।‌‌‌वैसे तो मलेरिया रोग को दूर करने के अनेक घरेलू उपचार मौजूद हैं और इन्हीं उपचारों के अंदर एक है नीम की निंबोली के उपचार या नीम के बीज के उपचार ।‌‌‌वैज्ञानिकों के अनुसार नीम के बीज को सूखा कर पीस लें और उसके बाद इसको शरीर पर लेप करलें तो मच्छर नहीं आएंगे और आपको काटेंगे नहीं । अधिकर आप यह नुस्खा तब अपना सकते हैं जब आपको मच्छर काटने का डर हो या जहां पर अधिक मच्छर हो ।

‌‌‌यदि आप इससे भी प्रभावी तरीका उपयोग मे लेना चाहते हैं तो नीम के बीज का तेल निकाले और उसके बाद रोजाना सोने से पहले उस तेल की अपने शरीर के उपर मालिस करके सो जाएं । और उसके बाद आपके पास मच्छर तो आएंगे लेकिन वे आपको काटेंगे नहीं । इससे अच्छा उपाय और क्या हो सकता है भाई ।

neem के फायदे Athletes Infection को दूर करने मे उपयोगी

दोस्तो यदि जब मुझे Athletes Infection हो गया था तो मेरे हाथों की चमड़ी उतरने लगी थी। इसमे आपके हाथों या पैरों से सफेद चमड़ी उतरने लग जाती है। दोस्तों यह कई लोगों के अंदर होता है कुछ लोग इसके बारे मे ध्यान ही नहीं देते हैं। ‌‌‌बाद मे यह अपने आप ही ठीक हो जाता है। यदि आपको भी Athletes Infection  हो गया है तो आप बाजार से नीम के बीज का तेल खरीद कर ला सकते हैं। और इस तेल को आप संक्रमण वाले स्थान पर लगा सकते हैं। यह आम तेल की तरह ही होता है जो बैक्टीरिया को खत्म कर देता है। ‌‌‌यदि आप आम दिनों के अंदर नीम का तेल यूज करते हैं तो आपको Athletes Infection  नहीं होगा ।

‌‌‌नीम की निंबोली के फायदे प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत बनाता है

प्रतिरक्षा तंत्र बहुत ही उपयोगी चीज होती है। दोस्तों जिस इंसान का प्रतिरक्षा तंत्र बहुत अधिक मजबूत होता है उसको रोग होने के चांस काफी कम होते हैं। आपने देखा होगा ‌‌‌कुछ लोग बहुत ही कम बीमार पड़ते हैं ।

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जबकि कुछ बहुत अधिक बीमार पड़ते हैं। जो लोग कम बीमार पड़ते हैं इसका कारण यह है कि उनके शरीर का प्रतिरक्षा तंत्र मजबूत है। ऐसा नहीं है कि उनके शरीर के उपर जीवाणू हमले नहीं करते । वे हमले करते हैं लेकिन प्रतिरक्षा तंत्र उनको नष्ट कर देता है।

‌‌‌नीम के बीज मे एंटीऑक्सीडेंट और एंटीसेप्टिक  गुण होते हैं। यदि आप अपने शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने की सोच रहे हैं तो नीम के बीज का सेवन करना आपके लिए उपयोगी हो सकता है। इनका सेवन कैसे करना है ? यह आप किसी अच्छे आयुर्वेदिक डॉक्टर से सलाह लेकर पता लगा सकते हैं।

‌‌‌गर्भनिरोधक के रूप मे उपयोगी हैं नीम के बीज

‌‌‌दोस्तों वैसे तो गर्भ को रोकने के अनेक तरीके मार्केट के अंदर मौजूद हैं लेकिन अधिकतर तरीके जोकि स्थाई हैं उनके कई सारे बुरे प्रभाव भी सामने आए हैं। लेकिन नीम के बीज का उपयोग अनचाहे गर्भ को रोकने का बहुत ही अच्छा तरीका हो सकता है। ‌‌‌इस तरीके के अंदर किसी भी तरह की समस्या नहीं है। और यह पूरी तरह से नेचुरल तरीका है।

‌‌‌चेहरे की झुर्रियों को कम करने मे उपयोगी

दोस्तों बढ़ती उम्र के साथ झुर्रियों की समस्या होना आम है।चेहरे पर कोशिकाओं के मरने से झुर्रियां दिखने लग जाती हैं जो चेहरे की सुंदरता को खराब कर सकती हैं। लेकिन नीम के बीज इसमे उपयोगी हो सकते हैं।नीम के पीसे हुए बीज के तेल में एंटी-एजिंग और एंटी-ऑक्सीडेंट गुण होने की वजह से यह आपके चेहरे की झुर्रियों को कम कर सकते हैं। आप नीम के बीजों का तेल बाजार से खरीद सकते हैं और रोजाना अपने चहरे पर लगाएं । कुछ ही दिनों मे आपको फर्क नजर आने लगेगा ।

‌‌‌निंबोली दांतों के लिए उपयोगी है

दोस्तों निंबोली का तेल आपके दांतों की रक्षा कर सकता है। आज हर इंसान के अंदर दांतों की समस्याएं हैं। और वह इन समस्याओं से छूटकारा पाना चाहता है और इसके लिए अनेक उपाय भी करता है।‌‌‌नीम के बीज के तेल मे एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-सेप्टिक जैसे तत्व मौजूद होते हैं जो दांतों के उपर गंदगी की जो परत चढ़ जाती है उसको दूर करने मे मदद करते हैं।

आप नीम का दांतून करते हैं यह भी दांतों को सफेद करता है। इसके अलावा‌‌‌कई बार मसूड़ों के अंदर सूजन आ जाता है या दांतों मे सड़न हो जाती है । इन सब समस्याओं का ईलाज नीम के बीजों का तेल ही होता है।‌‌‌दांतों मे होने वाली कैंसर को रोकने के लिए भी नीम का तेल उपयोगी होता है। ‌‌‌रिसर्च के अंदर यह पता चला है कि नीम माउथवॉश का उपयोग कुछ हद तक काम करता है। लेकिन यदि किसी के मसूड़ो में लंबा सूजन है तो यह उसके लिए काम नहीं करेगा ।

‌‌‌नीम के बीज त्वचा के लिए उपयोगी होते हैं

दोस्तों नीम के बीज त्वचा के लिए बहुत ही उपयोगी होते हैं। यह त्वचा के लिए एक दवा का काम करते हैं।यदि आपको मुंहासे ,फंगल इन्फेक्सन जैसी कुछ समस्याएं हैं तो निंबोली जो सूख गई है को पीस कर रोग वाली त्वचा के उपर लगाने से यह सब ठीक हो जाते हैं।

‌‌‌कुछ लोगों की त्वचा के उपर दाग और धब्बे भी होते हैं । नियमित रूप से नीम के बीज का तेल लगाने से त्वचा के उपर होने वाले यह दाग धब्बे अपने आप ही दूर हो जाते हैं।‌‌‌कुछ लोग बहुत अधिक काले होते हैं। और वे अपने कालेपन को दूर करने के लिए नीम के पेस्ट का यूज कर सकते हैं। नीम के बीज का पेस्ट कुछ दिन अपने चेहरे पर कुछ दिन लगाने के बाद आपको फर्क महसूस होगा ।

‌‌‌इन सबके अलावा नीम के बीज का पेस्ट त्वचा से जुड़े रोग जैसे  एक्जिमा सोरायसिस को दूर करने मे मदद करता है। हालांकि  यदि आप नीम का पेस्ट घर पर नहीं बना सकते हैं तो बाजार के अंदर यह सब उपलब्ध हैं आप किसी आयुर्वेदिक वैद के पास जा सकते हैं।

नीम की निंबोली के फायदे ‌‌‌बालों के लिए

‌‌‌यदि आप अपने बालों की समस्याओं से परेशान हैं तो आप नीम के तेल का यूज कर सकते हैं। यह हर तरह से आपके बालों के लिए उपयोगी है। बालों के साथ  कई प्रकार की समस्याएं हो सकती हैं जैसे बालों का कमजोर होकर झड़ना ।

