दिपावली पर मां लक्ष्मी गणेश और सरस्वती जी की पूजा की जाती है। उनसे सुख सर्मद्वी का वरदान मांगा जाता है। जैसा की आपको पता होगा भगवान गणेश बुद्वी दायक हैं। माता लक्ष्मी धन की देवी है। और सरस्वती विध्या की देवी मानी जाती हैं।
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दिपावली हेतु पूजन सामग्री
दिपावली के पूजन हेतु कुछ सामग्री की आवश्यकता होती है।
भगवानों का चित्र
रोली कुमकुम चावल पान सुपारी लौंग इलायची धूप कपूर अगरबतियां तांबे व रेत का दीया
नारियन गंगा जल गुड धनियां फल फूल जौ गेहूं चंदन सिंदूर ध्रत बताशे माला और मिष्ठान आदि।
दिपावली की पूजा विधि
दिपावली की पूजा करने से पहले एक चौकी पर सफेद वस्त्र बिछाकर माता लक्ष्मी सरस्वती और भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करें ।उसके बाद थोड़ा सा जल लेकर प्रतिमाओं पर छिड़के फिर इसी तरह से खुद को भी पचित्र करे अपने आसन को भी पवित्र करें। साथ ही मंत्र जपे
अब ॐ पवित्रः अपवित्रो वा सर्वावस्थांगतोऽपिवा।
यः स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स वाह्यभ्यन्तर शुचिः॥
इस मंत्र का जाप करते हुए माता लक्ष्मी से क्षमा मांगे
ॐ पृथ्वी त्वया धृता लोका देवि त्वं विष्णुना धृता।
त्वं च धारय मां देवि पवित्रं कुरु चासनम्॥
पृथिव्यै नमः आधारशक्तये नमः
देवताओं की आरती
पूजा करने के बाद देवताओं की आरती की जानी अनिवार्य होती है। आरती के बिना पूजा अधुरी मानी जाती है। इसलिए पूजा के बाद आरती अवश्य करें । आरती नीचें दी जा रही है।
भगवान गणेश की आरती
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
एकदन्त दयावन्त चार भुजाधारी,
माथे पर तिलक सोहे मूसे की सवारी।
(माथे पर सिन्दूर सोहे, मूसे की सवारी)
पान चढ़े, फूल चढ़े, और चढ़े मेवा,
(हार चढ़े, फूल चढ़े और चढ़े मेवा),
लड्डुअन का भोग लगे सन्त करें सेवा॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
अँन्धे को आँख देत कोढ़िन को काया
बाँझन को पुत्र देत निर्धन को माया।
‘सूर’ श्याम शरण आए सफल कीजे सेवा
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
(दीनन की लाज राखो, शम्भु सुतवारी )
(कामना को पूर्ण करो, जग बलिहारी)॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥ जय गणेश जी की |
माता लक्ष्मी की आरती
ॐ जय लक्ष्मी माता मैया जय लक्ष्मी माता,
तुमको निसदिन सेवत, हर विष्णु विधाता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता….
उमा, रमा, ब्रम्हाणी, तुम जग की माता,
सूर्य चद्रंमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता….
दुर्गारुप निरंजन, सुख संपत्ति दाता,
जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि सिद्धी धन पाता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता….
तुम ही पाताल निवासनी, तुम ही शुभदाता,
कर्मप्रभाव प्रकाशनी, भवनिधि की त्राता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता….
जिस घर तुम रहती हो, ताँहि में हैं सद् गुण आता,
सब सभंव हो जाता, मन नहीं घबराता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता….
तुम बिन यज्ञ ना होता, वस्त्र न कोई पाता,
खान पान का वैभव, सब तुमसे आता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता….
शुभ गुण मंदिर सुंदर क्षीरनिधि जाता,
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता….
महालक्ष्मी जी की आरती, जो कोई नर गाता,
उर आंनद समाता, पाप उतर जाता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता….
ॐ जय लक्ष्मी माता मैया जय लक्ष्मी माता,
तुमको निसदिन सेवत, हर विष्णु विधाता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता…