बादल क्या है { badal kya hai} बादल कैसे बनता है {badal kaise banta hai} इसके अलावा कृत्रिम बादल के बारे मे हम विस्तार से बात करेंगे ।
वैसे बादल बनना एक प्राक्रतिक प्रक्रिया है। लेकिन जब मूवी या किसी नाटक या अन्य सजावट मे बादलों का प्रभाव प्रदर्शित किया जाता है। तो बादल को बनाया जाता है। जिनको देखने पर यह रियल बादल की तरह लगते हैं। आपने कई नाटकों के अंदर देखा होगा कि लोग बादलों के अंदर बातें करते हैं। यह बादल रियल नहीं होते हैं। वरन इनको बनाया जाता है। बादल बनाना विज्ञान की प्रक्रिया है। कई बार वैज्ञानिक परीक्षण करने के लिए भी बादल बनाते हैं। ध्यानदें कि अपने आप जो बादल बनते हैं वह प्रक्रिया आर्टिफिसियल बादल बनने की प्रक्रिया से अलग होती है।
homogenitus और artificial cloud मानव के द्वारा बनाए बादल होते हैं। जबकि प्राक्रतिक बादल जिवाश्म ईंधन , जल वाष्प और भूतापीय उर्जा संयत्रों से निकलने वाली गैस का प्रयोग करते हैं।
जेट विमान काफी बड़े होते हैं। अमेरिका के अंदर केवल 700 मिलियन लोग इनकी यात्रा करते हैं। जेट विमान के अंदर ईंधन जलने से भाप और अन्य रसायनिक पदार्थ निकलते हैं। अकेले जेट इंजन के अंदर प्रतिवर्ष 60 बिलियन गैलन ईंधन का खर्च हो जाता है। जेट विमान से जब भाप बनती है तो वह ठंडी होकर बादल का रूप लेलेती है।60 बिलियन गैलन पानी लगभग 10 ट्रिलियन क्यूबिक फीट भाप बर्फ क्रिस्टल बादलों का उत्पादन कर सकता है। हांलाकि बादल बनाने का यह कोई एक प्रभावी तरीका नहीं है। इसके अलावा भी बहुत सारे तरीके मौजूद हैं।
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बादल कैसे बनते हैं जेट विमान से
मौसम संशोधन के रूप मे हाइग्रोस्कोपिक धातु एयरोसोल का प्रयोग करते हैं। यह तरीका वर्षा को प्रेरित करके के लिए प्रयोग मे लाया जाता है।जब रसायनों को नमी के साथ मिश्रित किया जाता है, तो चांदी आयोडीन सीसीएन प्रदान करके क्लाउड गठन को बढ़ावा देता है। अदृश्य क्लाउड-बीजिंग रसायनों पर्यावरण में लगभग 20,000 फीट पर फैले हुए हैं। जेट विमान से निकलने वाली भाप वैगरह से मिलकर संकूचन को बढ़ाते हैं। और बादलों का निर्माण करते हैं।सिल्वर आयोडाइड एक बार जब वातावरण के अंदर फैल जाते हैं तो फिर गायब हो जाते हैं और उचित स्थिति मिलने पर दिखाई देते हैं।
CLOUD SEEDING क्या है?
क्लाउड सीडिंग एक बादल बनाने के प्रक्रिया है। जिसकी मदद से बादल बनाए जाते हैं।यह क्लाउड बीजिंग रसायनों जैसे पोटेशियम आयोडाइड, चांदी आयोडाइड, तरल प्रोपेन या ठोस कार्बन डाइऑक्साइड का उपयोग करके किया जाता है। क्लाउड बीजिंग रसायनों को मानव निर्मित विमानों, रिमोट कंट्रोल वाले रॉकेट या जमीन पर तैनात अन्य फैलाव उपकरणों के माध्यम से उपर पहुंचाया जाता है।
बादल कैसे बनते हैं चांदी आयोडाइड FLARES से
बादलों को बनाने का यह तरीका भी काफी मात्रा के अंदर प्रयोग किया जाता है। इस तरीके के अंदर बड़े जेट विमानों के पंखों पर फ्लेरेस लगाए जाते हैं। जब यह जलते हैं तो रजत आयोडाइड नामक रसायन पैदा करते हैं जो बादलों को संघन और मोटा करने का काम भी करते हैं।
वर्षा को अधिकतम करने के लिए फ्लेरेस जितना हो सके उतना जलाया जाता है। कई जगहों पर इस तकनीक का प्रयोग करके वर्षा को अधिक किया जा चुका है। संयुक्त राज्य अमेरिका के अंदर तो वर्षा पैदा करने को भी किराय पर लिया जाता है। और इसके लिए उपभोगता भुकतान भी करते हैं। इस तरीके के अंदर कुछ कम्पनियां आर्टिफिसिल तरीके से बादल बनाती हैं और वर्षा करवाती हैं। कैलिफ़ोर्निया जैसे अमेरिका में सूखे राज्यों ने 1 9 60 के दशक से हर साल चांदी आयोडाइड का प्रयोग करके बादल बनाए जा रहे हैं।
चूंकि वैश्विक जल आपूर्ति कम हो जाती है, बढ़ती आबादी और कृषि आवश्यकताओं में वृद्धि के लिए पर्याप्त पानी उपलब्ध कराने के लिए कुछ विकल्प मौजूद हैं। जैसे अमेरिका में अधिकांश पश्चिमी राज्य वर्षा वृद्धि के लिए चल रहे क्लाउड बीजिंग कार्यक्रम आयोजित करते हैं, कई देश क्लाउड बीजिंग का उपयोग वर्षा और बर्फबारी को बढ़ाने के लिए करता है
बादल कैसे बनते हैं 3 सिंपल स्टेप्स से
- सबसे पहले जिस क्षेत्र के अंदर बादल बनाना हो उस क्षेत्र के अंदर की गर्म हवाओं को उपर की ओर भेजा जाता है। इसके लिए कैल्शियम क्लोराइड ,कैल्शियम कर्बाइड इसके अलावा यूरिया और अमोनियम नाइट्रेट का इस्तेमाल होता है।यह हवा के अंदर जल वाष्प को सोख लेते हैं।
- उसके बाद नमक अमोनियम नाइट्रेट का प्रयोग करके बादलों के द्रव्यमान को बढ़ाया जाता है।
- उसके बाद आसमान के अंदर छाए बादलों पर सिल्वर आइयोडाइड की बमबारी की जाती है। जिससे बादल वर्षा के रूप मे जमीन पर बरसने लग जाते हैं
ARTIFICIAL CLOUD जहरीले होते हैं
इन तरीके से जो बादल बनाए जाते हैं । वे जीवित जानवरों पेड़ पौधों के लिए जहरीले होते हैं।फ्लेरेस से बने बादल भी जहरीले होते हैं।चांदी नाइट्रेट और पोटेशियम आयोडाइड का प्रयोग बादल बनाने मे किया जाता है जो काफी नुकसान दायी होता है।
बादल बनाने का सिद्वांत कैसे काम करता है ?
उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों पर बादल के तापमान कम होते हैं क्योंकि वे उंचाई पर होते हैं।जब बादल का तापमान 0 डिग्री सेल्सियस से ऊपर है, तो बादल को गर्म बादल कहा जाता है; जब यह 0 डिग्री सेल्सियस से नीचे है तो इसे ठंडा बादल कहा जाता है एक गर्म बादल के अंदर पानी की बूंदे बड़ी हो जाएंगी और टकराव की वजह से वर्षा की बूंदे नीचे गिरने लग जाएंगी । जब बादल 0 डिग्री सेल्सिियस से गुजरते हैं तो उनके अंदर की बूंदे पानी बनकर जमीन पर बरसने लग जाएंगी । आमतौर पर जब बादल ठंडा होता है तो उसके अंदर बारिश नहीं होती है।
उससे क्रत्रिम बारिश करवाने के लिए उस पर कई पदार्थों का छिड़काव कर सकते हैं। ठंडे बादल से बारिश करवाने के लिए चांदी के आयोडीन का उपयोग करने का सबसे आम तरीका है। यह मुख्य रूप से है क्योंकि शुष्क बर्फ का तापमान -78 डिग्री सेल्सियस है। बर्फ क्रिस्टल की कमी वाले ठंडे बादल में शुष्क बर्फ फैलाने से इसका तापमान तेजी से कम हो जाएगा। सीधे सुपरकोल्ड वाले पानी को बर्फ क्रिस्टल में बदल देते हैं, जो बर्फ-क्रिस्टल नाभिक की सहायता के बिना बारिश बन जाएगा।
गर्म बादल में बारिश करने के कई तरीके हैं, जैसे पानी की बूंदों, हाइग्रोस्कोपिक पाउडर या तरल (सोडियम क्लोराइड), आदि को छिड़काव, करना।
बादल कैसे बनते हैं क्लाउड बीजिंग तकनीक का प्रयोग से
विश्व मौसम संगठन के अनुसार क्लाउड बीजिंग तकनीक का प्रयोग 52 से अधिक वर्षों से किया जा रहा है। और अब तक 50 से अधिक देस इसका प्रयोग चुके हैं।अकेले यू.एस. ने पिछले साल 55 मिलियन डॉलर तक इस पर खर्च किये जाते हैं। 2008 में चीन ने भी वायु प्रदुषण को कम करने के लिए इस परियोजना पर लाखों डॉलर खर्च किये थे ।2011 में, चीन ने कृत्रिम बारिश करने के लिए एक क्लाउड बीजिंग परियोजना पर $ 150 मिलियन खर्च किए।चीन लगभग 55 बिलियन टन क्लाउड बीड कृत्रिम बारिश बनाता है जो निकट भविष्य में 280 अरब टन तक बढ़ने की उम्मीद है।
भारत में, 2015 में पहली बार कमजोर मानसून के संदेहों के बीच महाराष्ट्र राज्य में पहली बार इस तकनीक का इस्तेमाल किया गया था, सरकार ने इस योजना के अंदर 5 मिलियन डॉलर खर्च किये थे । क्योंकि यहां पर लगातार 3 साल तक सूखा पहले ही रह चुका था।
चीन की ‘स्काई नदी’ मे सबसे बड़ा कृत्रिम वर्षा प्रयोग
चीन तिब्बती पठार पर अधिक वर्षा करवाने के लिए बादल बनाने का बड़ा प्रयोग किया गया था । इस क्षेत्र के अंदर हजारों ईंधन कक्षाएं स्थापित की गई थी । ताकी वर्षा को को 10 बिलियन घन मीटर तक बढ़ाया जा सके। ऐसी उम्मीद है कि इस प्रयोजना से 1.6 मिलियन वर्ग किलोमीटर तक फैले क्षेत्र मे बड़े पैमाने पर अतिरिक्त बारिश होगी।इस योजना को बनाने का मकसद है कि चीन को अतिरिक्त वर्षा प्रदान करना । यह एक काफी बड़ी परियोजना है और कब तक पूरी होगी इसका पता नहीं । और कितनी सक्सेस होगी यह तो वक्त ही बताएगा ।
बादल कैसे बनते हैं फिल्मों के अंदर
फिल्मों के अंदर बादल बनाने की प्रक्रिया सर्वथा अलग होती है। यहां पर बादल बनाने के लिए ग्लाइकोल या ग्लाइकोल / पानी मिश्रण का प्रयोग किया जाता है। वैसे देखा जाए तो यह एक तरह का धुंआ ही होता है। और यह धुंआ काफी संघन होता है। जिसे देखने पर बादल जैसा दिखता है।
बादल कैसे बनते हैं प्राक्रतिक प्रक्रिया से
बादल बनने की प्रक्रिया को समझने के लिए हम पहले एक सिंपल सा उदाहरण ले लेते हैं ताकि आपको बादल बनने की प्रक्रिया समझ मे आ सके । आप जब पानी गर्म करते हैं तो पानी के बर्तन के उपर ढकन भी रखते होंगे । पानी गर्म होने की वजह से भाप मे बदलता है और ढकन के उपर भाग पर चिपक जाता है। उसके बाद जब हम ढंकन को उतारते हैं तो उसके नीचे हमें पानी की बूंदे दिखाई देती हैं।
यह तरीका बादल बनने मे प्रयोग होता है। जब समुद्र का तापमान बढ़ता है तो पानी गर्म होता है और भाप बनकर आसमान के अंदर चला जाता है। और वहां पर वह ठंडा हो जाता है।आपको पता होगा कि गर्म मौसम के अंदर पानी ज्यादा भाप बनता है। इस वजह से गर्मीं के मौसम मे ज्यादा बारिस आने की संभावना रहती है। सेम यह तरीका आर्टिफिसियल बादल बनाने मे प्रयोग मे लाया जाता है।लेकिन इस तरीके के अंदर जेट विमानों की भाप और वातावरण मे मौजूद भाप का प्रयोग किया जाता है। और बादलों को संघन बनाने के लिए रसायनों का यूज होता है।वैसे बादल बनना एक वॉटर cycle होता है। इसमे पहले समुद्र का पानी गर्म होता है। उसके बाद वह भाप बनकर उपर चला जाता है। फिर वह बादल बन जाता है। उसके बाद जब पानी गर्म होता है तो यह बूंदे बरसा के रूप मे नीचे गिरती हैं और पानी समुद्र के अंदर वापस चला जाता है।
बादलों के प्रकार TYPE OF CLOUD
बादल भी कई प्रकार के होते हैं। लेकिन मुख्य रूप से बादलों को 4 प्रमुख भागों के अंदर बांटा गया है।
सायरस बादल
यह छोटे बादल होते हैं और इनका आकार पक्षियों के पंखों के जैसे होता है। सायरस बादल की ऊँचाई 8000 से 11000 मीटर के बीच रहती है। यह छोटे बर्फ के कण से बनते हैं।
स्ट्रैटस बादल
इन बादल का निर्माण 2400 मीटर तक की उंचाई पर होता है।यह धुंए की परतों के जैसे दिखाई देते हैं । यह खराब मौसम का सूचक होते हैं । यह अधिक वर्षा पैदा नहीं करते है।
क्यूमुलस बादल
220 से 1525 मीटर की ऊँचाई पर इन बादल का निर्माण होता है। और देखने मे यह बादल एक पहाड़ की तरह ही दिखाई देते हैं।
निम्बोस्ट्रैट्स बादल
यह बादल सबसे कम उंचाई पर बनने वाले बादल होते हैं। जबकि सबसे अधिक उंचाई पर बनने वाले बादलों को नाक्टील्यूमैंट बादल कहते हैं जोकि 80 हजार मीटर तक उंचे होते हैं। वैसे धरती पर वर्षा सबसे कम उंचाई पर बनने वाले बादल ही करते हैं।यह काले रंग के होते हैं।
अक्सर बादल कई तरह से बनते हैं । और कई बार आपने देखा भी होगा कि बादलों के अंदर आपको घोड़ा और भगवान और भी न जाने किस किस तरह की तस्वीर दिखाई देती हैं। अक्सर आपके दिमाग के अंदर यह आता भी होगा , कि यह तस्वीर बादलों के अंदर क्यों बनती हैं ? इसके पीछे का विज्ञान क्या हो सकता है ? तो हम इसी के बारे मे बात करने वाले हैं , कि इसके पीछे का विज्ञान क्या होगा ।
असल मे बादलों के अंदर पाष्प होती है। और जब यह उपर जाने के बाद ठोस के अंदर बदल जाती है , और इस ठोस के उपर प्रकाश पड़ता है , तो फिर यह आपको अलग अलग आकार के अंदर दिखाई देता है। जैसे कि घोड़ा कुत्ता आदि आपको दिखाई दे जाता है। और यह आपको अजीब अजीब दिखाई दे सकता है।
क्या होते हैं लघु बादल
दोस्तों वैज्ञानिकों के अनुसार लघु बादल 5000 मीटर से अधिक उंचाई पर बनते हैं। और यह कभी कभी 18 हजार मीटर तक की उंचाई पर बनते हैं। यह बहुत छोटे बादल होते हैं। जोकि आपको अक्सर टुकड़ों के रूप मे दिखाई दे जाते हैं।
बादल क्या है, बादल कैसे बनते हैं कृत्रिम बादल बनाने के तरीके
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