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यदि आपके बाल झड़ते हैं तो आप नीम के तेल को बालों की जड़ों मे मालिस करें । ऐसा करने से ‌‌‌आपके बालों की जड़ें मजबूत हो जाएंगी और वे झड़ना बंद हो जाएंगे । इनके अलावा यदि डेंड्रफ की समस्या है तो यह भी नीम के बीज का तेल नष्ट कर सकता है। कुछ भाई बहन तो ऐसे होते हैं जो डंड्रफ की समस्या से हर समय परेशान रहते हैं उनको नीम के तेल का यूज करना चाहिए ।

‌‌‌नीम की निंबोली के फायदे कान और आंख के संक्रमण को दूर करता है

‌‌‌दोस्तों नीम का बीज का बना अर्क आपके कान और आंख के अंदर होने वाले संक्रमण को दूर कर सकता है।नीम के बीज के अंदर इस प्रकार के गुण मौजूद होते हैं जो संक्रमण फैलाने वाले बैक्टिरिया को नष्ट कर देते हैं। ‌‌‌नीम के बीज से अर्क बनाने की विधि इस प्रकार से है।

  • ‌‌‌नीम के बीज का गुदा बनालें ।
  • कुछ मात्रा मे पानी लें ।
  • डिटरर्जेंट
  • और छानने के लिए कोई कपड़ा ।

‌‌‌नीम के बीज की गुंठली को अच्छी तरह से पीसे और उसके बाद उसके अंदर पानी मिलाकर रातभर भिगोकर छोड़दें फिर सुबह इस घोल को हिलाएं । पानी जब दूधिया हो जाए तो उसके अंदर डिटरर्जेंट पाउडर मिलालें । उसके बाद आप इसका यूज कर सकते हैं।

‌‌‌सिर मे जूं को दूर करने मे

दोस्तों पहले सिर के अंदर जूं का पड़ना बहुत ही आसान था। हालांकि आज कल आपको ऐसा व्यक्ति मिलना मुश्किल हो जाएगा जिसके सर मे जूं हो । क्योंकि आज कल एक से बढ़कर एक उपचार उपलब्ध है। ‌‌‌रिसर्च से यह पता चला है कि नीम का अर्क शैम्पू लगाने से सिर के अंदर मौजूद जूं से छूटकारा मिल जाता है।

‌‌‌निंबोली का प्रयोग कीड़ों को नियंत्रित करने मे

दोस्तों आपको यह जानकर हैरानी होगी की निंबोली या नीम के बीज से बने तेल या नीम की पतियों से बने तेल का प्रयोग कीड़ों को नियंत्रित करने मे किया जाता है।‌‌‌कई रिसर्च से इस बात का पता चला है कि नीम के तेल का प्रयोग एक कीटनाशक रूप मे किया जा सकता है।नीम की मदद से सफेद मक्खियों, एफिड्स, तराजू, मेले के कीड़े, मकड़ी के कण, टिड्डियां, थ्रिप्स और जापानी टेटल जैसे सामान्य कीड़ों को नियंत्रित करने मे मदद मिलती है।

‌‌‌नीम का तेल एक अच्छा कवकनाशक हो सकता है।आर्किड के मालिक शुद्ध नीम के तेल के स्प्रे का उपयोग मयबग, स्पिडर्माइट्स जैसे कीटों को नियंत्रित करने के लिए करते हैं।नीम के बीज के तेल में मुख्य तत्व अज़ादिराच्टीन है जो कीटों को बढ़ने से रोक देता है।

‌‌‌नीम का स्वाद कड़वा होने की वजह से यह एक एंटीफीडेंट के रूप मे काम करता है। यह स्वाद मे कड़वा होने की वजह से यह खाने मे बहुत ही बेकार होता है और कीड़े इसको खाने की बजाय भूखे रहना अधिक पसंद करते हैं जो उनके विकास को रोक देता है।

‌‌‌रिसर्च के अंदर स्तनधारियों, पक्षियों, मधुमक्खियों या केंचुओं के लिए गैर विषैले साबित हुआ है।नीम का स्प्रे किसी भी लाभकारी कीड़ों को किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं पहुंचाता है। हालांकि यह उन कीड़ों के लिए बहुत हानिकारक है जो पौधें के पत्तों को खाते हैं या उनको नुकसान पहुंचाते हैं।‌‌‌हालांकि नीम के स्प्रे का छिड़काव करने से पहले ध्यानदें कि वहां पर मधुमक्खियों और लेडीबग्स नहीं होने चाहिए ।

नीम स्प्रे के 0.5% बनाने के लिए आपको  , आपको 5 एमएल नीम तेल, 1-2 एमएल कीटनाशक साबुन या डिटर्जेंट और 1 लीटर गर्म पानी की आवश्यकता होगी। 20 लीटर के लिए आपको 200 एमएल नीम तेल, 20 Ml कीटनाशक साबुन और 20 लीटर पानी की जरूरत होगी । बेहतर होगा आप केवल गर्म पानी का ही उपयोग करें ।

  • ‌‌‌सबसे पहले आपको गर्म पानी मे साबुन को मिलाना होगा उसके बाद पानी को जोर जोर से हिलाना होगा ताकि यह अच्छी तरह से मिल जाए ।
  • और उसके बाद नीम के तेल को इसमे डालें ।यदि घुलने मे परेशानी हो रही है तो और अधिक साबुन का प्रयोग कर सकते हैं।
  • ‌‌‌अब इस स्प्रे को बोतल मे भर सकते हैं ।
  • उपयोग के दौरान इसको बीच बीच मे हिलाते रहें ।
  • स्प्रे का प्रयोग 8 घंटों के दौरान किया जाना चाहिए ।

‌‌‌नीम के प्रयोग के भयंकर नुकसान

‌‌‌नीम के प्रयोग के भयंकर नुकसान

दोस्तों आपको हर लेख के अंदर यह लिखा हुआ मिल जाएगा कि नीम के प्रयोग करने से यह फायदे हैं वो फायदे हैं। लेकिन असल मे नीम के प्रयोग से कई सारे नुकसान भी हैं जिनको नजर अंदाज नहीं किया जाना चाहिए । ‌‌‌यदि आप इन नुकसान को जान लेते हैं तो यह आपके लिए उपयोगी होगा और आप नीम के फायदों का बेहतर तरीके से लाभ उठा सकेंगे और इसके बुरे प्रभाव से भी बचे रहेंगे ।

  • ‌‌‌जब नीम का अर्क मुह मे लिया जाता है तो यह सेफ होता है।हालांकि यह बच्चों के लिए सही नहीं होता है।वैज्ञानिकों के अनुसार 70 दिन तक आप प्रतिदिन 60 मिलिग्राम तक की खुराक ले सकते हैं। लेकिन यदि आप इस मात्रा से अधिक मात्रा का सेवन करते हैं तो यह ‌‌‌गुर्दे और यक्रत को नुकसान पहुंचा सकता है। नीम की अर्क का प्रयोग डॉक्टर के परामर्श से ही करना चाहिए ।
  • ‌‌‌नीम का तेल या नीम की क्रिम 2 सप्ताह तक लगातार मुंह के अंदर लगाया जा सकता है।यह पूरी तरह से सुरक्षित है।
  • ‌‌‌नीम से बने अर्क या सैम्पूं को बच्चों के सर के उपर अधिक समय तक नहीं लगाना चाहिए क्योंकि यह सुरक्षित नहीं होता है। इसके अलावा यदि आप नीम के तेल या क्रिम को मुंह मे लगाते हैं तो यह बिल्कुल भी सुरक्षित नहीं होता है।‌‌‌नीम का तेल बच्चों मे दुष्प्रभावों में उल्टी, दस्त, उनींदापन, रक्त विकार, दौरे, चेतना की हानि, कोमा, मस्तिष्क विकार और मृत्यु  जैसी समस्याओं को पैदा कर सकता है।
  • ‌‌‌जैसा कि आपको पता होगा किसी भी गर्भवति महिला को नीम का तेल या नीम की की्रम मुंह मे नहीं लेनी चाहिए । यदि गर्भवती महिलाएं ऐसा करती हैं तो यह गर्भपात का कारण बन सकता है।
  • ‌‌‌इसके अलावा यदि आप एक स्तनपान करने वाली महिला हैं तो आपको नीम के तेल के उपयोग से बचना चाहिए । क्योंकि इस मामले मे अभी और अधिक रिसर्च होने बाकी हैं।
  • मल्टीपल स्केलेरोसिस (एमएस), ल्यूपस (सिस्टमिक ल्यूपस एरिथेमेटोसस, एसएलई), संधिशोथ (आरए) जिनको ऑटो-इम्यून रोग के नाम से जाना जाता है यदि आप इनमे से किसी भी रोग से ग्रस्ति हैं तो आपको नीम का सेवन या उपयोग नहीं करना चाहिए । यह रोग के लक्षणों को गम्भीर बना सकते हैं।
  • ‌‌‌यदि कोई नीम का प्रयोग करता है तो लंबे समय तक ऐसा करने से बांझपन की स्थिति पैदा हो सकती है। यदि आप बच्चे पैदा करने का विचार रखते हैं तो आपको इसका सेवन करने से बचना होगा ।
  • ‌‌‌यदि आपका कोई अंग अंग प्रत्यारोपण हुआ है तो आपको नीम का सेवन करने या इसका उपयोग करने से बचना होगा ।
  • ‌‌‌नीम की बनी गोली लेने से आपके उपर मूत्रवर्धक प्रभाव हो सकता है।इससे शरीर में लिथियम की मात्रा बढ़ सकती है और इसके परिणामस्वरूप गंभीर दुष्प्रभाव हो सकते हैं।
  • वर्तमान में, कैंसर, मधुमेह, हृदय रोग और एड्स पर नीम समाधान के प्रशासन के प्रभाव पर अध्ययन किया जा रहा है। चूहों में ट्यूमर को कम करने के लिए नीम के पत्ते से तैयार इंजेक्सन को दिया गया था।परिणाम मे देखा गया था कि प्रोस्टेट कैंसर कोशिकाओं (पीसी -3) की कोशिका मृत्यु का कारण बना।
  • नीम बीज का तेल Azadirachta इंडिका प्लांट से निकाला जाता है और वैनिशिंग क्रीम बेस में तैयार किया जाता है। नीम का तेल वास्तव मे मच्छरों के काटने से पूरी तरह से बचाता नहीं है।नीम का तेल उपयोग करने के बाद भी डेंगू बुखार (DF), डेंगू हेमोराहैगिक बुखार (DHF) और फाइलेरिया जैसे रोग फैलते हुए देखे गए हैं।हालांकि वर्तमान में बाजार पर उपलब्ध सबसे आम मच्छर से बचाने वाली क्रीम, डीईटी (एन, एन-डायथाइल-3-मिथाइलबेनामाइड) ने मच्छरों के काटने और अन्य काटने वाले कीड़ों से उत्कृष्ट सुरक्षा दिखाई है।
  • नीम के जीवाणुरोधी और एंटीमायलरियल गुणों की तरह, एंटिफंगल गुणों का भी बहुत अधिक महत्व है लेकिन यह केवल फंगल की तीन प्रजातियों को रोकने का काम ही कर सकता है। और उनके नाम इस प्रकार से हैं।एस्परगिलस फ्लावस, अल्टरनेरिया सोलानी और Cladosporium।

नीम की निंबोली के फायदे लेख आपको कैसा लगा नीचे कमेंट करके हमें बताए । दोस्तों नीम की निबोली को खाना कई प्रकार से फायदे मंद होता है जैसा कि हमने आपको उपर बताया है। हालांकि खारी निंबोली यदि आप अधिक खाते हैं तो यह नुकसान का कारण बन सकती है और बच्चों को निंबोली का सेवन कम ही करना चाहिए । ‌‌‌क्योंकि बच्चों मे नीम की अधिक मात्रा नुकसानदायी होती है जैसा कि उपर बताया जा चुका है। ‌‌‌आप उपर पढ़ सकते हैं।

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arif khan

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